Sunday, January 23, 2011

Hindi sexi stori- यार बना प्रीतम - भाग (8)




यार बना प्रीतम - भाग (8)

गतान्क से आगे........
तैयार हो जा, जलेगा थोड़ा पर मज़ा भी आएगा और अचानक मेरी आँतों में गरम पानी भर'ने लगा. वह जल भी रहा था. पहले तो मैं समझा नहीं कि क्या हो रहा है पर फिर पता चला कि प्रीतम मेरी गान्ड में मूत रहा है.

उस गरम खारे पानी का जादू ही कुच्छ और था. लग रहा था कि तप'ता अनीमा ले रहा हूँ. खारा होने की वजह से वह जल भी रहा था. गांद मरवा मरवा'कर अंदर से थोड़ी छिल गयी थी और इसीलिए जल रही थी. अप'ने चप्पल से भरे मुँह से मैं थोड कराहा पर मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मेरा लंड और तंन गया. पूरा मूत कर ही वह रुका. एक लीटर मूत ज़रूर मेरी आँतों में भर दिया था उस'ने. फिर मेरा लंड सहलाता हुआ प्रीतम बोला.

मज़ा आया मेरे यार? तेरा लंड कैसा सिर तन कर खड है देख . अब मेरी मारेगा राजा? मैने सिर हिला'कर हां कहा क्योंकि मुँह में तो चप्पल थी.

फिर अब पूरी चप्पल मुँह में देता हूँ. और फिर उसे खा जा मेरे यार. मैं जान'ता हूँ की तू कब से ये कर'ने को मारा जा रहा है पर साला शरमाता है. मैने इसी लिए यह घिसी पुरानी पतली चप्पल मँगवाई थी. बिलकुल पतली है. तुझे पहली बार खा'ने को यही अच्छी है, तकलीफ़ नहीं होगी. मैं भी कब से सोच रहा हूँ की मेरी रानी मेरी चप्पालों पर इतना मार'ती है, और उसे आज तक मैं चप्पल खिला नहीं पाया. आज ख़ाले, चप्पल खा कर फिर मेरी गान्ड मार, जैसे मारनी हो, मैं कुच्छ नहीं कहूँगा.

मैं सुन कर मचल गया. डर भी लगा. यह मेरी कब की फेंटसी थी कि मेरे यार, मेरे स्वामी प्रीतम की चप्पल खा जाउ. पर रब्बर की चप्पल खाना कोई माऊली बात नहीं है. मैं कुच्छ कहना चाह'ता था कि यह कैसे होगा पर मुँह भरा होने से बोल नहीं पाया. वह फिर बोला. मैने उसके मन

की बात भाँप ली थी. मेरा लंड अब ऐसा खड़ा था कि सूज कर फट जाएगा. उसे हल्के से दबा कर वह बोला.

पर एक शर्त है यार, चप्पल निगल'ने तक तू लंड ऐसा ही रखेगा. मस्ती में तू मन लगा'कर खाएगा यह मैं जान'ता हूँ पर एक बार अगर झड गया तो फिर नहीं खा पाएगा. इस'लिए तेरी मुश्कें बाँध कर रखूँगा जब तक तू चप्पल चबा चबा कर निगल ना ले. बोल है मंजूर? उस'की आँखों में उत्कट कामवासना धधक रही थी. जितनी आस मेरे मन में थी उतनी ही लालसा उसे मुझे अपनी चप्पल खिला'ने की थी. मैं तुरंत तैयार हो गया. वैसे मुझे लग'ता है कि वह जिस मूड में था उस'में अगर मैं इनकार भी कर'ता तो वह ज़ोर ज़बरदस्ती से मुझे चप्पल खिला कर ही रहता. मेरे हां कह'ने पर वह बोला.

अब मैं लंड निकाल'ता हूँ पर तू अपनी गान्ड का छल्ला सिकोड लेना. मूत अभी भरा रह'ने दे. चप्पल मुँह में पूरी लेने पर फिर मूत निकाल देना. और एक बात, तू सोच रह होगा कि चप्पल धीरे धीरे टुकडे कर के भी खाई जा सक'ती है, पर उस'में वह मज़ा कहाँ मेरी रानी? पूरी मुँह में ठूंस कर धीरे धीरे चूस चूस कर चबा चबा कर खाएगा तो स्वर्ग में पहुँच जाएगा.

उस'ने लंड मेरे गुदा से बाहर खींचा और मैने झट गान्ड सिकोड ली. जलन भी बहुत हो रही थी पर वह जलन मेरी वासना की अग्नि को और धधका रही थी. मेरे पास प्रीतम बाथ रूम के फर्श पर बैठ गया और रेशम की रस्सी से मेरे हाथ और पैर कस कर बाँध दिए. फिर मेरा सिर उस'ने अपनी गोद में रख लिया और चप्पल का बचा हिस्सा पकड़'कर दबाता हुआ मेरे मुँहे में चप्पल ठूंस'ने लगा.

अब मुँह और खोल यार, नाटक ना कर. ढीला छोड गालों को, दो मिनिट में अंदर डाल'ता हूँ. आधी से ज़्यादा चप्पल मेरे मुँह में थी ही. उस'ने एक हाथ मेरे सिर के पीछे रखा और दूसरे हाथ में चप्पल की हील को लेकर उसे दुहरा फोल्ड कर'के कस कर दबाया. उस'के शक्तिशाली हाथों के दबाव ने जादू किया. कच्छ से पूरी चप्पल मेरे मुँह में समा गयी और मेरे होंठ उनपर बंद हो गये.

चप्पल के मुडे तुडे रब्बर के दबाव से मेरे गाल बुरी तरह से फूल गये थे और बहुत दुख रहे थे. अब मैं डर गया. मज़ा तो आ रहा था पर बहुत तकलीफ़ हो रही थी. चप्पल मेरे मुँह में ऐसी भरी थी कि जैसे गाल फाड़ देगी. मुझसे ना रहा गया और मैं मुँह खोल कर प्रीतम की चप्पल बाहर निकाल'ने की कोशिश कर'ने लगा.

वह मुझे अपनी चप्पल खिला'ने की कितनी तैयारी से आया था यह अब मुझे मालूम हुआ. उस'ने तुरंत वह बड रब्बर का बैंड तान'कर मेरे सिर पर से डाला और बैंड को फैला'कर मेरे मुँह पर सरका दिया. रब्बर का वह चौड़ा बैंड कस कर मेरे मुँह को बंद कर'ता हुआ अपनी जगह फिट बैठ गया. एक तृप्ति की साँस लेकर वह बोला.

अब ठीक है, मुझे मालूम था कि तू पहली बार चप्पल पूरी मुँह में लेने के बाद छूट'ने की कोशिश करेगा इस'लिए मैने झन्झट ही ख़तम कर दी. अब तू कुच्छ नहीं कर सकता. जब पूरी चप्पल खा लेगा तभी च्छुटक़ारा मिलेगा. मैं पूरा असहाय था. हाथ पैर कस कर बँधे हुए थे, मुँह में चप्पल थी और रब्बर के बैंड ने मेरा मुँह ऊपर से जकड रखा था. मैं बिलकुल एक असहाय गुड्डा बन गया था.

मुझे उठा'कर उस'ने टायलेट पर बिठाया जिससे मैं गान्ड में भरा मूत निकाल सकूँ. नल से एक पाइप लगा'कर पाइप को गान्ड के थोड़ा अंदर डाल कर तेज पानी के धार से उस'ने मेरी आंतेन धोई और एक बार मुझे फिर नहलाया. फिर बदन तौलिया से पोंच्छ कर मेरा मुश्कें बँधा शरीर गुड्डे जैसा उठा'कर बाहर ले गया और पलंग पर प्यार से लिटा दिया.

अब खा आराम से राजा, तब तक मैं अप'ने इस गुड्डे से खेल'ता हूँ. मैं चप्पल खा'ने की कोशिश कर'ने लगा. उस'के लिए उसे चबाना ज़रूरी था. पर रब्बर का बैंड इस कदर मेरे मुँह को जकड़ा था कि जबड़े चला'ने में भी मुझे बड़ी मेहनत करना पड़'ती थी. दस मिनिट कोशिश कर'ने पर मैं लस्त हो गया. चप्पल का बस एक छ्होटा टुकड़ा मैं दाँतों से तोड़ पाया था. वह मेरी गान्ड चूस रहा था और उस'में उंगली कर रहा था. मुँह उठ कर बोला.

देखा मैं तुझे कितना प्यार कर'ता हूँ! मुझे पता था कि तू मेरे चप्पल का इतना दीवाना है कि दस बीस मिनिट में चबा चबा कर खा लेगा. मज़े ले लेकर तू धीरे धीरे खाए इस'लिए रब्बर के बैंड से तेरा मुँह कस दिया है मैने. अब दो तीन घंटे मज़ा कर. वे तीन घंटे मुझे हमेशा याद रहेंगे. भयानक असहनीय वासना में डूबा हुआ मैं किसी तरह उस'के पसीने और तलवों की खुशबू में सनी उस'की चप्पल खा'ने में लगा था और वह मुझसे ऐसे खेल रहा था जैसे बच्चे गुड्डे से खेलते हैं. मेरे शरीर को सहला और मसल रहा था, गान्ड पर चूंटी काट रहा था और चूतड भॉम्पू जैसे दबा रहा था.

फिर मेरी गान्ड में मुँह डाल कर चूस'ने में लग गया. बीच बीच में कस के वह काट खाता या गुदा को मुँह में लेकर चबा'ने लगता. काफ़ी देर मेरी गान्ड चूस'ने के बाद उस'ने आख़िर मेरी गान्ड में अपना लंड घुसेड और चोद'ने लगा.

घंटे भर उस'ने बिना झाडे मेरी मारी. तरह तरह के आसन आज़माए. मुझपर चढ'कर मारी, फिर मुझे गोद में बिठा कर मेरे गाल, आँखें और माथा बुरी तरह से चूमते हुए नीचे से उच्छल उच्छल कर मेरी मारी, बीच में मुझे दीवार से आना था और प्रीतम ने उनका भी खूब स्वाद लिया. मेरे पाँव अप'ने मुँह पर लगा'कर वह मेरे पाँव और चप्पलें चाट'ता रहा और आख़िर आख़िर में उन्हें मुँह में लेकर चूस'ने और चबा'ने लगा. बोला.

रानी, अब किसी दिन तेरी चप्पालों का भी स्वाद लेना पड़ेगा. लग'ता है कि मैं भी तेरी चप्पलें खा जाउ. पर किसी ख़ास दिन तक रुकना पड़ेगा! ख़ास दिन क्या था यह कुच्छ नहीं बताया. उसका हर कामकर्म मेरी वासना बढ़ा रहा था. मैं अब रो रहा था पर अति सुख से. मेरे आँसू वह चाट'ता जाता और मेरी आँखों में देख'ता जाता.

मुझे याद नहीं कितना समय बीत गया पर आख़िर मैने कोशिश कर'के उस'की चप्पल के टुकडे तोड़ लिए. टुकडे मैं मिठायी की तरह चबा'ने लगा. उन'में से रब्बर और उस'के पसीने का मिला जुला रस निकल रहा था. बिलकुल लगदा बन कर जब मैने पहला टुकड़ा निगला तब वह ऐसे गरमाया कि हचक हचक कर मेरी मार'ने लगा.

खा ली साले मेरी चप्पल? स्वाद आया भोसड़ी वाले गान्डू? मेरे राजा, अब देख मैं कितनी चप्पलें तुझे खिलाता हूँ. ऐसी मीठी मीठी गालियाँ देता हुआ वह ऐसा झाड़ा की सिसक'ने लगा. दस मिनिट तक उसका लंड अपना वीर्य मेरी आँत में उगल'ता रहा. आख़िर लस्त होकर वह बेहोश सा हो गया.

मैं अब जल्दी जल्दी चप्पल खा रहा था. टुकडे. अब आसानी से टूट रहे थे. जब आखरी टुकडे का लगदा मैने निगला तो कुच्छ देर वैसे ही पड़ा रहा. ज़बडे दुख रहे थे पर एक असीम सन्तोष मेरे अंदर था. अप'ने मुँह से अब मैने गोंगियाँ शुरू कर दिया.

प्रीतम ने रब्बर बैंड मेरे मुँह से निकाला और मेरे हाथ पैर खोल दिए. मैने जबड़े सहलाए और फिर उठ'कर बिना कुच्छ कहे प्रीतम पर टूट पड़ा. उसे वहीं फर्श पर ऑंढा पटक'कर मैं उसपर चढ गया. मंद मंद मुस्कराता हुआ वह आँखें बंद कर'के शांत पड़ा रहा मानो कह रहा हो कि जो करना हो कर ले यार.

मैने उस'की गान्ड में लंड डाला तो उस'के मुँह से एक सुख की सिस'की निकली. मेरा लंड अब इतना सूज गया था की अपनी ढीली गान्ड के बावजूद उसे मज़ा आ गया होगा. उस'के शरीर को बाँहों में भर'कर मैं घचाघाच उस'की गान्ड मार'ने लगा.

मैने आधे घंटे उस'की मारी. अपनी पूरी शक्ति से उस'के चूतडो में लंड अंदर बाहर किया. पहले मुझे लगा था कि दो मिनिट में झड जाऊँगा पर आज मेरे भाग्य में लग'ता है असीमित सुख लिखा था. इतनी देर खड़ा रह'ने की वजह से लंड जैसे झड़ना ही भूल गया था. आख़िर मैने कस कर उस'की छा'ती दबाई और चूचुक मरोड कर ऐसे धक्के लगाए कि वह भी कराह उठा. उस'की पीठ और गर्दन पर दाँत जमा'कर मैं ऐसा झाड़ा की मानो जान ही निकल गयी. बाद में जब हम वापस पलंग पर जा कर आराम कर रहे थे तब प्रीतम ने प्यार से मुझे बाँहों में भर'कर चूमते हुए कहा.

देखा रानी? चप्पल खा'ने से तेरा कैसा खड़ा हो गया? आज मुझे गान्ड मरा'ने में बहुत मज़ा आया. बस, अब देख'ता जा, मैं कैसे कैसे तुझे और चप्पलें खिलाता हूँ! आज के बाद चप्पालों की कमी नहीं होगी तुझे, बस तेरे ऊपर है कि कितनी खा सक'ता है मैने उसका चूचुक मुँह में लेकर चूसते हुए पूचछा कि और क्या है उस'के मन में चप्पालों के बारे में. वह बोला.

टाइम लगेगा तुझे तैयार कर'ने में. पर मैं चाह'ता हूँ कि धीरे धीरे तू पूरी जोड़ी मुँह में लेना सीख ले. और वे भी मोटी मोटी हाई हील वाली. तब आएगा असली मज़ा, तुझे भी और तुझे खिला'ने वालों को भी. आज की तो ज़रा सी पतली वाली थी, बच्चा भी खा ले ऐसी! मैं पड़ा पड़ा यह सोच'ता रहा कि मेरे यार की दोनों चप्पलें मुँह में लेकर कैसा लगेगा! मन में गुदगुदी होने लगी. मैं कहाँ जान'ता था कि मेरे भाग्य में अब क्या क्या लिखा है!

एक महीने में प्रीतम मुझे अपनी दो जोड़ी चप्पलें खिला चुका था. मैं उनका ऐसा भक्त हो गया था कि कभी कभी अकेले में उन्हें खा'ने की कोशिश कर'ता था. एक बार पकड़ा गया तो प्रीतम ने दो करारे तमाचे लगाए. वह सच में बहुत नाराज़ हो गया था, उस'की आँखों में गुस्सा उतर आया था, उसे यह बरदाश्त नहीं हुआ कि मैं इतना कामुक कार्य, वह भी प्रीतम का मनपसंद, उस'की पीठ पीछे करूँ.

मुझे लगा कि अब वह दो चप्पलें एक साथ मुझे खिलाना शुरू कर देगा. इस कल'पना से ही कि मेरे यार की दोनों चप्पलें मेरे मुँह में ठूँसी हैं, मुझे डर और उत्तेजना की अजीब अनुभूति होती थी. पर उस'ने ऐसा नहीं किया. मेरे पूच्छ'ने पर बोला कि मौके पर सब हो जाएगा. हम एक दिन बाजार जा'कर प्रीतम के लिए कुच्छ और चप्पलें खरीद लाए. उस'ने सारी मेरी पसंद से लीं. बोला

तुझे खानी हैं राजा, मज़ा भी तुझे ही लेना है, तू पसंद कर. मैने तीन जोड़ा सादे सपाट सोल वाली और तीन लेडीz स्टाइल हाई हील लिए. कुच्छ पतले पट्टे की थी और कुच्छ मोटे पट्टे की. पर थी सब महँगी वाली, एकदम नरम मुलायम रब्बर की. पैसे भी प्रीतम ने दिए जबकि मैं देना चाह'ता था. आख़िर मैं खा'ने वाला था! पर वह नहीं माना, बोला मेरी रानी को मेरी तरफ से ये तोहफा है.

प्रीतम के पैरों में उन चप्पालों की कल'पना कर'के मेरा लंड ऐसा खड़ा हुआ की दुकान में से निकलना मेरे लिए मुश्किल हो गया. मेरी हालत देख'कर घर वापस आने के बाद प्रीतम ने सारी चप्पलें निकाल'कर बिस्तर पर सिराहा'ने रखीं और मेरा मुँह उन'में दबा'कर मेरी गान्ड मारी. पूरे समय मैं बेतहाशा उन चप्पालों को चाट'ता और चूम'ता रहा जो अब मेरे यार के पैरों में सज'ने वाली थी और फिर मेरे पेट में जा'कर मेरी भूख मिटा'ने वाली थी. चप्पालों से सजी वह सेज मुझे सुहागरात की फूलों से सजी सेज जैसी लग रही थी.

प्रीतम का परिवार और अर्धनारी की चाह

हमारा यह संभोग अब ऐसा निखरा कि ह'में एक दूसरे से अलग रह'ने में तकलीफ़ होने लगी. हमेशा चिपटे रहते. एक माह में मेरी ऐसी हालत हो गयी कि एक दिन गान्ड मराते हुए मैने प्रीतम से कहा.

यार प्रीतम, मेरे राजा, कितना अच्च्छा होता अगर मैं लड़'की होता. तुझसे शादी कर'के जिंदगी भर तेरी सेवा करता. जनम भर तेरा लंड मेरी गान्ड में होता! वह बोला.

तो क्या हुआ, लड़'की तू अभी भी बन सक'ता है. बस छ्होरियों जैसे कपड़े पहन ले. बाल तेरे अब अच्छे बढ गये हैं, थोड़े और बढ़ा ले, एकदम चिकनी छ्हॉकरी लगेगा.

और लंड और मम्मे? मैने पूच्छा.

शुरू में नकली चूचियाँ लगा लेना, पैडेड ब्रेसियार पहन लेना. लंड तो तेरा बहुत प्यारा है मेरी जान. तूने वे शी मेल वाले फोटो देखे हैं ना? क्या चिकनी छ्हॉकरियाँ लग'ती हैं पर सब मस्त लंड वाली होती हैं. उनसे संभोग में एक साथ नर और मादा संभोग का आनंद आता है. तू वैसा बन सक'ता है चाहे तो. मेरी वैसे चूतो में कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं है सिवा एक चूत के. उससे मैं बहुत प्यार कर'ता हूँ. और अगर तू सच में मेरी सेवा करना चाह'ता है तो एक उपाय है. तू चाहे तो जिंदगी भर मेरे साथ चल कर रह सक'ता है, मेरी पत्नी बन'कर ना सही, मेरी भाभी बन'कर. मेरा दिल धडक'ने लगा. वह मज़ाक नहीं कर रहा था.

तेरा बड़ा भाई है क्या? उस'की शादी नहीं हुई अब तक? मैने पूच्छा. वह हंस कर बोला.

कहो तो मेरा भाई है, कहो तो मामा है और कहो तो मेरा डैडी है. और जिस चूत का मैने ज़िक्र किया, वह पता है किस'की चूत है? मेरी मा की चूत! मैं चकरा गया.

ठीक से ब'ता ना यार! मैने उससे आग्रह किया.

चल पूरी कहानी बताता हूँ. टाइम लगेगा, इस'लिए चल, सोफे पर बैठते हैं आराम से. मुझे उठा कर वा वैसे ही सोफे पर ले गया और मुझे गोद में ले कर बैठ गया. मेरे चूतडो के बीच अब भी उसका लॉडा गढ़ा हुआ था. धीरे धीरे अप'ने लंड को मेरी गान्ड में मुठियाते हुए मुझे बार बार प्यार से चूमते हुए उस'ने अपनी कहानी बताई. मस्त परिवार प्यार की कहानी थी.

प्रीतम की मा प्रभा की शादी बस नाम की हुई थी. उसका पति कभी साथ नहीं रहा. प्रभा अक्सर माय'के आ जा'ती. असल में बचपन से उस'के पिता उसे चोदा करते थे. प्रभा को उनसे चुद'ने में इतना मज़ा आता था कि वह अप'ने पति के साथ नहीं रह पा'ती थी. अप'ने बाबूजी से चुदवा वह वह मस्ती में आ जा'ती थी. जब वह सोलह साल की थी तभी अप'ने पिता से उसे बच्चा पैदा हुआ, प्रदीप. सबको उस'ने यही बताया कि उस'के पति की संतान है, असलियत बस कुच्छ ही लोगों को मालूम थी. एक अर्थ से प्रीतम प्रभा का बेटा था और दूसरे अर्थ से छोटा भाई. उस'के बाद प्रभा पति को छोड कर हमेशा को अप'ने बाबूजी के घर आ गयी.
क्रमशः................



YAAR BANA PRITAM - BHAAG (8)

gataank se aage........
Taiyaar ho jaa, jalega thoDa par maja bhee aayegaa Aur achaanak meree aanton men garam paanee bhar'ne lagaa. Wah jal bhee raha thaa. Pahale to main samajha naheen ki kya ho raha hai par fir pata chala ki Pritam meree gaanD men moot raha hai.

Us garam khaare paanee ka jaadoo hee kuchh aur thaa. Lag raha tha ki tap'ta aneema le raha hoon. Khaara hone kee wajah se wah jal bhee raha thaa. GaanD marawa marawa'kar andar se thoDee chhil gayee thee aur iseeliye jal rahee thee. Ap'ne chappal se bhare munh se main thoDa karaaha par mujhe bahut maja aa raha thaa. Mera lunD aur tann gayaa. Poora moot kar hee wah rukaa. Ek liTar moot jaroor meree aanton men bhar diya tha us'ne. Fir mera lunD sahalaata hua Pritam bolaa.

Maja aaya mere yaar? Tera lunD kaisa sir taan kar khaDa hai dekh . Ab meree maarega raajaa? Maine sir hila'kar haan kaha kyonki munh men to chappal thee.

Fir ab pooree chappal munh men deta hoon. Aur fir use kha ja mere yaar. Main jaan'ta hoon ki too kab se ye kar'ne ko mara ja raha hai par saala sharamaata hai. Maine isee liye yah ghisee puraanee patalee chappal mangawaayee thee. Bilakul patalee hai. Tujhe pahalee baar kha'ne ko yahee achchhee hai, takaleef naheen hogee. Main bhee kab se soch raha hoon ki meree raanee meree chappalon par itana mar'tee hai, aur use aaj tak main chappal khila naheen paayaa. Aaj khaale, chappal kha kar fir meree gaanD maar, jaise maaranee ho, main kuchh naheen kahoongaa.

Main sun kar machal gayaa. Dar bhee lagaa. Yah meree kab kee fentasee thee ki mere yaar, mere swaamee Pritam kee chappal kha jaaun. Par rubber kee chappal khaana koee maaoolee baat naheen hai. Main kuchh kahana chaah'ta tha ki yah kaise hoga par munh bhara hone se bol naheen paayaa. Wah fir bolaa.

kee baat bhaamp lee thee. Mera lunD ab aisa khaDa tha ki sooj kar faT jaayegaa. Use halke se daba kar wah bolaa.

Par ek shart hai yaar, chappal nigal'ne tak too lunD aisa hee rakhegaa. Mastee men too man laga'kar khaayega yah main jaan'ta hoon par ek baar agar jhaD gaya to fir naheen kha paayegaa. is'liye teree mushken baandh kar rakhoonga jab tak too chappal chaba chaba kar nigal na le. Bol hai manjoor? Us'kee aankhon men utkaT kaamavaasana dhadhak rahee thee. Jitanee aas mere man men thee utanee hee laalasa use mujhe apanee chappal khila'ne kee thee. Main turant taiyaar ho gayaa. Waise mujhe lag'ta hai ki wah jis mooD men tha us'men agar main inkaar bhee kar'ta to wah jor jabaradastee se mujhe chappal khila kar hee rahataa. Mere haan kah'ne par wah bolaa.

Ab main lunD nikaal'ta hoon par too apanee gaanD ka chhalla sikoD lenaa. Moot abhee bhara rah'ne de. Chappal munh men pooree lene par fir moot nikaal denaa. Aur ek baat, too soch rah hoga ki chappal dheere dheere TukaDe kar ke bhee khaayee ja sak'tee hai, par us'men wah maja kahaan meree raanee? Pooree munh men Thoons kar dheere dheere choos choos kar chaba chaba kar khaayega to swarg men pahunch jaayegaa.

Us'ne lunD mere guda se baahar kheencha aur maine jhaT gaanD sikoD lee. Jalan bhee bahut ho rahee thee par wah jalan meree waasana kee agni ko aur dhadhaka rahee thee. Mere paas Pritam bath room ke farsh par baiTh gaya aur resham kee rassee se mere haath aur pair kas kar baandh diye. Fir mera sir us'ne apanee god men rakh liya aur chappal ka bacha hissa pakaD'kar dabaata hua mere munhe men chappal Thoons'ne lagaa.

Ab munh aur khol yaar, naaTak na kar. Dheela chhoD gaalon ko, do minute men andar Daal'ta hoon. Aadhee se jyaada chappal mere munh men thee hee. Us'ne ek haath mere sir ke peechhe rakha aur doosare haath men chappal kee heel ko lekar use duhara folD kar'ke kas kar dabaayaa. Us'ke shaktishaalee haathon ke dabaav ne jaadoo kiyaa. Kachch se pooree chappal mere munh men sama gayee aur mere honth unapar band ho gaye.

Chappal ke muDe tuDe rubber ke dabaav se mere gaal buree tarah se fool gaye the aur bahut dukh rahe the. Ab main Dar gayaa. Maja to aa raha tha par bahut takaleef ho rahee thee. Chappal mere munh men aisee bharee thee ki jaise gaal faaD degee. Mujhase na raha gaya aur main munh khol kar Pritam kee chappal baahar nikaal'ne kee koshish kar'ne lagaa.

Wah mujhe apanee chappal khila'ne kee kitanee taiyaaree se aaya tha yah ab mujhe maaloom huaa. Us'ne turant wah baDa rubber ka baind taana'kar mere sir par se Daala aur baind ko faila'kar mere munh par saraka diyaa. Rubber ka wah chauDa baind kas kar mere munh ko band kar'ta hua apanee jagah fiT baiTh gayaa. Ek tRupti kee saans lekar wah bolaa.

Ab Theek hai, mujhe maaloom tha ki too pahalee baar chappal pooree munh men lene ke baad chhooT'ne kee koshish karega is'liye maine jhanjhaT hee khatam kar dee. Ab too kuchh naheen kar sakataa. Jab pooree chappal kha lega tabhee chhuTakaara milegaa. Main poora asahaay thaa. Haath pair kas kar bandhe hue the, munh men chappal thee aur rubber ke baind ne mera munh oopar se jakaD rakha thaa. Main bilakul ek asahaay guDDa ban gaya thaa.

Mujhe uTha'kar us'ne tailet par biThaaya jisase main gaanD men bhara moot nikaal sakoom. Nal se ek paaip laga'kar paaip ko gaanD ke thoDa andar Daal kar tej paanee ke dhaar se us'ne meree aanten dhoeen aur ek baar mujhe fir nahalaayaa. Fir badan tauliya se ponchh kar mera mushken bandha shareer guDDe jaisa uTha'kar baahar le gaya aur palang par pyaar se liTa diyaa.

Ab kha aaraam se raajaa, tab tak main ap'ne is guDDe se khel'ta hoon. Main chappal kha'ne kee koshish kar'ne lagaa. Us'ke liye use chabaana jarooree thaa. Par rubber ka baind is kadar mere munh ko jakaDa tha ki jabaDe chala'ne men bhee mujhe baDee mehanat karana paD'tee thee. Das minute koshish kar'ne par main last ho gayaa. Chappal ka bas ek chhoTa TukaDa main daanton se toD paaya thaa. Wah meree gaanD choos raha tha aur us'men ungalee kar raha thaa. Munh uTha kar bolaa.

Dekha main tujhe kitana pyaar kar'ta hoon! Mujhe pata tha ki too mere chappal ka itana deewaana hai ki das bees minute men chaba chaba kar kha legaa. Maje le lekar too dheere dheere khaaye is'liye rubber ke baind se tera munh kas diya hai maine. Ab do teen ghante maja kar. We teen ghante mujhe hamesha yaad rahenge. Bhayaanak asahaneey waasana men Dooba hua main kisee tarah us'ke paseene aur talawon kee khushaboo men sanee us'kee chappal kha'ne men laga tha aur wah mujhase aise khel raha tha jaise bachche guDDe se khelate hain. Mere shareer ko sahala aur masal raha thaa, gaanD par choontee kaaT raha tha aur chootaD bhompoo jaise daba raha thaa.

Fir meree gaanD men munh Daal kar choos'ne men lag gayaa. Beech beech men kas ke wah kaaT khaata ya guda ko munh men lekar chaba'ne lagataa. Kaafee der meree gaanD choos'ne ke baad us'ne aakhir meree gaanD men apana lunD ghuseDa aur chod'ne lagaa.

Ghante bhar us'ne bina jhaDe meree maaree. Tarah tarah ke aasan aajamaaye. Mujhapar chaDha'kar maaree, fir mujhe god men biTha kar mere gaal, aankhen aur maatha buree tarah se choonate hue neeche se uchhal uchhal kar meree maaree, beech men mujhe deewaar se ana tha aur Pritam ne unaka bhee khoob swaad liyaa. Mere paanv ap'ne munh par laga'kar wah mere paanv aur chappalen chaaT'ta raha aur aakhir aakhir men unhen munh men lekar choos'ne aur chaba'ne lagaa. Bolaa.

Raanee, ab kisee din teree chappalon ka bhee swaad lena paDegaa. Lag'ta hai ki main bhee teree chappalen kha jaaun. Par kisee khaas din tak rukana paDegaa! Khaas din kya tha yah kuchh naheen bataayaa. Usaka har kaamakarm meree waasana baDhaa raha thaa. Main ab ro raha tha par ati sukh se. Mere aansoo wah chaaT'ta jaata aur meree aankhon men dekh'ta jaataa.

Mujhe yaad naheen kitana samay beet gaya par aakhir maine koshish kar'ke us'kee chappal ke TukaDe toD liye. TukaDe main miThaayee kee tarah chaba'ne lagaa. Un'men se rubber aur us'ke paseene ka mila jula ras nikal raha thaa. Bilakul lagada ban kar jab maine pahala TukaDa nigala tab wah aise garamaaya ki hachak hachak kar meree maar'ne lagaa.

Kha lee saale meree chappal? Swaad aaya bhosaDee waale gaanDoo? mere raajaa, ab dekh main kitanee chappalen tujhe khilaata hoon. Aisee meeThee meeThee gaaliyaan deta hua wah aisa jhaDa ki sisak'ne lagaa. Das minute tak usaka lunD apana weery meree aant men ugal'ta rahaa. Aakhir last hokar wah behosh sa ho gayaa.

Main ab jaldee jaldee chappal kha raha thaa. TukaDe. Ab aasaanee se TooT rahe the. Jab aakharee TukaDe ka lagada maine nigala to kuchh der waise hee paDa rahaa. JabaDe dukh rahe the par ek aseen santoSh mere andar thaa. Ap'ne munh se ab maine gongiyaan shuroo kar diyaa.

Pritam ne rubber baind mere munh se nikaala aur mere haath pair khol diye. Maine jabaDe sahalaaye aur fir uTh'kar bina kuchh kahe Pritam par TooT paDaa. Use waheen farsh par ondha paTak'kar main usapar chaDha gayaa. Mand mand muskaraata hua wah aankhen band kar'ke shaamt paDa raha maano kah raha ho ki jo karana ho kar le yaar.

Maine us'kee gaanD men lunD Daala to us'ke munh se ek sukh kee sis'kee nikalee. Mera lunD ab itana sooj gaya tha ki apanee Dheelee gaanD ke baawajood use maja aa gaya hogaa. Us'ke shareer ko baanhon men bhar'kar main ghachaaghach us'kee gaanD maar'ne lagaa.

Maine aadhe ghante us'kee maaree. Apanee pooree shakti se us'ke chootaDon men lunD andar baahar kiyaa. Pahale mujhe laga tha ki do minute men jhaD jaaoonga par aaj mere bhaagy men lag'ta hai aseemit sukh likha thaa. itanee der khaDa rah'ne kee wajah se lunD jaise jhaDana hee bhool gaya thaa. Aakhir maine kas kar us'kee chha'tee dabaayee aur chuchuk maroD kar aise dhakke lagaaye ki wah bhee karaah uThaa. Us'kee peeTh aur gardan par daant jama'kar main aisa jhaDa ki maano jaan hee nikal gayee. Baad men jab ham waapas palang par ja kar aaraam kar rahe the tab Pritam ne pyaar se mujhe baanhon men bhar'kar choonate hue kahaa.

Dekha raanee? Chappal kha'ne se tera kaisa khaDa ho gayaa? aaj mujhe gaanD mara'ne men bahut maja aayaa. Bas, ab dekh'ta jaa, main kaise kaise tujhe aur chappalen khilaata hoon! Aaj ke baad chappalon kee kamee naheen hogee tujhe, bas tere oopar hai ki kitanee kha sak'ta hai Maine usaka chuchuk munh men lekar choosate hue poochha ki aur kya hai us'ke man men chappalon ke baare men. Wah bolaa.

Taaim lagega tujhe taiyaar kar'ne men. Par main chaah'ta hoon ki dheere dheere too pooree joDee munh men lena seekh le. Aur we bhee moTee moTee haai heel waalee. Tab aayega asalee majaa, tujhe bhee aur tujhe khila'ne waalon ko bhee. Aaj kee to jara see patalee waalee thee, bachcha bhee kha le aisee! Main paDa paDa yah soch'ta raha ki mere yaar kee donon chappalen munh men lekar kaisa lagegaa! Man men gudagudee hone lagee. Main kahaan jaan'ta tha ki mere bhaagy men ab kya kya likha hai!

Ek mahine men Pritam mujhe apanee do joDee chappalen khila chuka thaa. Main unaka aisa bhakt ho gaya tha ki kabhee kabhee akele men unhen kha'ne kee koshish kar'ta thaa. Ek baar pakaDa gaya to Pritam ne do karaare tamaache lagaaye. Wah sach men bahut naaraaj ho gaya thaa, us'kee aankhon men gussa utar aaya thaa, use yah baradaasht naheen hua ki main itana kaamuk kaarya, wah bhee Pritam ka manapasand, us'kee peeTh peechhe karoom.

Mujhe laga ki ab wah do chappalen ek saath mujhe khilaana shuroo kar degaa. is kal'pana se hee ki mere yaar kee donon chappalen mere munh men Thunsee hain, mujhe Dar aur uttejana kee ajeeb anubhooti hotee thee. Par us'ne aisa naheen kiyaa. Mere poochh'ne par bola ki mauke par sab ho jaayegaa. Ham ek din baajaar ja'kar Pritam ke liye kuchh aur chappalen khareed laaye. Us'ne saaree meree pasand se leen. Bola

Tujhe khaanayee hain raajaa, maja bhee tujhe hee lena hai, too pasand kar. Maine teen joD saade sapaaT sol waale aur teen leDeez sTaail haai heel liye. Kuchh patale paTTe kee thee aur kuchh moTe paTTe kee. Par thee sab mahangee waalee, ekadam naram mulaayam rubber kee. Paise bhee Pritam ne diye jabaki main dena chaah'ta thaa. Aakhir main kha'ne waala thaa! Par wah naheen maanaa, bola meree raanee ko meree taraf se ye tohafa hai.

Pritam ke pairon men un chappalon kee kal'pana kar'ke mera lunD aisa khaDa hua ki dukaan men se nikalana mere liye mushkil ho gayaa. Meree haalat dekh'kar ghar waapas aane ke baad Pritam ne saaree chappalen nikaal'kar bistar par siraha'ne rakheen aur mera munh un'men daba'kar meree gaanD maaree. Poore samay main betahaasha un chappalon ko chaaT'ta aur choom'ta raha jo ab mere yaar ke pairon men saj'ne waalee thee aur fir mere peT men ja'kar meree bhookh miTa'ne waalee thee. Chappalon se sajee wah sej mujhe suhaagaraat kee foolon se sajee sej jaisee lag rahee thee.

Pritam ka pariwaar aur ardhanaaree kee chaah

Hamaara yah sambhog ab aisa nikhara ki h'men ek doosare se alag rah'ne men takaleef hone lagee. Hamesha chipaTe rahate. Ek maah men meree aisee haalat ho gayee ki ek din gaanD maraate hue maine Pritam se kahaa.

Yaar Pritam, mere raajaa, kitana achchha hota agar main laD'kee hotaa. Tujhase shaadee kar'ke jindagee bhar teree sewa karataa. Janam bhar tera lunD meree gaanD men hotaa! Wah bolaa.

To kya huaa, laD'kee too abhee bhee ban sak'ta hai. Bas chhoriyon jaise kapaDe pahan le. Baal tere ab achchhe baDha gaye hain, thoDe aur baDhaa le, ekadam chikanee chhokaree lagegaa.

Aur lunD aur mamme? Maine poochhaa.

Shuroo men nakalee choochiyaan laga lenaa, paiDeD bresiyar pahan lenaa. LunD to tera bahut pyaara hai meree jaan. Toone we shee mel waale foTo dekhe hain naa? Kya chikanee chhokariyaan lag'tee hain par sab mast lunD waalee hotee hain. Unase sambhog men ek saath nar aur maada sambhog ka aanand aata hai. Too waisa ban sak'ta hai chaahe to. Meree waise chooton men koee khaas dilachaspee naheen hai siwa ek choot ke. Usase main bahut pyaar kar'ta hoon. Aur agar too sach men meree sewa karana chaah'ta hai to ek upaay hai. Too chaahe to jindagee bhar mere saath chal kar rah sak'ta hai, meree patnee ban'kar na sahee, meree bhaabhee ban'kar. Mera dil dhaDak'ne lagaa. Wah majaak naheen kar raha thaa.

Tera baDa bhaayee hai kyaa? Us'kee shaadee naheen huee ab tak? Maine poochhaa. Wah hans kar bolaa.

Kaho to mera bhaayee hai, kaho to maama hai aur kaho to mera DaiDee hai. Aur jis choot ka maine jikr kiyaa, wah pata hai kis'kee choot hai? Meree maa kee choot! Main chakara gayaa.

Theek se b'ta na yaar! Maine usase aagrah kiyaa.

Chal pooree kahaanee bataata hoon. Taaim lagegaa, is'liye chal, sofe par baiThate hain aaraam se. Mujhe uTha kar wah waise hee sofe par le gaya aur mujhe god men le kar baiTh gayaa. Mere chootaDon ke beech ab bhee usaka lauDa gaDa hua thaa. Dheere dheere ap'ne lunD ko meree gaanD men muThiyaate hue mujhe baar baar pyaar se choonate hue us'ne apanee kahaanee bataayee. Mast pariwaar pyaar kee kahaanee thee.

Pritam kee maa Prabha kee shaadee bas naam kee huee thee. Usaka pati kabhee saath naheen rahaa. Prabha aksar maay'ke aa ja'tee. Asal men bachapan se us'ke pita use choda karate the. Prabha ko unase chuda'ne men itana maja aata tha ki wah ap'ne pati ke saath naheen rah pa'tee thee. Ap'ne baaboojee se chuda wah mastee men aa ja'tee thee. Jab wah solah saal kee thee tabhee ap'ne pita se use bachcha paida huaa, Pradeep. Sabako us'ne yahee bataaya ki us'ke pati kee santaana hai, asaliyat bas kuchh hee logon ko maaloom thee. Ek arth se Pradeep Prabha ka beTa tha aur doosare arth se chhoTa bhaayee. Us'ke baad Prabha pati ko chhoD kar hamesha ko ap'ne baaboojee ke ghar aa gayee.
kramashah................








आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) Always `·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving & (¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling ! `·.¸.·´ -- raj


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