Friday, January 21, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ मेरी नादान मोहब्बत


हिंदी सेक्सी कहानियाँ
मेरी नादान मोहब्बत

हेलो दोस्तो मैं आपका दोस्त राज शर्मा एक और नयी कमसिन कली की चुदाई की कहानी लेकर हाजिर हूँ अब ये फ़ैसला तो आप ही करेंगे कहानी आप सब को कैसी लगी दोस्तो कोमेंट देना मत भूलना
मेरी उम्र करीब 32 साल है मैं एक प्राइवेट कोम्पनी मैं मेनेज़र हूँ एक दिन शाम को ऑफीस से जल्दी घर जा रहा था.रास्ते मे अचानक एक बोल्ल मेरे सिने पर लगी.मेने नजर उठा कर देखा तो एक घर की छत पर एक 15 साल की लड़की ओर एक 10 साल का लड़का खड़े थे,जो की शायद खेल रहे होगे ओर उनकी बोल्ल मुझे आकर लगी.मेने वो बोल उठाई ओर उनकी तरफ फैंकते हुए कहा की ध्यान रखकर खेलो, किसी को लग जाएगी.वो कुछ भी नही बोले.ओर मेरी तरफ देखते रहे.फिर मे जाने लगा.काफ़ी दूर जाकर मेने सोचा की क्या बात हो सकती हे ये बच्चे मुझे बड़े गोर से देख रहे थे.इसी कशमकश मे मेने पलट कर देखा,तो मेने पाया की वो दूर से अभी तक भी मुझे देख रहे थे.फिर मे चला गया.ओर अपने घर आकर अपने कामो मे मशरूफ हो गया.दूसरे दिन मे रात को 9 ब्जे वही से निकला , तो मेने देखा की वो 15 साला लड़की छत पर खड़ी किसी का इन्तिजार कर रही थी.मेने गुज़रते हुए एक बार उसकी तरफ देखा, तो पाया की वो बड़े ही गोर से मेरी तरफ देख रही हे.मुझे एसा महसूस हुआ की शायद वो मेरा ही इन्तिजार कर रही थी.खैर मे चुप चाप वाहा से चला गया.मेने इस बात को नॉर्मल ही लिया.तीसरे दिन ऑफीस मे ज़्यादा काम होने की वजह से मे रात 11 बजे फारिग हुआ.ओर घर की तरफ जाने लगा.तो मेने देखा की वही लड़की छत पर बैठी मेरा इन्तिजार कर रही है.मैं हेरत भरी निगाहो से उसे देखता हुआ चला गया.अब रात को मेरा सोना भी दुश्वार हो गया.सोचता रहा की ये लड़की जिसकी उम्र मुझसे आधी भी नही हे,ये क्यू मेरा इन्तिजार करती है ? आख़िर क्या बात है,ये रोजाना मुझे मोहब्बत भरी निगाहो से क्यू देखती है.ओर ये क्या चाहती हे.इन्ही ख़यालो मे मैं कब नींद की आगोश मे चला गया मुझे पता भी नही चला.इस तरह ये सिलसिला कई माह तक चला मे रोजाना ऑफीस से घर को जाता ओर देखता रास्ते मे वही लड़की अपने घर की छत पर मेरा इन्तिजार कर रही होती.उसे ये भी मालूम था की शुक्रवार को मेरी छुट्टी रहती है इसलिए वो शुक्रवार को इन्तिजार नही करती.मुझे भी पता नहीं क्या हो गया की गुज़रते हुए मे उसकी छत पर ना चाहते हुए भी ज़रूर देखता. एक बार रात को मे ऑफीस से लॉट रहा था तो मेने उस लड़की की छत पर देखा मुझे वो नजर नहीं आई.फिर मेरी नज़र उसके घर के दरवाजे पर पड़ि , मेने देखा की वो दरवाजे पर खड़ी शायद मेरा ही इन्तिजार कर रही थी.मुझे आता देख कर वो मेरी तरफ आने लगी.ओर मेरे पास आकर एक लेटर मेरी तरफ बढ़ाते हुए बोली की ये लो, ये आपके लिए है.मेने पूछा की ये क्या हे ? तो वो बोली की इसे घर जाकर पढ़ना सब समझ मे आ जाएगा.मेने कुछ सोच कर वो लेटर लेलिया.ओर चलने लगा.घर पहुचते ही मेने जल्दी से उस लेटर को खोला ओर देखा , तो मेरी आँखे फटी की फटी रह गई , उसमे लिखा था '' ए अजनबी इंसान, जब से आपको देखा है आप ही के ख़यालो मे गुम हू.जिस दिन आपका दीदार न्ही होता वो दिन मेरी जिंदगी का सब्से बेकार दिन होता है.रोजाना आपके दीदार से अपनी आँखो की प्यास बुझाती हू.ओर आपके दीदार के लिए दिन भर रात के आने का इन्तिजार करती हू.हर वक्त आपके ख़यालो मे गुम रहती हू, खाना पीना खेलना कुछ भी अछा न्ही लगता.इसे मे क्या कहूँ , मोहब्बत का नाम दुगी तो शायद आपको बुरा लग जाए.की आपकी ओर मेरी उम्र मे बहुत ज़्यादा फरक है.मगर प्यार उम्र को न्ही देखता , दिल को ओर उसके ज़ज्बात को देखता है.मे न्ही जानती की आप मुजसे मोहब्बत करेगे या न्ही मगर मे आपसे बेहद मोहब्बत करने लगी हू.अगर मुझे अपनी मोहब्बत के काबिल समझो तो मेरे लेटर का जवाब ज़रूर देना.ये लेटर पढ़कर मे सोचता ही रह गया , ये नादानी है या प्यार ? वो लड़की अभी तक बच्ची है,फिर उसने ये सब केसे किया क्यू किया.इसी तरह सोचते सोचते मुझे नींद आगाई.ये प्यार न्ही बलकी ये तो बचपना है,नादानी है.मेने सोचा की करू भी तो क्या करूँ.फिर इसमे मुझे अपनी भी कुछ ग़लतिया नजर आई,वो ये की क्यू मे रोजाना वाहा से गुज़रता हू.ओर क्यू मेरी नज़र उसे देखती है.मुझे अपने उपर सरमींदगी महसूस हुई.फिर मेने सोचा की इसको समझना चाहिए.मेने एक जवाबी लेटर लिखा जिसमे मेने उससे अकेले मे मिलने की ख्वाहिश का इज़हार किया.वो पढ़कर बहुत खुश हुई.ओर मिलने को राज़ी हो गई.एक पार्क मे हम दोपहर के वक्त मिले.मेने उसे कहा की देखो अभी तुम बहुत छोटी हो, तुम्हारी इन सब चीज़ो की उम्र न्ही है.तो वो बोली की प्यार उम्र न्ही देखता.मेने कहा की जिसे तुम प्यार का नाम देती हो वो प्यार न्ही , बलकी नादानी हे, बचपना है.वो बोली की आप मुजसे प्यार करते है या न्ही मे न्ही जानती , मगर मे आपसे अपनी जान से ज़्यादा मोहब्बत करती हू.मेने उसे हर तरीक़े से समझने की कोशिशे की मगर वो कम उम्र लड़की मेरी हर बात का जवाब देकर मुझे खामोश कर देती.आख़िर मे मेने कहा की आज के बाद मे उस रास्ते से न्ही गुजरगा, जहा तुम रहती हो.वो बोली की मे फिर भी इन्तिजार करूगी.फिर वो चली गई.ओर मे भी घर आ गया.मे हर वक्त यही सोचता रहता की इसकी नादानी इसकी जिंदगी बर्बाद कर देगी, ये बच्ची समझने के लिए बिल्कुल तय्यार न्ही.मे कई दिन तक उस रास्ते से न्ही जाता जहा पर उसका घर आता था.फिर मेरे एक दोस्त ने एक दिन मुजसे कहा की यार घर जाते हुए मे रास्ते मे एक लड़की को छत पर उदास उदास बैठा देखता हू,वो रोजाना जेसे किसी के इन्तिजार मे आँखे बिछाए बैठी रहती है.रात को 12 ब्जे तक वो एसे ही अपने घर की छत पर बैठी नीचे देखती रहती है.ये सुनकर मेरा दिल पासिज़ गया , ओर आँखो से आँसू बहने लगे.मे समझ गया की ये वो ही नादान लड़की हे , ओर वो मेरा इन्तिजार करती रहती है.उस दिन मे भी उसी रास्ते से निकला , मुझे आता देख कर वो खुशी से झूमने लगी.मेने उसकी उदास आँखो मे एक नई चमक देखी.उस मंज़र को मे बयान न्ही कर सकता की उसकी खुशी का आलम क्या था.मेने एक नजर देखा फिर नज़रे नीची करके चला गया.मगर ये सारा मामला मेरा पीछा न्ही छोड़ रहा था.बार बार ना चाहते हुए भी ख़याल उसकी तरफ चले जाते.दूसरे दिन मे स्कूटेर प्र कही जा रहा था , ओर इन्ही ख़यालो मे गुम सोचता हुआ जा रहा था , की अचानक एक टॅक्सी से टकरा गया.ओर मेरा एक हाथ ज़ख्मी हो गया.दर्द ज़्यादा होने की व्जाह से डॉक्टर ने हाथ पर पट्टी बाँध दी थी.दूसरे दिन मे रात ऑफीस से उसी रास्ते से गुजरा , तो देखा की वो लड़की छत पर उसी तरह


बैठी है.उसकी नज़र मेरे हाथ पर पड़ी , जिसपर पट्टी बँधी हुई थी.वो दौड़कर नीचे आई.ओर चुप चाप मेरे पीछे पीछे चलने ल्गी.फिर एक सुनसान जगह देखकर उसने कहा की रुकिये तो………… मे रुका.उसने पूछा की ये चोट केसे आई.मेने कहा की कल आक्सिडेंट हो गया था.ये सुनकर उसके चहरे का रंग उड़ गया.ओर बोली की ज़्यादा चोट तो न्ही आई ? तो मेने गुस्से मे कहा की ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है.ओर मे गुस्से मे जल्दी जल्दी कदम बढ़ाता हुआ चला गया.मेने महसूस किया की वो रोटी हुई वापस चली गई.मुझे घर जाकर अपनी बात का बेहद दुख हुआ.मेने सोचा की यार मेने क्यू उस मासूम लड़की का दिल दुखा दिया , मुझे एसा न्ही करना चाहिए था.फिर मेने एक लेटर उसके नाम लिखा जिसमे मेने उससे कल वाली बात की माफी माँगी,ओर सोचा की कल ऑफीस से वापस आते वक्त उसे देदुगा.दूसरे दिन जब मे ऑफीस से उस रास्ते से गुजरा , तो ये देख कर मेरे होश उड़ गये की उस लड़की के हाथ पर भी पट्टी बँधी हुई थी.मे कुछ सोचता हुआ कुछ दूर गया , मेने पीछे किसी के कदमो की आहट सुनी.पलट कर देखा तो वो लड़की खड़ी थी.मेने उससे पूछा की ये तुम्हारे हाथ को क्या हो गया ? तो वो बदी मासूमियत से बोली की मेरी वजाह से आपका आक्सिडेंट हुआ , इसी लिए आज मेने अपने हाथ को भी ज़ख्मी कर लिया.ये सुनकर मेरे तो हवाश ही जाते रहे.फिर वो बोली की इन हाथो को मेने इसलिए भी ज़ख्मी किया हे ताकि मुझे अपने महबूब की तकलीफ़ का अहसास हो सके.मेने उससे कहा की ये पागलपन हे , वो बोली की न्ही ये सच्चा प्यार हे.फिर मे चला गया.पर रात भर उसकी दीवानगी मेरी आँखो के सामने घूमती रही.मे क्या करू इस नादान लड़की का ? इसको हर तरीक़े से समझा कर देख लिया मगर इसके दिमाग़ मे कुछ आता ही न्ही.अगर ये इसी तरह करती रही तो , मे भी बदनाम हो जाउन्गा ओर इसका तो पता न्ही क्या होगा.मेने ये फेसला किया की इसके मा बाप से बात करनी चाहिए शायद वो इसकी बीमारी का इलाज़ कर सकें.मे हिम्मत करके दिन मे उसके घर गया ओर उसके अम्मी पापा से हाथ जोड़कर कहने लगा की आप मुझे ग़लत मत समझना , ओर मेरी बातो का बुरा मानने के बजाय उस पर गोर करना.फिर मेने उनको सारी कहानी बता दी.मेरी बाते सुनने के बाद उसके पापा बोले की शुक्रिया जनाब , की आपने हमें वक्त पर सब कुछ बता दिया ,वरना हम तो बदनाम हो जाते.वो मेरी बतो का बिल्कुल बुरा न्ही माने.ओर मुझे बा इज़्ज़त विदा किया.मुझे दरवाजे तक पहुचा कर वो अंदर गये ओर जाते ही उन्होने उस लड़की को बुरी तरह से मारना सुरू किया.वो लड़की बे तहाशा रो रही थी, ओर कह रही थी की पापा आप मुझे जान से मार दे मगर मे उस शख्स से मोहब्बत करती रहूगी.ओर उसके मा बाप उसे मारते रहे.मे अपने घर चला गया.मगर मुझे बहुत ज़्यादा दुख हो रहा था , की मे कैसा जालिम हू की जो मेरे लिए अपनी जान की भी फ़िक़र न्ही कर रही मे उसे उसके मा बाप से पिटवा रहा हू , जेसे की मे ही उसे अपने से मोहब्बत करने की सज़ा दिला रहा था.मेरा दिल बहुत दुखी हुआ.लेकिन मे भी तो क्या करता , वो लड़की जिसकी उम्र मुजसे आधी है जो मेरी मोहब्बत मे पागल हुए जा रही थी.उसे रास्ता दिखाने के लिए , ओर उसे इस बीमारी ओर नादानी से बचाने के लिए मजबूर होकर मुझे ये कदम उठाना पड़ा.खैर फिर मेने उस रास्ते से गुज़रना ही छोड़ दिया.काफ़ी दिन गुजर गये.मेरे घर वालो ने मेरी मँगनी भी कर दी , मगर ना जाने क्यू वो नादान लड़की का मासूम चेहरा हर वक्त मेरी नज़रो के सामने घूमता रहता.रात को सोता तो उसका मेरी खातिर अपने हाथ को ज़ख्मी करना , मेरी खातिर अपने घर वालो से मार खाना ये सब मुझे याद आता , ओर मेरी आँखो से आँसू बहने लगते.क्या कोई किसी से इतनी मोहब्बत कर सकती हे जितनी उस नादान ने मुजसे की.ना जाने क्यू मेरा दिल उसकी तरफ खिचने लगा.उसके लिए मेरे दिल मे भी इतना सारा प्यार उमड़ आया.कुछ भी हो उस लड़की ने मुजसे सच्चा प्यार किया है.इसी तरह सोचते हुए दिन गुजरने लगा.ओर मे ना चाहते हुए भी उस नादान की तरफ खिचता चला गया..ओर मे भी उससे मोहब्बत करने लगा.एक दिन मे ऑफीस मे काम कर रहा था , इतने मे उसी लड़की का बाप मुझे तलाश करता हुआ आया , ओर बोला की बाबूजी जरा बाहर आना.मे डर गया की क्या हो गया , ओर मे उसके साथ बाहर गया.बाहर आकर उसने बताया की मेरी बेटी को ना जाने केसे पता चल गया की आपकी माँगनी हो गई हे , उसे इस बात का बहुत ही ज़्यादा सदमा पहुचा.ओर उसने खाना पीना सब छोड़ दिया , इस वजाह से उसकी हालत बहुत ज़्यादा खराब हो गई.हमने उसे हॉस्पिटल मे अड्मिट करवाया है.बेहोशी मे आपको ही याद कर रही हे , डॉक्टर्स ने कहा की इस शख्स का यहा होना बेहद ज़रूरी है , वारना इसकी हालत ठीक न्ही हो सकेगी.ये बाते सुनकर मे फॉरन उनके साथ हॉस्पिटल गया.ओर अपनी उस नादान आशिक़ा को देखा.वो बेहोश थी.उसकी हालत देख कर मेरी आँखो मे आँसू आ गये , ओर मेने सोचा की अगर मेने इतना ज़्यादा चाहने वाली इस नादान महबूबा का दिल तोड़कर किसी ओर से शादी की , तो मे खुद कभी भी अपने आपको माफ़ न्ही कर पाऔगा.ओर मे बेतहाशा रोने लगा.उस लड़की के मा बाप मुझे तसल्ली देने लगे.फिर मे चला गया.ओर मेने अपनी मंगेतर को फ़ोन किया ओर उसे बुलाया.वो फॉरन चली आई.हमने काफ़ी देर तक बाते की , ओर मेने उसे सारी कहानी बताई ओर पूछा की अब तुम ही बताओ मे क्या करू ? इस नादान की मोहब्बत मुझे अपनी करीब खींचती है.इसका ये हाल मुजसे देखा न्ही जाता.अगर मेने इससे मूह मोड़ा तो शायद ये मर जाएगी.ओर अगर मेने मँगनी तोड़ी तो घर वाले न्ही मानेगे.मे क्या करूँ ? तो मेरी मंगेतर बोली की आप फ़िक़र ना करें सब ठीक हो जाएगा.इस लड़की से ज़्यादा मोहब्बत करने वाली आपको पूरी दुनिया मे न्ही मिलेगी.शायद यही आपके लिए बनी है ,ओर इसे इस बात का अहसास भी हो चुक्का हे.ये लड़की नादान न्ही हे बलकी ये तो बहुत बड़ी आशिक़ा है.ओर इस तरह के आशिक़ बहुत ही क्म पेदा होते है.आप मँगनी की फ़िक़र ना करें , कोई बहाना करके मे खुद मँगनी तोड़ दुगी.मे उसकी बाते सुनकर कुछ संभला.ओर उसका बहुत शुक्रिया अदा किया.फिर मे उसे लेकर हॉस्पिटल गया.वहाँ उसने उस नादान आशिक़ा को देखा , ओर उसके पास जाकर उसके कदम चूमे,ओर रोने लगी.मेने कहा की क्यू रो रही हो ? तो मंगेतर बोली की मेने इसकी आँखो मे प्यार का वो समंदर देखा हे , जो लैला की आँखो मे मजनू के लिए था ,ये बात मेने किताब मे पढ़ी थी.फिर मेने अपनी मंगेतर को रुखसत किया.ओर उस लड़की के मा बाप से बात की.'' अगर आपको कोई एतराज़ न्ही हो तो मे आपकी इस लड़की से शादी करना चाहता हू.ये सुनकर लड़की का बाप बोला की साहब हमें अपनी बेटी की खुशी चाहिए ओर ये दुनिया मे सिर्फ़ आपके साथ रहकर ही खुश रह सकती है.मेने उनसे अपने लिए उस लड़की का हाथ माँग कर रिश्ता पक्का कर दिया.अब मूज़े सिर्फ़ इस बात की फ़िक़र थी की मे अपने घर वालो को केसे मनाउन्गा .2 दिन बाद मेरी मा का फ़ोन आया वो बोली की तेरी मँगनी तेरी मंगेतर ने तोड़ दी हे , वो कहती हे की वो किसी ओर लड़के से प्यार करती हे.ये सुनकर मेरी आँखो से खुशी के आँसू छलक उठे.फिर मे अपने मा बाप के पास गया ओर उनको मेने पूरी बात बताई.पहले तो वो तेयार न्ही हुए की लड़की की उम्र ज़्यादा क्म है.ओर मेरी उम्र उससे कई ज़्यादा.पर मेने उनको उसकी चाहत के बारे मे बताया , तो वो आख़िर मान गये.आख़िर मेरी शादी उस नादान लड़की से तय हो गई.अभी उसकी उम्र इस वक्त 17 साल की थी ओर मेरी 30 साल.धूम धाम से हमरी शादी भी हुई. वो इतनी खुश थी की जेसे उसे दुनिया की सब्से बड़ी दोलत मिल गई है.लोग हमारे जोड़े को देख कर बड़े हैरत जदा थे.मेने ये फेसला किया की मे एक साल तक सुहाग रात न्ही मनाउन्गा , क्यू की वो अभी क्म उम्र है.इस एक साल मे उसने मेरी जो खिदमत की मे ब्यान न्ही कर सकता.जिस तरह की बीवी के बारे मे मे सोचता था , उससे कई गुना ज़्यादा बेहतर मेने उसे पाया.आज मे अपने आपको बेहद खुश नसीब समझता हू , कि मुझे ऐसी बीवी मिली.मेरी ओर उसकी पसंद बिल्कुल एक है.हर चीज़ मे हमरी पसंद मिलती हे.चाहे खाना पीना हो , कपड़े खरीदना हो या घूमना फिरना हो , हर जगह हमरी पसंद मिलती है.आज मुझे इस बात का पूरा पक्का य्कीन हो गया है कि यही वो लड़की हे जिसे मेरे लिए बनाया गया है.उसने मुजसे इतनी मोहब्बत की है जितनी किसी ने किसी से ना की हो.हम एक पल की जुदाई भी बर्दाश्त न्ही कर सकते.एक दिन मेने उससे पूछा की तुमने अपने हम उम्र लड़को के बजाय मुझे क्यू पसंद किया ? तो उसने बड़ी मासूमियत से ये जवाब दिया की मे जब भी आपको देखती थी , मुझे दिल मे ये अहसास होता था की यही वो इंसान हे जिनको मेरे लिए बनाया गया हे.इतना कहकर वो चुप हो गई.ओर मे उसकी तेज़ नज़र ओर रूहानी मोहब्बत पर हैरत जदा होने लगा.दोस्तो , मेने अपनी शादी के बाद 1 साल तक बीवी के होते हुए भी सब्र किया , ओर उसके साथ सुहाग रात न्ही मनाई.उस 1 साल मे हम दोनो एक दूसरे के दिल के इतने करीब आ गये की एक दूसरे की चाहत मे डूब गये.एक दूसरे को अछी तरह समझने मे कमियाब रहे, फिर जाकर हमने अपनी सुहाग रात मनाई.क्यू की मे न्ही चाहता था की मे अपने मज़े के लिए अपनी जान से ज़्यादा चाहने वाली बीवी को इस कम उम्र मे तकलीफ़ दू.इसी व्जाह से हमने 1 साल सब्र किया.ओर 1 साल के बाद ज्ब हम करीब से मिले , उस वक्त दिलो मे जो अहसास ओर जो मज़ा पाया , वो मज़ा जल्द बाजी करके न्ही पा सकते थे
मुझे आज भी याद है हमारी सुहाग रात के दिन जब वो रात को मेरे पास आई तो मैं उसके मासूम चेहरे को देखता ही रह गया उसने घूँघट डाल रखा था और उसके हाथ मैं दूध का एक गिलास था उसने दूध का गिलास मेज पर रख दिया और मेरे पैर पूजने के लिए जैसे ही झुकी मैने उसे अपने सीने से लगा लिया आज एक साल की प्यास मैं अपने प्यासे सिने से लगाकर बुझा लेना चाहता था मैं बेतहासा उसके चेहरे को चूमने लगा मेरे होंठ उसके होंठो से चिपक गये ओर मेरी जीभ उसके मुँह मैं किलोल करने लगी उसने भी मुझे अपनी छाती से चिपका लिया ओर उसके हाथ मेरी पीठ पर कसते चले गये अब उसने मेरे चुम्बनो का जवाब देना शुरू कर दिया था..मै अपनी जीभ उसके मुह के अन्दर घुमाया ..तो उसने भी अपनी जीभ मेरे मुह मे डाल दी उसकी गरम जीभ..अआह्ह..मै चूसने लगा.. . तेज़ सांसे लेने से उनकी भापूर गुदाज़ और उन्नत छाती ऊपर नीचे हो कर मेरे अन्दर के उबलते लावे मे और उबाल पैदा कर रही थी . मैंने अपनी पैंट , कमीज़ और बनियान उतर दी . उसने आँख खोलकर मेरी बालों से भरी छाती को देखा..फ़िर मैंने उसके सीने से उसकी साड़ी का आँचल हटा दिया..और उसके उभारों को ब्लाउज के ऊपर से सहलाया..मै अभी भी उसका चुम्बन कर रहा था...उसके मुह से सिस्कारी निकली..आह्ह इश स्.स्.स्.स्.स्.स्...और उसने साड़ी पूरी निकलने मे मेरी मदद की
मैं अपनी इस मासूम पत्नी की अदाओं पर कुर्बान हो गया अब मेरा एक हाथ ठोस चुचियो पर था मैं धीरे धीरे उन्हें दबाने लगा और मेरा दूसरा हाथ उसके मांसल चूतड़ को सहलाने लगा उसका शरीर तपने लगा मैने उसका ब्लाउज उतार दिया ब्रा मैं से झाँकती उसकी चुचियाँ मानो हिमालय की दो पर्वत श्रंखलाएँ खड़ी हों मैं दीवाना हो चुका था मैने अपने मुँह से चुचियो को चूमना शुरू कर दिया अब उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलना शुरू हो चुकी थी आहह मेरे राज मैं आसमान मैं उड़ रही हूँ ये तुमने मुझे क्या कर दिया है मेरे अंदर इतनी आग क्यू जल रही है ओह्ह्ह्ह्ह्ह्हराज मेरे राज्ज्जज्ज मेरी इस आग को बुझाओ आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्
ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह वरना ये आग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग मुझे जला देगी अब मैने उसे बेड पर लिटा दिया उसके पेटिकोटऔर पॅंटी उसके बदन से निकाल कर एक तरफ फैंक दिए मैने उसकी चूत को चूमना शुरू किया तो वह तड़पने लगी मैने अपनी जीभ उसकी चूत मैं घुसा दी मेरी जीभ ने जैसे उसकी चूत किलोल करनी शुरू की उसने मेरे सिर को अपने हाथो से पकड़ लिया ओर अपनी चूत पर दबाने लगी वह मासूम कली से फूल बनने की राह पर चल पड़ी थी वह बुरी तरह तड़प रही थी अब मैने भी देर करना उचित नही समझा मैं उसे और तड़पाना नहीं चाहता था मैं उसके उपर आ गया उसकी चूत भट्टी की तरह जल रही थी इस भट्टी की आग को सिर्फ़ एक ही चीज़ बुझा सकती थी वो था हर औरत का प्यारा हर औरत का लाड़ला वो था लंड उसकी चूत बुरी तरह लंड की याद मैं आँसू बहा रही थी तड़प रही थी लंड को उस पर दया आनी ही थी मैने अपना लंड निकाल कर उसकी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया वह बुरी तह से तड़पने लगी सिसकारिया निकालने लगी अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरे राज्ज्जज्ज मुजसे अब और बर्दास्त नहीं होता ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह राज्ज्जज्ज्ज
मैं मार जाउन्गि प्लीज़ मेरी इस आग को बुझा दो कुच्छ करो राज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज
मुझे अब और मत तडपा ओ अब मुझसे सहन नहीं होता मैने उसकी चूत पर अपने लॅंड का निशाना साधा ओर धीरे से एक धक्का मारा लंड का मुँह उसकी चूत मैं जाकर फँस गया उसके मूह से एक जोरदार चीख निकली और वह बुरी तरह से सिर को इधर उधर पटकने लगी उसने मुझे दूर हटाने की कोशिश की लकिन मैने उसे अपनी बाँहो मैं जाकड़ लिया मैने अपने लंड का दबाब थोडा सा ओर बढ़ाया मेरा लंड उसकी छूट मैं 2इंच घुस तक घुस चुका था उसकी दर्द की वजह से आँखे बाहर निकल आई मैने उसकी चुचियो को सह लाना शुरू किया एक चुचि का निप्पल अपने मुँह मैं लेकर चूसने लगा और एक हाथ से उसकी दूसरी चुचि को हल्के हल्के दबाने लगा थोड़ी देर मैं उसका दर्द कम हो गया मैने उसके होंठो को अपने होंठो मैं ले लिया और उन्हे लोलीपोप की तरह चूसने लगा ओर दो लगातार धक्को मैं लंड उसकी चूत मैं जड़ तक पहुँचा दिया लकिन दर्द से उसका चेहरा सफेद पड़ गया मैने उसकी चुचियो को सहलाया और उन्हे चूसने लगा और लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा थोड़ी देर मैं उसको भी मज़ा आने लगा हाय मेरे राज तुमने तो मुझे मार ही डाला था मैने उसे समझाया पहली बार जब लंड चूत मैं अपना रास्ता बनाता है तो थोड़ा दर्द होता ही है अब मैने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी वह भी पूरा साथ देने लगी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरे राज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज मुझे जिंदगी भररर ऐसे हीईईई प्यार करते रहो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह राज मैं उड़ रही हूँ राज्ज्जज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज मुझे चोदो और ज़ोर से छोड़ो आहह मैं नहियीईईईईईईईईईई जानती थी इसमे इतना मज़ा है आहह मेरे राज आहह मैने कहा मेरी जान मैं तुझे हमेशा ऐसे ही प्यार करता रहूँगा हम दोनो की चुदाई अब पूरे उफान पर थी कोई भी हार मानने को त्य्यार नहीं था हम दोनो एक दूसरे को चूमते सहलाते प्यार की दुनियाँ मैं बहुत आगें बढ़ चुके थे अपनी मंज़िल की ओर जा रहे थे और हमें मंज़िल मिली एक चरम आनंद के साथ दोनों एक साथ मंज़िल पर पहुँचे और एक दूसरे की बाँहो मैं शांत होकर लेट गये इस तरह हमने उस रात पाँच बार अलग अलग आसनो से चुदाई की दोस्तो सुहाग रात का हमने भरपूर मज़ा लिया
.आज हमारी शादी को 5 साल हो चुके हैं हमारे एक लड़का भी हे जो 2 साल का हे.बहुत ही प्यारा , बिल्कुल अपनी मा जेसा.ओर आज भी हम दोनो मिया बीवी मे उतनी ही मोहब्बत बरकरार है जितनी शादी से पहले थी.इन 5 सालो मे कभी भी मेरी बीवी ने मेरा दिल न्ही दुखाया.ना कभी मेने उसे डांटा.ये है मेरी नादान मोहब्बत जिसने मुझे अपने इश्क़ मे अपनी चाहत मे उम्र भर के लिए बाँध लिया. मेरी कहानी अगर आपको पसंद आए तो अपनी बीवियो को ज़रूर सुनाना. ओर मुझे मेल्स के ज़रिए बताना.
दोस्तो कहानी कैसी लगी अब इस कहानी का यहीं एंड होता है फिर मिलेंगे एक ओर नयी कहानी के साथ

(¨`·.·´¨) ऑल्वेज़
`·.¸(¨`·.·´¨) कीप लविंग &
(¨`·.·´¨)¸.·´ कीप स्माइलिंग !
`·.¸.·´ -- राज शर्मा --










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