यार बना प्रीतम - भाग (2)
गतान्क से आगे........
डर लग रहा है? कल खुद नाप लेना मेरी जान, पर घबरा मत, बहुत प्यार से दूँगा तुझे. प्रीतम का लंड लेने की कल'पना से मैं मदहोश सा हो गया. अब हम चलते चलते एक बाग में से गुजर रहे थे. अंधेरा था और आगे पीछे कोई नहीं था. प्रीतम ने अपना हाथ मेरी कमर में डाला और पैंट के अंदर डाल कर मेरे नितंब सहला'ने लगा. जब उस'की एक उंगली मेरे गुदा के छेद को रगड़'ने और मसल'ने लगी तो मैं मस्ती से सिसक उठा. प्रीतम मेरी उत्तेजना देख कर मुस्कराया और हाथ बाहर निकाल कर बीच की उंगली मुँह में लेकर चूस'ने लगा. मैने जब उस'की ओर देखा तो वह मुस्कराया पर कुच्छ बोला नहीं.
अब उस'ने फिर से हाथ मेरी पैंट और जांघीए के अंदर डाला और अपनी गीली उंगली धीरे धीरे मेरे गुदा में घुसेड दी. मैं मस्ती और दर्द से चिहुन्क कर रह गया और रुक गया. वह बोला.
चलते रहो यार, रूको नहीं, दर्द होता है क्या? दर्द ना हो इस'लिए तो मैने उंगली थूक से गीली की थी और उस'ने मुझे पास खींच'कर फिर चूमना शुरू कर दिया. मुझे अब बड़ा सुख मिल रहा था, लंड ज़ोर से खड़ा था और गान्ड में भी एक बड़ी मीठी कसक हो रही थी. प्रीतम अब पूरी उंगली अंदर डाल चुका था और इधर उधर घुमा रहा था जैसे मेरी गान्ड का अंदर से जायज़ा ले रहा हो. मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था पर उस'में भी एक मिठास थी. जब मैने यह बात उससे कही तो फिर उस'ने मुझे ज़ोर से चूम लिया.
तू सच्चा गान्डू है मेरे यार मेरी तरह, तभी इतना मज़ा आ रहा है गान्ड में उंगली का. पर एक ही उंगली में तेरा यह हाल है मेरे यार, फिर आगे क्या होगा? खैर तू यह मुझ पर छोड दे. तू मेरे लंड का ख्याल रखना, मैं तेरी इस प्यारी कुँवारी गान्ड का ख्याल रखूँगा, बहुत प्यार से लूँगा तेरी. फाड़ूँगा नहीं.
मैं अब मानो हवा में चल रहा था. लग'ता था की कभी भी झड जाऊँगा. मैने भी एक हाथ उस'की पैंट में डाल दिया और उस'के चूतड सहला'ने लगा. बड़े ठोस और भरे हुए चूतड थे उसके. प्रीतम मुझे चूम'ता हुआ मेरी गान्ड में उंगली कर'ता रहा और हम चलते रहे. प्रीतम आगे बोला.
राजा, असल में मैं देख रहा था कि कितनी गहरी और कसी है तेरी गान्ड . एकदम मस्त और प्यारी निकली यार. लग'ता है कि कुँवारी है, कभी मरवाई नहीं लग'ता है? मैने जब कुँवारा होने की हामी भरी तो वह बड खुश हुआ. मुझे लगा ही इस'की सकराई देख कर. यार तू इस'में कुच्छ तो डाल'ता होगा मूठ मारते समय. मैने कुच्छ शरमा कर कहा कि कभी कभी पतली मोमबत्ती या पेन मैं ज़रूर डाल'ता था. वह खुश होकर बोला.
वाहा, मेरे यार, राजा, तूने अपनी कुँवारी गान्ड लग'ता है सिर्फ़ मेरे लिए संभाल कर रखी है, मज़ा आ गया राजा. उसका हॉस्टिल आ गया था. उस'ने उंगली मेरी गान्ड में से निकाली और हम अलग हो गये. हॉस्टिल के गेट पर खड़े होकर उस'ने मुझसे कहा.
देख मेरे प्यारे, आज मूठ नहीं मारना, मैं भी नहीं मारूँगा. अपनी मस्ती कल के लिए बचा कर रख, समझ हमारा हनीमून है, ठीक है ना? मैने हामी भरी पर मेरा लंड अभी भी खड़ा था और उसे मैं दबा कर बैठ'ने की कोशिश कर रहा था. यह देख कर उस'ने पूच्छा.
वीक्स है ना तेरे पास? जब मैने हां कहा तो बोला.
आज रात और कल दिन में वीक्स लगा लेना अप'ने लौडे पर. जलेगा थोड़ा पर देख एकदम ठंडा हो जाएगा. कल रात नहा कर धो डालना, आधे घंटे में फिर तनताना जाएगा. हम'ने एक दूसरे से विदा ली. हम'ने सामान लेकर शाम को सीधा नये घर में मिल'ने का प्लान बनाया. मेरे साम'ने अब प्रीतम ने बड़ी शैतानी से अपनी वही उंगली, जो उस'ने मेरी गान्ड में की थी, मुँह में ले ली और चूस'ने लगा.
इनडाइरेक्ट स्वाद ले रहा हूँ प्यारे तेरी मीठी गान्ड का, कल एकदम डाइरेक्ट स्वाद मिलेगा मुझे. वैसे बड़ा मीठ टेस्ट है, मैं तो खा जाऊँगा कल उसे मैं फिर शरमा गया और वापस चल पड़ा. कामुक'ता से मेरा बुरा हाल था. मन में प्रीतम छ्चाया हुआ था. मूठ मार'ने को मैं मरा जा रहा था पर प्रीतम को दिए वायदे के अनुसार मैने लंड पर वीक्स लगाया और फिर एक नींद की गोली लेकर सो गया.
साथ रह'ने की शुरुआत
दूसरे दिन शुक्रवार था और कॉलेज जल्दी छूट'ता था. दिन भर मेरी हालत खराब रही, वीक्स के कारण लंड तो नहीं खड हुआ पर उसमे अजीब से मीठी चुभन होती रही. छ्हुट्टी होने पर मैने होटेल आ'कर अपना सूटकेस बाँधा और नये घर में आ गया. प्रीतम अभी नहीं आया था. मैने घर जमाना शुरू कर दिया जिससे प्रीतम के आने पर जल्दी से जल्दी अपना असली काम शुरू किया जा सके. बेड रूम में दो पलंग अलग अलग थे. मैने वे जोड़ दिए. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं कोई नयी दुल्हन हूँ जो अप'ने पिया का इंतजार कर रही हो.
अपनी चप्प्लो की जोड़ी में से मैने गुलाबी रंग की चप्पल निकाल कर पहन ली. मेरे गोरे रंग पर वह फॅब'ती थी यह मैं जान'ता था. फिर मैं खूब नहाया, बदन पर खुशबूदार पाउडर लगाया और सिर्फ़ एक जांघिया और हाफपैइंट पहन कर प्रीतम का इंतजार कर'ने लगा.
प्रीतम को रिझा'ने को मेरा ऊपरी गोरा चिकना बदन जानबूझ'कर मैने नंगा रखा था. हाफपैइंट भी एकदम छोटी थी जिससे मेरी गोरी गोरी जांघें आधे से ज़्यादा दिख रही थी. वीक्स धो डाल'ने से कुच्छ ही मिनटों में मेरा लंड खड़ा होने लगा. प्रीतम के आने के समय तक मैं पूरा कामातूर हो चुका था.
आख़िर बेल बजी और दौड़ कर मैने प्रीतम के लिए दरवाजा खोला. उस'ने मेरा अधानांगा बदन और हाफपैइंट में से सॉफ दिखते खड़े लंड का आकार देखा तो उस'की आँखों में कामवासना झलक उठी. मुझे लगा कि शायद वह मेरा चुंबन ले पर उस'ने आप'ने आप पर काबू रखा. अपना सूटकेस कमरे में रख कर वह सीधा नहा'ने चला गया. मुझे बोल गया कि मैं सब दरवाजे बंद कर लूँ और सूटकेस में से उस'के कपड़े और किताबें निकाल कर जमा दूं. वह भी इस तरह अधिकार से बोल रहा था जैसे मैं उसका दोस्त नहीं, पत्नी हूँ. मैने बड़ी खुशी से वह काम किया और उसका इंतजार कर'ने लगा.
दस मिनिट बाद प्रीतम फ्रेश होकर बाहर आया. वह सिर्फ़ तौलिया लपेटे हुए था. मैं बेड रूम में बैठ'कर उसका इंतजार कर रहा था. उस ने आ'कर बेड रूम का दरवाजा बंद किया और मुस्कराता हुआ मेरी ओर मुडा. उसका गठा हुआ सुडौल शरीर मैं देख'ता ही रह गया. गोरी तगडी जांघें, मजबूत पेशियों वाली बाँहें, पुष्ट छा'ती और उनपर भूरे रंग के चूचुक. उस'के चूचुक काफ़ी बड़े थे, करीब करीब बेरों जीत'ने बड़े. तौलिया में इतना बड़ा तंबू बन गया था जैसे की कोई बड़ा डंडा अंदर से टीका कर लगाया हो.
प्रीतम मेरी ओर बढ़ा और मुझे बाँहों में भर के चूम'ने लगा. उस'के बड़े बड़े थोड़े खुरदरे होंठों का मेरे होंठों पर अहसास मुझे मदहोश कर रहा था. चूमते चूमते धकेल'ता हुआ वह मुझे पलंग पर ले गया और पटक'कर मेरे ऊपर चढ बैठा. फिर बेतहाशा मुझे अपनी प्रेमिका जैसा चूम'ने लगा. मेरा मुँह अपनी जीभ से खोल'कर उस'ने अपनी लंबी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मेरे तालू, जीभ और गले को अंदर से चाट'ने लगा. मैने भी उस'की जीभ चूसना शुरू कर दी. वह गीली रस भरी जीभ मुझे किसी मिठायी की तरह लग रही थी. आख़िर उस'के मादक मुखरस का स्वाद मुझे मिल ही गया था.
चूमते चूमते वह अप'ने हाथ मेरे पूरे शरीर पर फिरा रहा था. मेरी पीठ, कंधे, कमर और मेरी च्छा'टी को उस'ने सहलाया और हाथ से मेरी जांघें दबा'ने लगा. फिर झुक कर मेरे गुलाबी चूचुक चूस'ने लगा. मेरे चूचुक ज़रा ज़रा से हैं, किसमिस जैसे, पर उस'की जीभ के स्पर्श से अंगूर से कड़े हो गये.
क्या चूचुक हैं यार तेरे. लड़कियों से भी खूबसूरत! कह'कर उस'ने मेरी हाफपैइंट उस'ने खींच कर निकाल दी और फिर उठ कर मेरे साम'ने बैठ कर मुझे अपनी भूकी आँखों से ऐसे देख'ने लगा जैसे कच्चा चबा जाएगा. मेरे शरीर पर अब सिर्फ़ एक टांग छोटा सफेद पैंटी जैसा जांघिया था जिस'में से मेरा तन्नाया हुआ लंड उभर आया था. असल में वह एक पैंटी ही थी जो कल मैं खरीद लाया था.
वाह यार, क्या खूबसूरत चिकना लौंडा है तू, और जांघिया भी एकदम सेक्सी है, पैंटी है क्या? चल अपना असली माल तो जल्दी से दिखा. लौंदियो से कम खूबसूरत नहीं होगा तेरा माल कहते हुए उस'ने आख़िर मेरा जांघिया खींच कर अलग कर दिया और मुझे पूरा नग्न कर दिया. मेरा शिश्न जांघीए से छूटते ही तंन से खड हो गया. प्रीतम ने उसे देख'कर सीटी बजाई और बोला.
वाह मेरी जान, क्या माल है, ऐसा खूबसूरत लंड तो आज तक रंगीली किताबों में भी नहीं देखा. असल में मेरा लंड बहुत सुंदर है. आज तक मेरा सब से बड दुख यही था कि मैं खुद उसे नहीं चूस सकता. मेरा लंड मैने बहुत बार नापा था. डेढ इंच मोटा और साढ़े पाँच इंच लंबा गोरा गोरा डंडा और उसपर खिला हुआ लाल गुलाबी बड़ी लीची जितना सुपाडा. गोरे डंडे पर कुच्छ हल्की नीली नाज़ुक नसें भी हैं.
मस्ती में थिरकते हुए उस लंड को देख'कर प्रीतम का भी सब्र टूट गया. वह झट से पलंग पर चढ गया और हाथ में लेकर उसे हौले हौले दबाते हुए अपनी हथेली में भर लिया. दूसरे हथेली में उस'ने मेरी गोरी गोरी गोटियों को पकड़ लिया. मेरी झाँटें भी छोटी और रेशम जैसी मुलायम हैं. प्रीतम उन'में उंगलियाँ चलाते हुए बोला.
तू तो माल है मेरी जान, इतना कमसिन है कि झाँटें भी अभी पूरी नहीं उगी. और ये लाल लीची, हाय खा जा'ने को जी कर'ता है, अब चख'ना पडेग नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगा. झुक'कर उस'ने बड़े प्यार से मेरे सुपाडे को चूम और अप'ने गालों, आँखों और होंठों पर घुमा'ने लगा. फिर अपनी जीभ निकाल कर उसे चाट'ने लगा. उस'की खुरदरी जीभ के स्पर्श से मेरे लंड में इतना मीठा संवेदन हुआ कि मैं सिसक उठ और बोला.
प्रीतम मेरे राजा, मत कर यार, मैं झड जाऊँगा. वह जीभ से पूरे लंड को चाट'ता हुआ बोला.
तो झड जा यार, तेरा रस पीने को तो मैं कब से बेताब हूँ, चल तुझे चूस ही डाल'ता हूँ, अब नहीं रहा जाता मुझसे. और उस'ने अपना मुँह खोल कर पूरा लंड निगल लिया और गन्ने जैसा चूस'ने लगा. मुझे जो सुख मिला वह कल'पना के बाहर था. मैने कसमसा कर उसका सिर पकड़'कर अप'ने पेट पर दबा लिया और गान्ड उचका उचका कर उस'के मुँह को चोद'ने की कोशिश कर'ने लगा. प्रीतम की जीभ अब मेरे लंड को और सुपाडे को घिस घिस कर मुझे और तड़पा रही थी. मैने कल से अपनी वासना पर काबू किया हुआ था इस'लिए इस मीठे खेल को और ना सह सका और दो ही मिनिट में झड गया.
हाय यार, ऊ ... मया ... मर गया ... कह'कर मैं पस्त हो गया. मेरा वीर्य उबल उबल कर लंड में से बाहर निकल रहा था और प्रीतम आँखें बंद कर'के बड़े चाव से उसे चख चख कर खा रहा था. . जब लंड उछलना थोड़ा कम हुआ तो वह मेरे लंड के छेद पर अपनी जीभ रगडते हुए बूँद बूँद को बड़ी अधीर'ता से निगल'ने लगा. आख़िर जब उस'ने मुझे छोडा तो मैं पूरा लस्त हो गया था.
मेरी जान, तू तो रसमलाई है, अब यह मिठायी मैं ही लूँगा रोज, इतना मीठा वीर्य तो कभी नहीं चखा मैने. कहते हुए प्रीतम उठा और बहुत प्यार से मेरा एक चुंबन लेकर पलंग से उतर'कर खड़ा हो गया. मेरी ओर प्यार से देख'कर उस'ने आँख मारी और अपना तौलिया उतार कर फेक दिया.
अब देख, तेरे लिए मैं क्या उपहार लाया हूँ! तुझे ज़रूर भाएगा देखना, बिलकुल तेरी खूबसूर'ती के लायक तोहफा है उसका लंड तौलिया की गिरफ़्त से छूट'कर उच्छल कर थिरक'ने लगा. उस मस्त भीमकाय लंड को मैं देख'ता ही रह गया.
दो ढाई इंच मोटा और सात-आठ इंच लंबा तगड़ा गोरा गोरा शिश्न उस'के पेट से सॅट'कर खड़ा था. लंड के डंडे पर फूली हुई नसें उभरी हुई थी. लंड की जड़ में घनी काली झाँटें थी. प्रीतम के पूरे चीक'ने शरीर पर बालों की कमी उन झांतों ने पूरी कर दी थी. नीचे दो बड़ी बड़ी भरी हुई गोतियाँ लटक रही थी. उस लंड को देख'कर मेरा सिर चकरा'ने लगा और मुँह में पानी भर आया. डर भी लगा और एक अजीब सी सुखद अनुभूति मेरे गुदा में होने लगी. उसका सुपाड़ा तो पाव भर के लाल लाल टमाटर जैसा मोटा था और टमाटर जितना ही रसीला लग रहा था.
देख राजा, क्या माल तैयार किया है तेरे लिए. बोल मेरी जान? कैसे लेगा इसे? तेरे किस छेद में दूँ? आज से यह बस तेरे लिए है. प्रीतम अप'ने लंड को प्यार से अपनी मूठी में भर कर सहलाता हुआ बोला. मैं उस हसीन मस्त लौडे को देख'कर पथारा सा गया था. चुपचाप मैं उठ और जा'कर प्रीतम के साम'ने घुट'ने टेक कर बैठ गया जैसे पुजारी मंदिर में भगवान के आगे बैठते हैं. ठीक भी था, आख़िर वह मेरे लिए कामदेव से कम नहीं था. समझ में नहीं आ रहा था कि उस शानदार लिंग का कैसे उपभोग करूँ. चूसूं या फिर सीधा अपनी गान्ड में ले लूँ ! मेरे चेहरे पर डर के भाव देख'कर प्रीतम मेरी परेशानी समझ गया. प्यार से मेरे बाल सहलाते हुए बोला.
क्रमशः................
YAAR BANA PRITAM - BHAAG (2)
gataank se aage........
Dar lag raha hai? Kal khud naap lena meree jaan, par ghabara mat, bahut pyaar se doonga tujhe. Pritam ka lunD lene kee kal'pana se main madahosh sa ho gayaa. Ab ham chalate chalate ek baag men se gujar rahe the. Andhera tha aur aage peechhe koee naheen thaa. Pritam ne apana haath meree kamar men Daala aur paint ke andar Daal kar mere nitamb sahala'ne lagaa. Jab us'kee ek ungalee mere guda ke chhed ko ragaD'ne aur masal'ne lagee to main mastee se sisak uThaa. Pritam meree uttejana dekh kar muskaraaya aur haath baahar nikaal kar beech kee ungalee munh men lekar choos'ne lagaa. Maine jab us'kee or dekha to wah muskaraaya par kuchh bola naheen.
Ab us'ne fir se haath meree paint aur jaanghiye ke andar Daala aur apanee geelee ungalee dheere dheere mere guda men ghuseD dee. Main mastee aur dard se chihunk kar rah gaya aur ruk gayaa. Wah bolaa.
Chalate raho yaar, ruko naheen, dard hota hai kyaa? Dard na ho is'liye to maine ungalee thook se geelee kee thee Aur us'ne mujhe paas kheench'kar fir choomana shuroo kar diyaa. Mujhe ab baDa sukh mil raha thaa, lunD jor se khaDa tha aur gaanD men bhee ek baDee meeThee kasak ho rahee thee. Pritam ab pooree ungalee andar Daal chuka tha aur idhar udhar ghuma raha tha jaise meree gaanD ka andar se jaayaja le raha ho. Mujhe thoDa dard ho raha tha par us'men bhee ek miThaas thee. Jab maine yah baat usase kahee to fir us'ne mujhe jor se choom liyaa.
Too sachcha gaanDoo hai mere yaar meree taraha, tabhee itana maja aa raha hai gaanD men ungalee kaa. Par ek hee ungalee men tera yah haal hai mere yaar, fir aage kya hogaa? Khair too yah mujh par chhoD de. Too mere lunD ka khyaal rakhanaa, main teree is pyaaree kunwaaree gaanD ka khyaal rakhoongaa, bahut pyaar se loonga teree. FaaDoonga naheen.
Main ab maano hawa men chal raha thaa. Lag'ta tha ki kabhee bhee jhaD jaaoongaa. Maine bhee ek haath us'kee paint men Daal diya aur us'ke chootaD sahala'ne lagaa. BaDe Thos aur bhare hue chootaD the usake. Pritam mujhe choom'ta hua meree gaanD men ungalee kar'ta raha aur ham chalate rahe. Pritam aage bola.
Raajaa, asal men main dekh raha tha ki kitanee gaharee aur kasee hai teree gaanD . Ekadam mast aur pyaaree nikalee yaar. Lag'ta hai ki kunwaaree hai, kabhee marawaayee naheen lag'ta hai? Maine jab kunwaara hone kee haamee bharee to wah baDa khush huaa. Mujhe laga hee is'kee sakaraayee dekh kar. Yaar too is'men kuchh to Daal'ta hoga mooTh maarate samay. Maine kuchh sharama kar kaha ki kabhee kabhee patalee momabattee ya pen main jaroor Daal'ta thaa. Wah khush hokar bolaa.
Waaha, mere yaar, raajaa, toone apanee kunwaaree gaanD lag'ta hai sirf mere liye samhaal kar rakhee hai, maza aa gaya raajaa. Usaka hostel aa gaya thaa. Us'ne ungalee meree gaanD men se nikaalee aur ham alag ho gaye. Hostel ke geT par khaDe hokar us'ne mujhase kahaa.
Dekh mere pyaare, aaj mooTh naheen maaranaa, main bhee naheen maaroongaa. Apanee mastee kal ke liye bacha kar rakh, samajh hamaara haneemoon hai, Theek hai naa? Maine haamee bharee par mera lunD abhee bhee khaDa tha aur use main daba kar baiTha'ne kee koshish kar raha thaa. Yah dekh kar us'ne poochhaa.
Viks hai na tere paas? Jab maine haan kaha to bola.
Aaj raat aur kal din men viks laga lena ap'ne lauDe par. Jalega thoDa par dekh ekadam Thanda ho jaayegaa. Kal raat naha kar dho Daalanaa, aadhe ghante men fir Tanatana jaayegaa. Ham'ne ek doosare se vida lee. Ham'ne saamaan lekar shaam ko seedha naye ghar men mil'ne ka plaan banaayaa. Mere saam'ne ab Pritam ne baDee shaitaanee se apanee vahee ungalee, jo us'ne meree gaanD men kee thee, munh men le lee aur choos'ne lagaa.
indirect swaad le raha hoon pyaare teree meeThee gaanD kaa, kal ekadam direct swaad milega mujhe. Waise baDa meeTha Test hai, main to kha jaaoonga kal use Main fir sharama gaya aur waapas chal paDaa. Kaamuk'ta se mera bura haal thaa. Man men Pritam chhaaya hua thaa. MooTh maar'ne ko main mara ja raha tha par Pritam ko diye waayade ke anusaar maine lunD par viks lagaaya aur fir ek neend kee golee lekar so gayaa.
Saath rah'ne kee shuruaat
Doosare din shukrawaar tha aur college jaldee chhooT'ta thaa. Din bhar meree haalat kharaab rahee, viks ke kaaraN lunD to naheen khaDa hua par usame ajeeb se meeThee chubhan hotee rahee. ChhuTTee hone par maine hotel a'kar apana sooTakes baandha aur naye ghar men aa gayaa. Pritam abhee naheen aaya thaa. Maine ghar jamaana shuroo kar diya jisase Pritam aane par jaldee se jaldee apana asalee kaam shuroo kiya ja sake. Bed room men do palang alag alag the. Maine we joD diye. Mujhe aisa lag raha tha jaise ki main koee nayee dulhan hoon jo ap'ne piya ka intajaar kar rahee ho.
Apanee chapplon kee joDee men se maine gulaabee rang kee chappal nikaal kar pahan lee. Mere gore rang par wah fab'tee thee yah main jaan'ta thaa. Fir maine khoob nahaayaa, badan par khushaboodaar paauDar lagaaya aur sirf ek jaanghiya aur haafapaint pahan kar Pritam ka intajaar kar'ne lagaa.
Pritam ko rijha'ne ko mera ooparee gora chikana badan jaanaboojh'kar maine nanga rakha thaa. Haafapaint bhee ekadam chhoTee thee jisase meree goree goree jaanghen aadhe se jyaada dikh rahee thee. Viks dho Daal'ne se kuchh hee minaTon men mera lunD khaDa hone lagaa. Pritam ke aane ke samay tak main poora kaamaatur ho chuka thaa.
Aakhir bel bajee aur dauD kar maine Pritam ke liye darawaaja kholaa. Us'ne mera adhananga badan aur haafapaint men se saaf dikhate khaDe lunD ka aakaar dekha to us'kee aankhon men kaamawaasana jhalak uThee. Mujhe laga ki shaayad wah mera chumban le par us'ne ap'ne aap par kaaboo rakhaa. Apana sooTakes kamare men rakh kar wah seedha naha'ne chala gayaa. Mujhe bol gaya ki main sab darawaaje band kar loon aur sooTakes men se us'ke kapaDe aur kitaaben nikaal kar jama doom. Wah bhee is tarah adhikaar se bol raha tha jaise main usaka dost naheen, patnee hoon. Maine baDee khushee se wah kaam kiya aur usaka intajaar kar'ne lagaa.
Das minute baad Pritam fresh hokar baahar aayaa. Wah sirf tauliya lapeTe hue thaa. Main bed room men baiTh'kar usaka intajaar kar raha thaa. Us ne a'kar bed room ka darawaaja band kiya aur muskaraata hua meree or muDaa. Usaka gaTha hua suDaul shareer main dekh'ta hee rah gayaa. Goree tagaDee jaanghen, majaboot peshiyon waalee baanhen, puShT chha'tee aur unapar bhoore rang ke chuchuk. Us'ke chuchuk kaafee baDe the, kareeb kareeb beron jit'ne baDe. Tauliya men itana baDa tamboo ban gaya tha jaise ki koee baDa Danda andar se Tika kar lagaaya ho.
Pritam meree or baDhaa aur mujhe baanhon men bhar ke choom'ne lagaa. Us'ke baDe baDe thoDe khuradare honthon ka mere honthon par ahasaas mujhe madahosh kar raha thaa. Choonate choonate Dhakel'ta hua wah mujhe palang par le gaya aur paTak'kar mere oopar chaDha baiThaa. Fir betahaasha mujhe apanee premika jaisa choom'ne lagaa. Mera munh apanee jeebh se khol'kar us'ne apanee lambee jeebh mere munh men Daal dee aur mere taaloo, jeebh aur gale ko andar se chaaT'ne lagaa. Maine bhee us'kee jeebh choosana shuroo kar dee. Wah geelee ras bharee jeebh mujhe kisee miThaayee kee tarah lag rahee thee. Aakhir us'ke maadak mukharas ka swaad mujhe mil hee gaya thaa.
Choonate choonate wah ap'ne haath mere poore shareer par fira raha thaa. Meree peeTh, kandhe, kamar aur meree chha'tee ko us'ne sahalaaya aur haath se meree jaanghen daba'ne lagaa. Fir jhuk kar mere gulaabee chuchuk coos'ne lagaa. Mere chuchuk jara jara se hain, kisamis jaise, par us'kee jeebh ke sparsh se angoor se kaDe ho gaye.
Kya chuchuk hain yaar tere. LaDakiyon se bhee khoobasoorat! Kah'kar us'ne meree haafapaint us'ne kheench kar nikaal dee aur fir uTh kar mere saam'ne baiTh kar mujhe apanee bhookee aankhon se aise dekh'ne laga jaise kachcha chaba jaayegaa. Mere shareer par ab sirf ek tang chhoTa safed paintee jaisa jaanghiya tha jis'men se mera tannaaya hua lunD ubhar aaya thaa. Asal men wah ek paintee hee thee jo kal main khareed laaya thaa.
Wa yaar, kya khoobasoorat chikana launda hai too, aur jaanghiya bhee ekadam seksee hai, paintee hai kyaa? Chal apana asalee maal to jaldee se dikhaa. Laundiyon se kam khoobasoorat naheen hoga tera maal Kahate hue us'ne aakhir mera jaanghiya kheench kar alag kar diya aur mujhe poora nagn kar diyaa. Mera shishn jaanghiye se chhooTate hee Tann se khaDa ho gayaa. Pritam ne use dekh'kar seeTee bajaayee aur bolaa.
Wa meree jaan, kya maal hai, aisa khoobasoorat lunD to aaj tak rangeelee kitaabon men bhee naheen dekhaa. Asal men mera lunD bahut sundar hai. Aaj tak mera sab se baDa dukh yahee tha ki main khud use naheen choos sakataa. Mera lunD maine bahut baar naapa thaa. DeDha inch moTa aur saaDhaye paanch inch lamba gora gora Danda aur usapar khila hua laal gulaabee baDee leechee jitana supaaDaa. Gore Dande par kuchh halkee neelee naajuk nasen bhee hain.
Mastee men thirakate hue us lunD ko dekh'kar Pritam ka bhee sabr TooT gayaa. Wah jhaT se palang par chaDha gaya aur haath men lekar use haule haule dabaate hue apanee hathelee men bhar liyaa. Doosare hathelee men us'ne meree goree goree goTiyon ko pakaD liyaa. Meree jhaanten bhee chhoTee aur resham jaisee mulaayam hain. Pritam un'men ungaliyaan chalaate hue bolaa.
Too to maal hai meree jaan, itana kamasin hai ki jhaanten bhee abhee pooree naheen ugeen. Aur ye laal leechee, haay kha ja'ne ko jee kar'ta hai, ab chakh'na paDega naheen to main paagal ho jaaoongaa. Jhuk'kar us'ne baDe pyaar se mere supaaDe ko choom aur ap'ne gaalom, aankhon aur honthon par ghuma'ne lagaa. Fir apanee jeebh nikaal kar use chaaT'ne lagaa. Us'kee khuradaree jeebh ke sparsh se mere lunD men itana meeTha sanwedan hua ki main sisak uTha aur bolaa.
Pritam mere raajaa, mat kar yaar, main jhaD jaaoongaa. Wah jeebh se poore lunD ko chaaT'ta hua bolaa.
To jhaD ja yaar, tera ras peene ko to main kab se betaab hoon, chal tujhe choos hee Daal'ta hoon, ab naheen raha jaata mujhase. Aur us'ne apana munh khol kar poora lunD nigal liya aur ganne jaisa choos'ne lagaa. Mujhe jo sukh mila wah kal'pana ke baahar thaa. Maine kasamasa kar usaka sir pakaD'kar ap'ne peT par daba liya aur gaanD uchaka uchaka kar us'ke munh ko chod'ne kee koshish kar'ne lagaa. Pritam kee jeebh ab mere lunD ko aur supaaDe ko ghis ghis kar mujhe aur taDapa rahee thee. Maine kal se apanee waasana par kaaboo kiya hua tha is'liye is meeThe khel ko aur na sah saka aur do hee minute men jhaD gayaa.
Haay yaar, oo ... Maa ... Mar gaya ... Kah'kar main past ho gayaa. Mera veery ubal ubal kar lunD men se baahar nikal raha tha aur Pritam aankhen band kar'ke baDe chaav se use chakh chakh kar kha raha thaa. Yah upanyaas aap yahoo groups; deshiromance men padh rahe hain. Jab lunD uchhalana thoDa kam hua to wah mere lunD ke chhed par apanee jeebh ragaDate hue boond boond ko baDee adheer'ta se nigal'ne lagaa. Aakhir jab us'ne mujhe chhoDa to main poora last ho gaya thaa.
Meree jaan, too to rasamalaayee hai, ab yah miThaayee main hee loonga roj, itana meeTha veery to kabhee naheen chakha maine. Kahate hue Pritam uTha aur bahut pyaar se mera ek chumban lekar palang se utar'kar khaDa ho gayaa. Meree or pyaar se dekh'kar us'ne aankh maaree aur apana tauliya utaar kar fek diyaa.
Ab dekh, tere liye main kya upahaar laaya hoon! Tujhe jaroor bhaayega dekhanaa, bilakul teree khoobasoor'tee ke laayak tohafa hai Usaka lunD tauliya kee giraft se chhooT'kar uchhal kar thirak'ne lagaa. Us mast bheemakaay lunD ko main dekh'ta hee rah gayaa.
Do Dhaayee inch moTa aur saat-aaTh inch lamba tagaDa gora gora shishn us'ke peT se saT'kar khaDa thaa. LunD ke Dande par foolee huee nasen ubharee huee thee. LunD kee jaD men ghanee kaalee jhaanten thee. Pritam ke poore chik'ne shareer par baalon kee kamee un jhaanton ne pooree kar dee thee. Neeche do baDee baDee bharee huee goTiyaan laTak rahee thee. Us lunD ko dekh'kar mera sir chakara'ne laga aur munh men paanee bhar aayaa. Dar bhee laga aur ek ajeeb see sukhad anubhooti mere guda men hone lagee. Usaka supaaDa to paav bhar ke laal laal TamaaTar jaisa moTa tha aur TamaaTar jitana hee raseela lag raha thaa.
Dekh raajaa, kya maal taiyaar kiya hai tere liye. Bol meree jaan? Kaise lega ise? tere kis chhed men doom? aaj se yah bas tere liye hai. Pritam ap'ne lunD ko pyaar se apanee mooThee men bhar kar sahalaata hua bolaa. Main us haseen mast lauDe ko dekh'kar pathara sa gaya thaa. Chupachaap main uTha aur ja'kar Pritam ke saam'ne ghuT'ne Tek kar baiTh gaya jaise pujaaree mandir men bhagawaan ke aage baiThate hain. Theek bhee thaa, aakhir wah mere liye kaamadev se kam naheen thaa. Samajh men naheen aa raha tha ki us shaamadaar ling ka kaise upabhog karoom. Choosoon ya fir seedha apanee gaanD men le loon ! Mere chehare par ke bhaav dekh'kar Pritam meree pareshaanee samajh gayaa. Pyaar se mere baal sahalaate hue bolaa.
kramashah................
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) Always `·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving & (¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling ! `·.¸.·´ -- raj
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