Friday, January 2, 2015

FUN-MAZA-MASTI बीवी का मायका-13

FUN-MAZA-MASTI

 बीवी का मायका-13

 रात को सोने के पहले मैंने ललित से कहा था कि कल मैं छुट्टी ले लेता हूं "और घूमेंगे. एलीफैंटा चलते हैं"

वो पहले खुश हुआ "सुपर जीजाजी. मजा आयेगा" फ़िर नीचे देख कर बोला "वैसे आप छुट्टी ले रहे हैं तो ... हम घर में भी रह सकते हैं"

मैं समझ गया कि वो क्या कह रहा है. मेरे साथ और मौज मस्ती करना चाहता था, यह मालूम होते हुए भी कि आज तो उसकी गांड की खैर नहीं है. मुझे उसकी यह अदा बहुत प्यारी लगी. मैंने कहा कि कल सोचेंगे क्या करना है.

इसलिये सुबह मैंने उसे देर तक सोने दिया. मैं लैपटॉप लेकर बैठा काम कर रहा था. बेल बंद कर दी थी कि ललित को डिस्टर्ब ना हो. थोड़ी देर से मुझे बेल स्विच दबाने की आवाज आयी. मैंने पीप होल से देखा तो शान्ताबाई ही थीं. मैंने दरवाजा खोला और उसे अंदर आने दिया. दरवाजा बंद किया और शान्ताबाई की ओर देखा.

शान्ताबाई आज एकदम सज धज कर - साज सिन्गार करके आई थीं. लीना ने उनको दीवाली पर अपनी एक शादी की सिल्क की साड़ी दी थी, वही पहनी थीं. ब्लाउज़ उन्होंने नया सिलाया था क्योंकि लीना का ब्लाउज़ तो शान्ताबाई को हो ही नहीं सकता था, ब्लाउज़ की छाती को ही डेढ़ गुना कपड़ा लगता.

"कल लीना बाई को देखा तो हैरान रह गयी मैं भैयाजी" वो बोलीं. "जाते बखत तो यही बोली थी कि एक दो हफ़्ते बाद आऊंगी. अब कल देखा तो यकीन ही नहीं हुआ. मैं तो रोड के पार आकर बात करने वाली थी पर बाई रुकी ही नहीं. बस मुस्करा कर चली गयी. मैंने भी सोचा कि ऐसा क्या जल्दी थी मोड़ी को कि मेरे से बात किये बिना चली गयी नहीं तो हमेशा तो मेरे बिना एक दिन नहीं जाता उसका. वैसे है कहां लीना दीदी? अंदर ही होगी."

मैंने हां कहा. शान्ताबाई अंदर जाने लगी तो मैंने हाथ पकड़ किया. "अब लीना से मिलने की ऐसी भी क्या जल्दी है शान्ताबाई? हम भी तो हैं ना यहां, आप के चाहने वाले. जरा हमसे मीठी मीठी बातें कीजिये, हमारा मुंह मीठा कराइये, फ़िर अंदर जाइये अपनी प्यारी छोरी से मिलने, वैसे भी वो सो रही है अभी" कहकर मैंने खींचकर शान्ताबाई को अपने से चिपटा लिया. फ़िर उनको गोद में ले कर सोफ़े में बैठ गया.

"ये क्या भैयाजी! छोड़ो मेरे को. ऐसे खुले में बैठक के कमरे में अच्छा लगता है क्या?" शान्ताबाई थोड़ा शर्मा कर बोलीं. वे हमेशा शुरू में थोड़ा शरमाती हैं और मुझे उनकी ये अदा बड़ी लुभावनी लगती है. मैंने उनकी एक ना सुनी और उनको कस के भींच कर उनका एक चुंबन ले लिया. वे मेरी गिरफ़्त से छूटने की बेमन की कोशिश करते हुए बोलीं. "अब भैयाजी, जरा सबर करो, सबर ना हो रहा हो तो कम से कम अंदर तो चलो. ऐसे खुले आम क्या करम करवाते हो मेरे से. पहले मेरे को देखने दो कि हमारी बिटिया कैसी है, उसको कुछ चाहिये क्या? फ़िर घर का भी तो काम पड़ा है, वो तो जरा कर लेने दो"

"घर का काम बाद में बाई, पहले यह वाला काम करना जरूरी है. और इस वाली दीवाली की मिठाई तो अब तक मैंने चखी ही नहीं" मैंने उनके जरा से मोटे मोटे पर एकदम नरम मुलायम पान से लाल होंठों को कस के चूमते हुए कहा. फ़िर उनकी वो एक विशाल चूंची पकड़ कर बोला "और ये माल तो और मालदार हो गया लगता है बाई सिर्फ़ एक हफ़्ते में. जरा देखें तो ऐसा क्या हो गया इस खोये के गोले को?"

"कुछ भी कहते हो आप भैयाजी" गर्दन को एक खूबसूरत झटका देकर शांताबाई बोलीं. "वजन बढ़ गया है मेरा, अब जाते वक्त लीना बिटिया इतनी सारी मिठाई मेवा मेरे को दे कर गयी, घर में और कोई खानेवाला है नहीं, फ़िर मैंने ही सारी खा डालीं. अब बदन फूलेगा नहीं तो क्या होगा. अब छोड़ो भी, ये क्या कर रहे हो" उन्होंने उठने की एक झूट मूट की कोशिश की पर मैंने पकड़कर नीचे खींचा तो धप से मेरी गोद में वापस बैठ गयीं. फ़िर खुद ही मेरे चुंबन लेने लगीं. विरोध प्रकट करने का नाटक कहिये या लज्जाशील औरतों की तरह पहले नहीं नहीं कहने का एक औपचारिक प्रोटोकॉल कहिये - वो उन्होंने पूरा कर लिया था. अब वे भी अपनी प्यारी दुलारी लीना बिटिया के पति के लाड़ दुलार करने में लग गयीं.

मैंने मौके का फायदा उठाया. मुझे ऐसा एकांत उनके साथ बहुत कम मिलता है, करीब करीब नहीं के बराबर क्योंकि लीना साथ में होती है. इसलिये आज मिले एकांत का मैंने पूरा उपयोग कर लिया. पहले उनके उन भरे भरे होंठों के खूब चुंबन लिये, ऐसे चुंबन शान्ताबाई को बड़े अच्छे लगते हैं, जब मस्त गरम हो गयीं तो उनका ब्लाउज़ सामने से खोला और चुम्मे लेते लेते उनके मोटे मोटे स्तनों को हाथेली में भरके खेलने लगा. वे ब्रा पैंटी वगैरह नहीं पहनती हैं इसलिये सीधे असली काम पर आने को वक्त नहीं लगता. जब मेरी हथेली में उनके निपल खड़े होकर चुभने लगे तो उनको थोड़ी देर तक बारी बारी से चूसा. जब वे मेरी गोद में बैठे बैठे मेरी टांग को अपनी जांघों में लेने की कोशिश करने लगीं तब मैं समझ गया कि भट्टी गरम हो गयी है और रस की फ़ैक्टरी ने अपना काम शुरू कर दिया है.

इसलिये मैंने उन्हें वहीं सोफ़े पर लिटा कर उनकी साड़ी ऊपर की और उनकी घने काले बालों वाली बुर में मुंह डाल दिया. गजब का रस है उनका, अगर लीना का रस किसी महंगी वाइन जैसा है तो शान्ताबाई का खालिस देसी ठर्रा है जो सीधा दिमाग में चढ़ता है. मन भरके रस पीकर मैं उनपर चढ़ गया और लंड उनकी तपती चूत में घुसेड़कर चोद डाला. कहने को शान्ताबाई नाक सिकोड़ कर "ये क्या भैयाजी ... ऐसे यहीं ... लीना बिटिया आ गयी तो क्या कहेगी ... बोलेगी कि मुझसे मिली भी नहीं और सीधे मेरे मर्द को अपने ऊपर ले लिया ..." पर ये सब कहते कहते वे खुद मुझसे चिपक कर, मुझे बाहों और टांगों में जकड़कर चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवा रही थीं. ये हमेशा होता है, लीना से उनको भले मुहब्बत हो, मुझसे चुदवाने को वे हमेशा तैयार रहती हैं, आखिर जवान लंड से चुदवाना उन जैसी रसिक गरम औरत कैसे छोड़ेगी!

मैंने झुक कर उनका वो काले जामुन जैसा निपल मुंह में लिया और चूसते चूसते जम के धक्के लगाने शुरू कर दिये. चोद कर बड़ी शांति मिली, ऐसे बस लंड चुसवा चुसवाकर आदमी फ़्रस्ट्रेट हो जाता है, घचाघच चोदे बिना सुकून नहीं मिलता.

मैं पड़ा पड़ा हांफ़ रहा था. दो मिनिट बाद जब जरा शांत हुआ तो मुझे हटाकर शान्ताबाई उठ बैठीं और कपड़े और बाल ठीक ठाक करके बोलीं "चलो ... हो गया ना आपके मन जैसा? ... अब जरा अंदर जाने दो मेरे को नहीं तो लीना बाई चिल्लाएगी"

"वो सो रही है शान्ताबाई. नहीं तो मुझमें इतनी हिम्मत कहां कि बिना उसकी इजाजत के आपको हाथ तक लगाऊं!"

उठकर साड़ी ठीक करके शान्ताबाई बोलीं "आज क्या छुट्टी पर हो भैयाजी?"

मैंने हां कहा. वे बोलीं "फिर फालतू में इतनी जल्दबाजी की. लीना बिटिया हमेशा आप की छुट्टी के दिन आप को भी अंदर बुला लेती है, किसी बात को ना नहीं कहती. आराम से जरा मस्ती ले लेकर करते तो मुझे भी जरा तसल्ली होती"

मैंने उनकी कमर में हाथ डालकर कहा "दिल छोटा ना करो शांताबाई. इस जवान लंड को तो तुम जानती हो, जब कहोगी तब फ़िर से चोद दूंगा, आपकी इच्छा नुसार"


 अपनी नाक सिकोड़ कर आंख मटकाकर उन्होंने मुझे अपना झटका दिखा दिया और अंदर चली गयीं. लगता है लीना से मिलने को बहुत उत्सुक थीं. मैं सोफ़े पर लेट कर राह देखने लगा कि अब क्या कहकर बाहर आयेंगी. शान्ताबाई हमारे यहां कैसे काम करने लगीं वह भी मेरे दिमाग में चलने लगा.

शान्ताबाई को ढूंढकर लाने का श्रेय लीना को ही जाता है. लीना लाखों में एक है और उसकी कामवासना भी लाखों में एक है. जैसे दिन रात धधकते रहने वाली आग. शादी के बार जैसे लाइसेन्स मिल गया है तो और तीव्र हो गयी है. पहले वह सर्विस करती थी, अब छोड़ दी है, घर में अकेले रह कर जैसे उसका टॉर्चर होता है. अच्छा वह ऐसी स्लट नहीं है कि कहीं भी किसी से सेक्स कर ले, उस मामले में बिना परखे या बिना जान पहचान के, बिना उस व्यक्ति के लिये मन में थोड़ी मृदुल भावना आये कुछ नहीं करती. अब मेरा एक मित्र अरुण और लीना की एक सहेली सोनल ने भी शादी कर ली है और उनसे हमारी अच्छी जमती है, हर बात में! दो तीन दिन का वीकेन्ड हो तो साथ रहते हैं, हर चीज शेयर करते हैं, बेड तक. तब लीना को अपनी आग थोड़ी धीमी कर लेने का मौका मिलता है. पर उनके साथ वीकेन्ड बिताने का मौका बस महने में एकाध बार ही आ पाता है.

लीना को मैं बहुत प्यार करता हूं, इतना कि उसकी यह तड़प मुझसे नहीं देखी जाती. मैं तो इतनी हद तक सोचने लगा था कि कोई हैंडसम नौकर रख लूं जो दोपहर में उसे खुश रखे.

पर लीना ने दन से यह आइडिया ठुकरा दिया. "मुझे नहीं चाहिये. वो अरुण और सोनल हैं ना, उतना ठीक है. और मेरे राजा, मुझे तुम समझते क्या हो? आखिर तुम मेरे पति हो. ऐसे किसी ऐरे गैरे के साथ मुझे बिलकुल नहीं चलेगा. वो भी नौकर. हां नौकरानी की बात और है"

तब मुझे याद आया कि उमर में बड़ी औरतों के प्रति भी लीना को बड़ी आसक्ति है, बाद में कारण समझ में आया जब उसकी मां और राधाबाई को मिला. अब ऐसी नौकरानी ढूंढना जो लीना के दिल में उतर जाये, मेरे लिये मुमकिन नहीं था, पर लीना खुद ही ढूंढ लेगी इसका मुझे विश्वास था.

हुआ भी ऐसा ही. तब शान्ताबाई पास के मार्केट में सब्जी का ठेला लगाती थी. लीना अक्सर उसीके यहां से सब्जी खरीदती थी. एक दिन मुझे बोली "वो सब्जी वाली बाई देखी डार्लिंग?"

"कौन सी सब्जी वाली" मैंने अनजान बनकर कहा. वैसे मैं जानता था. शान्ताबाई के यहां से जो भी सब्जी खरीदता था, वह उनके एकदम देसी जोबन से अछूता नहीं रह सकता था.

"अब बनो मत, सब्जी तौलते वक्त कैसे उसकी छाती की ओर टुकुर टुकुर देखते रहते हो, मुझे क्या मालूम नहीं है?"

"अब वो ... याने डार्लिंग" मैंने लीपा पोती की कोशिश की तो लीना और भड़क गयी. "देखो मुझे गुस्सा ना दिलाओ अब ..." फ़िर अचानक शांत हो गयी "मैं नाराज नहीं हो रही हूं, तुम ये जो बिना बात झूट बोलते हो वो मुझे नहीं सहा जाता. शान्ताबाई ... याने वो सब्जी वाली ... तुम देखो तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है, है ही वह देखने लायक. उसके वे मम्मे देखे? पपीते जैसे हैं. है थोड़ी सांवली पर एकदम चिकनी है"

"जरा उमर में बड़ी है. पैंतीस छत्तीस के ऊपर की तो होगी."

"तुमको इतने साल की लगी याने चालीस या पैंतालीस की भी होगी. पर मुझे चलेगा." लीना पलक झपका कर बोली.

"चलेगा याने ..." मैंने पूछा तो तुनक कर बोली "किस काम के लिये ये सब मुझे चलेगा ये अब समझाने की जरूरत नहीं है. इस उमर की औरतें अक्सर बड़े मीठे स्वभाव की होती हैं, खुद भी मीठी होती हैं, इस शान्ताबाई की मिठास चखने का मूड हो रहा है. और उसका इन्टरेस्ट भी है मुझमें."

"अब ये तुमको कैसे मालूम डार्लिंग" मैंने सवाल किया तो लीना बोली "वो बताने की बात नहीं है, समझने की बात है. मैं सब्जी लेने जाती हूं तो बस मुझसे गप्पें लड़ाने लगाती है, मेरी आंखों में बेझिझक देखती है. दूसरे ग्राहक रहें या चले जायें, उससे उसको फरक नहीं पड़ता. मुझे सबसे अच्छी और ज्यादा सब्जी देती है. सब्जी चुनते वक्त जरूरत से ज्यादा झुकती है और अपनी चोली में से मोटे मोटे स्तनों का दर्शन कराती है. मुझे बहुत सेक्सी लगी डार्लिंग वो औरत. ये अपने यहां काम करने को राजी हो जाये तो ... उफ़्फ़ ... मजा आ जायेगा .... और तुम जो परेशान रहते हो मेरी परेशानी देख कर, वो भी खतम हो जायेगी."

मुझे भरोसा नहीं था. "देख लो डार्लिंग, वो है तो सेक्सी और जैसा तुम कहती हो, वैसे तुमपर मरती भी होगी पर आखिर उसका सब्जी बेचने का पुराना व्यवसाय है, वो छोड़कर घर का काम करने को राजी हो जायेगी ये मुझे नहीं लगता"

"तुम बस देखो, और ये सब फ़्री में थोड़े कराऊंगी उससे, अच्छी सैलरी दूंगी."

लीना का कहना सच निकला, शान्ताबाई तो जैसे बस राह देख रहे थी कि लीना कुछ कहे. लीना के बात छेड़ते ही तुरंत तैयार हो गयी, न पैसे की बात की, न क्या काम करना होगा इसकी बात. वो तो लीना पर ऐसी फिदा थी कि तुरंत ठेला बंद करके दूसरे ही दिन हाजिर हो गयी. लगता है लीना पर मर मिटी थी, वैसे लीना है ही इतनी सुंदर और उतनी ही चुदैल. और शान्ताबाई ने उसकी चुदासी पहचान ली थी.

शान्ताबाई हमारे यहां काम करने लगी उस दिन से लीना के चेहरे पर जो सुकून मुझे दिखने लगा, उससे मैंने भी मन ही मन शान्ताबाई को धन्यवाद दिया. लीना वैसे उसे बहुत खुश रझती थी. अच्छे खासे पैसे, खाना पीना, साड़ी कपड़े. और शान्ताबाई भी ऐसी हो गयी थी जैसे स्वर्ग में आ गयी हो. और उसे भले मालूम हो कि उसका असली काम क्या है, घर का काम भी बड़ी मेहनत से करती थी, लीना को कुछ भी नहीं करना पड़ता था.

और शान्ताबाई को बस एक हफ़्ता ट्राइ करके लीना ने छुट्टी के दिन शान्ताबाई के साथ चलते अपने इश्क में मुझे भी शामिल कर लिया. हां वह खुद उस समय रहती थी. शान्ताबाई को भी ऐसा हो गया कि अंधा मांगे एक आंख, और मिल जायें दो. भले लीना के साथ उसका जम के प्यार दुलार चलता था पर मर्द से चुदाने में उसे उतना ही आनंद आता था.

ये सब याद करते करते मेरा खड़ा हो गया और फ़िर अचानक मैं यह सोचने कगा कि अंदर क्या चल रहा होगा.










हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
Tags = Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion | Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews | Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance | India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera | Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical | Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting | Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry | HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis | Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad | New Delhi | पेलने लगा | उत्तेजक | कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना मराठी जोक्स | कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी कहानियाँ | मराठी | .blogspot.com | जोक्स | चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी कहानी | पेलता | कहानियाँ | सच | स्टोरी | bhikaran ki | sexi haveli | haveli ka such | हवेली का सच | मराठी स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi | कहानियाँ | की कहानियाँ | मराठी कथा | बकरी की | kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | kutiya | आँटी की | एक कहानी | मस्त राम | chehre ki dekhbhal | | pehli bar merane ke khaniya hindi mein | चुटकले | चुटकले व्‍यस्‍कों के लिए | pajami kese banate hain | मारो | मराठी रसभरी कथा | | ढीली पड़ गयी | चुची | स्टोरीज | गंदी कहानी | शायरी | lagwana hai | payal ne apni | haweli | ritu ki hindhi me | संभोग कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk | vasna | raj sharma | www. भिगा बदन | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ | कामरस कहानी | मराठी | मादक | कथा | नाईट | chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai | bua | bahan | maa | bhabhi ki chachi ki | mami ki | bahan ki | bharat | india | japan |यौन, यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग, यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना, aunty,stories,bhabhi, nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic stories, hindi stories,urdu stories,bhabi,desi stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi maa ,desi bhabhi,desi ,hindi bhabhi,aunty ki,aunty story, kahaniyan,aunty ,bahan ,behan ,bhabhi ko,hindi story sali ,urdu , ladki, हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories ,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी , kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी , ,raj-sharma-stories कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है ,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला ,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग ,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स ,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन , ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल ,कहानियाँ हिन्दी , ,जीजू , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी ,چوت , . bhatt_ank, xossip, exbii, कामुक कहानिया हिंदी कहानियाँ रेप कहानिया ,सेक्सी कहानिया , कलयुग की कहानियाँ , मराठी स्टोरीज , ,स्कूल में मस्ती ,रसीले होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो ,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी ,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி ,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी

No comments:

Raj-Sharma-Stories.com

Raj-Sharma-Stories.com

erotic_art_and_fentency Headline Animator