FUN-MAZA-MASTI
सौतेला बाप--49
अब आगे
**********
देवीलाल की आँखे चौड़ी और मुँह खुला हुआ था...जो नज़ारा वो पिछले आधे घंटे से खिड़की से छुप कर देख रहा था वो अब बिल्कुल उसकी आँखो के सामने था..इतना रसीला और जवानी से भरा बदन देखकर उसके मुँह से लार निकल कर सीधा काव्या की जाँघ पर गिर गयी..और वो सुलग उठी..
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ..... उम्म्म्ममममममममम ..... ओह विक्कीईइ''
ऐसा लगा जैसे जल रही लकड़ी के उपर किसी ने पानी की बूँद गिरा दी हो...ऐसी चटक आवाज़ निकली थी काव्या के मुँह से...
देवीलाल ने अपनी जीभ उसकी जाँघ पर उसी जगह पर रखी और उसकी केले के तने जैसी जाँघ को चाटता हुआ उपर की तरफ आने लगा..
और उसके टच को काव्या महसूस करके ये भी नही जान पाई की ये विक्की नही बल्कि उसका बाप है..अब ठरक तो उसके उपर भी चढ़ी हुई थी,ऐसे में तो वो सिर्फ़ मज़े लेने के मूड में थी, और मज़े देने वाला इस वक़्त कौन है उसकी तहकीकात करने का वक़्त नही था उसके पास...वैसे भी विक्की ने ये सब इतनी सफाई से किया था की शक करने का कोई सवाल ही नही उठता था
काव्या अपने दोनो हाथ अपने सिर के उपर रखकर फड़फड़ाते हुए होंठों से गर्म साँसे छोड़ते हुए विक्की (देवीलाल) की जीभ का अपनी चूत पर लगने का वेट कर रही थी..
पर वो बड़े ही मज़े ले-लेकर सब काम कर रहा था..अब ऐसी जवानी रोज-2 तो मिलती नही है चाटने के लिए..इसलिए वो हर इंच को चाट रहा था..अपने होंठों से उस जगह के माँस को दबोच कर ऐसे चूस रहा था जैसे उसमे से रस निकल कर उसके मुँह में जा रहा है...पर साथ ही साथ काव्या की चूत से निकल रही गंध भी उसे मदहोश कर रही थी..और उसे जल्द से जल्द अपनी तरफ आने को कह रही थी..वो अपनी जीभ से उसकी जाँघ पर पैंटिंग बनाते हुए उसी तरफ चल दिया..और जब वो काव्या के ज्वालामुखी के मुहाने पर पहुँचा तो उसके होंठ भी झुलस से गये अंदर से निकल रही आँच से..पर उसी के लिए तो वो कब से तड़प रहा था, इसलिए उसने एक गहरी साँस ली और कूद पड़ा उसकी चूत के अंदर..और उसके बिलखते हुए चूत के होंठों को अपने मुँह में भरकर उसने जोरदार तरीके से उन्हे चूस डाला..
''आआआआययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ...... उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ..... जानवर ना बनो विक्की .....................धीरे -2 सक्क करो................... प्यार से............... उम्म्म्मममममममममममम''
अब उस पगली को भला ये कौन समझाए की ये विक्की नही बल्कि उसका बाप है जो अपने दिल की इच्छा पूरी होते देखकर कुछ ज़्यादा ही तेश में आकर उसकी चूत को चूस रहा था..वो भला क्या जाने की चूत कैसे चूसी जाती है...ऐसे खेल में प्यार दिखाकर भला क्या मिलेगा इसका तो उसे पता भी नही था...अब तक काव्या को पता नही चल पाया था की उसकी टाँगो के बीच विक्की नही बल्कि कोई और है..और ये सब देखते हुए अपने मोबाइल में उनकी हरकतें रिकॉर्ड करता हुआ विक्की काफ़ी खुश था..
खिड़की मे बैठे हुए विक्की को काव्या का शरीर सॉफ दिख रहा था..वो अपनी आँखे बंद करके अपनी चूत चुस्वाई का मज़ा ले रही थी...उसके दोनो स्तन उपर की तरफ थे जिनपर लगी हुई घुंडियां पॉपकॉर्न के दाने की तरह फूल कर उभरी हुई थी..
जब लड़की मस्ती मे आकर अपनी चूत चुस्वा रही होती है तो उसके चेहरे पर आ रहे एक्शप्रेशन देखने का अपना ही मज़ा होता है..
और विक्की तो उन्हे देख भी रहा था और रिकॉर्ड भी कर रहा था.
और विक्की का बाप अपने काम में मस्त था..
ओस की बूँदों की तरह हल्की नमी उभर आती थी काव्या की चूत पर हर 5 सेकंड में .
जिसे देवीलाल बड़े ही प्यार से निहारता और फिर अपने होंठों के शिकंजे में फँसा कर उन्हे अपने मुँह मे खींच लेता..
देवी लाल ने जब उसे चूसा तो उसके होंठों के बीच उसकी क्लिट भी आ गयी ,जिसे उसने जोर से भींच डाला , अपनी क्लिट पर हमला होता देखकर काव्या का शरीर अकड़ने लगा..और उसने अपनी दोनो टांगे देवीलाल की गर्दन में फँसाई और उसे अपने शिकंजे मे दबोच लिया..
और ये सब करते हुए उसकी आँखे बुरी तरह से भींची हुई थी...शायद वो अंदर ही अंदर ये सोच रही थी की उसकी चूत चूसने वाला विक्की नही बल्कि उसका सौतेला बाप समीर है...जिसके बारे मे सोच-सोचकर आजकल उसकी हालत खराब है..इसलिए वो अपनी आँखे खोलकर नही देख रही थी, जिसका फायदा देवीलाल और विक्की उठा रहे थे.
एक बार फिर काव्या की क्लिट को जब देवीलाल ने अपने शिकंजे मे लिया तो वो कसमसा उठी और उसने अपना पूरा ज़ोर लगा कर देवीलाल को घुमा दिया और उसकी गर्दन को बेड पर टीका दिया और खुद उपर की तरफ आ गयी..
अब विक्की का बाप बेड पर आधा लेटा हुआ था और उसका मुँह उपर की तरफ था..जिस पर काव्या ने अपनी चूत को ऐसे चिपका रखा था मानो उसके थ्रू उसकी साँसे चल रही हो..
वो अपनी चूत से देवीलाल के होंठों को बुरी तरह से मसल रही थी..अपनी चूत को उसके चेहरे पर नचा रही थी..और अंदर से निकल रही शहद की बूँदों को धीरे-2 उसके मुँह मे पहुँचा रही थी.
देवीलाल ने उसकी जांघे पकड़ी और अपना मुँह उपर करते हुए उसकी बेरी के बेर तोड़ लिए...यानी एक जोरदार हमला करके सीधा उसकी क्लिट के दाने को मुँह मे दबोच लिया और उसे अंगूर के दाने की तरह चूसने लगा..
''ऊऊऊऊऊऊऊऊओह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... क्या बात है ................ उम्म्म्ममममममम ....ऐसे ही ........... येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ...इसको सक्क करो............... ज़ोर ज़ोर से ............. ओफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ...... ऐसे ही .................. उम्म्म्ममममममममममममम .....''
और अगले ही पल आह आह्ह्ह करती हुई वो उसके खुले हुए मुँह के अंदर झड़ने लगी..
देवीलाल ने एक भी शहद की बूँद बेकार नही जाने दी...सारी मिठास को उसने अपने अंदर समेट लिया..और पी गया..
और बुरी तरह से झड़कर काव्या हांफती हुई फिर से बेड पर गिर गयी...और अपनी चूत पर उंगलियाँ फिराकर वहाँ से निकल रही चिपचिपाहट का मज़ा लेने लगी..
अभी भी उसकी गुलाबी चूत से बूँद-2 करता हुआ गाड़ा रस बाहर निकल रहा था..
खिड़की मे बैठे विक्की ने अपना मोबाइल बंद किया, उसके पास अब काव्या की चूत चुसाई का 10 मिनट का एम एम एस था...जिसके ज़रिए वो उसे बाद में ब्लेकमैइल कर सकता था..
उसने अपने बाप को बाहर आने का इशारा किया..ना चाहते हुए भी देवीलाल भारी कदमों से बाहर चल दिया..
दरवाजा कब खुला, कब देवीलाल बाहर गया और विक्की अंदर आया, काव्या को कुछ पता नही था..
वो तो अपनी ही दुनिया मे खोई हुई सी अपनी चूत से निकल रहे पानी पर उंगलियाँ चला रही थी..
बेचारी को ये भी पता नही चल पाया की उसकी चूत को वो बूढ़ा कुत्ता चूस कर चला गया..
देवीलाल अंदर वाले कमरे में जाकर छिप गया...ताकि जब काव्या बाहर जाए तो वो उसे देख ना सके..
थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद काव्या उठ खड़ी हुई, उसने टाइम देखा, 7 बजने वाले थे ....उसने जल्दी से कपड़े पहनने शुरू किए...विक्की सामने की चेयर पर बैठा हुआ उसे कपड़े पहनते हुए देख रहा था...और सिगरेट के कश खींच रहा था...
काव्या ने जल्दी-2 कपड़े पहने और विक्की को बाय बोलकर बाहर निकल गयी....और बाहर जाकर अपनी गाड़ी में बैठी और सरपट घर की तरफ गाड़ी दौड़ा दी...
आज वो काफ़ी खुश थी...क्योंकि उसके मोबाइल में कुछ ऐसा था जिसका फयदा उठाकर वो अपनी माँ को डरा धमका कर दूर रख सकती थी...ताकि वो खुद अपने बाप के साथ खुल कर मज़े ले सके..
और कुछ ऐसा ही समीर के पास भी था जिसे दिखाकर वो काव्या के साथ मज़े ले सकने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र था..
अब देखना ये था की क्या ये सब इतना आसान था जितना की ये दोनो सोच रहे थे..
क्योंकि रश्मि एक पत्नी और माँ दोनो थी..
और कोई भी पत्नी ऐसा कभी नही चाहती की उसके पति पर किसी और का हक़ हो...और ना ही कोई माँ ये चाहेगी की उसकी बेटी अपनी जिंदगी अपने से दुगनी उम्र के मर्द के लिए बर्बाद कर दे..
रश्मि अपने हिस्से के तो हर मज़े ले चुकी थी..पर दूसरों को उतनी ही आसानी से मज़े लेने देगी, ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा..
काव्या जब घर पहुँची तो 9 बजने वाले थे...वो काफ़ी थक चुकी थी...सुबह से 4-5 बार झड़ने के बाद और स्वीमिंग पूल में रहने से उसके बदन का पोर-2 दुख रहा था...
दरवाजा समीर ने खोला..वो तो कब से उसके वापिस आने का वेट कर रहा था...रश्मि तो कब की सो चुकी थी, वो भी काफ़ी थक कर आई थी..इसलिए अपने कमरे मे जाकर घोड़े बेच कर सो गयी..
पर समीर को चैन नही था..वो तो बस काव्या के घर आने का वेट कर रहा था..और जैसे ही उसने दरवाजा खोलकर काव्या को देखा, वो आगे बढ़कर उसके गले से लग गया..
काव्या का नर्म जिस्म उसकी बलशाली भुजाओं मे आकर पिस सा गया...और वो कसमसा उठी..
काव्या : "उम्म्म्ममममम पापा ........ मन तो कर रहा है ती आप मुझे निचोड़ डालो अभी .... पर पूरी बॉडी टूट सी रही है मेरी.... आई एम फीलिंग टायर्ड ....''
वैसे तो समीर के शरीर की सुगंध काव्या को उत्तेजित कर रही थी...पर काफ़ी थकी होने की वजह से वो उस मूमेंट को एंजाय नही कर पा रही थी...
समीर : "ओल्ले मेरा बेबी .....थक गयी है.... कोई बात नही ... पापा के पास इसका भी इलाज है.... चलो आओ मेरे साथ....''
समीर ने काव्या का हाथ पकड़ा और उसे लेकर उपर की तरफ चल दिया..
सेकेंड फ्लोर पर उनका एक गेस्ट रूम था... समीर काव्या को लेकर वहीं आ गया..
वहां तो काव्या भी सिर्फ़ एक-दो बार ही आई थी...वहां एक टेबल था, जहाँ अक्सर समीर अपने नौकर से बॉडी मसाज करवाता था
अंदर आते ही समीर ने पीछे से काव्या की कमर मे हाथ डाल कर उसे पकड़ लिया और गर्दन पर एक गीली सी पप्पी दे डाली..
''उम्म्म्मममममममममम पापा ........... ...... मन तो मेरा भी आज बहुत था ..... पर मै थकी हूँ आज ....''
समीर : "तुम्हारी थकान उतारने के लिए ही तो मैं तुम्हे यहाँ लाया हू ....चलो अपने कपड़े उतारो सारे ...''
काव्या उसकी बात सुनकर चोंक गयी ...और अपनी आँखे गोल-2 घुमाते हुए बोली : "यू नॉटी पापा .... बोला ना मैने... आज कुछ नही ....कल पक्का ....''
समीर हंसते हुए : "कल की कल देखेंगे...आज तो मैं सिर्फ़ तुम्हारी बॉडी मसाज कर रहा हू ...ताकि तुम्हारी थकान उतर जाए...और कल तुम फ्रेश होकर मेरे पास आओ....''
''नोओओओओओओओओओओओओओओओ .... मैं नहीं ....... ''
समीर : "कम ओंन ............. इट विल बी फन .......... तुम्हे अच्छा लगेगा ........... एक बार मसाज करवा कर तो देखो मुझसे ......''
काव्या की आँखे लाल होने लगी थी, ये सोच-सोचकर की मसाज करते हुए क्या-2 होगा...
मन तो उसका भी करने लग गया था वो एहसास लेने का...पर फिर भी उसने एक आख़िरी कोशिश की : "पर ....वो .... मम्मी .....''
समीर : "उसकी फ़िक्र मत करो....वो नीचे गहरी नींद मे सो रही है....और अगर वो उपर की तरफ आएगी तो मुझे पहले ही पता चल जाएगा... ''
और उसने अपने मोबाइल पर ड्रॉयिंग रूम के कैमरे का सीन चला कर ऑन कर दिया और उसे सामने रख दिया..
पर काव्या अभी भी सकुचा रही थी...ऐसे कैसे एक दम से समीर के कहने पर वो नंगी हो जाए...
समीर : "क्या सोचने लगी तुम..... पहली बार तो नही हो रही मेरे सामने नंगी.... चलो , जल्दी करो... वरना तुम्हारी मम्मी उठ जाएगी तो बेकार के ड्रामे होंगे यहा ...''
ड्रामों से उसका मतलब था की वो चीखेगी, हंगामा करेगी की उसकी बेटी के साथ ये सब क्या कर रहे हो और मजबूरन समीर को वो वीडियो उसे दिखना पड़ेगा जिसमे वो उसके दोस्त लोकेश से चुदवा रही थी अभी कुछ देर पहले...
काव्या : "तो आप नही मनोगे.... ह्म्*म्म्ममम''
ये उसका भी समर्पण था समीर के लिए के लिए
समीर ने हँसते हुए ना में सिर हिला दिया...
काव्या : "ओके ..... बट बी इन युअर लिमिट ....आज मै काफ़ी थकी हुई हूँ ... और आज सिर्फ़ आपको मेरी थकान उतारनी है, और कुछ नही ...''
वो ये इसलिए कह रही थी क्योंकि वो चाहती थी की जब वो पहली बार चुदे तो उसके अंदर पूरी तरह से एनर्जी भरी हुई हो... एक साथ 3-4 बार चुदवाना चाहती थी वो लगातार पहली ही बार में ...और आज तो उसके अंदर शायद एक-दो बूंदे ही बची थी उसके रस की, बाकी तो सारी निकाल चुकी थी वो सुबह से विक्की के जरिये ....
उसने अपनी टी शर्ट को पकड़ा और धीरे-2 उपर करते हुए उतारना शुरू कर दिया...
ब्रा तो उसने पहनी ही नही थी...इसलिए ब्लू कलर की टी शर्ट को उतारते ही उसके भरे हुए से स्तन उछलते हुए से बाहर निकल आए...
ना चाहते हुए भी समीर के मुँह से एक आह निकल गयी...उन्हे कैसे चूसेगा..कैसे मसलेगा..कैसे खाएगा, वो बस यही सोचने लगा..
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देवीलाल की आँखे चौड़ी और मुँह खुला हुआ था...जो नज़ारा वो पिछले आधे घंटे से खिड़की से छुप कर देख रहा था वो अब बिल्कुल उसकी आँखो के सामने था..इतना रसीला और जवानी से भरा बदन देखकर उसके मुँह से लार निकल कर सीधा काव्या की जाँघ पर गिर गयी..और वो सुलग उठी..
''सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ..... उम्म्म्ममममममममम ..... ओह विक्कीईइ''
ऐसा लगा जैसे जल रही लकड़ी के उपर किसी ने पानी की बूँद गिरा दी हो...ऐसी चटक आवाज़ निकली थी काव्या के मुँह से...
देवीलाल ने अपनी जीभ उसकी जाँघ पर उसी जगह पर रखी और उसकी केले के तने जैसी जाँघ को चाटता हुआ उपर की तरफ आने लगा..
और उसके टच को काव्या महसूस करके ये भी नही जान पाई की ये विक्की नही बल्कि उसका बाप है..अब ठरक तो उसके उपर भी चढ़ी हुई थी,ऐसे में तो वो सिर्फ़ मज़े लेने के मूड में थी, और मज़े देने वाला इस वक़्त कौन है उसकी तहकीकात करने का वक़्त नही था उसके पास...वैसे भी विक्की ने ये सब इतनी सफाई से किया था की शक करने का कोई सवाल ही नही उठता था
काव्या अपने दोनो हाथ अपने सिर के उपर रखकर फड़फड़ाते हुए होंठों से गर्म साँसे छोड़ते हुए विक्की (देवीलाल) की जीभ का अपनी चूत पर लगने का वेट कर रही थी..
पर वो बड़े ही मज़े ले-लेकर सब काम कर रहा था..अब ऐसी जवानी रोज-2 तो मिलती नही है चाटने के लिए..इसलिए वो हर इंच को चाट रहा था..अपने होंठों से उस जगह के माँस को दबोच कर ऐसे चूस रहा था जैसे उसमे से रस निकल कर उसके मुँह में जा रहा है...पर साथ ही साथ काव्या की चूत से निकल रही गंध भी उसे मदहोश कर रही थी..और उसे जल्द से जल्द अपनी तरफ आने को कह रही थी..वो अपनी जीभ से उसकी जाँघ पर पैंटिंग बनाते हुए उसी तरफ चल दिया..और जब वो काव्या के ज्वालामुखी के मुहाने पर पहुँचा तो उसके होंठ भी झुलस से गये अंदर से निकल रही आँच से..पर उसी के लिए तो वो कब से तड़प रहा था, इसलिए उसने एक गहरी साँस ली और कूद पड़ा उसकी चूत के अंदर..और उसके बिलखते हुए चूत के होंठों को अपने मुँह में भरकर उसने जोरदार तरीके से उन्हे चूस डाला..
''आआआआययययीीईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ...... उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ..... जानवर ना बनो विक्की .....................धीरे -2 सक्क करो................... प्यार से............... उम्म्म्मममममममममममम''
अब उस पगली को भला ये कौन समझाए की ये विक्की नही बल्कि उसका बाप है जो अपने दिल की इच्छा पूरी होते देखकर कुछ ज़्यादा ही तेश में आकर उसकी चूत को चूस रहा था..वो भला क्या जाने की चूत कैसे चूसी जाती है...ऐसे खेल में प्यार दिखाकर भला क्या मिलेगा इसका तो उसे पता भी नही था...अब तक काव्या को पता नही चल पाया था की उसकी टाँगो के बीच विक्की नही बल्कि कोई और है..और ये सब देखते हुए अपने मोबाइल में उनकी हरकतें रिकॉर्ड करता हुआ विक्की काफ़ी खुश था..
खिड़की मे बैठे हुए विक्की को काव्या का शरीर सॉफ दिख रहा था..वो अपनी आँखे बंद करके अपनी चूत चुस्वाई का मज़ा ले रही थी...उसके दोनो स्तन उपर की तरफ थे जिनपर लगी हुई घुंडियां पॉपकॉर्न के दाने की तरह फूल कर उभरी हुई थी..
जब लड़की मस्ती मे आकर अपनी चूत चुस्वा रही होती है तो उसके चेहरे पर आ रहे एक्शप्रेशन देखने का अपना ही मज़ा होता है..
और विक्की तो उन्हे देख भी रहा था और रिकॉर्ड भी कर रहा था.
और विक्की का बाप अपने काम में मस्त था..
ओस की बूँदों की तरह हल्की नमी उभर आती थी काव्या की चूत पर हर 5 सेकंड में .
जिसे देवीलाल बड़े ही प्यार से निहारता और फिर अपने होंठों के शिकंजे में फँसा कर उन्हे अपने मुँह मे खींच लेता..
देवी लाल ने जब उसे चूसा तो उसके होंठों के बीच उसकी क्लिट भी आ गयी ,जिसे उसने जोर से भींच डाला , अपनी क्लिट पर हमला होता देखकर काव्या का शरीर अकड़ने लगा..और उसने अपनी दोनो टांगे देवीलाल की गर्दन में फँसाई और उसे अपने शिकंजे मे दबोच लिया..
और ये सब करते हुए उसकी आँखे बुरी तरह से भींची हुई थी...शायद वो अंदर ही अंदर ये सोच रही थी की उसकी चूत चूसने वाला विक्की नही बल्कि उसका सौतेला बाप समीर है...जिसके बारे मे सोच-सोचकर आजकल उसकी हालत खराब है..इसलिए वो अपनी आँखे खोलकर नही देख रही थी, जिसका फायदा देवीलाल और विक्की उठा रहे थे.
एक बार फिर काव्या की क्लिट को जब देवीलाल ने अपने शिकंजे मे लिया तो वो कसमसा उठी और उसने अपना पूरा ज़ोर लगा कर देवीलाल को घुमा दिया और उसकी गर्दन को बेड पर टीका दिया और खुद उपर की तरफ आ गयी..
अब विक्की का बाप बेड पर आधा लेटा हुआ था और उसका मुँह उपर की तरफ था..जिस पर काव्या ने अपनी चूत को ऐसे चिपका रखा था मानो उसके थ्रू उसकी साँसे चल रही हो..
वो अपनी चूत से देवीलाल के होंठों को बुरी तरह से मसल रही थी..अपनी चूत को उसके चेहरे पर नचा रही थी..और अंदर से निकल रही शहद की बूँदों को धीरे-2 उसके मुँह मे पहुँचा रही थी.
देवीलाल ने उसकी जांघे पकड़ी और अपना मुँह उपर करते हुए उसकी बेरी के बेर तोड़ लिए...यानी एक जोरदार हमला करके सीधा उसकी क्लिट के दाने को मुँह मे दबोच लिया और उसे अंगूर के दाने की तरह चूसने लगा..
''ऊऊऊऊऊऊऊऊओह एसस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स... क्या बात है ................ उम्म्म्ममममममम ....ऐसे ही ........... येसस्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स ...इसको सक्क करो............... ज़ोर ज़ोर से ............. ओफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ...... ऐसे ही .................. उम्म्म्ममममममममममममम .....''
और अगले ही पल आह आह्ह्ह करती हुई वो उसके खुले हुए मुँह के अंदर झड़ने लगी..
देवीलाल ने एक भी शहद की बूँद बेकार नही जाने दी...सारी मिठास को उसने अपने अंदर समेट लिया..और पी गया..
और बुरी तरह से झड़कर काव्या हांफती हुई फिर से बेड पर गिर गयी...और अपनी चूत पर उंगलियाँ फिराकर वहाँ से निकल रही चिपचिपाहट का मज़ा लेने लगी..
अभी भी उसकी गुलाबी चूत से बूँद-2 करता हुआ गाड़ा रस बाहर निकल रहा था..
खिड़की मे बैठे विक्की ने अपना मोबाइल बंद किया, उसके पास अब काव्या की चूत चुसाई का 10 मिनट का एम एम एस था...जिसके ज़रिए वो उसे बाद में ब्लेकमैइल कर सकता था..
उसने अपने बाप को बाहर आने का इशारा किया..ना चाहते हुए भी देवीलाल भारी कदमों से बाहर चल दिया..
दरवाजा कब खुला, कब देवीलाल बाहर गया और विक्की अंदर आया, काव्या को कुछ पता नही था..
वो तो अपनी ही दुनिया मे खोई हुई सी अपनी चूत से निकल रहे पानी पर उंगलियाँ चला रही थी..
बेचारी को ये भी पता नही चल पाया की उसकी चूत को वो बूढ़ा कुत्ता चूस कर चला गया..
देवीलाल अंदर वाले कमरे में जाकर छिप गया...ताकि जब काव्या बाहर जाए तो वो उसे देख ना सके..
थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद काव्या उठ खड़ी हुई, उसने टाइम देखा, 7 बजने वाले थे ....उसने जल्दी से कपड़े पहनने शुरू किए...विक्की सामने की चेयर पर बैठा हुआ उसे कपड़े पहनते हुए देख रहा था...और सिगरेट के कश खींच रहा था...
काव्या ने जल्दी-2 कपड़े पहने और विक्की को बाय बोलकर बाहर निकल गयी....और बाहर जाकर अपनी गाड़ी में बैठी और सरपट घर की तरफ गाड़ी दौड़ा दी...
आज वो काफ़ी खुश थी...क्योंकि उसके मोबाइल में कुछ ऐसा था जिसका फयदा उठाकर वो अपनी माँ को डरा धमका कर दूर रख सकती थी...ताकि वो खुद अपने बाप के साथ खुल कर मज़े ले सके..
और कुछ ऐसा ही समीर के पास भी था जिसे दिखाकर वो काव्या के साथ मज़े ले सकने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र था..
अब देखना ये था की क्या ये सब इतना आसान था जितना की ये दोनो सोच रहे थे..
क्योंकि रश्मि एक पत्नी और माँ दोनो थी..
और कोई भी पत्नी ऐसा कभी नही चाहती की उसके पति पर किसी और का हक़ हो...और ना ही कोई माँ ये चाहेगी की उसकी बेटी अपनी जिंदगी अपने से दुगनी उम्र के मर्द के लिए बर्बाद कर दे..
रश्मि अपने हिस्से के तो हर मज़े ले चुकी थी..पर दूसरों को उतनी ही आसानी से मज़े लेने देगी, ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा..
काव्या जब घर पहुँची तो 9 बजने वाले थे...वो काफ़ी थक चुकी थी...सुबह से 4-5 बार झड़ने के बाद और स्वीमिंग पूल में रहने से उसके बदन का पोर-2 दुख रहा था...
दरवाजा समीर ने खोला..वो तो कब से उसके वापिस आने का वेट कर रहा था...रश्मि तो कब की सो चुकी थी, वो भी काफ़ी थक कर आई थी..इसलिए अपने कमरे मे जाकर घोड़े बेच कर सो गयी..
पर समीर को चैन नही था..वो तो बस काव्या के घर आने का वेट कर रहा था..और जैसे ही उसने दरवाजा खोलकर काव्या को देखा, वो आगे बढ़कर उसके गले से लग गया..
काव्या का नर्म जिस्म उसकी बलशाली भुजाओं मे आकर पिस सा गया...और वो कसमसा उठी..
काव्या : "उम्म्म्ममममम पापा ........ मन तो कर रहा है ती आप मुझे निचोड़ डालो अभी .... पर पूरी बॉडी टूट सी रही है मेरी.... आई एम फीलिंग टायर्ड ....''
वैसे तो समीर के शरीर की सुगंध काव्या को उत्तेजित कर रही थी...पर काफ़ी थकी होने की वजह से वो उस मूमेंट को एंजाय नही कर पा रही थी...
समीर : "ओल्ले मेरा बेबी .....थक गयी है.... कोई बात नही ... पापा के पास इसका भी इलाज है.... चलो आओ मेरे साथ....''
समीर ने काव्या का हाथ पकड़ा और उसे लेकर उपर की तरफ चल दिया..
सेकेंड फ्लोर पर उनका एक गेस्ट रूम था... समीर काव्या को लेकर वहीं आ गया..
वहां तो काव्या भी सिर्फ़ एक-दो बार ही आई थी...वहां एक टेबल था, जहाँ अक्सर समीर अपने नौकर से बॉडी मसाज करवाता था
अंदर आते ही समीर ने पीछे से काव्या की कमर मे हाथ डाल कर उसे पकड़ लिया और गर्दन पर एक गीली सी पप्पी दे डाली..
''उम्म्म्मममममममममम पापा ........... ...... मन तो मेरा भी आज बहुत था ..... पर मै थकी हूँ आज ....''
समीर : "तुम्हारी थकान उतारने के लिए ही तो मैं तुम्हे यहाँ लाया हू ....चलो अपने कपड़े उतारो सारे ...''
काव्या उसकी बात सुनकर चोंक गयी ...और अपनी आँखे गोल-2 घुमाते हुए बोली : "यू नॉटी पापा .... बोला ना मैने... आज कुछ नही ....कल पक्का ....''
समीर हंसते हुए : "कल की कल देखेंगे...आज तो मैं सिर्फ़ तुम्हारी बॉडी मसाज कर रहा हू ...ताकि तुम्हारी थकान उतर जाए...और कल तुम फ्रेश होकर मेरे पास आओ....''
''नोओओओओओओओओओओओओओओओ .... मैं नहीं ....... ''
समीर : "कम ओंन ............. इट विल बी फन .......... तुम्हे अच्छा लगेगा ........... एक बार मसाज करवा कर तो देखो मुझसे ......''
काव्या की आँखे लाल होने लगी थी, ये सोच-सोचकर की मसाज करते हुए क्या-2 होगा...
मन तो उसका भी करने लग गया था वो एहसास लेने का...पर फिर भी उसने एक आख़िरी कोशिश की : "पर ....वो .... मम्मी .....''
समीर : "उसकी फ़िक्र मत करो....वो नीचे गहरी नींद मे सो रही है....और अगर वो उपर की तरफ आएगी तो मुझे पहले ही पता चल जाएगा... ''
और उसने अपने मोबाइल पर ड्रॉयिंग रूम के कैमरे का सीन चला कर ऑन कर दिया और उसे सामने रख दिया..
पर काव्या अभी भी सकुचा रही थी...ऐसे कैसे एक दम से समीर के कहने पर वो नंगी हो जाए...
समीर : "क्या सोचने लगी तुम..... पहली बार तो नही हो रही मेरे सामने नंगी.... चलो , जल्दी करो... वरना तुम्हारी मम्मी उठ जाएगी तो बेकार के ड्रामे होंगे यहा ...''
ड्रामों से उसका मतलब था की वो चीखेगी, हंगामा करेगी की उसकी बेटी के साथ ये सब क्या कर रहे हो और मजबूरन समीर को वो वीडियो उसे दिखना पड़ेगा जिसमे वो उसके दोस्त लोकेश से चुदवा रही थी अभी कुछ देर पहले...
काव्या : "तो आप नही मनोगे.... ह्म्*म्म्ममम''
ये उसका भी समर्पण था समीर के लिए के लिए
समीर ने हँसते हुए ना में सिर हिला दिया...
काव्या : "ओके ..... बट बी इन युअर लिमिट ....आज मै काफ़ी थकी हुई हूँ ... और आज सिर्फ़ आपको मेरी थकान उतारनी है, और कुछ नही ...''
वो ये इसलिए कह रही थी क्योंकि वो चाहती थी की जब वो पहली बार चुदे तो उसके अंदर पूरी तरह से एनर्जी भरी हुई हो... एक साथ 3-4 बार चुदवाना चाहती थी वो लगातार पहली ही बार में ...और आज तो उसके अंदर शायद एक-दो बूंदे ही बची थी उसके रस की, बाकी तो सारी निकाल चुकी थी वो सुबह से विक्की के जरिये ....
उसने अपनी टी शर्ट को पकड़ा और धीरे-2 उपर करते हुए उतारना शुरू कर दिया...
ब्रा तो उसने पहनी ही नही थी...इसलिए ब्लू कलर की टी शर्ट को उतारते ही उसके भरे हुए से स्तन उछलते हुए से बाहर निकल आए...
ना चाहते हुए भी समीर के मुँह से एक आह निकल गयी...उन्हे कैसे चूसेगा..कैसे मसलेगा..कैसे खाएगा, वो बस यही सोचने लगा..
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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