FUN-MAZA-MASTI
सौतेला बाप--48
अब आगे
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और बाहर की दुनिया से बेख़बर ये दोनो नही जानते थे की उनकी हर हरकत को कोई देख रहा है...और वो था विक्की का ठरकी बाप देवीलाल, जो उस वक़्त भी घर पर ही था जब दोनो अंदर आए थे , बाथरूम में मुठ मार रहा था वो...और अपनी भूलने की आदत की वजह से बाहर का दरवाजा बंद करना भूल गया था..और विक्की ने समझा की उसका बाप कहीं बाहर गया है इसलिए वो खुलकर काव्या के साथ ऐसे मज़े ले रहा था, जैसे पूरा घर खाली है ...वैसे तो वो अपने बाप का भी लिहाज नही करता था ऐसे कामों में ..पर एक शर्म का परदा होता है जिसकी वजह से विक्की अपने बाप के सामने खुलकर ऐसे काम नही करता था जो बच्चो को माँ -बाप के सामने नही करने चाहिए...पर शायद आज वो परदा भी गिरने वाला था..
जब देवीलाल मूठ मारकर बाहर निकला तो उसने देखा की विक्की के रूम का दरवाजा बंद है, और तभी उसको अंदर से लड़की की सिसकारी सुनाई दी....और वो समझ गया की आज फिर से उसका बेटा किसी को घर लेकर आया है...
पिछली बार की बात उसके जहन में एकदम से आ गयी जब रश्मि उनके घर आई थी....पर विक्की के घर पर ना होने का फायदा उठाकर उसने रश्मि के साथ मज़े लिए थे...उसको चूमा था..चूसा था..शराब भी पिलाई थी उसको अपने होंठों से..और उसकी चूत में अपना लंड भी डाला था , पर पूरी चुदाई से पहले ही वो नशे के कारण बेहोश हो गयी थी और विक्की भी आ गया था...और आज फिर से अपने बेटे के कमरे से लड़की की आवाज़ सुनकर वो कान लगाकर अंदर से आ रही आवाज़ें सुनने की कोशिश करने लगा..ये सोचकर की शायद आज भी कुछ खाने को मिल जाए..
पर सिर्फ़ आवाज़ें सुनकर वो काम नही चलाना चाहता था...वो कमरे के पीछे की तरफ गया, जहाँ पर गैलरी की खिड़की बंद थी..पर हल्की सी झिर्री से अंदर देखा जा सकता था...और उसकी बगल की दूसरी खिड़की उपर से टूटी हुई थी, जिसकी रोशनी अंदर तक जा रही थी और विक्की उसी हल्की रोशनी की वजह से सब देख पा रहा था..
अंदर झाँककर जब देवी लाल ने देखा की विक्की के साथ कौन है तो उसके मुँह से पानी टपक गया...ये तो काव्या थी...उसी रश्मि की बेटी जिसके साथ उसने पिछली बार मज़े लिए थे....उनके मोहल्ले में रहकर जा चुकी थी, इसलिए उसको झट से पहचान लिया, काव्या को तो उसने अपनी आँखो के सामने जवान होते देखा था...जवान तो क्या सिर्फ़ कली बनते देखा था...पर आज उसके लगभग नंगे शरीर को देखकर लग रहा था की वो कली भी फूल बनने लायक हो चुकी है...इतना नशीला बदन उसने तो सपने में भी नही देखा था..
विक्की ने काव्या की जीन्स उतार दी..और फिर अपने दांतो से खींचकर उसकी पेंटी भी...
उसकी पेंटी को नीचे करते ही उसकी चूत का रसीलापन उसे नज़र आ गया...जिसने पेंटी के अंदर अपना रस छोड़ा हुआ था...
विक्की ने अपना मुँह नीचे किया और और उसकी पेंटी के अंदर जमा हुआ मीठा और गाड़ा रस चूस लिया...और उसी लपलपाती जीभ को उसने धीरे-2 काव्या की कसी हुई चूत के अंदर धकेलना शुरू कर दिया..
''अहह .... ओफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ विक्की ............. धीरे ...........''
उसने विक्की के सिर को पकड़कर पीछे धकेलने की कोशिश की पर साथ ही साथ उसके बालो को पकड़कर वापिस अंदर भी घुसा लिया...
विक्की की जीभ बाहर निकली और दुगनी तेज़ी से एक ही बार मे अंदर घुस गयी..
विक्की की गर्म जीभ उसकी छूट मे गर्म छुरी की तरह घुस गयी...और काव्या का मुँह गोल होकर रह गया और अंदर से एक लंबी किल्कारी निकल गयी..
''ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओह विक्की................. ओह एसस्सस्स''
विक्की ने अपने दोनो हाथ उसके मुम्मों पर रखे और उसकी जांघे अपने कंधे पर...और जीभ से उसकी चूत की चुदाई करनी शुरू कर दी..
कभी ज़ोर से अंदर डालता और कभी धीरे से...कभी दाँत से उसकी चूत के होंठ पकड़ता और कभी होंठों से...जीभ से उसकी क्लिट को उभारता और होंठों से उसकी नमी चूस लेता..
उसका हर वार काव्या को उत्तेजना के शिखर पर ले जा रहा था... वो बस अपनी छातियाँ उभारकर उसकी गर्म जीभ का मजा लेती रही
पर जैसे ही वो झड़ने के करीब पहुँची, विक्की रुक गया और उठ खड़ा हुआ..
काव्या : "नोssssss विक्की ..... रूको मत प्लीज़..... पूरा करो ..और करो....मुझे मज़ा आ रहा था ....करो ना प्लीज़ssssssssssssssssssssssssssssss .....''
पर विक्की खड़ा होकर मुस्कुराता रहा उसके सामने...और अपने खड़े हुए लंड को मसलने लगा...
काव्या समझ गयी की विक्की क्या चाहता है...पहले वो उसकी सेवा करे फिर वो उसको इस कसमसाहट से मुक्ति देगा..
वो झटके से उठी और झपट कर उसने विक्की के लंड को पकड़ लिया...
और उसकी आँखो मे देखती हुई काव्या ने अपना मुँह खोला और अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसके काले लंड को चाटने लगी...अपनी जीभ के गर्म लावे से उसको चमकाने लगी..उसकी सजावट करने लगी..
और फिर किसी भूखी कुतिया की तरह उसने उस माँस के खड़े हुए टुकड़े को एक ही झटके में अपने खुले हुए मुँह के अंदर ले लिया...और अपने होंठों का फाटक बंद करके उसे ज़ोर-2 से सक्क करने लगी..
विक्की की आँखे बंद हो गयी और वो अपने पंजों पर खड़ा होकर सिसकार उठा..
''अहहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..... ओह ..काव्याssssssssssssssssssss .............. मज़ा आ गया.... ''
काव्या ने उसके लंड को बाहर निकाला, अपनी जीभ से चाटा और बोली : "मज़ा तो अब आएगा...''
और फिर उसने उसकी बॉल्स को चाटना शुरू कर दिया..
ये ऐसी हरकत थी उसकी , जिसे महसूस करके विक्की तो साँतवे आसमान पर पहुँच गया और उसे देखकर खिड़की के पीछे छुपे हुए देवीलाल को हार्ट अटैक आते-2 बचा..
वो भी सोचने लगा की आजकल के बच्चे कितने मज़े ले-लेकर ये सब करते हैं..उनके जमाने में तो पूरे कपड़े भी नही उतारते थे ढंग से...और सेक्स को सिर्फ़ बच्चे पैदा करने का साधन समझा जाता था..ऐसे एन्जॉय नहीं करते थे वो लोग
आजकल के लड़के - लड़कियाँ कितने मज़े से एक दूसरे को चूसते हैं...कोई शरम नही..कोई परहेज नही...बस दूसरे को जो खुशी मिले, उसमें अपनी खुशी ढूँढते हैं...काश वो भी आजकल की पीढ़ी का होता तो ये सब मज़े वो भी ले सकता...
और वैसे भी किसी कच्ची कली की चूत को चूसने का तो उसका बरसों पुराना सपना था..जब से उसने एक बी एफ मूवी में एक बुड्ढे को अपनी पोती की उम्र की लड़की की बुर चूसते देखा था, तभी से वो भी ये करना चाहता था..
उसकी तो जीभ लपलपाने लगी काव्या की चूसने के लिए...पर बेचारा सिवाए देखने के और कुछ कर ही नही सकता था.
काव्या तो पागल हो चुकी थी अंदर...वो उसके गुलाब जामुनों को ऐसे चूस रही थी जैसे सच मे उनमे से चाशनी निकल रही है...
उसकी बॉल्स को अपने होंठों मे भरकर वो ज़ोर से चुप्पा मारती ..अंदर की गोटियों को एक-एक करके अलग से चूस रही थी वो..जब वो उसे बाहर छोड़ती तो पक्क की जोरदार आवाज निकलती
और यही हरकत विक्की को उसके झड़ने के बिल्कुल करीब ले गयी...अब आप खुद ही सोचो, जब कोई ज़बरदस्ती गोडाउन में जाकर अंदर के माल को बाहर धकेलेगा तो बंदा कब तक अपने आप को रोकेगा, विक्की के गोडाउन यानी उसकी बॉल्स में पड़ा हुआ माल भी काव्या के मुँह की मार से ना बच सका और आग उगलता हुआ बाहर की तरफ बढ़ने लगा..
और फिर एक जोरदार झटके के साथ वो सारे बाँध तोड़ता हुआ काव्या के चेहरे पर बरस गया...
गरमा गरम सफेद माल की चादर से उसने काव्या के चेहरे को सजाना शुरू कर दिया...जितना हो सकता था काव्या ने उसको अपने मुँह के अंदर लिया..और बाकी से अपना फेशियल करा लिया...
उसका ऐसा सेक्सी चेहरा देखकर देवी लाल का बुरा हाल था...उम्र काफ़ी हो चुकी थी, इसलिए मुठ मारने के बाद अभी तक उसका लंड दोबारा जगा नही था..पर उसे मसलकर वो जगाने की कोशिश ज़रूर कर रहा था...
काव्या तो धम्म से वापिस बेड पर जा गिरी...उसकी आँखों पर भी सफेद माल की चादर बिछी थी...जिसपर उँगलियाँ चला कर वो माल को अपने मुँह मे ले जा रही थी..
अब उसका नंबर था...और वो अपनी टांगे फेलाए नंगी पड़ी हुई विक्की के मुँह का अपनी चूत पर लगने का इंतजार कर रही थी..
और विक्की झुक भी गया था नीचे की तरफ...अपना निकलवाने के बाद वो थोड़ा ढीला भी हो गया था..पर वो जानता था की काव्या को झाड़ना भी जरूरी है अगर वो उसके साथ बाद में दोबारा वैसे ही मज़े लेना चाहता है तो उसे ये करना ही पड़ेगा अभी ..
पर जैसे ही वो नीचे झुका, उसे खिड़की की तरफ से हल्की सी आवाज़ सुनाई दी..उसके कान चौकन्ने हो उठे..विक्की ने गोर से देखा तो उसे झिर्री के पीछे कुछ हिलता हुआ सा दिखाई दिया, वो समझ गया की कोई वहाँ छुपकर उन्हे देख रहा है..पर कौन हो सकता है, उसका बाप तो घर पर ही नही था और बाहर का दरवाजा वो खुद बंद करके आया था...कहीं पड़ोस मे रहने वाले शर्मा अंकल तो छत्त टाप कर उसके घर नही आ गये..वो धीरे से उठा और बाहर की तरफ चल दिया..
काव्या ने पहले उसके हाथों को अपनी जाँघ पर महसूस किया और फिर उन्हे छोड़कर विक्की को बाहर जाते देखा तो वो सिसक उठी और बोली : "नोओओओओ विक्की, मुझे ऐसी हालत में छोड़कर मत जाओ....सक्क मीssssssssssssssssssssss ....करो ना प्लीज़....''
विक्की ने उसे धीरे से कहा : "बस बैबी, एक मिनट में आया..''
और वो दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया, और पीछे रह गयी अंधेरे कमरे मे नंगी पड़ी हुई काव्या.
विक्की भागकर पीछे की तरफ गया, तब तक देवीलाल भी समझ गया था की शायद विक्की को शक हो गया है, इसलिए वो बाहर आ रहा है, इसलिए वो भी वहाँ से भागकर बाहर की तरफ चल दिया, पर वहाँ जाने का और निकलने का सिर्फ़ एक ही रास्ता था, इसलिए विक्की और उसका बाप बीच गैलरी में एक दूसरे के सामने खड़े थे..
दोनो एक दूसरे को घूर कर देखते रहे
अंत मे विक्की बोला : "शरम तो नही आती आपको बापू, ऐसे मेरे कमरे में छुपकर देख रहे थे ''
देवीलाल : "इसमे शरम की क्या बात है , तेरी बीबी थोड़े ही है जो मैं उसको ऐसे देख नही सकता...ये तो काव्या है ना, उसी रश्मि की बेटी जिसको तूने फँसा रखा है...''
उसकी ये बात सुनकर विक्की के तो तोते उड़ गये, वो समझ नही पाया की उसके बाप को उसके और रश्मि के बारे में कैसे पता चला..
पर वो बेकार की बहस करके और शर्मिंदा नही होना चाहता था..इसलिए उसने मुँह झुका लिया..
और धीरे से बोला : "जो भी है बापू, ये आपको शोभा नही देता...''
अब देवी लाल भी अपने नाटक पर उतर आया और लगभग रोते हुए बोला : "बेटा , जब से तेरी माँ गयी है ना, मेरी तो हालत ही खराब है...तुझे मैं बता नही सकता की रातों को सोते हुए मेरी क्या हालत होती है...बड़ा मन करता है की किसी के साथ प्यार करू...कुछ करू..पर कुछ हो नही सकता...''
विक्की समझ गया की उसके बुड्ढे बाप पर ठरक चढ़ी हुई है...और वो ये भी जानता था की 50-60 के बीच की ऐसी उम्र मे आकर अक्सर ऐसी ठरक उठती ही है..
अचानक देवीलाल उसके पैरों मे गिर गया : "बेटा, मेरी मदद कर दे...मुझे भी कुछ करने दे इसके साथ....मेरा कुछ भला हो जाएगा बेटा...कुछ करने दे मुझे भी बेटा...''
उसकी बात सुनकर विक्की का तो दिमाग़ ही ठनक गया...उसका ठरकी बाप काव्या के साथ मज़े लेने की बात कर रहा था उससे...ये जानते हुए भी की वो उसके बेटे के साथ आई है, वो उससे मज़े लेने की बात कर रहा था...
उसे तो बड़ा गुस्सा आया...पर अगले ही पल उसका दिल पसीज गया...अपने बाप की हालत देखकर, उसकी बाते सुनकर..क्योंकि वो भी अपनी जगह सही था...उसकी आँखों में आँसू थे..और वो गिड़गिड़ा रहा था थोड़े से मज़े लेने के लिए...
विक्की ने सोचा की अगर वो ऐसा करने दे तो उसका क्या बिगड़ेगा...वैसे भी अंदर काफ़ी अंधेरा था..खुद तो वो मजे ले ही चुका था, ऐसे में देवी लाल को अगर अपनी जगह भेज भी देता है तो काव्या पहचान नही पाएगी..वो तो अंदर अपनी चूत के चटवाने का वेट कर रही है...अगर वो पकड़ा भी गया तो अंदर आकर वो बात संभाल लेगा...
विक्की : "अच्छा अच्छा , ठीक है बापू, पर मेरी एक बात गोर से सुन ले...मेरे काम मे टाँग अड़ाना बंद कर दे तू अब...मैं तुझे आज इसके साथ मज़े लेने की इजाज़त दे रहा हू...पर इसके साथ तू सिर्फ़ एक ही काम कर पाएगा...''
देवी लाल तो इतना सुनकर ही खुशी के मारे उठ खड़ा हुआ और बोला : "बोल बेटा, जो तू कहेगा मैं करने को तैयार हूँ ...तू बस बोल दे...''
अब वो बात करते हुए विक्की भी शरमा रहा था...भला अपने बाप को वो कैसे बोले ...पर फिर भी बोलना तो था ही...इसलिए वो एक ही झटके मे बोला : "बापू, तू सिर्फ़ उसे नीचे से चाटियो ..चूसियो ...और कुछ ना करियो छोरी के साथ...और करते हुए चुप रहियो ताकि वो ये समझे की ये सब मैं ही कर रहा हू...तू नही..उसको शक हो जाए तो फ़ौरन बाहर निकल आइयो...समझा...''
देवीलाल समझ गया...अंधेरे का फायदा उठाकर विक्की अपनी जगह उसे अंदर भेजना चाहता था..ये भी सही था...और सबसे सही तो ये था की उसे उसकी चूत चाटने के लिए ही बोल रहा था वो...वैसे भी वो खुद भी यही चाहता था , उसका तो बरसों पुराना सपना पूरा होने जा रहा था, कुँवारी लड़की की चूत को चूसने का...
और वैसे भी थोड़ी देर पहले ही वो मूठ मारकर आया था, इसलिए चुदाई के लिए तो वो खुद भी तैयार नही था अभी...
बस उसकी चूत पर आई मलाई को चाटकार ही मज़े लेना चाहता था वो..
और फिर अच्छी तरह से समझा बुझा कर विक्की ने अपने बाप को कमरे में धकेल दिया..अंधेरे कमरे में वो सिर्फ़ एक अक्स जैसा ही दिख रहा था...खिड़की की हल्की रोशनी में देवीलाल को काव्या का नंगा जिस्म दिख ही गया..
जो अभी तक अपनी आँखों के उपर जमी हुई मलाई को खुरछ-2 कर खा रही थी..उसकी आँखे बंद थी..पर दरवाजे के खुलने और बंद होने से वो समझ गयी की विक्की वापिस आ गया है..और उसके हाथों की उंगलियाँ फिर से उसकी रसीली चूत के उपर रगड़ खाने लगी..
काव्या : "ओह विक्की, कितनी देर लगा दी.....अब जल्दी से आओ....और चाटो मेरी चूत को....चूसो इसको....''
देवीलाल के सामने नंगी पड़ी थी काव्या...अपनी आँखे बंद करे हुए...
वो अपनी घोड़े जैसी जीभ को लेकर चल दिया...उसकी चूत की तरफ..
और खिड़की के पीछे बैठा विक्की ये सब रिकॉर्ड कर रहा था अपने मोबाइल पर...उसके दिमाग में अब एक नया आईडिया आ चुका था
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और बाहर की दुनिया से बेख़बर ये दोनो नही जानते थे की उनकी हर हरकत को कोई देख रहा है...और वो था विक्की का ठरकी बाप देवीलाल, जो उस वक़्त भी घर पर ही था जब दोनो अंदर आए थे , बाथरूम में मुठ मार रहा था वो...और अपनी भूलने की आदत की वजह से बाहर का दरवाजा बंद करना भूल गया था..और विक्की ने समझा की उसका बाप कहीं बाहर गया है इसलिए वो खुलकर काव्या के साथ ऐसे मज़े ले रहा था, जैसे पूरा घर खाली है ...वैसे तो वो अपने बाप का भी लिहाज नही करता था ऐसे कामों में ..पर एक शर्म का परदा होता है जिसकी वजह से विक्की अपने बाप के सामने खुलकर ऐसे काम नही करता था जो बच्चो को माँ -बाप के सामने नही करने चाहिए...पर शायद आज वो परदा भी गिरने वाला था..
जब देवीलाल मूठ मारकर बाहर निकला तो उसने देखा की विक्की के रूम का दरवाजा बंद है, और तभी उसको अंदर से लड़की की सिसकारी सुनाई दी....और वो समझ गया की आज फिर से उसका बेटा किसी को घर लेकर आया है...
पिछली बार की बात उसके जहन में एकदम से आ गयी जब रश्मि उनके घर आई थी....पर विक्की के घर पर ना होने का फायदा उठाकर उसने रश्मि के साथ मज़े लिए थे...उसको चूमा था..चूसा था..शराब भी पिलाई थी उसको अपने होंठों से..और उसकी चूत में अपना लंड भी डाला था , पर पूरी चुदाई से पहले ही वो नशे के कारण बेहोश हो गयी थी और विक्की भी आ गया था...और आज फिर से अपने बेटे के कमरे से लड़की की आवाज़ सुनकर वो कान लगाकर अंदर से आ रही आवाज़ें सुनने की कोशिश करने लगा..ये सोचकर की शायद आज भी कुछ खाने को मिल जाए..
पर सिर्फ़ आवाज़ें सुनकर वो काम नही चलाना चाहता था...वो कमरे के पीछे की तरफ गया, जहाँ पर गैलरी की खिड़की बंद थी..पर हल्की सी झिर्री से अंदर देखा जा सकता था...और उसकी बगल की दूसरी खिड़की उपर से टूटी हुई थी, जिसकी रोशनी अंदर तक जा रही थी और विक्की उसी हल्की रोशनी की वजह से सब देख पा रहा था..
अंदर झाँककर जब देवी लाल ने देखा की विक्की के साथ कौन है तो उसके मुँह से पानी टपक गया...ये तो काव्या थी...उसी रश्मि की बेटी जिसके साथ उसने पिछली बार मज़े लिए थे....उनके मोहल्ले में रहकर जा चुकी थी, इसलिए उसको झट से पहचान लिया, काव्या को तो उसने अपनी आँखो के सामने जवान होते देखा था...जवान तो क्या सिर्फ़ कली बनते देखा था...पर आज उसके लगभग नंगे शरीर को देखकर लग रहा था की वो कली भी फूल बनने लायक हो चुकी है...इतना नशीला बदन उसने तो सपने में भी नही देखा था..
विक्की ने काव्या की जीन्स उतार दी..और फिर अपने दांतो से खींचकर उसकी पेंटी भी...
उसकी पेंटी को नीचे करते ही उसकी चूत का रसीलापन उसे नज़र आ गया...जिसने पेंटी के अंदर अपना रस छोड़ा हुआ था...
विक्की ने अपना मुँह नीचे किया और और उसकी पेंटी के अंदर जमा हुआ मीठा और गाड़ा रस चूस लिया...और उसी लपलपाती जीभ को उसने धीरे-2 काव्या की कसी हुई चूत के अंदर धकेलना शुरू कर दिया..
''अहह .... ओफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ विक्की ............. धीरे ...........''
उसने विक्की के सिर को पकड़कर पीछे धकेलने की कोशिश की पर साथ ही साथ उसके बालो को पकड़कर वापिस अंदर भी घुसा लिया...
विक्की की जीभ बाहर निकली और दुगनी तेज़ी से एक ही बार मे अंदर घुस गयी..
विक्की की गर्म जीभ उसकी छूट मे गर्म छुरी की तरह घुस गयी...और काव्या का मुँह गोल होकर रह गया और अंदर से एक लंबी किल्कारी निकल गयी..
''ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊओह विक्की................. ओह एसस्सस्स''
विक्की ने अपने दोनो हाथ उसके मुम्मों पर रखे और उसकी जांघे अपने कंधे पर...और जीभ से उसकी चूत की चुदाई करनी शुरू कर दी..
कभी ज़ोर से अंदर डालता और कभी धीरे से...कभी दाँत से उसकी चूत के होंठ पकड़ता और कभी होंठों से...जीभ से उसकी क्लिट को उभारता और होंठों से उसकी नमी चूस लेता..
उसका हर वार काव्या को उत्तेजना के शिखर पर ले जा रहा था... वो बस अपनी छातियाँ उभारकर उसकी गर्म जीभ का मजा लेती रही
पर जैसे ही वो झड़ने के करीब पहुँची, विक्की रुक गया और उठ खड़ा हुआ..
काव्या : "नोssssss विक्की ..... रूको मत प्लीज़..... पूरा करो ..और करो....मुझे मज़ा आ रहा था ....करो ना प्लीज़ssssssssssssssssssssssssssssss .....''
पर विक्की खड़ा होकर मुस्कुराता रहा उसके सामने...और अपने खड़े हुए लंड को मसलने लगा...
काव्या समझ गयी की विक्की क्या चाहता है...पहले वो उसकी सेवा करे फिर वो उसको इस कसमसाहट से मुक्ति देगा..
वो झटके से उठी और झपट कर उसने विक्की के लंड को पकड़ लिया...
और उसकी आँखो मे देखती हुई काव्या ने अपना मुँह खोला और अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसके काले लंड को चाटने लगी...अपनी जीभ के गर्म लावे से उसको चमकाने लगी..उसकी सजावट करने लगी..
और फिर किसी भूखी कुतिया की तरह उसने उस माँस के खड़े हुए टुकड़े को एक ही झटके में अपने खुले हुए मुँह के अंदर ले लिया...और अपने होंठों का फाटक बंद करके उसे ज़ोर-2 से सक्क करने लगी..
विक्की की आँखे बंद हो गयी और वो अपने पंजों पर खड़ा होकर सिसकार उठा..
''अहहह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..... ओह ..काव्याssssssssssssssssssss .............. मज़ा आ गया.... ''
काव्या ने उसके लंड को बाहर निकाला, अपनी जीभ से चाटा और बोली : "मज़ा तो अब आएगा...''
और फिर उसने उसकी बॉल्स को चाटना शुरू कर दिया..
ये ऐसी हरकत थी उसकी , जिसे महसूस करके विक्की तो साँतवे आसमान पर पहुँच गया और उसे देखकर खिड़की के पीछे छुपे हुए देवीलाल को हार्ट अटैक आते-2 बचा..
वो भी सोचने लगा की आजकल के बच्चे कितने मज़े ले-लेकर ये सब करते हैं..उनके जमाने में तो पूरे कपड़े भी नही उतारते थे ढंग से...और सेक्स को सिर्फ़ बच्चे पैदा करने का साधन समझा जाता था..ऐसे एन्जॉय नहीं करते थे वो लोग
आजकल के लड़के - लड़कियाँ कितने मज़े से एक दूसरे को चूसते हैं...कोई शरम नही..कोई परहेज नही...बस दूसरे को जो खुशी मिले, उसमें अपनी खुशी ढूँढते हैं...काश वो भी आजकल की पीढ़ी का होता तो ये सब मज़े वो भी ले सकता...
और वैसे भी किसी कच्ची कली की चूत को चूसने का तो उसका बरसों पुराना सपना था..जब से उसने एक बी एफ मूवी में एक बुड्ढे को अपनी पोती की उम्र की लड़की की बुर चूसते देखा था, तभी से वो भी ये करना चाहता था..
उसकी तो जीभ लपलपाने लगी काव्या की चूसने के लिए...पर बेचारा सिवाए देखने के और कुछ कर ही नही सकता था.
काव्या तो पागल हो चुकी थी अंदर...वो उसके गुलाब जामुनों को ऐसे चूस रही थी जैसे सच मे उनमे से चाशनी निकल रही है...
उसकी बॉल्स को अपने होंठों मे भरकर वो ज़ोर से चुप्पा मारती ..अंदर की गोटियों को एक-एक करके अलग से चूस रही थी वो..जब वो उसे बाहर छोड़ती तो पक्क की जोरदार आवाज निकलती
और यही हरकत विक्की को उसके झड़ने के बिल्कुल करीब ले गयी...अब आप खुद ही सोचो, जब कोई ज़बरदस्ती गोडाउन में जाकर अंदर के माल को बाहर धकेलेगा तो बंदा कब तक अपने आप को रोकेगा, विक्की के गोडाउन यानी उसकी बॉल्स में पड़ा हुआ माल भी काव्या के मुँह की मार से ना बच सका और आग उगलता हुआ बाहर की तरफ बढ़ने लगा..
और फिर एक जोरदार झटके के साथ वो सारे बाँध तोड़ता हुआ काव्या के चेहरे पर बरस गया...
गरमा गरम सफेद माल की चादर से उसने काव्या के चेहरे को सजाना शुरू कर दिया...जितना हो सकता था काव्या ने उसको अपने मुँह के अंदर लिया..और बाकी से अपना फेशियल करा लिया...
उसका ऐसा सेक्सी चेहरा देखकर देवी लाल का बुरा हाल था...उम्र काफ़ी हो चुकी थी, इसलिए मुठ मारने के बाद अभी तक उसका लंड दोबारा जगा नही था..पर उसे मसलकर वो जगाने की कोशिश ज़रूर कर रहा था...
काव्या तो धम्म से वापिस बेड पर जा गिरी...उसकी आँखों पर भी सफेद माल की चादर बिछी थी...जिसपर उँगलियाँ चला कर वो माल को अपने मुँह मे ले जा रही थी..
अब उसका नंबर था...और वो अपनी टांगे फेलाए नंगी पड़ी हुई विक्की के मुँह का अपनी चूत पर लगने का इंतजार कर रही थी..
और विक्की झुक भी गया था नीचे की तरफ...अपना निकलवाने के बाद वो थोड़ा ढीला भी हो गया था..पर वो जानता था की काव्या को झाड़ना भी जरूरी है अगर वो उसके साथ बाद में दोबारा वैसे ही मज़े लेना चाहता है तो उसे ये करना ही पड़ेगा अभी ..
पर जैसे ही वो नीचे झुका, उसे खिड़की की तरफ से हल्की सी आवाज़ सुनाई दी..उसके कान चौकन्ने हो उठे..विक्की ने गोर से देखा तो उसे झिर्री के पीछे कुछ हिलता हुआ सा दिखाई दिया, वो समझ गया की कोई वहाँ छुपकर उन्हे देख रहा है..पर कौन हो सकता है, उसका बाप तो घर पर ही नही था और बाहर का दरवाजा वो खुद बंद करके आया था...कहीं पड़ोस मे रहने वाले शर्मा अंकल तो छत्त टाप कर उसके घर नही आ गये..वो धीरे से उठा और बाहर की तरफ चल दिया..
काव्या ने पहले उसके हाथों को अपनी जाँघ पर महसूस किया और फिर उन्हे छोड़कर विक्की को बाहर जाते देखा तो वो सिसक उठी और बोली : "नोओओओओ विक्की, मुझे ऐसी हालत में छोड़कर मत जाओ....सक्क मीssssssssssssssssssssss ....करो ना प्लीज़....''
विक्की ने उसे धीरे से कहा : "बस बैबी, एक मिनट में आया..''
और वो दरवाजा खोलकर बाहर निकल गया, और पीछे रह गयी अंधेरे कमरे मे नंगी पड़ी हुई काव्या.
विक्की भागकर पीछे की तरफ गया, तब तक देवीलाल भी समझ गया था की शायद विक्की को शक हो गया है, इसलिए वो बाहर आ रहा है, इसलिए वो भी वहाँ से भागकर बाहर की तरफ चल दिया, पर वहाँ जाने का और निकलने का सिर्फ़ एक ही रास्ता था, इसलिए विक्की और उसका बाप बीच गैलरी में एक दूसरे के सामने खड़े थे..
दोनो एक दूसरे को घूर कर देखते रहे
अंत मे विक्की बोला : "शरम तो नही आती आपको बापू, ऐसे मेरे कमरे में छुपकर देख रहे थे ''
देवीलाल : "इसमे शरम की क्या बात है , तेरी बीबी थोड़े ही है जो मैं उसको ऐसे देख नही सकता...ये तो काव्या है ना, उसी रश्मि की बेटी जिसको तूने फँसा रखा है...''
उसकी ये बात सुनकर विक्की के तो तोते उड़ गये, वो समझ नही पाया की उसके बाप को उसके और रश्मि के बारे में कैसे पता चला..
पर वो बेकार की बहस करके और शर्मिंदा नही होना चाहता था..इसलिए उसने मुँह झुका लिया..
और धीरे से बोला : "जो भी है बापू, ये आपको शोभा नही देता...''
अब देवी लाल भी अपने नाटक पर उतर आया और लगभग रोते हुए बोला : "बेटा , जब से तेरी माँ गयी है ना, मेरी तो हालत ही खराब है...तुझे मैं बता नही सकता की रातों को सोते हुए मेरी क्या हालत होती है...बड़ा मन करता है की किसी के साथ प्यार करू...कुछ करू..पर कुछ हो नही सकता...''
विक्की समझ गया की उसके बुड्ढे बाप पर ठरक चढ़ी हुई है...और वो ये भी जानता था की 50-60 के बीच की ऐसी उम्र मे आकर अक्सर ऐसी ठरक उठती ही है..
अचानक देवीलाल उसके पैरों मे गिर गया : "बेटा, मेरी मदद कर दे...मुझे भी कुछ करने दे इसके साथ....मेरा कुछ भला हो जाएगा बेटा...कुछ करने दे मुझे भी बेटा...''
उसकी बात सुनकर विक्की का तो दिमाग़ ही ठनक गया...उसका ठरकी बाप काव्या के साथ मज़े लेने की बात कर रहा था उससे...ये जानते हुए भी की वो उसके बेटे के साथ आई है, वो उससे मज़े लेने की बात कर रहा था...
उसे तो बड़ा गुस्सा आया...पर अगले ही पल उसका दिल पसीज गया...अपने बाप की हालत देखकर, उसकी बाते सुनकर..क्योंकि वो भी अपनी जगह सही था...उसकी आँखों में आँसू थे..और वो गिड़गिड़ा रहा था थोड़े से मज़े लेने के लिए...
विक्की ने सोचा की अगर वो ऐसा करने दे तो उसका क्या बिगड़ेगा...वैसे भी अंदर काफ़ी अंधेरा था..खुद तो वो मजे ले ही चुका था, ऐसे में देवी लाल को अगर अपनी जगह भेज भी देता है तो काव्या पहचान नही पाएगी..वो तो अंदर अपनी चूत के चटवाने का वेट कर रही है...अगर वो पकड़ा भी गया तो अंदर आकर वो बात संभाल लेगा...
विक्की : "अच्छा अच्छा , ठीक है बापू, पर मेरी एक बात गोर से सुन ले...मेरे काम मे टाँग अड़ाना बंद कर दे तू अब...मैं तुझे आज इसके साथ मज़े लेने की इजाज़त दे रहा हू...पर इसके साथ तू सिर्फ़ एक ही काम कर पाएगा...''
देवी लाल तो इतना सुनकर ही खुशी के मारे उठ खड़ा हुआ और बोला : "बोल बेटा, जो तू कहेगा मैं करने को तैयार हूँ ...तू बस बोल दे...''
अब वो बात करते हुए विक्की भी शरमा रहा था...भला अपने बाप को वो कैसे बोले ...पर फिर भी बोलना तो था ही...इसलिए वो एक ही झटके मे बोला : "बापू, तू सिर्फ़ उसे नीचे से चाटियो ..चूसियो ...और कुछ ना करियो छोरी के साथ...और करते हुए चुप रहियो ताकि वो ये समझे की ये सब मैं ही कर रहा हू...तू नही..उसको शक हो जाए तो फ़ौरन बाहर निकल आइयो...समझा...''
देवीलाल समझ गया...अंधेरे का फायदा उठाकर विक्की अपनी जगह उसे अंदर भेजना चाहता था..ये भी सही था...और सबसे सही तो ये था की उसे उसकी चूत चाटने के लिए ही बोल रहा था वो...वैसे भी वो खुद भी यही चाहता था , उसका तो बरसों पुराना सपना पूरा होने जा रहा था, कुँवारी लड़की की चूत को चूसने का...
और वैसे भी थोड़ी देर पहले ही वो मूठ मारकर आया था, इसलिए चुदाई के लिए तो वो खुद भी तैयार नही था अभी...
बस उसकी चूत पर आई मलाई को चाटकार ही मज़े लेना चाहता था वो..
और फिर अच्छी तरह से समझा बुझा कर विक्की ने अपने बाप को कमरे में धकेल दिया..अंधेरे कमरे में वो सिर्फ़ एक अक्स जैसा ही दिख रहा था...खिड़की की हल्की रोशनी में देवीलाल को काव्या का नंगा जिस्म दिख ही गया..
जो अभी तक अपनी आँखों के उपर जमी हुई मलाई को खुरछ-2 कर खा रही थी..उसकी आँखे बंद थी..पर दरवाजे के खुलने और बंद होने से वो समझ गयी की विक्की वापिस आ गया है..और उसके हाथों की उंगलियाँ फिर से उसकी रसीली चूत के उपर रगड़ खाने लगी..
काव्या : "ओह विक्की, कितनी देर लगा दी.....अब जल्दी से आओ....और चाटो मेरी चूत को....चूसो इसको....''
देवीलाल के सामने नंगी पड़ी थी काव्या...अपनी आँखे बंद करे हुए...
वो अपनी घोड़े जैसी जीभ को लेकर चल दिया...उसकी चूत की तरफ..
और खिड़की के पीछे बैठा विक्की ये सब रिकॉर्ड कर रहा था अपने मोबाइल पर...उसके दिमाग में अब एक नया आईडिया आ चुका था
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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