Saturday, January 10, 2015

FUN-MAZA-MASTI बीवी का मायका-17

FUN-MAZA-MASTI

 बीवी का मायका-17


 अब मुझे समझ में आया कि उस दिन मेरे ताईजी को चोदते वक्त क्यों ललित की आंखें मुझपर जमी थीं. मुझे लगा था कि मेरे लंड को घूर रहा है, और वैसे वो सच भी था पर साथ साथ उसे मेरे नंगे बॉटम का भी व्यू मिल रहा था.

"ठीक है मेरे राजा ... मेरी रानी ... पर एक शर्त है. अबसे दो घंटे तेरे ... जो चाहे कर ले मेरे साथ. उसके बाद सारी रात मेरी ... मैं कुछ भी करूं तेरे साथ, तू चुपचाप करवा लेगा"

"मंजूर है जीजाजी"



 मेरे सारे कपड़े निकाल कर उसने पहले मुझे विग पहनाया. शोल्डर लेन्ग्थ काले बालों का विग था. मैं आइने में देखना चाहता था पर उसने मना कर दिया, बोला पूरा तैयार होने पर ही देखने दूंगा. उसके बाद उसने मेरे लंड को पकड़कर कहा "इसको जरा छिपाना पड़ेगा जीजाजी, इसलिये जरा टाइट इलेस्टिक वाली पैंटी ढूंढी है मैंने लीना दीदी की."

पैंटी टाइट थी, मेरे लिये छोटी थी, इसलिये और कसी हुई लग रही थी. मेरे लंड को पेट से सटा कर ऊपर से पैंटी का इलेस्टिक फ़िट कर दिया कि वह काबू में रहे, ज्यादा बड़ा तंबू ना बनाये.

उसके बाद ललित ने मुझे हाइ हील सैंडल पहनाये. क्या पता कहां से लाया था, सिल्वर कलर के, जरा जरा से नाजुक पट्टों वाले और चार इंच हील के. उनको पहनकर मुझे बड़ा अजीब लगने लगा, ऐसा लगा जैसे पंजों पर खड़ा हूं. चलकर देखा तो ऐसा लगा कि गिर पड़ूंगा.

"ललित डार्लिंग, ये मैं नहीं पहन सकता, वहां बाहर ड्राइंग रूम तक जाना भी मुश्किल लग रहा है, गिर पड़ूंगा जरूर"

"जीजाजी, मैं तो आपके साथ पूरी बंबई घूमी ऐसे सैंडल पहनकर, और आप बस घर के अंदर भी नहीं पहन सकते?" कहकर ललित मुझसे चिपक गया "जीजाजी, आप चलते हैं तो क्या लचकती है कमर आपकी"

मैंने कहा "चलो मेरी जान, तुम्हारी खातिर यह भी सही."

फ़िर उसने मुझे ब्रा पहनाने की तैयारी की. सफ़ेद ब्रा थी पर एकदम महंगी. लेस लगी हुई. स्ट्रैप्स भी एकदम अच्छे क्वालिटी के इलेस्टिक के थे. ब्रा के कपों में उसने स्पंज की दो कोनिकल शेप के स्पंज के गोले लगाये.

"यह कहां से लाया? यह भी खरीदे क्या?"

"ये आसानी से नहीं मिलते जीजाजी, और सेल्स गर्ल्स से मैं मिनिमम बोलना चाहता था कि आवाज पर से न पकड़ा जाऊं. वैसे मैंने आवाज लड़की जैसी बारीक कर ली थी. ये स्पंज के गोले तो मैंने आज दोपहर बनाये, वहां स्टोर रूम में पुराना पैकिंग बॉक्स था, उसमें स्पंज था. वो ले लिया"

उसने मुझे ब्रा पहनाई और स्ट्रैप तान कर पीछे से बकल लगा दिया.

"बहुत टाइट है डार्लिंग" मैंने कहा.

"साइज़ ३८ नहीं मिली मेरे मन की जीजाजी. इसलिये ३६ ले आया. और टाइट ब्रा मस्त दिखती है आपको. देखिये स्ट्रैप्स कैसे गड़ रहे हैं आपकी पीठ में. सेक्सी!" उसने मेरी पीठ का चुंबन लेते हुए कहा.

"हो गया?" मैंने पूछा.

"अभी नहीं जीजाजी, लिपस्टिक बाकी है"

"अब मैं लिपस्टिक विपस्टिक नहीं लगाऊंगा यार" मैं थोड़ा नाराज हुआ तो ललित मेरे पास आकर मुझसे लिपट गया और पंजों के बल खड़े होकर मुझे किस किया जैसे लड़कियां करती हैं, उसका एक हाथ मेरी पैंटी में छुपे लंड को सहला रहा था. मेरा रहा सहा गुस्सा ठंडा हो गया. फ़िर चुपचाप जाकर वह गहरे लाल रंग की लिपस्टिक ले आया. बड़े जतन से धीरे धीरे उसने मुझे लिपस्टिक लगायी. "अब देखिये आइने में"

मैंने देखा तो बहुत अजीब लगा. याने मैं बड़ा विद्रूप दिख रहा था ऐसा नहीं था. भले ललित की टक्कर की ना हो, पर ठीक ठाक ऊंचे पूरी भरे बदन की अधनंगी सेक्सी औरत जैसा जरूर दिख रहा था. पर किसी सुंदर खानदानी औरत जैसा नहीं, एक नंबर की चुदैल औरत जैसा. मेरा वह रूप देखकर अजीब लगते हुए भी मेरा कस के खड़ा हो गया.

ललित मेरे लंड पर पैंटी के ऊपर से हाथ फेरते हुए बोला "देखा जीजाजी! आप को भी मजा आ गया. मैं कहता था ना कि आप मस्त सेक्सी दिखेंगे"

"यार, खड़ा मेरे खुद को देख कर नहीं हुआ है, यह सोच कर हुआ है कि अब तू मेरे साथ क्या करने वाला है और मैं तेरे साथ क्या करने वाला हूं" मैंने अपने लंड को दबाने की कोशिश करते हुए कहा.

"पर जीजाजी ..." ललित बोला "मैं जो करूंगा वो आज यहां ..." मेरे नितंब पकड़कर वह बोला "फ़िर यह ..." मेरे लंड को पकड़कर उसने कहा "कैसे मस्त हो गया?"

"अब मैं क्या जानूं रानी, वैसे दोनों का रिश्ता तो है, एक खुश तो दूसरा भी खुश"

"और अब आज आपको अनिता आंटी कहूंगा जीजाई. चलिये अब बाहर चलिये, सोफ़े पर." मुझे लिपट कर उसने कस के मेरा चुंबन लिया और खींच कर बाहर ले गया, मैं हाइ हीलों पर बैलेंस करता हुआ किसी तरह उसके पीछे हो लिया, मन में सोचा कि ’ललित राजा, अब बहुत गर्मी चढ़ रही है तेरे को, उतारना पड़ेगी.’ पर उसके पहले उसको मैं अपने मन की करने देना चाहता था.


मुझे सोफ़े पर बिठाकर ललित अंदर जाकर फ़्रिज से वही मख्खन का डिब्बा ले आया. "बड़ी जोर शोर से तैयारी चल रही है ललिता डार्लिंग, आज लगता है मेरी खैर नहीं"

"और क्या अनिता आंटी! आज आप कस के चुदने वाली हैं" ललित बोला. उसने जाकर मूवी शुरू की और हम दोनों सोफ़े पर बैठकर लिपटकर आपस में मस्ती के करम करते हुए मूवी देखने लगे. ट्रानी मूई थी. याने एक ट्रानी और एक जवान मर्द. स्टोरी वोरी कुछ नहीं थी, बस सीधे गांड मारना, लंड चूसना वगैरह शुरू हो गया. वह ट्रानी भी एकदम क्यूट और सेक्सी थी, एशियन लेडीबॉय कहते हैं वह वाली. पर उसका लंड अच्छा खासा था. चूमा चाटी करते करते, एक दूसरे की ब्रा के कप मसलते हुए हम देखते रहे. जब वह ट्रानी उस मर्द पर चढ़कर उसकी गांड मारने लगी, तो ललित मानों पागल सा हो गया. मुझे नीचे सोफ़े पर गिराकर मुझपर चढ़ कर मुझे बेतहाशा चूमने लगा.

एक मिनिट में उठ कर बोला "ऐसे ही पड़े रहिये जीजाजी - सॉरी अनिता आंटी" उसने कहा और फ़िर मेरी पैंटी नीचे कर दी. मेरे पीछे बैठकर वह अब मेरे चूतड़ों को दबाने लगा. "एकदम मस्त गोरे गोरे मसल वाले कसे चूतड़ हैं आंटी" वह बोला और फ़िर झुक कर उनको चूमने लगा. अब लीना भी कभी कभी प्यार में जब मेरे बदन को किस करती है तो कई बार नितंबों पर भी करती है. पर ललित के चुंबनों में खास धार थी. चूमते चूमते उसने अपने होंठ मेरे गुदा पर लगाये और किस कर लिया. फ़िर जीभ से गुदगुदाने लगा. मुझे गुदगुदी हुई और मैंने उसका सिर हटा दिया. वह कुछ नहीं बोला पर उसकी आंखों में अब तेज कामना चमक रही थी. उसने डिब्बा खोला और मेरे गुदा में मख्खन चुपड़ने लगा. फ़िर उंगली अंदर डाल डाल कर मख्खन अंदर तक लगाने लगा.

"अरे बस रानी ... कितनी उंगली करेगी? और इस पैंटी में छेद नहीं किया जैसा कल मौसी ने तेरी पैंटी में किया था" मैं बोला. उसकी उंगली जब जब मेरी गांड में गहरी जाती थी, बड़ी अजीब सी गुदगुदी होती थी.

"अभी तो मख्खन और भरूंगी जीजाजी, वो मौसी ने कितना सारा मख्खन डाला था अंदर. आप चोद रहे थे तो कैसी ’पुच’ ’पुच’ आवाज हो रही थी. आज वैसी ही आवाज आपको चोदते वक्त ना निकाली तो मेरा नाम ललिता नहीं. अब जरा झुक कर सोफ़े को पकड़कर खड़ी हो जाइये अनिता आंटी"

मैंने फ़िर कहा "वो छेद क्यों नहीं किया ये तो बता"

"मुझे आप के गोरे गोरे चूतड़ अच्छे लगते हैं, इसलिये चोदते वक्त उनको देखना चाहता हूं, अब चलिये और खड़े हो जाइये"

"मेरी रानी, तू तो फ़ुल साड़ी में है अब तक. कपड़े तो निकाल" मैंने पोज़िशन लेते हुए कहा. एक बार और मख्खन उंगली पर लेकर मेरी गांड में उंगली डालता हुआ ललित बोला "साड़ी नहीं निकालूंगा जीजाजी, साड़ी ऊपर कर के ऐसे ही आप को चोद लूंगा. एकदम सेक्सी लगेगा. जरा आइने में तो देखिये"

मैंने बाजू के शेल्फ़ में लगे आइने में देखा. उसमें हम दोनों दिख रहे थे. साड़ी पहनी हुई एक युवती एक अधनंगी हट्टी कट्टी औरत की गांड में उंगली कर रही थी यह सीन था. अजीब टाबू करम कर रहा हूं यह जानकर मेरा और जम के खड़ा हो गया.

मैं झुक कर सोफ़े की पीठ पकड़कर खड़ा हो गया. ललित मेरे पीछे खड़ा हुआ और अपनी साड़ी ऊपर कर ली. फ़िर अपनी पैंटी थोड़ी बाजू में करके उसने अपना लंड बाहर निकाला. उसका वह पांच इंच का गोरा लंड काफ़ी सूज गया था और उछल रहा था.

मैंने कहा "अपने शिश्न पर मख्खन नहीं लगायेंगे प्राणनाथ? आपकी दासी को थोड़ी आसानी होगी"

ललित हंसने लगा "आप भी जीजाजी ... " पर उसने थोड़ा मख्खन अपने सुपाड़े पर चुपड़ लिया. फ़िर सुपाड़ा मेरे छेद पर रखकर दबाने लगा. मैंने भी सोचा कि उसे जरा हेल्प कर दूं इसलिये अपनी गांड जरा ढीली की. ललित का लंड पक्क से आधा अंदर घुस गया. मुझे भी एकदम टाइट फ़ीलिंग हुई.

’अं .. आह ... जीजाजी ... अनिता आंटी ... क्या टाइट गांड है आपकी" ललित मस्ती में चहक कर बोला.

"होगी ही ललिता रानी, आखिर तेरी ये अनिता आंटी भी कुवारी है इस मामले में" मैंने कहा और फ़िर थोड़ा धक्का दिया पीछे की तरह जैसे मेरे को मजा आ रहा हो. उधर अब वह ट्रानी उस जवान की गांड मार रही थी और वह युवक ’बगर मी डार्लिंग ... फ़क माइ आर्स’ बड़बड़ा रहा था. ललित की अब वासना से जोर जोर से सांस चल रही थी. उसने फ़िर जोर लगाया और अगले ही पल मुझे महसूस हुआ कि उसका पूरा लंड मेरी गांड में समा गया. ऐसा लगा जैसे गांड पूरी भर गयी हो.

"जीजाजी ... प्लीज़ ... अब रहा नहीं जाता ... आपको चोद ... आपकी गांड मार लूं अब?" ललित ने पूछा. बेचारा अब भी मुझसे पूछ पूछ कर रहा था, मुझे किसी भी तरह से नाराज नहीं करना चाहता था.

"मार ना डार्लिंग ... मैंने तुझे कल पूछा था तेरी मारते वक्त? वैसे पूछता तो भी तू बोल नहीं पाता ... तेरा मुंह तो मौसी के मम्मे से भरा था"

ललित ने मेरी कमर पकड़ी और आगे पीछे होकर धक्के लगाने लगा. मुझे जरा सा दर्द हुआ पर उसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं थी, आखिर ये मेरी पहली बार थी. वैसे लीना कभी कभी चुदते वक्त मेरी गांड में उंगली करने लगती है पर उसकी वो पतली पेंसिल जैसी उंगली और यहां ललित का खड़ा जवान लंड, भले वो मुझसे काफ़ी छोटा हो, कोई कंपेरिज़न नहीं है दोनों में.

मैंने आइने में देखा तो आइने में वो अनिता आंटी की गांड मारे जाने का सीन एक लाइव ब्ल्यू फ़िल्म जैसा लग रहा था. मेरी गांड मारते मारते ललित ने हाथ बढ़ाकर मेरी ब्रा के कप पकड़ लिये और दबाते दबाते मुझे चोदने लगा. अब वे नकली स्तन थे पर मजा लेने के लिये मैं कराहने लगा "हाय रानी ... कितनी जोर से दबाती है ... पिचका देगी क्या? .... कितनी बेरहमी से मसल रहा है रे ... पर ... अच्छा लग रहा है डार्लिंग ... दबा ना मेरी छतियां और जोर से ... हां ऐसे ही ... "

ललित के धक्के तेज हो गये, साला मेरे उन बोलों से और गरमा गया था शायद. अब ललित का लंड एकदम आसानी से मेरी गांड में फिसल रहा था और ’पुच’ ’पुच’ ’पुच’ आवाज भी हो रही थी जैसी उसे चाहिये थी. मस्ती में वह झुक कर मेरी पीठ चूमने लगा. "क्या चिकनी पीठ है आपकी जीजाजी ... अनिता आंटी ... और ये ब्रा की कसी हुए पट्टी ..." मेरी ब्रा के स्ट्रैप को दांत में पकड़कर वह सिसकते हुए बोला. "बहुत मजा आ रहा है जीजाजी ... एकदम टॉप ... अं ऽ अंऽ ... आह ..."

"मजा कर ले मेरी जान ... दिल खोल कर चोद ले अपनी आंटी को ... मार ले अपने जीजाजी की गांड ... तेरी दीदी की मारते हैं ना? ... तेरी भी मारी थी कल? ... बदला ले ले आज ... तेरे मन जैसा ’पुच’ ’पुच’ कर रही है ना मेरी गांड?" उसे उकसाने को मैं अनाप शनाप बोले जा रहा था, क्योंकि वह जिस तरह से तड़प तड़प कर अब मुझे चोद रहा था, वह बड़ा मतवाला एक्सपीरियेंस था.


अचानक उसका लंड उछलने लगा "संभाल साले ... झड़ जायेगा ... अरे जरा कंट्रोल कर ...’ मैं कहता रह गया और वहां मेरी गांड के अंदर गरम गरम फवारे छूटने लगे. हांफ़ता हुआ ललित मेरी पीठ पर ही लस्त हो गया. मैंने कुछ देर उसे वैसे ही रहने दिया कि झड़ते लंड का पूरा मजा ले ले, फ़िर सीधा हुआ और मेरी गांड से उसकी लुल्ली निकालकर उसे सोफ़े पर ले गया.

"बड़ी जल्दी ढेर हो गया ललित मेरी जान. और चोदना था ना" उसे बाहों में लेकर चूमते हुए मैंने कहा. उसने कोई जवाब नहीं दिया, बस मेरी ब्रा के कपों में अपनी चेहरा छुपा लिया.

मैंने पिक्चर पॉज़ कर दिया और ललित के बदन पर हाथ फ़ेरने लगा. मेरा बहुत कस के खड़ा था, यह अच्छा मौका था उसे वहीं लिटा कर उसकी गांड मार लेने का पर मैं आज जरा ज्यादा मूड में था, सोच रहा था कि भले थोड़ा और रुकना पड़े, जब मारूंगा तो ऐसी मारूंगा कि उसे याद रहे.

ललित के मुरझाये लंड को मैंने अपनी जांघों पर रगड़ना शुरू किया और लगातार उसे किस करता रहा. जब वह थोड़ा संभला तो मैंने कहा "अब जरा पूरी पिक्चर तो दिखा ललिता जान, तू तो पहले ही ढेर हो गयी"

"लगा लीजिये ना अनिता आंटी, रिमोट तो आपके ही पास है" ललित बोला.

"ऐसे नहीं रानी, तेरी गोद में बैठ कर पिक्चर देखना चाहती है तेरी आंटी"

ललित संभलकर सोफ़े पर बैठ गया और मैं उसकी गोद में. उसके हाथ उठाकर मैंने खुद के नकली स्तनों पर रखे और मूवी चालू कर दी. अब पिक्चर में एक और ट्रानी आ गयी थी. ये जरा ऊंची पूरी यूरोपियन ट्रानी थी. दोनों मिलकर उस जवान के पीछे लगी थीं. एक अपना लंड चुसवा रही थी और एक उसकी गांड मार रही थी.

पांच मिनिट में ललित का लंड फ़िर से आधा खड़ा होकर मेरे चूतड़ों के बीच की लकीर में धंस गया, ऊपर नीचे भी हो रहा था जैसे मुझे उठाने की कोशिश कर रहा हो. "तेरी क्रेन अभी जरा छोटी है ललिता रानी, और पॉवर बढ़ा ले तो शायद अपनी आंटी को उठा सकेगी" मैंने मुड़ कर ललित को किस करके उसके कान में कहा.

ललित अब कस कर मेरी फ़ाल्सी दबा रहा था और मेरी पीठ को चूम रहा था. मैंने पांच मिनिट उसे और गरम हो जाने दिया फ़िर पूछा "ऐसे ही बैठे बैठे मारेगा मेरी ललित राजा?" ललित ने सिर हिला कर हां कहा.

"तू बैठा रह, मैं करता हूं जो करना है" मैं जरा उठा और उसके लंड को पकड़कर उसका सुपाड़ा अपने छेद पर जमाया. फ़िर धीरे से उसके तन्नाये लंड को अंदर लेता हुआ उसकी गोद में बैठ गया. ललित तुरंत ऊपर नीचे होकर मुझे चोदने लगा. मैंने घड़ी देखी, वह लड़का सिर्फ़ बीस मिनिट में फ़िर से पूरी मस्ती में आ गया था, जवानी का कमाल था.

"अब बहुत देर मारूंगी आंटी आपकी, पिछली बार तो कंट्रोल नहीं किया मैंने पर अब चोद चोद कर आपकी ना ढीली कर दी तो देखिये" मेरी गर्दन को बेतहाशा चूमते हुए ललित बोला.

मैंने सोचा थोड़ी फिरकी ली जाये लौंडे की " ललित राजा, बेट लगायेगा?"

"कैसी बेट जीजाजी? अब तो बस आपकी मारनी है मेरे को, रात भर मारूंगा आज, आप मना नहीं करेंगे"

"वही तो बेट लगा रहा हूं. अभी ये मूवी पूरी नहीं हुई है, अब बैठे बैठे जैसा मन चाहे, मेरी मार, चोद डाल मेरे को. पर मूवी खतम होने तक नहीं झड़ना."

"लगी बेट अनिता आंटी" मुझे कस के पकड़कर नीचे से धक्के मारता हुआ ललित बोला "अगर मैं जीत गया, बिना झड़े मूवी देख ली तो रात भर आप मेरे, जैसा मैं करूं, करने देंगे"

"मंजूर. और अगर झड़ गया तो उलटा होगा. मैं रात भर जो चाहे तेरे साथ करूंगा. ठीक है?"

"ऒ के जीजाजी" कहकर ललित जरा संभलकर बैठ गया. उसके धक्के थोड़े धीमे हो गये पर अब भी वो मजा ले रहा था, बस धीरे धीरे ऊपर नीचे होकर मेरी गांड में अपना लंड जरा सा अंदर बाहर कर रहा था. मैं भी नीचे ऊपर होकर जितना हो सके उसके लंड को अंदर लेने की कोशिश कर रहा था. मेरा खुद का लंड झंडे जैसा तन कर खड़ा था. सुपाड़ा पूरा पैंटी के इलेस्टिक से बाहर आ गया था और मेरे पेट पर दबा हुआ था बड़ा मीठा टॉर्चर सा हो रहा था. बार बार लगता कि ललित को पटककर चोद डालूं पर अब बेट लगा ली थी. वैसे मुझे पूरा भरोसा था कि मैं बेट जीतूंगा पर उतना समय काटना मुश्किल हो रहा था. मैंने सोचा कि अगर हार भी जाऊं तो ललित मेरे साथ जो करेगा, उसमें मेरे को भी भरपूर मजा आने ही वाला था. इसलिये अपने लंड को मैं हाथ भी नहीं लगा रहा था कि वह रास्कल बेकाबू ना हो जाये. एक दो बार जब ललित ने उसको हाथ में लिया तो उसका हाथ हटाकर अपनी नकली चूंची पर रख दिया.

वैसे मैं चाहता तो उसे एक मिनिट में झड़ा सकता था. एक दो बार गांड सिकोड़ कर मैंने उसके लंड को दुहने की प्रैक्टिस की थी. उस वक्त वो बेचारा पागल सा हो जाता, ’अं .. अं .. आह’ करने लगता, उसका लंड उस वक्त जैसे मेरी गांड में मुठियाने लगता, उससे मुझे अंदाजा हो गया था कि मेरा ऐसा करना उसे कितना उत्तेजित कर रहा था. पर मैंने सोचा कि फ़ेयर प्ले हो जाने दो, उस लौंडे को ऐसे फंसा कर मुझे उसपर करम नहीं करना थे.

काफ़ी देर ललित बेचारा कंट्रोल करता रहा पर आखिर उसकी सहन शक्ति जवाब दे गयी, वो मूवी भी ऐसी कुछ बीडीएसेम हो गयी कि उसका कंट्रोल जाता रहा. उस पिक्चर में अब उस छोटी वाली एशियन ट्रानी की मुश्कें बांध कर वह युवक कस कस के उसकी मार रहा था. दूसरी ट्रानी खड़े खड़े उसे अपना लंड चुसवा रही थी. वो छोटी ट्रानी ऐसे चीख रही थी (झूट मूट) कि गांड फटी जा रही हो. अब मूवी का मुझे अंदाजा तो था नहीं, इसलिये जो हुआ वो बिलकुल फ़ेयरली हुआ.

उस सीन को देखकर ललित ऐसा बेकाबू हुआ कि जोर लगाकर मुझे वह सोफ़े पर पटकने की कोशिश करने लगा. जब मैं जम के बैठा रहा तो नीचे से ही कस के उछल उछल कर धक्के मार मार कर मेरी गांड मारने लगा. इस बार मैंने उसे शांत करने की कोशिश नहीं की. आखिर में अपनी वासना में उसने मेरे कंधे पर दांत जमा दिये और एकदम स्खलित हो गया. हांफ़ते जोर से सांस लेते ललित की गोद में मैं बैठा रहा कि उसे पूरा मजा मिल जाये. मूवी भी खतम होने को आयी थी. पांच मिनिट में उस छोटी ट्रानी की गांड का भुरता बना कर वह मर्द भी झड़ गया और मूवी खतम हो गयी.

पीछे मुड़ कर ललित का चुंबन लेते हुए मैंने कहा "हो गया डार्लिंग ... मजा आया?"

"हां जीजाजी ... कैसा तो भी हो रहा है लंड में ... इतनी जोर से कभी नहीं झड़ा मैं" वह सांसें भरते हुए बोला.

"चल, अब अंदर चल बेडरूम में, वहां आगे की प्यार मुहब्बत करेंगे" मेरा लंड अब तक मेरी पैंटी को हटाकर बाहर आ गया था, सूज कर किसी बड़ी मोटी ककड़ी जैसा हो गया था. उसपर ललित की नजर लगी हुई थी. उसकी नजर में चाहत भी थी और डर भी. बेट हारने पर मेरा जवाबी हमला सहने की अब उसकी बारी थी.

"जीजाजी ... एकाध और मूवी देख लें? फ़िर चलेंगे अंदर" मेरी ओर बड़ी आशा से तकता हुआ ललित बोला. मैं उठ खड़ा हुआ. उसकी नजरों के सामने ही मैंने अपन तन्नाये हुए लंड पर थोड़ा मख्खन चुपड़ा और फ़िर हाथ पोछ कर ललित को बाहों में उठा लिया, किसी दुल्हन की तरह. "मूवी तो बाद में भी देख लेंगे मेरी जान, पर मेरा जो यह लौड़ा अब मुझे पागल कर रहा है और कह रहा है कि बेट जीतने पर अब चलो, मेरा इनाम मुझे दो, उसे कैसे समझाऊं ललिता डार्लिंग"
 










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