Sunday, January 18, 2015

FUN-MAZA-MASTI मेरी पसंदीदा चुदक्कड़ घोड़ी--2

FUN-MAZA-MASTI

 मेरी पसंदीदा चुदक्कड़ घोड़ी--2

 दीदी की हालत बहुत ज्यादा ख़राब हो गयी थी. दीदी की बेंच पर टांगें कांप रहीं थीं और वो अब भी रो रहीं थीं.
“ऊउह्ह्ह्ह ........दीपू........हद से ज्यादा दर्द हो रहा है........ऊऊऊऊऊ.........ऊऊऊन्न्न........ऊऊऊऊऊ.........ऊऊऊन्न्न”
“बस दीदी हो गया..........” ‘पुन्छ्ह’.... ‘पुन्छ्ह’.... ‘पुन्छ्ह’.... ‘पुन्छ्ह’....मैं दीदी की कमर पर झुक कर चुम्मी लेने लगा.
मेरा लंड गांड में घुस कर हद से ज्यादा आनंद महसूस कर रहा था. मैंने जोर से दीदी के बाल पकड़े और एक हाथ से दीदी के चूतड़ पर थप्पड़ लगाने लगा. हद से ज्यादा मज़ा आ रहा था दोस्तों. इतनी मस्त लंगड़ी लड़की की डॉगी स्टाइल में गांड मारने का मज़ा सबसे निराला था. सबसे ज्यादा उत्तेजक बात ये थी कि मैं एक लंगड़ी लड़की की गांड चोद रहा था. एक तो वो लंगड़ी थी और ऊपर से वो मेरी दीदी भी थीं. [दीदी के घर वालों को यहीं लगता था कि मैं और दीदी एक दुसरे को भाई बहन मानते हैं. दीदी रक्षाबंधन पे मुझे राखी भी बांधती थीं. पर जब दीदी मुझसे चुदने लगीं तो रक्षाबंधन पर दीदी मुझे एक नहीं दो राखी बांधती थीं. एक सबके सामने कलाई पर और दूसरी अकेले में मेरे लंड पर. लंड पर राखी बांध कर फिर दीदी घोड़ी बन जातीं थीं ताकि मैं उनकी गांड मारू. एक साल तक किसी को पता नहीं था कि मैं दीदी को चोदता हूँ. और मेरी भी ऐश आ रही थी. सबके सामने मधु मेरी ‘दीदी’ होती और अकेले में वो मेरी मस्त नंगी, लंगड़ी चुदक्कड़ कुतिया बन जाती. लंगड़ी को चोदना मेरा सबसे फेवरेट काम हो गया. मैंने खेलना भी बंद कर दिया. स्कूल से भी बंक मारना शुरू कर दिया. विडियो गेम भी खेलना बैंड कर दिया था. बस लंगड़ी का ऐसा नशा लगा हुआ था कि हर वक़्त लंगड़ी को चोदने का मन करता रहता था.]
दीदी की गांड में अपना लंड फंसा हुआ देख कर बहुत अच्छा लग रहा था. मैंने पूरा का पूरा 8 इंची लंड दीदी की गांड में जड़ तक घुसेड़ दिया था. लंड का सुपाड़ा तो लगभग दीदी के पेट में घुसा हुआ था. बहुत सताया था उस लंगड़ी की गांड ने मुझे. अब जाके पूरी हुई थी दीदी की गांड में लंड डालने की तमन्ना.
मैं लगभग 10 मिनट तक यूँ ही दीदी के गांड में लंड गाड़े खड़ा रहा क्यूंकि दीदी दर्द से बेहाल थीं. अभी तुरंत धक्के मार के गांड चोदना शुरू कर देता तो लंगड़ी बेहोश भी हो सकती थी. और इधर मेरा लंड भी बुरी तरह गरमाया हुआ था. इतनी मस्त कुंवारी गांड में लंड जल्दी से वीर्य भरने के मूड में था. पर मैं अभी दीदी को कम से कम आधा घंटा चोदना चाहता था. वैसे तो मैं लम्बी रेस का घोड़ा हूँ पर उस दिन एक तो दीदी की पहली बार गांड मारने की उत्तेजना ने और ऊपर से उस लंगड़ी की मस्ती से भरी गांड ने लंड को बिलकुल झड़ने की कगार पे ला खड़ा किया. ऊपर से दीदी गांड में लंड डलवाते टाइम ऐसे अजीब तरह से रम्भा रहीं थीं जैसे कोई गाय की बछिया रंभाती है. दीदी की इनती मस्त रंभाती हुई आवाज़ सुन के तो लंड की नसें फटने को हो रहीं थीं. इसलिए मैं लंड को गांड में डाल कर कुछ देर रुका रहा ताकि दीदी का थोड़ा दर्द कम हो जाये और मेरी थोड़ी उत्तेजना कम हो जाये.

कुछ देर ऐसे ही खड़े रहने पर दीदी अब होले होले सुबक रहीं थीं. अब सही वक़्त था जब मैं दीदी की गांड का तबियत से मज़ा ले सकता था. मैंने दीदी के गदराये चूतड़ फिर से थाम लिए. जैसे ही मैंने दीदी के चूतड़ पकड़े दीदी समझ गयीं कि मैं अब गांड चोदुंगा. उन्होंने पीछे मुड़कर मुझे रोकने की कोशिश करी.
“दीपू........बाबू.........प्लीज अब बाद में चोद लेना. अभी बड़ा दर्द हो रहा है. आज के लिए इतना काफी है मेरे राजा..........प्लीज.........मेरे भोंदू........मेरे राजा..........ऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह .........राजा............बाद में...........ऊऊउईईईईईईई मर गयीईईईइ दिपूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ.............आआआईईयाआआआआ ...............उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़.......धीईईईईईइरीईईईईईईईईई ...........धीरे से.........दीपू...........आःह्ह्ह.........बहुत दर्द हो रहा है कुत्ते.............उईईईईईईईईईईईईईइ.........मर्र्र्रर्र्र्रर गयी................हाआय्य्य्य रीईईईई.............माआआआ.........”
दीदी मुझे बाद में चोदने के लिए बोल रहीं थीं पर मैंने लंड को गांड में आगे पीछे करना शुरू कर दिया तो लंगड़ी फिर से रंभाने लगी. ‘हाआय्य्य्य’, ‘उईईईईईईईईईईईईईइ’, ‘मर गयीईईईइ’............फिर से लंगड़ी के मुंह से ऐसी आवाज़े निकलने लगीं. जब मैं ज़ोरों से गांड में धक्के लगता तो दीदी खूब ‘उईईई’, ‘उईईई’, करती. मैं पूरी सज़ा दे रहा था दीदी को मुझे तड़पाने की. ‘उईईई’, ‘उईईई’, करती लंगड़ी कुतिया की गांड चोदने में हद से ज्यादा मज़ा आ रहा था.
10 मिनट की चुदाई में तो दीदी खूब दर्द से चिल्लाई और बेंच पर हाथ पैर पटके पर उसके बाद तो दीदी ने बेंच को कस के पकड़ लिया. फिर तो मैंने दीदी की गांड की रेल ही बना दी. दना दन मैं लंगड़ी के मादक चूतड़ों की माँ चोद रहा था. बहुत बुरी तरह मैं दीदी की गांड मार रहा था. पूरा उछल उछल के मैं दीदी की गांड की चुदाई कर रहा था. दीदी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि कोई इस तरह उनकी गांड चोदेगा. मैंने तो जैसे लंगड़ी की गांड का बैंड ही बजा दिया था. एक तो गांड को बुरी तरह मेरा लंड चोद रहा था और ऊपर से मैं उस लंगड़ी रांड के हिलते चूतड़ों पे चांटे लगा रहा था और कुतिया के बाल पकड़ के खींच रहा था.
15 मिनट में ही मेरा लंड बेकाबू होने लगा. लगा कि अगर ऐसे ही चोदुंगा तो झड़ जाऊंगा. मैंने सोचा क्यूँ ना थोड़ी देर लंड गांड से बाहर निकाल लूं और लंड पे तेल लगा के फिर से लंगड़ी की गांड में डालूँगा. वैसे भी अब लंगड़ी की गांड लंड ने चोद चोद के थोड़ी ढीली तो कर ही दी थी. मैंने ये सोच के लंड दीदी की गांड से बाहर निकाल लिया और तुरंत दीदी के चेहरे के सामने तेल का डिब्बा लेके खड़ा हो गया.
“ओह्ह्ह..........दीदी.........अपने हाथ से तेल लगाओ इस लंड पे और...........”
“तू बहुत तंग करता है दीपू.......जब लंड निकालने के लिए बोल रही थी तब निकाला नहीं और जब मस्ती आ रही थी तो लंड बाहर निकाल लिया.”
“दीदी...सच.........आपको मस्ती आ रही थी........अब दर्द नहीं हो रहा था?”
“हाँ राजा.........अब मस्ती आ रही थी.........दर्द भी हो रहा था पर बड़ा मज़ा आ रहा था चुदने में. उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़.........आज कितनी ज़ोरदार तरीके से चोद रहा है तू........मेरी तो गांड में अजीब से मस्ती आ रही है........राजा..........डाल ना फ़िर इस मोटे चूहे को मेरी गांड में............हाययय.....”

“हाँ राजा.........अब मस्ती आ रही थी.........दर्द भी हो रहा था पर बड़ा मज़ा आ रहा था चुदने में. उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़.........आज कितनी ज़ोरदार तरीके से चोद रहा है तू........मेरी तो गांड में अजीब से मस्ती आ रही है........राजा..........डाल ना फ़िर इस मोटे चूहे को मेरी गांड में बिल में............हाययय.....”
“उफ्फ्फ्फफ्फफ्फ्फ़ दीदी तेल तो लगाओ इस बहनचोद मोटे लंड पे........”
दीदी ने मुझे तेल का डिब्बा उनके सामने बेंच पे रखने को बोला और फिर मेरा लंड पकड़ कर पूरा लंड उस तेल के डिब्बे में डुबो दिया. इस्स्स्सस्स्स्स........उस कुतिया ने अपनी गांड से निकला लंड पूरा सरसों के तेल के डिब्बे में डाल दिया था.
“ओह्ह.......दीदी....अब तो ये पूरा तेल बेकार हो गया. चलो मैं आज शाम को नया लाके दे दूंगा ताकि किसी को पता नहीं चलेगा तुम इस तेल को फेक देना.”
“ओये दीपू.........अब तो और टेस्टी बनेंगे परांठे.....!”
“तुम इकदम कुतिया हो दीदी.........कुतिया........”
“और तू मेरा चोदू कुत्ता..........”
“तो अब चोदेगा ये कुत्ता अपनी लंगड़ी कुतिया की गांड”
“चोद.........मेरे कुत्ते........चोद.........खूब ज़ोर जोर से हरामी कुत्ते की तरह चोद अपनी लंगड़ी दीदी को........”
दीदी सच में हद से ज्यादा गरम थीं तभी वो अब गन्दा बोल रहीं थीं.
खेर मैं तेल से लथपथ लंड लेके फिर से दीदी के पीछे आ गया और लंड फिर से लंगड़ी की गांड में डाल दिया.
मैंने दीदी की कमर पकड़ ली और दना दन ऐसे शॉट दीदी की गांड में मारने लगा जैसे कोई पागल कुत्ता किसी कुतिया को चोदता है. दीदी भी बुरी तरह सिसकने लगीं और जल्दी ही जोर से झड़ गयीं. मैं जब झड़ने के नजदीक पहुंचा तो दीदी के चूतड़ लगभग नोचते हुए गांड चोदने लगा. मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि मुझे क्या हो रहा था. बस मेरी कमर बहुत ज़ोरों से हिल रही थी और दीदी की गांड मस्ती से चुद रही थी. मैं अपने लंड से इतनी मस्त और कामुक गांड को चुदते हुए देख के पगला रहा था और कभी दीदी के बाल पकड़ता तो कभी चूतड़ पे थप्पड़ मारता. और फिर मेरी एक ज़ोरदार दहाड़ निकल गयी और मैं दीदी की गांड में झड़ने लगा.
“आआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआअ............दीदी..ईईईईईईई.................”
मैं दीदी की कमर पकड़ के दीदी की गांड में वीर्य की पिचकारी मारता रहा. ऐसा लग रहा था जैसे मैंने कोई किला जीत लिया हो. हाँ........मैंने कुछ जीता था..........मैंने दीदी की गांड जीत ली थी. अब दीदी की गांड सिर्फ़ उनकी नहीं बल्कि मेरी भी थी. आज दीदी ने मेरे लंड को ‘गांड पास’ दे दिया था. अब लंड मौका मिलते ही दीदी की गांड में घुस सकता था.
मैं दीदी की गांड से लंड निकाल के कुछ देर खाट पर बैठा दीदी को बेंच पर चुदी घोड़ी की हालत में देखता रहा. फिर मैंने दीदी के पैर खोले और दीदी को बिस्तर पर बिठाया.
“बदमाश........कहीं का......आज तूने मुझे भी मीनू जैसा बना दिया ना आख़िरकार”
“मीनू जैसा मतलब?”
“मतलब ‘पूरी चुदी हुई’”
“हाँ मीनू अब तक यही कहती थी कि मैं अभी पूरी नहीं चुदी हूँ. वो कहती है जब तक लड़की मुंह, चूत और गांड में नहीं चुद लेती वो तब तक ‘आधी चुदी’ हुई ही रहती है. मैं भी अब तक आधी चुदी हुई थी अब पूरी चुद गयी हूँ.”
“दीदी या मीनू दीदी को आपने बता रखा है कि मैं तुम्हे चोदता हूँ?”
“हाँ.........वो जानती है”
“दीदी.........आप पागल हो.......इतनी पर्सनल बात कभी शेयर नहीं करते.”
“नहीं दीपू........मीनू मेरी सबसे प्यारी सहेली है. और उसकी तो खुद मुझे पर्सनल बातें पता हैं. वो तो खुद मेरे भाई संजू से चुदती रहती है आय दिन.”
“ठीक है दीदी जैसा आप ठीक समझो”
उस दिन मैं दीदी की गांड चोदके अपने घर वापस आ गया. उस दिन शाम को मीनू भी दीदी से मिलने उनके घर पहुंची.

उस दिन मैं दीदी की गांड चोदके अपने घर वापस आ गया. उस दिन शाम को मीनू भी दीदी से मिलने उनके घर पहुंची. उस दिन मीनू दीदी भी दोपहर में संजू से खूब चुदी थी और मीनू को पता था कि शायद मैं आज मधु दीदी की गांड चोदुंगा.
मीनू और लंगड़ी दीदी के बीच उस शाम जो बातें हुई वो कुछ इस तरह थीं:
मीनू: बड़ी खिली खिली लग रही है मेरी जान.........लगता है आज ये हरामी लंगड़ी पूरी चुद गयी.
दीदी: चल बदमाश..........जैसे खुद तो मंदिर में पूजा कर के आ रही हो. संजू बुरी तरह थक के सो रहा है ऊपर. संजू की हालत देख के ही समझ में आ गया था कि मीनू कुतिया आज खूब चुदी है.
मीनू: सच में यार.....आज तो क्या चोदा संजू ने! खूब पीट पीट के चोद रहा था कुत्ता. मुझे मार खाते हुए चुदना और चुदते हुए मार खाने में हद से ज्यादा मज़ा आता है.
दीदी: वो तो तेरी चाल ही बता रही है.
मीनू: हाँ यार बड़ा हरामी है तेरा भाई. मेरी चुदी हुई गांड का भी नक्शा बिगाड़ देता है. आज तो जब दर्द हो रहा था तो मन कर रहा था कि तुझे भी वो दर्द का अहसास कराऊँ. अगर संजू तेरा भाई नहीं होता तो तुझे जरूर चुद्वाती उससे. अच्छा तू ये बता कि आज तेरी गांड चोदी दीपू ने.......रोज़ कहती है कि वो तेरी गांड चोदने के चक्कर में है.
दीदी: हाँ री........आज मैं भी पूरी चुदी हुई लड़की बन गयी तेरी तरह.
मीनू: क्याआआआआअ..........सच मधु की बच्ची.........really.........क्या सच में आज तेरी गांड चुदी?
दीदी: हम्म्म्म.......चुदी ....
मीनू: दिखा.....मैं नहीं मानती......
दीदी: ........नालायक.......क्या दिखाऊ?
मीनू: अपनी चुदी हुई गांड और क्या.........
दीदी ने तुरंत अपनी सलवार खोली और मीनू के सामने घोड़ी बन गयी और उसे अपनी चुदी हुई गांड दिखाने लगी. मीनू लंगड़ी के नंगे चूतड़ खोल के देखने लगी.
मीनू: हाय्य्यय्य्य्य राम......कुतिया तू कह रही है कि तेरी गांड सिर्फ़ चुदी है .......कमीनी ये तो बहुत बुरी तरह चुदी हुई लग रही है! उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़.......तेरी गांड का छेद तो बुरी तरह सूजा हुआ है. और तेरे चूतड़ कितने लाल हो रहे हैं. बहुत चाटें भी मारे क्या उसने तेरी गांड पे.........
दीदी: हाँ यार.......वो दीपू काफी उत्तेजित था तो उसने थोड़ा जोर से चुदाई करी आज.
मीनू: थोड़ा जोर से........ये थोड़ा जोर से है.........अरे ऐसी ठुकाई तो कभी मेरी गांड की भी नहीं हुई. तू तो खूब रोई होगी लगता है चुदते टाइम....वो तो तेरी आँखें ही बता रही है कि तू ख़ूब रोते हुए चुदी है.
दीदी: हाँ यार.........बड़ा रुलाया कमीने दीपू ने..........पूरा चोदू कुत्ता है. मेरे तो उसने आज पैर और कमर भी बांध दिए थे. हिल भी नहीं पा रही थी यार. बस किसी तरह रोते हुए चुद रही थी. मैंने आज पहले बार जाना कि लड़के इस तरह भी चुदाई करतें हैं.
मीनू: उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़.......पर बहुत ही कम लड़के इस तरह चुदाई करतें हैं मधु........तू किस्मत वाली है....सच्ची. इस दीपू को तो मुझ जैसी लड़की मिलनी चाहिए. मेरा भी बड़ा मन कर करता है कि कोई मुझे इतनी बेरहमी से चोदे. उफ्फ्फफ्फ्फ़...यार मधु......मेरा भी मन करता है हाथ पैर बंधवा के चुदने का. मैं हाथ पैर बंधवा के कभी नहीं चुदी यार. पर यार तेरी गांड के हालत देख के लगता है कि दीपू का लंड काफी तगड़ा है.
दीदी: हम्म्म्म.......
मीनू: क्या ह्म्म्म...ह्म्म्म.....मुझे लगता है कि दीपू का संजू से बड़ा है.
दीदी: हाँ.........
मीनू: तुझे कैसे पता कमीनी.........अपने भाई का भी लंड देखती है क्या तू कुतिया.
दीदी: कमीनी......मुझे दीपू ने ही बताया था कि उसका संजू के लंड से लम्बा भी है और मोटा भी.
मीनू: मेरे संजू का तो 6 इंच का है और खीरे जितना मोटा है.
दीदी: और मेरे दीपू का पुरे 8 इंच लम्बा है मोटा मूली जैसा. बस एक ही दिक्कत है कि दीपू का लंड थोड़ा टेड़ा है.
मीनू: पागल....टेड़ा लंड तो और ज्यादा मज़ा देता है....कुतिया.........किस्मत वाली.
दीदी: ही ही ही










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