Friday, January 2, 2015

FUN-MAZA-MASTI एक भाई ऐसा भी -20

FUN-MAZA-MASTI

 एक भाई ऐसा भी -20

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अब आगे
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 पहली बार में ही जैसे काजल को चस्का लग गया चुदाई का...उसका मन कर रहा था की वो जिंदगी भर ऐसे ही लेटी रहे और केशव पीछे से उसकी चूत मारता रहे...

पर ऐसा हो सकता तो दुनिया के सारे लड़के-लड़कियाँ इसी काम मे लगे रहते...उपर वाले ने आख़िर झड़ने का भी रूल बनाया है...अगर सेक्स करने के बाद कोई झड़े नही तो कितने भी घंटे या दिनों तक लगे रहते ये कोई नही जानता...

और इस समय अपने लंड पर झड़ने का दबाव केशव महसूस कर रहा था...क्योंकि काजल की करारी चूत थी ही इतनी कसी हुई की वो उसके लंड को निचोड़ सा रही थी...

इसलिए वो हर एंगल से मज़े लेना चाहता था....उसने काजल की चूत से लंड बाहर खींच लिया...काजल को तो लगा जैसे किसी ने उसकी जान ही निकाल ली है...वो उसको वापिस अंदर लेने के लिए तड़प सी उठी...

केशव ने उसको पीठ के बल लिटा दिया और उसकी दोनो टांगे खोल दी...और अपने लंड को बीच मे रखकर उसके उपर झुक गया...केशव का लंड एक बार फिर से सरसराता हुआ उसके अंदर प्रवेश कर गया...और आनंद मे भरकर काजल की आँखे अपने आप बंद हो गयी...उसने अपनी दोनो टांगे फेला दी..और अपने हाथ भी दोनो दिशा मे फेला कर अपने आप को केशव के सामने पूरा खोल कर रख दिया..

केशव भी उसके सेक्स से भरे चेहरे को देखता हुआ, उसे चूमता हुआ, ज़ोर-2 से झटके मारने लगा...

ऐसी कामुक चुदाई तो उसने सारिका के साथ भी नही की थी...काजल के हिलते हुए मुम्मे बड़े ही दिलकश लग रहे थे..इसलिए वो एक झटका धीरे और दूसरा तेज मारता जिसकी वजह से वो मुम्मे थोड़ा रुकते और फिर उपर उछलते...

केशव : "ओह दीदी ................... सच मे ................. कमाल हो आप........... ऐसा मज़ा तो मुझे सारिका के साथ भी नही मिला आज तक ................ आई लव यू दीदी ..................''

अपनी ऐसी तारीफ सुनकर काजल भी खुश हो गयी और उसने उपर होकर केशव को चूम लिया, चूम क्या लिया उसे चूस सा लिया..

और फिर काजल ने उसको नीचे पटका और खुद उसके लंड पर चढ़ गयी....उसका चेहरा इस बार केशव के पैरों की तरफ था...इसलिए केशव के सामने उसकी भरी हुई गांड थी....जिसे हाथ मे लेकर वो उसे अपने लंड जोरों से पटक रहा था ...

और काफ़ी देर से चुदाई करने की वजह से अब वो झड़ने के बिल्कुल करीब था...अब वो खुद को रोकना नही चाहता था...इसलिए उसने काजल को पीछे करते हुए अपना लंड बाहर निकालना चाहा...पर काजल ने उसे रोक दिया और बोली : "नही ......मत निकालो ...अंदर ही करो ...... मैं गोली ले लूँगी ..... पहली बार मे मैं तुम्हे पूरा महसूस करना चाहती हू .....''

वो भी झड़ने के बिल्कुल करीब थी.....इसलिए वो ज़ोर-2 से उसके लंड पर कूदने लगी...

और फिर उसे अपने अंदर एक गोली सी छूटती हुई महसूस हुई...जो केशव के लंड से निकली थी....उसके लंड का रस किसी गोली की तरह महसूस हुआ उसे अपने अंदर...और उसे महसूस करते ही उसकी चूत की दीवारों ने भी नमी छोड़नी शुरू कर दी...और वो भी केशव के साथ-2 झड़ने लगी..

''अहह ..... ओह केशव ............. वॉट ए फीलिंग ................ उम्म्म्मममममममममममममममम .....मज़ा आ गया ................... अहह ...''


 केशव के लंड से मिलकर उसका रस भी इतना अधिक हो गया की झटके के साथ-2 वो भी बाहर निकलने लगा....


सारा का सारा रस निकल कर उसी वक़्त केशव की जांघों पर आ गिरा....और वो भी हाँफती हुई सी उसके पैरों पर गिर पड़ी...

थोड़ी देर ऐसे ही पड़े रहने के बाद वो पलटी और खिसक कर उसकी छाती से लग गयी...और कुछ ही देर में सो भी गयी...

केशव के लंड से और उसकी चूत से रस निकल कर ना जाने कितनी देर तक नीचे पड़े नोटों पर गिरता रहा...

सुबह काजल की नींद जल्दी खुल गयी..और उसने अपने कपड़े पहने, और अपनी माँ के पास जाकर लेट गयी..

दीवाली का दिन था, इसलिए सोई नही वो उसके बाद...पूरे घर की अच्छी तरह से सफाई की...केशव के कमरे में गयी और उसे नहाने के लिए भेजा...बिस्तर की हालत देखकर उसे खुद ही बड़ी शर्म आई...काफ़ी नोट फट चुके थे..कई नोटों पर खून की बूंदे और कई पर उनके प्यार की मिली जुली निशानी चमक रही थी...उसने उन ख़ास नोटों को अलग रख लिया निशानी के तोर पर और बाकी नोटों को समेट कर अलमारी में रख दिया...

अब दोनो को शाम का इंतजार था..और वो शाम कितनी कामुक होने वाली थी ये तो काजल को भी नही पता था..


 दीवाली का दिन था इसलिए पूरे दिन घर में कोई ना कोई मेहमान या गली में रहने वाले लोग आते-जाते रहे...दीवाली की शुभकामनाए और मिठाई के साथ... काजल ने भी काफ़ी गिफ्ट और मिठाइयाँ ली और अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों के घर जाकर दे आई...ये सब करते-2 कब शाम हो गयी उसको भी पता नही चला..केशव घर पर ही था..सुबह से माँ की तबीयत ठीक नही लग रही थी इसलिए वो उनके साथ ही रुका हुआ था.

शाम को जब तक काजल घर पहुँची, डॉक्टर उनके घर से निकल रहा था..जिसे देखकर काजल घबरा गयी..वो भागती हुई उपर के कमरे में गयी, केशव अपनी माँ के पास बैठा था. पूछने पर पता चला की उन्हे साँस लेने मे तकलीफ़ हो रही है...शायद नजला जम गया है और उसकी वजह से उनके हार्ट पर भी ज़ोर पड़ रहा है..इसलिए डॉक्टर ने सलाह दी की इन्हे एक दिन के लिए हॉस्पिटल में एडमिट कर दो और नेबोलाइस करवा लो...साथ ही साथ हार्ट पर जो दबाव पड़ रहा है उसकी भी जाँच हो जाएगी...

प्रोसिज़र तो सिंपल था और सिर्फ़ एक ही दिन का था..पर मुसीबत ये थी की त्योहार का दिन था..पर माँ की तबीयत पहले है, इसलिए दोनो भाई बहन उसी वक़्त माँ को हॉस्पिटल ले आए...वैसे भी उनके पास अब पैसों की कमी तो थी ही नही ..माँ को एडमिट करवाया , केशव ने कहा की वो उनके साथ ही रुकेगा..और काजल को वापिस घर भेज दिया...और साथ ही साथ उसने सारिका को भी फोन करके बोल दिया की वो आज रात के लिए उसके घर पर ही रुक जाए, क्योंकि काजल को वो अकेला नही छोड़ना चाहता था.

काजल करीब 9 बजे घर वापिस पहुँची..और थोड़ी ही देर मे सारिका भी आ गयी..उसकी माँ छोड़ने आई थी उसको..दोनो ने मिल कर खाना खाया..

काजल ने टाइम देखा, राणा और दूसरे जुआरियों के आने का टाइम होने वाला था...वो दुविधा में थी की क्या करे..उसने केशव को फोन किया, उसने काजल को निश्चिंत होकर खेलने की सलाह दी...माँ तो ठीक ही थी..और काजल के साथ सारिका भी थी, इसलिए केशव ने बिना डरे उसे आज भी खेलने के लिए कहा..क्योंकि वो अच्छी तरह से जानता था की आज दीवाली का दिन है, और अगर आज काजल की किस्मत ने साथ दिया तो काफ़ी पैसे जीत सकती है वो..काजल के मन में भी लालच था..पर पैसों का नही , किसी और चीज़ का..

खैर, दस बजे के करीब सभी आना शुरू हो गये..और आधे घंटे के अंदर-2 सभी वहाँ पर थे..और सभी अंदर ही अंदर ये सोचकर काफ़ी खुश थे की आज की रात काजल अकेली है घर पर और वो उनके साथ खेलेगी..वो मन ही मन उसके साथ कैसे मज़े लेंगे, ये सोचने के उपाय निकालने लगे..

आज सभी के पास काफ़ी पैसे थे..क्योंकि दीवाली का दिन था, इसलिए जुआ भी मोटा होने वाला था.

सारिका को भी ये सब देखकर काफ़ी रोमांच का एहसास हो रहा था..पिछली बार भी उसे बड़ी उत्सुकतता थी की कैसे काजल इस खेल को खेलती है...आज वो उसके साथ पूरी रात यही रहने वाली थी, इसलिए पूरी गेम को देखकर वो भी कुछ नया सीखना चाहती थी...पर उसे क्या पता था की काजल किस तरह के खेल खेलती है..

काजल के कहने पर सारिका ने किचन संभाल ली और सबके लिए कुछ स्नेक्स का इंतज़ाम करने लगी..और बाकी सभी लोग टेबल के चारों तरफ बैठ गये और खेल शुरू कर दिया.

राणा तो कल काजल के हुस्न का दीदार कर ही चुका था..उसे पूरा नंगा देखकर...उसे चूस्कर...बस चुदाई की कमी रह गयी थी..वो ये बात भी जान चुका था की काजल अभी तक कुँवारी है..पर बेचारे को ये बात नही पता थी की कल रात ही केशव ने उसकी चुदाई करके उसे कली से फूल बना दिया है..

और बिल्लू और गणेश भी अपनी ललचाई हुई नज़रों से काजल के जिस्म को देख रहे थे..आज त्योहार का दिन था इसलिए उसने काफ़ी सेक्सी रेड कलर का टॉप पहना हुआ था..जिसमे से उसकी क्लीवेज साफ़ दिख रही थी


 सारिका भी कम नही लग रही थी...उसने भी डोरी वाला येल्लो टॉप पहना था और स्लीवलेस होने की वजह से उसकी गोरी और सुडोल बाहें काफ़ी सेक्सी लग रही थी..नीचे की जीन्स मे उसकी फंसी हुई गांड , जिसे केशव ने मार-मारकर इतना टेंप्टिंग कर दिया था की हर लोंडे की नज़र उसके मोटे उभारों से पहले नीचे की फेलावट पर जाती थी..

कुल मिलाकर आज की रात दोनो सहेलियाँ कयामत ढा रही थी..

खेल शुरू हुआ..आज की रात राणा अकेला ही आया था..जीवन किसी बड़े क्लब में अपनी किस्मत आज़माने गया हुआ था..आख़िर दीवाली पर जुआ खेलने का मौका रोज-2 तो आता नही है ना..

राणा ने पत्ते बाँटे...और पहली बाजी शुरू हुई..सारिका भी तब तक सबके लिए कबाब तल कर ले आई और काजल की बगल मे बैठकर खेल को समझने की कोशिश करने लगी..

आज पहले ही तय हो चुका था की 500 की ब्लाइंड होगी, इसलिए सबने एक के बाद एक ब्लाइंड फेंकनी शुरू कर दी..4 ब्लाइंड चलने के बाद बिल्लू ने अपने पत्ते उठाए और उसने खुशी -2 दो हज़ार की चाल चल दी..

उसकी चाल आते ही गणेश ने भी पत्ते उठा लिए और काफ़ी सोचने के बाद उसने भी चाल चल ही दी..

पर काजल ने अपने पत्ते नही उठाए और एक हज़ार की ब्लाइंड चल दी...और उसकी देखा देखी राणा ने भी हज़ार की ब्लाइंड चल दी..

अब दो लोग चाल पर थे और दो ब्लाइंड पर..

बिल्लू ने बड़े ही आराम से एक बार फिर से चाल को डबल किया और 4 हज़ार की चाल चल दी..गणेश के पास पेयर था 4 का..इसलिए उसकी फटने लगी थी...उसे पता चल गया की हो ना हो बिल्लू के पास 3 पत्तों वाला कुछ आया है...कलर या सीक़वेंस..इसलिए उसने पेक कर दिया ..

अब काजल ने अपने पत्ते उठा ही लिए...पर बड़े ही बेकार से थे वो...इसलिए उसने भी पेक कर दिया..

और वो इस पहली हार मे ही समझ चुकी थी की हर बार की तरह अभी उसका लक क्यो काम नही कर रहा ...क्योंकि उसने आज अंडरगार्मेंट्स पहने हुए थे...कल वो देख ही चुकी थी की अंदर के कपड़े उतारने के बाद ही उसका टोटका काम कर रहा था..इसलिए वो उठी और उपर के कमरे की तरफ चल दी..ये बोलकर की बस 1 मिनट में आई...

सारिका पीछे से बैठकर उन लोगो का खेल देखने लगी..

राणा ने जब देखा की काजल ने पेक कर दिया है तो उसकी रूचि भी खेल मे ख़त्म हो गयी और उसने अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास 9 का पेयर आया था...पर फिर भी बिल्लू का कॉन्फिडेंस देखकर उसने शो माँग लिया..

बिल्लू ने अपने पत्ते दिखाए , उसके पास सीक़वेंस था..और वो भी 1,2,3 का..

उसने मुस्कुराते हुए सारे पैसे समेट लिए..करीब 15 हज़ार आए उसके पास..

तभी काजल भी वापिस आ गयी..और किसी ने तो नही पर राणा ने उसके हिलते हुए मुम्मे देखकर ये अंदाज़ा लगा ही लिया की वो ब्रा उतारकर आई है...वो भी राणा की आँखो मे देखकर मुस्कुराती हुई अपनी सीट पर बैठ गयी..

सारिका वापिस सोफे के हत्थे पर चड़कर बैठ गयी...और अचानक उसने नोट किया की वो काजल के गले में काफ़ी अंदर तक देख पा रही है...जबकि पहले ऐसा नही था..उसकी ब्रा गायब थी...

उसने काजल के कान मे फुसफुसाते हुए कहा : "तेरी ब्रा कहाँ गयी...सब सॉफ-2 दिख रहा है..''

काजल (धीरे से) : "वो मैने उतार दी...चुभ रही थी निगोडी..''

सारिका : "पर ये सब देख रहे हैं...राणा को देख ज़रा..तेरे बूब्स को कैसे घूर रहा है..''

काजल : "तभी तो उतारी है...ताकि ये घूर सके मुझे...''

काजल के मुँह से ऐसी बेशर्मी भरी बात सुनकर सारिका चोंक गयी...वो बेचारी नही जानती थी की ये गेम आगे चलकर किस लेवल तक जाने वाली है...

अगली गेम शुरू हुई,और 3 ब्लाइंड के बाद इस बार काजल ने अपने पत्ते उठा लिए..और फिर उसने वो किया जिसकी उम्मीद राणा को तो थी पर और किसी को नही..उसने अपने पत्ते दाँये हाथ मे पकड़े हुए थे...और अचानक उसी हाथ को अपनी टॉप के गले से अंदर डालकर अपने मुम्मों पर रगड़ डाला और जब सभी उसकी इस हरकत को देखकर आँखे फाड़ने लगे तो वो बोली : "उफफफफ्फ़.... ये मच्छर भी ना....''

सारिका का तो मुँह खुला का खुला रह गया...काजल ने जिस बेशर्मी से अपनी गहरे गले की टॉप में हाथ डालकर अपने मुम्मो को रगड़ा था, सामने बैठे हर इंसान ने वो हरकत देखी थी...पहले तो वो ब्रा उतार आई और उसके बाद इतनी बेशर्मी से वो हाथ अंदर डालकर अपने बूब्स रगड़ रही थी जैसे उन्हे नोच डालेगी..

अब उसे क्या पता था की वो तो अपना टोटका बैठाने की कोशिश कर रही थी...अपने मुम्मों पर अपने पत्ते रगड़कर वो उनकी किस्मत बदल देना चाहती थी..और अपनी भी..

और उसके मुम्मों से रगड़ खाकर जैसे उन पत्तों की किस्मत सच मे बदल चुकी थी...उसके पास पान के पत्तों का कलर आया था..उसने मुस्कुराते हुए 2 हज़ार डाल दिए बीच में और चाल चल दी..और वो भी हल्के से अपनी चूत से रगड़कर ...जिसे राणा के अलावा किसी और ने नोट ही नही किया...बिल्लू और गणेश तो अभी तक उसके बिना ब्रा के मुम्मों के उपर लगे निप्पल के इंप्रेशन को देखकर सकते में थे...

राणा ने भी अपने पत्ते उठाए...और टोटके पर टोटका चलाते हुए उसने भी उतनी ही बेशर्मी से अपने लंड के उपर उन्हे रगड़ा और पत्ते देखे..


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