FUN-MAZA-MASTI
एक भाई ऐसा भी -22
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अब आगे
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राणा ने पत्ते बाँटने शुरू किए...सारिका उसकी बगल मे बैठी थी और उसके दूसरी तरफ गणेश था..जिसकी जांघे सारिका से टच कर रही थी..
सबने बूट के 500 डाल दिए..सारिका को काजल ने अपनी तरफ से पैसे उधार दे दिए थे ,ताकि वो सबकी तरह खेल सके ..
सारिका अंदर से बड़ी ही रोमांचित थी...और वो खुशी उसके चेहरे पर सॉफ देखी जा सकती थी.
राणा, गणेश और बिल्लू तो जल्द से जल्द खेल के आख़िरी पड़ाव पर जाना चाहते थे, इसलिए किसी ने भी अगली ब्लाइंड का वेट ही नही किया, क्योंकि हार कर वो खुद नंगे होते और जीत कर उनको नंगा करते...दोनो ही सूरत मे उन्हे ही मज़ा मिलना था..
इसलिए सबसे पहले बिल्लू ने पत्ते उठा लिए..उसके पास 2,5,8 नंबर आए थे..बड़े ही बेकार थे वो..इसलिए उसने पेक कर दिया..और रूल के अनुसार उसे अपना एक कपड़ा उतारना था...उसने अपनी टी शर्ट उतार दी..और अब वो बनियान और पेंट मे बैठ था..उसका शरीर गोल मटोल सा था..पर था बड़ा ही गोरा, उपर से उसने अपनी बाजुओं और छाती के बालों को शेव करा रखा था..इसलिए चिकना और गोरा शरीर काफ़ी आकर्षित लग रहा था काजल और सारिका को..
अगली बारी काजल की थी, उसने तो ब्लाइंड ही चली..और 500 को पिछली बार की तरह ही मुम्मों से रगड़ कर नीचे फेंक दिया..
फिर गणेश की बारी आई, वो भी पहले से ही अपने पत्ते उठा चुका था..उसने झट से हज़ार का नोट नीचे फेंक दिया और वो भी अपने लंड से रगड़कर ..
उसे ऐसा करते देखकर राणा बोला : "साले , तुझे भी अपने टोटके दिखाने की पड़ी है..''
वो अपनी खीँसे निपोरता हुआ बोला : "भाई, जब टोटका इतना बड़ा हो तो करने में क्या बुराई है...''
''बड़ा'' शब्द सुनते ही काजल और सारिका एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दी...काजल सोचने लगी की क्या राणा से भी बड़ा होगा इसका..और सारिका ये सोचने लगी की केशव से भी बड़ा होगा क्या..
अब गणेश की बारी थी...उसके पत्ते भी बेकार थे...उसने भी अपनी शर्ट उतार दी...उसने तो नीचे बनियान भी नही पहनी थी...इसलिए टॉपलेस होकर बैठ गया वो...वैसे भी उसका कसरती जिस्म था...इसलिए अपने मसल्स दिखाकर वो दोनो को इंप्रेस भी कर रहा था...और वो हो भी रही थी..
वैसे भी लड़की को हमेशा कसरती जिस्म वाले या जिम मे बनी बॉडीस पसंद आती है...
अब सारिका की बारी थी...उसने अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास सिर्फ़ बादशाह आया था, बाकी के दोनो पत्ते छोटे थे...वो थोड़ी परेशान सी हो गयी...बिल्लू पेक कर चुका था, इसलिए वो उठकर उसके पास आया और बोला : "कोई कनफुसन है तो मुझे दिखा दो...मैं बता दूँगा...''
उसने पत्ते दिखा दिए...और देखने के साथ ही वो बोला : "पेक कर दे...बेकार पत्ते हैं..''
वो इसलिए भी बोला की वो जल्द से जल्द उन दोनो को नंगा देखना चाहता था..और इसकी शुरूवात सारिका से कर दी..
सारिका का चेहरा शर्म से लाल हो गया...ये सोचकर की वो घड़ी आ गयी है जिसके बारे मे वो कुछ देर पहले सोच रही थी..
उसने तो एक येल्लो कलर का टॉप पहना हुआ था...और नीचे ब्रा थी..और नीचे उसने जीन्स पहनी थी..
अब वो सोच मे पड़ गयी की क्या उतारे...जीन्स तो सीधा उतार नही सकती थी वो...इसलिए उसने सकुचाते हुए अपने टॉप की डोरियाँ खोलनी शुरू कर दी..
कंधे पर बँधी दोनो डोरियों को जैसे ही उसने खोला, उसके टॉप का गला नीचे खिसक गया..और उसकी वाइट ब्रा में क़ैद कसे हुए मुम्मे सबके सामने प्रकट हो गये.
और एक पल के लिए पूरे कमरे में सन्नाटा छा गया...सिर्फ़ ठरकियों की गहरी साँसे सुनाई दे रही थी कमरे में
काजल : "अरे भई, चाल भी चलो अगली....''
तब जाके सभी को होश आया...राणा की बारी थी..उसने अपने पत्ते देखे..उसके पास इकके का पेयर आया था....उसकी आँखे चमक उठी..उसने 2 हज़ार की चाल चली और पैसे लंड से रगड़ कर डाल दिए नीचे..
अब फिर से काजल की बारी थी, जिसने अपने पत्ते भी नही देखे थे अभी तक...
उसने अपने पत्ते उठाए..और उसके पास बादशाह का पेयर आया...उसने भी खुश होते हुए पैसे दोबारा अपने मुम्मों से रगडे और नीचे फेंक दिए..
अब राणा ने पैसे फिर से डबल किए और चार हज़ार की चाल चल दी..
काजल के पास वैसे तो बड़ा पेयर था, पर उसे लगने लग गया की राणा के पास ज़रूर तीन पत्तों वाली कोई चीज़ आई है...उसने भी पैसे अपने मुम्मों और चूत से रगडे और उन्हे नीचे फेंक दिया..और शो माँग लिया..
काजल ने अपने पत्ते सामने रख दिए...
और उन्हे देखकर राणा ने भी मुस्कुराते हुए अपने पत्ते उजागर कर दिए..
बादशाह के पेयर पर इकके का पेयर भारी था..
वो जीत गया था..
और गेम के रूल के अनुसार वो हारने वाली काजल से अपनी मर्ज़ी का कोई भी कपड़ा उतरवा सकता था..
और वो ये भी अच्छी तरह से जानता था की उसने कल की तरह आज भी अंडरगार्मेंट्स नही पहने हुए..
इसलिए उसने सबसे पहले उसे अपने सूट का टॉप उतारने को कहा..
काजल तो उसके सामने खुल ही चुकी थी...बस थोड़ी बहुत झिझक दूसरो के सामने कपड़े उतारने की थी..और वैसे भी ये आज की रात तो होना ही था...
इसलिए उसने एक गहरी साँस ली और आँखे बंद करके एक ही झटके में अपने सूट की कमीज़ को पकड़ा और उसे सिर से घुमा कर उतार दिया..
और अब काजल थी सबके सामने...उपर से नंगी.
गणेश और बिल्लू ने तो सोचा भी नही था की उसने अंदर ब्रा भी नही पहनी हुई...काजल ने अपने बालों से उन्हें छुपाने की कोशिश की आर उसके बालों की चादर के पीछे उसके मुम्मे उभरकर और भी सेक्सी लग रहे थे
उसके मोटे और लचीले मुम्मे देखकर उन दोनो की तो आँखे ही फटी रह गयी...जिन्हे देखकर उन्होने ना जाने कितनी बार मूठ मारी थी...और गणेश ने तो अपनी बीबी की चूत भी कितनी बार ये सोचकर मारी थी की उसके सामने काजल नंगी लेटी है...वही काजल आज अपने मुम्मों की नुमाइश लगाकर उनके सामने बैठी थी...
उसके तने हुए बूब्स देखकर उन दोनो के मुँह मे पानी और लंड के सिरे पर पानी की बूँद उभर आई..
जो जल्द ही एक लावे का रूप लेकर उसपर बरसने वाली थी...
अभी तो खेल शुरू ही हुआ था.
एक गेम में ही एक टॉपलेस होकर और दूसरी सिर्फ़ ब्रा में उनके सामने थी..
अगली 2-3 बाजियों मे तो पूरी नंगी करने का प्लान था उनको..
उन सभी चुप देखकर काजल से रहा नहीं गया
काजल : "अरे, तुम तो ऐसे देख रहे हो जैसे कभी किसी के बूब्स देखे नही है...''
वो शायद थोड़ा मज़े लेने के मूड में आ चुकी थी...जब इतना कुछ खुलकर हो ही रहा था तो ऐसे चुप होकर क्यो बैठे..वैसे भी काजल ने तो सोचा था की उसे और सारिका को ऐसे देखकर वो ज़रूर अपने दिल की ठरक निकाल कर बाहर रख देंगे..पर वो तो गूंगे कुत्तों की तरह अपनी जीभ निकाले उन्हे आँखे फाड़ कर देखने में लगे थे..
बिल्लू संभलता हुआ बोला : "जितने भी बूब्स देखे है काजल, तुम जैसे नही थे वो...ये जो तुम्हारे बूब्स है ना, इन्हे हम सभी ने अपनी आँखो के सामने बड़े होते हुए देखा है...पहले नींबू जैसे थे, छोटे-2 ...और शुरू में तो तुम उनपर ब्रा भी नही पहनती थी..इसलिए ये तुम्हारे लाल निप्पल दूर से ही दिखाई देते थे..फिर ये और बड़े हुए..मौसम्मी जितने ...पर ब्रा पहनने के बाद भी तुम्हारे ये नुकीले निप्पल हमें दूर से ही दिख जाते थे...और पता है, हम सभी चौराहे पर खड़े होकर हमेशा यही बात करते थे की तुम हो तो चुपचाप रहने वाली पर अंदर से तुम बड़ी गर्म होगी, क्योंकि ये खड़े हुए निप्पल निशानी होती है अंदर की आग की...और देख लो, हमारी बातें सच साबित हुई, आज जिस तरह से तुम हमारे सामने बैठी हो, वो यही साबित करता है की तुम शुरू से ही काफ़ी घुन्नी किस्म की लड़की थी, जो अब उभर कर सामने आई है..''
वो साला एक ही साँस में सब कहता चला गया...जो सही भी था..
काजल उसकी बात सुनकर मुस्कुराती रही...उसकी उंगलियाँ अपने आप अपने निप्पल्स को दबा कर उन्हे सुलाने की असफल कोशिश कर रही थी,पर हमेशा की तरह आज भी वो नाकाम थी.
ये तो उसकी प्राब्लम थी,जब से उसके नींबू उगने शुरू हुए थे, उसने भी अपने अंदर आ रहे बदलाव महसूस किए थे, और उन माँस से भरे लचीले हिस्से को वो अकेले मे बैठकर दबाती रहती थी, और सारिका के संपर्क मे आने के बाद जब उसे पता चला फिंगरिंग के बारे में तो नीचे से चूत को और उपर से अपने नींबुओं को मसलने में जो असीम आनंद उसे प्राप्त होता था, उसे तो वो आज भी शब्दों में बयान नही कर सकती थी...रोजाना नहाते हुए, शावर के नीचे नंगी खड़े होकर, गरमा गर्म पानी को अपने बदन पर महसूस करते हुए वो जब उपर और नीचे की ताल मिलाती थी तो वो एक आग का शोला बन जाती थी...और भरभराकर झड़ती थी उस गर्म पानी के नीचे..
और उन्ही ख़यालों मे डूब कर वो स्कूल जाती, और शायद तभी से इन ठरकियों की नज़र उसपर थी, क्योंकि स्कूल या कहीं भी जाते हुए उसके निप्पल्स हमेशा खड़े ही रहते थे..
और फिर उन नींबुओं को दबा-दबाकर उसने मौसम्मी बना दिया...और रसीला भी...और आज भी उसकी वो आदत बरकरार है, सोते हुए और नहाते हुए वो आज भी उन्हे दबाना और मसलना नही भूलती..
पर अब उसकी इस परेशानी से उसे छुटकारा मिल चुका था...पहले तो केशव के द्वारा और अब शायद इनके हाथों का कमाल चलने वाला था उसके बूब्स पर...क्योंकि जिस तरह का खेल चल रहा था , उसके हिसाब से तो जल्द ही उन सबके हाथ रेंगने वाले थे उसपर..
खैर, अगली गेम शुरू हुई और पत्ते बाँटे गये...
राणा की बारी थी पहले, उसके पास इक्का ही आया था बस, उसने फ़ौरन पेक कर दिया..और साथ ही अपनी पेंट भी उतार दी, जुर्माने के तौर पर..
अब वो सिर्फ़ टी शर्ट और अंडरवीयर में बैठा था...और अंडरवीयर में उसका खड़ा हुआ लंड दूर से ही चमक रहा था, जिसे देखकर सारिका और काजल के मुँह में पानी आ गया..
अगली बारी बिल्लू की थी...और लगातार दूसरी बार भी उसके पास बेकार पत्ते ही आए...उसने तो सोचा था की शायद इस बार अच्छे पत्ते आ जाए और जीत जाए ताकि हारने वाली काजल या सारिका से अपनी मर्ज़ी का कोई भी कपड़ा उतरवा सके या कुछ और करवा सके..
उसने पत्ते फेंक दिए और अपनी पेंट उतार दी..अब वो जोक्की और बनियान में ही था बस..
सारिका ने पत्ते देखे, उसके पास 2 का पेयर था...अब इतना तो वो समझ ही चुकी थी की एक जैसे दो पत्ते आने पर वो चाल चलने लायक होते हैं, इसलिए उसने फ़ौरन हज़ार का नोट लिया और चाल चल दी..अपनी ब्रा से ढके मुम्मों से रगड़कर ..
गणेश ने पत्ते देखे, उसके पास भी कुछ खास नही था..सिर्फ़ इक्का , बादशाह और 7 नंबर थे...खेलने को वो इनपर भी खेल सकता था, पर जल्दी नंगा होकर शायद वो अपने लंड को उन सुंदरियों के सामने रखना चाहता था, इसलिए उसने भी पेक कर दिया और नीचे से पेंट उतार दी...बनियान तो उसने पहनी नही थी, इसलिए वो अब टॉपलेस होकर सिर्फ़ अपने अंडरवीयर में था..उसके कसरती जिस्म को देखकर काजल और सारिका के जिस्म से गर्मी निकल रही थी...शायद ये सोचकर की उसके मसल्स को वो अपने नाज़ुक हाथों से रगडेंगी..
अब बारी थी काजल की, सारे लड़के तो पेक हो चुके थे और सिर्फ़ सारिका की चाल आई थी...अब उसके साथ भला वो क्या मुकाबला करती,इसलिए उसने ब्लाइंड चलने के बदले पत्ते उठाना सही समझा..और पत्ते उठाते ही उसकी आँखे चमक उठी..उसके पास कलर आया था, ईंट यानी डायमंड का, नंबर थे 3,8 और बादशाह..
इतने बाड़िया पत्तों से तो वो अच्छे ख़ासे पैसे जीत सकती थी..पर अपनी ही सहेली से भला क्या खेले वो..फिर भी उसने एक चाल चल ही दी..2 हज़ार बीच मे फेंक कर..
अब अपने छोटे से पत्तों के उपर दूसरी चाल आते देखकर सारिका समझ चुकी थी की काजल के पास भी बढ़िया पत्ते आए हैं...वैसे भी चाल चलने लायक पत्तों में सबसे छोटे पत्ते 2 का पेयर ही होते हैं...इसलिए उसने सरेंडर करना ही बेहतर समझा और 2 हज़ार फेंकते हुए अपने पत्ते नीचे कर दिए और शो माँग लिया..
और दूसरी तरफ काजल को पता था की सारिका जैसी कच्ची खिलाड़ी उसके सामने टिक नही पाएगी...और उसके मुक़ाबले के पत्ते सारिका के पास आना तो नामुमकिन ही था...इसलिए उसकी जीत तो सुनिश्चित थी..और हारने के बाद वो अगर सारिका की जीन्स उतरवाती तो उसमे वो मज़ा नही आता जो वो काम करवाने से आने वाला था जो वो सोच रही थी...
सारिका के पत्ते देखकर वो मुस्कुरा दी और अपने पत्ते सामने रख दिए...उसके पत्तों की सबने तारीफ की और सारिका की तरफ आस भारी नज़रों से देखने लगे..शायद उसकी सुडोल जांघे और नंगी टांगे देखने का टाइम आ गया था...
लड़की जब एक-2 करके अपने जिस्म के कपड़े उतारती है तो उसे देखकर क्या मज़ा मिलता है वो एक लड़का ही समझ सकता है...और यही मज़ा लेने के लिए इस वक़्त सभी हरामी अपनी आँखे फाड़े बैठे थे वहाँ...वरना जिस तरह की बेशर्मी शुरू हो चुकी थी, उसके बाद तो वहाँ कब का ग्रूप सेक्स शुरू हो चुका होता..उन सभी को पता था की आख़िर में होना वही है,कोई रोकने वाला भी नही है, लड़कियाँ भी तैयार ही हैं...तो क्यों ना पहले मज़े ले-लेकर उनके जिस्म से परत दर परत कपड़े उतरने का मज़ा ले और बाद में पूरे मज़े..
पर काजल के दिमाग़ में जो शैतानी आ चुकी थी, उसके बारे में तो शायद उन्होने सोचा भी नही था
सारिका जैसे ही शरमाती हुई उठी और अपनी जीन्स के बटन खोलने लगी, काजल ने उसे रोक दिया और बोली : "नही सारिका, ये नही...मुझे तुमसे कुछ और करवाना है..''
ये सुनकर सारिका के साथ-2 सभी चोंक गये..
सारिका ने कांपती आवाज़ में पूछा : "क ... क्या करना होगा मुझे ....''
वो सोच रही थी की शायद वो मेरी जीन्स के बदले पहले ब्रा उतारने को कहेगी...ताकि वो भी उसकी तरह टॉपलेस हो जाए और देखने वालों को मज़ा आए..
पर ऐसा कोई विचार नही था काजल के मन में .
काजल बोली : "तुम्हे मेरी स्लेव बनना पड़ेगा...''
सारिका : "स्लेव ???? यानी तुम्हारी गुलाम ....??''
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अगली बारी काजल की थी, उसने तो ब्लाइंड ही चली..और 500 को पिछली बार की तरह ही मुम्मों से रगड़ कर नीचे फेंक दिया..
फिर गणेश की बारी आई, वो भी पहले से ही अपने पत्ते उठा चुका था..उसने झट से हज़ार का नोट नीचे फेंक दिया और वो भी अपने लंड से रगड़कर ..
उसे ऐसा करते देखकर राणा बोला : "साले , तुझे भी अपने टोटके दिखाने की पड़ी है..''
वो अपनी खीँसे निपोरता हुआ बोला : "भाई, जब टोटका इतना बड़ा हो तो करने में क्या बुराई है...''
''बड़ा'' शब्द सुनते ही काजल और सारिका एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दी...काजल सोचने लगी की क्या राणा से भी बड़ा होगा इसका..और सारिका ये सोचने लगी की केशव से भी बड़ा होगा क्या..
अब गणेश की बारी थी...उसके पत्ते भी बेकार थे...उसने भी अपनी शर्ट उतार दी...उसने तो नीचे बनियान भी नही पहनी थी...इसलिए टॉपलेस होकर बैठ गया वो...वैसे भी उसका कसरती जिस्म था...इसलिए अपने मसल्स दिखाकर वो दोनो को इंप्रेस भी कर रहा था...और वो हो भी रही थी..
वैसे भी लड़की को हमेशा कसरती जिस्म वाले या जिम मे बनी बॉडीस पसंद आती है...
अब सारिका की बारी थी...उसने अपने पत्ते उठा लिए...उसके पास सिर्फ़ बादशाह आया था, बाकी के दोनो पत्ते छोटे थे...वो थोड़ी परेशान सी हो गयी...बिल्लू पेक कर चुका था, इसलिए वो उठकर उसके पास आया और बोला : "कोई कनफुसन है तो मुझे दिखा दो...मैं बता दूँगा...''
उसने पत्ते दिखा दिए...और देखने के साथ ही वो बोला : "पेक कर दे...बेकार पत्ते हैं..''
वो इसलिए भी बोला की वो जल्द से जल्द उन दोनो को नंगा देखना चाहता था..और इसकी शुरूवात सारिका से कर दी..
सारिका का चेहरा शर्म से लाल हो गया...ये सोचकर की वो घड़ी आ गयी है जिसके बारे मे वो कुछ देर पहले सोच रही थी..
उसने तो एक येल्लो कलर का टॉप पहना हुआ था...और नीचे ब्रा थी..और नीचे उसने जीन्स पहनी थी..
अब वो सोच मे पड़ गयी की क्या उतारे...जीन्स तो सीधा उतार नही सकती थी वो...इसलिए उसने सकुचाते हुए अपने टॉप की डोरियाँ खोलनी शुरू कर दी..
कंधे पर बँधी दोनो डोरियों को जैसे ही उसने खोला, उसके टॉप का गला नीचे खिसक गया..और उसकी वाइट ब्रा में क़ैद कसे हुए मुम्मे सबके सामने प्रकट हो गये.
और एक पल के लिए पूरे कमरे में सन्नाटा छा गया...सिर्फ़ ठरकियों की गहरी साँसे सुनाई दे रही थी कमरे में
काजल : "अरे भई, चाल भी चलो अगली....''
तब जाके सभी को होश आया...राणा की बारी थी..उसने अपने पत्ते देखे..उसके पास इकके का पेयर आया था....उसकी आँखे चमक उठी..उसने 2 हज़ार की चाल चली और पैसे लंड से रगड़ कर डाल दिए नीचे..
अब फिर से काजल की बारी थी, जिसने अपने पत्ते भी नही देखे थे अभी तक...
उसने अपने पत्ते उठाए..और उसके पास बादशाह का पेयर आया...उसने भी खुश होते हुए पैसे दोबारा अपने मुम्मों से रगडे और नीचे फेंक दिए..
अब राणा ने पैसे फिर से डबल किए और चार हज़ार की चाल चल दी..
काजल के पास वैसे तो बड़ा पेयर था, पर उसे लगने लग गया की राणा के पास ज़रूर तीन पत्तों वाली कोई चीज़ आई है...उसने भी पैसे अपने मुम्मों और चूत से रगडे और उन्हे नीचे फेंक दिया..और शो माँग लिया..
काजल ने अपने पत्ते सामने रख दिए...
और उन्हे देखकर राणा ने भी मुस्कुराते हुए अपने पत्ते उजागर कर दिए..
बादशाह के पेयर पर इकके का पेयर भारी था..
वो जीत गया था..
और गेम के रूल के अनुसार वो हारने वाली काजल से अपनी मर्ज़ी का कोई भी कपड़ा उतरवा सकता था..
और वो ये भी अच्छी तरह से जानता था की उसने कल की तरह आज भी अंडरगार्मेंट्स नही पहने हुए..
इसलिए उसने सबसे पहले उसे अपने सूट का टॉप उतारने को कहा..
काजल तो उसके सामने खुल ही चुकी थी...बस थोड़ी बहुत झिझक दूसरो के सामने कपड़े उतारने की थी..और वैसे भी ये आज की रात तो होना ही था...
इसलिए उसने एक गहरी साँस ली और आँखे बंद करके एक ही झटके में अपने सूट की कमीज़ को पकड़ा और उसे सिर से घुमा कर उतार दिया..
और अब काजल थी सबके सामने...उपर से नंगी.
गणेश और बिल्लू ने तो सोचा भी नही था की उसने अंदर ब्रा भी नही पहनी हुई...काजल ने अपने बालों से उन्हें छुपाने की कोशिश की आर उसके बालों की चादर के पीछे उसके मुम्मे उभरकर और भी सेक्सी लग रहे थे
उसके मोटे और लचीले मुम्मे देखकर उन दोनो की तो आँखे ही फटी रह गयी...जिन्हे देखकर उन्होने ना जाने कितनी बार मूठ मारी थी...और गणेश ने तो अपनी बीबी की चूत भी कितनी बार ये सोचकर मारी थी की उसके सामने काजल नंगी लेटी है...वही काजल आज अपने मुम्मों की नुमाइश लगाकर उनके सामने बैठी थी...
उसके तने हुए बूब्स देखकर उन दोनो के मुँह मे पानी और लंड के सिरे पर पानी की बूँद उभर आई..
जो जल्द ही एक लावे का रूप लेकर उसपर बरसने वाली थी...
अभी तो खेल शुरू ही हुआ था.
एक गेम में ही एक टॉपलेस होकर और दूसरी सिर्फ़ ब्रा में उनके सामने थी..
अगली 2-3 बाजियों मे तो पूरी नंगी करने का प्लान था उनको..
उन सभी चुप देखकर काजल से रहा नहीं गया
काजल : "अरे, तुम तो ऐसे देख रहे हो जैसे कभी किसी के बूब्स देखे नही है...''
वो शायद थोड़ा मज़े लेने के मूड में आ चुकी थी...जब इतना कुछ खुलकर हो ही रहा था तो ऐसे चुप होकर क्यो बैठे..वैसे भी काजल ने तो सोचा था की उसे और सारिका को ऐसे देखकर वो ज़रूर अपने दिल की ठरक निकाल कर बाहर रख देंगे..पर वो तो गूंगे कुत्तों की तरह अपनी जीभ निकाले उन्हे आँखे फाड़ कर देखने में लगे थे..
बिल्लू संभलता हुआ बोला : "जितने भी बूब्स देखे है काजल, तुम जैसे नही थे वो...ये जो तुम्हारे बूब्स है ना, इन्हे हम सभी ने अपनी आँखो के सामने बड़े होते हुए देखा है...पहले नींबू जैसे थे, छोटे-2 ...और शुरू में तो तुम उनपर ब्रा भी नही पहनती थी..इसलिए ये तुम्हारे लाल निप्पल दूर से ही दिखाई देते थे..फिर ये और बड़े हुए..मौसम्मी जितने ...पर ब्रा पहनने के बाद भी तुम्हारे ये नुकीले निप्पल हमें दूर से ही दिख जाते थे...और पता है, हम सभी चौराहे पर खड़े होकर हमेशा यही बात करते थे की तुम हो तो चुपचाप रहने वाली पर अंदर से तुम बड़ी गर्म होगी, क्योंकि ये खड़े हुए निप्पल निशानी होती है अंदर की आग की...और देख लो, हमारी बातें सच साबित हुई, आज जिस तरह से तुम हमारे सामने बैठी हो, वो यही साबित करता है की तुम शुरू से ही काफ़ी घुन्नी किस्म की लड़की थी, जो अब उभर कर सामने आई है..''
वो साला एक ही साँस में सब कहता चला गया...जो सही भी था..
काजल उसकी बात सुनकर मुस्कुराती रही...उसकी उंगलियाँ अपने आप अपने निप्पल्स को दबा कर उन्हे सुलाने की असफल कोशिश कर रही थी,पर हमेशा की तरह आज भी वो नाकाम थी.
ये तो उसकी प्राब्लम थी,जब से उसके नींबू उगने शुरू हुए थे, उसने भी अपने अंदर आ रहे बदलाव महसूस किए थे, और उन माँस से भरे लचीले हिस्से को वो अकेले मे बैठकर दबाती रहती थी, और सारिका के संपर्क मे आने के बाद जब उसे पता चला फिंगरिंग के बारे में तो नीचे से चूत को और उपर से अपने नींबुओं को मसलने में जो असीम आनंद उसे प्राप्त होता था, उसे तो वो आज भी शब्दों में बयान नही कर सकती थी...रोजाना नहाते हुए, शावर के नीचे नंगी खड़े होकर, गरमा गर्म पानी को अपने बदन पर महसूस करते हुए वो जब उपर और नीचे की ताल मिलाती थी तो वो एक आग का शोला बन जाती थी...और भरभराकर झड़ती थी उस गर्म पानी के नीचे..
और उन्ही ख़यालों मे डूब कर वो स्कूल जाती, और शायद तभी से इन ठरकियों की नज़र उसपर थी, क्योंकि स्कूल या कहीं भी जाते हुए उसके निप्पल्स हमेशा खड़े ही रहते थे..
और फिर उन नींबुओं को दबा-दबाकर उसने मौसम्मी बना दिया...और रसीला भी...और आज भी उसकी वो आदत बरकरार है, सोते हुए और नहाते हुए वो आज भी उन्हे दबाना और मसलना नही भूलती..
पर अब उसकी इस परेशानी से उसे छुटकारा मिल चुका था...पहले तो केशव के द्वारा और अब शायद इनके हाथों का कमाल चलने वाला था उसके बूब्स पर...क्योंकि जिस तरह का खेल चल रहा था , उसके हिसाब से तो जल्द ही उन सबके हाथ रेंगने वाले थे उसपर..
खैर, अगली गेम शुरू हुई और पत्ते बाँटे गये...
राणा की बारी थी पहले, उसके पास इक्का ही आया था बस, उसने फ़ौरन पेक कर दिया..और साथ ही अपनी पेंट भी उतार दी, जुर्माने के तौर पर..
अब वो सिर्फ़ टी शर्ट और अंडरवीयर में बैठा था...और अंडरवीयर में उसका खड़ा हुआ लंड दूर से ही चमक रहा था, जिसे देखकर सारिका और काजल के मुँह में पानी आ गया..
अगली बारी बिल्लू की थी...और लगातार दूसरी बार भी उसके पास बेकार पत्ते ही आए...उसने तो सोचा था की शायद इस बार अच्छे पत्ते आ जाए और जीत जाए ताकि हारने वाली काजल या सारिका से अपनी मर्ज़ी का कोई भी कपड़ा उतरवा सके या कुछ और करवा सके..
उसने पत्ते फेंक दिए और अपनी पेंट उतार दी..अब वो जोक्की और बनियान में ही था बस..
सारिका ने पत्ते देखे, उसके पास 2 का पेयर था...अब इतना तो वो समझ ही चुकी थी की एक जैसे दो पत्ते आने पर वो चाल चलने लायक होते हैं, इसलिए उसने फ़ौरन हज़ार का नोट लिया और चाल चल दी..अपनी ब्रा से ढके मुम्मों से रगड़कर ..
गणेश ने पत्ते देखे, उसके पास भी कुछ खास नही था..सिर्फ़ इक्का , बादशाह और 7 नंबर थे...खेलने को वो इनपर भी खेल सकता था, पर जल्दी नंगा होकर शायद वो अपने लंड को उन सुंदरियों के सामने रखना चाहता था, इसलिए उसने भी पेक कर दिया और नीचे से पेंट उतार दी...बनियान तो उसने पहनी नही थी, इसलिए वो अब टॉपलेस होकर सिर्फ़ अपने अंडरवीयर में था..उसके कसरती जिस्म को देखकर काजल और सारिका के जिस्म से गर्मी निकल रही थी...शायद ये सोचकर की उसके मसल्स को वो अपने नाज़ुक हाथों से रगडेंगी..
अब बारी थी काजल की, सारे लड़के तो पेक हो चुके थे और सिर्फ़ सारिका की चाल आई थी...अब उसके साथ भला वो क्या मुकाबला करती,इसलिए उसने ब्लाइंड चलने के बदले पत्ते उठाना सही समझा..और पत्ते उठाते ही उसकी आँखे चमक उठी..उसके पास कलर आया था, ईंट यानी डायमंड का, नंबर थे 3,8 और बादशाह..
इतने बाड़िया पत्तों से तो वो अच्छे ख़ासे पैसे जीत सकती थी..पर अपनी ही सहेली से भला क्या खेले वो..फिर भी उसने एक चाल चल ही दी..2 हज़ार बीच मे फेंक कर..
अब अपने छोटे से पत्तों के उपर दूसरी चाल आते देखकर सारिका समझ चुकी थी की काजल के पास भी बढ़िया पत्ते आए हैं...वैसे भी चाल चलने लायक पत्तों में सबसे छोटे पत्ते 2 का पेयर ही होते हैं...इसलिए उसने सरेंडर करना ही बेहतर समझा और 2 हज़ार फेंकते हुए अपने पत्ते नीचे कर दिए और शो माँग लिया..
और दूसरी तरफ काजल को पता था की सारिका जैसी कच्ची खिलाड़ी उसके सामने टिक नही पाएगी...और उसके मुक़ाबले के पत्ते सारिका के पास आना तो नामुमकिन ही था...इसलिए उसकी जीत तो सुनिश्चित थी..और हारने के बाद वो अगर सारिका की जीन्स उतरवाती तो उसमे वो मज़ा नही आता जो वो काम करवाने से आने वाला था जो वो सोच रही थी...
सारिका के पत्ते देखकर वो मुस्कुरा दी और अपने पत्ते सामने रख दिए...उसके पत्तों की सबने तारीफ की और सारिका की तरफ आस भारी नज़रों से देखने लगे..शायद उसकी सुडोल जांघे और नंगी टांगे देखने का टाइम आ गया था...
लड़की जब एक-2 करके अपने जिस्म के कपड़े उतारती है तो उसे देखकर क्या मज़ा मिलता है वो एक लड़का ही समझ सकता है...और यही मज़ा लेने के लिए इस वक़्त सभी हरामी अपनी आँखे फाड़े बैठे थे वहाँ...वरना जिस तरह की बेशर्मी शुरू हो चुकी थी, उसके बाद तो वहाँ कब का ग्रूप सेक्स शुरू हो चुका होता..उन सभी को पता था की आख़िर में होना वही है,कोई रोकने वाला भी नही है, लड़कियाँ भी तैयार ही हैं...तो क्यों ना पहले मज़े ले-लेकर उनके जिस्म से परत दर परत कपड़े उतरने का मज़ा ले और बाद में पूरे मज़े..
पर काजल के दिमाग़ में जो शैतानी आ चुकी थी, उसके बारे में तो शायद उन्होने सोचा भी नही था
सारिका जैसे ही शरमाती हुई उठी और अपनी जीन्स के बटन खोलने लगी, काजल ने उसे रोक दिया और बोली : "नही सारिका, ये नही...मुझे तुमसे कुछ और करवाना है..''
ये सुनकर सारिका के साथ-2 सभी चोंक गये..
सारिका ने कांपती आवाज़ में पूछा : "क ... क्या करना होगा मुझे ....''
वो सोच रही थी की शायद वो मेरी जीन्स के बदले पहले ब्रा उतारने को कहेगी...ताकि वो भी उसकी तरह टॉपलेस हो जाए और देखने वालों को मज़ा आए..
पर ऐसा कोई विचार नही था काजल के मन में .
काजल बोली : "तुम्हे मेरी स्लेव बनना पड़ेगा...''
सारिका : "स्लेव ???? यानी तुम्हारी गुलाम ....??''
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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