FUN-MAZA-MASTI
पापा प्लीज........20
रूपा घर पहुँचते ही धड़धड़ाती अपने रूम में घुस गई... शरीर पर से उसने चुन्नी उतार उसने ऐसे बेड के दूर कोने में फेंकी मानों वो कब से उसे सांस लेने में तकलीफ दे रही हो... फिर वो बाल को ठीक करती नीचे झुकी और पैरों को नंगी करती गाना गुनगुनाए जा रही थी...
इस वक्त अगर कोई संयासी भी रूपा के पिछवाड़े को देखता ना वो बिना गाड़ी दौड़ाए ना छोड़ता... एक दम गुदगुदी सी करने वाली शेप में थी और तो और , उस पर चिपटी सलवार वो तो और कयामत ढ़ा रही थी...
रूपा जूती को साइड में रख बाथरूम में फ्रेश होने घुस गई...तभी उसकी मॉम कमरे में घुसती हुई बोली,"रूपा, भाभी तुम्हें खोज रही थी..." रूपा मॉम की आवाज सुन अंदर से ही चीखती हुई बोली..
रूपा,"कौन? डिंपल भाभी..."
मॉम,"हाँ... पर पता नहीं कुछ खुश खबरी सुनाऊँगी कह रही थी..." मम्मी की आवाज सुन रूपा अंदर में मुंह हाथ धो फ्रेश हो कर टॉवेल से चेहरे को साफ करती बाहर निकली...
रूपा,"तुम्हें नहीं बताई..." जिसके जवाब में मॉम ने ना में सर हिला दी... और अगली सवाल पूछ बैठी,"..और तुम्हारे पार्टिशिपेंट का क्या हुआ..?"
रूपा,"हो गई...अब उसकी तैयारी करनी है...फिगर तो ठीक है ना मॉम..." कहती हुई रूपा मुस्कुरा पड़ी... जिससे मॉम हंसे बिना ना रह पाई और नडर उतारती हुई बोली..
मॉम,"हाय मर जावाँ, हमरी रूपा की फिगर भला कभी बिगड़ने की सोच भी सकती है क्या? देखना तू ही जितेगी..." कहती हुई मॉम ने दुलारती सी रूपा के गालों पर हल्की पुचपुच्ची कर दी...
रूपा हँसी और बोली,"थैंक्यू मॉम एंड लव लव लव यू माई लवली मॉम..." कहती हुई रूपा मॉम के दोनों गालों को हल्की चुटकी से पकड़ दाएं बाएँ करती एक पप्पी जड़ दी और अपने ड्रेस बदलने लग गई...
मॉम,"ठीक है मैं थोड़ी पड़ोस वाली आंटी के यहाँ जा रही हूँ... कुछ देर में आ जाऊंगी... उनकी बेटी की कल द्विरागमन है ना तो आज मार्केटिंग हुई है तो सुबह से कई बार बुलावा भेज चुकी है कि आके सामान वगैरह देख लें..."
रूपा मॉम की बात सुनती हुई टॉपलेस हो चुकी थी और मॉम की तरफ पीठ कर अपनी ब्रॉ की हुक खोल ब्रॉ बेड पर उछाल दी... घर पर वो कभी ब्रॉ नहीं पहनती थी और ये बात उसे मम्मी ने ही हिदायत दे रखी थी पर बिना ब्रॉ की ड्रेस भी वैसी ही पहनने देती जो पूरी उभारों को ढ़ंकी रखें...
रूपा एक कैजुअल टीशर्ट पूरी बांह वाली निकाली और जो गोल गले वाली थी वो सर में डालती हुई बोली,"हम्म्म, मतलब चिंकी दीदी की गाड़ी अब बिना ब्रेक की चलेगी...."और बोलने के साथ ही रूपा खिलखिलाकर हंस पड़ी...
मॉम रूपा की बात सुन थोड़ी हँसी, थोड़ी गुस्से से दांत पीसती थप्पड़ उठाती रूपा की तरफ बढ़ती हुई बोली,"बदमाश रूक.. तुझे अभी बताती हूँ कि गाड़ी कैसे चलेगी..."
रूपा तुरंत ही हवा की रूख की तरह पलटी मारती बेड के दूसरी तरफ पहुँच गई और हँसी रोकती हुई जबरदस्ती बोली,"जाओ ना जल्दी, देखो आंटी आवाज दे रही है..." और टीशर्ट को नीचे हिप तक खींचती हुई एक बार फिर हंस पड़ी...
मॉम उसकी तरह तेजी नहीं दिखा सकती थी...वो विवश हो वहीं रूक गई और बाहर कान लगा दी कि सच में बुला रही है...
पर रूपा सरासर झूठ बोल रही थी वो जानती भी थी...फिर वो बात यहीं पर खत्म करने की सोच वापस मुड़ती हुई बोली,"किचन में नाश्ता है, खा कर जाना..." और निकल गई...
रूपा मुस्कुराती हुई वापस पहली वाली जगह पर आई और अपनी सलवार खोल कर काली रंग की बूट-कट पैंट जिस पर लाल रंग की साइड से पतली लाइन खींची थी पहन ली... फिर वो आइने के समीप खड़ी हो बाल ठीक की और चेहरे को साफ की...
फिर होंठो पर हल्की सी लिपलॉज लसेड़ी और होंठों को अंदर बाहर करती मिलती हुई आँखें शीशे में गड़ाती हुई देखी कि मिल तो गई ना.. फिर तसल्ली होते ही बाहर की तरफ रूख कर ली...
रूपा के तीन भाई हैं और रूपा सबसे छोटी है...तीनों की शादी हो चुकी है और सब इसी बिल्डिंग में रहते हैं पर अलग अलग फ्लोर पर... अलग रहने की वजह बस यही थी कालीचरण या पुष्पा को नवजोड़ों की जिंदगी में दखल पसंद नहीं थी...
दोनों जवान हैं तो वे अलग रहेंगे तो वे अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जिएंगे, अपनी मर्जी से मौज मस्ती करेंगे, प्यार करेंगे...और उन्हें कभी ये नहीं लगेगा कि आज दिन में मूड है पर मम्मी या पापा की वजह से सब कबाड़ा हो रहा है...
पर साथ ही कालीचरण तीनों पर काम के प्रति हर वक्त मुस्तैद रहते थे... काम में नो कम्परमाइज... काम बिगड़ा तो क्लास लगनी पक्की... और वे तीनों भी अपने मम्मी पापा की काफी इज्जत करते थे और आज तक कभी कोई उल्टी सीधी हरकत नहीं की थी...
रूपा डिंपल भाभी के फ्लोर तक डबल सीढ़ी चढ़ती हुई यूँ करती पहुँच गई और बेल दबाने के साथ साथ मुंह से भी जोर से बेल रिंग गाने लगी...
"कोई परदेशी आया परदेस में..." जो कि डिंपल अपनी पसंद से बेलरिंग सेट करवाई थी...
कुछ ही पलों में रूपा को अंदर से पदचाप सुनाई दी... पदचाप निकट आई और गेट खट से खुली... सामने डिंपल भाभी को देखते ही रूपा बेहोशी की तरह आँख करती हुई सर चकराने लगी... ये देख डिंपल की जोर से हंसी निकल गई...
डिंपल हंसती हुई बोली,"तू नहीं सुधरेगी कभी... जब से आई हूँ कितनी बार देखी है पर आज तक देखते ही घायल होने लगती है...चल अंदर आ..."
डिंपल भाभी की बात सुनते ही रूपा अपनी अदा बाहर करती हुई बोली,"हाय, क्या करूँ... मेरी भाभी है ही इत्ती क्यूट क्यूट..." और वो हंसती हुई अंदर घुस गई...
डिंपल भाभी गेट वापस बंद कर ही रही थी कि अचानक से रूपा बोल पड़ी,"एक मिनट भाभी..." डिंपल भाभी के हाथ रूक गए और आश्चर्य से रूपा की तरफ पलट के देख आँखों से ही पूछने लगी कि क्या हुआ?
रूपा डिंपल भाभी को क्रॉस करती हाथ गेट के बाहर की और बेल की स्विच दबा दी... अंदर एक बार बेलरिंग बजने लगी...
"कोई परदेसी आया परदेस में..." ये देखते ही डिंपल भाभी परेशान सी नाटक करती हुई सर पीट के गेट बंद कर दी जबकि रूपा हंसती हुई साथ साथ वो गाना गाने लगी...
डिंपल भाभी, जो कि काफी हंसमुख और मिलनसार थी... वह अलग रहने के बावजूद कभी भी सास-ससुर, दो देवर व एक ननद के बीच हमेशा खुद को मुस्तैद रखती थी... आज तक कभी किसी को ये महसूस नहीं होने दी कि वो अलग रहती है...
हाँ घर की दो और बहू थी मंझली और छोटी, दोनों की दोनों थी नकचढ़ी... डिंपल की ये स्वभाव हमेशा उसे खटकती रहती थी... इसी वजह से रूपा की भी उनसे ढ़ंग से नहीं पटती थी... हाँ बातचीत होती थी पर सिर्फ नाम मात्र की...
वो भी तब जब रूपा खुद उनसे कोई मजाक कर जाती तो... वर्ना नहीं... और उन दोनों की हमेशा ये सोच रहती थी कि सास ससुर बड़ी बहू को ज्यादा भाव इसलिए देते हैं क्योंकि वो एक अरेंज शादी थी...
बड़े बेटे लड़की के मामले में कुछ शर्मीले थे इसलिए वो कभी इन सब में नहीं पड़ा... जबकि वो दोनों भाई उन सबमें दो कदम आगे रहता था हर वक्त... जब उन दोनों की बात चलती तो वे दोनों ने साफ मना कर दिया शादी से...
और कालीचरण लव के मामले को बखूबी से वाकिफ थे तो वे खुशी खुशी मान भी गए... पर कहावत है ना ईश्वर भी भले लोगों का ही हमेशा भला करते हैं...हाँ भले लोग थोड़े परेशान जरूर होते हैं...
वही बात बड़े भाई के साथ भी हुआ... उसके दोस्त लोग उसे चिढ़ाते भी थे पर वो सब बातों को दरकिनार कर चुप रह जाता... जिसका नतीजा आज सामने था... वो अपनी बीवी जैसी बीवी पाकर खुश था जिस पर आज तक बचाए सारे प्यार को रोज न्योछावर करता था...
जबकि वो दोनों भाई तो अपना सारा प्यार पता नहीं किस किस को बांट आए, अब पत्नी को देने के लिए कुछ बचा ही नहीं था... घर आता खाता पीता आराम करता और कभी मन हुआ तो सेक्स किया बात खत्म... प्यार करने की तो सोची भी नहीं...
प्यार किया था जब पहली बार दोनों संपर्क में आए थे तब पर उन्हें क्या पता कि ये सिर्फ एक आकर्षण है... हाँ सुंदर तो तीनों थी एक से बढ़कर एक... पर असली सुंदरता तो व्यक्तिव स्वभाव से जाहिर होती है जो कि सिर्फ डिंपल के पास थी...
रूपा डिंपल भाभी के साथ बढ़ती हुई सोफे पर बैठती हुई बोली,"चिन्नी कहाँ गई भाभी, ट्यूशन पढ़ने?" रूपा सोफे पर पड़ी अखबार उठा पलटने लगी...
डिंपल भाभी,"हाँ, अब वो आने ही वाली है... बार बार जिद कर रही थी मम्मी मेरे सारे दोस्त ट्यूशन जाते हैं... मैं भी जाऊंगी तो जाने दी... वैसे पढ़ने में वो हमेशा आगे ही रहती है..."
रूपा हंस पड़ी,"कोई बात नहीं भाभी, जाने दीजिए... क्या पता वो खुद के लिए नहीं, शायद किसी औरऽ के लिए जाती होगी..." रूपा इस "औरऽ" पर कुछ ज्यादा ही दबाव बनाती हुई बोली... डिंपल तब तक किचन में चाय बनाने घुस गई थी...
डिंपल भाभी वहीं से आँखें दिखाती हुई बोली,"बदमाश कहीं की बच्ची है वो... उसे तो अभी इन सबकी अक्ल भी नहीं होगी कि लव-शव करे.. समझी ना...तुम अपना दिमाग कुछ कम दौड़ाओ.."
रूपा,"भाभी, सोच आपकी गंदी है और डांट हमें रही हो... अब क्या बच्चे को कोई बेस्ट फ्रेंड नहीं होगा, ऐसी तो कोई बात नहीं होगी..." रूपा बोलते हुए हंस भी रही थी क्योंकि वो जानती थी कि वो बात को घुमा रही थी...
डिंपल भाभी,"हाँ हाँ समझ गई मेरी दादी...मुँह बंद करो और ये लो चाय पियो..." डिंपल भाभी मुस्कुराती हुई हार स्वीकार करती हुई रूपा को चाय पकड़ाती हुई बोली... रूपा आँख नचाती हुई चाय ली और चुस्की लेने लगी...
पहली चुस्की लेती हुई रूपा पुनः बोली,"अच्छा वो सब छोड़ो भाभी... हमें किसलिए बुलाई ये तो बताओ..."रूपा अब मुद्दे पर आती हुई बोली और डिंपल भाभी से जवाब पाने उनकी तरफ देखने लगी...
डिंपल भाभी रूपा की बगल में बैठती हुई चाय की चुस्की लेती हुई बोली,"कोई खास बात नहीं है, बस तुम्हें एक खुशखबरी देनी है..." खुशखबरी शब्द सुनते ही रूपा की आँखे चमक गई और खुशी के मारे लगभग चीखती सी बोली...
रूपा,"खुशखबरी..!!! वॉव भाभी...थैंक्यू सो मच...मैं फिर से बुआ बनने वाली हूँ...अमेंजिंग...मुआहहह..." रूपा की अबकी बार की बात से डिंपल रूपा सी पीठ पर हल्की चपत लगाए बिना ना रह सकी...
फिर हंसती हुई बोली,"ओफ्फो...तुम ना हमें भी.... अरे चिन्नी है ना तुम्हें बुआ कहने... हर वक्त बस फिजूल बातें ही सोचती रहती... कभी तो कोई ढ़ंग की सोचो ना..."
रूपा डिंपल भाभी की बात सुनते ही एकदम सी उदास होती हुई मुंह बना ली... वो ऐसे लग रही थी मानों उसे इन बातों के सिवाए किसी और बात से खुश हो ही नहीं सकती... फिर वो चाय की प्याली होंठों से लगा ली...
डिंपल भाभी उसकी इस से उदास होती थोड़ी मुस्कुराती हुई बोली,"दरअसल तुम रोज मुझे जिस बात के लिए तंग करती थी ना, वो अब तुम बंद कर दोगी..."रूपा डिंपल भाभी की बात सुन थोड़ी ठिठकी और अगले ही पल बची खुती चाय मुंह में उड़ेली और चटकारे लेती पूछी,"..मतलब..?"
डिंपल भाभी भी अपनी चाय खत्म कर कप रखती हुई बोली,"मतलब.... तुम्हारी फोन वाली दोस्त कल आ रही है तुमसे मिलने यहाँ..." अपनी बात खत्म कर डिंपल भाभी रूपा के ऊपर होने वाली प्रतिक्रिया का वेट करने लगी...
रूपा एक पल सोची और अगले ही पल जम्प लगाती दोनों पैर सोफे पर... वो खुशी से पागल हुई जा रही थी और क्या बोलती कुछ समझ में नहीं आ रही थी... फोन वाली दोस्त मतलब सुनैना...
सुनैना डिंपल भाभी की मौसी की लड़की थी... रूपा और सुनैना के बीच बातें तो खूब होती थी पर आज तक कभी मिल नहीं पाई थी...जबकि शादी हुए 8 साल हो गए... डिंपल भाभी की तो अब 7 साल की एक बेटी चिन्नी भी है...
ना मिलने की वजह पहले भाभी के यहाँ गई थी पर तब सुनैना डिंपल भाभी के यहाँ नहीं आ पाई थी और जब सुनैना आती तो रूपा नहीं जा पाती थी... इन दोनों की भी अजीब दोस्ती थी...दोनों की पटती थी खूब थी...
पर तभी रूपा को एक बात खटक गई कि मैं भी तो अक्सर बात करती ही रहती तो मुझे क्यों नहीं बोली कि आ रही हूँ... रूपा उठी और डिंपल भाभी के बेडरूम की ओर चल दी... वो जानती थी कि भाभी का फोन उनके बेडरूम में ही है...
रूपा फोन लाई और सुनैना का नम्बर डायल करती हुई वापस भाभी के पास बैठ गई... डिंपल भाभी रूपा क्यों फोन कर रही है वो तुरंत समझ गई और बिना रोके बस मुस्कुराती रही... वो भला इन दोनों के बीच क्यों पड़ती...
रिंग हुई पर फोन रिसीव नहीं हुई... रूपा हैरानी भरी आँखों से देखती डिंपल भाभी की ओर देख पूछी,"फोन क्यों नहीं उठा रही है..?"
डिंपल भाभी इठलाती सी बोली,"दोस्त तुम्हारी है तो मुझे क्या पता..?" डिंपल भाभी की बात सुनते ही रूपा मुंह बनाती बोली,"कमीनी एक बार उठा ले ना तो बताती हूँ..."
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पापा प्लीज........20
रूपा घर पहुँचते ही धड़धड़ाती अपने रूम में घुस गई... शरीर पर से उसने चुन्नी उतार उसने ऐसे बेड के दूर कोने में फेंकी मानों वो कब से उसे सांस लेने में तकलीफ दे रही हो... फिर वो बाल को ठीक करती नीचे झुकी और पैरों को नंगी करती गाना गुनगुनाए जा रही थी...
इस वक्त अगर कोई संयासी भी रूपा के पिछवाड़े को देखता ना वो बिना गाड़ी दौड़ाए ना छोड़ता... एक दम गुदगुदी सी करने वाली शेप में थी और तो और , उस पर चिपटी सलवार वो तो और कयामत ढ़ा रही थी...
रूपा जूती को साइड में रख बाथरूम में फ्रेश होने घुस गई...तभी उसकी मॉम कमरे में घुसती हुई बोली,"रूपा, भाभी तुम्हें खोज रही थी..." रूपा मॉम की आवाज सुन अंदर से ही चीखती हुई बोली..
रूपा,"कौन? डिंपल भाभी..."
मॉम,"हाँ... पर पता नहीं कुछ खुश खबरी सुनाऊँगी कह रही थी..." मम्मी की आवाज सुन रूपा अंदर में मुंह हाथ धो फ्रेश हो कर टॉवेल से चेहरे को साफ करती बाहर निकली...
रूपा,"तुम्हें नहीं बताई..." जिसके जवाब में मॉम ने ना में सर हिला दी... और अगली सवाल पूछ बैठी,"..और तुम्हारे पार्टिशिपेंट का क्या हुआ..?"
रूपा,"हो गई...अब उसकी तैयारी करनी है...फिगर तो ठीक है ना मॉम..." कहती हुई रूपा मुस्कुरा पड़ी... जिससे मॉम हंसे बिना ना रह पाई और नडर उतारती हुई बोली..
मॉम,"हाय मर जावाँ, हमरी रूपा की फिगर भला कभी बिगड़ने की सोच भी सकती है क्या? देखना तू ही जितेगी..." कहती हुई मॉम ने दुलारती सी रूपा के गालों पर हल्की पुचपुच्ची कर दी...
रूपा हँसी और बोली,"थैंक्यू मॉम एंड लव लव लव यू माई लवली मॉम..." कहती हुई रूपा मॉम के दोनों गालों को हल्की चुटकी से पकड़ दाएं बाएँ करती एक पप्पी जड़ दी और अपने ड्रेस बदलने लग गई...
मॉम,"ठीक है मैं थोड़ी पड़ोस वाली आंटी के यहाँ जा रही हूँ... कुछ देर में आ जाऊंगी... उनकी बेटी की कल द्विरागमन है ना तो आज मार्केटिंग हुई है तो सुबह से कई बार बुलावा भेज चुकी है कि आके सामान वगैरह देख लें..."
रूपा मॉम की बात सुनती हुई टॉपलेस हो चुकी थी और मॉम की तरफ पीठ कर अपनी ब्रॉ की हुक खोल ब्रॉ बेड पर उछाल दी... घर पर वो कभी ब्रॉ नहीं पहनती थी और ये बात उसे मम्मी ने ही हिदायत दे रखी थी पर बिना ब्रॉ की ड्रेस भी वैसी ही पहनने देती जो पूरी उभारों को ढ़ंकी रखें...
रूपा एक कैजुअल टीशर्ट पूरी बांह वाली निकाली और जो गोल गले वाली थी वो सर में डालती हुई बोली,"हम्म्म, मतलब चिंकी दीदी की गाड़ी अब बिना ब्रेक की चलेगी...."और बोलने के साथ ही रूपा खिलखिलाकर हंस पड़ी...
मॉम रूपा की बात सुन थोड़ी हँसी, थोड़ी गुस्से से दांत पीसती थप्पड़ उठाती रूपा की तरफ बढ़ती हुई बोली,"बदमाश रूक.. तुझे अभी बताती हूँ कि गाड़ी कैसे चलेगी..."
रूपा तुरंत ही हवा की रूख की तरह पलटी मारती बेड के दूसरी तरफ पहुँच गई और हँसी रोकती हुई जबरदस्ती बोली,"जाओ ना जल्दी, देखो आंटी आवाज दे रही है..." और टीशर्ट को नीचे हिप तक खींचती हुई एक बार फिर हंस पड़ी...
मॉम उसकी तरह तेजी नहीं दिखा सकती थी...वो विवश हो वहीं रूक गई और बाहर कान लगा दी कि सच में बुला रही है...
पर रूपा सरासर झूठ बोल रही थी वो जानती भी थी...फिर वो बात यहीं पर खत्म करने की सोच वापस मुड़ती हुई बोली,"किचन में नाश्ता है, खा कर जाना..." और निकल गई...
रूपा मुस्कुराती हुई वापस पहली वाली जगह पर आई और अपनी सलवार खोल कर काली रंग की बूट-कट पैंट जिस पर लाल रंग की साइड से पतली लाइन खींची थी पहन ली... फिर वो आइने के समीप खड़ी हो बाल ठीक की और चेहरे को साफ की...
फिर होंठो पर हल्की सी लिपलॉज लसेड़ी और होंठों को अंदर बाहर करती मिलती हुई आँखें शीशे में गड़ाती हुई देखी कि मिल तो गई ना.. फिर तसल्ली होते ही बाहर की तरफ रूख कर ली...
रूपा के तीन भाई हैं और रूपा सबसे छोटी है...तीनों की शादी हो चुकी है और सब इसी बिल्डिंग में रहते हैं पर अलग अलग फ्लोर पर... अलग रहने की वजह बस यही थी कालीचरण या पुष्पा को नवजोड़ों की जिंदगी में दखल पसंद नहीं थी...
दोनों जवान हैं तो वे अलग रहेंगे तो वे अपनी जिंदगी अपनी मर्जी से जिएंगे, अपनी मर्जी से मौज मस्ती करेंगे, प्यार करेंगे...और उन्हें कभी ये नहीं लगेगा कि आज दिन में मूड है पर मम्मी या पापा की वजह से सब कबाड़ा हो रहा है...
पर साथ ही कालीचरण तीनों पर काम के प्रति हर वक्त मुस्तैद रहते थे... काम में नो कम्परमाइज... काम बिगड़ा तो क्लास लगनी पक्की... और वे तीनों भी अपने मम्मी पापा की काफी इज्जत करते थे और आज तक कभी कोई उल्टी सीधी हरकत नहीं की थी...
रूपा डिंपल भाभी के फ्लोर तक डबल सीढ़ी चढ़ती हुई यूँ करती पहुँच गई और बेल दबाने के साथ साथ मुंह से भी जोर से बेल रिंग गाने लगी...
"कोई परदेशी आया परदेस में..." जो कि डिंपल अपनी पसंद से बेलरिंग सेट करवाई थी...
कुछ ही पलों में रूपा को अंदर से पदचाप सुनाई दी... पदचाप निकट आई और गेट खट से खुली... सामने डिंपल भाभी को देखते ही रूपा बेहोशी की तरह आँख करती हुई सर चकराने लगी... ये देख डिंपल की जोर से हंसी निकल गई...
डिंपल हंसती हुई बोली,"तू नहीं सुधरेगी कभी... जब से आई हूँ कितनी बार देखी है पर आज तक देखते ही घायल होने लगती है...चल अंदर आ..."
डिंपल भाभी की बात सुनते ही रूपा अपनी अदा बाहर करती हुई बोली,"हाय, क्या करूँ... मेरी भाभी है ही इत्ती क्यूट क्यूट..." और वो हंसती हुई अंदर घुस गई...
डिंपल भाभी गेट वापस बंद कर ही रही थी कि अचानक से रूपा बोल पड़ी,"एक मिनट भाभी..." डिंपल भाभी के हाथ रूक गए और आश्चर्य से रूपा की तरफ पलट के देख आँखों से ही पूछने लगी कि क्या हुआ?
रूपा डिंपल भाभी को क्रॉस करती हाथ गेट के बाहर की और बेल की स्विच दबा दी... अंदर एक बार बेलरिंग बजने लगी...
"कोई परदेसी आया परदेस में..." ये देखते ही डिंपल भाभी परेशान सी नाटक करती हुई सर पीट के गेट बंद कर दी जबकि रूपा हंसती हुई साथ साथ वो गाना गाने लगी...
डिंपल भाभी, जो कि काफी हंसमुख और मिलनसार थी... वह अलग रहने के बावजूद कभी भी सास-ससुर, दो देवर व एक ननद के बीच हमेशा खुद को मुस्तैद रखती थी... आज तक कभी किसी को ये महसूस नहीं होने दी कि वो अलग रहती है...
हाँ घर की दो और बहू थी मंझली और छोटी, दोनों की दोनों थी नकचढ़ी... डिंपल की ये स्वभाव हमेशा उसे खटकती रहती थी... इसी वजह से रूपा की भी उनसे ढ़ंग से नहीं पटती थी... हाँ बातचीत होती थी पर सिर्फ नाम मात्र की...
वो भी तब जब रूपा खुद उनसे कोई मजाक कर जाती तो... वर्ना नहीं... और उन दोनों की हमेशा ये सोच रहती थी कि सास ससुर बड़ी बहू को ज्यादा भाव इसलिए देते हैं क्योंकि वो एक अरेंज शादी थी...
बड़े बेटे लड़की के मामले में कुछ शर्मीले थे इसलिए वो कभी इन सब में नहीं पड़ा... जबकि वो दोनों भाई उन सबमें दो कदम आगे रहता था हर वक्त... जब उन दोनों की बात चलती तो वे दोनों ने साफ मना कर दिया शादी से...
और कालीचरण लव के मामले को बखूबी से वाकिफ थे तो वे खुशी खुशी मान भी गए... पर कहावत है ना ईश्वर भी भले लोगों का ही हमेशा भला करते हैं...हाँ भले लोग थोड़े परेशान जरूर होते हैं...
वही बात बड़े भाई के साथ भी हुआ... उसके दोस्त लोग उसे चिढ़ाते भी थे पर वो सब बातों को दरकिनार कर चुप रह जाता... जिसका नतीजा आज सामने था... वो अपनी बीवी जैसी बीवी पाकर खुश था जिस पर आज तक बचाए सारे प्यार को रोज न्योछावर करता था...
जबकि वो दोनों भाई तो अपना सारा प्यार पता नहीं किस किस को बांट आए, अब पत्नी को देने के लिए कुछ बचा ही नहीं था... घर आता खाता पीता आराम करता और कभी मन हुआ तो सेक्स किया बात खत्म... प्यार करने की तो सोची भी नहीं...
प्यार किया था जब पहली बार दोनों संपर्क में आए थे तब पर उन्हें क्या पता कि ये सिर्फ एक आकर्षण है... हाँ सुंदर तो तीनों थी एक से बढ़कर एक... पर असली सुंदरता तो व्यक्तिव स्वभाव से जाहिर होती है जो कि सिर्फ डिंपल के पास थी...
रूपा डिंपल भाभी के साथ बढ़ती हुई सोफे पर बैठती हुई बोली,"चिन्नी कहाँ गई भाभी, ट्यूशन पढ़ने?" रूपा सोफे पर पड़ी अखबार उठा पलटने लगी...
डिंपल भाभी,"हाँ, अब वो आने ही वाली है... बार बार जिद कर रही थी मम्मी मेरे सारे दोस्त ट्यूशन जाते हैं... मैं भी जाऊंगी तो जाने दी... वैसे पढ़ने में वो हमेशा आगे ही रहती है..."
रूपा हंस पड़ी,"कोई बात नहीं भाभी, जाने दीजिए... क्या पता वो खुद के लिए नहीं, शायद किसी औरऽ के लिए जाती होगी..." रूपा इस "औरऽ" पर कुछ ज्यादा ही दबाव बनाती हुई बोली... डिंपल तब तक किचन में चाय बनाने घुस गई थी...
डिंपल भाभी वहीं से आँखें दिखाती हुई बोली,"बदमाश कहीं की बच्ची है वो... उसे तो अभी इन सबकी अक्ल भी नहीं होगी कि लव-शव करे.. समझी ना...तुम अपना दिमाग कुछ कम दौड़ाओ.."
रूपा,"भाभी, सोच आपकी गंदी है और डांट हमें रही हो... अब क्या बच्चे को कोई बेस्ट फ्रेंड नहीं होगा, ऐसी तो कोई बात नहीं होगी..." रूपा बोलते हुए हंस भी रही थी क्योंकि वो जानती थी कि वो बात को घुमा रही थी...
डिंपल भाभी,"हाँ हाँ समझ गई मेरी दादी...मुँह बंद करो और ये लो चाय पियो..." डिंपल भाभी मुस्कुराती हुई हार स्वीकार करती हुई रूपा को चाय पकड़ाती हुई बोली... रूपा आँख नचाती हुई चाय ली और चुस्की लेने लगी...
पहली चुस्की लेती हुई रूपा पुनः बोली,"अच्छा वो सब छोड़ो भाभी... हमें किसलिए बुलाई ये तो बताओ..."रूपा अब मुद्दे पर आती हुई बोली और डिंपल भाभी से जवाब पाने उनकी तरफ देखने लगी...
डिंपल भाभी रूपा की बगल में बैठती हुई चाय की चुस्की लेती हुई बोली,"कोई खास बात नहीं है, बस तुम्हें एक खुशखबरी देनी है..." खुशखबरी शब्द सुनते ही रूपा की आँखे चमक गई और खुशी के मारे लगभग चीखती सी बोली...
रूपा,"खुशखबरी..!!! वॉव भाभी...थैंक्यू सो मच...मैं फिर से बुआ बनने वाली हूँ...अमेंजिंग...मुआहहह..." रूपा की अबकी बार की बात से डिंपल रूपा सी पीठ पर हल्की चपत लगाए बिना ना रह सकी...
फिर हंसती हुई बोली,"ओफ्फो...तुम ना हमें भी.... अरे चिन्नी है ना तुम्हें बुआ कहने... हर वक्त बस फिजूल बातें ही सोचती रहती... कभी तो कोई ढ़ंग की सोचो ना..."
रूपा डिंपल भाभी की बात सुनते ही एकदम सी उदास होती हुई मुंह बना ली... वो ऐसे लग रही थी मानों उसे इन बातों के सिवाए किसी और बात से खुश हो ही नहीं सकती... फिर वो चाय की प्याली होंठों से लगा ली...
डिंपल भाभी उसकी इस से उदास होती थोड़ी मुस्कुराती हुई बोली,"दरअसल तुम रोज मुझे जिस बात के लिए तंग करती थी ना, वो अब तुम बंद कर दोगी..."रूपा डिंपल भाभी की बात सुन थोड़ी ठिठकी और अगले ही पल बची खुती चाय मुंह में उड़ेली और चटकारे लेती पूछी,"..मतलब..?"
डिंपल भाभी भी अपनी चाय खत्म कर कप रखती हुई बोली,"मतलब.... तुम्हारी फोन वाली दोस्त कल आ रही है तुमसे मिलने यहाँ..." अपनी बात खत्म कर डिंपल भाभी रूपा के ऊपर होने वाली प्रतिक्रिया का वेट करने लगी...
रूपा एक पल सोची और अगले ही पल जम्प लगाती दोनों पैर सोफे पर... वो खुशी से पागल हुई जा रही थी और क्या बोलती कुछ समझ में नहीं आ रही थी... फोन वाली दोस्त मतलब सुनैना...
सुनैना डिंपल भाभी की मौसी की लड़की थी... रूपा और सुनैना के बीच बातें तो खूब होती थी पर आज तक कभी मिल नहीं पाई थी...जबकि शादी हुए 8 साल हो गए... डिंपल भाभी की तो अब 7 साल की एक बेटी चिन्नी भी है...
ना मिलने की वजह पहले भाभी के यहाँ गई थी पर तब सुनैना डिंपल भाभी के यहाँ नहीं आ पाई थी और जब सुनैना आती तो रूपा नहीं जा पाती थी... इन दोनों की भी अजीब दोस्ती थी...दोनों की पटती थी खूब थी...
पर तभी रूपा को एक बात खटक गई कि मैं भी तो अक्सर बात करती ही रहती तो मुझे क्यों नहीं बोली कि आ रही हूँ... रूपा उठी और डिंपल भाभी के बेडरूम की ओर चल दी... वो जानती थी कि भाभी का फोन उनके बेडरूम में ही है...
रूपा फोन लाई और सुनैना का नम्बर डायल करती हुई वापस भाभी के पास बैठ गई... डिंपल भाभी रूपा क्यों फोन कर रही है वो तुरंत समझ गई और बिना रोके बस मुस्कुराती रही... वो भला इन दोनों के बीच क्यों पड़ती...
रिंग हुई पर फोन रिसीव नहीं हुई... रूपा हैरानी भरी आँखों से देखती डिंपल भाभी की ओर देख पूछी,"फोन क्यों नहीं उठा रही है..?"
डिंपल भाभी इठलाती सी बोली,"दोस्त तुम्हारी है तो मुझे क्या पता..?" डिंपल भाभी की बात सुनते ही रूपा मुंह बनाती बोली,"कमीनी एक बार उठा ले ना तो बताती हूँ..."
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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