FUN-MAZA-MASTI
मैने धोखे पे धोखे है खाए
इस स्टोरी मे जो लोग है उन लोगो के बारे मे सबसे पहले मैं आपको बताने जा रहा हू…..
मे- समीर 28 साल
श्रुति (27) गर्ल – मेरी मूह बोली बहेन जो मेरे पड़ोसे मे रहती है –
तशु (27)गर्ल – जिसे मैं प्यार करता हू-
सोरभ (28) बॉय – मेरा बड़ी बहेन का बेटा
तो दोस्तो मैं आपनी स्टोरी शुरु करने जा रहा हू…..
ये बात 1995 की है. जब हम लोग किसी और सिटी से इन्दोर मे रहाँे आए थे तब मेरी आगे बहुत कम थी क्योकि ये मेरा बचपन था. हम जहा रहाँे आए थे वही हमारे पड़ोसे मे एक फैमिली रहती थी.. उस फॅमिली मे 5 लोग थे एक थी हमारी पड़ोस वाली आंटी और उनका देवेर और आंटी के 3 बच्चे थे… आंटी के हज़्बेंड किसी बीमारी के कारण एक्सपाइर हो गये थे…
और हमारी फॅमिली मे मेरे मम्मी पापा और 3 सिस थी … और मैं सबसे छ्होटा था..
कुच्छ ही दीनो मे हमारी हमारे पड़ोसीयो से अच्छी दोस्ती हो गई…. और हम लोग सभी बराबर के थे इसलिए हम सब साथ मे ही मस्ती करते थे.. कही घूमने जाते तो भी साथ मे ही जाते थे..
हमारे पड़ोस वाली आंटी की जो छ्होटी लड़की थी उसका नाम श्रुति था और उसकी आगे भी मेरे ही बराबर थी मैं उसे बहुत चिड़ाता था किसी भी बात पर… और पता नही कैसे धीरे धीरे वो मुझे अच्छी लगने लगी…… हम लोग साथ मे ही ज़्यादा टाइम खेलते थे… हमारे दोनो के घरो के अच्छे रीलेशन बन गये थे इसलिए मेरे घर वालो ने मुझे श्रुति से रखी बँधवा दी… भले ही मेरे घर वालो ने मुझे उससे रखी बँधवा दी पर मैं उसे बहें नही सोतेली माँता था. क्योकि मुझे वो अच्छी लगती थी … और मैं कई बार उसके बारे मे भी गांडा सोच लेता था… धीरे धीरे टाइम निकलता गया और साल गुज़रते चले गये…. अब धीरे धीरे उसका बदन जवान होने लगा था …
उसके बूब्स पूरी तरह निकल गये थे और बहुत बड़े बड़े हो चुके थे.. और मैं भी मौका देख कर उसके बूब्स दबा देता था और वो कुच्छ भी नही बोलती थी.. उसे भी मज़ा आता था और वो मेरे ही करीब रहती थी …. पर नादानियो मे ये कभी समझ ही नही आया की मैं उसे प्यार करने लगा हू.. ऐसा करीब 2 एअर तक चला.. मैं उसके साथ कुच्छ भी हरकत कर देता था. कभी उसके बूब्स दबा देता तो कभी गांड पर हाथ लगा देता….अब टाइम गुज़रता गया और हम दोनो 10त क्लास मे पहुच गये….
दोस्तो बताइए आप लोगो को कहानी मे मज़ा आ रहा है या नही ,,,, प्लाइ रपली दीजिए मुझे नेक्स्ट आपडेट करने के लिए……
अब हम दोनो उमर के साथ साथ थोड़े समझदार भी हो गये थे.. फिर हम लोगो ने स्कूल के एग्ज़ॅम दिए और गर्मियो की चुट्टिया लग गई थी.. और फिर शुरू हुआ शादी का सीजन… मेरी बड़ी सिस्टर के देवेर की शादी थी जो भोपाल मे रहेते थे. 25त मे 2002 की उनकी शादी थी और मेरी मों और मैं वाहा पहले ही चले गये थे 5 मे को… हम लोग वही रुके हुए थे मेरी सिस्टर के घर पर… तभी वाहा से कुच्छ क.म. पर हमारे एक और रिलेटिव थे जिनके घर पर भी शादी थी … तो 9 मे को मैं और मेरी मों मेरी सिस्टर की फमिलये के साथ तावेरा से रायसें शादी मे चले गये… वाहा पर हम लोगो ने शादी की पार्टी अटेंड की और फिर हम लोग रात को करीब 12 बजे वाहा से आने लगे… हमारी गाड़ी मे जगह खाली थी … तो मेरे जीजाजी के एक रिलेटिव थे उन्होने हुंसे कहा की अगर आपकी गाड़ी मे जगह खाली हो तो ह्यूम भी भोपाल ले चलो क्योकि अब यहा से भोपाल के लिए कोई बस नही मिलेगी.. रायसें से भोपाल की दूरी लगभग 50 क.म. है.. हमारी गाड़ी मे जगह खाई थी तो ह्यूम भी कोई प्राब्लम नही थी.. अब यहा से मेरी लाइफ मे ट्विस्ट आया… जीजाजी के रेलेटिवे की जो फॅमिली हमारे साथ भोपाल जा रही थी उसमे जीजाजी के रिलेटिव हज़्बेंड वाइफ एंड उनड़कि लड़की थी जिसका नाम था तशु…. मैं और तशु एक दूसरे को जानते थे पर मिले पहली बार थे…. क्योकि हम लोग एक ही कास्ट के थे इसलिए एक दूसरे को पहचानते थे… और मैं तशु से अब पहली बार मिला…..
मेरी तशु से ये पहली मुलाकात थी… और पता नही क्यो वो मुझे पहली मुलाकात मे ही बहुत अच्छी लगने लगी… शी इस गुड लुकिंग,, एंड शी इस नेचर इस वेरी गुड,
अब हम सब गाड़ी मे बैठ गये जीतने भी घर के बड़े लोग थे वो सब आयेज बैठ आए. और हम सभी बच्चे गाड़ी मे पीछे बैठ गये… अब रायसें से भोपाल आते तक हम लोगो ने बहुत मस्ती की और तशु मेरी अच्छी दोस्त बन गई…और मैने उसको बोला की तुम्हारा नेचर बहुत अच्छा है.. तो उसने मुझे तांकष बोला. और फिर ऐसे ही मस्ती करते करते पता नही कब सफ़र काट गया… और उसका घर आ गया हम लोगो ने उन्हे उनके घर पर ड्रॉप किया.. और हुमारी गाड़ी मेरी सिस्टर के घर की तरफ बढ़ गई…. जब हुमारी गाड़ी उसके घर से डोर जा रही थी तब पता नही क्यो पहली ही बार मुझे दुख हो रहा था उससे डोर जाने का…. मुझे नही पता था की मुझे प्यार हो गया और मैं उसे एक अच्छा दोस्त ही सोतेली माँ रहा था………
फिर हम लोग घर पहुच गये मेरे मॅन मे तशु का ख़याल बार बार आ रहा था.. जैसा की मैने आपको पहले बताया था की मेरी दीदी का बेटा जो 27 य्र का है वो भी मेरे ही बराबर का है क्योकि मेरी बड़ी सिस की आगे मुझसे बहुत ज़्यादा है इसलिए उनका लड़का मेरे बराबर का है…. और हम दोनो बहुत अच्छे दोस्त थे मैं उससे कभी कोई बात नही चुपाता और ना ही वो चुपाता है…. अब हम घर पहुच चुके थे.. मेरे मॅन मे तशु का ही ख़याल आ रहा था… फिर करीब 2 या 3 दिन बाद मेरे पापा और मेरी छ्होटी सिस के साथ श्रुति भी इंडोरे पहुच गई. मेरी सिस के देवेर की शादी अटेंड करने के लिए… पर पता नही अचानक क्या हुआ… अब मैं श्रुति को गांडी नज़रो से नही देख रहा था.. मुझे अब वो मेरी बहें लगने लगी थी . और वो भी बहुत ज़्यादा अच्छी बहें.. मैं उसे आपनी सबसे अच्छी बहें सोतेली माँने लगा.. मुझे आज तक ये समझ नही आया की ये कैसे हुआ.. और अब मैं उसे चिड़ाता नही था… मैं उसकी बहुत केर करता था और वो भी मेरी बहुत केर करती थी… इस तरह से हम सब उस शादी को अटेंड करने वेल थे… फिर वाहा पर तशु भी आ गई क्योकि तशु मेरे जीजू की रिलेटिव थी.. फिर हम सब लोगो ने शादी मे खूब मस्ती की… श्रुति और तशु की बहुत अच्छी दोस्ती हो गई.. पर मेरी अभी तशु से ज़्यादा अच्छी दोस्ती नही हुई थी…. और ना ही मुझे एहसास था की मुझे उससे प्यार हो गया है.. हमने वाहा पर बहुत टाइम साथ मे बिताया और बहुत मस्ती की….. और फिर कुच्छ दिन हम भोपाल घूमने के बाद वापस इंडोरे आ गये….. अब मेरे पास तशु के घर का लंडलिने नो. था उस टाइम मोबाइल का ज़्यादा क्राज़ नही था लंडलिने ही चला करते थे…. उसके घर के लंडलिने का एक कनेक्षन उसके पापा की शॉप पर भी था जो शॉप उसके पापा और चाचा संभालते थे…… अब मैं तशु से बात करने के लिए उसके घर पर रोज कॉल करता था… उस टाइम घर से पॉककीट सोतेली माँी मिलती थी स्कूल जाते थे तो पर मैं उस पॉककीट सोतेली माँी से उसे स्ट्ड कॉलिंग करता था…. ध्ीएरए धीरे वो समझने लगी की मैं उसे लाइन मार रहा हू… पर उसे नही पता था की मैं उसे रियल मे बहुत प्यार करने लगा हू…… अब इधर श्रुति से भी मेरा अततरेक्टिओं बढ़ने लगा था.. मैं ज़्यादा से ज़्यादा टाइम श्रुति के साथ ही बीतता था….. मैं श्रुति को बहुत प्यार करता था बहें सोतेली माँ के… और उसकी बहुत इज़्ज़त और केर करने लगा…. फिर हम लोगो ने साथ मे ही कोचिंग लगवा ली… और हम लोग साथ मे ही रहते थे ज़्यादा टाइम.. मैं कभी अब श्रुति को नही छ्छूता था..
पर पता नही क्यो वो ही मेरे करीब आने लगी. कभी मुझसे लिपट जाती तो कभी मुझे किस कर लेती.. कभी मेरे होठ पर हाथ लगती कभी मेरे लंड पर…
अब एक बार मेरे पापा मम्मी गाओ गये हुए थे. मेरे घर मे मेरी 2 सिस और मैं था.. तो मेरी सिस ने श्रुति को भी मेरे घर सोने के लिए बुला लिया… हम लोग डबल बाद पर कुच्छ इस तरह सोते थे मैं सबसे कॉर्नर पर और मेरे बगल मे श्रुति और उसके बगल मे मेरी दोनो सिस…
रात को श्रुति मुझे लिपट जाती और फिर रोज ही ऐसा होने.. अब मुझे भी अच्छा लगता उसे छ्होना मैं भी उससे लिपट जाता और उसे सहलाता… कई दीनो तक ऐसा ही चलता रहा फिर मेरे पापा मम्मी आ गये….. वैसे तो मैं रोज उसके घर जाता था… पर अब मैं रोज उसके घर जाता तो हम लोग थोड़ी देर बेत के बाते करते और फिर हम लोग बिस्तेर पर लेट जाते और मैं उससे लिपट जाता और फिर मैं उसके घाल पर किस करता उसके गले पर किस करता उसे भी मज़ा आता था.. वो मुझे आपने उपर खीच लेती थी. मैं उसके बूब्स दबाता पर कभी उसने मुझे आपने कपड़े नही उतरने दिए और मैं उसकी सलवार के उपर से ही उसकी चुत को आपने लंड से रगड़ता था और उसका और मेरा दोनो का पानी निकल देता था. अब श्रुति मुझे इतना प्यार करने लगी थी की अगर मैं उसे 1 दिन भी नही मिलता था तो वो मेरे बिना रो रो कर बुरा हाल कर लेती थी .. मैने उससे डोर होने की कोशिश भी की पर वो मुझे डोर जाने ही नही देती वो मुझे बोलती थी की मैं इस दुनिया मे आपनी मम्मी के बाद सबसे ज़्यादा प्यार तुम्हे करती हू समीर.. मैं तो मार के भी तुम्हारा साथ नही छ्चोड़ूँगी….. और अब मैं भी उससे हद से ज़्यादा प्यार करने लगा… शायद मैं भी उसे दुनिया मे सबसे ज़्यादा चाहाँे लगा.. पर मैं कभी उसकी आँखो मे आंशु नही देख सकता था और ना आज देख सकता हू…. हमारी इतनी नज़दीकिया देख कर सबको हमारे उपर शक होठा था की हम दोनो भाई बहें नही है …. और जहा तक की मेरे घर वेल भी मेरी और उसकी इतनी नज़कीकिया देख कर गुस्सा करते थे…. मेरे घर वेल मुझे उसके घर जाने के लिए सोतेली माँा करते थे.. और मैं ना जौ तो श्रुति रो रो कर बुरा हाल कर लेती थी …. मैं दोनो तरफ से फसा हुआ था… मैं जैसे ही उसके घर जाता तो मेरी मम्मी बुलाने आ जाती और वाहा जाने को सोतेली माँा करती … और फिर जब श्रुति मिलती तो वो मुझ पर गुस्सा करती थी की तुम तो आते ही नही हो.. इस बात पर मुझे मेरे घर मे रोज दाँत पड़ती थी… अब हम दोनो साथ मे ही श्चूल जया करते थे… वो मुझे रोड पर मिल जया करती थी और हम साथ मे स्कूटर से कॉलेज जया करते थे… और साथ मे ही कोचैंग जया करते थे…
उसी समय हमारी कोचैंग मे एक और लड़का पढ़ता था वो गुंडे किसाम का था उसकी गुणडो से ही दोस्ती थी …… और बहुत बिगड़ा हुआ लड़का था. उसका नाम था गब्बर. वो श्रुति को लाइन मारता था… वालंटिने दे के दिन हम लोग आपनी कोचैंग से आ रहे थे.. तभी एक बच्चा आया हमारे पास और श्रुति से बोला की दीदी ये गब्बर भैया ने आपके लिए भेजा है…. मैने उस बच्चे के हाथ से वो लेतेर ले लिया. और घर आकर पढ़ा तो उसमे लिखा था की श्रुति मैं तुम्हे प्यार करता हू ई लव उ… ये पढ़ कर श्रुति रोने लगी.. पहली बार किसी लड़के ने उसे प्रपोसे किया था…. मैने उसे चुप करवाया. और दूसरे दिन वो लेटर हमारे कोचैंग वेल सिर को दिखा दिया.. पर सिर ने भी कुच्छ नही किया अब.. मैं श्रुति को सवे करता रहता था… और गब्बर को ये खटकने लगा… मैं उस टाइम बहुत सीधा शरीफ इंसान था… भोला था…. किसी से कुच्छ नही बोलता था… अब गब्बर की मुझसे दुश्मनी हो गई… गब्बर मेरे घर पर फोन कर कर के गाली देता था जो भी फोन उठता था उसे.. मैं बहुत परेशन हो गया था उससे .. वो पता नही किन किन लड़को से मेरे घर फोन करवाता था ….. एक बार मैं किसी काम से घर के बाहर गया हुआ था एकेला.. तब उसने मुझे देख लिया और वो 8-9 गुंडे जैसे लड़को को ले आया अब मैं वाहा पर एकेला फस गया.. उन लोगो ने मेरी कोल्लेर पकड़ी और मुझे मरने लगे.. मैं बहुत सीधा था इसलिए मैं कुच्छ नही कर पाया और मैने जैसे तैसे बच के भाग गया वाहा से….. मैने ये श्रुति को बताया पर उसने इस बात को सही नही सोतेली माँा… अब मुझे आपने घर से एकेले निकालने मे भी डर लगने लगा… एक बार मैं स्कूल से घर आने के लिए जैसे ही निकला.. वो उसके दोस्तो के सात कॉलेज के गाते के सामने आ गया. उस दिन मैं स्कूल से निकालने मे लाते हो गया था सब लोग जा चुके थे… मैं एकेला ही बचा और मेरे साथ एक सुमित नाम का मेरा दोस्त था…. तो उन लोगो ने मुझे पकड़ लिया.. सुमित ने बोला की इसे कहा ले जा रहे हो तो उन्होने सुमित को 2 टप्पड़ मार के भगा दिया.. और वो लोग मुझे पकड़ कर एक दुकान मे ले गये… आज वो लोग करीब 12-13 लोग थे और मैं एकेला. मेरे जैसे इंसान के लिए तो उनमे से एक ही काफ़ी था.. मेरी तो आवाज़ ही बंद हो गई, मुझे लगा की आज तो मैं सही सलामत घर नही पहुच पौँगा….. उन लोगो ने मुझे मारना शुरू कर दिया मैं ज़मीन पर गिर गया और मुझे 3-4 लाते पड़ी ही थी….. तभी भगवान ने मेरे लिए वाहा पर एक फरिश्ता भेज दिया… एक 28-29 य्र का लड़का स्कूटर से निकल रहा था. उसने वाहा मुझे देखा और वो चिल्लाने लगा की उस लड़के को क्यो मार रहे हो …. तो गब्बर और उसके दोस्त उससे बोले चल बे तू निकल आपने काम से या हमारा मामला है. पता नही उस आदमी को क्या हुआ.. वो गुस्से मे आया और उसने गब्बर को एक तपाड़ा मार दिया.. और उसके 1-2 दोस्तो को भी मार दिया.. मैं इस बार भी मौका देख के भाग गया….. अब मुझे स्कूल से निकालने मे भी डर लगने लगा था.. जैसे ही बेल बजती मैं सबसे पहले भाग जाता… अब आप लोग इसे मेर कायरता समझो या मेरी मरबूरी… पर मैं उनका मुकाबला नही कर सकता था…. पर मैं अब ऐसे डर डर के जीने से बहुत तंग आ गया था…. वैसे मेरे भी कुच्छ दोस्त थे गुंडे टाइप के पर मैने कभी उनको कुच्छ ऐसा नही बताया था…. फिर मैने उन्हे गब्बर के बारे मे बताया तो उन्होने कहा की ठीक है देख लेंगे हम उस गब्बर को … गब्बर भी उन लोगो को जनता था की वो मेरे दोस्त कितने ख़तरनाक लोग है पर गब्बर को ये नही पता था की वो लोग मेरे दोस्त है…. अब मेरे एग्ज़ॅम शुरू हो गये गब्बर भी मेरे ही स्कूल का था वो ओनलिय एग्ज़ॅम देने आता था… तो मुझे पता था की वो एग्ज़ॅम देने आएगा तो मैने मेरे दोस्तो को बता दिया.. वो लोग भी उस दिन स्कूल आने वेल थे. और मेरी किस्मत थी की वो लोग उस दिन स्कूल आए थे वरना वो दिन मेरे लिए आखरी दिन होठा .
उस दिन गब्बर मुझे मरने के लिए चाकू लेकर आया था… ये मुझे बाद मे पता चला.. गब्बर उस दिन मुझे निपटने वाला था…. पर उसने मेरे दोस्तो को देखा की ये लोग यहा क्या कर रहे है …. और फिर उसने उन्हे मेरे साथ देखा तो फिर उसने कुच्छ लोगो से पूछा की ये लोग कौन है तो फिर उसके कुच्छ दोस्तो ने उसे बताया की ये समीर के दोस्त है …… इसलिए शायद उसने मुझे उस टाइम मरने का प्लान बदल दिया….. फिर इत्तेफ़ाक से उस दिन स्कूल मे पोलीस वालो ने चाकिंग कर ली.. और गब्बर के पास चाकू निकल गया… तो गब्बर को पोलीस पकड़ के ले गई…..
फिर कई दिन तक मुझे गब्बर नही दिखा और ना अब उसके कॉल आते थे…. पर मुझे अभी भी डर रहता था उसके…
उसी बीच मेरे पापा की तबीयत खराब हो गई …. तब गब्बर हॉस्पिटल मे आया… और मेरे पापा को देखा और मुझे सॉरी बोला… और मुझे लेकर चाय पेलने गया… और मुहसे सॉरी बोनले लगा… फिर उसके साथ मेरे क्लास के कुच्छ दोस्त भी थे… बाद मे उनलोगो ने मुझे बताया की हमने गब्बर को समझाया की वो तुझे परेशन ना करे तू बहुत सीधा है…. तब से फिर गब्बर ने मुझे परेशन नही किया और श्रुति का भी पीछा छ्चोड़ दिया………
फिर दोस्तो यहा पे गब्बर का मएत्तेर ख़तम हो गया. ……….मैने धोखे पे धोखे है खाए
इस स्टोरी मे जो लोग है उन लोगो के बारे मे सबसे पहले मैं आपको बताने जा रहा हू…..
मे- समीर 28 साल
श्रुति (27) गर्ल – मेरी मूह बोली बहेन जो मेरे पड़ोसे मे रहती है –
तशु (27)गर्ल – जिसे मैं प्यार करता हू-
सोरभ (28) बॉय – मेरा बड़ी बहेन का बेटा
तो दोस्तो मैं आपनी स्टोरी शुरु करने जा रहा हू…..
ये बात 1995 की है. जब हम लोग किसी और सिटी से इन्दोर मे रहाँे आए थे तब मेरी आगे बहुत कम थी क्योकि ये मेरा बचपन था. हम जहा रहाँे आए थे वही हमारे पड़ोसे मे एक फैमिली रहती थी.. उस फॅमिली मे 5 लोग थे एक थी हमारी पड़ोस वाली आंटी और उनका देवेर और आंटी के 3 बच्चे थे… आंटी के हज़्बेंड किसी बीमारी के कारण एक्सपाइर हो गये थे…
और हमारी फॅमिली मे मेरे मम्मी पापा और 3 सिस थी … और मैं सबसे छ्होटा था..
कुच्छ ही दीनो मे हमारी हमारे पड़ोसीयो से अच्छी दोस्ती हो गई…. और हम लोग सभी बराबर के थे इसलिए हम सब साथ मे ही मस्ती करते थे.. कही घूमने जाते तो भी साथ मे ही जाते थे..
हमारे पड़ोस वाली आंटी की जो छ्होटी लड़की थी उसका नाम श्रुति था और उसकी आगे भी मेरे ही बराबर थी मैं उसे बहुत चिड़ाता था किसी भी बात पर… और पता नही कैसे धीरे धीरे वो मुझे अच्छी लगने लगी…… हम लोग साथ मे ही ज़्यादा टाइम खेलते थे… हमारे दोनो के घरो के अच्छे रीलेशन बन गये थे इसलिए मेरे घर वालो ने मुझे श्रुति से रखी बँधवा दी… भले ही मेरे घर वालो ने मुझे उससे रखी बँधवा दी पर मैं उसे बहें नही सोतेली माँता था. क्योकि मुझे वो अच्छी लगती थी … और मैं कई बार उसके बारे मे भी गांडा सोच लेता था… धीरे धीरे टाइम निकलता गया और साल गुज़रते चले गये…. अब धीरे धीरे उसका बदन जवान होने लगा था …
उसके बूब्स पूरी तरह निकल गये थे और बहुत बड़े बड़े हो चुके थे.. और मैं भी मौका देख कर उसके बूब्स दबा देता था और वो कुच्छ भी नही बोलती थी.. उसे भी मज़ा आता था और वो मेरे ही करीब रहती थी …. पर नादानियो मे ये कभी समझ ही नही आया की मैं उसे प्यार करने लगा हू.. ऐसा करीब 2 एअर तक चला.. मैं उसके साथ कुच्छ भी हरकत कर देता था. कभी उसके बूब्स दबा देता तो कभी गांड पर हाथ लगा देता….अब टाइम गुज़रता गया और हम दोनो 10त क्लास मे पहुच गये….
दोस्तो बताइए आप लोगो को कहानी मे मज़ा आ रहा है या नही ,,,, प्लाइ रपली दीजिए मुझे नेक्स्ट आपडेट करने के लिए……
अब हम दोनो उमर के साथ साथ थोड़े समझदार भी हो गये थे.. फिर हम लोगो ने स्कूल के एग्ज़ॅम दिए और गर्मियो की चुट्टिया लग गई थी.. और फिर शुरू हुआ शादी का सीजन… मेरी बड़ी सिस्टर के देवेर की शादी थी जो भोपाल मे रहेते थे. 25त मे 2002 की उनकी शादी थी और मेरी मों और मैं वाहा पहले ही चले गये थे 5 मे को… हम लोग वही रुके हुए थे मेरी सिस्टर के घर पर… तभी वाहा से कुच्छ क.म. पर हमारे एक और रिलेटिव थे जिनके घर पर भी शादी थी … तो 9 मे को मैं और मेरी मों मेरी सिस्टर की फमिलये के साथ तावेरा से रायसें शादी मे चले गये… वाहा पर हम लोगो ने शादी की पार्टी अटेंड की और फिर हम लोग रात को करीब 12 बजे वाहा से आने लगे… हमारी गाड़ी मे जगह खाली थी … तो मेरे जीजाजी के एक रिलेटिव थे उन्होने हुंसे कहा की अगर आपकी गाड़ी मे जगह खाली हो तो ह्यूम भी भोपाल ले चलो क्योकि अब यहा से भोपाल के लिए कोई बस नही मिलेगी.. रायसें से भोपाल की दूरी लगभग 50 क.म. है.. हमारी गाड़ी मे जगह खाई थी तो ह्यूम भी कोई प्राब्लम नही थी.. अब यहा से मेरी लाइफ मे ट्विस्ट आया… जीजाजी के रेलेटिवे की जो फॅमिली हमारे साथ भोपाल जा रही थी उसमे जीजाजी के रिलेटिव हज़्बेंड वाइफ एंड उनड़कि लड़की थी जिसका नाम था तशु…. मैं और तशु एक दूसरे को जानते थे पर मिले पहली बार थे…. क्योकि हम लोग एक ही कास्ट के थे इसलिए एक दूसरे को पहचानते थे… और मैं तशु से अब पहली बार मिला…..
मेरी तशु से ये पहली मुलाकात थी… और पता नही क्यो वो मुझे पहली मुलाकात मे ही बहुत अच्छी लगने लगी… शी इस गुड लुकिंग,, एंड शी इस नेचर इस वेरी गुड,
अब हम सब गाड़ी मे बैठ गये जीतने भी घर के बड़े लोग थे वो सब आयेज बैठ आए. और हम सभी बच्चे गाड़ी मे पीछे बैठ गये… अब रायसें से भोपाल आते तक हम लोगो ने बहुत मस्ती की और तशु मेरी अच्छी दोस्त बन गई…और मैने उसको बोला की तुम्हारा नेचर बहुत अच्छा है.. तो उसने मुझे तांकष बोला. और फिर ऐसे ही मस्ती करते करते पता नही कब सफ़र काट गया… और उसका घर आ गया हम लोगो ने उन्हे उनके घर पर ड्रॉप किया.. और हुमारी गाड़ी मेरी सिस्टर के घर की तरफ बढ़ गई…. जब हुमारी गाड़ी उसके घर से डोर जा रही थी तब पता नही क्यो पहली ही बार मुझे दुख हो रहा था उससे डोर जाने का…. मुझे नही पता था की मुझे प्यार हो गया और मैं उसे एक अच्छा दोस्त ही सोतेली माँ रहा था………
फिर हम लोग घर पहुच गये मेरे मॅन मे तशु का ख़याल बार बार आ रहा था.. जैसा की मैने आपको पहले बताया था की मेरी दीदी का बेटा जो 27 य्र का है वो भी मेरे ही बराबर का है क्योकि मेरी बड़ी सिस की आगे मुझसे बहुत ज़्यादा है इसलिए उनका लड़का मेरे बराबर का है…. और हम दोनो बहुत अच्छे दोस्त थे मैं उससे कभी कोई बात नही चुपाता और ना ही वो चुपाता है…. अब हम घर पहुच चुके थे.. मेरे मॅन मे तशु का ही ख़याल आ रहा था… फिर करीब 2 या 3 दिन बाद मेरे पापा और मेरी छ्होटी सिस के साथ श्रुति भी इंडोरे पहुच गई. मेरी सिस के देवेर की शादी अटेंड करने के लिए… पर पता नही अचानक क्या हुआ… अब मैं श्रुति को गांडी नज़रो से नही देख रहा था.. मुझे अब वो मेरी बहें लगने लगी थी . और वो भी बहुत ज़्यादा अच्छी बहें.. मैं उसे आपनी सबसे अच्छी बहें सोतेली माँने लगा.. मुझे आज तक ये समझ नही आया की ये कैसे हुआ.. और अब मैं उसे चिड़ाता नही था… मैं उसकी बहुत केर करता था और वो भी मेरी बहुत केर करती थी… इस तरह से हम सब उस शादी को अटेंड करने वेल थे… फिर वाहा पर तशु भी आ गई क्योकि तशु मेरे जीजू की रिलेटिव थी.. फिर हम सब लोगो ने शादी मे खूब मस्ती की… श्रुति और तशु की बहुत अच्छी दोस्ती हो गई.. पर मेरी अभी तशु से ज़्यादा अच्छी दोस्ती नही हुई थी…. और ना ही मुझे एहसास था की मुझे उससे प्यार हो गया है.. हमने वाहा पर बहुत टाइम साथ मे बिताया और बहुत मस्ती की….. और फिर कुच्छ दिन हम भोपाल घूमने के बाद वापस इंडोरे आ गये….. अब मेरे पास तशु के घर का लंडलिने नो. था उस टाइम मोबाइल का ज़्यादा क्राज़ नही था लंडलिने ही चला करते थे…. उसके घर के लंडलिने का एक कनेक्षन उसके पापा की शॉप पर भी था जो शॉप उसके पापा और चाचा संभालते थे…… अब मैं तशु से बात करने के लिए उसके घर पर रोज कॉल करता था… उस टाइम घर से पॉककीट सोतेली माँी मिलती थी स्कूल जाते थे तो पर मैं उस पॉककीट सोतेली माँी से उसे स्ट्ड कॉलिंग करता था…. ध्ीएरए धीरे वो समझने लगी की मैं उसे लाइन मार रहा हू… पर उसे नही पता था की मैं उसे रियल मे बहुत प्यार करने लगा हू…… अब इधर श्रुति से भी मेरा अततरेक्टिओं बढ़ने लगा था.. मैं ज़्यादा से ज़्यादा टाइम श्रुति के साथ ही बीतता था….. मैं श्रुति को बहुत प्यार करता था बहें सोतेली माँ के… और उसकी बहुत इज़्ज़त और केर करने लगा…. फिर हम लोगो ने साथ मे ही कोचिंग लगवा ली… और हम लोग साथ मे ही रहते थे ज़्यादा टाइम.. मैं कभी अब श्रुति को नही छ्छूता था..
पर पता नही क्यो वो ही मेरे करीब आने लगी. कभी मुझसे लिपट जाती तो कभी मुझे किस कर लेती.. कभी मेरे होठ पर हाथ लगती कभी मेरे लंड पर…
अब एक बार मेरे पापा मम्मी गाओ गये हुए थे. मेरे घर मे मेरी 2 सिस और मैं था.. तो मेरी सिस ने श्रुति को भी मेरे घर सोने के लिए बुला लिया… हम लोग डबल बाद पर कुच्छ इस तरह सोते थे मैं सबसे कॉर्नर पर और मेरे बगल मे श्रुति और उसके बगल मे मेरी दोनो सिस…
रात को श्रुति मुझे लिपट जाती और फिर रोज ही ऐसा होने.. अब मुझे भी अच्छा लगता उसे छ्होना मैं भी उससे लिपट जाता और उसे सहलाता… कई दीनो तक ऐसा ही चलता रहा फिर मेरे पापा मम्मी आ गये….. वैसे तो मैं रोज उसके घर जाता था… पर अब मैं रोज उसके घर जाता तो हम लोग थोड़ी देर बेत के बाते करते और फिर हम लोग बिस्तेर पर लेट जाते और मैं उससे लिपट जाता और फिर मैं उसके घाल पर किस करता उसके गले पर किस करता उसे भी मज़ा आता था.. वो मुझे आपने उपर खीच लेती थी. मैं उसके बूब्स दबाता पर कभी उसने मुझे आपने कपड़े नही उतरने दिए और मैं उसकी सलवार के उपर से ही उसकी चुत को आपने लंड से रगड़ता था और उसका और मेरा दोनो का पानी निकल देता था. अब श्रुति मुझे इतना प्यार करने लगी थी की अगर मैं उसे 1 दिन भी नही मिलता था तो वो मेरे बिना रो रो कर बुरा हाल कर लेती थी .. मैने उससे डोर होने की कोशिश भी की पर वो मुझे डोर जाने ही नही देती वो मुझे बोलती थी की मैं इस दुनिया मे आपनी मम्मी के बाद सबसे ज़्यादा प्यार तुम्हे करती हू समीर.. मैं तो मार के भी तुम्हारा साथ नही छ्चोड़ूँगी….. और अब मैं भी उससे हद से ज़्यादा प्यार करने लगा… शायद मैं भी उसे दुनिया मे सबसे ज़्यादा चाहाँे लगा.. पर मैं कभी उसकी आँखो मे आंशु नही देख सकता था और ना आज देख सकता हू…. हमारी इतनी नज़दीकिया देख कर सबको हमारे उपर शक होठा था की हम दोनो भाई बहें नही है …. और जहा तक की मेरे घर वेल भी मेरी और उसकी इतनी नज़कीकिया देख कर गुस्सा करते थे…. मेरे घर वेल मुझे उसके घर जाने के लिए सोतेली माँा करते थे.. और मैं ना जौ तो श्रुति रो रो कर बुरा हाल कर लेती थी …. मैं दोनो तरफ से फसा हुआ था… मैं जैसे ही उसके घर जाता तो मेरी मम्मी बुलाने आ जाती और वाहा जाने को सोतेली माँा करती … और फिर जब श्रुति मिलती तो वो मुझ पर गुस्सा करती थी की तुम तो आते ही नही हो.. इस बात पर मुझे मेरे घर मे रोज दाँत पड़ती थी… अब हम दोनो साथ मे ही श्चूल जया करते थे… वो मुझे रोड पर मिल जया करती थी और हम साथ मे स्कूटर से कॉलेज जया करते थे… और साथ मे ही कोचैंग जया करते थे…
उसी समय हमारी कोचैंग मे एक और लड़का पढ़ता था वो गुंडे किसाम का था उसकी गुणडो से ही दोस्ती थी …… और बहुत बिगड़ा हुआ लड़का था. उसका नाम था गब्बर. वो श्रुति को लाइन मारता था… वालंटिने दे के दिन हम लोग आपनी कोचैंग से आ रहे थे.. तभी एक बच्चा आया हमारे पास और श्रुति से बोला की दीदी ये गब्बर भैया ने आपके लिए भेजा है…. मैने उस बच्चे के हाथ से वो लेतेर ले लिया. और घर आकर पढ़ा तो उसमे लिखा था की श्रुति मैं तुम्हे प्यार करता हू ई लव उ… ये पढ़ कर श्रुति रोने लगी.. पहली बार किसी लड़के ने उसे प्रपोसे किया था…. मैने उसे चुप करवाया. और दूसरे दिन वो लेटर हमारे कोचैंग वेल सिर को दिखा दिया.. पर सिर ने भी कुच्छ नही किया अब.. मैं श्रुति को सवे करता रहता था… और गब्बर को ये खटकने लगा… मैं उस टाइम बहुत सीधा शरीफ इंसान था… भोला था…. किसी से कुच्छ नही बोलता था… अब गब्बर की मुझसे दुश्मनी हो गई… गब्बर मेरे घर पर फोन कर कर के गाली देता था जो भी फोन उठता था उसे.. मैं बहुत परेशन हो गया था उससे .. वो पता नही किन किन लड़को से मेरे घर फोन करवाता था ….. एक बार मैं किसी काम से घर के बाहर गया हुआ था एकेला.. तब उसने मुझे देख लिया और वो 8-9 गुंडे जैसे लड़को को ले आया अब मैं वाहा पर एकेला फस गया.. उन लोगो ने मेरी कोल्लेर पकड़ी और मुझे मरने लगे.. मैं बहुत सीधा था इसलिए मैं कुच्छ नही कर पाया और मैने जैसे तैसे बच के भाग गया वाहा से….. मैने ये श्रुति को बताया पर उसने इस बात को सही नही सोतेली माँा… अब मुझे आपने घर से एकेले निकालने मे भी डर लगने लगा… एक बार मैं स्कूल से घर आने के लिए जैसे ही निकला.. वो उसके दोस्तो के सात कॉलेज के गाते के सामने आ गया. उस दिन मैं स्कूल से निकालने मे लाते हो गया था सब लोग जा चुके थे… मैं एकेला ही बचा और मेरे साथ एक सुमित नाम का मेरा दोस्त था…. तो उन लोगो ने मुझे पकड़ लिया.. सुमित ने बोला की इसे कहा ले जा रहे हो तो उन्होने सुमित को 2 टप्पड़ मार के भगा दिया.. और वो लोग मुझे पकड़ कर एक दुकान मे ले गये… आज वो लोग करीब 12-13 लोग थे और मैं एकेला. मेरे जैसे इंसान के लिए तो उनमे से एक ही काफ़ी था.. मेरी तो आवाज़ ही बंद हो गई, मुझे लगा की आज तो मैं सही सलामत घर नही पहुच पौँगा….. उन लोगो ने मुझे मारना शुरू कर दिया मैं ज़मीन पर गिर गया और मुझे 3-4 लाते पड़ी ही थी….. तभी भगवान ने मेरे लिए वाहा पर एक फरिश्ता भेज दिया… एक 28-29 य्र का लड़का स्कूटर से निकल रहा था. उसने वाहा मुझे देखा और वो चिल्लाने लगा की उस लड़के को क्यो मार रहे हो …. तो गब्बर और उसके दोस्त उससे बोले चल बे तू निकल आपने काम से या हमारा मामला है. पता नही उस आदमी को क्या हुआ.. वो गुस्से मे आया और उसने गब्बर को एक तपाड़ा मार दिया.. और उसके 1-2 दोस्तो को भी मार दिया.. मैं इस बार भी मौका देख के भाग गया….. अब मुझे स्कूल से निकालने मे भी डर लगने लगा था.. जैसे ही बेल बजती मैं सबसे पहले भाग जाता… अब आप लोग इसे मेर कायरता समझो या मेरी मरबूरी… पर मैं उनका मुकाबला नही कर सकता था…. पर मैं अब ऐसे डर डर के जीने से बहुत तंग आ गया था…. वैसे मेरे भी कुच्छ दोस्त थे गुंडे टाइप के पर मैने कभी उनको कुच्छ ऐसा नही बताया था…. फिर मैने उन्हे गब्बर के बारे मे बताया तो उन्होने कहा की ठीक है देख लेंगे हम उस गब्बर को … गब्बर भी उन लोगो को जनता था की वो मेरे दोस्त कितने ख़तरनाक लोग है पर गब्बर को ये नही पता था की वो लोग मेरे दोस्त है…. अब मेरे एग्ज़ॅम शुरू हो गये गब्बर भी मेरे ही स्कूल का था वो ओनलिय एग्ज़ॅम देने आता था… तो मुझे पता था की वो एग्ज़ॅम देने आएगा तो मैने मेरे दोस्तो को बता दिया.. वो लोग भी उस दिन स्कूल आने वेल थे. और मेरी किस्मत थी की वो लोग उस दिन स्कूल आए थे वरना वो दिन मेरे लिए आखरी दिन होठा .
उस दिन गब्बर मुझे मरने के लिए चाकू लेकर आया था… ये मुझे बाद मे पता चला.. गब्बर उस दिन मुझे निपटने वाला था…. पर उसने मेरे दोस्तो को देखा की ये लोग यहा क्या कर रहे है …. और फिर उसने उन्हे मेरे साथ देखा तो फिर उसने कुच्छ लोगो से पूछा की ये लोग कौन है तो फिर उसके कुच्छ दोस्तो ने उसे बताया की ये समीर के दोस्त है …… इसलिए शायद उसने मुझे उस टाइम मरने का प्लान बदल दिया….. फिर इत्तेफ़ाक से उस दिन स्कूल मे पोलीस वालो ने चाकिंग कर ली.. और गब्बर के पास चाकू निकल गया… तो गब्बर को पोलीस पकड़ के ले गई…..
फिर कई दिन तक मुझे गब्बर नही दिखा और ना अब उसके कॉल आते थे…. पर मुझे अभी भी डर रहता था उसके…
उसी बीच मेरे पापा की तबीयत खराब हो गई …. तब गब्बर हॉस्पिटल मे आया… और मेरे पापा को देखा और मुझे सॉरी बोला… और मुझे लेकर चाय पेलने गया… और मुहसे सॉरी बोनले लगा… फिर उसके साथ मेरे क्लास के कुच्छ दोस्त भी थे… बाद मे उनलोगो ने मुझे बताया की हमने गब्बर को समझाया की वो तुझे परेशन ना करे तू बहुत सीधा है…. तब से फिर गब्बर ने मुझे परेशन नही किया और श्रुति का भी पीछा छ्चोड़ दिया………
श्रुति और मैं हम लोग अब बहुत पास थे इसलिए जैसा मैने आपको पहले बताया था की वो जब मेरे मम्मी पापा नही होठे थे मेरे घर पर सोने आती थी…….
अब मुझे श्रुति क नंगे बदन को देखने और उसे चोदने का मॅन किया. मेरे घर मे कोई नही था सब गाओ गये थे मैं और मेरी छोटी बहें थे…
श्रुति फिर आज रात को सोने आने वाली थी. मैने पहले से प्लान कर लिया था की मुझे क्या करना है. मैं मेडिकल की शॉप पर गया और नींद की गोलिया खरीद क ले आया. और प्लान के मुताबिक मैने श्रुति से पूछा क्या चाय पीयोगी.? सरती ने तुरंत हा बोल दिया. मैं तुरंत कीचीं मे गया और चाय बना क ले आया. और मैने मेरी सिस और श्रुति दोनो की चाय मे नींद की गोली मिला दी. अब हम तीनो सोने चले गये. श्रुति हम दोनो क बीच मे सोई थी. अब श्रुति और मेरी सिस दोनो मेरे साथ बिस्तेर पर सोई थी. मेरी सिस और मेरे बीच मे श्रुति सोई हुई थी …दोस्तो मैं आपको बता डू. की श्रुति की बॉडी का साइज़ उसके बूब्स जो की 34 है जो की बिल्कुल गोरे है दूध की तरह और उनके उपर लाइट ब्राउन कलर के निप्पल है. और उसकी कमर 32 है.. और उसकी गांड 36 है बहुत मोटी गांड है साली की… जब वो चलती है उसके कूल्हे ऐसे मटकते है जैसे दोनो कुल्हो मे अलग से माँस लगा दिया हो.. श्रुति मे सबसे मस्त उसकी गांड है जिसे देख कर कोई भी दीवाना हो जाए…. जब वो घर मे झाड़ू लगती है. तो उसकी गांड के डर्शन करने को मिल जाते है….. और उसका फेस प्रिटी ज़िंटा की तरह है… और बहुत गोरी है वो ….. तो दोस्तो अब श्रुति मेरी सिस और मेरे बीच मे सोई हुई थी ….. हम सो गये थे… करीब 20 मीं बात मैने आपनी सिस को हिला के देखा वो सो चुकी थी… मुझे अब समझ आ गया की नींद की गोली असर करने लगी है….. मैने फिर श्रुति को हिला कर देखा वो भी बहुत गहरी नींद मे सो चुकी थी……..
अब समय आ गया था मुझे आपने काम को अंजाम देने का … श्रुति पिंक कलर का सलवार कुर्ता पहाँी हुई थी. मैने श्रुति के मस्तक पर किस किया सबसे पहले फिर मैं उसके गाल को किस करने लगा…. बहुत देर तक मैने उसके गाल पर किस किया फिर मैं उसके होठो पर आपने होठ रख के उसके होठो को चूसने लगा अब मैने उसके होठो के अंडर आपनी जीभ डाल के चूस रहा था….. मुझे ऐसा लग रहा था की आज मुझे जन्नत मिल गई है….. अब मुझे समझ आ चुका था की श्रुति को भूत ज़ोर से नींद लग चुकी है… और अब मैं श्रुति के बूब्स को दबाने लगा उसके बड़े बड़े बूब्स को दबाने मे जो मज़ा था वो कुच्छ अलग ही था.. मैं अब उसके गले पर और शहोल्डर पर किस करने लगा था…. अब मुझे वो सब देखना था…. जो मुझे कई दीनो से ड़खने की इच्छा थी… मैने शूति का कुर्ता उपर अब उसका पेट मेरे सामने था ुआका गोरा पेट जिसपे एक नाभि थी.. बहुत सेक्सी लग रही थी… मैं उसके पेट पर ही किस करने लगा…. फिर मैने उसका कुर्ता और थोडा उपर किया….. तो उसके व्हाइते कलर की ब्रा मे कसे हुए बड़े बड़े बूब्स मेरी नज़रो के सामने थे मैने उसके कुर्ता उसके गले के उपर कर दिया… और उसके हाथो को भी उपर कर दिया…. अब मुझे उसकी सबसे मादक चीज़ देखने को मिली उसके अंडर आर्म्स… उसके अंडर आर्म्स मे हल्के हल्के बाल थे जो मुझे बहुत सेक्सी लग रहे थे… मुझसे रहा नही गया और मैने उन पर हाथ फेरना शुरू कर दिया…. मैं आपनी उंगलियो से उन्हे सहला रहा था और श्रुति की ब्रा के उपर से ही उसके बूब्स को चूस रहा था….. अब मैने भी बहुत गरम हो चुका था.. मैने भी आपनी त. शर्ट और बनियान उतार दी और मैं भी उपर से नंगा हो गया अब मैं उसके अंडर उपर लेट गया और उसके हाथ उपर करके उसके अंडर आर्म्स पर आपने होठ रख दिया हल्की हल्की उनमे से पसीने की स्मेल आ रही थी …. पर बहुत मादक थी वो स्मेल मुझे दीवाना कर रही थी उसकी खुसबू.. मैने पाने होठ उसके अंडर आर्म्स पर रख दिए और उसके अंडर आर्म्स के बाल को आपनी जीब से सहलाने लगा…. करीब 10 मीं ऐसा करने के बाद अब बारी थी उसकी ब्रा की,,,
मैं उसकी ब्रा के हुक तो खोल नही सकता था क्योकि वो सीठी लेती हुई थी.. इसलिए मैने उसकी ब्रा को भी उसके बूब्स के उपर खिसका दिया.. अब मेरे सामने उसके बड़े बड़े मांसल बूब्स थे… जिनपे लाइट ब्राउन कलर के निप्पल उनकी और शोभा बढ़ा रहे थे अब मेरे सामने उसके बूब्स बिल्कुल नंगे थे.. मैने पहली बार शुर्ती को ऐसे देखा…श्रुति मेरे सामने आधी नंगी पड़ी हुई थी .. अब मैने आपने दोनो हाथो से उसके बूब्स को दबाना शुरू कर दिया था.. और आपने होठ उसके होठो पर रख के चूस रहा था.. ऐसा बहुत देर तक चला फिर मैने उसके लेफ्ट बूब्स पर आपनर होठ रख दिए और उन्हे चूसने लगा… मैने उसके पुर बूब्स को आपने मूह मे भर लेना चाहता था पर सारे के सारे मेरे मूह मे जाने का नाम ही नही ले रहे फ़ि भी जीतने जा सकते थे मैने उठे भर इए और. अब मैने उन्हे ऐसे चूस रहा था जैसे की किसी आम को चूस रहा हू….. फिर मैने उसके निप्पल पर आपनी जीभ फेरने लगा… और फिर उसके निप्पल को भी चूसने लगा… अब मैने उसी तरह उसके रिघ्त वेल बूब्स को भी खूब चूसा .. और दोनो को करीब 20 मीं तक कुसता रहा.
मैने उसके बूब्स को चूस चूस कर लाल कर दिए थे.. अब मैने एक हाथ से उसके एक बूब्स को दबा रहा था और एक बूब्स को आपने मूह मे दबाया हुआ था… और अब मेरा हाथ डियर धीरे उसकी चुत पर चला गया मैं उसकी सलवार के उपर से ही उसकी चुत को शेलने लगा और दबाने लगा….
अब मैने उसकी सलवार का नडा खोलने लगा…. और मैने उसकी सलवार का नडा खोल दिया… और धीरे धीर मैं उसकी नीचे आने लगा.. मैने उसके पेट पर किस करता हुआ नीचे आ गया था… और मैने अब उसकी सलवार निकल दी थी वो ओन्ली मेरे सामने ब्राउन कलर की पनटी पर थी …. अब मैं उसके पेट को चूमता हुआ उसकी नाभि पर आया और मैने उसकी नाभि को चाटने लगा और आपने हाथो से उसकी गड्रई जाँघो को सहलाने लगा… और उसकी नाभि मे जीभ दल के उसे चुने लगा…. अब मैने उसके किस करता हुआ नीचे आने लगा अब मैं उसकी पनटी के उपर से ही उसकी चुत को सूंघने लगा उसकी पनटी मे से हल्की हल्की बाथरूम की खुश्बू आ रही थी… और अब मैने आपने हाथ से उसकी चुत को पेंटी के उपर से ही सहलाने लगा… और मैने आपने होठो को नीचे ले जाने लगा..
अब मैं उसकी जाँघो को किस कर रहा था उसकी जाँघो पर आपनी जीभ फेर रहा था.. मैं उसकी जाँघो को चूस रहा था.. छत रहा मैं धीरे धीरे आपने मूह को नीचे ले जाते जा रहा रहा था. उसे किस करते हुए मैने उसके पंजे तक पर किस करके वापा किस करता हुआ उपर आ रहा था.. और एक हाथ से उसकी चुत को सहला रहा था उसकी चुत को शेलने वी मुझे इतना पता चल गया था की श्रुति आपनी चुत के बाल सॉफ नही करती है… और मैं फ़ि वपन उसकी पनटी तक आपना मूह ले आया और मैने आपने दंटो से उसकी पनटी पकड़ कर नीचे खीच दी…. और उसकी पेंटी उसके घुटने तक पहुच गई…. अब मेरे सामने श्रुति बिल्कुल नंगी लेती हुई थी अब तक मैं उसकी बॉडी के हर पार्ट को किस कर चुका था… बस एक ही पार्ट ऐसा था जिसे मैने किस नही किया था उसकी चुत और उसकी गांड..अब मैं आपने हाथ से उसकी बालोवली चुत को सहलाने लगा… और उसके बूब्स आपने मूह मे रख लिए, और चूसने लगा.. मेरा हाथ उसकी चुत पर चल रहा था मुझे दुनिया की जन्नत मिल गई थी ऐसा लग रहा था .. अब मैने भी पाना पायजामा और चड्डी उतार दी… अब मैं भी नंगा हो गया…. और अब मैं उसकी चुत के अंडर उंगली डालने लगा मैने आपनी बीच की उंगली पीरी उसकी चुत मे डाल दी और अंडर बाहर करने लगा.. अब उसकी चुत मुझे अंडर से गीली लगने लगा… . मैने अब उसकी चुत पर आपना मूह रख दिया और मैं आपनी जीभ से किसी कुत्ते की तरह उसकी चुत को चाटने लगा… उसकी चुत मे से हल्की हल्की बाथरूम की मादक खुसबू आ रही थी जो मुझे उस टाइम बहुत अच्छी लग रही थी.. मैं उसकी बालो वाली चुत को आपनी जीभ से छत रहा था और आपनी जीभ को उसकी गांड के छेद से लेकर उसकी चुत तक फेर रहा था और उसकी गांड के छेद को और उसकी चुत के छेद को आपनी जीभ से छत रहा था….. अब मैने उसकी चुत को थोडा खोल दिया और आपनी जीभ उसकी चुत मे डाल के चाटने लगा..ऐसा बहुत देर करने के बाद अब बारी थी उसकी चुत मे लंड डालने की …. मैं अब उसके उपर लेट गया और उसकी टॅंगो को चौड़ा कर दिया और आपना लंड उसकी चुत पर रखा और एक धक्का मारा.. तो मेरे लंड का टोपा उसकी चुत मे चला गया… उसके मूह से आहहुउऊुुुुुुुुुउउ….. की आवाज़ निकली …
मैने जल्दी से उसके होठो पर आपने होठ रख दिया और उसके मूह को बंद कर लिया….. अब मैने उसकी चुत मे और एक धक्का मारा तो लंड थोडा और अंडर गया….वो कुवारि थी इसलिए उसे बहुत डर्द हुआ वो नींद मे होने के बाद भी शीईई…. आआअहह…….. म्म्म्मममम…
की आवाज़ निकालने लगी… और मुझे पानी उपर से हटाने लगी… शायद उसकी नींद खुल चुकी थी… पर नींद की दवाई का असर ऐसा था की वो ताक़त नही लगा पर रही थी.. मैने एक और ज़ोर डर धक्का मारा और मेरा सारा लंड उसकी चुत मे चला गया…. उसे बहुत डर्द हुआ… अब मैं थोड़ी देर रुका रहा और मैं उसके बूब्स को सहलाने लगा .. फिर उसका डर्द कम हुआ तो मैने धक्के मारना शुरू कर दिया… और अब मैं धक्के मरने लगा…. अब शायद उसे भी अच्छा लगने लगा था.. वो आपनी गांड उठा रही थी.. और मुझे आपनी गांड पर दबा रही थी .. और मेरे सिर को सहला रही थी अब मुझे भी मज़ा आने लगा लगा था और मेरी स्पीड भी तेज़ होने लगी और एर करीब 20 मीं तक चला और अब श्रुति को बहुत मज़ा आने लगा वो आपने मूह से आवाज़े निकालने लगी….. आआआ उूुुउउ…….
सस्स्स्स्शीईई….
य्ाआआआ….
माआआआअर डाला………
ऊऊऊहह
अब ऐसा ही करते करते उसकी चुत ने पानी छ्चोड़ दिया.. और वो झाड़ गई… अब उससे मेरा एक भी धक्का सहें नही हो रहा था वो मुझे आपने उपर से हटाने लगी और मैं भी 4-5 धक्को के बाद आपने पानी को उसकी चुत मे ही चोद दिया… और मैं उसके उपर ही लेट गया… थोड़ी देर बाद मैं उसके उपर से हट गया और बगल मे ही लेट गया और वो मेरी तरफ पीठ कर के सो गई…. जैसे की मैने नींद की दवाई दी थी तो उसे नींद का असर था वो मेरी तरफ पीठ कर के सो गई और शायद उसे ये भी ध्यान नही था की वो नंगी ही है और मेरी तरफ अब उसकी गांड थी वो पैर मोड़ के सोई हुई थी …. करीभ 30 मीं बाद मैं फिर से गरम हो गया अब मैं उसके पीछे से उससे लिपट गया और मैं अब उसकी पीठ को किस करने लगा बहुत देर तक उसकी पीठ को किस करने के बाआड़ मैने नीचे गया जैसा की आपको बताया वो पैर मोड़ के सोई हुई थी…
तो उसकी गांड उभर गई थी… अब मैं उसकी गांड के च्छेद को आपनी जीभ से शेलने लगा…. और चाटने लगा अब मैने उसकी गांड मरने के मूड मे था.. मैने आपना लंड जैसे ही उसकी गांड पर लगाया… तो शायद वो जाग रही थी.. उसके मेरा लंड पकड़ कर आपनी चुत पर रख दिया मैं समझ गया की ये गांड नही मरवाना चाहती ये चुत मरवाना चाहती है मैने फिर एक बार उसकी चुत मे लंड डाल दिया और उसे खूब चोदा…. फिर मैं और श्रुति दोनो ही झाड़ गये. और मैं उससे ऐसे ही लिपट कर सो गया था.. फिर सुबह सबसे पहले मेरी ही नींद खुली क्योकि मैं ही ऐसा था जिसने नींद की डॉवा नही खाई थी … मैने देखा की श्रुति और मैं नंगे पड़े है … मैने जल्दी से आपनी कपड़े पहाँे और शुर्ती के कपड़े भी ठीक किए और वापस सो गया… फिर कुछ देर बाद श्रुति उठी .. और मुझे लग रहा था की वो मुझसे कुच्छ बोलेगी पर उसने कुच्छ नही बोला और चुप छाप चली गई,
और इधर मैं तशु को रोज फोन करता था…… क्योकि मैं उसे सच्चा प्यार करता था.. अब मेरे रोज रोज फ़ोन करने से तशु के घर वालो को मेरे उपर शक हो गया और तशु ने भी मुझसे बात करना कम कर दिया… पर मैं उसे फिर भी कॉल करता था…. अब बहुत टाइम ऐसे ही निकल गया फिर मेरी सिस्टर की शादी मेरी एक सिस की शादी मे हम लोग भोपाल गये क्योकि हम लोगो को उसकी शादी भोपाल से ही करना था…..
और यहा पर एक ट्विस्ट आया
मेरी सिस की शादी के 5 दे पहले मेरे एक और रिलेटिव के घर शादी थी पर वो शादी इंडोरे मे थी …… इस कारण हम लोग उस शादी मे नही जा सकते थे… और वो हमारे रिलेटिव थे इसलिए हम उन्हे पहले से ही जानते थे… उनका एक लड़का था.,.. अंशुल नाम का.. वो भी मेरे ही बराबर का था…. अब तशु उनके घर शादी मे इंडोरे गई हुई थी और वो उनके घर 1 वीक रुकी थी…
वाहा की शादी होने के बाद वो वापस भोपाल आ गई और मेरी सिस की शादी के लिए वाहा पहुच गई जहा पर शादी थी… पर पता नही क्यो वो मुझसे डोर डोर हो रही थी…..
मैने उससे बहुत बात करने की कोशिश की पर वो मुझसे बात ही नही कर रही थी … मैने ज़्यादा तनटीओं नही लिया क्योकि … मैं उस टाइम इतना ज़्यादा समझदार नही था…
अब मेरी सिस की शादी के कुच्छ दीनो के बाद मैने तशु को फ़ोन किया.. और मैने उससे बात करते करते आपने प्यार के बारे मे बात करने लगा ..
मे- तशु मुझे तुमसे कुच्छ खाया है…
तशु- कहो क्या खाया है…
मे- नही फोन पर नही मैं तुमसे मिलके तुमसे कुच्छ खाया चाहता हू…-
तशु- ओक तो कल मेरे घर आ जाओ फिर कह देना जो खाया है… वैसे मुझे अब समझ आने लगा है की तुम्हे क्या खाया है….
मे- तो फिर बताओ तुम्हारा क्या इरादा है…
तशु- तुम आओ फिर देखते है.. अगर मेरे तरफ से हा रहा तो कोई बात ही नही है और अगर ना रहा तो हम दोस्त बन कर रहेंगे…..
और फिर फ़ोन कट गया… मैं खुश हो गया … की यार आपनी तो निका पड़ी और उस दिन मैने सबको पार्टी दे दी……… अब दूसरे दिन मैं और सोरभ( मेरी बड़ी सिस का लड़का) हम दोनो ही तशु के घर के लिए निकल गये.. जाने से पहले मैने तशु के लिए ए लिपस्टिक सेट ले लिया और एक चॉककलते ले लिए.. और उसके भाई के लिए एक चॉकलते ले ली उसका भाई जो की उससे 2 य्र छ्होटा है… और सोरभ और मैं तशु के घर के लिए चल पड़े…..
और कुछ देर मे हम तशु के घर पहुच गया उसके घर मे हम अंडर गये तो उसकी मों थी… हमने उनसे पूछ की तशु कहा है … तो उन्होने बताया की वो उपर मोविए देख रही है.. हम दोनो उपर गये तो वाहा पर तशु और उसका भाई.. और उसकी बुआ का लड़का टीवी देख रहा था … मैने तशु और उसके भाई को चॉकलते दी.. फिर कुच्छ देर बाद उसकी बुआ का लड़का चला गया …. अब तशु और उसका भाई और सोरभ को भेजना था… शोरब को तो पता था इसलिए वो तो खुद ही चला जाता पर उसके भाई को वाहा से भेजना था… तो मैने उसके भाई को 100 र्स दिए और बोला की जा बेटा समोसे लेकर आना… और उसका भाई जैसे ही समोसे लेने गया .. सोरभ भी बाहर निकल गया अब अंडर तशु और मैं दोनो ही एकेले थे… अब मैं तशु के पास गया … पहले पहले प्यार था इसलिए डर भी लग रहा था… मैं तशु के पास गया और बोला..
मे- तशु मुझे तुमसे कुच्छ खाया है…
तशु– हा बोलो क्या खाया है…
मे- मैं ना तुमसे …. तुमसे…. तुमसे…. यार मुझे समझ नही आ रहा की मैं कैसे काहू…
तशु– मुझे समझ आ गया है तुम्हे क्या खाया है..
मे- तो फिर जवाब भी दे दो
तशु– मेरा जवाब ना है..
मे— क्यो यार ई लव उ यार मैं तुमसे बहुत प्यार करता हू और तुम्हारे बिना नही रह सकता ..
तशु- पर समीर मैं तुमसे प्यार नही करती और मैं ये प्यार व्यार के चक्कर मे नही पड़ना चाहती … मुझे आपना करियर बनाना है….
मे- अच्छा बताओ तुम्हारी लाइफ मे कोई और है क्या… यदि हो तो बताओ मैं खुद हट ज़ाऊगा..
तशु– नही मेरी लाइफ मे कोई नही है… पर मैं प्यार नही कर सकती….
मे– ठीक है तो मैं तुमसे ज़बरदस्ती नही करूँगा पर इतना कह दो की मेरे अलावा किसी और को प्यार नही करोगी…
तशु— मैं ऐसा नही कह सकती .. पर अभी मेरी लाइफ मे कोई नही है…
और मेरा दीमग खराब हो गया और मैने वो गिफ्ट उसे दिया और मैने कहा की ठीक हा मैं जा रहा हू… और अब उसके भाई को गये हू 2 य्र हो चुके थे वो अब तक समोसे लेकर नही आया था…
और हम लोग जैसे ही घर से निकले उसके .. तो उसका भाई समोसे लेकर आ गया और बोला की लो मैं समोसे ले आया… तो तशु ने बोला की इतना टाइम कहा लगा दिया…. तो वो बोला की गरम बन रहे थे इसलिए टाइम लगा .. पर मेरा तो दिमाग़ खराब था और सोरभ और मैं हम घर के लिए निकल गये….
फिर हम दोनो घर आ गये… और मैं खुच दिन बाद वापस इंडोरे आ गया.. मैं तशु को उसके लंडलिने पेर रोज कॉल करता था. तशु के घर पेर जो लंडलिने लगा था. उसका कनेक्षन एक उसके पापा की शॉप पेर भी था. तो मैं जब भी सीūऑल करता था कभी उसके पापा की शॉप.पेर रिसीव होठा था तो कभी उसके घर पेर.. अब धीरे धीरे उसके घर वालो को भी मेरे उपेर शक होने लगा था. वो भी शायद मेरे कॉल करने से परेशन हो गैबटी इसलिए अब उसने उसके घर पर बोल दिया था… इसलिए उसके घर वेल भी अब मुझे सोतेली माँा कर देते थे की तशु नही है…मैं फिर भी उसे कॉल करता ही रहता था. अब तशु धीरे धीरे मुझसे छिड़ने लगी थी. पेर मुझे नही पता था की वो.मुझसे क्यो डोर हो रही है. और मुझसे नफ़रत क्यो करने लगी. मेरी दोस्ती से अब उसे धीरे धीरे नफ़रत होने लगी थी… मैं बहुत बुरा इंसान लगने लगा था उसे. मेरी बिना किसी ग़लती के भी वो मुझे ग़लत क्यो समझने लगी थी ये मुझे भी नही पता था.. पेर मैं भी हार नही सोतेली माँने वाला था. मैने सच्चा प्यार जो किया था उसे.
हजारों कहानियाँ हैं फन मज़ा मस्ती पर !
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