Sunday, January 18, 2015

FUN-MAZA-MASTI अनजाने रिश्ते--1

FUN-MAZA-MASTI

 अनजाने रिश्ते--1

 मेरी आँखें खुलीं मैने मोबाइल मे देखा सुबह के सवा चार बज रहे थे , मुझे सुबह सवा नौ की फ्लाइट ले कर बॅंगलॉर जाना था. मैने कॅब वाले को फोन लगाया ही था कि

बगल में लेटी शिखा ने मेरी छाती पर सिर रखकर उसे अपने गालों से आहिस्ता आहिस्ता सहलाया . मेरे ठंडे बदन पर उसके घने बालों गर्म हाथों और नर्म मुलायम

गालों की छुअन का अहसास बड़ा ही मीठा था , दूसरी ओर से फ़ोन रिसीव कर लिया गया था , अचानक ही उस मीठे अहसास की जगह तेज जलन ने ले ली .


"उफ़" मैं दर्द से कराहा , और फ़ोन काट दिया मेरी छाती के बाल शिखा की हीरे की अंगूठी में फँस कर टूट गये थे
"ही ही ही" शिखा मेरी इस हालत पर हंस पड़ी .
"सोई नहीं शिखा ?" उसके माथे को लेते हुए ही प्यार से चूमते हुए पूछा "नींद नहीं आई रात में?"
"उन्हूँ " अंगड़ाई लेते हुए वह बोली और एकदम से मेरे उपर औंधी लेट गयी "तुम मुझे छोड़ कर जा रहे हो यह सोच कर पूरी रात जागती रही " फिर मेरी छाती को चूमते

हुए धीरे से बोली "जाना ज़रूरी है?"

"काम है भई , जाना तो पड़ेगा , और २-३ दिन की तो बात है" मैने प्यार से उसके बालों को सहलाते हुए बोला.
"यहा पर भी तो हम काम ही कर रहे हैं " वह शरारत से बोली और मेरे सीने में मुँह छुपा लिया
"हाँ भई , तुम्हारा पति तो वहाँ कॉल सेंटर में काम कर रहा है औरयहाँ तुम्हे मेरे साथ काम करना हैं , क्यों?"
मैने उसको चिढ़ाते हुए कहा , और अगले ही पल उसने मुझे चिढ़ाने की सज़ा दे दी
"आईई..आहह उफ़" मेरे मुँह से चीख निकल गयी
उसने गुस्सा कर मेरे छाती के निप्पल्स पर जोरों से काट खाया
'छी..थू..थू" वह एकदम से उठी , नाइट लॅंप की रोशनी में मैं कुछ देख नही पाया लेकिन वह बाथरूम की ओर लपकी.
"क्या हुआ ?" मैने उठकर बनियान पहनते हुए कहा लेकिन अभी वह बाथरूम में ही थी.
मैं उठ कर वॉश बेसिन की ओर मुँह धोने गया और टॉवेल से मुँह पोंछ ही रहा था कि वह बाहर निकली.
"बाथरूम का नल खराब हो गया है बदलवा लेना" उसने अपने बाल ठीक करते कहा "पानी टपक रहा है"
"तुम ही कर दो न दिनभर में .. मुझे तो कुछ देर में निकलना है" मैने मुँह पोंछते कहा
"अच्छा जी ? मैं क्या बीवी लगती हूँ तुम्हारी? जो तुम्हारे घर के सब काम करूँ ' उसने पूछा
"नहीं तो मेरे बाथरूम के नल को बदलवाने कि तुम्हें क्या सुझि?" मैने भौंहें उचकाई
"मुझे क्या पड़ी है" उसने मुँह बिचका कर कहा
मैं उसकी इस अदा पर हंस पड़ा
"और तुम यह छाती में कड़वा पाउडर क्यों लगाते हो?" उसने गुस्सा होते हुए पूछा
"नहीं तो क्या चॉकलेट लगाऊ ?" मैने शेविंग का झाग बनाते हुए कहा
"उस कड़वे पाउडर के गंदे टेस्ट से मुँह खराब हो गया मेरा " वह बुरा सा मुँह बनाते हुए मेरे बगल से गुज़री तो मैने पीछे से उसको अपनी बाँहों में भर लिया "अभी

आपके मुँह का टेस्ट ठीक कर देता हूँ मेडम"
" हटो मुझे चाय बनाने दो" वह कसमसाई "पहले मुझे अपनी शिखा के मुँह का टेस्ट तो ठीक करने दो" मैं उसकी गर्दन को चाटते हुए बोला और हम दोनो एक बार फिर

बिस्तर पर गये और एक दूसरे में फिर से खो गये.

शिखा बेंद्रे , अपने पति राजन बेंद्रे के साथ मेरे सामने वाले फ्लॅट में रहती थी , दोनो की शादी हुए ४ साल हो गये लेकिन कोई औलाद नहीं . राजन एक कंपनी में काम

करता था और टुरिंग जॉब होने की वजह से सफ़र करता . शिखा एक हाउसवाइफ थी. दोनो अपर मिडिल क्लास मराठी कपल थे और गैर मराठी लोगों से ज़्यादा बात

नहीं करते. वह तो मैं तीन महीने पहले इनके सामने वाले फ्लॅट में शिफ्ट हुआ तो बात चीत शुरू हुई.

मुझे आज भी याद है वो दिन जब शिखा ने मेरे फ्लॅट का दरवाज़ा खटखटाया था . दोपहर के बारह बज रहे थे और मैं अभी सो कर उठा ही था , टूथ ब्रश हाथ में लिए

हुए मैं टूथ पेस्ट लगा ही रहा था की घंटी बजी

"अब कौन मरने आ गया इस वक्त " मैने सोचा
और दरवाज़ा खोला . जो सामने देखा तो हैरान रह गया.
हरी रेशमी ट्रडीशनल नौ गज की पीली साड़ी पहने एक दम गोरी , पतली बौहों , बड़ी आँखों और लाल होंठों वाली सुंदर लड़की अपना पल्लू ठीक करते हुए सामने खड़ी थी.
"भाभी जी घर पर हैं ?" उसने पूछा
उसके होंठ एक दूसरे से जुदा हुए हुए और मैं एकटक उन्हें देखता रहा
"भाभी जी घर पर हैं ?" उसने तेज आवाज़ में पूछा.
मेरा ध्यान टूटा " ओह ... माफ़ कीजिएगा अपने कुछ कहा?"
"मैने पूछा भाभी जी घर पर हैं?" एक एक शब्द पर ज़ोर देती हुई शिखा ने झल्ला कर पूछा.
"जी नहीं , मैं शादीशुदा नहीं हूँ " मैने मुस्कुरा कर जवाब दिया
मैं अभी भी उसकी सुंदरता को एकटक अपनी आँखों से निहार रहा था , वाकई शिखा ऐसी खूबसूरत दिखती थी कि हर मर्द वैसी खूबसूरत बीवी पाने की दुआ करता हो.
"क्या ? आर यू बॅचलर?" पीछे से एक तेज आवाज़ सुनाई दी
मैने देखा तकरीबन पाँच फुट ८ इंच का साँवले से थोड़ा काला और दुबला आदमी बनियान और पायज़मा पहने सामने खड़ा था .
"जी साहब" मैने जवाब दिया "हाउ इस दिस पॉसिब्ल? और सोसाइटी डोज़्न्ट अलौज़ बॅचलर टेनेंट" वह आदमी अपनी इंग्लीश झाड़ते हुए बोला

"आई बेग युवर पार्डन , आई एम नॉट अ टेनेंट आई एम ओनर" मैने कहा
"ओ आई सी...सॉरी आई फॉर मिस अंडरस्टॅंडिंग " वह झेंपते हुए बोला
मैने बुदबुदाते हुए कहा " यू शुड बी ..."
"वॉट ? डिड यू साइड सम्तिंग?" उसने चौंक कर पूछा
"साले के कान बड़े तेज हैं " मैने मन ही मन सोचा
" आई जस्ट विस्पर्ड इट्स ओके " मैने मुस्कुराते कहा
"एनीवे ... लेट मी इंट्रोड्यूस माइसेल्फ .. आई एम राजन बेंद्रे असोसीयेट वाइस प्रेसीडेंट , बॅंक ऑफ..."

लेकिन वह अपनी बात पूरी न कर सका , उसकी पत्नी शिखा चिल्लाई
"अर्रर...दूध उबल गया" शिखा को दूध जलने की महक आई और वह उल्टे पाँव भागी
"वॉट? हाउ कम?" राजन ने उसकी ओर मूड कर तेज़ आवाज़ में कहा "स्टुपिड वुमन.."
मैं सन्न रह गया मैने शिखा को देखा , उसे अपने पति द्वारा किसी अंजन आदमी के सामने की गयी बेइज़्ज़ती बर्दाश्त नहीं हो रही थी. उसकी आँखें भर आईं , मैं कुछ

कहने जा ही रहा था कि राजन बेंद्रे मेरी ओर मुखातिब हुआ
"एक्सकूज़ अस" और म्रा कहना न सुनते हुए "भड़ाक" से मेरे मुँह पर उसने दरवाज़ा बंद कर दिया.
राजन के लिए गुस्से , और शिखा के लिए हमदर्दी और दोनो के अजीबोगरीब बिहेवियर से हैरत भरे जसबातों मुझ पर हावी हो गये

"चूतिया साला" गुस्से से यह लफ्ज़ मेरे मुँह से निकला .
". जी साहब" नीचे सीढ़ियों से आवाज़ आई


यह आवाज़ लुटिया रहमान थी , लुटिया हमारी सोसाइटी में कचरा बीना करता था और कान से कमज़ोर था.
"साहेब अपने अपुन को याद किया?"
"नहीं भई " मैने मुँह फेरते कहा , राजन की अपनी बीवी से बदसलूकी से मेरा मन उचट गया था.
"साहेब कचरा डाले नही हैं क्या आज?"
"डॅस्टबिन में पड़ा है उठा लो" मैने कहा और अंदर चला गया.

एक दिन सुबह उठकर मैने अख़बार लेने के लिए दरवाज़ा खोला , तो शिखा अपने फ्लॅट की चौखट पर रंगोली बना रही थी
अपने बालों को तौलिए में लपेटे और पतला झीना गाऊन पहने वह कोई मराठी गाना गुनगुना रही थी.
उसकी मीठी आवाज़ शहद की तरह मेरे कानों में घुल रही थी , और मैं वहीं खड़ा रह कर उसकी नशीली खूबसूरती को अपनी आँखों से पी रहा था.

गालों पे घिर आई बालों की पतली लट को उसने अपने हाथों से हटाने की कोशिश की , मेरी नज़रें उसके उरूजों पर टिक गयीं , झीने गऊन में उसके उरूजों में उभार आया था , मैं पेपर उठाने नीचे झुका तो उसकी नज़र मुझ पर पड़ी , उसने बालों की लट को हटाने की कोशिश की तो रंगोली का सफेद रंग उसकी आँख में चला गया .

"उफ़" उसने अपनी आखों को मींचते हुए आवाज़ निकाली और कराहने लगी , रंगोली के रंग उसकी आखों में चुभ रहा था .
अब या तो यह हुस्न का जादू था , या मेरे दिल में उसके लिए हमदर्दी चाहे जो कह लें मुझे उसका यूँ दर्द से कराहना सहा नहीं गया और मैं पेपर छोड़ कर उसे उठाने गया .

पहली बार उसे इतने करीब से देख रहा था मैने अपने हाथों से उसे हौले से उठाया , वह अभी भी कराह रही थी
"आखें खोलिए" मैने कहा
"न..नहीं जलता है.."
"मुझे देखने दो .."
"न..नहीं"
"प्लीज़ मिसेज़ राजन "
उसने आँखें खोलीं

अपने आप को मेरी बाहों में देख कर वह घबराई टुकूर टुकूर इधर उधर देखने लगी , उसके हाथ में पकड़ी रंगोली का रंग मुझ पर उडेल दिया

"घबराईए नहीं मैं आपकी आँखों में फूँक मारता हूँ , ठंडक लगेगी"
"न..नहीं आप जाइए में देख लूँगी" वह गिड गिडाआई"

मैने उसको अपनी बाहों को कस कर पकड़ लिया , मुझे उसका जिस्म अपनी बाहों के बीच महसूस जो करना था सो यह मौका हाथ से कैसे जाने देता.

उसने आखें खोली और मैने फूँक मारी

"आहह..." उसने मानों चैन की सांस ली

"वाट्स हॅपनिंग देयर?" मैने राजन की आवाज़ सुनी

शिखा एक झटके से मुझसे अलग हट कर एक कोने में खड़ी हो गयी , मैं भी बिजली की तेज़ी अपना पेपर पकड़े फ्लॅट में लपका.

राजन बाहर आया और शिखा से कहा "आर यू ओके? शिखा क्या हुआ?"

"अँ?" शिखा से उसकी ओर देखा "क..क..कु.कुछ न नहीं... कुछ भी तो नहीं"
उसने हकलाते हुए कहा और हंस दी

"क्या बिनडोक पना है" राजन झुंझलाते हुए बोला

मैं पेपर की आड़ से उनको देख रहा था और राजन को देखा मेरी हँसी छूट गयी

राजन बदहवासी में लुँगी लपेटे आया था , और इसके अलावा उसने कुछ पहना नही था

उसको इस हालत में देख कर मैं अपनी हँसी नहीं रोक पाया , उसकी बीवी शिखा भी मुँह छुपा कर हँसने लगी

मुझे देख कर वह उसी हालत में मेरे घर आया "ओह.. मिसटर? सॉरी फॉर डॅट डे.. लेट मी इंट्रोड्यूस माइसेल्फ आई एम राजन बेंद्रे असोसिएट वाइज़ प्रेसीडेंट , बॅंक ऑफ .." उसने मुस्कुराते कहा
मैने उसकी बात काटते हुए कहा "नाईस मीटिंग योउ मिस्टर बेंद्रे आई एम अमन मलिक " और शेक हॅंड के लिए हाथ बढ़ाया
उसने भी हंसते हुए हाथ तो बढ़ाया पर फिर उसे अहसास हुआ की उसी लुँगी सरकने लगी है..
वह कभी एक हाथ से अपनी लुँगी पकड़ता कभी दोनो हाथों से मशक्कत करता
उसे यूँ अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए उट पटांग हरकतें करते देख बड़ा मज़ा आ रहा था
उसकी हालत वाकई बड़ी शर्मनाक थी , किसी भी पल उसकी लुँगी खिसकती.
"एक्सक्यूस मी , मिस्टर मलिक , आई विल सी यू लेटर , यू नो ई हॅव टू अटेंड एन इंपॉर्टेंट बिज़्नेस राइट नाउ , होप यू वॉन'त माइंड" बेंद्रे अपनी लूँगी संभालते बोला
"टेक इट ईज़ी मिसटर बेंद्रे" मैने मुस्कुरा कर कहा
"शिखा..? शिखा?" वह अपने घर के अंदर घुसते हुए अपनी बीवी के नाम से चिल्लाए जा रहा था
"चाय अब तक क्यों नहीं बनी अब तक?" अब जाहिर था सुबह सुबह हुई अपनी इस दुर्गति का गुस्सा उसे बेचारी शिखा पर निकालने था.

"पूरा पागल है यह बेंद्रे" मैने का " हरामी , चूतिया साला"

"आपने हुमको बुलाया साहेब" लुटिया कचरा उठाने आ धमका

"तुम्हारा नाम हरामी है?" मैने पूछा
"नहीं साहेब हम हरिया नहीं है" उसने भोले पनेसे जवाब दिया.
"फिर क्या चूतिया है?" मैने दोबारा पूछा
"नहीं साहेब हम लुटिया है लुटिया" उसने समझाते कहा
"तो जा के कचरा लूट ले , क्यों अपनी इज़्ज़त मुफ़्त में लुटवा रहा है?" मैने कहा और दरवाज़ा बंद किया
अंदर जाते मैने सुना "ये साहेब भी बड़े अजीब है , क्या कहते हैं ससुरा कुछ समझ ही नही आता" 












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