Friday, January 2, 2015

FUN-MAZA-MASTI पापा प्लीज........17

FUN-MAZA-MASTI

 पापा प्लीज........17

शाम में दोनों सखी स्डूडियों पर जा धमकी पर वहाँ वो ऐसी मुसीबत का सामना करेगी,सोची नहीं थी... सुबह में अन्जाने की वजह से दोनों में से किसी ने यह नहीं देख पाई कि उस लड़के ने स्लिप पर ड्यूज ही किए हुए था...

और इस वक्त कोई और था... दुबारा पैसे मांगे जाने पर दोनों तो गुस्से से लाल पीले हो गई और उस लड़के को ना जाने क्या क्या बुरा भला कहने लगी... तब तक उस आदमी ने उस लड़के से फोन पर पूछा तो वो लड़का साफ मुकर गया...

ऐसी बात सुन रूपा तो गुस्से में आ गई और बात करवाने बोली... उस आदमी ने रूपा की तरफ फोन बढ़ा दी... रूपा फोन पकड़ते ही इंजन की तरह धकधकाती हुई शुरू हो गई... हालांकि वो ऐसे किसी से बोलने में भी शर्माती थी पर जब कोई उसके साथ गलत करे तो वो सब कुछ भूल जाती है...

काजल की बात खत्म होते ही वो लड़का ऐसे आराम से पूछा "आप कब आई थी" मानो उसे कुछ याद ही ना हो... रूपा उसकी बात सुन दांत पीसती हुई बोल दी...

"सुबह सुबह मैं और मेरी दोस्त कनक आई थी...कनक बोली थी ना कि पैसे पैड कर दीजिए कहीं खर्च हो गए तो घर पर डांट पड़ेगी...तो आप पैसे लिए थे और आपने पैड की जगह ड्यूज की स्लिप दे दिए...कुछ याद आया..."रूपा की बात सुन कनक की हल्की हंसी आ गई पर कनक उसे अंदर ही रहने दी...

रूपा की बात सुनते ही वो लड़का तुरंत पहचान गया कि ये कौन है...ऐसा नहीं था कि वो सच में भूल गया बल्कि उसने जान बूझकर ऐसा किया था... रूपा की बात सुनते ही वो लड़का अचानक ऐसे बोला जैसे उसे सब कुछ याद आ गया...

"ओ हाँ..याद आया...याद आया... आप सुंदर वाली हैं... पता है आप बहुत बहुत सुंदर है...मैं तो आपको जब से देखा हूँ तब से हर वक्त बेचैनी सी...सी..."उस लड़के की बात सुन अचानक बीच में ही टोकती हुई बोली...

"ओ हैल्लो...अपनी कहानी किसी दूसरी नानी को सुनाओगे तो कुछ फायदे भी होंगे...अभी चुपचाप इन्हें ये बता दो कि पैसे जमा हैं..ठीक है?"रूपा अपनी बात कहती हुई फोन उस आदमी की तरफ बढ़ा दी...

रूपा की आखिरी बात से कनक खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाई और खिलखिला कर हंस पड़ी...कनक को हंसती देख रूपा लाल लाल आँख करती उसकी तरफ देखी तो वो अपनी मुंह दबा नजर उस आदमी की तरफ कर ली...

वो आदमी उस लड़के से पता नहीं क्या बात किया पर वो बात करते हुए ऐसे लग रहा था कि अब हंस देगा पर हंस नहीं रहा था...इधर रूपा ये सोच कर शर्म से अंदर ही अंदर पानी पानी हो रही थी कि वो ऐसे कैसे बोल दी... वो ज्यादा देर वहाँ ना रूक सकी और "बाहर स्कूटी निकाल रही हूँ,जल्दी आना..."कह निकल गई...

रूपा के बाहर आते ही अंदर दोनों की अनायास ही हंसी निकल पड़ी... उस आदमी की बात खत्म हो चली थी... वो हंसते हुए बोला,"मेरा भांजा भी कमाल है...इन सब से हमेशा कोसों दूर रहता है और आज पहली बार शुरू किया है तो वो भी गड़बड़ ..."

उसकी बात सुनते ही कनक आश्चर्य से उसकी तरफ देख मुस्कुरा पड़ी जैसे वो समझने की कोशिश कर रही हो...कनक तुरंत समझती हुई बोली,"इसलिए वो आपसे ऐसी बात कर रहे थे...मतलब गड़बड़ वाली..."

"जी हाँ., क्या करें लाडला और नेकदिल भांजा है ना...वैसे उनका क्या नाम है.."उस आदमी ने अपने होंठो पर शरारती मुस्कान फेरते हुए पूछा तो कनक मुस्कुराए बिना ना रह सकी...

कनक,"भांजे की हेल्प करने की सोच रहे हैं क्या..."

"पता नहीं, उनके तेवर देख के तो बड़े बड़े की पैंट गीली हो जाएगी तो मैं क्या हूँ...लेकिन सोच रहा था कि अगर आप कुछ मदद कर दें तो..." उस आदमी ने तब तक फोटो को पैक कर दिया पर कनक को दिया नहीं था...

इधर कनक उसकी बात सुनते ही मुस्कुरा पड़ी...उसके दिमाग ने अपनी रफ्तार से चलनी शुरू हो गई थी... वो तो एक ही शिकार की सोची थी पर यहाँ तो एक पर एक फ्री है...मामा से अलग भांजे से अलग...

मामा की उम्र कोई ज्यादा नहीं थी...कोई तीस साल के आसपास होगी...कनक उसे तुरंत अपनी आँखों से नापने लगी... वो फंसा शिकार छोड़ना नहीं चाहती थी... कॉलेज के लड़के जब उसके पीछे रूपा के लिए काफी खर्च देते हैं तो ये तो बिजनेस करते हैं और साथ ही भांजे वाली बात है तो पांचों अंगुली घी में ही है...

उसने ऐसे हथियार ना डाल थोड़ी एक्टिंग करनी शुरू कर दी,"आप उसके तेवर तो देख ही चुके हैं तो नामुमकिन ही है...आप ना ही सोचो तो बेहतर है..."

"मानता हूँ पर प्रयास करने में क्या जाता है...मेरा भांजा उतना बुरा तो दिखता है नहीं और वो भी कॉलेज स्टूडेंट है तो..." कनक की बात सुनते ही वो आदमी विश्वास से बोल पड़ा...

उसकी बात सुनते ही कनक मुस्कुरा कर अलग अंदाज में अपने सर को झटक दी... कनक की इस अदा पर वो माामा भी मुस्कुरा पड़ा...तभी कनक बाहर से ही अंदर बैठे मामाजी की तरफ झुक गई कुछ कहने...इस तरह झुकने से टीशर्ट में कैद कनक की बड़ी बड़ी चुची मामाजी की आँखों के सामने झुक गई...

मामाजी ना चाहते हुए भी देखे बिना ना रह सके...मामाजी की थरकी आँखें पल भर में ही कनक की चुचियों को बेपरदा कर दिया... तभी कनक मामाजी की नजर का पीछा कर कहाँ पर गई देखते ही आहिस्ते से बोली,"हायऽ मैं इधर..."

कनक की बात कान में पड़ते ही मामाजी की तंगभद्रा टूटी... मामाजी अब कनक की आँखों में देखने की कोशिश करते तो वो फिसल कर नीचे गुलाबी होंठों पर आ जाती... मामाजी की तो हालत खराब होने लगी थी...दूर से देखने पर तो बर्दाश्त किसी तरह कर भी लेते पर इतने निकट से असंभव सी लग रही थी...

बार बार उनका लंड सलामी ठोक रहा था पर वो बैठे थे तो मालूम नहीं चल रही थी... वैसे अंदर से उन्हें कितनी बेचैनी भर गई थी तन में वे खुद नहीं जानते थे...

"ओके, ठीक है मैं कोशिश करूँगी पर मेरा नाम कभी नहीं आना चाहिए और...."कनक भी बड़ी ही कातिलाना स्वर में अपनी अधूरी बात बोल चुप हो गई...अधूरी बात सुनते ही मामाजी तुरंत खुद को रोक नहीं पाए और कनक की तरफ और बढ़ गए जिससे दोनों की दूरी बस कुछेक इंच की ही थी...

मामाजी फिर कनक की ही तरह धीमी आवाज में बोले,"और क्या कनक बेबीईऽ..." मामाजी की आवाज में थोड़ी अदा,थोड़ी शरारत और थोड़ी बेचैनी थी... कनक मामाजी की बात सुन मुस्काती हुई बोली...

कनक,"मुझे आईस्क्रीम खाने की इच्छा हो रही है...खिलाओगे...?" कनक की बात सुन मामाजी की आँखें चमक सी उठी और वो सोच ही नहीं पा रहे थे कि कैसे? ये तो कुछ...,ना..ना..., बहुत ही ज्यादा एडवांस और बिगड़ी लड़की लगती है...

मामाजी मन ही मन सोच रहे थे कि शाली इतनी जल्दी ऐसी बातें पर आ गई...कुछ देर और बात किया तो जरूर बूर भी परोस देगी... चलो काफी अरसे बाद टेस्ट चेंज करने का मौका मिला है तो क्यों हाथ से जाने दूँ... वैसे भी लड़की के पीछे में मैं भी काफी पैसे उड़ाया था कॉलेज में...यहाँ तो भांजें के लिए उड़ा रहा हूँ और मुझे इसकी बोनस मिल रही है...

मामाजी आँखें को कनक के होंठों तक ले जा धीरे से बोले,"आप जब कहो मैं खिलाने को तैयार हूँ..."और फिर वापस अपनी आँखें कनक की आँखों में डाल दिए... कनक तो जान बूझकर ऐसी द्विअर्थी बातें शुरू कर रही थी...

कनक,"मुझे कौन सी वाली आइसक्रीमऽ पसंद है आपको पता है..?" कनक अपनी जीभ अपने होंठों पर फेरती हुई बोली जिसे मामाजी तो अपना संतुलन लगभग खो बैठे... कनक के होंठों की मदहोशी खुशबू सीधी उनके अंदर तक जा पहुँची थी...

मामाजी कुछ बोल ही नहीं पा रहे थे...उनकी उम्र में लड़कियां इतनी बोल्ड नहीं थी तो ये बोल्डनेस बातें और हरकत उन्हें ना जाने किस दुनिया में ले जा पहुँचा दिया...उन्हें होश तो तब आया जब कनक दुबारा पूछी,"प्लीज, बोलिए ना...पता भी है या नहीं..."

कनक की बात सुनते ही मामाजी पूरे होश में आ अपने हाथ बढ़ा सीधे कनक के रसीली और गीली होंठों पर रख हल्के से फेरते हुए बोले,"बेबीऽ इन्हें जो पसंद होगा... मैं वही आइसक्रीम दूँगा...प्रॉमिश.." मामाजी कहते हुए मुस्कुरा पड़े...

कनक के होंठों पर मामाजी की उंगली पड़ते ही सिहर कर ईस्स्स्स कर बैठी... कनक तो इतनी ही में अपनी पानी से पैंटी गीली करनी शुरू कर दी... मामाजी की तो उससे भी बुरी हालत हो चली थी... जेल में बंद उनका पप्पू गुस्से से फड़फड़ा कर रह जाता बेचारा...

कनक मामाजी का हाथ हटाने की बजाए अपना मुँह खोली और मामाजी की अंगुली को अंदर आने का न्योता दे दी... मामाजी न्योता पाते ही अपनी अंगुली हल्का सा अंदर कर दिए जिसे कनक बड़ी ही सेक्सी तरीके से चूस ली...कनक के चेहरे की एक्सप्रेशन ऐसी थी मानो वो अंगुली नहीं लंड हो...

कनक मामाजी की आँखों में झाँकती हुई बोली,"अब तो जान गए ना कि इसे कैसी टेस्ट पसंद है...?" कनक की बात सुनते ही मामाजी हाँ में सर हिला दिए... मामाजी की हां से कनक अपने मुंह से अंगुली बाहर कर दी...

बाहर अंगुली होते ही मामाजी कनक के गालों को स्पर्श करते हुए अपना हाथ कनक के गर्दन तक ले गए और अगले ही पल उन्होंने अपना होंठ आगे कर दिए...अगले ही पल मामाजी के होंठ कनक की नाजुक होंठ को जकड़ लिया और चूसने लगा....

कनक गर्म तो हो ही गई थी वो तुरंत ही किस का सपोर्ट देने लगी और मुठभेड़ करने लगी... मामाजी तो नई नवेली माल पा तर से गए थे... वे आज पहली बार दिल से जिंदगी सफल मान रहे थे...

कुछ ही पल में कनक जबरदस्ती किस तोड़ीऔर मुस्कुराती हुई बोली,"अभी के लिए अब बस... और फिलहाल नकली वाली आइसक्रीम खिलाओ... ज्यादा देर हुई तो रूपा गुस्सा हो जाएगी..."

मामाजी मन मसोस कर अलग हुए और अपनी हालात पर नजर डाले... उनका रूह अचानक से कांप उठा... कितनी बेहुदगी थी... जगह गलत है,समय गलत है...गलत ही गलत कर रहे थे... वो सर को झटकते हुए मूड फ्रेश करते हुए बोले...

मामाजी,"ओकेे, मैं बाद में फोन करूंगा और अभी मैं बाहर नहीं जा सकता, इसके लिए सॉरी क्योंकि इस वक्त यहाँ मैं अकेला हूँ और ये खुशकिस्मती है मेरी कि इतने पल में कोई कस्टमर भी नहीं आया वर्ना..."

मामाजी की बात सुनते ही कनक हँस पड़ी और बोली,"डोंट वरी, मैं खा लूँगी बाहर...अच्छा मैं चलती हूँ... बाद में बाद करूँगी..."कहती हुई कनक चलने को मपड़ी ही थी कि मामाजी रोकते हुए बोले...

मामाजी,"ये लो, आइसक्रीम वाला बिना पैसे लिए नहीं खिलाएगा..." कहते हुए मामाजी 500 का नोट पॉकेट से निकाल कनक की तरफ बढ़ा दिए... जिसे कनक "थैंक्यू"कहती हुई ली और बॉय कहती हुई तेजी से बाहर निकल गई...

बाहर रूपा कब से वेट कर रही थी...कनक को देखते ही रूपा दो चार गाली बरसा दी. कनक सॉरी कहती हुई रूपा के साथ बैठ गई और चल दी... भीड़ से बाहर निकलते ही रूपा पूछी,"क्या कर रही थी इतनी देर तक..?"

कनक रूपा की बात सुन बिना हिचकिचाहट के बोली,"किस कर रही थी..."

रूपा,"व्हॉट..."

कनक,"यस बेबी, बड़ा ही हॉट था किस...ओ गॉड... शादीशुदा वाले इतने सेक्सी और हॉट होते हैं मैं सोच भी नहीं सकती...मजा आ गया आज..."

रूपा,"हे राम! शाली तू कितनी कमीनी हो गई... शर्म नहीं आई तुझे उतने बड़े से करते हुए.." रूपा जानती थी कि कनक सच ही कह रही है... वो इन सबकी तो आदी हो चुकी थी पर आज इस नई ट्विस्ट देख दंग रह गई...

कनक रूपा की बात सुन और जोर से हंस पड़ी और बोली,"रूपा, जब मुर्गा खुद ही हलाल होने आए तो मैं क्या करूँ...एक किस पर 500 गला दिया...जिस दिन चूत तक पहुँचेगा उस दिन तो 50000 ना गलवाई तो मेरा नाम बदल देना..."

कनक की इस बात पर रूपा भी हंसे बिना ना रह सकी...रूपा हंसती हुई बोली,"कुत्ती कहीं की..." कनक रूपा की बात पर हंसती हुई आगे बोली,"यार ये मर्द सब पता नहीं सेक्स के आगे अँधे क्यों हो जाते हैं...जबकि इनमें मजा तो उससे कहीं ज्यादा लड़की लोग को ही आती है..."

कनक,"लड़के एक बार सेक्स करे तो आगे 2-4 तक वो समझेगा कि अभी उसकी जरूरत नहीं है, वहीं लड़की लोग तो हर बार करने के साथ दुगुनी वासना से भर जाती है और जितनी जल्द मिले, वो करना चाहती है... फिर भी लड़की की जगह लड़के ही मरते हैं सेक्स के पीछे.. "

रूपा कनक की बात पर हामी भरती हुई बोली,"हाँ ये सच है पर कैरेक्टर भी एक चीज होती है कनक..." रूपा की बात सुनते ही कनक बोल पड़ी...


कनक,"खाक कैरेक्टर...ये जो सिस्टम है ना वो ही गलत है...साला कोई लड़का करे तो औरों तो छोड़ो,उसका बाप ही बोलेगा कि मेरा बेटा मर्द है तो करेगा नहीं...और वहीं कोई लड़की करे तो उसे रंडी, वेश्या पता नहीं क्या क्या उपाधि मिल जाती है उसे...लड़के को भी ऐसे करने पर ऐसी ही कोई संज्ञा मिलनी चाहिए थी..."

कनक की बात सुन रूपा मुस्कुराती हुई बोली,"थोड़ यार इन सब बातों को...तुम्हें जो अच्छा लगे करो पर अपने लोगों का ख्याल अपने दिल में रखकर...रोई ऐसी वैसी हरकत मत करना कभी कि वो यहाँ सर उठा कर ना जी पाए..."

रूपा,"हम्म्म...इसलिए तो जो भी करती सिक्योरली करती हूँ... आज तक कॉलेज फ्रेंड छोड़ बाहर मुंह नहीं मारी वरना तुम नहीं जानती कि मुझे हर वक्त कितनी हवस चढ़ी रहती... कॉलेज फ्रेंड की बात उनके ही ग्रुप तक सीमीत रहती है..."

कनक,"..हाँ और ग्रुप वाले बारी बारी से मजे ले लेते हैं..ही ही ही..." कनक आगे की बात कह हंस पड़ी...कनक भी रूपा की बात से हंसती हुई बोली,"क्या करूँ, मन को मना लेती पर नीचे नहीं मना पाती...और साथ ही माल पानी मिल ही जाती..."

रूपा,"हम्म्म...पर माल पानी लेती हो तो तुम भी तो...." रूपा आगे की बात बिना बोले ही हंस दी...जिसे कनक समझ के हंसती हुई "शालीईंऽ.." कहती हुई रूपा की निप्पल को ऐंठ दी...जिससे रूपा चीख पड़ी पर स्कूटी संभालनी थी तो कुछ कर नहीं पाई...

रूपा,"कमीनी, गिर गई ना तो दोनों मरेगी एक साथ..." रूपा चीखती हुई बोली जिसे सुन कनक मासूमिसत से रूपा को अपनी बाँहों में भर कंधे पर सर रखती हुई बोली,"कोई फर्क नहीं, जहाँ तू रहेगी वहाँ तो मैं बिना किसी डर के जाना पसंद करूँगी.."

रूपा,"ओके, आज चल तेरे ही घर चलती हूँ.."

रूपा की बात सुनते ही कनक खुशी से चहक उठी...रूपा कनक के घर कभी कभार ही आती थी...इसकी वजह कोई खास नहीं थी...बस बिना काम के नहीं जाती थी... और कनक रहती भी थी उल्टी दिशा में... कॉलेज जाने के लिए भी कनक को रूपा के घर के पास से ही जानी पड़ती थी...तो वो रोज ही रूपा के घर आ जाती थी..

रूपा अपने घर पर ना रूक सीधी कनक के घर की तरफ बढ़ गई...कनक खुशी से बोली,"चलो, आज खाना खा कर वहीं सो जाना...कल साथ में दोनों कॉलेज आ जाएंगे..."

रूपा,"पागल डांट खिलाने का इरादा है... पापा 9 बजे तक आते हैं और मुझे घर पर ना देख मम्मी को डाँटेंगे ही और मुझे भी अलग से बोनस सहित डाँट पड़ेगी..."

कनक,"क्या यार, तुम भी ना...अच्छा फिर साथ में खाना खा कर चली आना...इतना तो कर सकती है ना..."

रूपा,"हाँ अगर जल्दी हुई तो..." रूपा की बात से कनक ओके कह हँस पड़ी और रूपा से चिपक के बैठ गई...रूपा अपनी रफ्तार से आगे बढ़ी जा रही थी...

घर पहुँचते पहँचते अँधेरा घिर गई थी...सभी घर की रोशनी जगमगाने लगी...गाड़ी कैम्पस में पार्क कर दोनों घर में दाखिल हुई जहाँ कनक की मम्मी रूपा को देखते ही ढ़ेर सा प्यार उस पर जताने लगी और शिकायत भी...

कनक बीच में ही मम्मी को रोक खाना बनाने बोल रूपा को ले अपने रूम में चली गई...रूम में आते ही रूपा बेड पर पसर गई...जिसे देख कनक हंसी और फ्रेश हो आती हूँ कह बाथरूम में घुस गई...

फ्रेश होने के बाद कनक जब बाहर निकली तो रूपा को कुछ पढ़ते देखी तो पहले आश्चर्य से उस किताब पर नजर गड़ाए चलती आई...पास आते ही उसे अचानक ही सब कुछ याद आ गई...कनक को अपनी तरफ आती देख रूपा वो किताब लिए मुस्कुराती बेड के उस तरफ हो गई...

सेक्स कहानी की कोई किताब थी जिसे कनक पढ़ के बेड के नीचे छुपा दी थी...पर रूपा पता नहीं कैसे निकाल के पढ़ने लगी...रूपा को ऐसे खिसकती देख कनक हंसती हुई बोली,"अरे भागती क्यों हो, मैं छिन नहीं रही..."

"पता है, तू छिनने के काबिल भी नहीं है...और ये सब तो तेरी आदत नहीं थी फिर कैसे..."रूपा किताब को फोल्ड कर कनक की ओर देख बोली... जिसे सुन कनक अपनी एक आँख दबाती हुई बोली...

कनक,"कुछ नहीं यार, बस यूँ ही कभी कभी टाइम पास हो जाती है..." कनक की बात सुन रूपा मुस्कुरा कर बोली, "हम्म्म, पर इसमें काफी गलतियाँ है टाइपिंग में.. पढ़ने में दिक्कत हो रही है..." और वापस वापस पढ़ने लगी...

कनक तब तक रूपा के बगल में लेट गई और रूपा की तरह पेट के बल हो बोली,"तो मत पढ़...मैं कौन सा पूरी पढ़ पाई...बगल की ही एक भाभी है ना वही पढ़ती रहती है...उन्हीं के यहाँ से लाई हूँ..." और कनक फिर रूपा के हाथ से किताब ले वापस बेड के नीचे रख दी...रूपा बिना किसी नानुकुर के किताब दे दी...

रूपा,"अच्छा तो उस फोटो वाले से क्या सब बात कर रही थी जो उतनी देर लगा दी..." रूपा की बात सुन कनक मुस्कुराते हुए बोली,"मैं क्या बात करूँगी... बस तुम्हारे बारे में पूछ रहा था..."

कनक की बात सुनते ही रूपा आश्चर्य और गुस्से से बोली,"कैसी बातें.."

कनक,"कोई खास नहीं, वही पुरानी बातें...वो लड़का तुम्हारे लिए दिवाना हो गया और आज वाली हरकत उसने जान बूझ कर किया था..." असलियत जानते ही रूपा के मुंह से ए ग्रेड की गाली निकलनी शुरू हो गई उस लड़के के लिए....

गाली सुनते ही कनक हँसती हुई बोली,"डोंट वरी बेबी, मैं सब दिन की तरह हूँ ना उनकी दिवानगी छुड़ाने के लिए...अब तो मामा-भांजा दोनों अलग अलग प्रीमियम भरते नजर आएंगे तुम्हें पाने के लिए और मिलेगा बस बाबाजी का......."

रूपा,"अच्छा तो दोनो मामा भांजा है...वो सब तो ठीक है पर उसने जो मेरे साथ बदतमीजी की है उसकी सजा तो मैं ही दूँगी बोनस में..." और फिर रूपा फोन पर की सारी बदतमीजी कनक को कह डाली जिसे सुन कनक हंसते हंसते लोट पोट हो गई...

कुछ देर बाद कनक की हंसी रूकी तो उसने मामा वाली बात कहनी शुरू कर दी...जिसे सुनते ही रूपा के तन बदन में रोमांच सा भर गया... वो गौर से सुनने के साथ कसमसाने भी लग गई थी...इस बात की नोटिस कनक कर ली थी पर वो रूपा को महसूस होने दिए बिना कहती चली गई...

शायद कनक कुछ और ही सोच रही थी...वर्ना अब तक तो कनक रूपा पर टूट पड़ती...



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