हिंदी सेक्सी कहानियाँ
मुझे कुत्ते से चुदवा दिया--3
गतांक से आगे...........................
चीफ़ मेरे पास आया और बोला, "आज हम लोग तुझे अमरीकी कानून की मर्दानगी से वाकिफ़ कराएंगे, तुम लोग साले हमारे देश मैं आके अपनी मर्जी करते हो, आज मैं तुझे ऐसा सबक सिखाऊँगा जो तो कभी नहीं भूलेगी, बाजारू कुतिया!"
"सबसे पहले तो हम तेरे मुहँ में अपना लिंग डाल कर तुजेह अपना वीर्य का स्वाद चखाएंगे, चल अब जल्दी से अपने घुटनों पर बैठ कर मेरा लिंग अपने मुहँ में डालकर चुसना शुरू कर"
मैं इसकेलिए तैयार नहीं थी, मुझे तो लगा था कि ये लोग बस मेरी चूत को चोदेंगे और मैं इसी के लिये ही खुद को हिम्मत कर के तैयार किया था, क्योंकि उन लोगों को मुझे चोदना तो हर हाल में ही था, पर मैं उन लोगों के लिंग मुहँ मैं लेना, नहीं मैं ये नहीं कर पाऊँगी
मैं कुछ सोच पाती या खुद को मजबूर कर पाती, उससे पहले ही चीफ़ जो फिर से गुस्से में आ गया था, एक दम से बोल पड़ा, "साली कुतिया !, बाजारू मुस्लिम रंडी !, मुझे लगा था कि अब तक तू अपनी औकात से वाकिफ़ हो गई होगी, लेकिन नहीं तुजेह अभी और सबक सिखाना पड़ेगा"
"तुजे अमरीकी पुलिस वालों कि इज्ज़त करना सिखाने के लिए मुझे ज्यादा समय नहीं लगेगा, मुस्लिम कुतिया!, मैं तेरा वो हाल करूँगा कि तू हमारे लिंग अपने मुहँ में लेने भीख मांगेगी, रंडी! . जो हम कहेंगे वो तू बाजारू कुतिया कि तरह करने लगेगी, अपने ही मुहँ से कहेगी कि मुस्लिम औरतें सबसे ज्यादा गिरी हुई बाजारू औरतें होती हैं, तू हमसे भीख मांगेगी कि हम तेरा बलात्कार करें, भीख मांगेगी तू"
मुझे डर से कांपने लगी, मुझे लगा मैं उनसे माफ़ी मांग लूँ और उनके लिंग अपने मुहँ मैं लेकर खुद को एक गिरी हुई मुस्लिम बाजारू कुतिया साबित कर दूँ, लेकिन डर, गुस्से और शर्म के कारण मैं कुछ भी ठीक से बोल नहीं पा रही थी।
फिर चीफ़ अपने लोगों से बोला, "इस कुतिया को कोठरी में हथकड़ी डाल कर बांधो, चाबुक की मार नंगे जिस्म पर पड़ते ही रंडी की सारी अकड़ मूत के साथ चूत से ही निकल जाएगी, ले जाओ कुतिया को"
अब तो बस मेरे डर के मारे पसीने ही छुट गए, मैंने कहा,"रुको!, रुक जाओ! खुदा के लिए रुक जाओ........."
लेकिन उन लोगों ने मेरी एक न सुनी और मुझे बालों से घसीटते हुए कोठरी में ले गए, जहां उन्होंने मेरे हाथों में हथकड़ी डाल कर मेरे दोनों हाथ ऊपर की तरफ खींचकर बाँध दिए फिर एक एक हथकड़ी मेरे दोनों पैरों में डाल कर मेरी दोनों टांगें चोड़ी खोल कर बाँध दी। मेरा सारा जिस्म किसी कसी हुई तार की खिंच गया था, अब मेरी नंगी पीठ और नंगी चूतड़ चीफ़ के सामने थीं
चीफ़ बोला, "बहुत खूब लडकों! चलो अब इस कुतिया को सबक सिखाते हैं, चाबुक की मार पड़ते ही रंडी नंगी ही नाचने लगेगी"
मैं डर से काँप रही थी साथ ही मेरा सारा बदन खिचाव के दर्द से जूझ रहा था, तभी चीफ़ ने पास में रखा हुआ चाबुक उठा लिया, मैं अभी से ही कई गुना दर्द महेसूस करने लगी थी, मैंने टी.वी. और अखबार मैं देखा और सुना था कि किस तरह पुलिस वाले मुजरिम को चाबुक से मारते हैं, अब मैं सच में महेसूस भी करने वाली थी, मैंने अपनी आँखे बंद कर ली और चाबुक की मार का इन्तजार करने लगी।
चीफ़ ठीक मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया, सारे कमरे मैं बिलकुल सन्नाटा छा गया, चीफ़ ने एक लम्बी सांस ली और फिर चाबुक को जोर से घुमाते हुए मेरी नंगी पीठ पर एक जोरदार वार किया
पहले तो मुझे कुछ एसास नहीं हुआ लेकिन दुसरे ही पल मेरी नंगी पीठ चाबुक की मार से जलने लगी, मैंने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया, मैं रोने लगी, बांधे होने के कारण मैं ठीक से हिल भी नहीं सकती थी और चाबुक की मार पड़ते ही मैंने हिलने की कोशिश करते हुए खुद को और खिचाव के कारण और ज्यादा दर्द पहुचाने लगी, इतना दर्द जो की मेरी सोच से भी परे था
फिर चीफ़ बोला, "देखा लडकों, मैंने कहा था न कि ये रंडी नंगी ही नाचने लगेगी"
सभी लोग हंसने लगे
"क्यों कैसे लगा रहा है कुतिया, तेरी नंगी गोरी पीठ पर ये मार की लाल लकीर बहुत ही सुन्दर लग रही" और सभी लोग मज़े लेकर हंसने लगे
मैं दर्द से तड़प रही थी, चीफ़ ने कहा, "अब क्या बोलती है कुतिया हमारा लिंग अपने मुहं में लेगी या नहीं"
मैंने दर्द से बिलक रही थी, मुझ में और दर्द सहन करने की ताकत नहीं थी, हार तो मैं पहले चुकी थी इस लिए मैं उन लोगों के लिंग अपने मुहं में लेने को राज़ी हो गई, मैंने कहा, "हाँ चीफ़ मैं जो भी तुम कहोगे करुँगी, मुझे और मत मारो............."
चीफ़ हंसने लगा और फिर से एक लम्बी सांस लेते हुए उसने चाबुक को जोर से घुमाया और मेरी नंगी चूतड़ पर एक जोरदार वार किया, चाबुक की चोट की आवाज़ से ही उसकी मार के दर्द का एसास किया जा सकता था, मेरा सारा जिस्म फिर से दर्द की आग में जलने लगा, मुझे अपने नंगी चूतड़ों पर दर्दनाक चीस महसूस हो रही थी, मैं रो रो कर जोर से चिल्ल्ला रही थी और वो लोग मुझ पर हंस रहे थे, मैं और मार खाना नहीं चाहती थी।
मैंने फिर से रोते हुए कहा, "चीफ़ मुझे मत मरो! मैं वो सब करूंगी जो भी आप कहोगे, मैं सब के लिंग अपने मुहं में ले लुंगी! , चीफ़ मैं भीख मांगती हूँ!'
"आप सभी लोग मुझे एक बाजारू रंडी की तरह चोदो, हाँ! मुझे चोदो"
" मैं पुलिस वालों से चुदवाने के लिए मरी जा रही हूँ, मुझे चोदो खुदा के लिए मुझे चोदो"
" चीफ़ मैं एक बाजारू कुतिया हूँ सारी मुस्लिम औरतें सबसे गिरी हुई बाजारू रंडियां होती हैं आज मैं ये साबित कर दूंगी,.................."
मैं खुद को ज़लील करने लगी ताकि वो मुझे और न मारे, मेरे अन्दर खड़े रहने की भी ताकत नहीं बची थी, मैं सिफ लटकी हुई थी और बंधे होने के खिंचाव के दर्द से मरी जा रही थी।
चीफ़ मेरे पास आया और मेरी बाल खींचकर मेरा मुहं अपनी तरफ मोड़कर मेरी आँखों में देखा और फिर हल्का सा हंसा, मेरी हालत देखकर उसे अंदाज़ा हो गया था की अब मैं और ज्यादा नहीं लड़ने वाली हूँ मेरा रोम रोम दर्द से हार कर चीफ़ के हुक्म का महुताज़ हो गया है, चीफ़ जीत चूका था, उसने मुझ पर पूरी तरह से काबू कर लिया था और मैं खुद को हार चुकी थी,
मैंने दर्द से कर्राते हुए कहा, "चीफ़ मुझे चोदो, खुदा के लिए मुझे चोदो, आप जो कहेंगे मैं करुँगी"
चीफ़ बोला, "बहुत खूब, कुतिया!"
चीफ़ वापिस चला गया और फिर से उसने चाबुक उठा लिया, मैं इतना ज्यादा डर गई की वहीँ सबके सामने मेरा पेशाब निकल गया, सब लोग मेरी इस शमिन्दा होती बेबसी पर हँसे लगे
लेकिन चीफ़ ने फिर चाबुक को घुमाया और एक जोरदार वार किया जिसकी मार मेरी नंगी पीठ से लेकर मेरी नंगी चूतड़ तक गई
मैं फिर से दर्दनाक आवाज़ में जोर से चिल्लाई लेकिन वो लोग हंसते रहे, फिर किसी ने मेरी हथकड़ियाँ खोल दीं और मैं ज़मीन पर फैले अपने ही पेशाब पर गिर गई।
मुझे घसीट कर चीफ़ के पास ले जाया गया, चीफ़ ने मुझे बालों से खींच कर उठाया, मैं घुटनों पर चीफ़ के सामने बैठ गई, चीफ़ ने अपनी पतलून की ज़िप खोली और अपना लम्बा सा लिंग निकला और बोला, "चल कुतिया! अब हमे खुश कर दे, हम देखना चाहते हैं की मुस्लिम लड़कियां कितनी अच्छी बाजारू रंडी हो सकती हैं"
उसने अपना लिंग मेरे होंटों के पास लगाया, मैंने अपना मुहं खोल कर उसका लिंग अपने मुहं में ले लिया और उसके लिंग को चूसने लगी, मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही थी उसे पुरे मज़े देने की, खुद को एक असली बाजारू रंडी साबित करते हुए।
मैं फिर से चाबुक की मार चखना नहीं चाहती थी, भले ही मुझे खुद को कितना ही ज़लील क्यों न करना पड़े, मैं उसकी गुलाम ही बन गई थी और शायद यही मुझे और ज्यादा दर्द झेलने से बचा सकता था, मैं उसका हार हुक्म मानु यही तो वो चाहता है, मैं चीफ़ का लिंग चूसती रही जब तक की उसने वीर्य नहीं छोड़ा
फिर कुछ देर बाद उसना मेरे मुहं में ही अपना वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया, उसने मुझे सारा वीर्य पीने को कहा और मैं वही किया मैंने उसका सारा वीर्य घोंट लिया हालाँकि मुझे थोड़ी परेशानी जरुर हुई लेकिन मैंने ज़ाहिर नहीं होने दी
चीफ़ के बाद बाकी सब भी अपना अपना लिंग चुस्वाने के लिए लाइन लगा के खड़े हो गए, मैंने उन सबके लिंग भी अपने मुहं में लेकर काफी अच्छे से चुसे जब तक की उन लोगों का वीर्य नहीं निकला, मैं उनके लिंग भी चूसती रही और वीर्य निकलने पर मैंने उन सबका वीर्य भी पीया बिना कोई नखरा दिखाए
उसके बाद चीफ़ फिर से एक बार अपना लिंग मेरे मुहं में डालने को तैयार खड़ा था, बोला, "आज तो मैं और मेरे लड़के तुझे पूरी रंडी बना देंगे"
मैंने फिर से उसका लिंग अपने मुहं में ले लिया और चूसने लगी, सारा वीर्य भी पीया.
फिर उसने मुझे पीठ के बल ज़मीन पर लिटा दिया, मेरी दोनों टाँगे खोब चोड़ी कर के खोल दी गई, जिससे की मेरी कमसिन गुलाबी चिकनी चूत भी पूरी तरह से खोल गई थी और चीफ़ के मोटे लिंग को दावत देने लगी, चीफ़ मेरे ऊपर लेट गया और उस ने अपना लम्बा व मोटा लिंग मेरी कसी हुई जवां चूत में घुसा दिया, दर्द के मरे मेरी चीख निकल गई, वो बड़ी ही बेदर्दी से मुझे चोदने लगा उसका हैवानो जैसा लिंग मेरी चूत को बहुत ही बुरी तरह से फाड़ता हुआ जटके दे कर मुझे चोद रहा था.
कुछ देर बाद उसने मुझे अपनी गोद में बिठा कर, मुझे चोदने लगा, और मैं किसी गिरी हुई रंडी की तरह चिल्लाते हुए खुद को चुदवा रही थी.
काफी देर तक मुझे हार तर से चोदने के बाद चीफ़ ने मेरे सारे बदन पर अपना गर्म वीर्य छोड़ दिया,
उसके बाद मुझे बाकी पुलिस वालों ने भी हार तरह से चोद डाला, और मेरे जिस्म को अपने अपने गर्म चिपचिपे वीर्य से गीला कर दिया.
फिर पांच सात मिनट रुक वो सभी लोग मुझे फिर से चोदने लगे, मेरे जिस्म के साथ खेलने लगे जैसे की मैं कोई बेजान गुडिया हूँ, वो मुझे थप्पड़ मारते कभी मेरी चूचियां दबाते, कभी मेरी निपल खींचते तो कभी मेरी चूत में अंगुलियाँ डालते या मेरी चूत को नोचने लगते. मुझे खुद को गन्दी गालियाँ देने को कहते और जब मैं खुद को गालियाँ देकर ज़लील करती तो हंस हंस कर अपना मनोरंजन करते
फिर कुछ देर बाद वो सभी लोग मुझे दुबारा से चोदने को तयार थे, सबसे पहले चीफ़, मुझे कुतिया बना के मेरी चूत में चीफ़ ने अपना लिंग डाल कर मुझे चोदते हुए मेरी चूत फिर से फाड़ डाली. वो मेरी चूचियां मसलता, मेरी निपल खींचता, मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मारता और मुझे गालियाँ देते हुए चोदने लगा जब तक की उसके लिंग से वीर्य नहीं निकल जाता. चीफ़ के बाद फिर से एक बार सभी पुलिस वालों ने मुझे कुतिया बना कर दुबारा से चोदना शुरू कर दिया, तभी एक पुलिस वाल जो मुझ से भी कम उम्र का था उसने मुझे बालों से खिंच कर पकड़ा और मेरे मुहं में अपना लिंग डाल दिया, अब मैं उसका लिंग भी चूस रही थी साथ ही अपनी चूत भी चुदवा रही थी.
फिर उन्होंने मेरी गांड में भी अपना लिंग डाल कर मेरी गांड भी फाड़ डाली, अब मुझे दो-दो तो कभी तीन तीन पुलिस वाले एक साथ चोदने लगे थे, मेरा अंग अंग दर्द में डोब गया लेकिन किसी को भी मुझ पर जरा भी रहम नहीं आया, वो लोग मुझे चोदते रहे बिना रुके और मैं भी सब कुछ करती रही, खुद को हर तरह चुदवा थी रही, ताकि मुझे हर तरह से चोदने के बाद, मेरी जिस्म से खेलने के बाद मुझे जाने देंगे.
लेकिन मेरी उम्मीद गलत साबित हुई, उन्होंने मुझे सारे दिन थाने में रखा और मुझे चोदते रहे, मेरा बलात्कार करते रहे, जब उनका मन भर गया तो उन्होंने मुझे पूरी नंगी ही रखते हुए थाने एक कोठरी में बंद कर दिया. मैं रोती रही चिल्लाती रही और उनसे कहती रही की मुझे जाने दो मैंने वो सब कुछ किया जो उन्होंने मुझसे कहा, लेकिन उन लोगों ने मेरी एक न सुनी. मैं बिलकुल ही टूट चुकी थी, अब तो मैं सोचने लगी थी की क्या मैं कभी यहाँ से निकल भी पाऊँगी, उन्होंने मुझे कुछ खाने को भी नहीं दिया सिर्फ पानी पीने की आज़ादी थी हालाँकि वो लोग खुद तो खाना भी खा रहे थे.
चीफ़ बोला, "कुतिया को भूखी रखेंगे तो ज्यादा अच्छी रंडी बन रहेगी"
काफी देर से मैं चुद रही थी और मुझे अब पेशाब भी आने लगा, बहुत देर तक तो मैं पेशाब रोकने की कोशिश करती रही पर जब और न रहा गया तो मैंने हिम्मत कर के एक पुलिस वाले से कहा की मुझे पेशाब करना है।
उसने मुझे कोठरी में ही पेशाब करने को कहा सबके सामने, मैं और ज्यादा पेशाब नहीं रोक सकती थी, मेरी चूत जलने लगी थी इसलिए मैं उन लोगों के सामने ही पेशाब करना पड़ा, उन्हूने मुझे टाँगे चोड़ी करके पेशाब करने को कहा ताकि वो लोग मेरी चूत से पेशाब निकलते हुए देख सकें, और एक जवान लड़की की नई तरह की शर्म का मज़ा ले सकें
फिर उन लोगों की शिफ्ट ख़त्म हो गई और वो लोग घर जाने लगे, मुझे लगा की आख़िरकार अब ये लोग मुझे छोड़ देंगे लेकिन नहीं उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा।
इन लोगो के भाईचारे की दाद देनी चाहिए, उन्होंने रात की शिफ्ट वाले लोगो को भी जिस्म से खेलने का मोका नहीं गवाने दिया। रात की शिफ्ट मैं तीन मर्द थे, एक कुछ 45 के आस पास का और दो 25, 26 साल के लग रहे थे
वो तीनो मुझे वहां पर पूरी नंगी पाके ख़ुशी से फुले नहीं समा रहे थे, दिन की शिफ्ट वाले पुलिस वालों ने उन्हें बताया की मैं एक मुस्लिम लड़की हूँ और कैसे उन लोगों ने मुझे पकड़ा, मुझे सबक सिखाया, कानून और अमरीकी पुलिस वालों की इज्ज़त करना सिखाया, मुझे मेरी औकात दिखाई,
और अगर मैं कुछ गड़बड़ करती हूँ तो चाबुक का इस्तमाल कैसे करना है, सब कुछ बता कर दिन की शिफ्ट के पुलिस वाले अपने घर चले गए।
उनके जाते ही रात की शिफ्ट में आये पुलिस वालों ने मुझे चोदना शुरू कर दिया पहले एक एक करके फिर तीनो ने एक साथ मुझे चोदना शुरू कर दिया, रात भर मेरा बलात्कार करते रहे, बाद में जब भी उनमें से जिसका भी मन करता वो मुझे चोद देता, मैं बिना कुछ कहे वो सब करती रही जो भी इन तीनो ने मुझे करने को कहा, इस बीच मैं कभी कभी थोडा सा सो भी जाती।
क्रमशः........................
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