Monday, July 22, 2013

FUN-MAZA-MASTI औरत की चाहत-3

FUN-MAZA-MASTI


औरत की चाहत-3

सच में दोस्तो, बनाने वाले ने भी पता नहीं क्या सोच कर बनाया होगा ! जैसे पानी को जिस बर्तन में भी डालो वो वैसा ही आकार ले लेता है, वैसे ही औरत के बदन को भी कोई भी कपड़ा पहनाओ, वो कयामत ही लगती है।


और जब उसके ये कपड़े उसके बदन से उतरते है तो देखने वाले की आँखों के सामने तो कयामत ही आ जाती है और उसके लंड के सामने उसकी सारी इन्द्रियाँ काम करना बन्द कर देती हैं, और वो सारी दुनिया भुला कर उसी को चोदने के लिये तड़प जाता है फ़िर चाहे वो अच्छा हो या बुरा !

मेरी हालत भी शायद अब कुछ ऐसी ही थी कि अगर अब हमारे बीच कोई आ जाये तो वो हम दोनों का सबसे बड़ा दुश्मन होगा इस दुनिया का।

मैं यह सब सोच ही रहा था कि वो थोड़ी शरमा के मुझसे लिपट गई। उसके लिपटते ही मुझे इतनी खुशी हुई कि मैंने भी उसे अपनी बाहों में समेट लिया और अपने हाथों से उसकी पीठ सहलाने लगा, उसने तो अपना मुँह मेरे सीने में छुपा लिया और चूमने लगी। मैं तो खुशी के मारे अपना मुँह छत की तरफ़ कर मुस्करा रहा था और अपने आप पर घमंड भी हो रहा था, क्योंकि यह मेरी किस्मत ही तो थी जो आज मैं इतनी खूबसूरत औरत को अपनी बाहों में समेटे खड़ा था।

वो मेरी बाहों में झूल रही थी और मैं उसके कोमल से बदन से खेले ही जा रहा था और नीचे मेरा लंड ठुनक-ठुनक के अपनी मौजूदगी का अहसास दिला रहा था और यह बात शायद वो भी जानती थी, जिसका इजहार उसने मेरे लंड पर अपनी चूत का दबाव बनाकर प्रदर्शित किया, और सच में इन छोटी-छोटी हरकतो में हमें बहुत मजा आ रहा था, क्योंकि चुदाई का मतलब यह नहीं कि बस चूत में लंड डाल कर 10 या 15 मिनट हिलाओ, इससे तो पूरा मजा 10 या 15 मिनट में ही खत्म हो जायेगा, और हमें तो आज पूरी रात जाग के एक दूसरे के बदन के साथ खेलना था और इस खेल के आनन्द को वो ही समझ सकता है जिसने यह खेल खेला हो।

हम फ़िर से एक दूसरे को चूमने लगे, अब मैं चूमता-चूमता नीचे की तरफ़ बढ़ा और उसकी गर्दन को चूमने लगा। अब मैं और नीचे बढ़ा और एक हाथ से उसकी एक चूची पकड़ी और दूसरी चूची को अपने मुँह में लिया, वो तो बस एक बेबस चिड़िया की तरह प्यार भरी सिसकारियाँ ले रही थी और अपने हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर अपने शरीर के हर उस हिस्से, जिस हिस्से को मैं चूम रहा था, पर मेरे मुँह का दबाव बढ़ा रही थी। वो इस कदर दबाव डाल रही थी जैसे मुझे पूरे को ही अपने अन्दर समा लेना चाहती हो, और सिसकारियों में कुछ अजीब बड़बड़ा रही थी- आ आआ मेरे राआ आअ जा आअ जोर से करो मसल डालो मुझे, निचोड़ के पी जाओ आज मुझे, जाने ये मेरा बदन कब से तड़प रहा था एक मर्द के लिये, इतना आग में तड़पा है ये कि एक बार की चुदाई से इसे कोई फ़रक नही पड़ा, आज मेरी दिल की सारी तमन्ना पूरी कर दो, आज तोड़ मरोड़ के रख दो मुझे ! आज की रात जवानी के पूरे मजे दो मुझे, आज की रात मुझे इस कदर चोदो कि आज की रात में कभी भुल ना पाऊँ।

उसकी ये बातें और सिसकारियाँ मेरे जोश को और बढ़ा रही थी और मैं उसकी चूचियो को और जोर से मसल रहा था, चूम रहा था।

मैं कभी एक चूचि को अपने मुँह में लेता और दूसरी को अपने हाथ से दबाता, और कभी दूसरी को मुँह में लेता और पहली को हाथ से दबाता।

मैं उसकी चूचियों को इतनी जोर से दबा रहा था कि उसकी चूचियाँ लाल पड़ गई थी और कई जगह पर तो मेरे दांतों के निशान भी पड़ गये थे।

अब मैं उसके पेट को चूमते हुये नीचे की तरफ़ बढ़ा, मैं उसके सामने अपने घुटनों पर बैठ गया, नीचे बैठते ही मैंने अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसके पेटीकोट का नाड़ा खोला, नाड़ा खोलते ही उसका पेटीकोट खिसक कर नीचे आ गया, पेटीकोट नीचे आते ही उसका पूरा बदन मेरी आँखों के सामने था।

मैंने पेटीकोट को उसके पैरों से अलग किया, मेरे सामने अब वो पूरी तरह से नंगी खड़ी थी, उसकी चूत तो ना जाने अब तक कितना पानी छोड़ चुकी थी, मैंने बस कुछ देर उसको देखा, और बिना समय गंवाये उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और अपनी जीभ को नुकीली करके उसकी चूत के अन्दर दाखिल कर दिया।

मेरा ऐसा करने पर उसने अपने दोनों हाथ मेरे सिर पर रख दिये और मेरे सिर पर दबाव बढ़ाने लगी। वो तो आँखें बंद करके इस पल का मजा बड़े आराम से लेने लगी। उसकी टांगें कांप रही थी और दिल को छू जाने वाली सिसकारियाँ अपने मुँह से निकाल रही थी जिसे सुन कर मेरा जोश और बढ़ रहा था।

मैं भी उसे बड़े मजे ले लेकर चूसे जा रहा था, कुछ देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा, उसने अपनी टांगों को भींच लिया और अपनी टांगों के बीच मेरे सिर को मसलने लगी।

कुछ ही देर बाद उसका फ़व्वारा फ़ूट गया, जिसे मैं बड़े चाव से पीता गया, अब वो शान्त हो चुकी थी, उसने मुझे अपनी बाहों में भींच लिया, और मुझे चूमने लगी।

अब हम दोनों बैड पर आ गये और एक दूसरे की बाहों में बाहें डाल कर एक दूसरे के जिस्म के साथ खेलने लगे। वो लंड को बड़े आराम से सहलाने लगी और अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। वो मेरे ऊपर चढ़ गई और लंड को अपनी चूत के छेद पर लगा के उस पर आराम से बैठने लगी, लंड धीरे धीरे उसकी चूत के अन्दर जा रहा था और शायद इससे उसको थोड़ी तकलीफ़ भी हो रही थी। उसने अपनी आँखें बंद कर के कुछ सिसकारियां ली।

कुछ ही देर बाद का नजारा यह था कि मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत की गहराइयों में उतर चुका था, अब उसने अपनी आँखें खोली, मेरी तरफ़ देखकर मुस्कुराई और मेरे ऊपर झुक कर मेरे माथे को चूम लिया। उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ मेरी आँखों के सामने झूल रही थी, मैंने अपने हाथ आगे बढ़ा कर उसकी दोनों चूचियों को थाम लिया और एक-एक करके चूसने लगा।

उसने तो अपनी बाहें मेरे गले में डाली हुई थी, अपने चूतड़ों को अपनी पूरी ताकत से उठा उठा कर लंड पर बरसा रही थी, और अपने मुँह से मस्त मस्त आवाज निकाल रही थी।

अब वो उठी और उलटी हो कर फ़िर से लण्ड पर बैठ गई, अबकि बार जब वो लंड पर बैठी तो लंड एक ही झटके में पूरा का पूरा अन्दर चला गया क्योंकि लंड और चूत पूरी तरह से गीले हो चुके थे, और इतनी चिकनाई होने के कारण लंड को अन्दर जाने में कोई तकलीफ़ नही हुई और अब तक तो उसकी चूत मेरे लंड के आकार के मुताबिक फ़ैल चुकी थी, शायद इसलिये उसे भी अपनी चूत में लंड लेते हुये कोई परेशानी नहीं हुई।

उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी और उसने अपने हाथ मेरे पैरों पर रखे हुये थे, वो अपने चूतड़ों को उठा-उठा कर जोर-जोर से पटक रही थी वो इस पल का मजा पूरे दिलो जान से ले रही थी।

मैं तो अपने हाथों से उसके चूतड़ों की गोलाइयाँ नाप रहा था और साथ-साथ उसकी पीठ को भी सहला रहा था।

यह करते-करते मुझे एक शरारत सूझी, मैंने अपनी एक उंगली को अपने मुँह में लेकर गीली किया और उसकी गांड के छेद पर रख दी, और थोड़ी सी ताकत लगाई तो उंगली एक पोर तक गांड के अन्दर चली गई, मेरी इस हरकत से शायद वो अन्जान थी इसलिये उंगली गांड के अन्दर जाते ही वो उछल पड़ी और उसने मेरी तरफ़ पलट कर देखा और अपने हाथ से मेरी उंगली को अपनी गांड के छेद से बाहर निकाल कर बोली- क्या कर रहे हो? इसका भी नम्बर आयेगा, थोड़ा सब्र करो !

और वो फ़िर से अपने चूतड़ उछालने लगी, पर मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने फ़िर वही किया, वो फ़िर से बोली- मानोगे नहीं तुम?

उसने मेरा लंड अपनी चूत से बाहर निकाला और एक दो बार अपनी गांड के छेद पर रगड़ कर उसे अपनी गांड के छेद पर टिकाया और उस पर अपनी गांड का दबाव बनाया, लंड चूत में इतनी देर रहने के बाद काफ़ी चिकना हो चुका था जिसके कारण लंड की टोपी तो एक ही झटके में अन्दर चली गई, टोपी अन्दर जाते ही उसने प्यार भरी एक सिसकारी ली और फ़िर से उसने अपनी गांड का दबाव मेरे लंड पर बनाया।

अब की बार लंड धीरे धीरे सरकता हुआ आधे से ज्यादा अन्दर चला गया, अब उसने अपनी गांड ऊपर उठाई जिससे लंड टोपी तक उसकी गांड से बाहर आ गया, उसने एक लम्बी सांस ली और मेरे लंड पर बैठ गई। अब की बार लंड पूरा का पूरा जड़ तक उसकी गांड में उतर गया, लंड गांड में जड़ तक उतरने के साथ-साथ उसके मुँह से दर्द और आनन्द की एक मिली जुली सिसकारी निकली।

वो कुछ देर ऐसे ही बैठी और फ़िर से अपना काम चालू कर दिया यानि अपनी गांड उठा उठा कर लंड पर मारने लगी।

दोस्तो क्या खूबसूरत नजारा था ! वो लंड को टोपी तक बाहर निकालती और फ़िर उसे अपनी गांड के अन्दर ले जाती, मैं तो अपने दोनों हाथ अपने सिर के पीछे रखकर इस नजारे का मजा ले रहा था, वो तो बस मजे में सिसकारियाँ ले ले कर अपनी गांड मेरे लंड पर पटके जा रही थी।

अब इतनी देर की चुदाई के बाद मेरा शरीर अकड़ने लगा था, मुझे लग रहा था शायद अब मैं छुट जाऊँगा, पर अभी मैं ये नहीं चाहता था, मैंने उसको अपने ऊपर से हटाया और बैड के किनारे पर बैठ कर लम्बी-लम्बी सांस लेने लगा।

अब मैंने उसको बैड के किनारे पर घोड़ी बनाया और अपने लंड को पकड़ कर एक बार चूत से लेकर उसकी गांड तक फ़िराया और उसकी गांड के छेद पर रखकर और थोड़ा सा दबाव बनाया। लंड उसकी गांड की गहराई में उतर गया।

अब मैं उसको अपने पूरे जोश से चोदने लगा, वो भी अपनी गांड को पीछे की तरफ़ हिला हिला के मेरे हर एक धक्के का जवाब दे रही थी और अपनी गांड की गहराइयों में मेरे लंड का स्वागत कर रही थी। वो अपने एक हाथ से अपनी चूत के दाने को भी छेड़ रही थी। अब मेरा शरीर फ़िर से अकड़ने लगा, तो मैंने भी अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और कुछ ही देर में मेरा झड़ने का वक्त आ गया था, मैंने उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया, और अपने लंड से फ़व्वारा उसकी गांड के अन्दर ही छोड़ दिया।

लंड अन्दर फ़व्वारे पे फ़व्वारे छोड़े जा रहा था जब तक लंड ने अपने अन्दर की एक-एक बून्द उसकी गांड के अन्दर ना छोड़ दी। मैं नहीं जानता मेरे लंड ने उसकी गांड के अन्दर कितना वीर्य छोड़ा पर उसकी पूरी गांड भर गई, जिसके साथ-साथ उसने भी अपनी चूत का पानी छोड़ दिया।

इतनी लम्बी चुदाई के बाद मैं काफ़ी थक गया था, मैं बैड पर लेट गया और वो भी मेरे बगल में लेट कर मेरी छाती के बालों से खेलने लगी, कभी वो मेरी छाती के बालों से खेलती कभी मेरी चूचियो को अपनी जीभ से चाटती।

उसके ऐसा करने से मुझे बहुत मजा आ रहा था और मेरी थकान भी दूर हो रही थी।





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