Friday, July 19, 2013

FUN-MAZA-MASTI फूफी फ़रहीन -4

FUN-MAZA-MASTI


फूफी फ़रहीन -4

अपने बदन को थोड़ा सा पीछे कर के मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और उससे सहलाने लगीं.

उनका हाथ लगते ही मेरा लंड पठार की तरह सख़्त हो गया. मुझे अंदाज़ा हो गया के अपने हाथ में मेरे लंड का अकड़ जाना उन्हे अच्छा लगा है. मेरे लंड पर उनके हाथ का लांस नर्म और मुलायम था. मैंने उनके मुँह में अपनी ज़बान डाल दी जिससे वो फॉरन चूसने लगीं. कुछ देर मेरे लंड पर हाथ फेरने के बाद उन्होने अपनी उंगली और अंगूठे में मेरे लंड का टोपा पकड़ा और उससे आहिस्ता आहिस्ता दबाने लगीं. मेरे लंड से सफ़ेद लैइस्डार पानी की चंद बूँदें निकलीं जिन्हे फूफी फ़रहीन ने अपने अंगूठे से साफ़ कर दिया. उनका बदन गरम था और साफ़ ज़ाहिर था के फूफी फ़रहीन अब फिर चूत मरवाने के लिये तय्यार हो चुकी थीं .

में बड़े जोशीले अंदाज़ में उनके मुँह के बोसे लेता रहा और उनके गालों, आँखों और थोड़ी को चूमता रहा. वो और ज़ियादा गरम होने लगीं और मेरे हाथों ने उनके बदन की गर्मी महसूस की. मुझे पता चल गया था के उनका ब्लड प्रेशर बढ़ रहा है और साँस तेज़ चलनी शुरू हो गई है. उनका सीना साँस लेते वक़्त ऊपर नीचे हो रहा था. मैंने उनका गिरेबां नीचे खैंचा और सर झुका कर उनके ब्रा में बंद मम्मों के बीच में ज़बान डाल दी. मेरी ज़बान उनके आपस में जुड़े हुए मम्मों के अंदर चली गई और में उन्हे चाटने लगा. वो हंस पड़ीं. शायद उन्हे गुदगुदी हो रही थी.

में उस वक़्त फूफी फ़रहीन के कमरे में उन्हे चोदने नही आया था मगर अब मेरी अपनी हालत भी खराब होने लगी थी. मैंने उन्हे चूमते चूमते उनकी शलवार का नाड़ा टटोला और उस का एक सिरा खैंच कर खोल दिया. नाड़ा खुलते ही उनकी शलवार ढीली हो कर उनके क़दमों में गिर पड़ी. मै उनके पेट पर हाथ फेरता हुआ उनके पीछे आ गया. पहले मैंने अपने कपड़े उतारे और फिर उनके चूतड़ों पर से उनकी क़मीज़ उठाई और उनकी कमर पर दबाव डाल कर उन्हे नीचे झुका दिया. उन्होने कोई बात नही की और बेड के ऊपर अपने दोनो हाथ रख कर झुक गईं. उनकी चूत को अब एक दफ़ा फिर मेरा लंड दरकार था.

मैंने उनके चूतरों को दोनो हाथों की मदद से खोल कर उनके अंदर उनकी गांड़ के सुराख पर मुँह रख दिया और उससे चाटने लगा. वो उसी लम्हे ऊऊओं ऊऊओं करने लगीं. कुछ देर बाद मैंने उनकी रानों पर हाथ फैरे और फिर आगे हाथ ले जा कर उनकी मोटी और रसीली चूत के ऊपर रख दिया. अब मेरी हथेली उनकी चूत और उस के ऊपर वाले पोर्षन पर थी और उंगलियाँ चूत के निचले हिस्से और गांड़ के सुराख के बीचों बीच रखी हुई थीं . फूफी फ़रहीन की चूत पर छोटे छोटे लेकिन सख़्त बाल थे जिन को सहलाते हुए मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. वो सीधी हो गईं.

"तुम पर तो फिर चोदने का भूत सवार है. घर की खबर भी है. कोई आ ना जाए." उन्होने ऐसे कहा जैसे चुदवाने का भूत उन पर सवार नही था.
"घर में कौन होता है फूफी फ़रहीन नोकरानी तो छुट्टी पर है. मैं गेट बंद है. अगर कोई आया तो पता चल जाए गा." मैंने उनकी फुद्दी के बाल उंगलियों में पाकाररते हुए जवाब दिया.
वो अपनी चूत पर मेरे हाथ की हरकत से एक दफ़ा फिर आगे को झुक गईं और में अब ज़रा दबाव डाल कर उनकी चूत पर हाथ फेरता रहा. फिर मैंने उन्हे सीधा कर के उनकी क़मीज़ उतारनी शुरू की. अपने लंबे और घने बालों को उन्होने प्लास्टिक की एक बड़ी सी चुटकी में बाँध रखा था. क़मीज़ उनके सर से नही उतार रही थी इस लिये मैंने उनकी चुटकी खोल कर हटा दी और उनके बाल आज़ाद हो कर बिखर गए. अब उनकी क़मीज़ सर से आसानी से उतार गई और फूफी फ़रहीन ब्रा के अलावा बिल्कुल नंगी हो गईं.

मैंने उनका ब्रा नही उतारा और वैसे ही उनके मम्मों को जो ब्रा में भी बड़े खूबसूरत लग रहे थे चूमने और चाटने लगा. फूफी फ़रहीन ने फिर मेरा लंड पकड़ लिया और उस पर अपना हाथ आगे पीछे करने लगीं. मैंने उनके ब्रा का हुक खोला और बेड पर लेट कर उन्हे अपने ऊपर घसीट लिया. उन्होने अपना ब्रा बाजुओं से निकाला और बेड पर आ गईं. बेड पर छर्रहटे ही उन्होने अपने दोनो हाथ मेरे सर के दोनो तरफ रख दिये. अब मेरा सर उनके हाथों के बीच में आ गया और उनके मोटे ताज़े मम्मे मेरे मुँह से कुछ फ़ासले पर झूलने लगे.

मैंने उनके रेशमी गोल मम्मों को नर्मी से हाथों में पकड़ लिया और उनके निपल्स पर अपनी हतैलियाँ फेरने लगा. उनकी आँखें बंद थीं , होठों पर हल्की सी मुस्कुराहट थी और वो खामोशी से अपने मम्मों के साथ होने वाले खेल का लुत्फ़ ले रही थीं . मै इसी तरह थोड़ी देर उनके भारी मम्मों का मसाज करता रहा. फिर मैंने ज़रा ज़ियादा ताक़त से उनके मम्मों को हाथों में भर भर कर मसलना शुरू कर दिया. फूफी फ़रहीन ने कई सिसकियाँ लीं और अपने मम्मे मेरे मुँह के और क़रीब कर दिये. मै उनके मम्मे मुँह में ले कर चूसने लगा. मैंने उनके मम्मों के निपल्स दाँतों में पकड़ लिये और उनकी नरम गोलाइयों को आहिस्तगी से काटा और उन पर ज़बान फेरी.
"आहिस्ता काटो दुखा रहे हो मेरे निपल्स को." उन्होने मेरे माथे पर हाथ रख कर कहा और अपना मम्मा मेरे मुँह में घुसा दिया.

कुछ देर तक फूफी फ़रहीन के मम्मों के निपल्स चूसने के बाद मैंने उनके मोटे मम्मों को साइड से मुँह में डाला और अच्छी तरह चूसा. मै उनका एक मम्मा चूसता और दूसरे को हाथ में रख कर उसका मसाज करता रहता. वो बहुत गरम हो गई थीं और मम्मे चूसने के दोरान जब वो नीचे ऊपर होतीं तो उनके पेट और चूत का ऊपरी हिस्सा मेरे सीधे खड़े हुए लंड के साथ लगने लगता.

अब में उनके सारे पेट को चाटने लगा. मैंने उनकी नाफ़ के गहरे और गोल सुराख के इर्द गिर्द ज़बान फेरी तो वो और ज़ियादा सिसीकियाँ लेने लगीं. मैंने उनका पेट चूमते चूमते सर उठा कर ऊपर देखा तो उनके मोटे मम्मों के निपल्स तीर की तरह खड़े हुए थे और हर सिसकी के साथ उनके दोनो मम्मे अजीब तरह से हिलते थे.
"फूफी फ़रहीन लंड चूसें गी?" मैंने उनके पेट और मम्मों पर हाथ फेरते हुए पूछा. उन्होने कुछ कहा नही बस सीधी हो कर बैठ गईं और मेरे सीने पर अपना हाथ रख कर मेरा लंड मुँह में ले लिया. थोड़ी देर लंड चूसने से उनके मुँह में थूक भर गया जो सारा मेरे लंड पर लगने लगा. आज वो बड़ी चाबुक्ड़स्ती और महारत से मेरा लंड चूस रही थीं और में सोच रहा था के एक ही दिन में फूफी फ़रहीन लंड चूसने में इतनी माहिर कैसे हो गईं हैं. उनका अपना कहना था के उन्होने कभी भी फ़ूपा सलीम का लंड नही चूसा था और ये बात सॅकी भी लगती थी क्योंके फ़ूपा सलीम उन से हमेशा डाबते थे और उनकी मर्ज़ी के खिलाफ कुछ करने की जर’अट उन में नही थी. लेकिन अब एक ही दिन में फूफी फ़रहीन ने लंड चूसने में अच्छी ख़ासी महारत हासिल कर ली थी.

में बेड पर लेटा हुआ था और वो मेरे लंड के टोपे की गोलाई को चूमे और चूसे जा रही थीं . उन्होने अपनी ज़बान मुँह से बाहर निकाल कर मेरे लंड को ऊपर और नीचे से चाटा. वो मेरे सारे के सारे लंड को चाट रही थीं . उन्होने एक हाथ से मेरे टट्टों को सहलाना शुरू कर दिया. वो मेरे टट्टों को कभी ऊपर करतीं और कभी नीचे खैंचतीं. उनके इस तरह करने से मुझे बे-इंतिहा लज्ज़त महसूस हो रही थी. मेरा पूरा लंड उनके मुँह के अंदर चला जाता और उनकी नोकीली नाक मेरे पेट के निचले हिस्से में चुभने लगती.

फिर अचानक उन्हे ख्ँसी आने लगी और उन्होने थूक से लिथड़ा हुआ मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दिया. शायद मेरा लंड उनके हलक़ में लगा था. खैर मैंने उठ कर फूफी फ़रहीन को कंधों से पकड़ कर उठाया और बेड पर लिटा दिया. फिर उनकी ताक़तवर टांगें खोलीं और उनकी तगड़ी चूत चाटने लगा. मेरी ज़बान उनकी चूत के मुख्तलीफ़ हिस्सों को चाटने लगी और फूफी फ़रहीन जैसे पागल हो गईं. मै उनकी सूजी हुई चूत को जैसे ही ज़बान लगाता वो अपने चूतरों को आगे धकेल कर अपनी चूत मेरे मुँह में घुसाने की कोशिश करतीं.

“उफफफ्फ़….. कंजड़ी के बच्चे, तू ने फिर मुझे पागल करना शुरू कर दिया है. गश्ती के बच्चे, तेरी माँ की चूत में खोते का लूँ डून…..ऊऊओं…..उूउउफफफफफ्फ़. तेरी कुतिया माँ को चोदुं.” वो बे-खुदी के आलम में फिर गालियाँ देने लगी थीं .
“फ़रहीन तू भी तो किसी कंजड़ी से कम नही है. तेरी चूत मारूं. तेरा मोटा भोसड़ा मारूं, कुतिया. तेरी मोटी चूत में टट्टों तक अपना लंड डालूं. तेरी मोटी फुद्दियों वाली बहनों की चूत मारूं गश्ती औरत.” मैंने भी तुर्की-बा-तुर्की जवाब देते हुए कहा. “हन, हाँ मेरी बहनें भी गश्टियाँ हैं, हरमज़ाडियाँ.” उन्होने दाँत पीसते हुए कहा. “फ़रहीन तेरी बहनें रंडियाँ हैं सारी और तेरी तरह ही चूत मरवाती हूँ गी.” मैंने उनकी चूत पर ज़बान फेरने का अमल जारी रखा.
लज़्ज़त के शदीद एहसास ने उनके चेहरे को बदल कर रख दिया था. वो तेज़ी से अपने बदन को आगे पीछे कर के अपनी चूत चत्वाती रहीं.

में फूफी फ़रहीन की मोटी ताज़ी गांड़ मारना चाहता था मगर लग रहा था के आज तो इस की नोबट नही आए गी क्योंके वो और में दोनो ही बहुत गरम हो चुके थे. ये वक़्त उनकी चूत मार कर उन्हे मज़ा देने का था. अच्छी तरह से उनकी चूत चाट लेने के बाद में उनके ऊपर आ गया और अपना लंड उनकी चूत के अंदर बे-दरदी से घुसेड़ दिया. उन्होने अपने बदन को थोड़ा बहुत हिला कर अपना ज़ाविया दरुस्त किया और मेरे लंड को पूरी तरह अपनी चूत के अंडे जगह देनी की कोशिश की. मेरा लंड सारा का सारा उनकी भूकि चूत में चला गया.

मैंने अब उनकी फुद्दी में घस्से मारने शुरू किये. घस्से मारते हुए मैंने नीचे देखा. जब में आगे को घस्सा मारता तो मेरा लंड पूरा का पूरा फूफी फ़रहीन की चूत के अंदर गुम हो जाता और वो अपने चूतर थोड़े से उठा कर अपनी चूत को और खोलतीं और लंड अंदर करने में मेरी मदद करतीं. हर घस्से के साथ वो अपनी मोटी रानों से मेरी कमर को सख्ती से पकड़ लेतीं. मैंने उन्हे चोदते हुए अपने बदन का वज़न उनके ऊपर डाल दिया और दोनो हाथों से उनके कंधे पकड़ लिये. वो बड़े तंदरुस्त बदन की मालिक थीं मगर इस वक़्त मेरे मीचे दबी हुई थीं .

उनकी चूत में घस्से मारते हुए अब मेरा मुँह उनकी गर्दन के अंदर घुसा हुआ था और में उनकी गर्दन, कंधे और बाज़ू चूम रहा था. मैंने उनके सीने पर अपना सर रखा तो मुझे उनके दिल की धडकनें साफ़ महसूस हुई जो बहुत तेज़ हो चुकी थी. इस तरह चुदने से फूफी फ़रहीन की फुद्दी बहुत ज़ियादा भीग चुकी थी. फिर वो तेज़ आवाज़ में कराहने लगीं और उनकी चूत मेरे लंड के गिर्द टाइट हो गई. उनके छूटने का वक़्त क़रीब था.
देखते ही देखते उन्होने सख्ती से मुझे दबोच लिया और बड़े ज़बरदस्त अंदाज़ में खलास होने लगीं. मैंने देखा के उनकी आँखें घूम कर ऊपर चढ़ गईं और चेहरा टमाटर की तरह सुर्ख हो गया. उनका मुँह खुला हुआ था और वो ऐसे साँस ले रही थीं जैसे कमरे में ऑक्सिजन की कमी हो. शायद वो अभी पूरी तरह खलास नही हुई थीं क्योंके अचानक उन्होने अपने हाथ मेरी कमर में डाल कर अपने लंबे नाख़ून मेरे जिसम में गार्र दिये और अपने बदन को ऊपर कर के मेरे घस्सों का जवाब देने लगीं. उस वक़्त फूफी फ़रहीन यक़ीनन अपने खलास होने का पूरा पूरा मज़ा ले रही थीं .

चन्द मिनिट तक मज़ीद घस्से मारने के बाद मैंने अपना लंड उनकी चूत में से निकाल लिया.
"फूफी फ़रहीन अब आप मेरे लंड पर बैठाइं प्लीज़." मैंने उनकी टाँगों में हाथ डालते हुए कहा. वो उखरर उखरर साँसें लेतीं हुई उठीं और मेरे ऊपर आ कर दोनो टांगें मेरे जिसम के दोनो तरफ् कर लीं. अब उन्होने अपनी चूत मेरे लंड के टोपे से क़रीब कर दी. मैंने अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर रखा तो उन्होने अपने भारी भर्कूं चूतर आहिस्तगी से नीचे किये और मेरे लंड को अपने अंदर ले लिया. मैंने उनकी मज़बूत कमर को दोनो हाथों से पकड़ा और उन्हे अपने लंड पर उठाने बिठाने लगा. फूफी फ़रहीन के मम्मे इस उठक बैठक की वजह से बुरी तरह उछल रहे थे जिन पर में नज़रायण जमा कर उन्हे चोद रहा था.

मैंने हाथ पीछे कर के उनके मोटे चूतड़ों को पाकर्रा और उनकी चूत में घस्से मारता रहा. वो निहायत आसानी से घुटनो पर ज़ोर डालते हुए अपने बदन को मेरे लंड पर आगे पीछे कर के चुदवाती रहीं. ज़रा देर बाद उनकी फुद्दी में फिर हलचल होने लगी और वो ऊऊऊऊः आआआः करने लगीं. वो नीचे से मेरा लंड लेते लेते आगे झुक गईं और अपने तन्डरस्ट मम्मे मेरे मुँह के पास ले आईं. मैंने उनके मम्मे हाथों में भर लिये और उन्हे चूसने लगा. उन्होने ऊँची आवाज़ में “उफफफफफफ्फ़ में मार गई” कहा और उनकी चूत मेरे लंड के गिर्द एक दफ़ा फिर कसने लगी. गीली होने के बावजूद उनकी चूत की गिरफ्त मेरे लंड के गिर्द काफ़ी मज़बूत थी. इसी तरह ज़ोर ज़ोर से लंड लेते हुए फूफी फ़रहीन एक बार फिर खलास हो गईं.

"मुझे मारो गे किया." वो निढाल हो कर मेरे ऊपर गिरते हुई बोलीं.
उनका बदन वज़नी था और जब उन्होने मेरे लंड पर ऊपर नीचे होना बंद किया तो में इस हालत में उनकी चूत में घस्से नही मार सकता था. मैंने उनको कमर से पकड़ कर साइड पर कर दिया. वो बे-सुध सी बेड पर लेट गईं. मैंने अपना लंड उनकी चूत के अंदर ही रखा और उनके ऊपर आ गया. फिर मैंने फूफी फ़रहीन का एक मम्मा मुँह में लिया और जाम कर उन्हे चोदने लगा.
"अब डिसचार्ज हो जाओ में तक गई हूँ." उन्होने कहा.

मैंने अपने घस्से तेज़ कर दिये और उनके हिलते हुए मम्मे पकड़ कर चूसने लगा. उनका गोरा और गुन्दाज़ बदन पसीने में भीगा हुआ था और दो तीन दफ़ा डिसचार्ज होने से उनके चेहरे पर थकान के आसार थे. उनके होठों पर लगी लिपस्टिक मेरे चूमने चाटने से ऐसे घायब हुई थी जसे कभी थी ही नही और आँखों में लगा हुआ हल्का हल्का सूरमा माथे, गर्दन और गालों पर फैल चुका था.

लेकिन में अभी पीछे से उनकी फुद्दी लेना चाहता था. इस तरह कुछ देर और उन्हे चोदने के बाद में उन से अलग हो गया. फिर मैंने उन्हे बेड से नीचे खड़ा किया और कमर पर हाथ रख कर झुका दिया. उन्होने थोड़ा सा एहटेजाज किया मगर में कहाँ मान ने वाला था. अब उनकी गीली चूत मोटे ताज़े चूतरों के दरमियाँ साफ़ दिखाई देने लगी. मैंने अपना लंड उनकी चूत के दहाने पर रख कर ऊपर नीचे रगड़ा. फूफी फ़रहीन ने मुँह से आवाज़ निकाली और मैंने एक नापा तुला घस्सा लगा कर अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया.

वो मुझे जल्दी डिसचार्ज करना चाहती थीं इस लिये फॉरन ही मेरे लंड पर अपनी चूत को आगे पीछे करने लगीं. मेरा लंड किसी लोहे की सल्लख की तरह उनके मोटे लेकिन नरम चूतरों के बीच में उनकी फुद्दी में आ जा रहा था. मैंने उनकी कमर पर दोनो हाथ रखे और उनकी चूत में जल्दी जल्दी घस्से मारने लगा. मेरे घस्सों के साथ उनके चूतरों का गोश्त भी जैसे लहरें ले रहा था.
"में फिर च्छुत्त रही हूँ अब बस भी कर दो." उन्होने बे-बसी से कहा और और अपनी भारी गांड़ को तेज़ी से हरकत देने लगीं. मै उनके चूतरों पर हाथ फेरने लगा तो वो अपने आप पर कंट्रोल ना रख सकीं और फिर खलास हो गईं. मैंने उनके छेद पर उंगली लगाई तो उन्हे डिसचार्ज होने में और ज़ियादा मज़ा आने लगा और उनकी चूत में से जैसे पानी का सैलाब निकालने लगा.

लगता था के अब वो मज़ीद चुदने के क़ाबिल नही रह गई थीं क्योंके जिस जोश-ओ-ख़रोश से वो कुछ देर पहले तक मेरा साथ दे रही थीं वो अब बहुत कम हो गया था. मैंने उनको फिर बेड पर लिटा दिया और टाँगों के बीच उनकी चूत में लंड घुसेड़ कर उन्हे चोदने लगा. मैंने अपना लंड फूफी फ़रहीन की चूत में थोड़ा सा घुमाया तो में भी बे-क़ाबू हो गया और दो तीन घस्सों के बाद ही में भी उनकी चूत में डिसचार्ज होने लगा.

फूफी फ़रहीन ने मुझे डिसचार्ज होते देखा तो अपनी टांगें बंद कर लीं और मेरी सारी मनी अपनी चूत में ले ली. मैंने खलास होने के बाद भी अपना लंड उनकी चूत के अंदर ही रखा और अपनी मनी उनके अंदर डालता रहा यहाँ तक के मेरी मनी का आखरी क़तरा भी फूफी फ़रहीन की चूत में चला गया. जब मेरा लंड बैठ गया तो मैंने उससे फूफी फ़रहीन की चूत में से बाहर निकाला और उनके साथ बेड पर लेट गया. उन्होने मेरी तरफ देखा और अपनी आँखें बंद कर लीं.

आज में फूफी फ़रहीन की गांड़ नही मार सका था और अब मुझे ये काम अगले दिन करना था. मुझे यक़ीन था के में उनकी गांड़ लेने में भी कामयाब हो जाऊं गा.





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