Friday, July 19, 2013

FUN-MAZA-MASTI जवानी चार दिनों की-2



FUN-MAZA-MASTI

 जवानी चार दिनों की-2 "लगता है तुम्हें भी ठण्ड लग रही है...!" वो मेरे कान में फुसफुसाई और बिना मुझसे पूछे ही उसने अपनी शाल मुझ पर भी ओढ़ा दी।

मैंने हाथ बढ़ा कर अपना हाथ उसके हाथ पर रखा तो उसने भी मेरा हाथ पकड़ लिया। अब कोई गुंजाइश नहीं बची थी। मैं कुछ देर उसका हाथ सहलाता रहा और फिर मेरा हाथ आगे बढ़ने लगा और उसके गोल गोल मस्त मुलायम ब्रा में कसी हुई चूचियों पर पहुँच गया।

वो कुछ नहीं बोली।

मैं भी ब्रा के ऊपर से ही उसके पहाड़ों की ऊचाईयाँ नापने लगा और हल्के हल्के दबाने लगा। उसके बदन की सरसराहट मुझे महसूस हो रही थी। वो भी कसमसा कर मुझ से लिपटती जा रही थी।

मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने लण्ड पर रख दिया तो पहले तो उसने हाथ ऐसे ही रखे रखा और फिर धीरे धीरे लण्ड को पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी। मैं उसकी चूचियाँ मसल रहा था और वो मेरे कंधे पर सर को रखे मेरे लण्ड को सहलाते हुए मज़ा ले रही थी।

मैंने बस में चारों तरफ देखा, सब सो रहे थे। मैंने मौके का फायदा उठाया और शॉल के अंदर सर करके पायल के होंठों पर अपने होंठ रख दिए। पहले तो वो घबराई पर फिर जब मैंने बताया कि सब सो रहे है तो वो भी चुम्बन में मेरा साथ देने लगी।

रात के लगभग तीन बज चुके थे और हम लुधियाना पहुँच चुके थे। बस में थोड़ी हलचल हुई तो हम भी अलग होकर बैठ गए। अब लगभग एक घंटे भर का सफर ही बाकी था। बस में इस से ज्यादा कुछ हो भी नहीं सकता था। सो बस ऐसे ही शाल में लिपटे हुए सफर का मज़ा ले रहे थे।

मन ही मन प्रोग्राम बना रहा था कि जालंधर पहुँच कर कैसे पायल की चूत को अपने लण्ड की गर्मी से मस्त पानी पानी करना है।

बस जालंधर पहुँच गई थी, बस स्टैंड पर उतर कर पायल ने मुझ से मेरा मोबाइल माँगा। वो विक्रम को फोन करना चाहती थी। पर मैं कुछ देर और पायल के साथ अकेला रहना चाहता था क्यूंकि शादी वाले घर में तो जाते ही पायल रिश्तेदारों की भीड़ में खो जाती।

मौसम में सुबह सुबह की ठंडक और तरावट भरी हुई थी। बस स्टैंड पर ही एक चाय वाले की दुकान खुली ही थी तो हम तीनों दुकान पर पहुँच गए और चाय आर्डर कर दी।

महक फ्रेश होना चाहती थी तो वो बस स्टैंड पर ही बने सुलभ शौचालय में चली गई।

पायल और मैं एक ही बेंच पर बैठे थे।

"पायल... तुमने तो मुझे अपना दीवाना बना दिया है... आई लव यू पायल..."

पायल मेरी आँखों में देखते हुए मुस्कुराई और फिर 'लव यु टू राज... पर !'

उसने अपनी बात अधूरी छोड़ी तो मैंने पूछा– पर क्या....?

"राज... मैं शादीशुदा हूँ... और तुम समझ सकते हो कि एक शादीशुदा को किसी पराये मर्द से प्यार करने का कोई हक नहीं होता।"

"पर तुम मेरे दिल में बस गई हो पायल और अब तुम्हारे बिना रहना मेरे लिए मुश्किल होगा... और फिर भगवान ने भी कुछ सोच कर ही हम दोनों को मिलवाया होगा !"

"तुम बहुत अच्छे हो राज..." वो कहकर मुस्कुराई और फिर से मेरे कंधे से लग गई।

तभी महक और चाय दोनों एक साथ आ गई। पायल सीधे होकर बैठ गई।

पूरे सफर में महक अपने आप में ही मस्त थी। उसने सिर्फ एक बार पायल से मेरे बारे में पूछा था और उसके बाद अब वो मेरे सामने थी। उसने भी शाल ओढ़ रखी थी। वो हमारे सामने बैठ कर चाय पीने लगी।

मैंने तब पहली बार महक को ध्यान से देखा। वो मुँह-हाथ धो कर आई थी और बाल भी ठीक कर लिए थे तो एक चमक सी थी चेहरे पर। मैंने महक को देखा तो महसूस किया कि महक पायल से किसी भी मायने में कम नहीं थी। वो भी बहुत खूबसूरत थी और जवानी की निशानियाँ उसकी भी गजब की थी।

चाय पीने के बाद मैंने विक्रम को फोन किया तो दो-तीन बार में उसने फोन उठाया। जब मैंने उसे बताया कि हम जालंधर बस-स्टैंड पर है तो उसने गाड़ी भेजने का बोल कर फोन काट दिया।

गाड़ी करीब आधे घंटे बाद आई। तब तक पायल मेरे कंधे पर सर रखे बैठी रही। महक चुपचाप बैठी पायल की तरफ देखती रही। मैं थोड़ा हैरान था कि पायल कैसे अपनी बहन के सामने ही एक पराये मर्द के साथ लिपट कर बैठी हुई थी।

जब हम विक्रम के घर पहुँचे तो सुबह के लगभग साढ़े पाँच बज चुके थे और घर के बहुत से लोग जाग चुके थे। विक्रम अभी सो रहा था। वो काम के कारण रात को देर से सोया था। मैंने उसको जाकर उठाया तो वो खुश हो गया और फिर मैं भी वही उसके बेड पर लेट गया और सारी रात की नींद से थकी आँखें कब बंद हो गई पता ही नहीं चला।

जब उठा तो दोपहर का करीब एक बज रहा था। मुझे किसी ने पकड़ कर हिलाया तो मेरी नींद खुली और आँख खोलते ही सामने मेरी नई महबूबा पायल खड़ी थी।

"उठो मेरे राजा जी... शादी में आये हो या नींद पूरी करने...?" कहकर वो हंस पड़ी।

मैं हड़बड़ा कर उठा तो देखा कि कमरे में पायल और मैं ही थे। मैं उठ खड़ा हुआ और एक ही झटके में पायल को अपनी बाहों में लेकर उसके होंठों पर एक जोरदार किस कर दिया।

पायल मुझ से छुड़वा कर अलग हो गई- तुम पागल हो क्या...? यह शादी वाला घर है मिस्टर...!

मैंने उसको एक फ़्लाइंग किस किया और फिर बाथरूम में घुस गया। बाथरूम का दरवाजा बंद करते हुए मैंने देखा पायल वहीं खड़ी मुस्कुरा रही थी।

उसके बाद शादी की रस्में शुरू हो गई और फिर पायल और मैं अकेले नहीं मिल पाए। पायल मेरे आसपास ही मंडरा रही थी और जब वो आँखों से ओझल होती तो मैं भी उसको ढूंढने के लिए बेचैन हो उठता। ऐसे ही सारा दिन निकल गया। हम दोनों शादी की भीड़ में भी एक दूसरे में खोये हुए थे। मैं तो मौके की तलाश में था कि कब मुझे मौका मिले और मैं पायल के मस्त बदन का मज़ा ले सकूँ। पायल को चोदने के लिए मेरा लण्ड बेकरार था।

रात को बारात थी। प्रोग्राम विक्रम के घर से कुछ ही दूरी पर एक मैरिज-पैलेस में था। शाम को करीब सात बजे सब सजधज कर नाचते कूदते घर से निकले। मैं भी मस्ती में था। पंजाबी शादी में शराब-कवाब की कोई कमी नहीं होती। मैंने भी दो-तीन पैग चढ़ा लिए थे और मैं भी पूरी मस्ती में नाच रहा था और अपने दोस्त की शादी को एन्जॉय कर रहा था।

पायल भी दूसरी औरतों के साथ अलग नाच रही थी। भीड़ में मेरी नजर पायल पर ही टिकी हुई थी। बारात कुछ आगे बढ़ी तो आदमी और औरतें सब एक साथ नाचने लगे। बस इसी बीच मुझे भी मौका मिल गया अपनी नई महबूबा संग नाचने का। पायल और मैं दोनों एक दूसरे का हाथ हाथ में लेकर नाचने लगे।

"पायल... इस ड्रेस में तो क़यामत लग रही हो।"

"तुम भी बहुत हेंडसम लग रहे हो... देखो तो शादी में कितनी लड़कियों की नजर सिर्फ तुम पर ही है।" कहकर वो खिलखिला कर हंस पड़ी।

बारात अपने निर्धारित स्थान पर पहुँच गई थी। फिर गेट पर रिबन का प्रोग्राम हुआ और सबने खूब मस्ती की। अंदर जाकर डी.जे. पर खूब मस्ती हुई। खूब दिल खोल कर नाचे और पैसे लुटाए। थक हार कर फिर खाना खाने लगे। विक्रम फेरे लेने के लिए चला गया और मैं पायल संग खाना खाने चला गया।

"पायल... तुम्हें चूमने का बहुत दिल कर रहा है... प्लीज एक किस दो ना..!"

"तुम पागल हो... सब लोगों के बीच में किस...? मिस्टर होश करो..."

तभी मुझे याद आया कि विक्रम की गाड़ी की चाबी मेरे पास है। मैंने पायल को बाहर गेट पर आने को कहा और खुद गाड़ी निकालने चल पड़ा।

जब पार्किंग से गाड़ी निकल कर बाहर आया तो देखा पायल गेट पर ही खड़ी थी। मैंने उसको गाड़ी में बुलाया तो वो आकर बैठ गई और मैंने भी गाड़ी सड़क पर दौड़ा दी।

"राज... सब लोग क्या सोचेंगे यार... अगर किसी को पता लग गया तो कि मैं तुम्हारे साथ ऐसे अकेली गाड़ी में घूम रही हूँ तो...?"

"पायल, यह रात फिर नहीं मिलेगी मेरी जान... बस अब कुछ ना कहो !"

"पर हम जा कहाँ रहे हैं?"

"देखते हैं कोई तो जगह मिल ही जायेगी दो दीवानों को प्यार करने के लिए !"

मैं गाड़ी हाइवे पर ले आया और सामने ही मुझे एक गेस्ट हाउस नजर आया। रात के दो बज रहे थे। मैंने गाड़ी रोकी तो चौकीदार दौड़ कर आया। मैंने उसको पचास का नोट दिया और कमरे के बारे में पूछा तो उसने अंदर आने को कहा।

अंदर जाकर बोला- सर... कमरा तो कोई खाली नहीं है।

"तो साले तूने बाहर क्यों नहीं बताया...?"

"सर वो ऐसा है कि एक कमरा है तो पर वो गेस्ट हाउस के मालिक का है... अगर आप लोग सुबह पाँच बजे से पहले खाली कर दो तो वो कमरा मैं आप लोगो के लिए खोल सकता हूँ पर पाँच सौ रुपये लगेंगे।"

मैंने बिना देर किये गाँधी छाप पाँच सौ का नोट निकल कर उसके हाथ पर रखा और उसने बिना देर किये कमरा खोल दिया। पायल चुपचाप यह सब देख रही थी पर बोल कुछ नहीं रही थी।

कमरा शानदार था। आखिर गेस्ट हाउस के मालिक का था। बिल्कुल साफ़ सुथरा। एक साइड में सोफा और मेज लगी थी और दूसरी साइड में एक बड़े वाला सिंगल बेड था। पर हमें कौन सा यहाँ सोना था।

चौकीदार के जाते ही मैंने दरवाजा अंदर से बंद किया और पकड़ कर पायल को अपनी बाहों में भर लिया।

"बहुत बेताब हो मुझे चोदने के लिए...?"

पायल के मुख से यह 'चोदना' शब्द सुन एक पल को तो मैं हैरान रह गया लेकिन...

 चौकीदार के जाते ही मैंने दरवाजा अंदर से बंद किया और पकड़ कर पायल को अपनी बाहों में भर लिया।

"बहुत बेताब हो मुझे चोदने के लिए...?"

पायल के मुख से यह 'चोदना' शब्द सुन एक पल को तो मैं हैरान रह गया लेकिन मैं बोला- मेरी जान कल रात से तड़प रहा हूँ तुम्हें पाने के लिए... अब तो बेताबी की हद हो गई है।

मैंने पायल को अपनी बाहों में उठाया और बेड पर लेटा दिया। उसने मुझे दो मिनट रुकने के लिए कहा और फिर अपनी सारी ज्वेलरी आदि उतार कर एक तरफ रख दी और फिर खुद ही आकर मेरी गोद में बैठ गई।

मैं अब और इंतज़ार नहीं कर सकता था। मैंने बिना देर किये अपने होंठ पायल के होंठों पर रख दिए और मेरे हाथ सीधा पायल की मस्त चूचियों को दबाने लगे थे। पायल भी जैसे प्यार के लिए तड़प रही थी। वो भी पूरी मस्ती में मेरे किस का जवाब दे रही थी।

करीब पाँच मिनट तक किस करने के बाद मेरे हाथ पायल के बदन से कपड़े कम करने में व्यस्त हो गए। पायल ने लहँगा-चोली पहना हुआ था। मैंने पहले उसकी चोली की डोर ढीली करके उसे उसके बदन से अलग किया। ब्रा में कसी उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ हिमालय को भी नीचा दिखा रही थी। मैं पायल की चूचियों पर टूट पड़ा और मस्त होकर उसकी चूचियों को उसकी ब्रा के ऊपर से ही चूमने चाटने लगा।

पायल की सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगी थी। तभी मैंने पीछे हाथ ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया तो दोनों बड़े बड़े खरबूजों जैसे चूचियाँ उछल कर मेरे सामने लहराने लगी।

पायल की चूचियाँ एकदम खड़ी खड़ी और तनी हुई थी। चूचियों के चुचूक भूरे रंग के थे और गोरी गोरी चूचियों पर इतने मस्त लग रहे थे कि मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और मैंने झट से उसके बाएँ चुचूक को अपने होंठों में दबा लिया और चूसने लगा। मैं बेरहमी से पायल की चूचियाँ मसल रहा था और उसके चुचूक को दांतों से काट रहा था।

"आह... खा जाओ राज.... आह... ओह्ह... पी जाओ मेरी चूचियों को..." पायल मस्ती में बड़बड़ा रही थी।

मेरा लण्ड भी अब पैंट से बाहर निकलने के लिए उछल कूद मचा रहा था। पायल ने जैसे उसकी परेशानी को समझ लिया था तभी तो उसने हाथ बड़ा कर पैंट के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया था। पर अब तो लण्ड पैंट से बाहर आकर अपना जलवा दिखाना चाहता था।

मैंने झट से अपनी पैंट खोली और अंडरवियर सहित एकदम से नीचे कर दी। लण्ड महाराज पैंट से निकल कर तोप की तरह तन कर खड़े हो गए।

मैंने पायल का हाथ पकड़ा और लण्ड पर रख दिया। लण्ड हाथ में आते ही पायल उछल पड़ी और वही शब्द ‘जो मैं पहले भी कई लड़कियों और औरतों के मुँह से सुन चूका था’ पायल के मुँह से निकले।

"हाय राज... तुम्हारा तो बहुत मोटा है !"

लण्ड भी अपनी तारीफ सुन कर पायल के हाथों में ही खुशी से उछलने लगा। कुछ देर हाथ से सहलाने के बाद पायल घुटनों के बल बैठ गई और अगले ही पल मैं जन्नत में था क्यूंकि पायल ने मेरा लण्ड अपने कोमल कोमल होंठों में जो दबा लिया था। पायल मस्त होकर मेरा लण्ड चूसने और चाटने लगी। मेरे मुँह से भी मस्ती भरी आहें निकल रही थी। मैं पायल के बाल पकड़ कर लण्ड को पूरा उसके मुँह में डाल रहा था और पायल भी जीभ घुमा घुमा कर मेरा लण्ड चूस रही थी।

कुछ देर बाद मैंने पायल को खड़ा किया और फिर हम दोनों ने एक दूसरे के बाकी बचे कपड़े भी उतार दिए। अब हम दोनों कमरे में बिल्कुल नंगे थे।

दोनों के नंगे बदन फिर से एक दूसरे से लिपट गए। मैंने उसको बिस्तर पर लेटाया और उसकी क्लीन शेव चूत के ऊपर जीभ रगड़ने लगा। पायल मस्त हो उठी और उसकी चूत जो पहले से ही गीली हो चुकी थी एक बार फिर से पानी पानी हो गई। पायल मेरे लण्ड को पकड़ पकड़ कर खींच रही थी। मैं बिस्तर के ऊपर आ गया और फिर हम 69 की अवस्था में आ गए। अब पायल मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं पायल की चूत चाट रहा था।

पायल की चूत लगातार पानी छोड़ रही थी और अब मेरा लण्ड भी झड़ने के कगार पर था। मैं अभी झड़ना नहीं चाहता था। इसीलिए मैंने लण्ड पायल के मुँह से निकाल लिया और उसकी टांगों के बीच में आकर बैठ गया। पायल की चूत कमरे की दूधिया रोशनी में चमक रही थी। मैंने देर न करते हुए लण्ड को पायल की चूत के छेद पर लगाया तो पायल ने भी अपने चूतड़ ऊपर उठा कर मेरे लण्ड का स्वागत किया।

मैं लण्ड को चूत के छेद रगड़ रहा था। तभी मैंने एक जोरदार धक्के के साथ आधे से ज्यादा लण्ड पायल की चूत की गहराई में उतार दिया।

पायल की चीख निकल गई।

वो तो मैंने उसकी मुँह पर हाथ रख दिया नहीं तो पूरा गेस्ट हाउस जाग जाता।

"राज... धीरे धीरे करो... तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा है।"

मैंने लण्ड को बाहर खींचा और इस बार थोड़ा आराम से लण्ड को अंदर डाला। पायल की चूत बहुत कसी थी। चूत की दीवारें लण्ड को जकड़े हुए थी। लगता नहीं था कि यह किसी शादीशुदा औरत की चूत है।

मैंने लण्ड एक बार फिर बाहर निकाला और फिर एक जोरदार धक्के के साथ पूरा लण्ड पायल की चूत में घुसा दिया। लण्ड सीधा पायल की बच्चेदानी से टकराया था।

पूरा लण्ड चूत में डालने के बाद मैं कुछ देर पायल के ऊपर लेटा उसके होंठ और चूचियों को चूमता रहा। पायल ने भी अब अपने कूल्हे उछालने शुरू कर दिए थे। मैंने भी अब पायल की गर्म गर्म चूत में लण्ड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया और फिर धीरे धीरे स्पीड बढ़ाते हुए पायल की चूत चोदने लगा। पायल भी गाण्ड उछाल उछाल कर मेरा लण्ड अंदर तक ले रही थी।

"चोद... चोद मेरे राजा... चोद मुझे... जोर जोर से चोद.... फाड़ दे मेरी चूत... चोद मुझे... साली को पहली बार कोई मस्त लण्ड मिला है... आज तो फाड़ डाल मेरे राजा..."

"कल से मेरे लण्ड की हालत खराब कर रही थी... चुद अब मेरी जान चुद...फड़वा ले अपना भोसड़ा !"

चुदाई अपने पूरे शबाब पर थी। धक्के दुरंतो की गति से में चल रहे थे। पायल की चूत पानी पानी हो रही थी। दस मिनट की चुदाई में दो बार झड़ चुकी थी पायल। कमरे में अब फच्च फच्च का मादक संगीत गूंज रहा था।

कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद मैंने पायल को घोड़ी बनाया और पीछे से लण्ड उसकी चूत की गहराई में उतार दिया और पूरे जोश के साथ पायल की चुदाई करने लगा।

बीस मिनट तक बिस्तर पर भूचाल आया रहा और फिर मेरा लण्ड भी पायल की चूत को प्रेमरस से भरने के लिए तैयार हो गया। मैंने पायल से पूछा- मैं झड़ने वाला हूँ तो?

उसने मुझे चूत में ही झड़ने के लिए कहा। फिर मैं ज्यादा देर अपने आप को रोक नहीं पाया और तेज तेज धक्के लगाते हुए पायल की चूत में झड़ने लगा। ढेर सारा प्रेम रस यानि वीर्य मैंने पायल की चूत में भर दिया। पायल लण्ड अंदर लिए लिए ही नीचे लेट गई और मैं भी उसके ऊपर लेट गया। हम दोनों ही लम्बी लम्बी साँसें ले रहे थे।

कुछ देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद हम दोनों अलग हुए। पायल के चेहरे पर संतुष्टि के भाव स्पष्ट पढ़े जा सकते थे। वो आँखें बंद किये कुछ देर पहले हुई चुदाई के आनन्द सागर में गोते लगा रही थी।

मैंने पायल को हिला कर उठाया। वो उठी और मेज़ पर से नेपकिन उठा कर मेरा लण्ड और अपनी चूत साफ़ करने लगी। यह पायल के हाथों का ही जादू था कि पायल के हाथ में जाते ही लण्ड एक बार फिर से सर उठाने लगा। पायल मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई और बोली- तुम्हारा लण्ड बहुत शैतान है... अभी अभी मेरी मुनिया की कुटाई की है और अब देखो फिर से कैसे अंगडाई ले रहा है।

"तो पकड़ कर साले के बल निकाल दो ना मेरी जान..."

पायल मुस्कुराई और फिर कुछ सोच कर लण्ड को अपने मुँह में भर लिया।

लण्ड ने खड़ा होने में बिल्कुल भी देर नहीं लगाई और कुछ ही देर में एक बार फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गया।

पायल ने मुझे नीचे लेटाया और खुद ऊपर आकर मेरे लण्ड पर अपनी चूत रख कर बैठ गई। लण्ड पायल की चूत में ऐसे घुस गया जैसे माखन में चाकू। पूरा लण्ड अंदर लेने के बाद पायल ऊपर नीचे होकर लण्ड अंदर-बाहर करने लगी और मैं उसके अपने सीने पर झूलते मोटे मोटे खरबूजों को मसलने और चूसने लगा।

अगले आधे घंटे तक मस्त चुदाई चली। कभी पायल ऊपर कभी मैं ऊपर। पायल तीन बार और झड़ चुकी थी और अब उसमें उठने की भी ताकत नहीं बची थी।

मैंने भी एक बार फिर से पायल की चूत को अपने गर्म गर्म वीर्य से भर दिया और एक दूसरे को बाहों में लिए लेटे रहे। तभी घड़ी पर नजर गई तो पाँच बजने में दस मिनट बाकी थे। मैंने पायल को उठाया और तैयार होने के लिए कहा।

पायल बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर आई और फिर मेरे सामने ही खड़ी होकर तैयार होने लगी। मैंने भी अपने कपड़े पहन लिए थे।

साढ़ पाँच बजे हम दोनों तैयार होकर निकले।

जब हम पैलेस पर पहुँचे तो विदाई का कार्यक्रम चल रहा था। हम दोनों ने भी गाड़ी डोली की गाड़ी के पीछे पीछे लगा दी और बारात के साथ साथ घर पहुँच गए। महक को छोड़ कर किसी को भी शक नहीं हुआ था।

अगले दिन दिनभर सोने के बाद रात को मैं वापिस दिल्ली के लिए तैयार हो गया तो पायल भी मेरे साथ ही तैयार हो गई। विक्रम से विदा लेकर मैं बस स्टैंड पर जाने के लिए निकला तो विक्रम अपनी गाड़ी में मुझे और पायल को छोड़ने हमारे साथ आया। बस स्टैंड पर छोड़ कर विक्रम वापिस चला गया।

मैंने पायल से पूछा- क्या प्रोग्राम है?

तो वो बोली- बस पकड़ कर चलना है और क्या?

पर मेरे होंठों की मुस्कान देख कर वो मेरा इरादा समझ गई। फिर हम दोनों बस स्टैंड के पास के ही एक होटल में चले गए और रात को दो बजे तक दो बार चुदाई का आनन्द लिया और फिर अढ़ाई बजे रात को हम दिल्ली की बस में सवार हो गए।

उसके बाद पायल मुझे दिल्ली में बहुत बार मिली और हम दोनों ने चुदाई का भरपूर आनन्द लिया।


समाप्त






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