Wednesday, July 24, 2013

FUN-MAZA-MASTI मैं और मेरी प्यारी दीदी--5

FUN-MAZA-MASTI मैं और मेरी प्यारी दीदी--5 तभी दीदी थोडा सा ऊपर आई और जीजू ने जल्दी से अपना हाथ मेरी चादर मैं से बहार निकाला तब मैं भी होश मैं आयी और फटाफट अपनी ब्रा ऊपर की टॉप ऊपर किया तभी दीदी ने जीजू से कहा "जानू जब होने वाला हो तब बता देना " मुझे इसका मतलब समझ नहीं आया की दीदी ने जीजू से एसा क्यों कहा फिर दीदी वापस नीचे गयी और जीजू ने वापस मेरी चादर में हाथ डाला अब मुझे इन सब पे रोक लगानी थी तो मैं जोर से खांसी और करवट बदल के सो गयी दीदी भी फटाफट ऊपर आके मेरे पास जल्दी से लेट गयी शायद उन्हें लगा होगा की मैं उठ गयी हु तभी दरवाजे की बेल बजी मैंने जल्दी से लैपटॉप बंद किया और ख़ुशी से दरवाजा खोलने गया देखा तो सामने मेरी प्यारी दीदी साडी पहेने हुए खड़ी थी वो लेडीज संगीत मे से वापस आ गयी थी मैंने कहा "दीदी मम्मी कहाँ है " दीदी ने कहा "सोनू मम्मी वही रुक गयी थोड़ी देर के लिए और मैं आगयी मम्मी भी आ जाएंगी अभी " अब मैं मन ही मन खुश हुआ की यार आज तो किस्मत भी मेरा साथ दे रही है घर पे बस हम दो जने ही है जब दीदी कपडे चेंज करेंगी तो उन्हें नंगी देखने में ना किसी का डर रहेगा ना कोई प्रॉब्लम होगा दीदी अपने आप को कांच में देख रही थी मैं जान कर के दीदी के रूम मैं बेठ गया दीदी अपनी सुन्दरता को कांच मैं निहार रही थी तभी दीदी ने मुझसे पुछा " सोनू आज मैं कैसे लग रही थी साडी में मैंने कहा "बहुत अच्छी दीदी आप बहुत ही सुंदर लग रही थी 1 परी की तरह " दीदी ने कहा हा हा चल अब बहार जा मुझे कपडे चेंज करने है मैं समझ गया की दीदी आज वापस रूम मैं ही चेंज करेंगी और मैं बहुत खुश था क्यों की उनके रूम के दरवाजे मैं मैंने छेद कर दिया था दीदी ने दरवाजा बंद किया और मैंने दरवाजे के होल मैं से देखा दीदी ने अपने कंधे पे ब्लाउज पे से अपनी साडी की पिन हटाई और टेबल पे रखी तो वो पिन नीचे गिर गयी दीदी उसको उठाने के लिए नीचे झुकी और मुझे उनके ब्लाउज के गले मैं से उनके मोटे मोटे बोबे दिखाई दिए दीदी ने पिन उठा के टेबल पे रखी फिर नीचे बेठ कर अपनी पयाल उतरने लगी जब दीदी नीचे बैठी तो उनका साडी का पल्ला नीचे गिर गया और दीदी को मैंने ब्लाउज मैं देखा क्या लग रही थी दीदी खुले बाल होठो पे लिपस्टिक गले मैं चैन बहुत ही सुंदर फिर दीदी अपनी पायल उतार के खड़ी हुई और अपनी साडी उतरने लगी दीदी के खुले हुए बाल थे कानो में इअर रिंग्स हाथो में चूड़ियाँ दीदी अपनी साडी उतार रही थी तो उनके लम्बे घने बड़े काले बाल उनके फेस पे आगये क्या सेक्सी लग रही थी मेरी दीदी फिर दीदी ने साडी उतार दी मैं दीदी के नंगे कोमल पेट को देख रहा था उनके नाभि के छेद को देख रहा था फिर मैंने दीदी को ब्लाउज और पेटीकोट में देखा और उनको ऐसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया फिर दीदी ने अपने ब्लाउज के हुक खोलने चालू किये मैं अपने खड़े लंड को सहला रहा था और देख रहा था की धीरे 2 दीदी अपने ब्लाउज के सामने से हुक खोल रही थी दीदी ने अपने ब्लाउज के ऊपर के 3 हुक खोले और मुझे दीदी की ब्रा की स्ट्रैप्स और उनके मोटे बोबो का बड़ा सा क्लीवेज दिखाई दिया कितनी हॉट लग रही थी मेरी दीदी खुले बाल होठों पे लिपस्टिक आँखों मैं काजल कानो में बड़े 2 एअर रिंग्स गले मैं चैन ब्लाउज के ऊपर के 3 हुक खुले हुए थोड़ी सी ब्रा दिख रही थोड़े से बड़े बड़े बोबे दिख रहे दीदी की ब्रा के स्ट्रैप्स बहुत टाइट लग रहे थे उसी से पता चल रहा था की दीदी के बोबे कितने मोटे और टाइट हैं फिर दीदी ने अपना ब्लाउज पूरा उतार दिया अब मेरी दीदी मेरे सामने अपनी ब्रा मैं थी कितनी सेक्सी लग रही थी दीदी ब्रा मैं फिर पता नहीं उन्हें क्या हुआ वो उन्होंने वापस अपनी साडी ऐसे ही लपेट ली और अपनी ब्रा के ऊपर साडी का पल्ला डालने लगी शायद वो देखना चाहती थी की उनके बोबे कितने मोटे है और कितने बाहर आते है ब्रा में से क्या मोटे मोटे बोबे लग रहे थे दीदी के मैं सोच रहा था की ये कब आयेंगे मेरे हाथ में फिर दीदी अपने आप को ब्रा पहने हुए कांच मैं देखने लगी और मुझे दीदी के बोबो का साइड पोज़ दिखा उनकी ब्रा में से फिर दीदी ने अपना पेटीकोट भी उतार दिया और साडी को ढंग से रखने लगी मेरी दीदी मेरे सामने अब ब्रा और पेंटी में थी दीदी साडी ढंग से रख रही थी और उनकी पीठ मेरे तरफ थी मैं दीदी को पीछे से ब्रा पेंटी मैं देख रहा था क्या टाइट और चिकनी गांड थी दीदी की तभी दीदी पलटी और मुझे मेरी दीदी को ब्रा और पेंटी मैं से सामने से देखने का मौका मिला मैं अपने लंड को हिलाने लगा कितनी सेक्सी लगती है मेरे बहिन ब्रा और पेंटी में चिकना गोरा कोमल बदन टाइट ब्रा लोवेस्ट पेंटी बिलकुल सेक्स की देवी लग रही थी मेरी दीदी मैं अपना लंड जोर 2 से हिलाने लगा उन्हें ब्रा पेंटी में सामने से देखते हुए मैं उन्हें ब्रा पेंटी में से देखते हुए लगा की कब मैं इनकी ब्रा उतार के इनके बोबे दबाऊंगा इनके निप्पल चुसुंगा इनकी चड्डी उतार के इनकी चूत पे हाथ फेरूंगा इनकी चूत चाटूंगा .... दीदी के आने से पहले घर में अकेले बैठे बैठे मैं थोड़ा डर भी रहा था पर बहुत खुश था क्योंकि आज मैने एक तीर से दो शिकार किए थे एक तो पहली बार दीदी का मज़ा लिया था और दूसरे ऊस गांडू अंकल को बाहर का रता दिखा दिया था. पार ये सब देखते और दीदी की छत पढ़ते काफ़ी दिन हो गये थे. अब मेरा मान दीदी के साथ सेक्स करने को कर रहा था. पर कैसे? आज मैं काफ़ी खुश था और दीदी के एक एक अंगो को ध्यान से देख रहा था. भरी भरी चुचियाँ, बिल्कुल दूध के जैसे, पूरे ताने हुए से मस्त चूचे मोटे-मोटे, संगमरमर के जैसी चिकनी टाँगे, गहरी नाभि और ऊस खास जगह के तो कहने ही क्या थे. आज मैने एक खास बात नोट की दीदी के चुचे कुच्छ ज़्यादा ही कड़े लग रहे थे और चेहरे पे एक कातिल सी दिखने वाली मुस्कान थी. मुझे ये समझ में नहीं आ रहा था की आज अचानक से नगी पुँगी होकर इस तरह से मुस्कुराने के पिछे क्या राज हो हो सकता है? मुझे ज़्यादा इंतज़ार नहीं करना पड़ा मैं दम साधे अपनी प्यारी दीदी को बड़े ध्यान से देख रहा था, सिर्फ़ छ्होटी सी पतली पैंटी में बड़ी मुश्किल से अपना समान छुपाए हुए नगी पुँगी अकेले में मुस्कुराती दीदी. दीदी ने अलमारी खोली और कपड़े निकलते निकलते रुक गई. दीदी ने पलट के इधर ऊधर मुआएना किया और फिर वो हरकत कर डाली जिसकी मैं कल्पना भी न्हीं कर ससकता था. दीदी थोड़ा आगे की ओर झुकी ओर अपनी कछि ऊतर फेंकी . ऊँके झुकने से ऊँकी गाड़ फैल गयी और एक प्यारा सा भूरा सा च्छेद दिख गया. दीदी ने भी अपनी गाण्ड पीछे उभार कर ढीली छोड़ दी. उसके सुडौल चूतड़ के गोले बाहर उभर और उसके गोल गोल चमकदार चूतड़ उभर कर मेरा मन मोहने लगे। उसकी टाईट गाण्ड का लुफ़्त मुझे बहुत जोर से आ रहा था . उसके गोल गोल मांसल चूतड़ की फ़ांके मेरे सामने खुलने लगी. उसने अपनी गाण्ड उठाई और थोड़ा सा पीछे हटते हुये अपनी चूत में ऊँगली घुसा लिया. चुकीं दीदी मेरी तरफ पीठ करके खड़ी थी मैं ऊन्को aage se देख नहीं पा रहा था. मैं खड़ा खड़ा सोच रहा था काश दीदी सामने की ओर पलट जाएँ और मुझे आगे से देखने का मौका मिले. अचानक कोई चमत्कार सा हुआ , दीदी मेरी तरफ घूम गईं और मैं भौचक सा ऊन्को देखता रह गया. क्या लग रहीं थी. मुर्दे के सामने खड़े कर दो तो ऊस्का लॅंड जिंदा हो जाए. दीदी अपने स्तन को दबाने लगी । सच में बहुत अच्छा लग रहा था मुझे। वो एक हाथ पहले अपने चुचकों पर फिरती और फिर ऊस हाथ की उंगलिओन को अपने गुलाबी होठ पे सहलाती. पहले धीरे धीरे दीदी एक चुनची को सहला रहीं थी और फिर थोड़ी देर के बाद दीदी एक मुलायम गोल गोल, नरम लेकिन तनी चुनची को अपने हाथ से ज़ोर ज़ोर से मसलने लगी. दीदी की चुनची काफ़ी बड़ी थे और ऊँके छ्होटे सुंदर हथेलिओं मे पंजे मे नही समा रही थी। मुझे पता ही नही चला की कब तक दीदी चूचियों को सहला रही थीं फिर अचानक से मसलनेलगी.. दीदी को चुचि मसलते मसलते देख कर मेरा लंड धीरे धीरे ख़ड़ा होने लगा था. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. दीदी ने अपनी टांगें फ़ैला दी। उसकी भोंसड़ी खुली हुई सामने थी पाव रोटी के समान फ़ूली हुई। उसकी आकर्षक पलकें, ... उसके बीचों बीच एक गुलाबी गुफ़ा ... मस्तानी सी ... रस की खान थी वो. चिकनी और रस दार !" मैं वास्तव में दीदी की सुन्दर चूत का दीवाना हो गया था, शायद इसलिये भी कि aisi चूत मैंने जिन्दगी में पहली बार देखी थी। दीदी ने झुक कर अपनी चूत का अभिवादन किया और धीरे से अपनी ऊँगली को फांको पे फिराने लगी. धीरे धीरे दीदी ने अपनी सबसे छ्होटी ऊँगली को अंदर किया. और ऊसे निकल कर होठों पे फिरा कर उसमें भरे रस का स्वाद लिया। दीदी की ऊँगली लगते ही चूत जैसे सिकुड़ गई। उसका दाना फ़ड़क उठा और ऊँगली से रगड़ खा कर वो मचल उठा। दीदी अपने पैरों को V आकार में खड़ा कर के और तोड़ा झुक गईं. मुझे समझ नहीं आया की अब क्या होने वाला है. दरअसल दीदी ने अब अपनी अपनी चूत खोल कर और ऊस्के अंदर की ओर का नज़ारा देखे की कोशिश कर रही थी. दीदी का तो पता नहीं पर मुझे ऊँकी प्यारी सी गुलाबी सी चूत दिखने लगी. जिसे देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा। फिर दीदी. ने अपनी अड़खुली पंखुड़ी सी चूत को ऊँगलिओन से सहलाती और फिर ऊँगलिओन को होठों से चाटते हुये उसे खूब प्यार किया। दीदी ने अपनी आंखें मस्ती में बन्द कर ली. पहले छोटी फिर ऊससे बड़ी और फिर बीच वाली ऊँगली को. पूरी गहराई तक जा अनदर बाहर करते करते अचानक ऊनके मुख से सिसकियाँ निकलने लगी. वो अब दीवार के सहारे लेट सी गई और फिर अपनी पीछे से गांद को आगे की ओर हवा में ऊछालने लगीं. दीदी की हालत वासना से बुरी हो रही थी। चूत देख कर ही लग रहा था कि बस इसे एक मोटे लण्ड की आवश्यकता है. मेरी हालत बहुत ही नाजुक हो रही थी। मैं कभी भी झड़ सकता था। मैं इधर बेतहाशा अपने लॅंड को तेजी के साथ पीट रहा था,आख़िरकार बेचारा लण्ड अन्त में चूं बोल ही गया। तभी दीदी भी निस्तेज सी हो गई। उसका रस भी निकल रहा था। दोनों के गुप्तांग जोर लगा लगा कर रस निकालने में लगे थे। दीदी ने अपने शरीर को पसार दिया था। उसकी जुल्फ़ें चेहरे को छुपा चुकी थी। बस एक दीवार के इस ओर मैं और दीवार के ऊस ओर मेरी प्यारी दीदी, हम दोनों गहरी-गहरी सांसें ले रहे थे। अचानक पिच्चे कुच्छ आवाज़ हुई और मैं मानो होश में आया और ऊस्की ओर भागा... मम्मी आ चुकी थी और मैं एक शरीफ बच्चे की तरह वापस अपने कमरे में शांति से बात चुका था. मेरे दिमाग़ में एक बात घूम रही थी की अचानक ऐसा क्या हो गया था दीदी को. ऊँके गोल चूतड़, और ऊन चूतदों के बीच छीपी हुई सुंदर सा गॅंड का भूरा सा छेद, सुंदर बलखाती चुचियाँ और प्यारी सी नाभि.... कोई भी देख ले तो पागल हो जाएगा. पर मुझे इस बात की हैरानी हो रही थी की पहली बार दीदी को इतना ऊतेज़ीत जो देखा था. ये बात मुझे हर बार खाए जा रही थी. आख़िर ऊस दिन पार्टी में दीदी के साथ ऐसा क्या हुआ था. इस घटना को दो दिन बीत गये. पर मैं जागते सोते हंसते गाते बस यही सपना देखता रहता था. मेरे दिल में कितनी हलचल मची थी इसे मैं शब्दो में बयान नहीं कर सकता. पर हन दिमाग़ में जो था वो ज़रूर कह सकता हूँ. दीदी के साथ अब तक तीन लोगों ने जितना मुझे पता था मज़े लिए थे. इनमे से एक ऊस अंकल को मैं खदेर चुका था. दूसरे से इतना घबराने की ज़रूरत नहीं थी. पर मेरे और दीदी के बीच सबसे बड़ी दीवार ऊनका प्रेमी था ऊसे कैसे अपने रास्ते से हटॉन. मैं इतनी प्रतीक्षा के बाद यही चाहता था की बस अब दीदी खुद को मुझे सौंप दे. अपनी मर्ज़ी से अपने आप ही. मैने बैठे बिताए एक योजना बनाई और फिर ऊस्के मुताबिक़......................... मम्मी आ चुकी थी और मैं एक शरीफ बच्चे की तरह वापस अपने कमरे में शांति से बात चुका था. मेरे दिमाग़ में एक बात घूम रही थी की अचानक ऐसा क्या हो गया था दीदी को. ऊँके गोल चूतड़, और ऊन चूतदों के बीच छीपी हुई सुंदर सा गॅंड का भूरा सा छेद, सुंदर बलखाती चुचियाँ और प्यारी सी नाभि.... कोई भी देख ले तो पागल हो जाएगा. पर मुझे इस बात की हैरानी हो रही थी की पहली बार दीदी को इतना ऊतेज़ीत जो देखा था. ये बात मुझे हर बार खाए जा रही थी. आख़िर ऊस दिन पार्टी में दीदी के साथ ऐसा क्या हुआ था. इस घटना को दो दिन बीत गये. पर मैं जागते सोते हंसते गाते बस यही सपना देखता रहता था. मेरे दिल में कितनी हलचल मची थी इसे मैं शब्दो में बयान नहीं कर सकता. पर हन दिमाग़ में जो था वो ज़रूर कह सकता हूँ. दीदी के साथ अब तक तीन लोगों ने जितना मुझे पता था मज़े लिए थे. इनमे से एक ऊस अंकल को मैं खदेर चुका था. दूसरे से इतना घबराने की ज़रूरत नहीं थी. पर मेरे और दीदी के बीच सबसे बड़ी दीवार ऊनका प्रेमी था ऊसे कैसे अपने रास्ते से हटॉन. मैं इतनी प्रतीक्षा के बाद यही चाहता था की बस अब दीदी खुद को मुझे सौंप दे. अपनी मर्ज़ी से अपने आप ही. मैने बैठे बिताए एक योजना बनाई और फिर ऊस्के मुताबिक़ मुझे दो कम करने थे पहले तो ये पता करूँ की दीदी का ये चोदु बाय्फ्रेंड है कौन और दूसरा दीदी का विश्वास जीतना ऊन्हे बताना की ऊँके लए सबसे बेहतर ऊँका ये छ्होटा प्यारा भाई ही है और दूसरा कोई नहीं? वैसे तो ऊन्को इतना सबकुच्छ देखने के बाद आसानी से ब्लॅकमेल काइया जा सकता था पर नहीं मैं चाहता था दीदी के लए मेरा वही स्थान हो जो ऊँके प्रेमी का है. मैने अपना प्लान पे तेज़ी से अमल करते हुए दीदी के कंप्यूटर को खंगालने की ठानी. पर इसके लिए दीदी का घर से बाहर होना ज़रूरी था. जो मैं चाहता नहीं था. (शायद मैं कंप्यूटर देखूं और वो अपने बाय्फ्रेंड से cचुद बैठें). और कहा भी गया है की कुच्छ पाने के लए कुच्छ खोना पड़ता है. मैने एक रिस्क लिया जब दीदी नहाने जाएँ मैं बाथरूम में देखने के ऊँके कंप्यूटर को देखूं. अगले दिन सुबह सुबह जब दीदी नहाने के लए गईं तब मैने एक कम किया, धीरे से ऊँका कंप्यूटर ओं काइया और छत पढ़ना शुरू किया. दीदी: ये क्या बदतमीज़ी थी राज2002 - क्यों तेरे मान नहीं करता किसी से चुड़ाने का . राज2002-बोल ना मुझसे क्या शर्माना प्रीति214 - नहीं यार मुझे बहूत डर लगता है इन चीज़ों से राज2002- अरे मुझसे क्या डरना प्रीति214 - डरना तुमसे नहीं राज बट ऐसे पार्टी में सबके सामने अगर कोई हमें देख लेता तो राज2002- अरे कुच्छ नहीं होता तू बेकार दर गयी. अच्छा एक बात बता तेरी चूत में कैसी फीलिंग हो रही थी प्रीति214 - पागल हो गए हो दिमाग ख़राब है क्या तुम्हारा राज२००२- अच्छा चल एक बार दिखा तो दे मम्मी आ चुकी थी और मैं एक शरीफ बच्चे की तरह वापस अपने कमरे में शांति से बात चुका था. मेरे दिमाग़ में एक बात घूम रही थी की अचानक ऐसा क्या हो गया था दीदी को. ऊँके गोल चूतड़, और ऊन चूतदों के बीच छीपी हुई सुंदर सा गॅंड का भूरा सा छेद, सुंदर बलखाती चुचियाँ और प्यारी सी नाभि.... कोई भी देख ले तो पागल हो जाएगा. पर मुझे इस बात की हैरानी हो रही थी की पहली बार दीदी को इतना ऊतेज़ीत जो देखा था. ये बात मुझे हर बार खाए जा रही थी. आख़िर ऊस दिन पार्टी में दीदी के साथ ऐसा क्या हुआ था. इस घटना को दो दिन बीत गये. पर मैं जागते सोते हंसते गाते बस यही सपना देखता रहता था. मेरे दिल में कितनी हलचल मची थी इसे मैं शब्दो में बयान नहीं कर सकता. पर हन दिमाग़ में जो था वो ज़रूर कह सकता हूँ. दीदी के साथ अब तक तीन लोगों ने जितना मुझे पता था मज़े लिए थे. इनमे से एक ऊस अंकल को मैं खदेर चुका था. दूसरे से इतना घबराने की ज़रूरत नहीं थी. पर मेरे और दीदी के बीच सबसे बड़ी दीवार ऊनका प्रेमी था ऊसे कैसे अपने रास्ते से हटॉन. मैं इतनी प्रतीक्षा के बाद यही चाहता था की बस अब दीदी खुद को मुझे सौंप दे. अपनी मर्ज़ी से अपने आप ही. मैने बैठे बिताए एक योजना बनाई और फिर ऊस्के मुताबिक़ मुझे दो कम करने थे पहले तो ये पता करूँ की दीदी का ये चोदु बाय्फ्रेंड है कौन और दूसरा दीदी का विश्वास जीतना ऊन्हे बताना की ऊँके लए सबसे बेहतर ऊँका ये छ्होटा प्यारा भाई ही है और दूसरा कोई नहीं? वैसे तो ऊन्को इतना सबकुच्छ देखने के बाद आसानी से ब्लॅकमेल काइया जा सकता था पर नहीं मैं चाहता था दीदी के लए मेरा वही स्थान हो जो ऊँके प्रेमी का है. मैने अपना प्लान पे तेज़ी से अमल करते हुए दीदी के कंप्यूटर को खंगालने की ठानी. पर इसके लिए दीदी का घर से बाहर होना ज़रूरी था. जो मैं चाहता नहीं था. (शायद मैं कंप्यूटर देखूं और वो अपने बाय्फ्रेंड से cचुद बैठें). और कहा भी गया है की कुच्छ पाने के लए कुच्छ खोना पड़ता है. मैने एक रिस्क लिया जब दीदी नहाने जाएँ मैं बाथरूम में देखने के ऊँके कंप्यूटर को देखूं. अगले दिन सुबह सुबह जब दीदी नहाने के लए गईं तब मैने एक कम किया, धीरे से ऊँका कंप्यूटर ओं काइया और छत पढ़ना शुरू किया. दीदी: ये क्या बदतमीज़ी थी राज2002 - क्यों तेरे मान नहीं करता किसी से चुड़ाने का . राज2002-बोल ना मुझसे क्या शर्माना प्रीति214 - नहीं यार मुझे बहूत डर लगता है इन चीज़ों से राज2002- अरे मुझसे क्या डरना प्रीति214 - डरना तुमसे नहीं राज बट ऐसे पार्टी में सबके सामने अगर कोई हमें देख लेता तो राज2002- अरे कुच्छ नहीं होता तू बेकार दर गयी. अच्छा एक बात बता तेरी चूत में कैसी फीलिंग हो रही थी प्रीति214 - पागल हो गए हो दिमाग ख़राब है क्या तुम्हारा राज२००२- अच्छा चल एक बार दिखा तो दे दीदी ने ऊस्के बाद लोग ऑफ कर दिया था. खैर मुझे बस ये पता करना था की ये है कौन मैने ऊस्की ईमेल आइडी चेक की पर पता नहीं चल पाया. मैंने दीदी का मोबाइल चेक कीया। मुझे शायद कोई नंबर मिल जाए। पास अफ़सोस ऐसा कुछ हाथ नहीं आया। अब एक ही रास्ता बचता था और वो था दीदी की जासूसी करने का। शायद कुछ पता चल जाए। मैंने छुप के पता करने की सोची की दीदी कहाँ जा रहीं है क्या करती है वगैरा वगैरा। दीदी अचानक से मेरे कमरे में आई और उन्होने कहा सोनू मेरा एक काम करेगा मैंने पूछा क्या मुझे अभी बाज़ार से कुछ कपडे लेन हैं और मम्मी मेरे साथ जाना नहीं चाहती। मैं फटा फट तैयार हो गया। हम दोद्नो जल्दी ही तैयार होक बाज़ार के लिए निकल पड़े। मैं जन बुझ कर उनके पीछे पीछे चल रहा था। मेरी प्यारी दीदी बहुत ही मादक अंदाज में अपने चुतडों को हिलाते हुए चल रही थी। वो अपनी गांड को बहुत ही मस्त अदा के साथ हिलाते हुए चल रही थी। उसके दोनो गोल-मटोल चुतड, जिनको कि मैं बहुत बार देखा चुका था, उसकी घुटनो तक की स्कर्ट में हिंचकोले लेते हुए मचल रहे थे। मेरी बहन के चलने का यहां अंदाज मेरे लिये लंड खडा कर देने वाला था। उसके गांड नचा कर चलने के कारण उसके दोनो मस्त चुतड, इस तरह हिलते हुए घूम रहे थे कि, वो किसी मरे हुए आदमी के लंड को भी खडा कर सकते थे। मेरी बहन अपने मदमस्त चुतडों और गांड की खूबसुरती से अच्छी तरह से वाकिफ थी, और वो अक्सर इसक बॉयफ्रेंड को उत्तेजित करने के लिये करती थी। जैसा की आप जानते हैं की उनकी गांड काफि खूबसुरत और जानमारु थी। हम .......मॉल में आ गए थे। दीदी ने शौपिंग करना शुरू किया और आदत के मुताबिक कभी इस दूकान तो कभी उस शॉप पे घूम रहीं थी। काफी देर हो गई मैंने दीदी को कहा अब चलो भी पर दीदी बार बार अपनी मोबाइल की देख रहीं थी। मैं समझ गया दीदी अपनी आदत के मुताबिक अपने बॉयफ्रेंड से चाट में लगी है। उन्होने अचानक कहा सोनू तू रूक मैं आधे घंटे में आती हूँ। मैंने पूछा तुम कहाँ जा रही हो तो उन्होने कहा की मुझे कुछ कपडे लेने हैं। मैंने गुस्से में पूछा अब कौन से कपडे बचे हैं, और मैं क्यों नहीं जा सकता। दीदी ने धीरे से शर्मा के मेरे कान में कहा वो अन्दर के कपडे हैं उल्लू। मैं थक के वहीँ बैठ गया। मौल में इतनी साडी लडकिया आई हुईं थी। सब के सब एक से एक आधुनिक कपड़ो में। कुछ तो इतनी ज्यादा चिपके हुए कपडे पहने हुए थी की शारीर की साडी सुन्दर्ताओं का पता चल रहा था, पर उनमे से कोई भी दीदी के जैसी नहीं थी। यही सोचते सोचते शायद 10 मिनट बीते होंगे की मुझे लगा की मुझे दीदी को देखना चाहिए। मैं उठा और उधर जाने लगा जिधर दीदी गयीं हुई थी। और अचानक मेरी आँखे खुली की खुली रह गयी। दीदी मुझे एक शॉप में बिठा के अपने बॉयफ्रेंड से मिलने आई थी। और ये और कोई नहीं मेरा दोस्त रजनीश था जो दीदी से मजे करता था। दोनो मॉल की भीड़ में बेशर्मो की तरह गले में हाथ डाले . रजनीश का एक हाथ कंधे से होते हुए दीदी की चुचिओं को रगड़ रहा था और दूसरा उनके मोटे प्यारे से पिछवाड़े को। दोनो मॉल के अंडरग्राउंड वाले पार्किंग की तरफ जा रहे थे। ये पार्किंग उन लोगों के लिए थी जो मंथली बेसिस पर अपनी gadi पार्क करते थे, chhuti का दिन होने से वहां किसी के आने का चांस काफी कम था। शायद रजनीश ने भी वहीँ अपनी गाड़ी पार्क की होगी। मैं छुपके उनको देख रहा था। मैं सावधानी से उनकी और बढ़ रहा था। दोनों एक कार के अन्दर चले गए। मुझे साफ़ साफ़ कुछ दिखाई नहीं दे रहा था पर फिर भी मैं मुश्किल से देख प् रहा था। रजनीश ने दीदी की पन्त के ऊपर से ही उसकी चूत और गांड को कस कर चुमा, उसके मांसल चुतडों को अपने दांतो से काटा और उसके बुर से निकलने वाली मादक गंध को एक लम्बी सांस लेकर अपने फेफडों में भर लिया। और पुछा तूने कच्छी भी नहीं पहनी फिर चूची दबाने लगा और थोड़ी देर बाद और उसका नाड़ा खोल दिया। मैं देख नहीं प् रहा था पर शायद वो चूत पर हाथ फेरने लगा। और एक उंगली उसकी चूत में डाल दी। दीदी चिंहुक गई। दीदी ने भी उसके काछे में हाथ दाल दिया और रजनीश का लंड निकाल कर जो उस समय पूरे उत्थान पर था, उसे पकड़ कर हिलाने लगी। रजनीश ने एक उंगली उसकी चूत में डाल दी, फिर दो उंगलियाँ अन्दर डाल दी। कोई देख न ले इसलिए अचानक से वो पीठ के बल कार में लेट गया और दीदी को झुका लिया। फिर अचानक ही दीदी की मांसल, कंदील जांघो को अपने हाथो से कस कर पकडते हुए, उसकी पेन्टी के उपर से ही उसकी चूत चाटने लगा। दीदी का टाइट trouser गीला हो रहा था। फिर वो थोडा हिल और सिट पे लेट गया। उसने अपने पेन्ट और अंडरवियर को खोल कर अपने लैंड को आजादी दे दी। उसको ऐसा करने से दीदी की उत्तेजना बढ गई थी। वो अपनी गांड को नचाते हुए, अपनी चूत और चुतडों को चेहरे पर रगडवा रही थी। फिर उसने धीरे से मेरी बहन की पन्त में हाथ दल के उसके खूबसुरत चुतडों को सहलाने लगा। मैं सोच सकता था की दीदी के मैदे जैसे, गोरे चुतडों की बिच की खाई में भुरे रंग की गांड, जो की एकदम किसी फूल की कली की तरह लगती थी और उसी गांड के निचे गुलाबी पंखुडियों वाली उसकी चिकनी चूत के होंठ फडफडा रहे होंगे को छू कर कैसा लग रहा होगा । रजनीश ने अपने हाथो को धीरे से उसके चुतडों और गांड की दरार में फिराया, फिर धीरे से हाथो को सरका कर उसकी बिना झांठो वाली चूत के छेद को अपनी उन्गलियों से कुरेदते हुए, सहलाने लगा। उनको ऐसा करे देख कर मैं थोडा और आगे बाधा और एक वैन के पीछे जा खड़ा हुआ जहाँ से सबकुछ दिख रहा था। रजनीश की उन्गलियों पर दीदी की चूत से निकला रस लग गया था। और वो उसे अपनी नाक के पास ले जा कर सुंघा, और फिर जीभ निकल कर चाट लिया। मेरी प्यारी बहन के मुंह लगातार सिसकारीयां निकल रही थी। फिर अचनाक से रजनीश ने लैंड बहार निकल लिया और दीदी को चूसने के लिए बोल। दीदी न नुकुर करने लगी। उसने जबरदस्ती दीदी को निचे धकेलना चाहा और दीदी के मुह से घुटी घुटी सी एक चीख निकल गई। उन dono ने घबरा के इधर उधर देखा और किसी को न पाकर निश्चिन्त हो गए। पर मैं नहीं। क्योंकि मैं जो देख रहा था वो दोनों नहीं देख प् रहे थे। पार्किंग के दो गार्ड उन दोनों को देख कर मजे ले रहे थे। अचानक दोनों आगे बढ़ने लगे। इन सबसे अंजान रजनीश अभी भी दीदी को अपना लैंड चाटने के लिए मजबूर कर रहा था। तभी पीछे से एक ने आकर रजनीश की बांह पकड़ ली और दुसरे ने दीदी को घसीट कर पार्किंग के कोने में ले जाना चाह। दोनों की हालत देखने लायक थी। उनके रंग में भंग तो pada ही था शायद आगे इससे भी ज्यादा बूरा होने वाला था। एक मुस्टंडे ने जोर से एक पंच रजनीश के मुंह पे मारा। मुह से हल्का सा खून निकलने लगा और वो थोड़ी दूर जाके गीरा। उसने आव देखा न तव और भागना शुरू कर दिया। उसकी जेब से दो पेंटी गिरी। didi को bachane के बदले rajneesh भाग खड़ा हुआ। दीदी रो रहीं थी और कुछ भी नहीं कर रहीं थी। क्योंकि ऐसी हालत में उनकी pol खुल जाती एंड उनका मुंह जोर से बंद कर था उन दोद्नो ने। मैं अब तक छुपा हुआ ये सब देख रहा था। पर अब और नहीं। मैंने नजरे दौड़ाई और मएरे हाथ कुछ लगा। मैं आगे बढ़ा और उस गार्ड के को जिसने दीदी को पकड़ा हुआ था पीछे से सर पे दे मारा। वो वहीँ गिर गया शायद बेहोश हो कर दूसरा इस हालत में हक्का बक्का रह गया। उसने आव देखा न तव और अचानक हुए इस हमले से वो दर के भाग ने लगा। मैंने उसे भी पीछे से उसी रौड से वर किया और वो भी वहीँ गीर पड़ा। मैं उसे तब तक मारता रहा जब तक वो बेहोश न हो गया हो। फिर दीदी की और बढा और मेरी नजर रजनीश के जेब से गिरे हुए ब्रा और पांति पे पड़ी। मैंने उन्हें उठआते हुए दीदी को कहा 'ये रही आपकी शौपिंग।" अब चलें।" वो बूत बने हुए चलने लगि। मैंने पलट के देखा तो मुझे उनकी हालत का ध्यान आया। और अपने हाथों से उनके कपडे ठीक किए। धक्का मुक्की में उनके कपडे थोड़े फट गए थे और पेंट का नाडा भी खुला पड़ा थाजिसे वो हाथों से पकडे थी । मैंने आज ख़रीदे हुए कपड़ो का बैग निकाला और बिना दीदी से पूछ उनको पह्नानाने लगा। बिना पूछे उनकी फटे कपड़ों से झांकती बाई चूची हाथ से पकड़ के को ब्रा के अन्दर किया। और उनकी गांड सहलाते हुए दीदी के फटे हुए सलवार के ऊपर से एक और सलवार पहना दिया। वहाँ से निकलना जरुरी था। सबकुछ सिर्फ 45 मिनट के अन्दर हुआ था। मैं तेजी से दीदी के साथ बहार आया। दीदी के कपडे और सामान को लेके हम मॉल के बहार आ गए। मैंने दीदी से कहा काफी देर हो चुकी है हमें जल्दी घर पहुचना चाहिए। तभी अचानक से मेरी जेब में पड़ी दीदी के फोन की घंटी बजी। मम्मी का फोन था। मैंने कहा बस पहुँचने वालें हैं चिंता की कोई बात नहीं . मैं दीदी को खाना खिलाने चला गया था और इसी लिए देर हो गई। दीदी अभी भी चुप थीं और उन्होने मेरी और अहसान भरी नजरे उठा के देखा।मैंने दीदी को बाँहों में ले लिया और वैसे ही घर की और आने लगा। मैंने चलते चलते दीदी के सरे बिखरे बाल हाथों से थक कर दीइ। दीदी ने मेरे कंधे पे अपना सर टिका रखा था। घर पहुँचते पहुँचते दीदी ने सिर्फ दो शब्द कहे: सोनू मम्मी को मत बताना plz. मैंने मुस्कुरा दिया और दीदी के खूबसूरत चेहरे को अपनी छाती में छुपा लिया। हम घर pahunch गए। मम्मी ने पूछा इतनी देर कहाँ लगा दी .. 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