Wednesday, July 24, 2013

FUN-MAZA-MASTI मेरी बीवी की होली से बात बढ़ी आगे-7

FUN-MAZA-MASTI मेरी बीवी की होली से बात बढ़ी आगे-7 दरवाज़ा सोनिया ने खोला. कुछ उम्मीद तो थी की सोनिया कैसी दिख रही होगी पर जो देखा उसके लिए मै कतई तैयार नहीं था. सोनिया ने पूरी पारदर्शी आसमानी साडी पहेन रखी थी. उसके कंधे सिवाए ब्रा के स्ट्रेप के नंगे थे. नीचे साडी के अंदर से उसकी पैटी पूरी तरह दिख रही थी. चेहरे पर हल्की सी घबराहट के साथ मुस्कान थी. अभी मै उसे बड़ी बड़ी आँखों से देख ही रहा था की कर्नल ने आवाज़ दी ‘आओ भाई रोहित’ ‘अरे कर्नल साहेब आप’ मैंने चौकने का नाटक किया ‘आप कब आये?’ ‘अरे मै भी बोर हो रहा था सोचा सोनिया बेटी से बातें किया जाये.’ कर्नल शोर्ट्स और टीशर्ट पहने चौड़ा होकर बैठा था. सोनिया अजीब सा कुछ सोचते खड़ी थी. बेड पूरी तरह से अस्तव्यस्त था. किसी मुर्ख को भी ये पता लग जाये की अभी किस तरह की घमासान चुदाई हो चुकी है. पर मुझे तो अनजान बने रहना था, और चारा भी क्या था मेरे पास! मुझे लग रहा था मै अपने ही खेल में फंसता जा रहा हूँ. या अब खेल के खिलाडी बदल गए थे और मै दर्शक बनने पर मजबूर था. सोनिया का भी हाल मेरी ही तरह था. खिलाडी तो वो कभी भी नहीं थी, अब उसकी हालत पूरी तरह खिलौने जैसी हो गयी थी. अभी भी वो ऐसे खड़ी थी की उसे पता ही नहीं था की आगे क्या करे! ‘आओ रोहित, बेटी रोहित थक के आया है और तुमने चाय तक नहीं पूंछी.’ कर्नल ने बड़ी सी मुस्कान के साथ कहा. ‘अरे आप बैठो मैं चाय लाती हूँ.’ सोनिया को जैसे वहाँ से हटने का बहाना मिल गया. ‘और भाई रोहित काफी थके दिख रहे हो’ ‘हां कर्नल साहब बस. आप सुनाओ.’ ‘अरे हमारा क्या है. अकेले रहना बस बोर हुए तो निकल लिए कहीं. तुम्हारी थकावट का कुछ किया जाये. चाय पी लो फिर चलो नीचे तुम्हें बढ़िया माल पिलाया जाये.’ ‘अरे नहीं कर्नल साहेब. सोनिया अकेली रह जायेगी.’ ‘अरे सोनिया को भी चलेंगें.’ कर्नल जैसे यही चाहता था. इतनी देर में सोनिया तीन कप में चाय ले आ गई. उसने साडी के पल्लू से अपने कंधे छिपा लिए थे. फिर भी उसकी पारदर्शी साडी में उसका पूरा ब्रा और ब्रा के बहार झांकते बड़े बड़े मम्मे नज़र आ रहे थे. नीचे साडी में उसकी पैंटी के साथ साथ केले के तने जैसे चिकनी और गोरी जांघें दिख रही थीं. सोनिया अपने में झेंप सी रही थी. कप टेबल पर रख सोनिया बेड पर बैठ गयी. ‘चलो बेटी चाय पी ली जाये फिर नीचे बैठका लगाया जाय.’ कर्नल की आंखे चमक रहीं थीं सोनिया ने घबरा कर मेरी तरफ देखा ‘अरे नहीं अंकल मै तो यहाँ ही ठीक हूँ.’ ‘अरे ऐसे कैसे मैं भी तो तुम्हारे घर वालों की तरह ही हूँ. शर्माना छोड़ो.’ कर्नल ने कुटिल मुस्कान के साथ कहा. और फिर मुझसे मुखातिब हो गया. ‘और रोहित बड़ी मेहनत हो रही है. कभी रिलैक्स भी करा करो.’ उसने चाय की प्याली उठा ली. ‘नहीं कर्नल साहेब ऐसा क्या. कभी कम मेहनत होती है तो कभी ज्यादा.’ कर्नल ने हल्का सा ठहाका लगाया ‘अरे हमसे तो अब कोई मेहनत कराता ही नहीं. किस्मत से ही मेहनत करने मिलति है. क्यों बेटी?’ साला पूरी तरह से सोनिया से मुखातिब होकर बोला. सोनिया का चेहरा बिलकुल सफ़ेद हो गया. ‘पता नहीं’ बस बोल वो यही पाई. ‘अरे रोहित तुम तो सोनिया बेटी का ख्याल नहीं रखते हो. बेचारी बोर हो जाती होगी.’ ‘अरे नहीं अंकल आप ऐसा क्यों बोल रहे हो!’ सोनिया ने जल्दी से कहा. ‘नहीं कर्नल साहेब पर हाँ काम में बिजी हो जाता हूँ तो ...’ ‘चलो हम रखेंगे सोनिया बेटी का ख़याल.क्यों बेटी?’ कर्नल ने मेरी बात पूरी नही होने दी. मैंने देखा की साले ने हलके से सोनिया को देखते आंख मारी. सोनिया ने कुछ नहीं बोला. हडबडा के उठी और कप किचेन में रखने चली गयी. ‘चलो यार रोहित दौर ए जाम हो जाये.’ कर्नल उठ गया. ‘अरे अंकल सोनिया अकेली रह जायेगी....’ ‘तुमसे कहा न सोनिया की चिंता छोड़ो. वो भी चलेगी.’ कर्नल ने फिर मुझे बात पूरी नहीं करने दी. इतनी देर में सोनिया भी आ गयी. उसने सर झुका रखा था. चेहरे की हवाइयां अभी भी उडी हुयीं थीं. एक अनजान सा डर उसके चेहरे पर साफ़ दिख रहा था. जैसे बात बढ़ रही थी उससे परेशान मै भी था पर बहुत कोशिश करके सामान्य बना हुआ था. कर्नल का खेल मुझे समझ तो आ रहा था पर विश्वास नहीं हो रहा था. साला बड़ा खिलाडी था. वो जानता था की मेरे पास धारा में बहते रहने की सिवा कोई चारा नहीं था. ‘चलो सोनिया नीचे चलते हैं.’ ‘अरे अंकल अभी खाना नहीं बना है.’ ‘छड़ो खाना मै बहार से माँगा लूँगा. आज तुम सब भूल के रिलैक्स करो.’ कर्नल ने आगे बढ़कर सोनिया की कमर में हाथ डाल दिया और हल्का सा धक्का देकर उसे अपने साथ ले जाने लगा. पता नहीं मुझे लगा जैसे सोनिया कांप सी गयी. पर विरोध उसने कोई नहीं किया. कर्नल ने पीछे मुड़कर मेरी तरफ देखा ‘तुम भी कपडे बदल लो और रिलैक्स होकर आओ. तब तक हम तैयारी करते हैं.’ और कर्नल लगभग घसीटता हुआ सोनिया को ले गया. मै ठगा सा खड़ा रह गया. बस जाते हुए कर्नल का हाथ सोनिया की नंगी कमर के गिर्द देखा. मेरा दिमाग फटा जा रहा था. ये हो क्या रहा है! पर लंड मेरी पेंट भी फाड़ रहा था. मुझे समझ नहीं आ रहा था की मै विरोध क्यों नहीं कर पा रहा था! शायद इसलिए की सोनिया ने विरोध नहीं किया. ये अजीब सा दर्द भरा मज़ा था. पर सोनिया ने विरोध क्यों नहीं किया? जब सीढियों उतरने की आवाज़ आनी बंद हुई तब मै उठा और आगे सोचने लगा. साला कर्नल सोनिया को ले गया है तो कोई बात जरुर है. हाँ इतना जल्दी चोद तो नहीं सकता. पर चलो मुझे भी जल्दी से जल्दी नीचे जाना चाहिए. मैंने जल्दी जल्दी हाथ मुंह धोया और शॉर्ट्स और टीशर्ट पेहेन ली. फिर बिना आवाज़ किये सीढियाँ उतरने लगा. इस सब में मुझे तीन चार मिनट ही लगे होंगे. करनल के घर का एक दरवाज़ा बाहर रोड की तरफ खुलता है और एक दरवाज़ा सीढियों की तरफ अन्दर की ओर खुलता है. हम लोग कर्नल के घर ज्यादातर अन्दर के दरवाज़े से जाते हैं. दरवाज़े के बगल में एक बड़ी खिड़की है जिसमें डिज़ाइनर शीशा लगा है. थोडा कोशिश करो तो शीशे के अन्दर कुछ कुछ दिख जाता है. लगभग आठ बज चुके थे और बाहर अँधेरा पूरा हो चूका था. अन्दर ट्यूब लाइट जल रही थी. दरवाज़ा अन्दर से बंद था. स्वाभाविक है मैंने दरवाज़ा खटखटाने के बजाय खिड़की से अन्दर देखने की कोशिश की. सोनिया और कर्नल शायद खिड़की से लगे दीवान पर बैठे थे. दो सर और सोनिया की आसमानी साड़ी का आभास हो रहा था. मै खिडकी से लगभग चिपक कर खड़ा हो गया. बहार अँधेरा था और अंदर लाइट जल रही थी. अंदर से बाहर का आभास कम ही हो रहा होगा. सोनिया और कर्नल में फुसफुसाहट चल रही थी जो मै समझ नहीं पा रहा था. कर्नल ने सोनिया को अपने से चिपका रखा था. सोनिया शायद अपने को छुडाने की कोशिश कर रही थी. सोनिया की चूडियों की आवाज़ मद्धम मद्धम आ रही थी. बहार परछाईयां देख कर लगा कि शायद कर्नल अब सोनिया के होंठ चूस रहा था. सोनिया की छुडाने की कोशिश दिख रही थी. फिर दोनों परछाई नीचे को लेट गयीं. कर्नल ने सोनिया को नीचे लिटा दिया था और खुद ऊपर चढ चूका था. सोनिया की चूडियों की आवाज़ उसकी घबराहट और संघर्ष की कहानी बाहर तक सुना रही थी. कर्नल पूरी तरह से सोनिया को रगड रहा था. मुझे मालूम था की आगे क्या होना है. अगर कर्नल ने चुदाई शुरू कर दी तो मेरे लिए अंदर जाना उचित नहीं होगा. और फिर इतनी देर क्यों लगी इसका क्या जवाब दूँगा! यही सोचते हुए मैंने दरवाज़ा खटखटा दिया. दरवाज़ा कर्नल ने तुरंत खोला ‘आओ रोहित. देखो सोनिया भी परायों की तरह बैठी है.’ मेरी निगाह सोनिया की तरफ गयी. सोनिया की सांस तेज चल रही थी. बाल बिखरे हुए थे. साडी का पल्लू कंधे पर सिमटा था. साडी तो पहले ही कुछ नहीं छुपा पा रही थी अब तो उसका लगभग पूरे ब्रा और कमर पर साडी नहीं थी. ब्रा भी अस्तव्यस्त था जैसे कर्नल ने ब्रा में हाथ डाला था. सोनिया की नज़र जैसे दीवान की चादर पर कुछ देख रही थी. ‘चलो भाई कहाँ बैठोगे’ कर्नल के चेहरे पर कुटिल मुस्कान चिपक सी गयी थी. कर्नल का घर में पांच कमरे थे. पर वो इस्तेमाल दो ही कमरे करता था. एक जिस कमरे में हम थे वो बैठक थी. उसी के साथ लगी किचेन थी. किचेन के बगल मे बेड रूम का बड़ा सा दरवाज़ा था. दरवाज़ा खुले होने पर लगभग आधा बेड बैठक से साफ़ नज़र आता था. बैठक में एक चार लोगों की गोल डाइनिंग टेबल थी जो काले शीशे की थी. और बैठने के लिए दीवार से लगे दीवान और सोफा थे. चलो डाइनिंग टेबल पर बैठते हैं. क्या लोगे; विस्की वोदका या रम? ‘अरे कर्नल साहेब ... चलो वोदका हो जाये.’ मैंने सोचा कम से कम वोदका तो सोनिया भी ले लेगी. कर्नल ने एक सुन्दर से बार केबिनेट से एक विदेशी वोदका की बोतल निकली और मेज पर रख दिया. ‘बेटी ज़रा किचेन से गिलास तो लाना.’ सोनिया जैसे नींद से जागी और मशीन की तरह किचेन की ओर चल दी. ‘अरे लिम्का के साथ लोगे न?’ मेरे जवाब देने से पहले ही कर्नल किचेन की ओर बढ़ गया. मै वहीँ सोफे पर बैठ गया. वहाँ से मुझे किचेन का आधा हिस्सा दिख रहा था. मै जानता था साला बाज़ नहीं आएगा; करेगा जरुर कुछ किचेन में. सोनिया मुझे नहीं दिख रही थी क्योंकि शायद बर्तन वाली अलमारी अंदर की तरफ थी. कर्नल ने फ्रिज से लिम्का निकला तभी मुझे सोनिया की हल्की सी झलक मिली जैसे वो बहार आ रही हो पर कर्नल बोल पड़ा ‘बेटी तीन गिलास लो न.’ कर्नल ने सोनिया को प्यार से अंदर की तरफ धकेल दिया. अब मुझे दोनों ही नज़र नहीं आ रहे थे. मै सोफे के दुसरे किनारे खिसक गए अब मुझे वो दोनों काफी हद तक दिख रहे थे. मै सीधा न देख कनखियों से देख रहा था. सोनिया को कर्नल ने अपनी बाँहों में घेर रखा था और उसके नंगे कन्धों को चूम रहा था. सोनिया के दोनों हाथों मे दो गिलास थे. उसका चेहरा तमतमा रहा था और सर पीछे की ओर उठा हुआ था. ऑंखें बंद थीं. कर्नल को जैसे मेरी कोई चिंता ही नहीं थी. उसे शायद पूरा विश्वास था की मै कुछ कहूँगा नहीं! कर्नल अब अपने दोनों हाथों को सोनिया की पीठ से हटा नीचे गांड पर ले गया. सोनिया को कमर से जोर से भींच लिया जिससे सोनिया का अगला भाग पूरी तरह से कर्नल के लंड से चिपक गया. फिर पीछे हाथ उठा कर सोनिया की लगभग नंगी पीठ पर घुमाने लगा. फिर उसके हाथ सोनिया के ब्रा के स्ट्रेप से खेलने लगे. सोनिया को जैसे होश आया. उसने कर्नल को धक्का सा दिया और दोनों गिलास लेके बहार आ गयी. जब सोनिया गिलास मेज पर रख रही थी तो मुझे उसकी लगभग पूरी नंगी पीठ दिखी. ब्रा पीछे के दो में से एक हुक निकल चूका था. शायद कर्नल हुक खोल रहा था जब सोनिया ने उसे धकेला. कर्नल लिम्का और एक और गिलास लेके बड़ी सी मुस्कान के साथ बहार आ गया. ‘क्या सोनिया बेटी तुम संकोच बहुत कर रही हो. रोहित बोलो न सोनिया से की फ्री होकर रहे. अरे तुम्ही लोगों का घर है भाई.’ कर्नल ने गिलासों में वोदका डालते हुए कहा. सोनिया गुम सी खड़ी थी. मै भी समझ नहीं रहा था क्या करूँ. ‘अरे आओ भाई रोहित.’ मै उठ कर डाइनिंग टेबल पर आ गया. कर्नल मेरे सामने बैठ गया. ‘आओ बेटी.’ ‘नहीं अंकल आप लोग लो मै नहीं लेती.’ ‘अरे बेटी ये वोदका है बहुत लाइट होता है.’ कर्नल उठा और सोनिया की कमर में हाथ डाल कर उसे मेज पर ले आया. सोनिया अजीब सी नज़रों से मुझे घूर रही थी.मै उससे नज़र नहीं मिला पाया. कर्नल ने तीन गिलासों में पेग बनाये. सोनिया गहरी सोच में डूबी थी. ‘अरे उठाओ भाई गिलास.’ कर्नल ने और मैंने अपना गिलास उठा लिया. सोनिया अभी भी कुछ सोच रही थी. कर्नल ने सोनिया का गिलास उठाकर उसकी ओर बढ़ा दिया. सोनिया के चेहरे पर कुछ कठोर से भाव आये और उसने गिलास पकड़ लिया. देख वो मुझे रही थी. ‘चीयर्स’ कर्नल जैसे दहाडा मुझे लगा जैसे कोई नया अध्याय शुरू हुआ. 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1 comment:

Unknown said...

gazab ki story please continu rakho dear thanks

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