Monday, July 22, 2013

FUN-MAZA-MASTI औरत की चाहत-2

FUN-MAZA-MASTI

 औरत की चाहत-2

मैंने अभी अपनी जीभ दो-चार बार ही अन्दर-बाहर की थी कि उसने अपने हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबाव बढ़ाया और अपने चूतड़ उठा-उठा कर अपनी चूत को मेरे मुँह पर रगड़ने लगी और इसी दौरान उसका शरीर बुरी तरह से अकड़ा जिसके कारण वो अपने सिर को इधर-उधर पटकने लगी, फ़िर एकदम से उसके अन्दर का ज्वालामुखी फ़ूट पड़ा।

बस अब क्या बताऊँ दोस्तो, उसके इस ज्वालामुखी ने कितना रस छोड़ा, मैं तो बस उसको अपनी आँखें बंद करके गटा-गट पीता ही जा रहा था। जब वो शान्त हुई तो उसने मेरा सिर पकड़ कर अपनी तरफ़ खींचा और मेरे मुँह और होंठों पर लगे अपनी चूत के रस का आनन्द लेने लई, उसने चाट-चाट के मेरे मुँह को एकदम साफ़ कर दिया।

फ़िर कुछ देर तक वो बैड पर शान्त लेटी रही, मैं भी उसके बगल में लेट गया और उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा। कुछ देर बाद वो फ़िर से गर्म होने लगी और मैं यह देखकर हैरान हो गया कि अबकी बार उसने पहल की, उसने मुझे हाथ पकड कर बैड के नीचे खड़ा किया और खुद मेरे सामने घुटनों के बल बैठकर मेरी पैन्ट खोलने लगी, उसने मेरी पैंट मेरी टाँगों से अलग कर दी, फ़िर उसने कुछ देर मेरे लंड निहारा और अपनी आँखें बंद करते हुए उसे अपने हाथ में पकड़ कर चूम लिया।

उसके ऐसा करते ही मेरा दिल तो बाग-बाग हो गया तब उसने अपना मुँह खोला और लंड की चमड़ी को पीछे करते हुऐ उसे अपने मुँह में भर लिया।

सच मानो दोस्तो, मुझे उससे ऐसा करने की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी पर वो तो बस अपनी आँखें बंद करके उसे पूरे दिलो जान से चूसे जा रही थी जैसे कोई छोटी बच्ची लोलीपोप चूस रही हो !

वो काफ़ी देर तक ऐसे ही मेरे लंड को चूसती रही, 15 मिनट के बाद मुझे लगा जैसे कि मेरा माल छुटने वाला है, तब मैंने अपना लंड उसके मुंह से छुड़ाने की नाकाम कोशिश की, पर वो थी कि छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी।

मैं समझ गया कि वो क्या चाहती है शायद वो मेरे माल को पीना चाहती थी और फ़िर कुछ देर में मैं उसके मुंह में ही झड़ गया वो झड़ने के कुछ देर बाद तक मेरे लंड को चूसती रही जब तक कि लंड की आखिरी बून्द तक वो अपने गले से नीचे ना उतार गई।

फ़िर मैंने उसे उसके कन्धों से पकड़ कर उठाया और उसके होंठों पे होंठ रखकर चूमने लगा, उसने भी खुलकर मेरा साथ दिया वो कभी अपनी जीभ मेरे अन्दर डालती और कभी मेरी जीभ को अपने मुँह के अन्दर तक ले जाती।

सच मानो दोस्तो ये सब कुछ मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था क्योंकि उसके मुँह से मुझे मेरे वीर्य का स्वाद आ रहा था जो मुझे बिल्कुल अजीब लग रहा था, पर फ़िर भी मेरा दिल उसको छोड़ने को बिल्कुल नहीं कर रहा और मैं भी उसे अपनी आँखें बन्द किए उसे चूमे ही जा रहा था, मेरा लंड उसके पेट से टकरा रहा था जिसके कारण वो फ़िर से अकड़ रहा था। फ़िर मैंने उसे बैड पर लेटाया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया। उसने भी खुशी जाहिर करते हुये अपनी टाँगें फ़ैला कर मेरी कमर में कस ली और अपनी बाहें मेरे गले में डाल दी, उसकी चूत बहुत ही चिकनी हो गई थी और बहुत सा पानी छोड़ रही थी। मेरा लंड एक ही झटके में अन्दर चला गया, पर अब मैंने कोई जल्दबाजी नहीं की और बहुत प्यार से अपने चूतड़ ऊपर नीचे करने लगा।

हम दोनों तो बस एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे। मैंने ऐसे ही उसको करीब आधा घंटा चोदा, उसके बाद हम दोनों एक साथ अपनी चरम सीमा पर पहुँच गये।

कुछ देर तक हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे, हमें कब नींद आ गई हमें पता ही नहीं चला।

अगले दिन हम दोनों उठे और स्नान कर के उसके घर से अपने-अपने घर की तरफ़ चल दिये अगली बार मिलने का वादा कर के !

उसके बाद मैं अपने घर चला गया और वो अपने !

उस दिन के बाद तो हम दोनों के फ़ोन का खर्च और भी बढ़ गया, मैं अब हर बार उसे अपनी दूसरी मुलाकात के लिए कहता और वो हमेशा ही कहती कि जल्दी ही होगी, क्या करूँ, दिल तो मेरा भी कर रहा है।

अभी हमें चुदाई किये दो दिन भी नहीं हुये थे और मेरी हालत खराब होती जा रही थी, हम जब मिलते थे तब भी आस-पास कोई ना कोई होता था, हम सब की आँखें बचा कर बस थोड़ी बहुत चूमाचाटी ही कर पाते, और कभी सिनेमा में फ़िल्म देखते-देखते उसकी चूचियाँ दबा देता, इससे आगे कभी मौका ही नहीं मिला।

फ़िर हम दोनों ने एक शनिवार को चुदाई का प्रोग्राम बनाया वो भी होटल में, उसने एक होटल का पता और रूम नम्बर मुझे दिया और शाम सात बजे आने को कहा।

वो एक 5 स्टार होटल था जिसमें मैं एक बार पहले भी जा चुका था, तो मैं उस होटल के बारे में जानता था। मैं समय पर पहुँच गया। मैं सीधे उसके रुम के बाहर पहुँचा, उसने काफ़ी मंहगा कमरा बुक किया था, उसके कहे अनुसार मैंने दरवाजा खटखटाया।

उसने दरवाजा खोला और दरवाजा खुलने के बाद का नजारा कुछ ऐसा था जिसे देखकर तो मैं अपने आप पर गर्व महसूस करने लगा। क्या बला की खूबसूरत लग रही थी वो !

उसने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी, उसी रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी। सच मानो दोस्तो, उस समय तो अगर मेरे सामने जन्नत की परी को भी खड़ा कर दो तो एक बार तो मैं उसको भी फ़ेल कर दूँ।

और एक बात तो है दोस्तो की अगर कोई औरत जब हमारे सामने चुदने को खड़ी हो तो हमें तो बस वो ही दिखाई देती है।

मुझे भी बस वो ही दिखाई दे रही थी और उसके इस रूप ने तो मेरे होश ही उड़ा दिये थे। मेरा रुकना नामुनकिन था, दिल कर रहा था कि उसको यहीं दरवाजे पर ही खड़ा करके चोद दूँ।

उस समय तो मुझे उसके होंठ दिखाई दे रहे थे जिस पर उसने गुलाबी रंग की लिप्स्टिक लगा रखी थी, जो मुझे पागल किये जा रही थी। दिल कर रहा था कि बस अभी अपना लंड निकाल कर इसके मुँह में दे दूँ, जिसे ये लोलीपोप की तरह चूसती रहे।

मैं तो अपने इन्हीं सपनों में खोया हुआ था, मेरा सपना तो जब टूटा जब उसने हाथ मिलाने के लिये आगे बढ़ाया और कहा- हाय ! आ गये आप ! क्या बात है आज कुछ लेट हो गये, रास्ते में कोई और मिल गया था क्या?

उसने मजाक में कहा।

मैं कहाँ उसके इस मजाक का जवाब देने की हालत में था, मैंने उससे हाथ मिलाया और कमरे के अन्दर दाखिल हुआ, दरवाजा बंद किया और सीधा उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये, उसके शरबती होंठों का वो स्वाद तो भूले नहीं भूलता यार ! मैंने अपने हाथों से उसके चेहरे को थामा और उसको इस कदर चूमने लगा जैसे उसे अब मैं खा ही जाऊँगा।

वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी और बेहताशा पागलों की तरह मुझे चूमे ही जा रही थी, हम दोनों एक दूसरे से इस कदर लिपट चुके थे कि हमारे बीच से हवा भी पार ना हो सके।

हम नहीं जानते कि हम दोनों इस तरह एक दूसरे के होंठों के रसपान का आनन्द कितनी देर तक लेते रहे, पर हाँ हम दोनों एक दूसरे के होंठों के रसपान का आनंद तब तक लेते रहे जब तक मेरा मुँह नहीं दुखने लग गया।

फ़िर मैंने अपने हाथ उसकी कमर को लपेटे और उसे अपनी बाँहो में उठा लिया और बैड की तरफ़ बढ़ने लगा, पर हमने होंठों का रसपान जारी रखा, जो हमने तभी छोड़ा जब मैंने उसे बैड पर लेटाया।

उसने लेटते-लेटते अपना एक हाथ अपने होंठों पे रखते हुये कहा- जालिम, आज क्या मुझे खा जाने का इरादा है क्या तुम्हारा? थोड़ा आराम से ! आज की रात तो मैं तुम्हारी ही हूँ, कोई भागी नहीं जा रही, देखो तुमने मेरे नाजुक से होंठों का क्या हाल कर दिया है, पूरे छील के रख दिये !

मैंने कहा- जान ऐसा तो कोई इरादा नहीं था मेरा ! पर क्या करूँ, आज तो तुम कयामत लग रही हो कयामत !

कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे, फ़िर मैं उठा और उसके ऊपर चढ़ गया, ऊपर चढ़ते ही सबसे पहले मैंने उसके साड़ी का पल्लू एक साईड किया। साड़ी का पल्लू साईड में करते ही मेरा तो दिमाग ही हिल गया, मैंने एक लम्बी सांस ली।

दोस्तो, वास्तव में भारतीय नारी साड़ी में सबसे सुन्दर लगती है, और अगर गलती से भी उसका साड़ी का पल्लू गिर जाये तो लगता है वो ऊपर से नग्न ही हो गई हो !

मेरे सामने भी अब कुछ ऐसा ही नजारा था। और कुछ आजकल की औरतें ब्लाउज भी कुछ ऐसा पहनती हैं, गला खुला हुआ, काफ़ी टाईट जिसे सब शोर्ट कहते हैं। उसने भी कुछ ऐसा ही पहना हुआ था, इस समय जो सबसे आकर्षित करती है वो है औरत की साँस, और हर साँस के साथ ऊपर नीचे होती उसकी चूचियाँ, जिनको देख के मैं तो पागल ही हुआ जा रहा था।

अब मैं हल्का सा उसके ऊपर लेट सा गया, और उसके माथे पे किस किया और उसकी आँखो में देखने लगा, वो हल्की सी मुस्कराई और अपनी आँखें बंद कर ली।

फ़िर मैंने अपने होंठ उसके एक कान पर रखे और जीभ थोड़ी सी बाहर निकाल कर उसके कान के सुराख में घुमाने लगा, उसके मुँह से तो बस सिसकारियाँ निकल रही थी और लम्बी-लम्बी साँसें ले रही थी, उसके दोनों हाथ अपने आप मेरे सिर पर आ चुके थे। मैं उसके कानों को चूमता चाटता हुआ उसकी गरदन तक आया और अपने पूरे होशोहवास खोकर उसकी गरदन को चूमने लगा।

वो तो बस अपने मुँह से बड़ी ही सैक्सी आवाजों में सिसकारियाँ ले रही थी- ऊऊऊह ऊ आह आअ, आराम से जान !

कुछ देर बाद में उसके ऊपर से हटा और उसे बैड के नीचे खड़ा किया, फ़िर मैंने उसकी साड़ी का पल्लू पकड़ा और उसे उसके जिस्म से अलग करने लगा, साड़ी उसके जिस्म से अलग करके, मैं उसके गले लगा और अपने हाथ उसके पीछे ले जाकर उसके ब्लाउज के हुक खोल कर उसके ब्लाउज को भी उसके जिस्म से अलग कर दिया, उसने ब्लाउज के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी जिससे उसके ब्लाउज खुलते ही उसके दोनों कबूतर फ़ड़फ़ड़ा कर बाहर आ गये।

एक बार तो मैंने शान्ति से खड़े होकर नजर भर कर उसके जिस्म को देखा, कमरे मैं सारी की सारी लाईट जली हुई थी, जिससे उसका कामुक बदन साफ़-साफ़ नजर आ रहा था।









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