Wednesday, July 24, 2013

FUN-MAZA-MASTI मेरी बीवी की होली से बात बढ़ी आगे-3

FUN-MAZA-MASTI मेरी बीवी की होली से बात बढ़ी आगे-3 सुन्दर की चुदाई जारी थी. करीब बीस मिनट तक ये सब मैं सोने की एक्टिंग करते देखता रहा. फिर सुन्दर ने अपना माल सोनिया में डाल दिया. दो मिनट के लिए सब खामोश हो गया. फिर सोनिया लिहाफ के अंदर घुस कर कुछ निकाला. निक्कर पहन कर वो धीरे से मेरे लिहाफ में घुस गयी. मेरी तो हालत खराब थी. सोनिया की साँस अभी भी तेज थी. मेरी उसे छूने की हिम्मत नहीं हो रही थी. कुछ तो पर्दादारी थी. करीब आधा घंटा ऐसे ही बीत गया. अचानक मुझे लगा सोनिया की तरफ फिर हलचल का आभास हुआ. मै चुपके से अधी आंख खोले देख रहा था. सोनिया ने तुरंत मेरी ओर देखा. पर शायद वो आश्वस्त थी की मैं सच में सो गया हूँ. वो फिर सुन्दर की ओर करवट लेकर लेट गयी. में दम साधे था की क्या खेल अभी बाकी है! मुझे सोनिया की पीठ और सीनिया की आड से सुन्दर का आँखों तक का हिस्सा दिख रहा था. दोनों में आंखों आँखों में कुछ बातें हो रही थी. शायद सुन्दर कुछ रिक्वेस्ट कर रहा था जो सोनिया मान नहीं रही थी. फिर जैसे बात खत्म करते हुए सोनिया सीधा लेट गयी. कुछ मिनट बाद मैं जैसे नींद से उठा और बाथरूम चला गया. वापस आया तो सोनिया सुन्दर के दूसरी ओर करवट लेकर लेटी थी. उसकी ऑंखें खुली थीं और उसकी आँखों में एक खालीपन सा था. कंधे तक लिहाफ था. अब उसकी सुन्दर से दूरी पहेले से कुछ ज्यादा थी. में भी लिहाफ में घुस गया. कुछ देर सोचा की आगे क्या किया जाय. सोनिया की ठुकाई देखकर मेरा लंड अभी भी पूरा ताना था. मैंने सोनिया का हाथ फिर खीच कर अपने लंड पर रख दिया. किसी यंत्र की तरह सोनिया ने मेरा लंड सहलाना शुरू कर दिया. ऑंखें उसकी खुलीं थीं और थकान उनमें साफ़ दिख रही थी. एक शांति सी थी. सिर्फ बहुत हलके हलके कभी कभी सोनिया की चूडियों की आवाज़ आ रही थी. मेरे लंड की सेवा जारी थी. मैंने ऑंखें बंद कर लीं और आनंद लेने लगा. थोड़ी देर में सोनिया के हाथों में जोश आने लगा. मैंने धीरे से हाथ बढ़ा कर सोनिया के मम्मों पर रख दिए. अजीब ठंडक है सोनिया के मम्मों में. आज भी एक कोलेज की लड़की की तरह शेप में और कड़क! मेरा हाथ नीचे को जाने लगा. कुछ देर नाभि पे ठहरा. नाभि को अपना प्यार देकर हाथ आगे बढ़ा कमर तक और नीचे फिसलने लगा. अरे सोनिया की निक्कार नहीं मिली कहीं! तभी सोनिया ने मेरा हाथ पकड़ कर वापस मम्मों पर रख दिया. मेरे दिमाग में जैसे हथोडा लगा; सुन्दर का हाथ सोनिया की चुत पर! अब मुझे समझ आया सोनिया का जोश क्यों बढ़ रहा था. अभी थोड़ी देर पहले जिसके लंड ने सोनिया का काम तमाम किया था वोही अब उँगलियों से उसे चोद रहा था, नंगी कर के. खिलाड़ी सुन्दर भी पहुंचा हुआ था. सब इतनी ख़ामोशी से कर रहा था! सोनिया की सांसे ही बस सब बता रहीं थीं वरना किसी अनजान को लगे की एक बेड पर तीन लोग ‘सो’ रहे हैं. मैंने मम्मों पर थोडा ध्यान दिया फिर धीरे से हाथ ऊपर की ओर बढाने लगा. साथ ही ले गाया सोनिया का ऊपर का कपड़ा भी. अब सोनिया के नीचे न निक्कर थी न ऊपर नाइटी का अप्पर. मैंने अपनी ऊँगली सोनिया के होठों पर फेरी. सोनिया ने तुरंत ऊँगली चूसना शुरू कर दिया. सोनिया का मुह भट्टी की तरह था. जिस तरह से वो ऊँगली चूस रही थी उससे पता लग रहा था किस लगन से उसने कुछ देर पहले सुन्दर का लंड चूसा था. अब सोनिया के नीचे के भाग में कुछ ज्यादा हलचल हो रही थी. मुझे लगा जल्दी ही सोनिया फिर खींच ली जायेगी सुन्दर के नीचे. पर अब मेरी बारी थी. मैंने धीरे से सोनिया को सीधा लिटाया. शायद ये आभास कर सुन्दर ने हाथ खींच लिए. में सोनिया के ऊपर आ गया. ‘क्या करते हो’ सोनिया ने बिलकुल मेरे कान में कहा तब तक में अपनी शोर्ट्स उतार चूका था और अंडरवियर नीचे कर रहा था. सुन्दर एक फिट की दूरी पर ‘सो’ रहा था. मेरा लंड सोनिया की चिकनी चूत से रगढ रहा था. मैंने सोनिया को कुछ और बोलने का मौका नहीं दिया और उसके होंठ अपने होंठ में ले लिए. अब मैं उसके होंठ चूस रहा था और वो लिहाफ ठीक कर रही थी ताकी मैं और वो लिहाफ की पूरी तरह ओट में हो जाएँ. मैंने लंड को सोनिया की चूत के मुहाने रखा तो लगा जैसे चुत ने खुद ही लंड निगल लिया. सोनिया की चुत इतनी चिकनी मैंने पहली बार देखी. अब मैंने धक्के लगाने शुरू किये. तीन चार धक्कों के साथ ही सोनिया के हाथ मेरी पीठ पर आ गए और कुछ ही सेकेंड में उसके नाखून मेरी पीठ पर गड़े थे. इतना जल्दी सोनिया का काम पहले कभी तमाम नहीं हुआ. मेरे धक्के लंबे लंबे थे. कूलर की आवाज़ के साथ सोनिया की उंह-आह और चूडियाँ एक संगीत पैदा कर रही थीं जिसे सोनिया खुद रोक नहीं पा रही थी. मेरे दोनों हाथ में सोनिया के दोनों मम्में थे. उसकी चिकनी जाँघों पर मेरी जांघें यांत्रिक रूप से फिसल रही थीं. लंड और चूत का मिलन फच्च फच्च की आवाजों के साथ हो रहा था. सोनिया मेरे नीचे निढाल सी थी. और फिर मेरा बाँध टूट गया. मैं उस हालत में जितना रफ़्तार बढ़ा सकता था उतनी रफ़्तार बढ़ा दी और बस ... दो मिनट तक मैं सोनिया पर पड़ा रहा फिर सोनिया ने मुझे हल्का सा लुढ़का दिया. कुछ कपड़ों की सरसराहट हुई. लहाफ के अंदर ही सोनिया ने कपडे ठीक किये और उठ कर बाथरूम चली गयी. जब सोनिया वापस आई तो उसने मुझे बेड के बीच में धकेल कर खुद किनारे लेट गयी. में समझ गया की सोनिया के लिए इससे ज्यादा कुछ संभव नहीं है. अब एक ख़ामोशी थी. कितना कुछ हो गया कितनी जल्दी. कल सुबह तक सोनिया मेरी शायद किसी को हाथ भी न धरने देती. और आज देख रहा हूँ की कैसे वो खिलौने की तरह खेली गयी. अब ये रात कोई सुबह तो ले कर आएगी. वैसे हर रात एक नयी सुबह लाती है जिसे हम आम सुबह बना देते हैं. मैं बदलूँगा इस सुबह को. थकान के कारण मेरी ऑंखें बार बार बंद हो रहीं थीं. जब करीब एक घंटे तक कुछ नहीं हुआ तो मै भी सो गया. सुबह सोनिया ने जब उठाया तो आंख खुली. सुन्दर अभी भी वैसे ही लेटा था. लिहाफ करीब सीने तक था. सोनिया ने वही रात वाली नाइटी पहनी थी. ‘सुनो यार दूध फ्रिज में रखना भूल गई थी फट गया है. जल्दी से पकड़ लाओ तो चाय बनाउ’ सोनिया ने सहजता से बोला. हमारी बात से शायद सुन्दर भी जाग गया. ‘और भाई नींद तो आई रात को’ मैंने पूंछा ‘नींद तो बहुत अच्छी आई’ सुन्दर ने चोरी से एक बार सोनिया की तरफ नजर करी. सोनिया तो जैसे चोरी करते पकडी गयी हो. उसकी नज़रे तुरंत इधर उधर भागने लगीं. ‘रुको यार मैं दूध लेकर आता हूँ’ मैंने तुरंत टी शर्ट डाली और बाहर निकल गया. सीढियां कुछ ज्यादा ही आवाज़ कर के उतरा. नीचे पहुँच कर अपना मोबाईल साईलेंट पर लगाया और दबे पाँव फिर ऊपर आ गया. बहार की खिडकी से अंदर झाँकने का इन्तजाम मैंने पहले ही कर रखा था. मैं बिलकुल खामोश अंदर झाँकने लगा. सोनिया बिस्तर की चादर ठीक कर रही थी और सुन्दर कहीं दिख नहीं रहा था. फिर सुन्दर बाथरूम से निकला. सोनिया बेड पर झुकी चादर की सिलवटें ठीक कर रही थी. सुन्दर ने वही वी आई पी फ्रेंची अंडरवियर पहना था. उसने सोनिया के कमर में हाथ डाल कर उसे अपने से चिपका लिया. सोनिया पीछे कोहनी से धक्का देकर अपने को छुड़ाने की कोशिश करने लगी. ‘क्या करते हो ये ठीक नहीं है.’ तब तक सुन्दर सोनिया को धक्का देकर बेड पर गिरा चूका था और खुद ऊपर लेटा था. सोनिया पेट के पल बेड पर थी और एक बार फिर सुन्दर उस पर सवार था. ‘क्या करते हो ये आ जायेंगें’ सोनिया के चेहरे पर सचमुच डर था. ‘दरवाजा भी बंद नहीं है.’ सुन्दर फुर्ती से उठा और मुझे सिटकिनी लगाने की आवाज़ सुने दी. फिर कुछ सोचकर सुन्दर ने अपना मोबाइल पर नुम्बर डायल किया. वो कॉल मुझे कर रहा था. शुकर है मेरा मोबाइल वाइब्रेटर पर था. मैं तुरंत दबे पाँव नीचे उतरा और फोन उठाया ‘हाँ भाई सुन्दर’ सुन्दर – अरे यार बहार गए ही हो तो ट्रांसफोरमर वाली गली से ताज़े समोसे भी ले आना. ‘यार ट्रांस्फोर्मेर वाली गली में मैं कन्फ्यूज हो जाता हूँ.’ मेरा दीमाग दौड़ रहा था. ट्रांस्फोर्मेर वाली गली तक पैदल जाने और आने में कम से कम आधा घंटा लगेगा. पूरा खिलाडी था सुन्दर. ‘चलो अच्छा छोडो’ सुन्दर ने अनमने से कहा. ‘नहीं नहीं यार मैं जाकर देखता हूँ’ और मैंने फोन काट दिया. मैं फिर दबे पांव सीडियां चड़ने लगा. अब सोनिया खड़ी थी और सुन्दर ने उसे पीछे से पकड़ रखा था. सोनिया अपने को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी. फिर सुन्दर ने सोनिया को वैसे ही उठा लिया और बेड पर पटक सा दिया. सोनिया सुन्दर के हाथों में फूल की तरह से हल्की सी थी जिसे सुन्दर जैसे चाहे उठा रहा था. सोनिया अब पीठ के बल बेड पर पड़ी थी. उसकी आँखों में डर जैसा कुछ था. पर सुन्दर ने बिना समय गवाए सोनिया को अपने नीचे दबा लिया. अब सुन्दर ने अपने हाथ सोनिया के अपर में डालने की कोशिश कारने लगा. सोनिया सुबह सुबह इस सब के लिए तैयार नहीं थी. वो रोकने की कोशिश कर रही थी. पर सुन्दर का हाथ गोलाइयों तक पहुंच ही गया. सोनिया का भी विरोध कुछ कम सा हुआ. सुन्दर ने अपना दूसरा हाथ तुरंत सोनिया के निक्कर में डाल दिया. जब तक सोनिया समझती तब तक सुन्दर दोनों किलों पर कब्ज़ा कर चूका था. फिर भी सोनिया छुड़ाने की कोशिश कर रही थी. ‘छोड दोना प्लीज़. ये आ गए तो मुसीबत हो जायेगी’ सोनिया की आवाज़ में डर और नशा दोनों था. ‘अभी रोहित को आने में आधा घंटा लगेगा. तुम्ही समय लगा रही हो.’ सुन्दर बात करते हुए सोनिया की निक्कर उतार रहा था. सोनिया ने आखरी कोशिश के रूप में अपनी निक्कर कसकर पकड़ रखी थी. पर आखिर सुन्दर ने सोनिया की निक्कर उतार ही दी. निक्कर उतरते साथ ही जैसे कमरे में अचानक रौशनी हो गयी! अब सोनिया की गोरी काया पेट से लेकर पैर तक चमक रही थी. फिर कल से लेके अभी तक जो मै नहीं देख पाया था वो देखा. सुन्दर ने अपनी ऊँगली सोनिया की चुत में डाल दी. सोनिया ने ऑंखें बंद कर लीं और अपना विरोध जहां था वहीँ छोड दिया. सुन्दर ने मौके का फायदा उठा सोनिया का अपर भी गले तक चढा दिया. अब सोनिया के गले में सिकुड़े पड़े अपर को छोड़ बिलकुल नंगी थी. सुन्दर ने तुरंत एक हाथ से अपना अंडरवियर नीचे खेंचा और सोनिया के ऊपर अपने को स्थापित करने लगा. सोनिया की गोरी जांघों के सामने सुन्दर का कला पूरा ताना लंड देख मेरा लंड पूरी हरकत में था. सुन्दर का लंड मेरे से थोडा सा बड़ा और मोटा था. सुन्दर का लंड मै कुछ सेकेण्ड से ज्यादा मै देख नहीं पाया क्योंकि सुन्दर सोनिया पर चढ गया और नीचे लंड सेट कर पहला धक्का मारा. सोनिया के मुंह से हल्की सी आह निकली. सुन्दर ने छोटे छोटे दो और धक्के मारे. अब सुन्दर का लंड फिर सोनिया की चुत में था. पर दिन की रौशनी में और मेरी अनुपस्तिथि में सुन्दर सोनिया को पूरी तरह अपनाना चाहता था. उसने सोनिया के दोनों पैर एक झटके से अपने कन्धों पर रख लिए. अब सोनिया निश्चित ही गहराई तक चोट महसूस कर रही होगी. उसकी ऑंखें कसकर बंद थी, दर्द से या मज़े में! तीन चार धक्कों के बाद सुन्दर ने और दबाव दिया और सोनिया के पैर दबा दिए. अब सोनिया धनुष बनी हुई थी और सुन्दर कस कस कर ढोल बजा रहा था. सुन्दर वक्त की नजाकत समझ रहा था और तेज तेज धक्के मार रहा था. सोनिया के होंठ तक सुन्दर के होंठ पहुँच चुके थे और फ्रेंच किस भी चल रहा था. तभी सोनिया जैसे सुन्दर के बाल खेंचने लगी. सुन्दर ने भी रफ़्तार और बढ़ा दी. अब दोनों एक साथ निपट गए. सोनिया तुरंत एक झटके से उठी और अपने कपडे ठीक करने लगी. मुझे भी ख्याल आया और में तुरंत नीचे को उतर गया. गली के मोड से दूध के पैकेट लिए और पांच मिनट में लौट आया. दरवाज़ा को धक्का मारा तो वो खुला था. सुन्दर बेड पर अंडरवियर पहने बैठा था. सोनिया शायद बाथरूम में थी. ‘कहा था न मुझे ट्रांसफोर्मर वाली गली मिली ही नहीं.’ मैंने ऐसे ही बोला. तभी सोनिया बहार आ गयी. ‘बहुत टाइम लगा दिया?’ सोनिया ने वही कल वाले शोर्ट और टी शर्ट पहन ली थी. और दूध के पैकेट उठा वो किचेन में चली गयी. सुन्दर भी बाथरूम गया और कपडे पहेनकर बाहर निकला. सोनिया चाय ले आई और मैं .. मैं कमरे में सेक्स की महक सूंघ रहा था. चाय पीकर सुन्दर जा चूका था. साला इतनी बार सोनिया के साथ सेक्स किया पर पहली बार जाना की चुदाई क्या होती है; सेक्स की महेक क्या होती है! मै भी उठा और तैयार होने बाथरूम चला गया. नहा कर बाहार निकला तब तक सोनिया ने चादर बदल दी थी और घर की भी कुछ सफाई कर दी थी. अगरबत्ती जल रही थी. शायद सोनिया को भी सेक्स की महक महसूस हो रही होगी. खैर मै अनजान सा बना रहा. आज कुछ आर्डर लेने थे सो मैं फटाफट तैयार हो गया. सोनिया भी नाश्ता ले आई. मैं नाश्ता करने लगा. सोनिया ज्यादा बात करने के मूड में नहीं लगी. पूरे समय वो किचेन में कुछ करती रही. नाश्ता करके मैं निकल गया. नीचे उतरा तो कर्नल साहेब से मुलाकात हो गयी. मैंने हलके से सिर झुका कर नमस्ते किया. कर्नल साहेब हमरे मकान मालिक हैं. नीचे की मंजिल में वो खुद अकेले रहते हैं और ऊपर का हिस्सा हमें किराये पर दे रखा है. कर्नल साहेब को रिटायर हुए दो साल हुए हैं. उनके दोनों लड़के इंजिनियर हैं और बंगलौर में रहते है. कर्नल साहेब की बीबी का स्वर्गवास किसी गंभीर बिमारी से कई बरस पहेले हो गया है. कुल मिलाकर कर उनको मैंने ज्यादातर अकेले ही देखा है. घर के काम के लिए एक कामवाली दिन में दो बार आती है. कर्नल साहेब मुझे और सोनिया को बहुत मानते हैं. काफी अपनेपन और सलीके से पेश आते हैं. ‘और रोहित कैसे हो; होली पर घर नहीं गए?’ कर्नल साहेब ने पूंछा ‘अरे कहाँ काम से फुर्सत ही नहीं मिलती. सीज़न चल रहा है न.’ मैंने औपचारिक सा जवाब दिया और आगे बढ़ गया. पूरे दिन काम में लगा रहा और घर लौटते शाम पांच बज गए. घर पर सोनिया ने शोर्ट्स और मेरी एक टी शर्ट पहेने थी. उसका देखते साथ ही कल और परसों की रात की याद ताज़ा हो गयी. कितनी तेज़ी से बदल रही थी सोनिया. कहाँ वो सूट ही पहना करती थी और कहाँ शोर्ट और टी शर्ट में आराम से रह रही है. मेरी टी शर्ट सोनिया को कुछ ढीली थी. गले के बटन खुले थे सो मम्मों का उपरी भाग काफी हद तक दिख रहा था. हाथ उठती थी तो बगल से अंदर तक दिखता था. ब्रा उसने पहेनी नहीं थी. मैं सोफे पर धम्म से बैठ गया. सोनिया ने पानी दिया और चाय बनाने लगी. ‘अंकल आये थे पुताई के लिए ठेकेदार को घर दिखाने. मैंने उन्हें शाम को चाय पर बुला लिया है.’ सोनिया कर्नल साहेब को अंकल बोलती है. तभी दरवाज़े पे दस्तक हुई. सोनिया ने दरवाज़ा खोला. कर्नल साहेब खड़े थे. ‘आइये अंकल.’ मैंने उठ कर उनका स्वागत किया. कर्नल साहब ने मुस्कुरा कर मुझे सरसरी नज़र से देखा और फिर गहरी नज़र से सोनिया को देखने लगे. मुझे कुछ अजीब लगा. फिर ध्यान आया की ऐसी मेनका सामने हो तो कौन न विश्वामित्र बनना चाहेगा! कर्नल साहेब सोफे पर बैठ गए. मै भी बेड पर बैठा सोनिया पानी लेकर आ गई. ‘और कर्नल साहब क्या चल रहा है?’ मैंने कुछ बात करने की नीयत से कहा. ‘अरे बस ऐसे ही हम अकेले प्राणी का क्या. बस आज कल वर्ल्ड कप में ही टाइम पास हो जाता है.’ कर्नल साहब क्रिकेट के शौकीन थे. मुझे भी क्रिकेट पसंद था. 'अरे सोनिया टी वी तो ओन करो इंडिया और श्रीलंका का मैच आ रहा होगा.' कर्नल साहेब बोले. सोनिया ने टी वी चालू कर दिया और खुद चाय बनाने चली गयी. मैच में सौरव गांगोली पुरे फॉर्म में बटिंग कर रहा था. कर्नल साहेब भी ध्यान से देखने लगे. हम बीच में बातें भी कर रहे थे. तभी सोनिया चाय ले आई. चाय दे कर वो मेरे पीछे की तरफ बेड पर आधी लेट गई. मै और कर्नल साहेब चाय के साथ साथ मैच का मज़ा ले रहे थे. मैच बहुत मजेदार चल रहा था. लगता था की इंडिया बहुत बड़ा स्कोर बनाएगी. पर मुझे कर्नल के हाव भाव आज कुछ अलग लग रहे थे. आज मैंने उसको सोनिया को कुछ ज्यादा ही घूरते पाया. जो ड्रेस सोनिया ने पहनी थी उसमें वो तो सामान्य थी पर सामने वालों का हाल बुरा हो जाता है. सोनिया की लंबी लंबी टाँगें जांघ तक शोर्ट्स के बहार थीं. जिस तरह से वो लेटी थी उससे मम्मों का बड़ा हिस्से की नुमाइश हो रही थी. पर मैं हैरान ये था की ये कोनसा नया चैप्टर है! कर्नल तो मेरे नाटक में कोई पात्र था ही नहीं! शायद मेरे ऊपर सेक्स सवार था जो हर इंसान ऐसा लगता था जैसे सोनिया को चोद ही डालेगा. फिर तुरंत ही मुझे अपनि सोच पर अपराधबोध होने लगा. अब हमारी चाय खत्म हो चुकी थी. पर कर्नल साहब तल्लीनता से मैच देख रहे थे. सब सामान्य होते हुए भी मुझे अजीब सा लग रहा था. आज कर्नल साहेब कुछ ज्यादा ही खामोश थे. सोनिया मेरे पीछे लेटी हुई थी. कर्नल साहेब ने हल्का सा बेड पर हाथ टेक दिया. ये मेरे पीछे हो रहा था. मैं अचानक उठा और पीछे हडबडाहट सी हुई. मेरा माथा ठनका. कुछ तो है जो मैं नहीं समझ रहा हूँ. 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