FUN-MAZA-MASTI
जवानी की आग
It is a story of a woman Meena, who was very beautiful and sexy and never missed an opportunity of having sex..
Read it in Hindi fond narrated by her son...
ये कहानी 1964 के गर्मियों की है. हमारा परीवार एक विवाह में शरीक होने अपने गांव गये थे. हुम तीन भाई बहन और मां –बाबूजी. मैने 12 वीं की बोडृ की परीक्छा समाप्त कर रीजुल्त का इंतेज़ार कर रहा था. मै तीनो भाई बहन मे सब्से बडा था, उस समय मै 18 वें साल मे था . और लडको की तरह मुझे भी चुची और चूत की तलाश थी. लेकिन उस समय तक एक भी औरत या लडकी का मज़ा नही लीया था. बस माल को देखकर तरसता रहता था और मौक मिलने पर लंड हिलाकर पानी निकाल कर संतुस्ट हो जाता था. दोस्तो के साथ हमेशा चुची और चूत की बाते होती थी. मुझसे छोटी बहन, माला थी और उससे छोटा एक भाई.
मां का नाम मीना था और उस समय वो 34-35 साल की भरपुर जवान औरत थी. बाबूजी 40 साल के मजबूत कद- काठी के मर्द थे जो किसी भी औरत की जवानी की प्यास को बुझा सकता था. बाबुजी की तरह मै भी लम्बा और तगडा था लेकिन पता नही क्यों मुझे लडकीयों से बात करने मे बहुत शरम आती थी. यहाँ तक की मै अपनी 16 साल की मस्त जवान बहन के साथ भी ठीक से बाते नही करता था.
गांव मे शादी मे बहुत से लोग आये थे. चचेरी बहन की शादी थी. खूब धूम धाम से विवाह सम्पन्न हुआ. विवाह के बाद धीरे धीरे सभी मेहमान चले गये. मेहमानो के जाने के बाद सिर्फ घरवाले ही रह गये थे. पांच भाईयो मे से सिर्फ मेरे बाबुजी गांव के बाहर काम करते थे बाकी क चारो भाई गांव मे ही खेती बाडी देखते थे. गांव की आधी से ज्यादा जमीन हमारी थी. बाबूजी की छुट्टी खतम होने को थी. हुम लोग भी एक दिन बाद जाने बाले थे. हुम वहां 17-18 दिन रहे बहुत लडकीयो को चोदने का मन किया, बहुत औरतो की चुची मसलना चाहा लेकिन मै कोरा का कोरा ही रहा. मेरा लन्ड चूत के लिये तरसता ही रह गया. लेकिन कहते है की ‘देर है लेकिन अन्धेर नही है’. उस दिन भी ऐसा ही हुआ. उस समय दिन के 11 बजे थे. औरते घर के काम मे व्यस्त थीं. कम उम्र के बच्चे इधर उधर दौड् रहे थे और आंगन मे कुछ नौकर सफाइ कर रहे थे. मेरे बाबुजी अपने भाईयो के साथ खेत पर गये थे. मै चौकी पर बैठ कर आराम कर रहा था तभी मां मेरे पास आयी और बगल मे बैठ गयी. मेरी मां मीना ने मेरा हाथ पकड कर एक लडके की तरफ इशारा करके पुछा “ वो कौन है?”
वो लडका आंखे नीची करके अनाज को बोडे मे डाल् रहा था. उसने सिर्फ हाफ पैंट पहन रखा था. ळडका 14-15 साल का था. ठीक से मूंछ भी नही निकली थी.
“हां, मै जानता हूं, वो गोपाल है...कंटीर का भाई” मैने मां को जवाब दिया . कंटीर हमारा पुराना नौकर था और हमारे यहा पिछले 8-9 सालों से काम कर रहा था. मां उसको जानती थी.
मैने पुछा, “क्यो क्या काम है उस लड्के से?”
मां ने इधर उधर देखा और बगल के कमरे मे चली गयी. ऎक दो मिनट के बाद उसने मुझे इशरे से अन्दर बुलाया . मैं अन्दर गया और मीना ने झट से मेरा हाथ पकर कर कहा ,
“बेटा, मेरा एक काम कर दे...”
“कौन सा काम मां!”
फिर उसने जो कहा वो सुनकर मै हक्का बक्का रह गया.
“बेटा, मुझे गोपाल से चुदवाना है, उसे बोल कि मुझे चोदे...”
मैं मीना को देखता रह गया. उसने कितनी आसानी से अपनी छोटे बेटे के उम्र के लडके से चुदवाने की बात कह दी..... ”क्या कह रही हो.....ऐसा कैसे हो सकता है....” मैने कहा... ”मै कुछ नही जानती, मै तीन दिन से अपने को रोक रही हुं. उसको देखते ही मेरी बूर गरम हो जाती है, मेरा मन करता है की नंगी होकर सबके सामने उसे अपने अन्दर ले लुं. “ मां ने मेरे सामने अपनी चूची को मसलते हुए कहा ,
“कुछ भी करो, बेटा गोपाल ka लन्ड मुझे अभी चूत के अन्दर चाहीये. “
मीना की बाते सुनकर मेरा माथा चकराने लगा था. मैने कभी नही सोचा था की मां, बेटे के सामने इतनी आसानी से लन्द और बूर की बाते करेगी. मुझे ये जानकर अचम्भा हुआ कि मै 18 साल का होकर भी किसी को अबतक चोद नही पाया हुन तो वो 14 साल का गोपाल अपने से 20-22 साल बडी, तीन बच्चे की मां को कैसे चोदेगा. मुझे लगा की गोपाल का लन्ड अब तक चुदाइ के लीये तैयार नही हुआ होगा.
“मां, वो गोपाल तो अभी बच्चा है..वो तुम्हे नही चोद पायेगा....” मैने मां के चुची पर हाथ फेरते हुये कहा, “चल तुझे बहुत मन कर रहा है तो मै तुम्हे चोद दुंगा ..”
मै चुची मसल रहा था और मां ने मेरा हाथ अलग नही किया. ये पहला मौका था कि मेरे हाथ किसी चुची को दबा रहा था और वो भी एक मस्त गुदाज़ औरत का जो लोगों कि नजर मे बहुत सुन्दर और माल दार थी.
“बेटा, तु भी चोद लेना, लेकिन पहले गोपाल से मुझे चुदवा दे...अब देर मत कर ....बदले मे तु जो बोलेगा वो सब करुंगी....तु किसी और लड्की या औरत को चोदना चाहता है तो मै उसका भी इंतेज़ाम कर दुंगी लेकिन तु अभी अपनी मां को गोपाल से चुदवा दे.. मेरा बूर एक दम गीला हो गया है.”
मीना ने सामने से चुदाइ का औफर दिया है तो कुछ ना कुछ तो करना ही पडेगा. मैने जोर जोर से 3-4 बार दोनो मस्त मांसल चूचीयो को दबाया और कहा,
“तु थोडा वेट कर....मै कुछ करता हूं. “ ये कहकर मैने मां को अपनी बांहो मे लेकर उसकी गालो को चूसा और बाहर नीकल कर आ गया. दिन का समय था. सब लोग जाग रहे थे . किसी सुन सान जगह का मिलना आसान नही था. मै वहा से निकल कर ‘कैट्ल फार्म’ में आ गया जो ‘आंगन ‘से थोडी ही दूर पर रोड के उस पार था. वहां उस समय जानवरो के अलाबा और कोइ नही था. वहां एक कमरा भी था नौकरो के रहने के लिये. उस कमरे मे भी कोई नही था. मैने सोचा क्यो ना आज मां की चुदाई इसी कमरे मे की जाये . कमरे मे एक ‘चौकी’ थी और उस पर एक बिछौना भी था. मै तुरंत आंगन वापस आया. मीना अभी भी बाहर ही बैठी थी और गोपाल को घूर रही थी. मै उसके बगल मे बैथ गया और कहा कि वो दुस मिनट् के बाद उस नौकर बाले कमरे मे आ जाये. वहा से उठ कर मै ग़ोपाल के पास आया और उसकी पीठ थप-थपा कर मेरे साथ आने को कहा. वो बिना कुछ बोले मेरे साथ आ गया. मैने देखा कि मां के चेहरे पर मुस्कान आ गयी है.
गोपाल को लेकर मै उस कमरे मे आया और डोर को खुला रहने दिया. मै आकर बेड पर लेट् गया और गोपाल से कहा कि मेर पैर दर्द कर रहा है, दबा दे.. ये कहते हुये मैने अपना पैजामा बाहर निकाल दिया. नीचे मैने जांघीया पहना था. ग़ोपाल पांव दबाने लगा और मै उससे उसकी घर की बाते करने लगा. वैसे तो गोपाल के घरवाले हमारे घर मे सालों से काम करते है..फिर भी मै कभी उसके घर नही गया.गोपाल कि दादी को भी मैने अपने घर मे काम करते देखा था और अभी उसकी मां और भैया काम करते है. गोपल ने बताया कि उसकी एक 16 साल कि बहन है और उसकी शादी की बात चल रही है. वो बोला कि उसकी भाभी बहुत अछ्छी है और उसे बहुत प्यार करती है. अचानक मैने उससे पुछा कि उसने अपनी भाभी को चोदा है कि नही. ग़ोपाल शरमा गया और जब मैने दूबारा पुछा तो जैसा मैने सोचा था उसने कहा कि उसने अब तक किसी को चोदा नही है. मैने फिर पुछा कि चोदने का मन करता है कि नही तो उसने शरमाते हुये कहा कि जब वो कभी अपनी मां को अपने बाप से चुदवाते देखता है तो उसका भी मन चोदने को करता है. ग़ोपाल ने कहा कि रात मे वो अपनी मां के साथ एक ही कमरे में सोता है . लेकिन पीछले एक साल से मां की चुदाई देख कर उसका भी लन्ड टाईट हो जाता है.
“फिर तुम अपनी मां को क्यो नही चोदते हो...” मैने पुछा लेकिन गोपाल के जबाब देने के पहले मीना कमरे मे आ गयी और उसने अन्दर से दर्वाजा बन्द कर दिया. ग़ोपाल उठकर जाने लगा तो मैने उसे रोक लिया. गोपाल ने एक बार मीना के तरफ देखा और फिर मेरा पैर दबाने लगा.
“क्या हुआ मां?”
“अरे बेटा, मेरा पैर भी बहुत दर्द कर रहा है...थोडा दबा दे.. “ मीना बोलते बोलते मेरे बगल मे लेट गयी. मेरा दिल जोर जोर से धड्कने लगा, डर से या मां को चोदने के खयाल से , मालुम नही. मै उठ कर बैठ गया और मां को बेड के बीचो बीच सोने को कहा.
मै एक पैर दबाने लगा . ग़ोपाल चुप चाप खडा था.
“अरे ग़ोपाल, तुम क्यो खडे हो, दुसरा पांव तुम दबाओ” मैने ग़ोपल से कहा लेकिन वो खडा ही रहा. मेरे दो-तीन बार कहने के बाद गोपाल दुसरे पाव को दबाने लगा. मैने मां को आंख मारी और वो मुस्कुरा दी.
“मां, कहां दर्द कर रहा है?”
“ अरे पूछ मत बेटा, पुरा पाव और छाती दर्द कर रहा है..खुब जोर से पैर और छाती को दबाओ.”
मां ने खुल कर बूर और चूची दबाने का निमंत्रन दे दिया था. मै पावं से लेकर कमर तक एक पैर को मसल मसल कर मजा ले रहा था जब कि गोपाल सिर्फ घुटनो तक ही दबा रहा था. मैने गोपाल का एक हाथ पकडा और मां की जांघो के उपर सहलाया और कहा कि तुम भी नीचे से उपर तक दबाओ. वो फिर हिचका लेकिन मुझे देख देख कर वो भी मीना लम्बी लम्बी तांगो को नीचे से उपर तक मसलने लगा. 2-3 मिनत तक इस तरह से मजा लेने के बाद मैने कहा,
“मां साडी उतार दो...तो और अछ्छा लगेगा...”
“हां, बेटा, उतार दो...”
“गोपाल, साडी खोल दो.” मैने गोपाल से कहा... उसने हमारी ओर देखा लेकिन साडी खोलने के लिये हाथ आगे नही बढाया.
“गोपाल , शर्माते क्यों हो, तुमने तो कई बार अपनी मां को नंगी चुदवाते देखा है...यहां तो सिर्फ साडी उतारनी है...चल खोलना दे.” और मैने गोपाल का हाथ पकड कर साडी के गांठ् पर रख्हा. उसने शरमाते हुये गांठ खोली और मैने साडी मां के बदन से अलग कर दिया. काले रंग के ब्लौज और साया मे गजब की माल लग रही थी.
“मालकिन, आप बहुत सुन्दर है...” अचानक गोपाल ने कहा और प्यार से जांघो को सहलाया.
“तु भी बहुत प्यारा है..” मीना ने जबाब दिया और हौले से साया को अपनी घुटनो से उपर खींच लिया. मां के सुडौल पैर और पिंडली किसी भी मर्द को गर्म करने के लिये खाफी थे. हुम दोनो पैर दबा रहे थे लेकिन हमारी नजर मीना की मस्त , गोल-गोल, मांसल चुचीओ पर थी. लग रहा था जैसे कि चुचीयां ब्लौज को फाड् कर बाहर निकल जायेगी. मेरा मन कर रहा था की फटा फट मां को नंगा कर बूर मे लन्ड् पेल दूं. मेरा लंड भी चोदने के लिये तैयार हो चूका था. और इस बार घुटनो के उपर हाथ बढा कर मैने हाथ साया के अन्दर घुशेर दिया और अन्दरुनी जांघो को सहलाते हुये जिन्दगी मे पहली बार बूर को मसला. एक नही दो नही कई बार बूर मसला लेकिन मां ने एक बार भी मना नही किया. मां साया पहनी थी और बूर दिखाई नही पर रही थी. साया उपर नाभि तक बंधा हुआ था. मै बूर को देखना चाहता था. एक दो बार बूर को फिर से मसला और हाथ बाहर निकाल लिया.
“मां, साया (पेतीकोत) बहुत टाएट बंधा हुआ है, थोडा ढीला कर लो.. “
मैने देखा कि गोपाल अब आराम से मीना की जांघो को मसल रहा था. मैने गोपल से कहा कि वो साया का नाडा खोल दे. तीन –चार बार बोलने के बाद भी उसने नाडा नहीं खोला तो मैने ही नाडा खींच दिया और साया उपर से ढीला हो गया. मैने पाव दबाना छोडकर मां के कमर के पास आकर बैठ गया और साया को नीचे की तरफ ठेला. पहले तो उसकी चिकनी पेट दीखाई दी और फिर नाभि. कुछ छन तो मैने नाभि को सहलाया और साया को और नीचे की ओर ठेला. अब उसकी कमर और बूर के उपर का चिकना चिकना भाग दीखाई परने लगा. अगर एक इंच और नीचे करता तो पूरी बूर दिखने लगती.
“आह बेटा, छाती बहुत दर्द कर रहा है..” मीना ने धीरे से कहा . साया को वैसा ही छोडकर मै ने अपना दोनो हाथ मां की मस्त और गुदाज चूची पर रख्खा और दबाया. गोपाल का दोनो हाथ अब सिर्फ जांघो के उपरी हिस्से पर चल रहा था और वो आंखे फाड कर देख् रहा था कि एक बेटा कैसे मां की चूचीयां मसल रहा है.
“मां, ब्लाउज खोल दो तो और अछा लगेगा. “ मैने दबाते हुए कहा.
“खोल दे “ उसने जबाब दिया और मैने झट पट ब्लाउज के सारे बट्न खोलना डाले और ब्लाउज को चूची से अलग कर दिया।
“मां, ब्लाउज खोल दो तो और अछा लगेगा. “ मैने दबाते हुए कहा.
“खोल दे “ उसने जबाब दिया और मैने झट पट ब्लाउज के सारे बट्न खोलना डाले और ब्लाउज को चूची से अलग कर दिया.
मां की गोल –गोल, उठी हुयी और मांसल चूची देख कर माथा गनगना गया. मुझे याद नही था कि मैने आखरी बार कब मां की नंगी चूची देखी थी. मै जम कर चूची दबाने लगा.
“कितना टाईट है, लगता है जैसे किसी ने फूट्बाल मे कस कर हवा भर दिया है...” मैने
घुन्डी को कस कर मसला और ग़ोपाल से कहा , “ क्यों गोपाल कैसा लग रहा है? “ मै जोर जोर से चूची को दबाता रहा. अचानक मैने देखा कि गोपाल का एक हाथ मां के दोनो जांघों के बीच साया के उपर घुम रहा है. एक हाथ से चूची दबाते हुये मै ने गोपाल का वो हाथ पकडा और उसे मां की नाभि के उपर रख कर दबाया.
“देख, चिकना है कि नहीं ?” मैने उसके हाथ को दोनो जांघो के बीच बूर की तरफ ढकेलने लगा. दुसरे हाथ से मै लगातार चूचीयो का मजा ले रहा था. मुझे याद आया कि बचपन मे इन चूचीयों से ही दूध पीता था. मै मं के उपर झुका और घुन्डी को चुसने लगा. तभी मां ने फुसफुसाकर कान मे कहा,
“बेटा, तु थोडी देर के लिये बाहर जा और देख कोई इधर ना आये..”
मै दूध पीते पीते गोपाल के हाथ के उपर अपना हाथ रख कर साया के अन्दर ठेला और गोपाल का हाथ मां के बूर पर आ गया. मैने गोपाल के हाथों को दबाया और गोपाल बुर को मसलने लगा . कुछ देर तक हम दोनो ने एक साथ बुर को मसला और फिर मै खडा हो गया. ग़ोपाल का हाथ अभी भी मां के बुर पर था लेकिन साया के नीचे. बुर दीख नही रहा था. मैने अपना पजामा पहना और गोपाल से कहा ,
“जब तक मै वापस नही आता हुं तु इसी तरह मालकिन को दबाते रहो. दोनो चुची को भी खुब दबाना.”
मै दरवाजा खोल कर बाहर आ गया और पल्ला खींच दीया. आस पास कोई भी नही था. मै इधर उधर देखने लगा और अन्दर का नजारा देखने का जगह ढुंनढने लगा. जैसा हर घर मे होता है, दर्वाजे के बगल मे एक खिडकी थी. उसका दोनो पल्ला बन्द था. मैने हलके से धक्क दिया और पल्ला खूल गया. बेड साफ साफ दीख रहा था. मीना ने गोपल से कुछ कहा तो वो शर्मा कर गर्दन हिलाने लगा. मीना ने फिर कुछ कहा और गोपाल सीधा बगल मे खडा हो गया. मीना ने उसके लन्ड पर पैंट् के उपर से सहलाया और ग़ोपाल झुक कर साया के उपर से बुर को मसलने लगा. एक दो मिनट तक लंड के उपर हाथ फेरने के बाद मीना ने पैंट के बटन खोल डाले और गोपाल नंगा हो गया. मीना ने झट से उसका टन –टनाया हुआ लंड पकड लिया और उसे दबाने लगी. मां को मालुम था कि मै जरुर देख रहा हुं , उसने खिडकी के तरफ देखा . मुझसे नजर मिलते ही वो मुस्कुरा दी और लंड को दोनो हाथो से हिलाने लगी. गोपाल का लंड देख कर वो खुश थी. उधर गोपाल ने भी बुर के उपर से साया को हटा दिया था और मैने भी पहली बार एक बुर देखी वो भी अपनी मां की जिसे मेरी आंखो के सामने मुझसे 4 साल छोटा लडका मसल रहा था. मीना ने कुछ कहा तो गोपाल ने साया को बाहर नीकाल दिया. वो पुरी नंगी थी. उसकी गठी हुई और लम्बी तांगे और जांघ बहुत मस्त लग रही थी. बुर पर बहुत छोटे छोटे बाल थे , शायद 6-7 दिन पहले झांट साफ किया था. मीना लंड का टोपी खोलने का कोशिश कर रही थी. उसने गोपाल से फिर कुछ पूछा और गोपाल ने ना मे गर्दन हिलाया . शायद ये पुछा हो कि पहले किसी को चोदा है कि नही. मीना ने गोपाल को अपनी ओर खींचा और खुब जोर जोर से चूमने लगी और चुमते चुमते उसे अपने उपर ले लिया. अब मुझे मीना का बुर नही दीख रहा था. मीना ने हाथ नीचे कि ओर बढाया और अपनी हाथो से लंड को बुर के छेद पर रख्हा. मीना ने गोपाल से कुछ कहा और वो दोनो चूची पकड कर धीरे धीरे धक्का लगा कर चुदाई करने लगा. एक 14 साल का लडका अपने से 20 साल बडी गांव की सबसे मस्त और सुन्दर माल की चुदाई कर रहा था. मै अपने लंड की हालत को भूल गया और उन दोनो की चुदाई देखने लगा. गोपाल जोर जोर से धक्का मार रहा था और मीना भी चूत्तर उछाल उछाल अपने छोटे बेटे की उम्र के लडके से चुदाई का मजा ले रही थी. यूं तो गोपाल के लिये चुदाई का पहला मौका था लेकिन वो पिछले साल से हर रात् अपनी मां को नंगी देखता था , बाप से चुदवाते. मै देखता रहा और गोपाल जम कर मेरी मां को चोदता रहा और करीब 15 मिनट के बाद वो मां के उपर ढिला हो गया. मै 2-3 मिनट तक बाहर खडा रहा और फिर दर्वाजा खोलना कर अन्दर आ गया. मुझे देखते ही गोपाल हड बडा कर नीचे उतरा और अपने हाथ से लंड को ढक लिया. ळेकिन मीना ने उसका हाथ अलग किया और मेरे सामने गोपाल के लंड को सहलाने लगी.
मां बिल्कुल नंगी थी. उसने दोनो टांगो को फैला रख्खा था और मुझे बुर का फांक साफ साफ दिख रहा था. लंड को सहलाते हुये मीना बोली,
“बेटा, गोपाल मे बहुत दम है...मेरा सारा दर्द खतम हो गया. “ फिर उसने गोपाल से पुछा, “ क्यों, कैसा लगा..? “
मै उसके कमर के पास बैठ् कर बुर को सहलाने लगा. बुर गोपाल के रस से पुरी तरह से गीली हो गयी थी.
“बेटा, साया से साफ कर दे.”
मै साया लेकर बुर के अन्दर बाहर साफ करने लगा और उसने गोपाल से कहा के वो गोपाल को बहुत पसन्द करती है और उसने चुदाई भी बहुत अछ्छी की. उसने गोपाल को धमकाया कि अगर वो किसी से भी इसके बारे मे बात करेगा तो वो बडे मालिक (मेरे बडे काका) से बोल देगी और अगर चुप रहेगा तो हमेशा गोपाल का लंड बुर मे लेती रहेगी. गोपाल ने कसम खाई कि वो किसी से कभी मीना मालकिन के बारे मे कुछ नही कहेगा. मीना ने उसे चुमा और कपडे पहन कर बाहर जाने को कहा. ग़ोपाल बहुत खुश हुआ जब मां ने उससे कहाँ की वो जल्दी फिर उससे चुदवायेगी. मैने गोपाल से कहा कि वो आंगन जाकर अपना काम करे. गोपाल के जाते ही मैने दरवाजा अन्दर से बन्द किया और फटा- फट् नंगा हो गया. मेरा लन्ड चोदने के लिये बेकरार था. मां ने मुझे नजदीक बुलाया और मेरा लन्ड पकड कर सहलाने लगी.
“हाय बेटा, तेरा लौडा तो बाप से भी लम्बा और मोटा है..., लेकिन अपनी मां को मत चोद. तु घर की जिस किसी भी लडकी को चोदना चहता है, मै चुदवा दुंगी.. लेकिन मादरचोद मत बन.”
मैने अपना लंड अलग किया और मां के उपर लेट गया. लंड को बुर के छेद से सटाया और जम कर धक्का मारा...
“आह्ह्ह्ह्ह......”
मै मां के कन्धों को पकड कर चोदने लगा.
“साली, अगर मुझे मालुम होता कि तु इतनी चुदासी है तो मै तुझे 4-5 साल पहले ही चोद डालता, बेकार का हत्तू मार कर लौडा को तकलिफ नही देता.” कहते हुये मैने जम कर धक्का मारा.. ”आअह्ह्ह्ह्ह्ह....मजा आआआअ ग...याआअ..”
मां ने कमर उठा कर नीचे से धक्का मारा और मेरा माथा पकड कर बोली .. ”बेटा, वो तो गोपाल से चुदवाने के लालच मे आज तेरे सामने नंगी हो गयी , बरना कभी मुझे हाथ लगाता तो एक थप्पर लगा देती.
मैने धक्का मारते मारते मां को चुमा और चुची को मसला.
“साली , सच बोल, गोपाल के साथ चुदाई मे मजा आया क्या? “ मेरा लौडा अब आराम से अपनी जन्म्भुमि मे अन्दर बाहर हो रहा था.
“सच बोलुं बेटा, पहले तो मै भी घबरा रही थी कि मै मुन्ना ( मेरा छोता भाई) के उम्र के लडके के सामने रन्डी जैसी नंगी हो गयी हुं लेकिन अगर वो नही चोद पाया तो! “ मां ने गोपाल को याद कर चुत्तर उछाला और कहा, कि “ गोपाल ने खुब जम कर चोदा, लगा हि नही कि वो पहली बार चुदाई कर रहा है..मै तो खुश हो गयी और अब फिर उससे चुदवाउंगी.
“और मै कैसा चोद रहा हुं , मेरी जान !” मैने उसकी गालो को चुसते हुये पुछा.
“बेटा, तेरा लौडा भी मस्त है और तेरे मे गोपाल से ज्यादा दम भी है....मजा आ रहा है....”
और उसके बाद हुम जम कर चुदाई करते रहे और आखिर मे मेरे लंड ने मां के बुर मे पानी छोर दिया. हम दोनो हांफ रहे थे. कुछ देर के बाद जब ठ्न्डे हो गये तो हमने अपने कप्डे पहने और बिस्तर ठीक किया.
“बाप रे, सब पुछेंगे कि मै इतनी देर कहा थी तो क्य बोलुंगी...” मां अब दो दो लंड खाने के बाद डर रही थी. मैने उसे बांहो मे जकर कर कहा, ”रानी, तुम डरो मत. मै साथ हुं ना...किसी को कभी पता नही चलेगा तुमने बेटे और नौकर से चुदवाया है.” मैने मां के गालों को चुमा और उससे खुशामद किया कि वो 2-2.5 घंटे के बाद फिर इस कमरे मे आ जाये जिसमें से कि मै उसे दुबारा चोद सकुं.
“एक बार मे मन नही भरा क्या..” उसने पूछा.. ”नही साली, तुमको रात दिन चोदता रहुंगा फिर भी मन नही भरेगा...प्लीज जरुर आना..”
“आउंगी..लेकिन एक शर्त पर...” मां ने मेरा हाथ अपनी चुची पर रख्खा.
“क्या शर्त?” मैने चुची जोर से मसला... ”गोपाल भी रहेगा ....” मं फिर गोपाल का लौडा चाहती थी.
“साली, तु गोपाल की कुतीया बन गयी है... ठीक है, इस बार मै अपनी गोदी मे लीटा कर गोपाल से चुदवाउंगा.
“तो ठीक है, मै आउंगी....”
आंगन के रास्ते मे मैने उससे पुछा कि वो पहले कितना लौडा खा चुकी है॥तो उसने कहा कि बाद मे बतायेगी।
आंगन मे पहुंचते ही बडी काकी ने पूछा कि मै मां को लेकर कहां गया था. सब खाने के लिये इंतेजार कर रहे है. मैने जबाब दिया कि मै मां को गाछी (फार्म हाउस) दिखाने ले गया था. फिर किसी ने कुछ नही पूछा. मैने इधर उधर देखा. गोपाल आंगन मे बैठ कर दुसरे नौकरो के साथ खाना खा रहा था. आंगन मे और सब थे. मेरी 4 काकी, चचेरी भाभी, मेरी बहन , और दुसरे चचेरे भाई – बहन और वहां ‘सोनु’ भी थी. वो भी मेरी बहन माला के उम्र की थी. लेकिन उससे कही ज्यादा सुन्दर. मेरी नजर सोनु के छाती के उभारो पर गयी और लगा कि उसकी चुची भी बहुत मस्त होगी दबाने मे. वो करीब 5’2” लम्बी थी. गोरी, लम्बे घने काले बाल, आकषर्क और लडकीयो मे सबसे सुन्दर थी. मुझे याद आया कि मां ने कहा था कि मै जिस किसी भी लडकी को चोदना चाहुं वो उसे मेरे लिये तैयार कर देगी. मैने तय किया कि मां को बोलुंगा कि मुझे सोनु को चोदना है. मै सोनु को चोदने के बारे मे सोच ही रहा था कि सोनु की मां, बडी काकी ने खाने के लिये बुलाया.
सोनु और माला भी हमारे साथ खाने को बैठी. खाना खाते खाते मैने कई बार उसकी जांघो को हौले से दबा दिया. फिर एक बार उसने कहा,
“क्या कर रहे हो? कोई देखेगा.! “ मै खुश हो गया कि सोनु को मेरा जांघ दबाना अछ्छा लगा. खाना खाने के बाद मै सोनु के साथ अकेला रहना चाहता था, लेकिन मौका नही मिला. मै इंतजार करता रहा और जब मां ने घर की और औरतो के साथ खाना खा लिया तो मै मां को एक इशारा कर के नौकर बाले कमरे मे आ गया. दोपहर के 2 बज गये थे. बहुत गर्मी थी और हर तरफ सन्नाटा था. बगल मे 14-15 गाये और बैल आराम कर रहे थे. बरामदे पर घर के 2 कुत्ते भी शांती से सो रहे थे. मै बेड पर लेत गया और 2 घंटा पहले की घटना के बारे मे सोचने लगा. पहले तो मुझे शरम आयी कि मैने मां को चोदा और अपने सामने दुसरे से भी चुदवाया. लेकिन फिर सोचा कि जब मां को मुझसे और गोपाल से पेलवाने मे कोई शरम नही आयी तो मै क्यो चिंता करुं. और मै ये सोच सोच कर कि वो अभी आयेगी और मै फिर चोदुंगा, पैजामा खोल दिया और बिल्कुल नंगा हो गया. मुझे विस्वास था कि मां के अलाबा इतनी गरमी मे और कोई यहा नही आयेगा. दरवाजा का पल्ला बन्द था और मै माल का इंतजार कर रहा था. मेरे आने के करीब 15 मिनट के बाद ही मां अन्दर आई और उसने दर्वाजा और खिडकी दोनो बन्द कर दिया. दरवाजे से बेड् तक आते आते मीना ने अपने सारे कपडे उतार दिये और मैने अपना दोनो हाथ फैला कर कहा,
“ आ जा रंडी, देख लौडा तेरी बुर मे घुसने को तडप रहा है.” मैने हाथ पकड कर खींचा और वो मेरे उपर गीर परी. हुम दोनो गुथ्थम गुथ्था करने लगे. कभी वो मेरे उपर और कभी वो मेरे नीचे. हुम दोनो एक दूसरे को खुब चुम चाट रहे थे और इसी गुथ्थम गुथ्था मे वो मेरे उपर 69 के पोज मे आ गयी. उसका बुर मेरे मुंह के ठीक उपर था और वो मेरा लौडा मसल रही थी. बुर गरम तो था ही, लेकिन उसका गन्ध बहुत ही तेज था. इतना तेज गन्ध मैने तब तक नही महसुस किया था. मै दोनो हाथो से बुर को फैला कर देखने लगा. मेरे दोनो हाथ बुर को फैलाने मे ब्यस्त थे और बिना कुछ सोचे समझे मैने अपना जीभ नीकाल कर बुर के उपरी हिस्से को चाटा. अजीब सा स्वाद लगा लेकिन अछ्छा लगा और मै तेजी से बुर को चातने लगा. मुझे और भी अछ्छा लगा जब जीभ बुर के अन्दर घुस गया और बुर का स्वद मुझे बहुत अछ्छा लगा
“ओह्ह्ह्ह्ह.....आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.......क्याआअ...बह ुत...अछ्छे....” मां की मस्त आवाज सुनाई दी. मुझे लगा कि मां को बुर का चातना अछ्छा लग रहा है तो मै बुर के हर हिस्से को चुमने और चुसने लगा. इसी चुम्मा चाटी मे बुर की घुन्डी मेरे ओंठो के बीच आ गयी .
मां की मस्ती और बढ गयी और जोर जोर से प्रेम से कराहने लगी. मै जोर जोर से बुर की पत्ती और घुन्डी को चुसता रहा . शायद मां को बर्दास्त नही हुआ तो मुझसे अलग होकर चित्त हो गयी और जोर से कहा ,
“ बस, फाड दे इस रन्डी के बुर को...”
और उसके बाद लौडा को बुर मे पेला और सुबह से ज्यादा जोर जोर से और दम लगा कर मा को चोदने लगा. कुछ देर की चुदाई के बाद मां ने मुझे धीरे धीरे धक्का मारने को कहा और मै उसकी बात मान कर आराम से चुदाई करने लगा.
“साली, अब बता ... तु तो जबरदस्त माल है.. पहले कितने लोग चोद चुके है..”
“ देख , जुब मै 15 साल की थी, मेरी शादी हो गयी ..शादी के पहले कुछ लोगों ने मेरी चुची और चूत दबाई थी लेकिन पहली बार तेरे बाप ने चोदा और इतना चोदा कि साल भर के अन्दर ही तु इसी बुर से निकला. मै तेरे बाप के चुदाई से बहुत खुश थी और मैने कभी किसी और मर्द के बारे मे नही सोचा. लेकिन एक बार मीना मेरे पेट् मे थी हम सब ट्रैन से गावं आ रहे थे. रात का समय था. सब सो रहे थे. मै पेशाब करने गयी और जैसे ही मै पेशाब करके बाहर नीकली एक हट्टे क़ठ्ठे आदमी ने मुझे पकड लिया और वापस बाथरूम मे ले गया. मै इतना डर गयी थी कि मुंह से कोई आवाज नही नीकली और उसने वंही मुझे पीछे से कुतिया जैसा चोदा.. बेटा जुब उसने मुझे चोदना शुरु किया तो फिर मै सब कुछ भुल गयी. मुझे लगा कि मै पहली बार चूद रही हुं. चुदाई मे इतना मजा आया कि मत पुछो. करीब 20 मिनट तक उसने मुझे वंही बाथरूम मे चोदा और फिर मैने उससे कहा कि वो मुझे सीट पर ले जा कर चोदे. .हम दोनो बाहर आये . उसका बर्थ उपर मे था. पहले मै चढी और बाद मे वो. और फिर उसे मुझे जम कर चोदा. जब उसने अपना रस बुर मे दाल दिया तो हुम दोनो ठन्डे हो गये. मै जब अपनी सीट पर आने लगी तो उसने मेरे हाथ मे रुपयो का बन्डल रख्खा जिसे लेकर मै अपने बर्थ पर आ गयी. किसिको पता नही चला कि मै एक घंटे तक दुसरे मर्द से चुद्वायी. तु अगर किसीको बोलेगा भी तो कोई विस्वास नही करेगा.
उसकी कहानी सुनकर मुझे और जोश आ गया था और मै दूबारा खुब जोर जोर से चोदने लगा. जब थक गया तो स्पीड कम कर दी और पुछा,
“और किससे मरवाई...?”
“उस ट्रैन की चुदाई के बाद 5 साल तक तेरे बाप से ही मरबाती रही. एक बार तेरा बाप मुझे लेकर पटना गया. तुम तीनो बच्चे मामी के साथ रह गये. 2 दिन के बाद ही वापस आना था. वहां पटना मे हमने एक होटल मे कमरा लिया. होटल बहुत अछ्छा था. हम सुबह वहां पहुंचे थे. करीब 10 बजे तुम्हारे बाबुजी मुझे कमरे मे अकेला छोड् कर अपने काम पर चले गये . वो 2 घंटे के बाद वापस आने बाले थे. उसके बाद हमारा प्लान था घुमने और सिनेमा देखने का. मैने अन्दर से दर्वाजा बन्द कर दिया और सोने लगी. तभी दरवाजे पर दस्तक हुई. और साथ ही आवाज आयी ,
“मेम साब , आप के लिये ‘चाय और नास्ता लाया हुं.”
मैने सोचा कि तुम्हारे बाबुजी ने कहा होगा,. मैने दरवाजा खोला तो सही मे एक बैरा चाय और नास्ता लेकर कमरे मे आया. जब वो वापस जाने लगा तो उसने जो कहा वो सुनकर मै घबरा गयी . उसने कहा,
“मेम साब आप बहुत सुन्दर है.. और आपको यहा देखते ही कुछ लोग पागल हो गये है. उन सबने आपके बारे मे पुछा और जब मैने बताया कि आप यहा 2 रात रहने बाली है तो बाकी लोग ये बोल कर चले गये कि रात मे आप से मिलेंगे लेकिन एक आदमी जिद्द पर अडा है कि वो आपसे अभी मिलेगा.”
“वो मुझ्से मिलकर क्य करेगा, मुझे किसी से नही मिलना...”
“मेम साब नाराज मत हो ! आप हो ही इतनी सुन्दर और मस्त की हर कोई आपसे मिलना चाहेगा. मै भी आप को देख कर दीवाना हो गया हुं.”
अपनी तारीफ सुनाओ कर मन ही मन मै खुश हुई लेकिन मैने उस से कमरे के बाहर जाने को कहा और डांट कर कहा कि मुझे किसी से नही मिलना.
“ अरे मेमसाब, डरती क्यों हो. साब को पता नही चलेगा. बस आधे घंटे का काम है और आपको 1000/- मिलेगा. मै आप से कुछ नही लुंगा बस जाने के पहले एक बार मुझे भी अपनी जवानी दिखा देना.” मै उसकी बाते सुनकर दंग थी. वो चह्ता था कि मै रंडी बनु. मैने गौर से बैरा की ओर देखा. वो एक 14-15 साल का नेपाली लडका था, देखने मे बहुत मजबूत दीख रहा था , तुम्हारे जैसा. मै चुप चाप थी. उसने मुझे चाय दी और मै पीने लगी. मुझे अचरज हुआ कि इतना छोटा लडका किस तरह से खुल कर चुदाई की बात कर रहा है, वो भी अपने से दुगुनी उम्र की औरत से. मुझे लगा की ये लडका जरुर औरत को चोद चुका है. मै उसके लौडे के बारे मे सोचने लगी और नेपाली फिर बोलने लगा,
“मेम साब , आप चाहो तो 2 दिन मे 20-25000/- कमा सकती हो.”
मेरे लिये यही बहुत था लेकिन उसके बाद उसने जो कहाँ वो मैने कभी सोचा नही, कभी सुना नही.
“ मेम साब, चुदाई के साथ साथ आप अगर लौडा चुसोगी तो लोग डबल दाम देंगे.” उसकी बात सुनकर मैने सोचा कि क्या मै रन्डी लगती हुं और मैने उससे ये पुछ भी लिया... ”तुम ऐसी बात क्यो कर रहे हो, मै घरेलु औरत हुं, मेरा पति साथ मे है , और घर मे 3 ब्च्चे है...क्य मै रंडी लगती हुं?
“नही, मेम साब, आप रंडी नही लगती है लेकिन आप है ही इतनी सुन्दर कि हर छोटा बडा आपको चोदना चाहता है... मेम साब मना मत करो, आप को मज़ा भी मिलेगा और रुपया भी और साथ मे मेरा भी फायदा होगा.
“वो कैसे?” मै ने चाय पीकर कप नेपाली को दिया और पुछा कि उसको कैसे फायदा होगा.
“आपको जो भी चोदेगा वो मुझे 200/- देगा और आपको 1000/- लौडा चुसोगी तो 2000/- . “ शादी को 10 साल हो गये थे लेकिन कभी भी तेरे बाप ने लौडा नही चुसाया ना ही उस ट्रैन बाली चुदाई मे ही मैने उसका लंड चुसा. मैने सोचा क्यो ना लौडा चुस कर मजा लिया जाये. लेकिन उसके बाद भी बहुत देर तक मै नेपाली से कहती रही कि मै उस तरह कि औरत नही हुं.
“तो बन जाओ ना... तुम को नही मालुम , अछ्छे अछ्छे घर की औरते यहां आकर चुदवाती है और एक रात मे ही पांच –दस हजार कमा कर जाती है.”
वो लडका मुझे चुदवाने पर तुला था.
“आप इतनी सुन्दर हो की आज नही तो कल जबरदस्ती लोग तुम्हे चोदेंगे और पैसा भी नही देंगे..उस से अछ्छा है कि अपनी मर्जी से चुदवाओ और कमाओ...”
इतना कह कर वो नेपाली लडका मेरे पास आया और झट से मेरा आंचल खींच कर नीचे गिरा दिया और दोनो हाथों से दोनो चुची मसलते हुये बोला,
“रानी तैयार हो जाओ, अभी एक आदमी को भेजता हुं...लेकिन आधे घंटे से ज्यादा टाइम एक आदमी को मत देना.”
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जवानी की आग
जवानी की आग
It is a story of a woman Meena, who was very beautiful and sexy and never missed an opportunity of having sex..
Read it in Hindi fond narrated by her son...
ये कहानी 1964 के गर्मियों की है. हमारा परीवार एक विवाह में शरीक होने अपने गांव गये थे. हुम तीन भाई बहन और मां –बाबूजी. मैने 12 वीं की बोडृ की परीक्छा समाप्त कर रीजुल्त का इंतेज़ार कर रहा था. मै तीनो भाई बहन मे सब्से बडा था, उस समय मै 18 वें साल मे था . और लडको की तरह मुझे भी चुची और चूत की तलाश थी. लेकिन उस समय तक एक भी औरत या लडकी का मज़ा नही लीया था. बस माल को देखकर तरसता रहता था और मौक मिलने पर लंड हिलाकर पानी निकाल कर संतुस्ट हो जाता था. दोस्तो के साथ हमेशा चुची और चूत की बाते होती थी. मुझसे छोटी बहन, माला थी और उससे छोटा एक भाई.
मां का नाम मीना था और उस समय वो 34-35 साल की भरपुर जवान औरत थी. बाबूजी 40 साल के मजबूत कद- काठी के मर्द थे जो किसी भी औरत की जवानी की प्यास को बुझा सकता था. बाबुजी की तरह मै भी लम्बा और तगडा था लेकिन पता नही क्यों मुझे लडकीयों से बात करने मे बहुत शरम आती थी. यहाँ तक की मै अपनी 16 साल की मस्त जवान बहन के साथ भी ठीक से बाते नही करता था.
गांव मे शादी मे बहुत से लोग आये थे. चचेरी बहन की शादी थी. खूब धूम धाम से विवाह सम्पन्न हुआ. विवाह के बाद धीरे धीरे सभी मेहमान चले गये. मेहमानो के जाने के बाद सिर्फ घरवाले ही रह गये थे. पांच भाईयो मे से सिर्फ मेरे बाबुजी गांव के बाहर काम करते थे बाकी क चारो भाई गांव मे ही खेती बाडी देखते थे. गांव की आधी से ज्यादा जमीन हमारी थी. बाबूजी की छुट्टी खतम होने को थी. हुम लोग भी एक दिन बाद जाने बाले थे. हुम वहां 17-18 दिन रहे बहुत लडकीयो को चोदने का मन किया, बहुत औरतो की चुची मसलना चाहा लेकिन मै कोरा का कोरा ही रहा. मेरा लन्ड चूत के लिये तरसता ही रह गया. लेकिन कहते है की ‘देर है लेकिन अन्धेर नही है’. उस दिन भी ऐसा ही हुआ. उस समय दिन के 11 बजे थे. औरते घर के काम मे व्यस्त थीं. कम उम्र के बच्चे इधर उधर दौड् रहे थे और आंगन मे कुछ नौकर सफाइ कर रहे थे. मेरे बाबुजी अपने भाईयो के साथ खेत पर गये थे. मै चौकी पर बैठ कर आराम कर रहा था तभी मां मेरे पास आयी और बगल मे बैठ गयी. मेरी मां मीना ने मेरा हाथ पकड कर एक लडके की तरफ इशारा करके पुछा “ वो कौन है?”
वो लडका आंखे नीची करके अनाज को बोडे मे डाल् रहा था. उसने सिर्फ हाफ पैंट पहन रखा था. ळडका 14-15 साल का था. ठीक से मूंछ भी नही निकली थी.
“हां, मै जानता हूं, वो गोपाल है...कंटीर का भाई” मैने मां को जवाब दिया . कंटीर हमारा पुराना नौकर था और हमारे यहा पिछले 8-9 सालों से काम कर रहा था. मां उसको जानती थी.
मैने पुछा, “क्यो क्या काम है उस लड्के से?”
मां ने इधर उधर देखा और बगल के कमरे मे चली गयी. ऎक दो मिनट के बाद उसने मुझे इशरे से अन्दर बुलाया . मैं अन्दर गया और मीना ने झट से मेरा हाथ पकर कर कहा ,
“बेटा, मेरा एक काम कर दे...”
“कौन सा काम मां!”
फिर उसने जो कहा वो सुनकर मै हक्का बक्का रह गया.
“बेटा, मुझे गोपाल से चुदवाना है, उसे बोल कि मुझे चोदे...”
मैं मीना को देखता रह गया. उसने कितनी आसानी से अपनी छोटे बेटे के उम्र के लडके से चुदवाने की बात कह दी..... ”क्या कह रही हो.....ऐसा कैसे हो सकता है....” मैने कहा... ”मै कुछ नही जानती, मै तीन दिन से अपने को रोक रही हुं. उसको देखते ही मेरी बूर गरम हो जाती है, मेरा मन करता है की नंगी होकर सबके सामने उसे अपने अन्दर ले लुं. “ मां ने मेरे सामने अपनी चूची को मसलते हुए कहा ,
“कुछ भी करो, बेटा गोपाल ka लन्ड मुझे अभी चूत के अन्दर चाहीये. “
मीना की बाते सुनकर मेरा माथा चकराने लगा था. मैने कभी नही सोचा था की मां, बेटे के सामने इतनी आसानी से लन्द और बूर की बाते करेगी. मुझे ये जानकर अचम्भा हुआ कि मै 18 साल का होकर भी किसी को अबतक चोद नही पाया हुन तो वो 14 साल का गोपाल अपने से 20-22 साल बडी, तीन बच्चे की मां को कैसे चोदेगा. मुझे लगा की गोपाल का लन्ड अब तक चुदाइ के लीये तैयार नही हुआ होगा.
“मां, वो गोपाल तो अभी बच्चा है..वो तुम्हे नही चोद पायेगा....” मैने मां के चुची पर हाथ फेरते हुये कहा, “चल तुझे बहुत मन कर रहा है तो मै तुम्हे चोद दुंगा ..”
मै चुची मसल रहा था और मां ने मेरा हाथ अलग नही किया. ये पहला मौका था कि मेरे हाथ किसी चुची को दबा रहा था और वो भी एक मस्त गुदाज़ औरत का जो लोगों कि नजर मे बहुत सुन्दर और माल दार थी.
“बेटा, तु भी चोद लेना, लेकिन पहले गोपाल से मुझे चुदवा दे...अब देर मत कर ....बदले मे तु जो बोलेगा वो सब करुंगी....तु किसी और लड्की या औरत को चोदना चाहता है तो मै उसका भी इंतेज़ाम कर दुंगी लेकिन तु अभी अपनी मां को गोपाल से चुदवा दे.. मेरा बूर एक दम गीला हो गया है.”
मीना ने सामने से चुदाइ का औफर दिया है तो कुछ ना कुछ तो करना ही पडेगा. मैने जोर जोर से 3-4 बार दोनो मस्त मांसल चूचीयो को दबाया और कहा,
“तु थोडा वेट कर....मै कुछ करता हूं. “ ये कहकर मैने मां को अपनी बांहो मे लेकर उसकी गालो को चूसा और बाहर नीकल कर आ गया. दिन का समय था. सब लोग जाग रहे थे . किसी सुन सान जगह का मिलना आसान नही था. मै वहा से निकल कर ‘कैट्ल फार्म’ में आ गया जो ‘आंगन ‘से थोडी ही दूर पर रोड के उस पार था. वहां उस समय जानवरो के अलाबा और कोइ नही था. वहां एक कमरा भी था नौकरो के रहने के लिये. उस कमरे मे भी कोई नही था. मैने सोचा क्यो ना आज मां की चुदाई इसी कमरे मे की जाये . कमरे मे एक ‘चौकी’ थी और उस पर एक बिछौना भी था. मै तुरंत आंगन वापस आया. मीना अभी भी बाहर ही बैठी थी और गोपाल को घूर रही थी. मै उसके बगल मे बैथ गया और कहा कि वो दुस मिनट् के बाद उस नौकर बाले कमरे मे आ जाये. वहा से उठ कर मै ग़ोपाल के पास आया और उसकी पीठ थप-थपा कर मेरे साथ आने को कहा. वो बिना कुछ बोले मेरे साथ आ गया. मैने देखा कि मां के चेहरे पर मुस्कान आ गयी है.
गोपाल को लेकर मै उस कमरे मे आया और डोर को खुला रहने दिया. मै आकर बेड पर लेट् गया और गोपाल से कहा कि मेर पैर दर्द कर रहा है, दबा दे.. ये कहते हुये मैने अपना पैजामा बाहर निकाल दिया. नीचे मैने जांघीया पहना था. ग़ोपाल पांव दबाने लगा और मै उससे उसकी घर की बाते करने लगा. वैसे तो गोपाल के घरवाले हमारे घर मे सालों से काम करते है..फिर भी मै कभी उसके घर नही गया.गोपाल कि दादी को भी मैने अपने घर मे काम करते देखा था और अभी उसकी मां और भैया काम करते है. गोपल ने बताया कि उसकी एक 16 साल कि बहन है और उसकी शादी की बात चल रही है. वो बोला कि उसकी भाभी बहुत अछ्छी है और उसे बहुत प्यार करती है. अचानक मैने उससे पुछा कि उसने अपनी भाभी को चोदा है कि नही. ग़ोपाल शरमा गया और जब मैने दूबारा पुछा तो जैसा मैने सोचा था उसने कहा कि उसने अब तक किसी को चोदा नही है. मैने फिर पुछा कि चोदने का मन करता है कि नही तो उसने शरमाते हुये कहा कि जब वो कभी अपनी मां को अपने बाप से चुदवाते देखता है तो उसका भी मन चोदने को करता है. ग़ोपाल ने कहा कि रात मे वो अपनी मां के साथ एक ही कमरे में सोता है . लेकिन पीछले एक साल से मां की चुदाई देख कर उसका भी लन्ड टाईट हो जाता है.
“फिर तुम अपनी मां को क्यो नही चोदते हो...” मैने पुछा लेकिन गोपाल के जबाब देने के पहले मीना कमरे मे आ गयी और उसने अन्दर से दर्वाजा बन्द कर दिया. ग़ोपाल उठकर जाने लगा तो मैने उसे रोक लिया. गोपाल ने एक बार मीना के तरफ देखा और फिर मेरा पैर दबाने लगा.
“क्या हुआ मां?”
“अरे बेटा, मेरा पैर भी बहुत दर्द कर रहा है...थोडा दबा दे.. “ मीना बोलते बोलते मेरे बगल मे लेट गयी. मेरा दिल जोर जोर से धड्कने लगा, डर से या मां को चोदने के खयाल से , मालुम नही. मै उठ कर बैठ गया और मां को बेड के बीचो बीच सोने को कहा.
मै एक पैर दबाने लगा . ग़ोपाल चुप चाप खडा था.
“अरे ग़ोपाल, तुम क्यो खडे हो, दुसरा पांव तुम दबाओ” मैने ग़ोपल से कहा लेकिन वो खडा ही रहा. मेरे दो-तीन बार कहने के बाद गोपाल दुसरे पाव को दबाने लगा. मैने मां को आंख मारी और वो मुस्कुरा दी.
“मां, कहां दर्द कर रहा है?”
“ अरे पूछ मत बेटा, पुरा पाव और छाती दर्द कर रहा है..खुब जोर से पैर और छाती को दबाओ.”
मां ने खुल कर बूर और चूची दबाने का निमंत्रन दे दिया था. मै पावं से लेकर कमर तक एक पैर को मसल मसल कर मजा ले रहा था जब कि गोपाल सिर्फ घुटनो तक ही दबा रहा था. मैने गोपाल का एक हाथ पकडा और मां की जांघो के उपर सहलाया और कहा कि तुम भी नीचे से उपर तक दबाओ. वो फिर हिचका लेकिन मुझे देख देख कर वो भी मीना लम्बी लम्बी तांगो को नीचे से उपर तक मसलने लगा. 2-3 मिनत तक इस तरह से मजा लेने के बाद मैने कहा,
“मां साडी उतार दो...तो और अछ्छा लगेगा...”
“हां, बेटा, उतार दो...”
“गोपाल, साडी खोल दो.” मैने गोपाल से कहा... उसने हमारी ओर देखा लेकिन साडी खोलने के लिये हाथ आगे नही बढाया.
“गोपाल , शर्माते क्यों हो, तुमने तो कई बार अपनी मां को नंगी चुदवाते देखा है...यहां तो सिर्फ साडी उतारनी है...चल खोलना दे.” और मैने गोपाल का हाथ पकड कर साडी के गांठ् पर रख्हा. उसने शरमाते हुये गांठ खोली और मैने साडी मां के बदन से अलग कर दिया. काले रंग के ब्लौज और साया मे गजब की माल लग रही थी.
“मालकिन, आप बहुत सुन्दर है...” अचानक गोपाल ने कहा और प्यार से जांघो को सहलाया.
“तु भी बहुत प्यारा है..” मीना ने जबाब दिया और हौले से साया को अपनी घुटनो से उपर खींच लिया. मां के सुडौल पैर और पिंडली किसी भी मर्द को गर्म करने के लिये खाफी थे. हुम दोनो पैर दबा रहे थे लेकिन हमारी नजर मीना की मस्त , गोल-गोल, मांसल चुचीओ पर थी. लग रहा था जैसे कि चुचीयां ब्लौज को फाड् कर बाहर निकल जायेगी. मेरा मन कर रहा था की फटा फट मां को नंगा कर बूर मे लन्ड् पेल दूं. मेरा लंड भी चोदने के लिये तैयार हो चूका था. और इस बार घुटनो के उपर हाथ बढा कर मैने हाथ साया के अन्दर घुशेर दिया और अन्दरुनी जांघो को सहलाते हुये जिन्दगी मे पहली बार बूर को मसला. एक नही दो नही कई बार बूर मसला लेकिन मां ने एक बार भी मना नही किया. मां साया पहनी थी और बूर दिखाई नही पर रही थी. साया उपर नाभि तक बंधा हुआ था. मै बूर को देखना चाहता था. एक दो बार बूर को फिर से मसला और हाथ बाहर निकाल लिया.
“मां, साया (पेतीकोत) बहुत टाएट बंधा हुआ है, थोडा ढीला कर लो.. “
मैने देखा कि गोपाल अब आराम से मीना की जांघो को मसल रहा था. मैने गोपल से कहा कि वो साया का नाडा खोल दे. तीन –चार बार बोलने के बाद भी उसने नाडा नहीं खोला तो मैने ही नाडा खींच दिया और साया उपर से ढीला हो गया. मैने पाव दबाना छोडकर मां के कमर के पास आकर बैठ गया और साया को नीचे की तरफ ठेला. पहले तो उसकी चिकनी पेट दीखाई दी और फिर नाभि. कुछ छन तो मैने नाभि को सहलाया और साया को और नीचे की ओर ठेला. अब उसकी कमर और बूर के उपर का चिकना चिकना भाग दीखाई परने लगा. अगर एक इंच और नीचे करता तो पूरी बूर दिखने लगती.
“आह बेटा, छाती बहुत दर्द कर रहा है..” मीना ने धीरे से कहा . साया को वैसा ही छोडकर मै ने अपना दोनो हाथ मां की मस्त और गुदाज चूची पर रख्खा और दबाया. गोपाल का दोनो हाथ अब सिर्फ जांघो के उपरी हिस्से पर चल रहा था और वो आंखे फाड कर देख् रहा था कि एक बेटा कैसे मां की चूचीयां मसल रहा है.
“मां, ब्लाउज खोल दो तो और अछा लगेगा. “ मैने दबाते हुए कहा.
“खोल दे “ उसने जबाब दिया और मैने झट पट ब्लाउज के सारे बट्न खोलना डाले और ब्लाउज को चूची से अलग कर दिया।
“मां, ब्लाउज खोल दो तो और अछा लगेगा. “ मैने दबाते हुए कहा.
“खोल दे “ उसने जबाब दिया और मैने झट पट ब्लाउज के सारे बट्न खोलना डाले और ब्लाउज को चूची से अलग कर दिया.
मां की गोल –गोल, उठी हुयी और मांसल चूची देख कर माथा गनगना गया. मुझे याद नही था कि मैने आखरी बार कब मां की नंगी चूची देखी थी. मै जम कर चूची दबाने लगा.
“कितना टाईट है, लगता है जैसे किसी ने फूट्बाल मे कस कर हवा भर दिया है...” मैने
घुन्डी को कस कर मसला और ग़ोपाल से कहा , “ क्यों गोपाल कैसा लग रहा है? “ मै जोर जोर से चूची को दबाता रहा. अचानक मैने देखा कि गोपाल का एक हाथ मां के दोनो जांघों के बीच साया के उपर घुम रहा है. एक हाथ से चूची दबाते हुये मै ने गोपाल का वो हाथ पकडा और उसे मां की नाभि के उपर रख कर दबाया.
“देख, चिकना है कि नहीं ?” मैने उसके हाथ को दोनो जांघो के बीच बूर की तरफ ढकेलने लगा. दुसरे हाथ से मै लगातार चूचीयो का मजा ले रहा था. मुझे याद आया कि बचपन मे इन चूचीयों से ही दूध पीता था. मै मं के उपर झुका और घुन्डी को चुसने लगा. तभी मां ने फुसफुसाकर कान मे कहा,
“बेटा, तु थोडी देर के लिये बाहर जा और देख कोई इधर ना आये..”
मै दूध पीते पीते गोपाल के हाथ के उपर अपना हाथ रख कर साया के अन्दर ठेला और गोपाल का हाथ मां के बूर पर आ गया. मैने गोपाल के हाथों को दबाया और गोपाल बुर को मसलने लगा . कुछ देर तक हम दोनो ने एक साथ बुर को मसला और फिर मै खडा हो गया. ग़ोपाल का हाथ अभी भी मां के बुर पर था लेकिन साया के नीचे. बुर दीख नही रहा था. मैने अपना पजामा पहना और गोपाल से कहा ,
“जब तक मै वापस नही आता हुं तु इसी तरह मालकिन को दबाते रहो. दोनो चुची को भी खुब दबाना.”
मै दरवाजा खोल कर बाहर आ गया और पल्ला खींच दीया. आस पास कोई भी नही था. मै इधर उधर देखने लगा और अन्दर का नजारा देखने का जगह ढुंनढने लगा. जैसा हर घर मे होता है, दर्वाजे के बगल मे एक खिडकी थी. उसका दोनो पल्ला बन्द था. मैने हलके से धक्क दिया और पल्ला खूल गया. बेड साफ साफ दीख रहा था. मीना ने गोपल से कुछ कहा तो वो शर्मा कर गर्दन हिलाने लगा. मीना ने फिर कुछ कहा और गोपाल सीधा बगल मे खडा हो गया. मीना ने उसके लन्ड पर पैंट् के उपर से सहलाया और ग़ोपाल झुक कर साया के उपर से बुर को मसलने लगा. एक दो मिनट तक लंड के उपर हाथ फेरने के बाद मीना ने पैंट के बटन खोल डाले और गोपाल नंगा हो गया. मीना ने झट से उसका टन –टनाया हुआ लंड पकड लिया और उसे दबाने लगी. मां को मालुम था कि मै जरुर देख रहा हुं , उसने खिडकी के तरफ देखा . मुझसे नजर मिलते ही वो मुस्कुरा दी और लंड को दोनो हाथो से हिलाने लगी. गोपाल का लंड देख कर वो खुश थी. उधर गोपाल ने भी बुर के उपर से साया को हटा दिया था और मैने भी पहली बार एक बुर देखी वो भी अपनी मां की जिसे मेरी आंखो के सामने मुझसे 4 साल छोटा लडका मसल रहा था. मीना ने कुछ कहा तो गोपाल ने साया को बाहर नीकाल दिया. वो पुरी नंगी थी. उसकी गठी हुई और लम्बी तांगे और जांघ बहुत मस्त लग रही थी. बुर पर बहुत छोटे छोटे बाल थे , शायद 6-7 दिन पहले झांट साफ किया था. मीना लंड का टोपी खोलने का कोशिश कर रही थी. उसने गोपाल से फिर कुछ पूछा और गोपाल ने ना मे गर्दन हिलाया . शायद ये पुछा हो कि पहले किसी को चोदा है कि नही. मीना ने गोपाल को अपनी ओर खींचा और खुब जोर जोर से चूमने लगी और चुमते चुमते उसे अपने उपर ले लिया. अब मुझे मीना का बुर नही दीख रहा था. मीना ने हाथ नीचे कि ओर बढाया और अपनी हाथो से लंड को बुर के छेद पर रख्हा. मीना ने गोपाल से कुछ कहा और वो दोनो चूची पकड कर धीरे धीरे धक्का लगा कर चुदाई करने लगा. एक 14 साल का लडका अपने से 20 साल बडी गांव की सबसे मस्त और सुन्दर माल की चुदाई कर रहा था. मै अपने लंड की हालत को भूल गया और उन दोनो की चुदाई देखने लगा. गोपाल जोर जोर से धक्का मार रहा था और मीना भी चूत्तर उछाल उछाल अपने छोटे बेटे की उम्र के लडके से चुदाई का मजा ले रही थी. यूं तो गोपाल के लिये चुदाई का पहला मौका था लेकिन वो पिछले साल से हर रात् अपनी मां को नंगी देखता था , बाप से चुदवाते. मै देखता रहा और गोपाल जम कर मेरी मां को चोदता रहा और करीब 15 मिनट के बाद वो मां के उपर ढिला हो गया. मै 2-3 मिनट तक बाहर खडा रहा और फिर दर्वाजा खोलना कर अन्दर आ गया. मुझे देखते ही गोपाल हड बडा कर नीचे उतरा और अपने हाथ से लंड को ढक लिया. ळेकिन मीना ने उसका हाथ अलग किया और मेरे सामने गोपाल के लंड को सहलाने लगी.
मां बिल्कुल नंगी थी. उसने दोनो टांगो को फैला रख्खा था और मुझे बुर का फांक साफ साफ दिख रहा था. लंड को सहलाते हुये मीना बोली,
“बेटा, गोपाल मे बहुत दम है...मेरा सारा दर्द खतम हो गया. “ फिर उसने गोपाल से पुछा, “ क्यों, कैसा लगा..? “
मै उसके कमर के पास बैठ् कर बुर को सहलाने लगा. बुर गोपाल के रस से पुरी तरह से गीली हो गयी थी.
“बेटा, साया से साफ कर दे.”
मै साया लेकर बुर के अन्दर बाहर साफ करने लगा और उसने गोपाल से कहा के वो गोपाल को बहुत पसन्द करती है और उसने चुदाई भी बहुत अछ्छी की. उसने गोपाल को धमकाया कि अगर वो किसी से भी इसके बारे मे बात करेगा तो वो बडे मालिक (मेरे बडे काका) से बोल देगी और अगर चुप रहेगा तो हमेशा गोपाल का लंड बुर मे लेती रहेगी. गोपाल ने कसम खाई कि वो किसी से कभी मीना मालकिन के बारे मे कुछ नही कहेगा. मीना ने उसे चुमा और कपडे पहन कर बाहर जाने को कहा. ग़ोपाल बहुत खुश हुआ जब मां ने उससे कहाँ की वो जल्दी फिर उससे चुदवायेगी. मैने गोपाल से कहा कि वो आंगन जाकर अपना काम करे. गोपाल के जाते ही मैने दरवाजा अन्दर से बन्द किया और फटा- फट् नंगा हो गया. मेरा लन्ड चोदने के लिये बेकरार था. मां ने मुझे नजदीक बुलाया और मेरा लन्ड पकड कर सहलाने लगी.
“हाय बेटा, तेरा लौडा तो बाप से भी लम्बा और मोटा है..., लेकिन अपनी मां को मत चोद. तु घर की जिस किसी भी लडकी को चोदना चहता है, मै चुदवा दुंगी.. लेकिन मादरचोद मत बन.”
मैने अपना लंड अलग किया और मां के उपर लेट गया. लंड को बुर के छेद से सटाया और जम कर धक्का मारा...
“आह्ह्ह्ह्ह......”
मै मां के कन्धों को पकड कर चोदने लगा.
“साली, अगर मुझे मालुम होता कि तु इतनी चुदासी है तो मै तुझे 4-5 साल पहले ही चोद डालता, बेकार का हत्तू मार कर लौडा को तकलिफ नही देता.” कहते हुये मैने जम कर धक्का मारा.. ”आअह्ह्ह्ह्ह्ह....मजा आआआअ ग...याआअ..”
मां ने कमर उठा कर नीचे से धक्का मारा और मेरा माथा पकड कर बोली .. ”बेटा, वो तो गोपाल से चुदवाने के लालच मे आज तेरे सामने नंगी हो गयी , बरना कभी मुझे हाथ लगाता तो एक थप्पर लगा देती.
मैने धक्का मारते मारते मां को चुमा और चुची को मसला.
“साली , सच बोल, गोपाल के साथ चुदाई मे मजा आया क्या? “ मेरा लौडा अब आराम से अपनी जन्म्भुमि मे अन्दर बाहर हो रहा था.
“सच बोलुं बेटा, पहले तो मै भी घबरा रही थी कि मै मुन्ना ( मेरा छोता भाई) के उम्र के लडके के सामने रन्डी जैसी नंगी हो गयी हुं लेकिन अगर वो नही चोद पाया तो! “ मां ने गोपाल को याद कर चुत्तर उछाला और कहा, कि “ गोपाल ने खुब जम कर चोदा, लगा हि नही कि वो पहली बार चुदाई कर रहा है..मै तो खुश हो गयी और अब फिर उससे चुदवाउंगी.
“और मै कैसा चोद रहा हुं , मेरी जान !” मैने उसकी गालो को चुसते हुये पुछा.
“बेटा, तेरा लौडा भी मस्त है और तेरे मे गोपाल से ज्यादा दम भी है....मजा आ रहा है....”
और उसके बाद हुम जम कर चुदाई करते रहे और आखिर मे मेरे लंड ने मां के बुर मे पानी छोर दिया. हम दोनो हांफ रहे थे. कुछ देर के बाद जब ठ्न्डे हो गये तो हमने अपने कप्डे पहने और बिस्तर ठीक किया.
“बाप रे, सब पुछेंगे कि मै इतनी देर कहा थी तो क्य बोलुंगी...” मां अब दो दो लंड खाने के बाद डर रही थी. मैने उसे बांहो मे जकर कर कहा, ”रानी, तुम डरो मत. मै साथ हुं ना...किसी को कभी पता नही चलेगा तुमने बेटे और नौकर से चुदवाया है.” मैने मां के गालों को चुमा और उससे खुशामद किया कि वो 2-2.5 घंटे के बाद फिर इस कमरे मे आ जाये जिसमें से कि मै उसे दुबारा चोद सकुं.
“एक बार मे मन नही भरा क्या..” उसने पूछा.. ”नही साली, तुमको रात दिन चोदता रहुंगा फिर भी मन नही भरेगा...प्लीज जरुर आना..”
“आउंगी..लेकिन एक शर्त पर...” मां ने मेरा हाथ अपनी चुची पर रख्खा.
“क्या शर्त?” मैने चुची जोर से मसला... ”गोपाल भी रहेगा ....” मं फिर गोपाल का लौडा चाहती थी.
“साली, तु गोपाल की कुतीया बन गयी है... ठीक है, इस बार मै अपनी गोदी मे लीटा कर गोपाल से चुदवाउंगा.
“तो ठीक है, मै आउंगी....”
आंगन के रास्ते मे मैने उससे पुछा कि वो पहले कितना लौडा खा चुकी है॥तो उसने कहा कि बाद मे बतायेगी।
आंगन मे पहुंचते ही बडी काकी ने पूछा कि मै मां को लेकर कहां गया था. सब खाने के लिये इंतेजार कर रहे है. मैने जबाब दिया कि मै मां को गाछी (फार्म हाउस) दिखाने ले गया था. फिर किसी ने कुछ नही पूछा. मैने इधर उधर देखा. गोपाल आंगन मे बैठ कर दुसरे नौकरो के साथ खाना खा रहा था. आंगन मे और सब थे. मेरी 4 काकी, चचेरी भाभी, मेरी बहन , और दुसरे चचेरे भाई – बहन और वहां ‘सोनु’ भी थी. वो भी मेरी बहन माला के उम्र की थी. लेकिन उससे कही ज्यादा सुन्दर. मेरी नजर सोनु के छाती के उभारो पर गयी और लगा कि उसकी चुची भी बहुत मस्त होगी दबाने मे. वो करीब 5’2” लम्बी थी. गोरी, लम्बे घने काले बाल, आकषर्क और लडकीयो मे सबसे सुन्दर थी. मुझे याद आया कि मां ने कहा था कि मै जिस किसी भी लडकी को चोदना चाहुं वो उसे मेरे लिये तैयार कर देगी. मैने तय किया कि मां को बोलुंगा कि मुझे सोनु को चोदना है. मै सोनु को चोदने के बारे मे सोच ही रहा था कि सोनु की मां, बडी काकी ने खाने के लिये बुलाया.
सोनु और माला भी हमारे साथ खाने को बैठी. खाना खाते खाते मैने कई बार उसकी जांघो को हौले से दबा दिया. फिर एक बार उसने कहा,
“क्या कर रहे हो? कोई देखेगा.! “ मै खुश हो गया कि सोनु को मेरा जांघ दबाना अछ्छा लगा. खाना खाने के बाद मै सोनु के साथ अकेला रहना चाहता था, लेकिन मौका नही मिला. मै इंतजार करता रहा और जब मां ने घर की और औरतो के साथ खाना खा लिया तो मै मां को एक इशारा कर के नौकर बाले कमरे मे आ गया. दोपहर के 2 बज गये थे. बहुत गर्मी थी और हर तरफ सन्नाटा था. बगल मे 14-15 गाये और बैल आराम कर रहे थे. बरामदे पर घर के 2 कुत्ते भी शांती से सो रहे थे. मै बेड पर लेत गया और 2 घंटा पहले की घटना के बारे मे सोचने लगा. पहले तो मुझे शरम आयी कि मैने मां को चोदा और अपने सामने दुसरे से भी चुदवाया. लेकिन फिर सोचा कि जब मां को मुझसे और गोपाल से पेलवाने मे कोई शरम नही आयी तो मै क्यो चिंता करुं. और मै ये सोच सोच कर कि वो अभी आयेगी और मै फिर चोदुंगा, पैजामा खोल दिया और बिल्कुल नंगा हो गया. मुझे विस्वास था कि मां के अलाबा इतनी गरमी मे और कोई यहा नही आयेगा. दरवाजा का पल्ला बन्द था और मै माल का इंतजार कर रहा था. मेरे आने के करीब 15 मिनट के बाद ही मां अन्दर आई और उसने दर्वाजा और खिडकी दोनो बन्द कर दिया. दरवाजे से बेड् तक आते आते मीना ने अपने सारे कपडे उतार दिये और मैने अपना दोनो हाथ फैला कर कहा,
“ आ जा रंडी, देख लौडा तेरी बुर मे घुसने को तडप रहा है.” मैने हाथ पकड कर खींचा और वो मेरे उपर गीर परी. हुम दोनो गुथ्थम गुथ्था करने लगे. कभी वो मेरे उपर और कभी वो मेरे नीचे. हुम दोनो एक दूसरे को खुब चुम चाट रहे थे और इसी गुथ्थम गुथ्था मे वो मेरे उपर 69 के पोज मे आ गयी. उसका बुर मेरे मुंह के ठीक उपर था और वो मेरा लौडा मसल रही थी. बुर गरम तो था ही, लेकिन उसका गन्ध बहुत ही तेज था. इतना तेज गन्ध मैने तब तक नही महसुस किया था. मै दोनो हाथो से बुर को फैला कर देखने लगा. मेरे दोनो हाथ बुर को फैलाने मे ब्यस्त थे और बिना कुछ सोचे समझे मैने अपना जीभ नीकाल कर बुर के उपरी हिस्से को चाटा. अजीब सा स्वाद लगा लेकिन अछ्छा लगा और मै तेजी से बुर को चातने लगा. मुझे और भी अछ्छा लगा जब जीभ बुर के अन्दर घुस गया और बुर का स्वद मुझे बहुत अछ्छा लगा
“ओह्ह्ह्ह्ह.....आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.......क्याआअ...बह ुत...अछ्छे....” मां की मस्त आवाज सुनाई दी. मुझे लगा कि मां को बुर का चातना अछ्छा लग रहा है तो मै बुर के हर हिस्से को चुमने और चुसने लगा. इसी चुम्मा चाटी मे बुर की घुन्डी मेरे ओंठो के बीच आ गयी .
मां की मस्ती और बढ गयी और जोर जोर से प्रेम से कराहने लगी. मै जोर जोर से बुर की पत्ती और घुन्डी को चुसता रहा . शायद मां को बर्दास्त नही हुआ तो मुझसे अलग होकर चित्त हो गयी और जोर से कहा ,
“ बस, फाड दे इस रन्डी के बुर को...”
और उसके बाद लौडा को बुर मे पेला और सुबह से ज्यादा जोर जोर से और दम लगा कर मा को चोदने लगा. कुछ देर की चुदाई के बाद मां ने मुझे धीरे धीरे धक्का मारने को कहा और मै उसकी बात मान कर आराम से चुदाई करने लगा.
“साली, अब बता ... तु तो जबरदस्त माल है.. पहले कितने लोग चोद चुके है..”
“ देख , जुब मै 15 साल की थी, मेरी शादी हो गयी ..शादी के पहले कुछ लोगों ने मेरी चुची और चूत दबाई थी लेकिन पहली बार तेरे बाप ने चोदा और इतना चोदा कि साल भर के अन्दर ही तु इसी बुर से निकला. मै तेरे बाप के चुदाई से बहुत खुश थी और मैने कभी किसी और मर्द के बारे मे नही सोचा. लेकिन एक बार मीना मेरे पेट् मे थी हम सब ट्रैन से गावं आ रहे थे. रात का समय था. सब सो रहे थे. मै पेशाब करने गयी और जैसे ही मै पेशाब करके बाहर नीकली एक हट्टे क़ठ्ठे आदमी ने मुझे पकड लिया और वापस बाथरूम मे ले गया. मै इतना डर गयी थी कि मुंह से कोई आवाज नही नीकली और उसने वंही मुझे पीछे से कुतिया जैसा चोदा.. बेटा जुब उसने मुझे चोदना शुरु किया तो फिर मै सब कुछ भुल गयी. मुझे लगा कि मै पहली बार चूद रही हुं. चुदाई मे इतना मजा आया कि मत पुछो. करीब 20 मिनट तक उसने मुझे वंही बाथरूम मे चोदा और फिर मैने उससे कहा कि वो मुझे सीट पर ले जा कर चोदे. .हम दोनो बाहर आये . उसका बर्थ उपर मे था. पहले मै चढी और बाद मे वो. और फिर उसे मुझे जम कर चोदा. जब उसने अपना रस बुर मे दाल दिया तो हुम दोनो ठन्डे हो गये. मै जब अपनी सीट पर आने लगी तो उसने मेरे हाथ मे रुपयो का बन्डल रख्खा जिसे लेकर मै अपने बर्थ पर आ गयी. किसिको पता नही चला कि मै एक घंटे तक दुसरे मर्द से चुद्वायी. तु अगर किसीको बोलेगा भी तो कोई विस्वास नही करेगा.
उसकी कहानी सुनकर मुझे और जोश आ गया था और मै दूबारा खुब जोर जोर से चोदने लगा. जब थक गया तो स्पीड कम कर दी और पुछा,
“और किससे मरवाई...?”
“उस ट्रैन की चुदाई के बाद 5 साल तक तेरे बाप से ही मरबाती रही. एक बार तेरा बाप मुझे लेकर पटना गया. तुम तीनो बच्चे मामी के साथ रह गये. 2 दिन के बाद ही वापस आना था. वहां पटना मे हमने एक होटल मे कमरा लिया. होटल बहुत अछ्छा था. हम सुबह वहां पहुंचे थे. करीब 10 बजे तुम्हारे बाबुजी मुझे कमरे मे अकेला छोड् कर अपने काम पर चले गये . वो 2 घंटे के बाद वापस आने बाले थे. उसके बाद हमारा प्लान था घुमने और सिनेमा देखने का. मैने अन्दर से दर्वाजा बन्द कर दिया और सोने लगी. तभी दरवाजे पर दस्तक हुई. और साथ ही आवाज आयी ,
“मेम साब , आप के लिये ‘चाय और नास्ता लाया हुं.”
मैने सोचा कि तुम्हारे बाबुजी ने कहा होगा,. मैने दरवाजा खोला तो सही मे एक बैरा चाय और नास्ता लेकर कमरे मे आया. जब वो वापस जाने लगा तो उसने जो कहा वो सुनकर मै घबरा गयी . उसने कहा,
“मेम साब आप बहुत सुन्दर है.. और आपको यहा देखते ही कुछ लोग पागल हो गये है. उन सबने आपके बारे मे पुछा और जब मैने बताया कि आप यहा 2 रात रहने बाली है तो बाकी लोग ये बोल कर चले गये कि रात मे आप से मिलेंगे लेकिन एक आदमी जिद्द पर अडा है कि वो आपसे अभी मिलेगा.”
“वो मुझ्से मिलकर क्य करेगा, मुझे किसी से नही मिलना...”
“मेम साब नाराज मत हो ! आप हो ही इतनी सुन्दर और मस्त की हर कोई आपसे मिलना चाहेगा. मै भी आप को देख कर दीवाना हो गया हुं.”
अपनी तारीफ सुनाओ कर मन ही मन मै खुश हुई लेकिन मैने उस से कमरे के बाहर जाने को कहा और डांट कर कहा कि मुझे किसी से नही मिलना.
“ अरे मेमसाब, डरती क्यों हो. साब को पता नही चलेगा. बस आधे घंटे का काम है और आपको 1000/- मिलेगा. मै आप से कुछ नही लुंगा बस जाने के पहले एक बार मुझे भी अपनी जवानी दिखा देना.” मै उसकी बाते सुनकर दंग थी. वो चह्ता था कि मै रंडी बनु. मैने गौर से बैरा की ओर देखा. वो एक 14-15 साल का नेपाली लडका था, देखने मे बहुत मजबूत दीख रहा था , तुम्हारे जैसा. मै चुप चाप थी. उसने मुझे चाय दी और मै पीने लगी. मुझे अचरज हुआ कि इतना छोटा लडका किस तरह से खुल कर चुदाई की बात कर रहा है, वो भी अपने से दुगुनी उम्र की औरत से. मुझे लगा की ये लडका जरुर औरत को चोद चुका है. मै उसके लौडे के बारे मे सोचने लगी और नेपाली फिर बोलने लगा,
“मेम साब , आप चाहो तो 2 दिन मे 20-25000/- कमा सकती हो.”
मेरे लिये यही बहुत था लेकिन उसके बाद उसने जो कहाँ वो मैने कभी सोचा नही, कभी सुना नही.
“ मेम साब, चुदाई के साथ साथ आप अगर लौडा चुसोगी तो लोग डबल दाम देंगे.” उसकी बात सुनकर मैने सोचा कि क्या मै रन्डी लगती हुं और मैने उससे ये पुछ भी लिया... ”तुम ऐसी बात क्यो कर रहे हो, मै घरेलु औरत हुं, मेरा पति साथ मे है , और घर मे 3 ब्च्चे है...क्य मै रंडी लगती हुं?
“नही, मेम साब, आप रंडी नही लगती है लेकिन आप है ही इतनी सुन्दर कि हर छोटा बडा आपको चोदना चाहता है... मेम साब मना मत करो, आप को मज़ा भी मिलेगा और रुपया भी और साथ मे मेरा भी फायदा होगा.
“वो कैसे?” मै ने चाय पीकर कप नेपाली को दिया और पुछा कि उसको कैसे फायदा होगा.
“आपको जो भी चोदेगा वो मुझे 200/- देगा और आपको 1000/- लौडा चुसोगी तो 2000/- . “ शादी को 10 साल हो गये थे लेकिन कभी भी तेरे बाप ने लौडा नही चुसाया ना ही उस ट्रैन बाली चुदाई मे ही मैने उसका लंड चुसा. मैने सोचा क्यो ना लौडा चुस कर मजा लिया जाये. लेकिन उसके बाद भी बहुत देर तक मै नेपाली से कहती रही कि मै उस तरह कि औरत नही हुं.
“तो बन जाओ ना... तुम को नही मालुम , अछ्छे अछ्छे घर की औरते यहां आकर चुदवाती है और एक रात मे ही पांच –दस हजार कमा कर जाती है.”
वो लडका मुझे चुदवाने पर तुला था.
“आप इतनी सुन्दर हो की आज नही तो कल जबरदस्ती लोग तुम्हे चोदेंगे और पैसा भी नही देंगे..उस से अछ्छा है कि अपनी मर्जी से चुदवाओ और कमाओ...”
इतना कह कर वो नेपाली लडका मेरे पास आया और झट से मेरा आंचल खींच कर नीचे गिरा दिया और दोनो हाथों से दोनो चुची मसलते हुये बोला,
“रानी तैयार हो जाओ, अभी एक आदमी को भेजता हुं...लेकिन आधे घंटे से ज्यादा टाइम एक आदमी को मत देना.”
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