मासूम--1
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी मासूम लेकर हाजिर हूँ
वो सर पर अपना पल्लू डाले घर से निकली. बाहर गर्मी बहुत ज़्यादा थी और
धूप काफ़ी तेज़ जबकि ये सिर्फ़ एप्रिल का महीना था. उसने टी.वी पर भी
सुना था के ये साल पिच्छले 50 सालों में सबसे गरम होगा.
दोपहर के वक़्त गाओं की सड़कें अक्सर सुनसान ही रहती थी. 1 बजने तक लोग
अपने अपने घर में घुस जाते
थे और शाम 4 या 5 बजे से पहले नही निकलते थे.
खाली सड़कों पर तेज़ कदम बढ़ाती वो गाओं से थोड़ा बाहर बने चर्च की तरफ बढ़ी.
पीछे से एक कार के आने की आवाज़ सुनकर वो सड़क के किनारे हो गयी. वो
जानती थी के कार किसकी है. रोज़ाना ये कार इसी वक़्त यहाँ से गुज़रती थी.
पर आज पीछे से आती कार तेज़ी के साथ गुज़री नही बल्कि उसके पास पहुँच कर
धीमी हो गयी.
"कैसी हो सिरिशा?" मेरसेडीज का शीशा नीचे हुआ
उसने रुक कर कार की तरफ देखा और दिल की धड़कन जैसे अपने आप तेज़ होने लगी.
विट्ठल पर गाओं की हर लड़की फिदा थी, उसकी अपनी दोनो बड़ी बहने भी. वो
देखने में था ही ऐसा. लंबा, चौड़ा ...... वो क्या कहते हैं अँग्रेज़ी में
.... हां, टॉल डार्क आंड हॅंडसम. वो हमेशा महेंगे कपड़े पेहेन्ता था,
महेंगी गाड़ियाँ चलाता था. उसने तो ये भी सुना था के विट्ठल के पापा का
इंडिया के हर
बड़े शहर में एक घर था.
"आपको मेरा नाम कैसे पता विट्ठल साहिब" वो खिड़की के थोड़ा करीब होते हुए बोली
"तुम्हें मेरा नाम कैसे पता?" विट्ठल ने मुस्कुराते हुए सवाल के बदले सवाल किया
"कैसी बात करते हैं. आपको तो हर कोई जानता है" वो थोड़ा शरमाते हुए बोली
"ह्म्म्म्मम" विट्ठल मुस्कुराया "कहाँ जा रही हो?"
"चर्च तक"
"चर्च? सिरिशा पर तुम तो एक ब्रामिन हो........"
"मुझे वहाँ जाके अकेले बैठना अच्छा लगता है, इसलिए इस वक़्त जाती हूँ.
कोई नही होता चर्च में,
एकदम शांति, आराम से बैठ के भगवान को याद किया जा सकता है" सिरिशा एक
साँस में बोल गयी
"आअराम से, शांति से मंदिर में भी बैठा जा सकता है. या मंदिर के पुजारी
तुम्हें पसंद नही आते उस
गोरे फादर के सामने?"
फादर पीटर का नाम इस तरह सुनकर सिरिशा और भी शर्मा उठी. वो बाहर किसी देश
के थे, कौन सा पता नही पर यहाँ इंडिया में वो क्रिस्चियन धरम फेलाने के
लिए आए थे. वो अपने आपको एक मिशनरी कहते थे. जब वो चर्च में खड़े होकर
बोलते थे तो सिरिशा के दिल को एक अजीब सा सुकून मिलता था. कितना ठहराव था
उनकी बातों में, उनकी आवाज़ में.
जो भी बात कभी सिरिशा को परेशान करती, वो अक्सर कन्फेशन बॉक्स में बैठ कर
फादर पीटर से कह देती थी. यूँ चर्च में उनके सामने सब कुच्छ कन्फेस कर
लेना उसे बहुत पसंद था.
"तुम्हें पता है ये लोग यहाँ ग़रीब लोगों को पैसा देकर क्रिस्चियन बनाते
हैं?" वो अभी अपनी सोच में ही गुम थी के विट्ठल बोला
उसकी बात सुनकर एक अजीब तरह का गुस्सा सिरिशा के दिल में भर गया. उसने
विट्ठल की बात का जवाब देना ज़रूरी नही समझा और कार से हटकर आगे की तरफ
चल पड़ी.
"अर्रे इतनी गर्मी में कहाँ जा रही हो? आओ मैं छ्चोड़ देता हूँ" पीछे से
विट्ठल चिल्लाया उसकी बात सुनकर सिरिशा एक पल के लिए सोचने पर मजबूर हो
गयी.
चर्च अभी थोड़ा दूर था और आज
गर्मी कुच्छ ज़्यादा ही थी. वो चर्च तक पहुँचते पहुँचते पसीना पसीना हो
जाएगी और इस हालत में
चर्च जाना उसे अच्छा नही लगता था.
"गाड़ी में ए.सी. चल रहा है. मैं छ्चोड़ दूँगा तुम्हें" कहते हुए विट्ठल
ने गाड़ी का दरवाज़ा खोला.
सिरिशा ने पल्लू अपने सर से हटाया और गाड़ी में पिछे की सीट पर जाकर बैठ
गयी. पर उस वक़्त चर्च जाने का उस वक़्त विट्ठल का शायद कोई इरादा नही
था.
"कहाँ जा रहे हैं हम?" गाड़ी जब एक चर्च जाने के बजाय एक दूसरे ही रास्ते
पर मूडी तो सिरिशा ने पुछा
"कहीं नही. चिंता मत करो तुम्हें चर्च छ्चोड़ दूँगा मैं" विट्ठल पिछे देख
कर मुस्कुराया.
उसके बाद जो हुआ वो सिरिशा के लिए एक सपने जैसा ही था, एक ऐसा बुरा सपना
जिसे सोचकर ही उसके दिल घबरा जाता था और गुस्सा से वो लाल हो जाती थी.
विट्ठल ने गाड़ी रोकी और उसके साथ बॅक्सीट पर आ गया था.
"छ्चोड़ दो मुझे, जाने दो" वो ज़बरदस्ती करने लगा तो सिरिशा रोते हुए बोली.
"बस एक बार .... कुच्छ नही होगा .... मज़ा आएगा तुझे भी" विट्ठल ने उसकी
सारी कमर तक उठा दी थी
"ये पाप है, तुम ऐसा नही कर सकते मेरे साथ"
"अर्रे कोई पाप वाप नही है" उसने अपनी पेंट की ज़िप खोली और नीचे को खिसकाई.
उसके बाद सिरिशा जैसे एक ज़िंदा लाश बन गयी थी. वो कार की पिच्छली सीट पर
पड़ी बाहर चिड़ियों के चहचाहने की आवाज़ें सुनती रही. उसको मालूम था के
जहाँ वो लोग रुके हुए हैं, वहाँ इस वक़्त दूर दूर तक कोई नही होता इसलिए
रोने चिल्लाने का कोई फ़ायदा नही था.
"जितनी मस्त तू उपेर से दिखती है, उससे कहीं ज़्यादा मस्त तू अंदर से है"
विट्ठल ने एक पल के लिए अपना सर उपेर उठाकर बोला और फिर से झुक कर उसकी
चूचियाँ चूसने लगा.
सिरिशा का ब्लाउस खुला था और ब्रा को विट्ठल ने खींच कर उपेर कर दिया था
ताकि उसकी दोनो चूचियो के साथ खेल सके. नीचे से उसने सारी को सिरिशा की
कमर तक चढ़ा दिया था और अपनी नंगी टाँगो के बीच विट्ठल को महसूस कर रही
थी.
"ये टाँग थोड़ी उपेर कर ना प्ल्स" विट्ठल अंदर दाखिल होने की कोशिश कर
रहा था पर अंदर जा नही पा रहा था.
सिरिशा ने बिना कुच्छ कहे उसकी बात मानती हुए अपनी एक टाँग को थोड़ा सा
हवा में उठा दिया. विट्ठल ने एक बार फिर उसके शरीर में दाखिल होने की
कोशिश की. सिरिशा पूरी तरह से बंद थी और ज़रा भी गीली नही हुई थी इसलिए
अंदर जाने की ये कोशिश विट्ठल के लिए काफ़ी तकलीफ़ से भरी महसूस हुई.
"एक काम कर ... थोड़ी देर मुँह में लेके चूस दे ना ... गीला हो जाएगा"
विट्ठल ने कहा तो सिरिशा ने गुस्से में उसकी तरफ देखा और बिना कुच्छ कहे
अपना मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया.
"अर्रे नाराज़ क्यूँ होती है, मैं तो बस पुच्छ ही रहा था" विट्ठल ने नीचे
को झुक कर उसका गाल चूमा और फिर अपने हाथ पर थोड़ा सा थूक लिया और लगा कर
फिर से कोशिश की.
थोड़ी तकलीफ़ हुई पर इस बार लंड बिना रुके सिरिशा के अंदर तक दाखिल हो गया.
"आआअहह .... कितनी टाइट है तू .... आज तक चुदी नही क्या कभी?"
इस बार भी सिरिशा ने जवाब देना ज़रूरी नही समझा. दर्द के मारे उसकी चीख
निकलते निकलते रह गयी थी और आँखों में आँसू भर आए.
"मज़ा आ गया .... ओह्ह मेरी जान .... बहुत गरम है तू ... बहुत टाइट"
और भी जाने क्या क्या बकता हुआ विट्ठल अकेला ही मंज़िल की तरफ बढ़ चला.
सिरिशा की दोनो चूचियाँ उसके हाथों में थी और उसके गले को चूमता हुआ वो
धक्के पर धक्के लगा रहा था. उसके नीचे दबी सिरिशा बड़ी मुश्किल से अपने
आपको कार की सीट पर रोक पा रही थी. एक तो इतनी छ्होटी सी जगह और उसपर
विट्ठल के धीरे धीरे तेज़ होते धक्के, हर पल उसको लगता था के वो खिसक कर
नीचे गिर जाएगी.
"आआआहह" अचानक विट्ठल ने उसकी एक चूची पर अपने दाँत गढ़ाए तो उसकी चीख निकल गयी.
"सॉरी" वो दाँत दिखाता हुआ बोला "कंट्रोल नही, तेरी हैं ही ऐसी, इतनी
बड़ी और इतनी सॉफ्ट"
सिरिशा का दिल किया के मुक्का मार कर उसके दोनो दाँत तोड़ दे.
"जल्दी करो" वो पहली बार बोली
"जल्दी क्या है ... अच्छी तरह से मज़ा तो लेने दो" विट्ठल फिर धक्के लगाने लगा
"तुझे मज़ा नही आ रहा?"
सिरिशा कुच्छ नही बोली
"अर्रे बोल ना ... मज़ा नही आ रहा. कैसा लग रहा है मेरा तेरे अंदर?"
वो फिर भी कुच्छ नही बोली
"पूरी गीली हो चुकी है तू और कहती है के मज़ा नही आ रहा?"
विट्ठल ने कहा तो सिरिशा का ध्यान पहली बार इस तरफ गया. उसकी टाँगो के
बीच की जगह पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और अब विट्ठल बड़ी आसानी के साथ
उसके अंदर बाहर हो रहा था.
"मेरी कार की सीट तक गीली कर दी है तूने"
वो सही कह रहा था. खुद अपनी कमर और कूल्हो के नीचे सिरिशा को कार की गीली
सीट महसूस हो रही थी. खुद उसका अपना शरीर उसे छ्चोड़ कर विट्ठल के साथ हो
चला था और उसे पता भी नही चला था.
वो पूरी तरह से खुल चुकी थी और उसका शरीर जैसे विट्ठल के हर धक्के का
स्वागत कर रहा था.
"निकलने वाला है मेरा" विट्ठल ने कहा और किसी पागल कुत्ते की तरह हांफता
हुआ धक्के लगाने लगा.
थोड़ी देर बाद उसको चर्च के सामने छ्चोड़ कर विट्ठल चलता बना. सिरिशा ने
एक पल के लिए सामने चर्च के दरवाज़े पर नज़र डाली और फिर अंदर जाने के
बजाय पलट कर वापिस घर की तरफ चल पड़ी.
वो इस हालत में चर्च कैसे जा सकती थी?
क्रमशः.........................
Masoom--1
Dosto main yaani aapka dost raj sharma ek our nai kahaani masoom lekar hajir hun
Vo sar par apna pallu daale ghar se nikli. Bahar garmi bahut zyada thi
aur dhhop kaafi tez jabki ye sirf April ka mahina tha. Usne T.V par
bhi suna tha ke ye saal pichhle 50 saalon mein sabse garam hoga.
Dopahar ke waqt gaon ki sadken aksar sunsan hi rehti thi. 1 bajne tak
log apne apne ghar mein ghus jaate
the aur shaam 4 ya 5 baje se pehle nahi nikalte the.
Khaali sadakon par tez kadam badhati vo gaon se thoda bahar bane
church ki taraf badhi.
Pichhe se ek car ke aane ki aawaz sunkar vo sadak ke kinare ho gayi.
Vo jaanti thi ke car kiski hai. Rozana ye car isi waqt yahan se
guzarti thi. Par aaj pichhe se aati car tezi ke saath guzri nahi balki
uske paas pahunch kar dheemi ho gayi.
"Kaisi ho Sirisha?" Mercedez ka sheesha neeche hua
Usne ruk kar car ki taraf dekha aur dil ki dhadkan jaise apne aap tez hone lagi.
Vitthal par gaon ki har ladki fida thi, Uski apni dono badi behne bhi.
Vo dekhne mein tha hi aisa. Lamba, chauda ...... vo kya kehte hain
angrezi mein .... haan, tall dark and handsome. Vo hamesha mehenge
kapde pehenta tha, mehengi gaadiyan chalata tha. Usne toh ye bhi suna
tha ke Vitthal ke papa ka India ke har
bade shehar mein ek ghar tha.
"Aapko mera naam kaise pata Vitthal sahib" Vo khidki ke thoda kareeb
hote hue boli
"Tumhein mera naam kaise pata?" Vitthal ne muskurate hue sawal ke
badle sawal kiya
"Kaisi baat karte hain. Aapko toh har koi janta hai" Vo thoda sharmate hue boli
"Hmmmmm" Vitthal muskuraya "Kahan ja rahi ho?"
"Church tak"
"church? Sirisha par tum toh ek Brahmin ho........"
"Mujhe vahan jaake akele bethna achha lagta hai, isliye is waqt jaati
hoon. Koi nahi hota church mein,
ekdam shanti, aaram se bethke bhagwan ko yaad kiya ja sakta hai"
Sirisha ek saans mein bol gayi
"Aaaram se, shanti se mandir mein bhi betha ja sakta hai. Ya mandir ke
pujrai tumhein pasand nahi aate us
gore father ke saamne?"
Father Peter ka naam is tarah sunkar Sirisha aur bhi sharma uthi. Vo
bahar kisi desh ke the, kaun sa pata nahi par yahan India mein vo
Christian dharam phelane ke liye aaye the. Vo apne aapko ek missionary
kehte the. Jab vo church mein khade hokar bolte the toh Sirisha ke dil
ko ek ajeeb sa sukoon milta tha. Kitna thehrav tha unki baaton mein,
unki aawaz mein.
Jo bhi baat kabhi Sirisha ko pareshan karti, vo aksar confession box
mein beth kar Father Peter se keh deti thi. Yun church mein unke
saamne sab kuchh confess kar lena use bahut pasand tha.
"Tumhein pata hai ye log yahan gareeb logon ko paisa dekar Christian
banate hain?" Vo abhi apni soch mein hi gum thi ke Vitthal bola
Uski baat sunkar ek ajeeb tarah ka gussa Sirisha ke dil mein bhar
gaya. Usne Vitthal ki baat ka jawab dena zaroori nahi samjha aur car
se hatkar aage ki taraf chal padi.
"Arrey itni garmi mein kahan ja rahi ho? Aao main chhod deta hoon"
Pichhe se Vitthal chillayaUski baat sunkar Sirisha ek pal ke liye
sochne par majboor ho gayi.
Church abhi thoda door tha aur aaj
garmi kuchh zyada hi thi. Vo church tak pahunchte pahunchte paseena
paseena ho jaayegi aur is halat mein
church jana use achha nahi lagta tha.
"Gaadi mein A.C. chal raha hai. Main chhod doonga tumhein" Kehte hue
Vitthal ne gaadi ka darwaza khola.
Sirisha ne pallu apne sar se hataya aur gaadi mein pichhe ki seat par
jakar beth gayi. Par us waqt church jaane ka us waqt Vitthal ka shayad
koi irada nahi tha.
"Kahan ja rahe hain ham?" Gaadi jab ek church jaane ke bajay ek doosre
hi raaste par mudi toh Sirisha ne puchha
"Kahin nahi. Chinta mat karo tumhein church chhod doonga main" Vithhal
pichhe dekh kar muskuraya.
uske baad jo hua vo Sirisha ke liye ek sapne jaisa hi tha, ek aisa
bura sapna jise sochkar hi uske dil ghabra jata tha aur gussa se vo
laal ho jaati thi. Vitthal ne gaadi roki aur uske saath backseat par
aa gaya tha.
"Chhod do mujhe, jaane do" Wo zabardasti karne laga toh Sirisha rote hue boli.
"Bas ek baar .... kuchh nahi hoga .... maza aayega tujhe bhi" Vitthal
ne uski saree kamar tak utha di thi
"Ye paap hai, tum aisa nahi kar sakte mere saath"
"Arrey koi paap vaap nahi hai" Usne apni pent ki zip kholi aur niche
ko khiskayi.
Uske baad Sirisha jaise ek zinda laash ban gayi thi. Vo car ki pichhli
seat par padi bahar chidiyon ke chehchahane ki aawazen sunti rahi.
Usko maalum tha ke jahan vo log ruke hue hain, vahan is waqt door door
tak koi nahi hota isliye rone chillane ka koi fayda nahi tha.
"Jitni mast tu uper se dikhti hai, usse kahin zyada mast tu andar se
hai" Vitthal ne ek pal ke liye apna sar uper uthakar bola aur phir se
jhuk kar uski chhatiyan choosne laga.
Sirisha ka blouse khula tha aur bra ko Vitthal ne khinch kar uper kar
diya tha taaki uski dono chhatiyon ke saath khel sake. Niche se usne
saree ko Sirisha ki kamar tak chadha diya tha aur apni nangi taango ke
beech Vitthal ko mehsoos kar rahi thi.
"Ye taang thodi uper kar na pls" Vitthal andar daakhil hone ki koshish
kar raha tha par andar ja nahi pa raha tha.
Sirisha ne bina kuchh kahe uski baat maanti hue apni ek taang ko thoda
sa hawa mein utha diya. Vitthal ne ek baar phir uske shareer mein
daakhil hone ki koshish ki. Sirisha poori tarah se band thi aur zara
bhi geeli nahi hui thi isliye andar jaane ki ye koshish Vitthal ke
liye kaafi takleef se bhari mehsoos hui.
"Ek kaam kar ... thodi der munh mein leke choos de na ... geela ho
jaayega" Vitthal ne kaha toh Sirisha ne gusse mein uski taraf dekha
aur bina kuchh kahe apna munh doosri taraf ghuma liya.
"Arrey naraz kyun hoti hai, main toh bas puchh hi raha tha" Vitthal ne
neeche ko jhuk kar uska gaal chuma aur phir apne haath par thoda sa
thook liya aur laga kar phir se koshish ki.
Thodi takleef hui par is baar lund bina ruke Sirisha ke andar tak
daakhil ho gaya.
"Aaaaahhhhhhhhhh .... kitni tight hai tu .... aaj tak chudi nahi kya kabhi?"
Is baar bhi Sirisha ne jawab dena zaroori nahi samjha. Dard ke maare
uski cheekh nikalte nikalte reh gayi thi aur aankhon mein aansoo bhar
aaye.
"Maza aa gaya .... ohh meri jaan .... bahut garam hai tu ... bahut tight"
Aur bhi jaane kya kya bakta hua Vitthal akela hi manzil ki taraf badh
chala. Sirisha ki dono chhatiyan uske haathon mein thi aur uske gale
ko choomta hua vo dhakke par dhakke laga raha tha. Uske niche dabhi
Sirisha badi mushkil se apne aapko car ki seat par rok pa rahi thi. Ek
toh itni chhoti si jagah aur uspar Vitthal ke dheere dheere tez hote
dhakke, har pal usko lagta tha ke vo khisak kar niche gir jaayegi.
"Aaaaaahhhhhh" Achanak Vitthal ne uski ek chhati par apne daant gadaye
toh uski cheekh nikal gayi.
"Sorry" Vo daant dikhata hua bola "Control nahi, teri hain hi aisi,
itni badi aur itni soft"
Sirisha ka dil kiya ke mukka maar kar uske dono daant tod de.
"Jaldi karo" Vo pehli baar boli
"Jaldi kya hai ... achhhi tarah se maza toh lene do" Vitthal phir
dhakke lagane laga
"Tujhe maza nahi aa raha?"
Sirisha kuchh nahi boli
"Arrey bol na ... maza nahi aa raha. Kaisa lag raha hai mera tere andar?"
Vo phir bhi kuchh nahi boli
"Poori geeli ho chuki hai tu aur kehti hai ke maza nahi aa raha?"
Vitthal ne kaha toh Sirisha ka dhyaan pehli baar is taraf gaya. Uski
taango ke beech ki jagah poori tarah se geeli ho chuki thi aur ab
Vitthal badi aasani ke saath uske andar bahar ho raha tha.
"Meri car ki seat tak geeli kar di hai tune"
Vo sahi keh raha tha. Khud apni kamar aur koolho ke niche Sirisha ko
car ki geeli seat mehsoos ho rahi thi. Khud uska apna shareer use
chhod kar Vitthal ke saath ho chala tha aur use pata bhi nahi chala
tha.
Vo poori tarah se khul chuki thi aur uska shareer jaise Vitthal ke har
dhakke ka swagat kar raha tha.
"Nikalne wala hai mera" Vitthal ne kaha aur kisi pagal kutte ki tarah
haanfta hua dhakke lagane laga.
Thodi der baad usko church ke saamne chhod kar Vitthal chalta bana.
Sirisha ne ek pal ke liye saamne church ke darwaze par nazar daali aur
phir andar jaane ke bajay palat kar vaapis ghar ki taraf chal padi.
Vo is halat mein church kaise ja sakti thi?
kramashah.........................
Tags = Future | Money | Finance | Loans | Banking | Stocks | Bullion |
Gold | HiTech | Style | Fashion | WebHosting | Video | Movie | Reviews
| Jokes | Bollywood | Tollywood | Kollywood | Health | Insurance |
India | Games | College | News | Book | Career | Gossip | Camera |
Baby | Politics | History | Music | Recipes | Colors | Yoga | Medical
| Doctor | Software | Digital | Electronics | Mobile | Parenting |
Pregnancy | Radio | Forex | Cinema | Science | Physics | Chemistry |
HelpDesk | Tunes| Actress | Books | Glamour | Live | Cricket | Tennis
| Sports | Campus | Mumbai | Pune | Kolkata | Chennai | Hyderabad |
New Delhi | पेलने लगा | कामुकता | kamuk kahaniya | उत्तेजक | सेक्सी
कहानी | कामुक कथा | सुपाड़ा |उत्तेजना | कामसुत्रा | मराठी जोक्स |
सेक्सी कथा | गान्ड | ट्रैनिंग | हिन्दी सेक्स कहानियाँ | मराठी सेक्स |
vasna ki kamuk kahaniyan | kamuk-kahaniyan.blogspot.com | सेक्स कथा |
सेक्सी जोक्स | सेक्सी चुटकले | kali | rani ki | kali | boor | हिन्दी
सेक्सी कहानी | पेलता | सेक्सी कहानियाँ | सच | सेक्स कहानी | हिन्दी
सेक्स स्टोरी | bhikaran ki chudai | sexi haveli | sexi haveli ka such
| सेक्सी हवेली का सच | मराठी सेक्स स्टोरी | हिंदी | bhut | gandi |
कहानियाँ | चूत की कहानियाँ | मराठी सेक्स कथा | बकरी की चुदाई | adult
kahaniya | bhikaran ko choda | छातियाँ | sexi kutiya | आँटी की चुदाई |
एक सेक्सी कहानी | चुदाई जोक्स | मस्त राम | चुदाई की कहानियाँ | chehre
ki dekhbhal | chudai | pehli bar chut merane ke khaniya hindi mein |
चुटकले चुदाई के | चुटकले व्यस्कों के लिए | pajami kese banate hain |
चूत मारो | मराठी रसभरी कथा | कहानियाँ sex ki | ढीली पड़ गयी | सेक्सी
चुची | सेक्सी स्टोरीज | सेक्सीकहानी | गंदी कहानी | मराठी सेक्सी कथा |
सेक्सी शायरी | हिंदी sexi कहानिया | चुदाइ की कहानी | lagwana hai |
payal ne apni choot | haweli | ritu ki cudai hindhi me | संभोग
कहानियाँ | haveli ki gand | apni chuchiyon ka size batao | kamuk |
vasna | raj sharma | sexi haveli ka sach | sexyhaveli ka such | vasana
ki kaumuk | www. भिगा बदन सेक्स.com | अडल्ट | story | अनोखी कहानियाँ |
कहानियाँ | chudai | कामरस कहानी | कामसुत्रा ki kahiniya | चुदाइ का
तरीका | चुदाई मराठी | देशी लण्ड | निशा की बूब्स | पूजा की चुदाइ |
हिंदी chudai कहानियाँ | हिंदी सेक्स स्टोरी | हिंदी सेक्स स्टोरी |
हवेली का सच | कामसुत्रा kahaniya | मराठी | मादक | कथा | सेक्सी नाईट |
chachi | chachiyan | bhabhi | bhabhiyan | bahu | mami | mamiyan | tai
| sexi | bua | bahan | maa | bhabhi ki chudai | chachi ki chudai |
mami ki chudai | bahan ki chudai | bharat | india | japan |यौन,
यौन-शोषण, यौनजीवन, यौन-शिक्षा, यौनाचार, यौनाकर्षण, यौनशिक्षा, यौनांग,
यौनरोगों, यौनरोग, यौनिक, यौनोत्तेजना,
aunty,stories,bhabhi,choot,chudai,nangi,stories,desi,aunty,bhabhi,erotic
stories,chudai,chudai ki,hindi stories,urdu stories,bhabi,choot,desi
stories,desi aunty,bhabhi ki,bhabhi chudai,desi story,story
bhabhi,choot ki,chudai hindi,chudai kahani,chudai stories,bhabhi
stories,chudai story,maa chudai,desi bhabhi,desi chudai,hindi
bhabhi,aunty ki,aunty story,choot lund,chudai kahaniyan,aunty
chudai,bahan chudai,behan chudai,bhabhi ko,hindi story chudai,sali
chudai,urdu chudai,bhabhi ke,chudai ladki,chut chudai,desi kahani,beti
chudai,bhabhi choda,bhai chudai,chachi chudai,desi choot,hindi kahani
chudai,bhabhi ka,bhabi chudai,choot chudai,didi chudai,meri
chudai,bhabhi choot,bhabhi kahani,biwi chudai,choot stories, desi
chut,mast chudai,pehli chudai,bahen chudai,bhabhi boobs,bhabhi
chut,bhabhi ke sath,desi ladki,hindi aunty,ma chudai,mummy
chudai,nangi bhabhi,teacher chudai, bhabhi ne,bur chudai,choot
kahani,desi bhabi,desi randi,lund chudai,lund stories, bhabhi
bra,bhabhi doodh,choot story,chut stories,desi gaand,land choot,meri
choot,nangi desi,randi chudai,bhabhi chudai stories,desi mast,hindi
choot,mast stories,meri bhabhi,nangi chudai,suhagraat chudai,behan
choot,kutte chudai,mast bhabhi,nangi aunty,nangi choot,papa
chudai,desi phudi,gaand chudai,sali stories, aunty choot,bhabhi
gaand,bhabhi lund,chachi stories,chudai ka maza,mummy stories, aunty
doodh,aunty gaand,bhabhi ke saath,choda stories,choot urdu,choti
stories,desi aurat,desi doodh,desi maa,phudi stories,desi mami,doodh
stories,garam bhabhi,garam chudai,nangi stories,pyasi bhabhi,randi
bhabhi,bhai bhabhi,desi bhai,desi lun,gaand choot,garam aunty,aunty ke
sath,bhabhi chod,desi larki,desi mummy,gaand stories,apni
stories,bhabhi maa,choti bhabhi,desi chachi,desi choda,meri
aunty,randi choot,aunty ke saath,desi biwi,desi sali,randi
stories,chod stories,desi phuddi,pyasi aunty,desi
chod,choti,randi,bahan,indiansexstories,kahani,mujhe,chachi,garam,desipapa,doodhwali,jawani,ladki,pehli,suhagraat,choda,nangi,behan,doodh,gaand,suhaag
raat, aurat,chudi, phudi,larki,pyasi,bahen,saali,chodai,chodo,ke
saath,nangi ladki,behen,desipapa stories,phuddi,desifantasy,teacher
aunty,mami stories,mast aunty,choots,choti choot, garam choot,mari
choot,pakistani choot,pyasi choot,mast choot,saali stories,choot ka
maza,garam stories,,हिंदी कहानिया,ज़िप खोल,यौनोत्तेजना,मा
बेटा,नगी,यौवन की प्या,एक फूल दो कलियां,घुसेड,ज़ोर ज़ोर,घुसाने की
कोशिश,मौसी उसकी माँ,मस्ती कोठे की,पूनम कि रात,सहलाने लगे,लंबा और
मोटा,भाई और बहन,अंकल की प्यास,अदला बदली काम,फाड़ देगा,कुवारी,देवर
दीवाना,कमसीन,बहनों की अदला बदली,कोठे की मस्ती,raj sharma stories
,पेलने लगा ,चाचियाँ ,असली मजा ,तेल लगाया ,सहलाते हुए कहा ,पेन्टी ,तेरी
बहन ,गन्दी कहानी,छोटी सी भूल,राज शर्मा ,चचेरी बहन ,आण्टी ,kamuk
kahaniya ,सिसकने लगी ,कामासूत्र ,नहा रही थी ,घुसेड दिया
,raj-sharma-stories.blogspot.com ,कामवाली ,लोवे स्टोरी याद आ रही है
,फूलने लगी ,रात की बाँहों ,बहू की कहानियों ,छोटी बहू ,बहनों की अदला
,चिकनी करवा दूँगा ,बाली उमर की प्यास ,काम वाली ,चूमा फिर,पेलता ,प्यास
बुझाई ,झड़ गयी ,सहला रही थी ,mastani bhabhi,कसमसा रही थी ,सहलाने लग
,गन्दी गालियाँ ,कुंवारा बदन ,एक रात अचानक ,ममेरी बहन ,मराठी जोक्स
,ज़ोर लगाया ,मेरी प्यारी दीदी निशा ,पी गयी ,फाड़ दे ,मोटी थी ,मुठ
मारने ,टाँगों के बीच ,कस के पकड़ ,भीगा बदन
,kamuk-kahaniyan.blogspot.com ,लड़कियां आपस ,raj sharma blog ,हूक खोल
,कहानियाँ हिन्दी ,चूत ,जीजू ,kamuk kahaniyan ,स्कूल में मस्ती ,रसीले
होठों ,लंड ,पेलो ,नंदोई ,पेटिकोट ,मालिश करवा ,रंडियों ,पापा को हरा दो
,लस्त हो गयी ,हचक कर ,ब्लाऊज ,होट होट प्यार हो गया ,पिशाब ,चूमा चाटी
,पेलने ,दबाना शुरु किया ,छातियाँ ,गदराई ,पति के तीन दोस्तों के नीचे
लेटी,मैं और मेरी बुआ ,पुसी ,ननद ,बड़ा लंबा ,ब्लूफिल्म, सलहज ,बीवियों
के शौहर ,लौडा ,मैं हूँ हसीना गजब की, कामासूत्र video ,ब्लाउज ,கூதி
,गरमा गयी ,बेड पर लेटे ,கசக்கிக் கொண்டு ,तड़प उठी ,फट गयी ,भोसडा
,hindisexistori.blogspot.com ,मुठ मार ,sambhog ,फूली हुई थी ,ब्रा पहनी
,چوت ,
--
No comments:
Post a Comment