रेशमा दि सेलगर्ल ! (reshma the sales girl)
एक पुरानी कहानी
एक बहुत पुराने गाने कि तलाश थी मुझे। इसे मुकेश और लता ने गाया था।
फ़िल्म का नाम मुझे याद नहीं था। सिर्फ़ गाने के बोल ही याद थे। कुछ इस तरह
था वो गाना---छोड़ गये बालम, मिझे हय अकेला छोड़ गये। सीडी, कैसेटों की
दुकानों मे काफ़ी ढूंढा, पर नहीं मिला। किसी ने कहा कि शायद लैमिन्ग्टन
रोड पर मिल जाये।
मै लैमिन्ग्टन रोड गया। इत्त्फ़ाक से पहली ही दुकान से यह गाना मिल गया,
पर वहां क्या हुआ, ये बताता हूं।
मैने दुकान मे देखा कि कैश काउन्टर पर एक आदमी को छोड़ कर बाकी सब लड़कियां
हैं। मैं सीडी के काउन्टर पर गया तो लड़की ने मुस्कुरा कर मेरा स्वागत
किया और बोली-यस सर ! वट कैन आई डू फ़ोर यू?
ये मेरी बुरी आदत है कि जब भी मै किसी लड़की को देखता हूं तो न चाहते हुए
भी मेरी नज़र सबसे पहले उसकी छाती पर पड़ती है। यहां भी ऐसा ही हुआ---मेरी
नज़र उसके बूब्स पर पड़ी पर मै सम्भल गया। उसने भी मेरी इस हरकत को भाम्प
लिया और अपने दुपटटे से दिलकश कबूतरों को ढकते हुए फ़िर बोली-कैन आई हेल्प
यू?
जी तो चाहा कि कह दूं- इन कबूतरों को पालना चाहता हूं, लेकिन कहा- जी, मै
एक बहुत पुराना गाना तलाश रहा हूं, अगर यहां मिल जाये? वो झट से
बोली-गाने के बोल बताइये।
---छोड़ गये बालम, मुझे हय अकेला छोड़ गये---
कुछ सोचते हुए वो बोली- मुझे तो ऐसा कोइ गाना याद नहीं आ रहा है- ठहरिये,
मै सर से पूछती हूं।
यह कह कर वो उस अधेर आदमी के पास गयी जो कैश काउंटर पर बैठा था। थोड़ी देर
बाद वो वापस आकर बोली- है हमारे पास- ये फ़िल्म बरसात का गाना है- आप
रुकिये, मै यह सीडी लाती हूं। वो उपर गयी और एक सीडी लाई, बोली - पर आपको
इस गाने के लिये पूरी सीडी खरीदनी पड़ेगी-इसमें कुछ और पुरा्नी फ़िल्मों के
गाने भी हैं।
कोइ बात नहीं लेकिन देखिये इसमें वो गाना है य नहीं
जरूर होगा-- इस सीडी में बरसात फ़िल्म के गाने भी हैं
हां, लेकिन देखो वो पर्टिकुलर गाना है भी या नहीं
वो सीडी के कवर पर लिखे गानो कि लिस्ट देखने लगी और बोली- क्या बोल बताये थे आपने?
छोड़ गये बालम, मुझे हय अकेला छोड़ गये--
वो एक एक गाना पढने लगी--दुम-- नही--दम भर जो इधर मुंह फ़ेरे--बरसात में
हमसे मिले… हवा मे उड़ता जाये-- चोद गये--ओह सारी-- छोड़--
छोड़ गये बालम, मुझे हय अकेला छोड़ गये-- ये लीजिये। वो जल्दी से सीडी मेरे
हाथ मे देते हुए बोली और फ़िर दूसरी और देखने लगी।
मै अपनी हंसी रोक ना सका--वो शर्म से लाल हो गयी और बोली- सारी।
मैने कहा- कोइ बात नही- मुझे दोबारा हंसी आ गयी।
वो नर्वस होते हुए बोली- देखो ना छोड़ की स्पेलिन्ग ऐसी होती है क्या-? सी
डबल एच लिखना चाहिये ना- यहां सिन्गल एच ही है
हां सच कहा आपने-- आपने तो चोद पढा-- कई लोग तो इसे चोद-- मै कहते कहते रुक गया।
वो कैश काउंटर की तरफ़ और फ़िर अपनी साथी लड़कियों की ओर देखते हुए बोली- और कुछ?
जी बस -- इतना काफ़ी है-- अच्छा लगा।
व्हाट?
अच्छा लगा कि इतना ढूंढने के बाद आखिर यह गाना मिल ही गया।
और कुछ?
नहीं बस-कितने पैसे हुए?
मै बिल बना देती हूं आप काउंटर पे पेमेंट कर दें।
जब मै घर आया तो सोचने लगा-उसके बूब्स तो ईरानी होटल की डबल रोटियों जैसे
थे- होंठ भी कम सेक्सी ना थे॥ अगर ये होंठ मेरे लन्ड को कोमलता से दबा
लें तो क्या हो? मेरे शरीर में झुरझुरी सी आ गयी।
रात को सपने में मैं उसे लेकर किसी हिल स्टेशन चला गया। मैने देखा-हम
दोनो नंगे ही पहाड़ियों की सैर कर रहे है। मै कभी उसके कन्धे पर हाथ रख कर
चलता तो कभी उसकी कमर मे बाहें डाल कर्। मेरा हाथ फ़िसल कर उसकी गान्ड पर
रुक जाता। उसकी छातियां तजमहल के गुम्बद लग रहे थी पीछे से उसके गोल गोल
कोमल चुतड़ यूं उपर नीचे हो रहे थे जैसे कोइ सी-सा ऊपर नीचे झूल रहा हो।
मै अपना लन्ड उसकी गांड की दरार में घुसाना चाहता था लेकिन घुस नहीं पा
रहा था मैने खूब जोर लगाया तो वो चिल्लाई- पागल हो गये हो क्या? मैने
उसकी बात अनसुनी कर दी और एक बार फ़िर जोर से झटका दिया, ताकि लन्ड अपनी
मन्जिल तक पहुंच जाये। झटके से वो गिर पड़ी और मै भी उसी के साथ चारों
खाने चित्त हो गया। लन्ड पथरीली जमीन से टकराया और मै चीख पड़ा-- बहनचोद
!!!
आंख खुली तो मै पलंग से गिर कर जमीन पर पड़ा था। घरी मे टाइम देखा तो सुबह
के साढे छह बजे थे। लन्ड जबरदस्त अंदाज में खड़ा था और किसी चूत की फ़िराक
मे धीरे धीरे हांफ़ रहा था। मुझे हाथ से ही लन्ड को शांत करना पड़ा। नहा धो
कर कमरे से निकला तो घर वालों को काफ़ी हैरानी हुई कि नौ बजे उठने वाला
लड़का आज इतनी जल्दी कैसे उठ गया।
'' क्या आज कालेज जल्दी जाना है?'' बड़े भाई ने पुछा।
'' हां आज एक्स्टरा क्लास है-" और मैं क्या कहता। जब कह दिया तो घर से
बाहर निकलना भी था। मेरे कदम फ़िर लैमिन्ग्टन रोड की तरफ़ उठ गये।
दुकान बंद थी। बाजू के पान वाले से पूछा तो वो बोला-'दस बजे खुलती है
दुकान" मैने घड़ी देखी। अभी साढे नौ ही बजे थे। मै दूर जाकर खड़ा हो गया।
जैसे तैसे दस बजे। दुकान खुली, वो लगभग सवा दस आई। जब वो दुकान मे घुस
रही थी तो मैने देखा कि उसकी गान्ड के उभार बिलकुल सपने मे देखी हुई
गान्ड कि तरह ही थे। मै सोचने लगा कि सुबह का सपना वाकैई सच होता है !
थोड़ी देर में मै दुकान के अन्दर गया। उसकी नज़र मुझ पर पड़ी औए उसके भाव
देख कर मुझे यह अंदाजा हुआ कि उसने मुझे पहचान लिया है। मै सीधे उसके पास
गया। वो जबरन मुस्करा के बोली- यस सर ?
''मुझे एक और सीडी चाहिये"
कौन सी?
एक पुरानी फ़िल्म की॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰अगर आपके पास हो तो॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
फ़िल्म का नाम?
राजा हरिशचंद्र
उसने सिर हिलाया और बोली- सर को पूछती हूं।
आज वो मुझे कुछ खूबसूरत भी नज़र आयी। बड़े बूब्स तो मेरी कमजोरी हैं ही।
जल्दी ही वो वापिस आयी और बोली-ईतनी पुरानी फ़िल्म के गाने नहीं हैं
ओह ! बैड लक, मै निराश हो कर बोला।
और कुछ?
नहीं॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰यही चाहिये था॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰खैर थोड़ी देर बाद आउंगा।
क्यों? उसने पूछा।
क्यों मतलब? आपकी दुकान में कोइ क्यों आता है?
अच्छा, सोरी सर ! यू आर मोस्ट वेलकम!
कालेज के बाद फ़िर उसी दुकान में पहुंचा। अबकी बार वो दूर से ही मुस्काई।
जब मै उसके पास पहुंचा तो वो खुद बोली=कोइ और पुरानी फ़िल्म?
हां॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰फ़िल्म चुदाई की सीडी चहिये।
व्हाट???॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ वो ऐसे बोली जैसे बिजली का करंट लग गया हो।
क्या हुआ? मैने भी हैरानी जताई।
क्या कह रहे हैं?
कोइ अजीब बात कह दी मैने?
किस फ़िल्म की सीडी चाहिये आपको?
जुदाई फ़िल्म की !
जुदाई ?
हां ! ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰आपने क्या सुना?
नहीं नहीं ठीक है॰॰॰॰जुदाई की सीडी होगी ही॰॰॰॰
लेकिन मुझे पुरानी चुदाई की सीडी चाहिये॰॰॰॰॰
वो फ़िर चौंक गयी और मुझे शक भरी नज़रों से देखने लगी॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
मैने पूछा- अब क्या हुआ?
कुछ नहीं॰॰॰॰॰॰॰पुरानी मतलब्॰॰॰? उसमे एक्टर कौन थे?
जितेन्द्र और शयद रेखा॰॰॰॰ मैने युं ही कह दिया।
वो उपर की मन्जिल पर गयी, थोड़ी देर बाद नीचे आयी, कैश काउंटर पर गयी, दो
तीन मिनट बाद आयी और बोली-सोरी सर्॰॰॰नई जुदाई कि सीडी है॰॰॰॰ पुरानी
नहीं।
मै फ़िर अपने को निराश जताने लगा॰॰॰॰वो मुझे धयान से देखने लगी।
फ़िर मैने अपने दोस्त ॠषि का नम्बर मिलाया और बोला॰॰॰॰
हां भैया॰॰॰जुदाई कि सीडी तो नहीं मिली॰॰॰॰क्या करूं?
उधर से ॠषि बोला- अबे क्या बोल रहा है तू?
अच्छा दूसरी दुकान में देखूं ओके ओके जी जी॰॰॰॰॰॰॰॰॰
ॠषि फ़िर हैरानी से बोला- कहां है तू॰॰॰॰॰॰क्या बोल रहा है?
कौन सी? ॰॰॰लन्ड्॰॰॰लन्डन्॰॰॰ कौन सा लन्दन?
मैने चोर नज़रो से देखा, उसका चेहरा लाल हो गया था
जी ॰॰॰॰ नाईट इन लन्डन्॰॰॰ अच्छा॰॰॰॰पुछता हूं भैया॰॰॰
मैने फ़ोन काटा और लड़की से पूछा- नाईट इन लन्डन् की सीडी या कैसेट होगी आपके पास?
उसने सीडी तलाश कर मुझे दे दी और आदत के अनुसार बोली- और कुछ?
नहीं बस्॰॰ बिल बना दीजिये।
वो सर झुका कर बिल बनाने लगी।
अगले दिन मै फ़िर उसकी दुकान में पहुंच गया। आज उसने गुलाबी साड़ी पहनी थी।
होठों पर हल्के रंग की लिप्स्टिक भी थी। वो उम्र में मुझ से कुछ बड़ी शायद
तीस बत्तीस की लग रही थी। ब्लाउज का गला सामान्य से कुछ बड़ा ही था, जिसमे
से उसकी बड़ी बड़ी छातियां गजब ढा रही थी।
यस सर ! उसने मुस्कुराते हुए पुछा - सीडी?
हां पुरानि फ़िल्म की सीडी या कैस्सेट जो भी हो!
फ़िल्म का नाम ?
गांड है तो जहान है॰॰॰ मैने जानबूझ कर गांड शब्द का इस्तेमाल किया।
वो घूर कर मुझे देखने लगी।
है तो दे दीजिये।
क्या नाम बताया आपने?
जान है तो जहान है॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
इस नाम की तो कोई फ़िल्म नहीं आई।
आप सर से पूछिये।
ठीक है॰॰ वो कैश काउंटर तक गयी। थोरी देर बाद आ कर बोली- सर आपसे बात
करना चाह्ते हैं
मै थोड़ा घबरा गया कि कहीं साले को शक तो नहीं हो गया। मै उस तक गया तो
उसने पूछा- इतना पुराना पुराना गाना कयको मांगता तुमको?
मेरेको नाइ मेरा भाई को मांगता॰॰॰ वो कोइ रिसर्च कर रहा है।
आप एच एम वी में जाके पूछो ना॰॰॰॰॰॰॰
फ़िर मैने पूछा- अच्छा आपके पास वो गाना है॰॰॰चूतक चूतक चूतिया॰॰॰॰?
वो हंसने लगा॰॰॰अरे! ये क्या बोलता॰॰चूतक चूतक नही तूतक तूतक्॰॰॰॰
लेकिन ये तो नया गाना है तुम्हारा भाई क्या करेगा इसका?
भाई को नही॰॰ ये तो मुझे चाहिये।
अच्छा उधर रेशमा से पूछ लो।
रेशमा कौन?
अरे वही सेल गर्ल्॰॰॰
अच्छा तो उसका नाम रेशमा है॰॰
मै उसके पास पहुंचा - रेशमा॰॰वो पोप भन्ग्ड़ा है आपके पास्॰॰॰तूतक तूतक तूतिया॰॰॰
वो मेरी तरफ़ देख कर बोली- मेरा नाम किसने बताया आपको?
चन्दू साब ने॰॰॰
कौन चंदू साब?
वो जो काउंटर पे बैठे हैं
अरे वो तो मेहता साब हैं
अच्छा मुझे मालूम नही था।
चूतक चूतक चूतिया है आपके पास?
वो सपाट नज़रों से मुझे देखते हुए बोली॰॰ अब मै समझ गयी॰॰तुम जानबूझ कर
गलत बोल रहे थे अब तक
नही है ये गाना॰॰॰ वो नाक फ़ुला कर बोली और दूसरी तरफ़ मुंह कर लिया।
उस दिन मैने सोच लिया कि आज इसे रास्ते मे पकड़ूंगा।
शाम को सात बजे दुकान बंद हो गयी और वो बाहर निकली।
मै उसके पीछे हो लिया।
थोड़ी देर पीछा करने के बाद ग्रांट रोड स्टेशन आने से पहले ही उसके पास
पहुंच कर धीरे से कहा॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰हाय !
वो चौंक कर मुझे देखने लगी। थोड़ी घबरा भी गयी।
मैने फ़िर हाय कहा।
वो बोली-क्या बात है, क्या काम है?
सोरी, मै जरा लेट हो गया, आपकी दुकान तो बंद हो गयी।
हां, अब उसके कदम तेज़ हो गये थे।
अरे ! आप दौड़ क्यों लगा रही हैं?
मुझे जल्दी है। सात बीस की टरेन पकड़नी हैकहाँ रहती हैं आप ?
कहाँ रहती हैं आप ?
उसने जवाब नही दिया
दरअसल मुझे एक और पुरानी फ़िल्म की सीडी चाहिए थी अर्जेंट
अब कल आइये
हाँ वो तो अब कल ही
यहाँ दूसरी दुकाने भी हैं वहां ट्राई कीजिये
हाँ , मगर वहां आप तो नही मिलेंगी ना
व्हाट? क्या मतलब ?
मैंने हिम्मत करके कहा .....देखिये सच कहता हूँ ... अब तक जितनी भी
शोपिंग मैंने आपकी दुकान से की है सिर्फ़ आपसे मिलने के लिए....
वो रुक गयी और मेरी आँखों में देख कर बोली...तुम्हारे इरादे अच्छे नही लगते.
हाँ वो तो है...
क्या मतलब ?
अब मतलब तो आप समझ ही गयी होंगी .. मै आपको डिनर मतलब लंच पर ले जाना चाहता हूँ
.... ....काफी पापड़ बेलने पड़े उसे पटाने के लिए . आख़िर वो रास्ते पर आ
ही गयी. .. पता चला कि उसका तलाक हो चुका है. ससुराल वालों ने निकल दिया
है घर से. मायका दिल्ली में है और वो अपने माँ बाप के पास रहना नही चाहती
. यहाँ बोरिविली में एक चल में किराये पर रहती है.
काफी कोशिशों के बाद मैंने उसे अपने साथ सोने के लिए राजी कर लिया. अब वो
काफी खुल चुकी थी. बोली-कहाँ ले जाओगे?..अपने घर ?
नही वहां तो मेरी फॅमिली रहती है.
फ़िर?
किसी होटल में.
मैंने एक अच्छे होटल में कमरा बुक कर लिया. उस दिन उसने काम से छुटी ले
ली थी . मुझे ये सोच कर मजा आ रहा था की मै सारा दिन उसे चोदूंगा . उसकी
चूत चाटुन्गा, वो मेरा लंड अपने कोमल होठों से मसलेगी.
तयशुदा दिन हम होटल में पहुंचे . कमरा पहले से ही बुक था. दोपहर के दो बज
रहे थे. हमने बियर पी और खाना खाया .फ़िर मेरे सब्र का पैमाना भर
गया.मैंने उसे कहा...रेशमा, हर रात को मै तुम्हे सपने में चोदता हूँ आज
वो दिन आ ही गया जब सचमुच ...
वो बोली..मै भी बिना मर्द के कई दिनों से प्यासी हूँ अभी तक बैंगन ,लोकी
से काम चला रही थी, आज मर्द का लंड मिलेगा.. पर
पर क्या?
अभी तो तुम इतने मर्द नही लगते . कितना बड़ा है तुम्हारा?
देखोगी?
हाँ दिखाओ...
मैंने झट से कपडे उतारे लंड तमतमा कर फडफडा रहा था वो बड़े गोर से मेरे
लंड को देखने लगी और फ़िर कहा ...चलेगा !
अरे ६ इन्च के लोडे को देख कर कह रही हो... चलेगा... दोडेगा बोलो ना...
६ इंच का लोडा क्या खाक दोडेगा ? दोड़ने के लिए तो कम से कम ८ इंच का घोड़ा चाहिए!
मुझे गुस्सा आ गया और मै बोला-पहले आजमा तो लो,इस ६ इंच के टट्टू को क्या
सरपट दोड़ता है.
अच्छा?
ये कह कर वो आगे झुक गयी और अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ किया, उसका
पकड़ना था की मेरा फ़ड़फ़ड़ाता हुआ लंड आधा इंच और लम्बा हो गया. वो धीरे
धीरे लंड के सुपाड़े को सहलाने लगी। मुझे हल्का हल्का नशा आने लगा था।
उसने मुझे बेड पे लिटा लिया और मेरि दोनो टांगो के बीच बैठ कर मेरा लन्ड
चूसने लगी। मै उसके मुलायम होठों को अच्छी तरह महसूस कर रहा था। ऐसा लग
रहा था कि जैसे मै किसी और दुनिया मे हूं। मेरे जिस्म मे चींटियां रेंगने
लगी। उसने अपनी गति बढा दी और जल्दी जल्दी लन्ड को चूसने लगी। थोड़ी देर
मे लन्ड से धड़ाधड़ पानी निकलने लगा जिसे उसने गड़प से पी लिया। लन्ड कुछ
देर शान्त बना रहा। मै भी बेड पर निढाल सा पड़ा था। वो उठ कर बोली- क्यो
मर्द? … बस क्या?… और कुछ करना है?
जानेमन्… अभी तो पूरा दिन बाकी है… बस एक मिनट्… अभी तैयार हो जाता हूं…
ये कह कर मैने उसके सारे कपड़े उतार दिये। वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी
थी। मै उसे घूम घूम के चारों ओर से देखने लगा। वो हन्स कर बोली… ऐसे क्या
देख रहे हो ?
देख रहा हूं, सपने मे जो हसीना देखी थी, वही अब सामने है… वही रंग रूप,
वही उतार चढाव, वही चूत्… वही गांड वही चूची वही जांघ… तुम सचमुच माल हो
यार !
कमाल है यार माल देख के भी धमाल नही कर रहे हो… वो हंसने लगी। मै उससे
लिपट गया। कमरे मे म्युजिक बज रहा था हम अपने आप धीरे धीरे नाचने लगे। मै
उससे यूं लिपटा हुआ था जैसे उसके अन्दर ही समा जाउंगा। वो बहुत भावुक हो
रही थी।
मैने उसे बेद पे लिटा दिया। उसने खुद अपनी टांगे ऊपर कर ली, जिससे उसकी
चूत खुल गयी। उसकी चूत देख कर लग रहा था कि उसके पति ने उसे ज्यादा नहीं
चोदा था। गुलाबी रस भरी चूत बड़ी प्यारी लग रही थी। मेरे मुंह मे पानी आ
गया। मै उसकी चूत पर झुक गया। मादक सी गंध आ रही थी। मैने अपनी जीभ उसकी
चूत के होठों पर रख दी। वो सिसक पड़ी। होले होले मै उसकी चूत कि पूरी दरार
चाटने लगा। वो तिलमिलाने लगी। तड़फ़ने लगी। मैने अपनी जीभ की नोक उसकी चूत
के छेद मे डाली और अन्दर तक ले गया। वो तड़फ़ती रही। मै जोर जोर से चूत
रगड़ने लगा। उसकी सिसकियां चीखों मे बदल गयी।
मैने उसे उल्टा किया। पीछे का नज़ारा और भी मज़ेदार था। पतली कमर के नीचे
सुंदर सी गोल गान्ड्। मैने उसकी चूत से बहुत सारा रस निकाला और उसकी
गान्ड मे मल दिया। गान्ड चिकनी हो गयी और चमकने लगी। मै धीरे धीरे उसकी
गान्ड की मसाज करने लगा। कभी मेरी उन्गलियां उसकी गान्ड मे तो कभी उसकी
चूत में।
चूत का रस था कि निकला ही जा रहा था और मै उसी के रस से उसके सारे शरीर
की मालिश कर रहा था। उसे बड़ा ही आनन्द आ रहा था। मै उसकी गांड मे अपनी
बीच की उंगली घुसाने लगा। दो तीन मिनट में पूरी उन्गली अन्दर घुस गयी और
मै बड़े आराम से अपनी उंगली से उसकी गांड की चुदाई करने लगा।
उसकी सिसकारी बद नही हो रही थी। गांड मे उंगली का मज़ा शायद वो पहली बार
ले रही थी। आखिर उससे रहा नही गया और वो बोली… अपना लन्ड डाल दो मेरी
गांड मे… पेल दो… खूब जोर जोर से… रुको नही एक भी पल्…
मै तुरन्त पीछे से उसके उपर चढ गया। उसकी कमर के नीचे हाथ डाल कर थोड़ा
उपर उठाया। उसकी गांड ऊंट की पीठ की तरह ऊपर हो गयी। गांड का छेद साफ़
दिखाई दे रहा था। धीरे सेमैने अपना लन्ड उसकी गांड के छेद पर रखा तो अपने
आप ही अन्दर जाने लगा। मैने बस थोड़ी ही मेहनत की और हल्का सा धक्का दिया,
लन्ड गांड के अन्दर यूं गया जैसे सांप बिल मे फ़ुर्र से घुस जाता है। मुझे
अपना सपना याद आ गया जिसमे मैने लाख कोशिश की थी गांड मे लन्ड घुसाने की,
मगर सफ़ल ना हो सका था। वो हल्के से चीखी भी … मगर फ़िर चुप हो गयी। मै
अपना लन्ड उसकी गांड मे अन्दर बाहर करने लगा। वो सी सी की आवाज़ निकालने
लगी। फ़िर ये आवाज कुछ ऊंची हो गयी। मेरी नस नस को मज़ा मिल रहा था और शायद
उसे भी, क्योंकि वि भी हाय्… उफ़्… मर गयी कहती जा रही थी।
मक्खन की तरह कोमल गांड मे मेरा लोहे का सा लन्ड अन्दर बाहर हो रहा था।
जब वो अपनी गांड के दोनो पाटों से दबाती तो मै अन्दर बाहर नही कर पाता।
जब वो अपनी पकड़ ढीली कर देती तो मै तुरन्त अपने लन्ड को उसकी गांड से
बाहर निकालता और फ़िर फ़चाक से अन्दर डाल देता। ये खेल उसे बहुत अच्छा लग
रहा था। वो अपनी गांड उचका उचका कर मेरी हिम्मत बढा रही थी
यह खेल १० -१५ मिनट ही चला। तब मेरे लन्द ने अपना सारा रस उसकी गांड मे
उतार दिया। पूरा रस निकलने तक मै उसकी गांड मे धक्के मारता रहा। जब
अन्तिम बूंद भी निकल गयी तो मैने अपना लन्ड उसकी गांड से बाहर निकाला, जो
उस वक्त भी लाल लाल और तमतमाया हुआ था।
वो सीधे लेट कर जोर जोर से सांस लेने लगी। यही मेरी हालत थी। कुछ देर हम
यूं ही पड़े रहे। अचानक दरवाजे की घंटी बजी। रेशमा नंगी ही बाथरूम भागी।
मैने जल्दी से कपड़े पहने, बलों को सीधा किया और दरवाजा खोला। दरवाजे पर
रूम बोय कम वेटर खड़ा था।
क्या बात है? मैने पूछा।
साहब, कुछ नाश्ता वाश्ता…॥
यार कुछ चाहिये होगा तो इन्टरकोम से बोल देन्गे।
सोरी सर ! मगर आपकी तरफ़ से कोइ मैसेज नही आया तो मैनेजर ने भेजा कि… शायद
आपको कुछ चाहिये हो ?
मैने घड़ी देखी… शाम के ५ बज रहे थे. मुझे हैरानी हुई कि इतनी जल्दी ५
कैसे बज गये। खैर मैने उसे बीयर और चिकन पकौड़ा लाने को कहा। वो आधे घंटे
बाद नाश्ता लाया। तब तक हमने इन्तजार करना ही मुनासिब समझा।
भरपेट नाश्ता करने के बाद मैने वेटर से खाली डिशेज ले जाने को कहा और
उसके जाते ही मैने फ़िर दरवाजा बंद कर लिया।रेशमा भी उसी इन्तजार मे थी।
उसने फ़टाफ़ट कपड़े उतारे और मैने भी।
एक बार फ़िर उसने मेरे लन्ड को अपने भीगे मुंह मे ले लिया। बीयर और पकौड़े
से तरबतर जीभ ने मेरे लन्ड मे आग सी लगा दी।
वो अपनी जीभ से मेरे लन्ड को सराबोर करने लगी। छह इन्च के लन्ड का यही
फ़ायदा है कि वो किसी से भी मुंह मे पूरी तरह समा जाता है। अपने मुंह के
अन्तिम सिरे तक वो मेरे लन्ड को लीलती रही और बाहर निकालती रही। मेरे
लन्ड को यह वरदान पहले नही मिला था। वैसे तो तीन चार लड़कियों ने सकिन्ग
की थी मेरी… पर आज जो अनुभव मिल रहा था वो किसी अनुभवी नारी का ही काम
था। लड़कियों ने तो मेरे लन्द को ऐसे चूसा था जैसे लोलीपोप चूस कर फ़ेंक
देती हैं। उन्हें तो पानी निकालना भी नही आता था। कई बार उन्होने अपने
हाथों से ही मेरे लन्ड को तृप्ति दी थी। रेशमा अपने हलक तक मेरा लन्ड ले
रही थी।
मैने उसे दोबारा उल्टा लिटाया और कमर के नीचे से हाथ डाल कर घोड़ी बनने पर
मजबूर किया। मैने उसे ऐसे ऐडजस्ट किया कि चूत बिल्कुल सीध मे आ जाये।
उसकी टांगो को और फ़ैलाया। गुलाबी चूत दिखाई देने लगी हल्की हल्की झांटे
चूत के आस पास ऐसे खड़ी थी जैसे किसी खजाने की रखवाली के लिये सुरक्षा
कर्मी खड़े हों। घुटनों के बल खड़े हो कर उसकी गोरी जांघों पर हाथ फ़ेर कर
मैने उसकी चूत मे अपने लन्द को लगाया और धक्का दिया। आशा के विपरीत मेरा
लन्ड उसकी चूत मे फ़ंसने लगा। चूत काफ़ी टाईट थी। ये सोच कर मुझे बहुत मज़ा
आया। मै धीरे धीरे धक्के मार कर अपने लन्ड को उसकी चूत मे पूरी तरह
घुसाने की कोशिश करने लगा। इसके लिये मुझे उसकी कमर को पकड़ कर आगे पीछे
भी करना पड़ा। थोड़ी कोशिश मे ही मेर लोड़ा टाईट चूत मे अन्दर बाहर होने
लगा। दोगी स्टाईल मेरा फ़ेवरेट आसन है। इसमे जो मज़ा आता है वो करने वाले
को ही मालूम है। तना हुआ लन्ड चिकनी चूत मे जा रहा था, आ रहा था। चूत के
अन्दर की नर्म हडडी मेरे लन्ड के निचले भाग की मालिश कर रही थी। मेरे
मुंह से लगातार आह आह की आवाजें आ रही थी। रेशमा का भी यही हाल था। मै
उसकी गांड को पकड़ कर आगे पीछे कर रहा था। लन्ड को ऐसी सेवा कभी कभी ही
मिलती है… और शायद चूत को भी।
अब मैने वैसे ही उसे डोगी स्टाईल में थामा। उसकी गान्ड को मजबूती से पकड़
कर मैं धीरे से पीठ के बल लेट गया। लन्ड उसकी चूत में ही था। वो मेरा
लन्ड लिये उसी तरह धीरे से मेरी जांघों पर बैठ गयी। उसने अपनी दोनों
टांगें मेरी जांघों के आसपास रख दीं और सम्भल कर बैठ गयी। अपने आप को
एडजस्ट किया और फ़िर उपर नीचे होने लगी। मेरा लन्ड उसकी चूत में जाकर बाहर
निकल रहा था। वो बराबर उपर नीचे हो रही थी। उसका स्टेमिना अच्छा था। यह
आसन उसके लिये शायद काफ़ी मज़ेदार साबित हुआ। उसकी चूत से धड़ाधड़ पानी
निकलने लगा और मेरी जांघों और लन्ड को तर करने लगा। उसने अपनी रफ़्तार बढा
दी। अब वो चीखने लगी थी।
चकाचक धकाधक छकाछक्… लन्ड चूत के अन्दर बाहर हो रहा था और वो उसी गति से
चीख रही थी। अचानक वो धम्म से मेरी लांघों पे बैठ गयी और उसके मुंह से
बड़ी जोर से आ…………ह निकला। वो पूरी तरह झड़ चुकी थी मगर मैं बाकी था।
उसने अपनी चूत से मेरे लन्ड को निकालने की कोशिश की, मगर मैने ऐसा नही
होने दिया। मैने मजबूती से उसकी गान्ड को पकड़ा और आगे पीछे करके उसे
हिलाने लगा। मेरा लन्ड उसकी चूत में ही था। मुझे उसका सहयोग नहीं मिल रहा
था। इसलिये मेरा लन्ड उसकी चूत से बाहर आ गया और वो झट से बेड पे उलटी
लेट गयी। मेरा पानी निकलना अभी बाकी था। मै भला उसे ऐसे कैसे छोड़ देता।
मै फ़ौरन पीछे से उसके उपर चढ गया। पहले तो वो कसमसाई, मगर फ़िर ढीली पड़
गयी। मैने अपने तने हुए चिकने लन्ड को उसकी गान्ड में उतारना चाहा। इसके
लिये मुझे उसकी गान्ड को ऊपर उठाना था, मगर वो उठने के लिये राज़ी नहीं हो
रही थी। मैं उसकी मजबूरी समझ रहा था। आखिर मैने दोनो तकिये उठाये और उसके
पेट के नीचेए रख दिये। इससे उसकी गान्ड कुछ ऊपर हो गयी।
मैने उसकी गान्ड के दोनो पाटों को अपने अंगूठों से हटाया तो भूरे रंग का
छेद नज़र आने लगा।
बस यही थी मेरी- मेरी लन्ड की मन्जिल्……॥
अपने तमतमाए लन्ड को मैने उसकी गान्ड के संकरे छेद पर रखा। अंगूठे से
दोनो फ़ांकों को फ़ैलाए रखा, ताकि छेद छुप ना जाये। लन्ड बिल्कुल गान्द के
छेद पर था। गीला और चिकना तो वो था ही। धीरे से थोड़ा सा लन्ड अन्दर को
किया। हल्के हल्के धक्के मार के मैने अपना पूरा का पूरा लन्ड उसकी गान्ड
में उतार ही दिया। पूरा लन्ड कभी कभी ही गान्ड में समाता है, वरना आधे
लन्ड की चुदाई से ही काम चलाना पड़ता है। उसे तकलीफ़ जरूर हुई पर उसने
प्रोटेस्ट नहीं किया। बीस पच्चीस धक्कों से ही मेरा काम बन गया। उसकी
पूरी गान्ड मार कर मैं निहाल हो गया। सारा बचा खुचा पानी निकल गया। मैं
उसके ऊपर ही लेट गया।
रात को लगभग दस बजे घर आकर मैने हिसाब लगाया तो पता चला कि पांच हज़ार
खर्च हो गये हैं। ये पैसे मैनें अपने जेब खर्च से बचा कर रखे थे।
रेशमा से दोबारा मिलने का वादा तो कर लिया था, पर दोबारा पांच हज़ार जमा
करने के लिये मुझे क्य क्य पापड़ बेलने पड़ेंगे, वो मुझे ही मालूम है…
रेशमा को नहीं
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