Friday, September 16, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ सेक्स की आग में जलती जवानी--5



हिंदी सेक्सी कहानियाँ
सेक्स की आग में जलती जवानी--5
गतांक से आगे...............चंदा उसके बगल में लेट गई और उसकी छाती सहलाने लगी. फिर उसके हाफ-पैंट में हाथ डाल कर उसे नीचे खींच लिया और उसके लंड और टट्टों से खेलने लगी. महेश के लंड और गोटे, तीनों पे खूब बाल थे जिन्हें वह सहलाने लगी. महेश गहरी नींद में था फिर भी उसके गोटे उसके सहलाने कि वजह से काफी हरकत कर रहें थे और उसका लंड भी धीरे धीरे तनने लगा.

चंदा जानती थी कि इस बार महेश न तो उठेगा न उसे चोदेगा. उसकी चूत भी छिल चुकी थी. एक और बार अगर वह चुदती तो कल चलने फिरने में भी तकलीफ होती. लेकिन नींद अभी उसे आ नहीं रही थी. अचानक उसके मन में एक ख्याल आया और वह उठ कर महेश के लंड के पास गयी और उसे सूंघने लगी. अभी भी उसके लंड से वीर्य के बाद निकलने वाला चिकना द्रव्य रीस रहा था. उसकी खुशबु उसे अच्छी लग रही थी. उसकी चूत भी हलकी सी मचलने लगी. उसने जीभ से लंड के छोर को चाट लिया और उसके रस का स्वाद चखा जो उसे बहुत अच्छा लगा. फिर तो उसने महेश के लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसे हलके हलके चूसने लगी. फिर चूसते हुए उसने उसके लंड को अपने मुंह से निकाला और महेश कि ओर देखने लगी. महेश सो रहा था लेकिन उसका लंड अभी जगा हुआ था.

फिर क्या था, चंदा भूखी सी उसके लंड को चूसने और चाटने लगी. बीच बीच में वह उसके गोटों को एक एक करके अपने मुंह में भर लेती और जीभ से खूब चाटती. उसका लंड पूरा मुंह में लेने का प्रयत्न करती लेकिन लंड उसके हलक में घूस जाता. उसे उबकाई आ जाती लेकिन उसकी चूत खूब रिसने लगी थी. बीच बीच एक बाल उसके मुंह में रह जाता तो एक हाँथ से वह बाल निकलती और दुसरे हाँथ से महेश के लंड को रगड़ती. फिर महेश को चूसते चूसते, एक हाथ से वह अपनी चूत भी सहलाने लगी. अंततः महेश नींद में ही झड गया. चंदा ने जैसे सी उसका वीर्य निकलते देखा उसने उसका लंड अपने मुंह में लिया और चूस चूस कर सारा वीर्य अपने मुंह भे भर लिया. उसने सोचा कि वह बाथरूम जा के उसे थूक दे. उसका मुंह पूरा भर चुका था. लेकिन महेश अभी खाली नहीं हुआ था. अब भी उसके लंड से वीर्य निकला जा रहा था. उसका वीर्य गर्म था और उसकी खुशबु तेज थी. बाकी वीर्य चंदा ने अपने हाथ में जमा कर लिया. भरे हुए हाथ और भरे हुए मुंह से चंदा बाथरूम जाने के लिए उठ ही रही थी कि गलती से थोडा वीर्य उसके गले से उतर गया.

चंदा को कुछ भी परेशानी नही हुई. फिर तो चंदा सारा वीर्य निगल गयी. निगलने के बाद मुंह में बचे बाकी वीर्य का स्वाद और उसकी खुशबु उसे बहुत अच्छे लग रहे थे और उसे उत्तेजित भी कर रहें थे. फिर उसने अपने हाँथ में बचे वीर्य को भी सूंघना, चाटना और पीना शुरू कर दिया. सारी उँगलियों को चाट चाट के साफ़ करने के बाद उसने महेश के लंड को भी चाट चाट के साफ़ किया. फिर अपनी उँगलियों को अपनी चूत सहलाने पर लगा दिया. कुछ देर बाद जब वह झड़ने लगी तो खुद के रस को भी उसने खूब चाटा और उसके स्वाद और खुशबु का खूब आनंद लिया. फिर बाथरूम जाकर खुद को साफ़ किया और महेश के हलफ पैंट में हाथ डाल कर, उसकी कंधे पर सर टिका कर और उसकी जांघों पर जांघ चढा कर वह सो गयी.
महेश जब सुबह नींद से जागा तो उसे पेशाब लगी थी जिसके कारण उसका लंड तना हुआ था. होश आते ही उसे महसूस हुआ कि चंदा का हाथ उसके लंड को पकडे हुए था. उसके हाँथ के स्पर्श से उसका लंड और कड़ा हो गया था और महेश भी उत्तेजित ही गया. उसे ख्याल हुआ कि शायद चंदा रात में उसका लंड चूस रही थी या शायद वह उसका सपना था. लेकिन चंदा को वह दो बार चोद चुका था, यह उसे अच्छे से याद था. चंदा का हाँथ उसने अलग किया और उसकी टांग को अपने ऊपर से उठा कर जब वह मूतने जाने के लिए उठा तो चंदा कि नींद भी खुल गयी. महेश ने इशारे से उसे समझा दिया कि वह बाथरूम जा रहा है तो चंदा ने फिर आँखें बंद कर ली और सो गयी.

लौटकर जब महेश आया तो देखा कि नींद में चंदा कि नाइटी उसकी जाँघों से ऊपर सरक चुकी थी. चंदा पीठ के बल लेटी थी और लंबी और गहरी साँसे ले रही थी जिसके कारण उसके बूबे ऊपर नीचे गोटे लगा रहें थे. महेश का लंड मचलने लगा और तनने लगा. उसने नाइटी को और उठा दिया और चंदा कि चूत को उसकी जांघों के बीच खोजने लगा, चंदा भी नींद से जाग गयी और अपने पैर फैला लिए. महेश ने अपनी ऊँगली उसकी चूत में उतार दी. वह अपनी ऊँगली से हलके हलके उसकी चूत को सहलाने लगा. चंदा के चूत गीली होने लगी थी. वह उसकी ओर पलट गयी. और उसे अपने ऊपर खींचने लगी. महेश उसपर चढ बैठा और लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा. चंदा बेताब हुए जा रही थी. उसने महेश के लंड को पकड़ा और चूत में घुसा दिया. महेश ने एक जहतके में उसकी चूत में अपने पूरे लंड को घुसा दिया तो चंदा कि कराह के साथ साथ उसे एक अजनबी आवाज़ भी सुनाई पड़ी. यह आवाज़ चंदा ने भी सुनी. तारा जग रही थी. हडबडाहट में उसने महेश को अपने से अलग किया और घडी कि ओर देखा. तारा के जागने का समय हो गया था. उसे तैयार कर स्कूल भेजना था. वह तारा को उठा कर बाथरूम ले गयी.

महेश मन मसोसते और लंड मसलते रह गया. तारा को नेहला धुला के चंदा ने उसे तैयार किया और किचन में नाश्ते, चाय और तारा के तिफ्फिन कि तय्यारियों में जुट गयी. महेश तारा के साथ खेलने लगा. थोड़ी देर में तारा को स्कूल ले जाने वाली बस आई तो चंदा उसे छोड़ने बाहर चली गयी. इस दरम्यान महेश ने भी सुबह के काम खत्म कर लिए.

तारा को जब वह छोड़ रही थी तब ड्राईवर उसे खूब घूर रहा था. अचानक उसे ख्याल आया कि क्यूंकि वह केवल एक नाइटी पहने थी और हलकी हलकी हवा चल रही थी, उसके बदन कि एक एक गोलाई साफ़ साफ़ समझ आ रही थी. ड्राईवर कि नज़रों में भरी वासना को वह भांप गयी और उसकी चूत में एक हलकी सी तरंग उठी जिससे उसके सारे शरीर में एक रोमांचक सिहरन दौड गयी. मन में अनेक ख्याल दौड़ने लगे. जब तक वह घर में लौटी, उसकी चूत फिर से गीली होने लगी थी. अभी चंदर को आने में दो घंटे बाकी थे. दो घंटे वह क्या करने चाहती थी, यह बताने कि ज़रूरत यहाँ है ही नहीं. मुस्कुराते हुए वह बेडरूम में घुसी.
चंदा जब कमरे में घुसी तो महेश जैसे उसी का इंतज़ार कर रहा था. उसपर झट से लपका और उसकी नाइटी निकाल फेंकी, फिर उसे बिस्तर पर धकेल के अपनी पैंट निकाल कर उस पर चढ़ गया. चंदा ने पूरा जोर लगा कर उसे अपने से अलग किया और उसपर चढ़ गयी. महेश कि छाती पर बैठकर उसने महेश को इशारे से रुकने को कहा.

अब वह पलट गयी जिससे उसकी पीठ महेश के चेहरे कि ओर थी और धीरे धीरे वह महेश का लंड और गोटे सहलाने लगी. महेश चंदा कि गांड कि गोलियों को नज़रों से नाप रहा था. चंदा का स्पर्श उसे बहुत भा रहा था. वह चंदा कि चिकनी पीठ सहलाने लगा और उसके चुत्तडों को दबाने और मसलने लगा. अचानक उसे अपने लंड पर गीला और ठंडा स्पर्श महसूस हुआ. चंदा उसके लंड पर झुक गयी थी और उसे अपनी जीभ से चाट रही थी. ऐसा करने के लिए वह महेश कि छाती से थोडा उठ गयी थी जिससे महेश को उसके चूत के नजदीकी दर्शन मिल रहें थे.

महेश उसके चुत्तडों को फैला कर उसकी चूत को छूने लगा. चंदा को इतना मज़ा आया कि उसने झुक कर महेश का लंड मुंह में ले लिया और अपनी गांड महेश के चेहरे के बिलकुल करीब ले आई. फिर उसने अपनी गांड को उसकी छाती पर से उठा लिया जिसके कारण उसकी चूत महेश के चेहरे के ऊपर आ गयी.

महेश ने कई फिल्मों में लडको को और लड़कियों को भी चूत चाटते हुए देखा था लेकिन उसे इससे काफी घृणा थी. उसे यह सब काफी गन्दा लगता था. लेकिन चंदा उसके लंड और टट्टों को चूस चाट कर उसकी उत्तेजना बढ़ाये जा रही थी. साथ ही चंदा भी कामुक हो चुकी थी जिससे उसकी चूत बहुत गीली हो गयी थी और उससे रस बाहर चू रहा था. उसकी खुशबु महेश के दिमाग पर असर करने लगी थी. चंदा कि चूत सहलाते सहलाते उसे समझ में ही नहीं आया कि कब उसकी जीभ उसके चूत के होंठो को चाटने लगी थी. उसकी चूत के दो होंठ बहुत गुलाबी, नरम, रसीले थे. महेश उन्हें कभी चूमता, कभी चाटता और कभी चूस लेता. चूत के होंठ जहां मिलकर एक होते थे वहाँ वह जानता था कि चंदा का दाना है. वहाँ जब भी उसके होंठ या जीभ पहुँचती, चंदा उसके लंड को जोर से चूसती.

फिर महेश ने उसकी चूत में अपनी जीभ कि नोक घुसा दी. चंदा ने उसके लंड को चूसने कि रफ़्तार बढ़ा दी. अब महेश अपनी जीभ, होंठ, नाक, ठुड्डी और उँगलियाँ, इन सभी का आनंद चंदा कि चूत को दे रहा था. उसे भी इसमें खूब मज़ा आ रहा था. चंदा कि चूत रिसती जा रही थी जिसे महेश पीता जा रहा था. उसका रस हल्का नमकीन और बहुत हल्का खट्टा भी था और उसकी खुशबु नशीली और मजेदार थी.

दोनों एक दुसरे को चूसते और चाटते रहें. चंदा ने तो जैसे महेश के सर को अपनी जाँघों के बीच जकड लिया था और उसे अपनी चूत में दबाए जा रही थी. वहीँ महेश भी कमर उछाल उछाल कर उसके मुंह में अपना लंड ठूसे जा रहा था. थोड़ी देर बाद इसी तरह एक दुसरे कि सांस रोकते हुए दोनों झड गए. जब चंदा पलती तो उसके मुंह से महेश का वीर्य हल्का सा होंठो के कोने से बह रहा था. महेश के तो सारे चेरे पर चंदा का रस था. इसी अवस्था में दोनों ने एक दुसरे को चूमना शुरू किया. तब दोनों के रसों का मिला जुला स्वाद दोनों ने पाया और फिर से काम देवता के बाण उनके शरीर को भेदने लगे.

चंदर के घर लौटने से पहले दोनों ने जानवरों कि तरह तीन बार एक दुसरे को चोदा. जी हाँ! चंदा भी इतने उत्साह से इस काम-क्रीडा में लीं थी कि कभी कभी लगता था महेश उसे नहीं, वह महेश को चोद रही थी.

चंदर के आने से करीब आधे घंटे पहले दोनों नहा धो कर तैयार हुए और चंदा घर के काम काज में लग गयी. महेश चंदा को बार बार छेड़ देता. कभी उसके चुत्तड पर चिकोट देता तो कभी उसके बूबे मसल देता. कभी उसे जकड कर उसके चुत्तडों के बीच लंड टिका कर उसकी गर्दन और कान चूम लेता.

चंदा भी इस छेद खानी का खूब आनंद ले रही थी. करीब ११ बजे चंदर घर पहुंचे तो दोनों ने सामान्य रहने कि कोशिश शुरू कर दी.

यदि हम और आप उन्हें देखते तो भांप जाते कि कुछ गडबड है, लेकिन चंदर निहायत ही शरीफ किस्म का और सीधा साद भोला इंसान था. उसकी शर्मीली पत्नी अपने बेटे समान भांजे के साथ रासलीला रच रही है, इस बात को वह सपने में भी नहीं सोच सकता था. दोनों के चेहरे पर उसने रौनक देखि लेकिन उसका कारण उसने मामी भांजे के बीच का हंसी मजाक समझा.

इस बार चंदर दो दिनों कि छुट्टी ले कर आया था. यह बात चंदा और महेश दोनों को ही याद नहीं थी. दोनों मन मसोस के रह गए. हसरत भरी निगाहों से दोनों ने एक दुसरे को देखा. पता नहीं अब उन्हें फिर मौका मिले न मिले!
दो दिनों तक चंदर घर पर ही रहने वाला था. इस बात को सोच सोच कर महेश और चंदा काफी परेशान थे. सुबह से चंदर घर पर ही था. कई दिनों के बाद उसे इतनी फुरसत मिली थी. दोपहर का खाना खाते खाते दोनों एक दुसरे को व्याकुलता से देख रहें थे. चंदर ने देखा कि दोनों के चेरों पर सबेरे कि रौनक के बजाय मायूसी छाई थी. वह समझ नहीं पा रहा था कि मामी और भांजे कि इस मायूसी का कारण क्या था.

खाना खाने के बाद चंदर सोने चला गया. चंदा बर्तन साफ़ करने किचन चली गयी. महेश टीवी देखने लगा. हॉल रूम में बैठे बैठे महेश चंदा को देख सकता था. बर्तन साफ़ करती हुई चंदा कि पीठ महेश कि तरफ थी. उसके हिलती हुई गोल गदराई गांड उसे लालायित कर रही थी. उसका लंड तनने लगा था.

वह हलके से बिना आवाज़ के उठा और बेडरूम कि ओर गया. उसने देखा कि चंदर अभी तक सोया नहीं था लेकिन उसे नींद आ रही थी. वह दबे पांव वापस हाल में आया और टीवी का वाल्यूम बढ़ा दिया. तभी चंदर उठा और बेडरूम का दरवाज़ा बंद कर दिया. महेश कि योजना कामयाब हुई!

अभी तक चंदा को उसकी योजना का आभास नहीं था. महेश धीरे धीरे दबे पांव किचन में गया और हलके से चंदा कि गांड से लंड सटा कर खड़ा हो गया. चंदा को अचानक अपनी गांड पर महेश के लंड का एहसास हुआ तो वह पलटने लगी. लेकिन उससे पहले ही महेश ने उसे भींच लिया और उसकी गर्दन चूमने लगा. चंदा उससे अलग होने के लिए छटपटाने लगी तो कुछ बर्तन आपस में टकराए और महेश भी उससे अलग हो गया. दोनों चंदर कि प्रतिक्रिया का इन्तेज़ार करने लगे. दोनों सांस रोके खड़े थे. कुच्छ देर तक जब कुच्छ नहीं हुआ तो महेश समझ गया कि चंदर सो गया है और दरवाज़ा बंद होने के कारण उसने कुच्छ नहीं सुना. इससे पहले कि चंदा कुछ समझ पाती, महेश ने उसे फिर जकड लिया. उसके कानों में उसने फुसफुसा दिया कि मामा सो रहे हैं.

चंदा बोली, तो क्या हुआ, अगर बीच में आ गए तो, कुछ देख लिया तो. थोडा तो सब्र करो.

नहीं, सब्र नहीं, मैं तो सब करूँगा, कहते कहते महेश उसकी गांड को अपने लंड से कपड़ों सहित ही रगड़ने लगा. उसने चंदा को सिंक से लगा कर दबा लिया था. एक हाथ से उसके एक बूबे को मसलते हुए और उसकी गर्दन को चूमते हुए, दुसरे हाथ से उसकी साड़ी उठा रहा था. साड़ी उठाते हुए, उसके जांघों को भी सहला रहा था.

महेश कि हरकतें और पति के कभी भी आ सकने का डर मिलकर चंदा को कुच्छ अधिक ही उत्तेजित कर रहें थे. उसका पति वहीँ पास के कमरे में था और कभी भी आ सकता था, यह बात उसकी चूत को और गीली कर रही थी. वह भी महेश का साथ देने के लिए पलटने कि कोशिश करने लगी. लेकिन महेश उसे हिलने नहीं दे रहा था. अब उसकी ससदी को कमर तक खीच चुका था और उसके हाथ उसकी झांटों से मुलाकात कर रहा था. चंदा समझ नहीं पा रही थी कि महेश के मन में क्या है. तभी महेश उसके कान में फुसफुसाया,

ऐसे ही रहना, पलटना मत.

वह चाहती तो थी, लेकिन नहीं पलटी. उसे भी हल्का हल्का रोमांच हो रहा था. वह देखना चाहती थी कि महेश आखिर क्या नया करने वाला है. तभी महेश ने उसकी चड्ढी खींची और नीचे उतारने लगा. चंदा ने उसकी मदद कि और अर्धनग्न हो गयी. अब महेश ने फिर उसकी साड़ी को कमर तक खींच लिया और उससे सट गया. इस बार चंदा को उसके मोटे और ताने हुए लंड का आभास अपनी गांड पर हुआ. महेश ने उसे अपने दबाव से हल्का झुकाया और उसके पैरों के बीच हाथ डाल उन्हें फैलाने का इशारा कर दिया. चंदा झुक गयी और हलके से पैर फैला दिए. अब उसे अपनी चूत पर उसके लंड कि दस्तक मिलने लगी. चंदा ने उसकी मदद कि जिससे कि उसका लंडा उसकी चूत में घुस गया. महेश ने चंदा कि कमर पकड़ी और लंड पूरा अंदर तक पेल दिया. चंदा और झुक गयी. थोडा तो इस अकस्मात वार के दर्द से और थोडा आनंद से उसे और अंदर लेने के लिए. उसने किचन का प्लेटफोर्म पकड़ लिया और थोडा पीछे आ गयी. महेश ने लंड को थोडा बाहर खींचा और फिर पेल दिया. इस बार लंड बहुत प्रेम से चंदा कि गीली चूत में घर्षण के साथ पूरा उतर गया. हर्ष कि एक लहर दोनों के चेहरों पर दौड गयी. उत्तेजना के कारण दोनों कि आँखें बंद हो गयी और मुंह से हलकी आह निकाल पड़ी.

इसके बाद महेश रुका नहीं. एक के बाद एक धक्के लगाने लगा. चंदा भी अपनी गांड उसके लंड पर धकेलने लगी. बाहर टीवी चल रहा था और किचन के नल से पानी बह रहा था. फिर भी चंदा कि चूत इतनी गीली थी और उनकी चुदाई इतनी ज़ोरदार कि खच्च फच्च कि आवाज़ साफ़ सुनाई दे रही थी. कुत्ता-कुट्टी का यह खेल दोनों को बहुत मज़े दे रहा था. चंदा होठ दबाए महेश के लंड के मज़े ले रही थी और महेश उसकी चूत को अंदर अंदर तक भेद रहा था. इसी तरह कुछ देर में चंदा झड गयी. चंदा के झाड़ते ही महेश ने अपना लंड उसकी चूत से निकाला और उसकी गांड पर मुठ मारने लगा. एक दो सेकंड में ही उसने अपना सारा वीर्य उसकी गांड पर गिरा दिया. सांस और होश सँभालते हुए दोनों एक दुसरे को देख मुस्कुराये. दोनों एक दुसरे कि बाहों में आ चुम्बन करने लगे. फिर दोनों ने कपडे ठीक किये. महेश संतुष्ट होकर टीवी देखने लगा. चंदा ने अपनी पैंटी से अपनी गांड को पोछा और साड़ी नीचे कर बचे-खुचे बर्तन धोने में लग गयी.
क्रमशः............. 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