Monday, September 5, 2011

बुढ़ापे का रंगीन साथी

FUN-MAZA-MASTI

बुढ़ापे का रंगीन साथी

मेरा नाम अमन गुप्ता है। मैं अब अकेला हूँ। मेरी उम्र अभी ५९ वर्ष की है। मेरे दो लड़के हैं जो कनाडा में रहते हैं और वहीं नौकरी करते हैं। मेरी पत्नी का निधन, जब वो ४८ वर्ष की थी, एक दुर्घटना में हो गया था। तब से मैं अकेला हूँ और अपना छोटा सा बिजनेस सम्भालता हूँ। मेरी पत्नी जब जीवित थी तभी से मेरी सेक्स में रूचि कम हो गई थी। मेरे लण्ड में तनाव भी कम हो गया था और उस समय भी मैं अपनी पत्नी को सन्तुष्ट नहीं कर पाता था। मेरी चोदने की इच्छा तो बहुत होती थी पर शायद मेरे में उम्र के हिसाब से लण्ड में मामूली सा कड़ापन आता था, पर मैं चुदाई नहीं कर पाता था।

धीरे धीरे मेरी पत्नी भी मुझसे दूर रहने लगी। शारीरिक तौर पर भी स्तन दबाना, मसलना, चूतड़ दबाना और मस्ती करने का सुख भी मेरे हाथ से जाता रहा। चूत चाटने का और अंगुली से उसे सन्तुष्ट करने का सुख भी जाता रहा। धीरे धीरे मैं इस अवसाद में ही घिर गया। मैंने हार कर अकेले ही रहने की आदत डाल दी। कभी कभी मु� भी मार लेता था, वह भी जब मुझे लगता था कि ये जरूरी है। फिर मेरी पत्नी एक दुर्घटना में चल बसी तो मैं बिल्कुल ही अकेला हो गया और अन्दर से टूट गया। अब मैं अपना मन सिर्फ़ काम में लगाने लग गया था, इससे मुझे फ़ायदा तो बहुत होने लगा पर मन में यही आता कि इन पैसो का क्या करूंगा। तब मैं एक अनाथों की संस्था में से दो बच्चों को पालने का खर्च उ� ाने लगा। उन्हें पढ़ाना, लिखाना, कपड़े यानि सभी जरूरतें पूरा करने लगा। लोगों ने भी मेरे इस कार्य को सराहा।

कुछ दिनों पहले मेरे एक दोस्त की लड़की को इस शहर में एक कॉलेज में दाखिला करवाया। वो एम ए कर रही थी। मेरा घर चूंकि बहुत बड़ा था सो मैंने उसे अपने ही घर में एक कमरा दे दिया। उसका नाम शिल्पा था। देखने में सुन्दर थी और उसका फ़िगर भी बहुत अच्छा था। वह बहुत समझदार भी थी। उसे जब कम्प्यूटर का काम करना होता था तब वो मेरे कमरे में आ जाती थी। मेरी अनुपस्थिति में वो अक्सर कम्प्यूटर इस्तेमाल करती थी। तभी एक प्यारी सी घटना घट गई। शिल्पा ने मेरी दिल की मुराद पूरी कर दी।

मैं शाम को घर आया, नौकर खाना बना कर जा चुका था। मैंने हमेशा की तरह अपनी व्हिस्की की बोतल खोल कर बै� गया। मैंने कम्प्यूटर ऑन किया। जैसे ही मैंने गूगल लोड किया, शिल्पा की साईट खुल कर सामने आ गई। शायद उसने जल्दी में लोग-ओफ़ नहीं किया होगा या जाने कैसे ये हो गया। मैं अपनी उत्सुकता नहीं रोक पाया और उसके मेल देखने लगा। अधिकतर मेल अश्लील थे। मेरी अनुपस्थिति में वो ये खेल खेलती थी। तभी मैंने देखा कि उसकी और भी अलग नामों से आई डी भी थी जिनके एड्रेस और पास वर्ड भी अपने ही मेल में लिखे थे। मैं उन्हें भी खोल कर देखने लगा। उन सेक्सी मेल पढ़ कर कर मेरे मन में वासना जागृत हो गई।

उसमें बहुत सारे नंगी और चुदाई करते हुए तस्वीरें भी थी। उसमे कुछ लिंक चुदाई के वीडियो के भी थे। और एक वीडियो तो शिल्पा ने अपने मोबाईल से खुद की चुदाई का भी लिया था। मैं उसे ध्यान से देखने लगा। वीडियो साफ़ तो नहीं था पर शिल्पा का नंगा शरीर उसमें अवश्य नजर आ रहा था।

शिल्पा मुझे सेक्सी लड़की लगने लग गई। मैंने अपनी ड्रिन्क समाप्त की और भोजन करने लगा। पीसी अभी भी ओन ही था। मैंने शिल्पा कि जो आईडी उसके मेल में थी मैंने नोट कर ली। मैं अब रोज रात को उसके सेक्सी मेल पढ़ता था और कभी कभी मु� मार लेता था। शायद शिल्पा को अब कुछ शक होने लगा था।

एक रात मैं ड्रिन्क्स ले रहा था और शिल्पा की साईट का आनन्द ले रहा था, कि शिल्पा कमरे में आ गई और उसने मुझे रंगे हाथ पकड़ लिया। वो लपक कर आई और साईट बन्द कर दी।

"अंकल ये क्या कर रहे हो?" उसने जोर से कहा। मैं वास्तव में घबरा गया। मेरे मुख से घबराहट में कुछ भी ना निकल पाया। मुझे अपने बड़े होने पर और ऐसा काम करने पर शायद पहली बार शर्मिन्दगी हुई। पर इतने में शिल्पा सम्भल गई।

"सॉरी अंकल, आपने तो मेरी सारी मेल पढ़ ली, प्लीज इसे अपने तक ही रखना !" मेरी सांस में सांस में आई।

"नहीं शिल्पा, माफ़ी तो मुझे मांगनी चाहिये, मुझे ये सब नहीं करना चाहिये था, पर तुम्हारी साईट एक दिन अचानक ही अपने आप खुल गई थी। कुछ सेक्सी बातों पर बाहर से नजर पड़ी तो मुझसे रहा नहीं गया।"

"अंकल ये तो बस हम अपने मनोरंजन के लिये करते हैं, ये सब सच तो नहीं है ना।"

"पर वो राहुल, विक्की, और जय उन्हें तो तुम पसन्द करती हो ना, तुम्हारी तो एक इसमे वीडियो भी है !" मैंने उसे भी बांधने की कोशिश की जिससे उसे लगे कि उसके भी कुछ रहस्यो को मैं जान गया हूँ।

"अंकल प्लीज किसी को बताना मत, मैं बदनाम हो जाऊंगी !" उसका सिर नीचे झुक गया।

"अरे कैसी बात करती है, मैं इन सब बातों को समझता नहीं हूँ क्या ? जवानी में मस्ती तो करनी ही चाहिये ना, हमने भी खूब मस्ती की थी।" मैंने उसे उत्साहित करते हुए कहा।

"अंकल, ये तीनों मेरे व्यक्तिगत दोस्त हैं, आप तो जान ही गये हैं, बस पापा को मत बताना !"

"तू जानती है ना, मैं भी सालों से अकेला हूँ, मेरे दिल में भी इच्छाएँ होती हैं, पर मैं तो अब ६० साल का होने जा रहा हूँ, देखो मैं अपनी दबी इच्छाएँ किसी को नहीं बताता हूँ, मैं इन सब बातों को समझता हूँ।"

"हाय अंकल, इस उमर में भी आपकी इच्छा होती है, फिर क्या करते आप?" उसे आश्चर्य हुआ।

"कुछ नहीं, बस मन मार कर रह जाता हूँ, हमें कौन समझ पाता है !" मेरे चेहरे पर निराशा उभर आई। शिल्पा मुझे देखती रह गई। मुझे लगा उसके मन में मेरे प्रति सहानुभूति उभर आई थी।

"अंकल किसी आण्टी से दोस्ती कर लो, मैं मदद करूँ इसमें?" वो मेरे पास आकर हाथों में मेरा हाथ ले कर बोली।

"नहीं मैं अब ये सब नहीं कर सकता हूँ, सच !" मेरे मुँह से अचानक सच्चाई निकल आई।

"तो क्या हुआ, और तो सब काम तो कर सकते हो ना !" उसके चेहरे पर अब शरारत मचलने लगी थी। मुझे उसकी ये शरारतें मोहक लग रही थी।

"अब तू चुप हो जा, मेरी इच्छाएँ जाग जायेंगी, तुझे क्या है, हाल तो मेरा खराब हो जायेगा ना !" मैंने अंधेरे में तीर छोड़ा, मुझे लगा कि वो मुझे बुरा भला कहेगी। पर हुआ उल्टा ही।

"अंकल, एक बात कहूँ, मुझ पर भरोसा हो तो मुझे अपना राजदार बना लो, मैं आपकी अधूरी इच्छा पूरी कर दूंगी.... पर देखो, पापा को इंटरनेट के बारे में मत बताना, प्रोमिस?" वो इ� ला कर बोली। मेरे शरीर में सनसनाहट होने लगी। शिल्पा मेरे साथ.... पर मुझसे तो होता ही नहीं है।

"तेरे पापा को? कैसी बाते करती है, उन्हें मुझ पर भरोसा है, और सुन ले ये � ीक नहीं है, तू तो मेरी बेटी जैसी है और फिर मैं तो कुछ कर ही नहीं पाता हूँ।" मैं असमंजस में था।

"मैं तो कर पाती हूँ ना !" वो धीरे से मेरे पास आ गई और मेरे गाल चूम लिया। मुझे इतने में ही असीम आनन्द आ गया। दूसरे ही पल उसने मेरे गालों को हाथ से थाम लिया और मेरे हों� चूमने लगी।

"अंकल मैं जय, विक्की और राहुल को एक एक करके बुलाऊं तो आप उन्हें यहा आने देंगे ना?" उसने मुझे ब्लैक मेल करने की कोशिश की। मुझे हंसी आ गई। मुझे क्या फ़रक पड़ता था भला। मुझे समझ में आने लगा था कि वो मुझे पटा कर अपना राज गुप्त रखना चाहती थी और साथ ही अपने दोस्तों के लिये इस घर का रास्ता भी खोलना चाहती थी। जवान लड़की थी, उसे भी जवान लण्ड चाहिये था, उसे भी अपने जिस्म की प्यास बुझानी थी। मैंने दिल ही दिल में अपने आप से समझौता किया कि तन का सुख चाहिये तो ये सब करना ही पड़ेगा, फिर इस उम्र में मुझे कौन घास डालेगा।

"हां....हां .... जरूर, पर मेरी उपस्थिति में, ताकि कोई गड़बड़ हो तो मैं सम्भाल लूँ !" शिल्पा मेरे से चिपक गई और मेरे सोते हुए लटके लन्ड को सहलाने लगी।

“आप क्या मुझे उनके साथ सोता हुआ देखना चाहते हैं, मजा लेना चाहते हैं ?”

“अरे नहीं, तुम एन्जोय करो, पर यदि तुम चाहो तो मैं भी चुपके से देख लूं?”

उसने मुझे तिरछी निगाहो से देखा,“अच्छा जी, अब आप मुझे ऐसे भी देखना चाहेंगे, कोई बात नहीं, देख लेना, पर चुपके से !”

“शिल्पा, तुम क्या जानो इस उम्र के लोगों की तड़प....”

“माफ़ करना अंकल, मुझसे आपकी तड़प देखी नहीं जाती, मैं ये अहसास समझ सकती हूँ।” शिल्पा ने मुझे प्यार करते हुए कहा।

“मैं तुम्हारा अहसानमन्द रहूंगा शिल्पा, तुमने मुझे दिल से समझा है।” मैंने उसे प्यार से लिपटा लिया।

“आज से आप मुझे बेटी कहना छोड़ दीजिये अब मैं आपकी दोस्त बन गई हूँ, और जो मैं दोस्तों के साथ करती हूँ आपके साथ भी वही करूंगी।” उसके हाथ का दबाव मेरे लण्ड पर बढ गया और मेरे लण्ड का साईज़ नापने लगा। मुझे उसके हाथ लगाने से जोश आने लगा। मेरे खून का दौरा बढ़ गया। मेरी सांसें तेज हो गई।

“अंकल अब शरम छोड़ दीजिये, ये 21वीं सदी है, आपसे तो हम ही � ीक हैं।” शिल्पा ने मेरे झेंपू स्वभाव को परख लिया था।

“क्या इरादा है, मेरे साथ ब्लात्कार करोगी क्या, मुझसे तो कुछ नहीं होगा !” मैंने लगभग हांफ़ते हुए कहा।

“आप तो यूं ही शरमा रहे हैं, उतारो ये कपड़े और फ़्री हो जाओ, देखो फिर कैसा मजा आता है इस उम्र में भी !”

मैंने अपने कपड़े उतार दिये। अब शर्म करने से कोई फ़ायदा नहीं था। मेरा दुबला बदन और सूखा लण्ड देख कर वो मुस्करा उ� ी। मेरा लण्ड इन सब बातों से खड़ा हो गया था और थोड़ा फूल गया था। सुपाड़ा भी लाल हो कर कुप्पा हो गया था। शिल्पा भी अब अपने जिस्म को दिखाने लगी।

“बदन हो तो ऐसा.... ये देखो !” शिल्पा ने अपने कपड़े अदाओं के साथ उतारना आरम्भ कर दिया।

उसका एक एक अंग तराशा हुआ था। सेक्स की गुड़िया लग लग रही थी वो। उसके उरोज बड़े और भारी थे, कमर पतली और उसके चूतड़ और गोलाइयाँ मटके जैसी थी। उसने अपनी गाण्ड को मेरी तरफ़ घुमाया और नीचे झुक कर अपनी चूतड़ो की गहराईयाँ दिखाने लगी।

चिकनी गांड चमकती हुई, और बीच में एक प्यारा सा छेद। गुलाबी गीली चूत और उस पर काली काली बड़ी झांटे, उसके बदन को निहारते हुए जाने मेरा लण्ड कब खड़ा हो गया। इस तरह से अपने बदन को मेरी पत्नी ने भी कभी नहीं दिखाया था। उसने एक भरपूर अंगड़ाई ली और नंगे बदन को मेरे नंगे बदन से चिपका लिया। मेरा लण्ड उसकी चूत में � ोकर मारने लगा। उसकी चूत भी गीली हो चुकी थी।

उसने अपनी एक टांग उ� ा कर मेरी कमर से लिपटा दी और खड़े खड़े ही अपने योनि-द्वार से मेरे लण्ड को सटा दिया। मेरे हाथ स्वयंमेव उसकी भरी भरी चूंचियों पर आ गये और उन्हें मसलने लगे। उसने अपनी चूत का दबाव मेरे लण्ड पर डाल दिया। पर मेरा लण्ड एक ओर फ़िसल गया। उसने अपना हाथ नीचे लिया और मेरा लण्ड पकड़ कर अपनी गीली चूत में डाल दिया। चूत की गर्माहट मेरे लण्ड को मिली। वो अन्दर सरकता चला गया।

शिल्पा ने अपनी कमर हिलानी शुरु कर दी, लण्ड पहले अन्दर बाहर होता रहा पर, मैं अथाह आनन्द में डूबने लगा। लण्ड में प्यारी सी सरसराहट, गुलाबी सा मी� ा मी� ा सा मजा, मैंने अपने चूतड़ो का पूरा जोर उसकी चूत पर लगा दिया, हल्के से धक्के लग रहे थे, पर आह्....कुछ ही देर में वो ढीला पड़ने लगा और अब तो लण्ड बिलकुल ही ढीला हो कर लचलचा हो गया, और धीरे धीरे बाहर निकल आया। मैं फिर से निराशा में डूबने लगा।

“हाय अंकल, आपने तो दो मिनट में कितना मजा ले लिया, लण्ड तो आपका लम्बा है।” उसने अपनी टांगें नीचे कर ली और मेरा ढीला लण्ड उ� ा कर अपने मुँह में डाल लिया।

“अब देखो, आपका मस्त लण्ड कैसे मजे लेता है !”

मुझे लण्ड चूसने से बहुत मजा आने लग गया था। मेरा सुपाड़ा यूँ तो चूसने से फ़ूल गया था और तीखा सा और मी� ा सा आनन्द आने लगा था। लण्ड की जोरदार चुसाई से मेरा लण्ड एक बार फिर से खड़ा हो गया, शिल्पा ने लण्ड खड़ा देख कर अपने हाथ में लेकर उसे मु� मारना आरम्भ कर दिया। मेरे बदन में मु� मारने से आग लग लग गई। लण्ड की जोरदार रगड़ाई हो रही थी। वो मुह से थूक लगा कर लण्ड को चिकना और गीला कर रही थी फिर दुगने जोश से मु� मारने लगती थी। मु� मारते मारते मेरा हाल बुरा हो गया और लगा कि बस अब माल निकल ही जायेगा। मेरे मुख से सिसकारियाँ निकलने लग गई।

“अंकल मजा आ रहा है ना....ये ....ये.... माल निकलने वाला है अब !!!”

“आह हाँ हाँ, मार , मु� मार .... निकाल दे मेरा पानी !!” मैं भी अब जोश के मारे चूतड़ हिला हिला कर मु� मरवा रहा था। लग रहा था कि कभी भी मेरा माल निकल पड़ेगा।

“ये....ये....फ़ड़क रहा है अंकल, टाईट हो गया है....आपका माल आया....हाय रे ....ये आया !”

“शिल्पा, मेरा निकला, आह, ये ऊहऽऽ आया !”

“निकाल दो अंकल, निकालो हाय रे.... आ गया....”

मेरी धार छूट पड़ी, पिचकारी तेजी से बाहर आई और शिल्पा के चेहरे पर गिरी, और झटके मार के निकलती ही गई। इतना वीर्य निकला कि उसका चेहरा पूरा भीग गया और नीचे पानी की तरह बह निकला। वो मेरे लण्ड को अब धीरे धीरे मसल रही थी। दूध दुहने की तरह मेरा वीर्य निकाल रही थी, बूंद बूंद करके सारा वीर्य बाहर निकाल लिया। फिर जीभ निकाल कर मुँह पर लगा वीर्य चखा और मेरी चादर से अपना मुँह साफ़ कर लिया।

“हाय इतनी सारा रस, कहां से आ रहा है ये....?” शिल्पा हैरानी से देखने लगी।

“मेरा लण्ड खड़ा नहीं होता है इसका ये मतलब नहीं है कि मेरी इच्छा ही नहीं होती है।”

“पर इतना माल ?”

“मैं बहुत दिनो बाद दिल से सन्तुष्ट हुआ हूँ, मुझे इतना सारा रस निकाल कर बहुत सुकून मिला है।”

मैंने शिल्पा के नंगे बदन को अपने से चिपका कर खूब प्यार किया। मैं इतने से थक गया था और कमजोरी सी आ गई थी। हम दोनों ने कपड़े पहने और कमरे से बाहर आ गये। शिल्पा ने डिनर गर्म किया और हम दोनों मेज पर बै� गये।

“शिल्पा, आज तो तुम्हारा अह्सान रहेगा मुझ पर, आज तुमने मुझे बहुत सुख दिया और मेरी कमजोरी का मजाक नहीं उड़ाया।”

“अरे मजाक क्यूँ.... ये तो सभी के साथ होता होगा। पर इस बात को समझने वाली होना चाहिये, वर्ना तो इस उमर में मर्द अपनी इच्छा को मार कर कहा जायेगा?”

“तुम्हें इतनी समझ कैसे आई, मेरी पत्नी ने भी ये नहीं समझा, फिर तुम तो इतनी सी उमर में इतना जान गई हो !"

”अंकल, ये मह्सूस करने के लिये दिल होना चाहिये, उसने फ़ीलिंगस होनी चाहिये, अरे छोड़ो ना अब, आपका ध्यान आज से मैं रखूंगी। पर एक्स्क्यूज मी....मेर ध्यान भी आप रखना....मेरे तीन तीन आशिक है और जोरदार चुदाई करते हैं.... आपको याद है न....?”

मैं और शिल्पा जोर से हंस पड़े और मैं आज की याद लिये बेडरूम की तरफ़ बढ़ गया। शिल्पा भी शुभ-रात्रि कह कर अपने कमरे में चली गई। शिल्पा की समझदारी की बातें मेरे दिल में घर कर गई थी। मैं पूर्ण रूप से सन्तुष्ट हो कर बिस्तर पर लेट गया।







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