Friday, September 16, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ सिलसिला


हिंदी सेक्सी कहानियाँ


सिलसिला


दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तो कहते हैं के 2 चीज़ें इंसान चाहे जितनी कोशिश करे, कभी च्छूपा नही सकता. पहली चीज़ है वेस्ट, शिट, क्रॅप और दूसरी चीज़ होती है झूठ. और वजह दोनो के पिछे एक ही है, दोनो चीज़ें बदबू मारती हैं. कोई भी इस बदबू को ज़्यादा वक़्त तक छुपा कर नही रख सकता और अगर ऐसा करने की कोशिश करे, तो वो बदबू एक लंबे अरसे तक खुद ही सूंघनी पड़ती है. इंसान एक झूठ बोलता है, फिर उसे छुपाने के लिए दूसरा झूठ, फिर तीसरा और झूठ बोलने का ऐसा सिलसिला शुरू हो जाता है जिससे निजात सिर्फ़ सच बोलकर ही पाई जा सकती है, पर कभी कभी ऐसा करने के लिए भी बहुत देर हो चुकी होती है.

एक ऐसा ही खेल किस्मत ने मेरे साथ भी खेला. 10 साल पहले एक मनहूस रात को मैने एक ग़लती की और सबकी नज़र से उसको छुपा तो लिया पर फिर मेरी अपनी करतूत मेरे सामने इस तरीके से आ खड़ी हुई के मैं चाह कर भी कुच्छ कर नही सकता था. उस रात की मेरी ग़लती ने एक ऐसा अटूट सिलसिला शुरू कर दिया था जिसे मैं लाख कोशिशों के बाद भी रोक नही पा रहा था.
क्या करूँ, क्या ना करूँ, सर पकड़े आँखें बंद किए बैठा यही सोच रहा था के दीवार पर टन्गि पुराने ज़माने की घड़ी ने ग्यारह बजाए और घंटे की आवाज़ पूरे घर में गूंजने लगी.

"वक़्त हो चुका है" मैने दिल ही दिल में सोचा

"इतने ध्यान से क्या सोच रहे हो?" उसकी मीठी सुरीली आवाज़ मेरे कान में पड़ी

सर उठाकर मैने अपनी आँखें खोली और उसकी तरफ देखा. वो मेरे सामने बैठी मुस्कुरा रही थी.

"सर में दर्द है? दबा दूं?" अपने उसी फिकर करने वाले अंदाज़ में उसने प्यार से पुछा. मैने मुस्कुराते हुए इनकार में गर्दन हिला दी.

हम दोनो मेरे मनाली के पास ही एक छ्होटे से हिल स्टेशन में बने घर में बैठे थे. ये बंगलो मैने 12 साल पहले खरीदा था और अक्सर यहाँ आता रहता था. आसमान में चाँद पूरे नूर पर था और हम दोनो बड़ी सी बाल्कनी में लगी हुई डिन्नर टेबल पर बैठे थे.

"खाना ठंडा हो रहा है जान" उसने प्लेट मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा "खा लो. खीर फिर से ठंडी हो गयी है, मैं गरम कर लाऊँ"

"नही रहने दो" मैने कहा "मुझे ठंडी ही पसंद है"

खीर, दिल ही दिल में मैं सोच रहा था, हमेशा की तरह.

पिच्छले 10 साल में वक़्त ने उसको ज़रा भी नही बदला था. वो आज भी वैसी थी. लंबे घने काले बाल, तीखे नैन नक्श, गोरा रंग, भारी भारी चूचियाँ, लंबा कद. आज भी किसी 20-22 साल की लड़की की तरह प्यार लफ्ज़ में कितना भरोसा रखती थी. वो सब कुच्छ थी जो एक मर्द को चाहिए होता है पर पता नही मुझे उससे ज़्यादा और क्या चाहिए था.

मैने एक हाथ से अपने कोट की पॉकेट चेक की. उम्मीद के मुताबिक ही मेरी .45 रिवॉलव मेरी जेब में थी. लोडेड.

खाना ख़तम करके उसने प्लेट्स हटाई और अंदर किचन में रख कर आ गयी. आते आते उसने म्यूज़िक सिस्टम पर एक स्लो रोमॅंटिक ट्यून लगा दी और वॉल्यूम इतना कर दिया के हमें बाहर तक आवाज़ आए.

"कम डॅन्स विथ मी" आते हुए उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाया.

"बट वी जस्ट एट" मैने मुस्कुरा कर जवाब दिया

"सो? कम ऑन" मेरा हाथ पकड़ कर उसने खींचा. मैं जानता था के वो ऐसा करेगी इसलिए उसके कोशिश करने से पहले ही उठ कर खड़ा हो गया.

"हॅव यू रियली, लव्ड ए वुमन ......" ब्रयान आडम्स की आवाज़ आ रही थी और हम दोनो के जिस्म एक दूसरे से सटे हुए, बहुत करीब, धीरे धीरे म्यूज़िक के साथ हिल रहे थे. उसके दोनो हाथ मेरे कंधे पर थे और मेरे उसकी कमर पर. मेरे कंधे पर रखे उसके चेहरे की साँस की गर्मी मैं अपनी गर्दन पर महसूस कर रहा था, और हर साँस के साथ उपेर नीचे होती उसकी चूचियों को अपने सीने पर महसूस कर रहा था.

घर के अंदर घड़ी ने 12 बजाए. मैं जानता था के अब वो क्या कहेगी.

"लेट्स गो टू दा बेडरूम. मेक लव टू मी. आइ वॉंट टू सेलेब्रेट और आनिवर्सयरी विथ यू इनसाइड मी" कहते हुए वो हल्की सी उपेर को उठी और अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिए.

कुच्छ पल बाद हम दोनो बेडरूम में खड़े एक दूसरे से लिपटे हुए थे.

"तुम्हारे बाल सफेद हो रहे हैं" धीरे से उसने मेरे कान में कहा "जवानी में बुड्ढे हो रहे हो. आइ होप के बेड पर अब भी पर्फॉर्म कर सकते हो"

कहकर वो धीरे से हँसी, वही प्यारी सी हँसी की आवाज़.

एक मर्द को और क्या चाहिए हो सकता है जो इसमें नही, मैने दिल ही दिल में सोचा.

"हॅव यू रियली लव्ड ए वुमन" ब्रयान आडम्स के गाने की आवाज़ फिर आई और मैं सोचने पर मजबूर हो गया के डिड आइ रियली लव हर?

उसने अपनी दोनो बाहें मेरे गले में डाल दो. शी लाइक्ड दा स्ट्रॉंग प्ले ऑफ माइ मसल्स.

"लव मी, जान," उसने धीरे से मेरे कान में कहा.जैसे के वो जानती हो के मैं क्या सुनना चाह रहा हूँ. यही वो लाइन थी जो उसने मुझसे 10 साल पहले कही थी और उसके बाद हर साल कहती आ रही थी पर मैं क्यूँ कभी उसको प्यार ना कर सका, ये मुझे कभी समझ नही आया.

मैने उसे अपनी बाहों में उठाया और बेड पर गिरा दिया. शी सॅट देर स्माइलिंग अप अट मी. शी वाज़ ब्यूटिफुल, एलिगेंट, ग्रेस्फुल, जेंटल, काइंड आंड हॉट, ऑल अट दा सेम टाइम, एवेरितिंग आइ कुड वॉंट इन ए वाइफ.

"तो इसके अलावा और क्या चाहिए मुझे?" मैने दिल ही दिल में सोचा और मेरा ध्यान कोट की जेब में रखी रेवोल्वेर पर गया.

मैने अपना कोट उतारकर एक तरफ रखा और अपनी ज़िप नीचे की. मेरा खड़ा हुआ लंड फ़ौरन ही बाहर आ गया.

वो मेरा इशारा अच्छी तरह समझती थी. आख़िर ये पहली बार तो नही था के हम एक दूसरे से प्यार कर रहे थे. मुस्कुराती हुई वो उठकर अपने घुटनो पर बैठ गयी, अदा से अपनी ज़ुलफ को लहराते हुए एक तरफ किया और मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा.

"उम्म, हा," मेरे मुँह से निकल पड़ा. उसके हाथ कितने ठंडे थे. एक नज़र मैने ए.सी. टेंपरेचर पर डाली.

"यू आर सो हार्ड," उसने कहा, और मुस्कुराते हुए मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया. हर टंग रेस्ड अराउंड थेथिcक टिप ऑफ माइ लंड अंटिल शी वाज़ लिटरली ड्रूलिंग. वो कभी दूसरी लड़कियों की तरह आराम से नही चूस्ति थी, सीधा लंड मुँह में लेते ही ऐसे चूसने लगती थी के मुझे लगता था के उसके मुँह में ही छूट जाऊँगा. आनंद की एक अजीब सी लहर मेरे पूरे शरीर में दौड़ गयी. मेरा लंड बेन्तेहाँ गरम हो चुका था और उसकी ठंडी गीली जीभ का टच एक अजीब सी उत्तेजना पैदा कर रहा था. खड़े खड़े मेरे पावं काँपने लगे और वो इशारा समझ गयी. वो लंड और भी तेज़ी से चूसने लगी. कभी मुँह में लेती तो कभी अपने होंठ लंड पर फिराने लगती.

आंड देन हर फिंगर्स रीच्ड आउट आंड फाउंड माइ बॉल्स. शी लाइट्ली करेस्ड देम, फोंदलिंगथें आंड प्लेयिंग वित देम और इसने जैसे मेरे दिल-ओ-दिमाग़ में एक जादू सा पैदा कर दिया. जिस तरह से मेरा लंड उसके मुँह में झटके खा रहा था, उससे मुझे पूरा यकीन था के वो भी समझ चुकी थी के मुझे कितना मज़ा आ रहा था. मैने अपने दोनो हाथों से उसके सर को पकड़े और अपने पेट की तरफ खींची लिया. मेरा पूरा लंड उसके मुँह गले तक उतार गया.

शी गॅस्प्ड, फीलिंग दा ब्लंट टिप ऑफ माइ कॉक बाउन्स ऑफ दा रूफ ऑफ हर माउत. शी स्वॉलोड हार्ड आंड देन माइ प्रिक रेस्ड पास्ट हर टॉन्सिल्स.
मेरा खड़ा लंड उसके गले के अंदर तक उतर चुका था. एक पल के लिए उसने पिछे हटने की कोशिश की, शायद उसका दम घुटने लगा था, पर फिर वो धीरे से शांत हो गयी और लंड के निचले हिस्से पर अपनी जीभ फिराने लगी.
कुच्छ पल बाद वो पिछे को हुई और लंड मुँह से निकाल कर लंबी लंबी साँस लेने लगी. देन शी टेन्स्ड हर जॉस और दांतो से मेरे लंड पर काटा. जिसमें मुझे तकलीफ़ होनी चाहिए थी उसमें भी मुझे मज़ा ही आया. आइ ग्रोंड. आंड शी इमीडीयेट्ली सक्ड इट बॅक इन हर माउत.

"... निकलने वाला है मेरा! बस करो, बस नही तो मुँह में ही निकल जाएगा! प्लीज़!"

उसने लंड मुँह से निकाला और पिछे को होकर बैठ गयी. मैने आगे बढ़कर उसका हाथ पकड़ना चाहा पर वो तेज़ी के साथ पिछे होते हुए आराम से लेट गयी और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी.

मैने अपनी पेंट के बटन खोले और उसको उतार कर पूरी तरह नंगा हो गया. मुझे देखते हुए उसने भी अपने गाउन के स्ट्रॅप्स अपने शोल्डर्स से खिसकाये और लेटे लेटे ही गाउन सरका कर अपने घुटनो से नीचे कर दिया.

हमेशा की तरह वो नीचे से नंगी थी. गाउन के नीचे कुच्छ भी नही था.

"फक मी नाउ" उसने अपनी बाहें मेरी तरफ फेलाइ "लव मूव, चोदो मुझे"

वो अच्छी तरह जानती थी के मुझे बिस्तर पर इस तरह की बातें कितना एग्ज़ाइट करती थी और वो इनका इस्तेमाल करना भी बखूबी जानती थी. बिस्तर पर चढ़ता हुआ मैं उसके करीब पहुँचा.

उसने अपनी टांगे धीरे से फेलाइ और हवा में उपेर को उठा ली.

"मेरी चूत को तुम्हारे लंड का इंतेज़ार है. आ जाओ. चोदो मुझे"

ये मेरे लिए बहुत से कहीं ज़्यादा था. मेरा लंड पूरे जोश में आ गया और मैं फ़ौरन उसकी टाँगो के बीच आ गया. लंड हाथ से पकड़ कर उसकी चूत पर रखा.

"गेट इन .... इन वन शॉट ..." उसने नीचे से अपनी गांद उपेर को उठाई.
मैने ज़ोर से धक्का मारा और मेरा लंड उसकी गीली चूत में अंदर तक धस गया.

"आआअहह" वो चिल्लाई "भर दो मुझे .... पूरी को भर दो"

लंड उसकी चूत में अंदर तक घुसा कर मैं उसके उपेर झुका और उसके होंठ को चूमा पर उसने मेरे बाल पकड़ते हुए मेरे सर को नीचे अपनी चूचियो की तरफ धकेल दिया,

"सक देम" किसी शेरनी की तरफ वो चिल्लाई "चूसो इन्हें, काटो, मस्लो. सक दा लाइफ आउट ऑफ देम"

मैने उसका निपल अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. मेरे बालों को पकड़े वो जैसे अपनी पूरी चूची मेरे मुँह में घुसाने की कोशिश कर रही थी.

"आआअहह" वो चिल्लाई और नीचे से अपनी गांद हिलाते हुए लंड अंदर बाहर करने की कोशिश करने लगी "चोदो मुझे जान ... जी भरके चोदो .... आज आनिवर्सयरी पर बोलो क्या चाहिए तुम्हें?"

मैं जानता था के अब वो क्या कहने वाली थी.

"बोलो क्या करना चाहते हो? मैं सब करूँगी आज की रात. तुम मेरी गांद मारना चाहते हो ना? आइ विल गिव यू माइ गांद. टेल मी व्हाट एल्स डू यू वॉंट लवर?"

मैं दिल ही दिल में मुस्कुरा उठा. वो हमेशा यही कहती थी पर ऐसा करने की नौबत आई नही थी.

"फक मीईईई" मैने हल्के से लंड बाहर खींचा तो वो फिर चिल्लाई
तभी बाहर लगी घड़ी में 1 बजा.

"लेट्स काउंट दा शॉट्स" वो फ़ौरन बोली "लेट्स सी इफ़ यू आर केपबल ऑफ 10,000 शॉट्स इन माइ चूत. बोलो है दम?"

मैने उसकी तरफ देखा और उसकी दोनो चूचियो को पकड़ कर नीचे से धक्के लगाने लगा. वो मेरे हर धक्के को गिन रही थी.

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उस पूरी रात मैं उसको जानवरो की तरह चोद्ता रहा और वो ही हमेशा की तरह बिस्तर पर लगातार मेरा मुक़ाबला करती रही. थक कर हम दोनो बिसर पर लुढ़क गये और वो मेरी बाहों में आराम से लेट गयी.

"कुच्छ सुनाऊं? " धीरे से वो मेरे कानो में बोली. मतलब मैं समझता था. उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और उसके होंठ चूम लिए.

"सूनाओ" मैने कहा और वो एक ग़ज़ल सुनाने लगी.


यूँ ना मिल हमसे, खफा हो जैसे,
साथ चल, मौज-ए-सबा हो जैसे.

लोग यूँ देख कर हंस देते हैं,
तूने मुझे भुला दिया हो जैसे,

इश्क़ को शर्क की हद तक ना बढ़ा,
यूँ ना मिल हमसे, खुदा हो जैसे.

मौत आई भी तो इस नाज़ के साथ,
मुझे कोई एहसान किया हो जैसे.

हिचकियाँ रात भर आती रही,
तुमने मुझे याद किया हो जैसे.

ज़िंदगी गुज़र रही है इस तरह,
बिना जुर्म कोई सज़ा हो जैसे.


बाहर घड़ी 5 बजा रही थी.

"यू वाना सी दा सन राइज़?" मैने उससे पुछा तो किसी छ्होटी बच्ची की तरह उसने फ़ौरन हां में सर हिला दिया.

"कम" कह कर मैं बिस्तर से उठा और वो भी मेरे पिछे पिछे ही उठ गयी.

तैयार होकर हम दोनो घर से निकले और थोड़ी देर चल कर एक पहाड़ की आखरी छ्होर पर पहुँचे. मेरा घर जहाँ बना हुआ था वहाँ दूर दूर तक कोई और घर नही था. बस सुनसान सड़क के किनारे एक पहाड़ के उपेर बना छ्होटा सा कॉटेज.

उसका हाथ पकड़े मैं पहाड़ की किनारे पर आकर खड़ा हो गया. हम दोनो के आगे अब एक गहरी खाई थी पर उसकी तरफ ना ध्यान उसका था, ना मेरा. सामने आसमान पर चाँद अब भी पूरा था और हल्की हल्की सूरज की लाली भी फेलनी शुरू हो गयी थी. ये एक ऐसा नज़ारा था जब आसमान पर रात का चाँद और सुबह का सूरज, दोनो एक साथ देखे जा सकते थे.

वो मुस्कुराते हुए पूरी दुनिया से बेख़बर सामने आसमान की और देख रही थी. मैं 2 कदम पिछे को हुआ और अपनी जेब पर हाथ रखा. ऱेवोल्वेर अब भी मौजूद थी.

मैं जेब में हाथ डाला और रेवोल्वेर बाहर निकाली.

"वक़्त हो चुका है" आसमान में उगते सूरज की तरफ देखते हुए मैने सोचा.

"सॉरी जान" एक नज़र उसपर डालते हुए मैं ज़ोर से बोला.

वो मेरी तरफ पलटी.

मेरी अंगुली ने रेवोल्वेर का लीवर खींचा.

हवा में गोली की आवाज़ गूँजी.

ऱेवोल्वेर से निकली गोली उसके माथे पर लगी और उसका खूबसूरत चेहरा बिगड़ गया.

पीछे को झटका खाते हुए वो लड़खड़ाई और खाई में जा गिरी.

कुच्छ देर तक वहीं खड़ा मैं लंबी साँस लेकर अपने आपको शांत करता रहा. जब धड़कन काबू में आ गयी तो मैने आगे बढ़कर खाई में झाँका.

नीचे पत्थर तो नज़र आ रहे थे पर उसकी लाश का कहीं नाम-ओ-निशान नही था. वो तो जैसे गिरते हुए कहीं हवा में ही गायब हो गयी थी.
मैने अपने हाथ की तरफ देखा. ऱेवोल्वेर भी मेरे हाथ से गायब हो चुकी थी.


"मौत आई भी तो इस नाज़ के साथ,
मुझपे कोई एहसान किया हो जैसे"


मुझे उसके कहे बोल याद आए और मैं पलट कर वापिस कॉटेज की तरफ चल पड़ा जहाँ पहुँच कर मुझे हर चीज़ फिर वैसे ही करनी थी जैसे की वो 10 साल पहले उस रात थी जब मैने उसका खून किया था.

पर क्या सच में मैं उसे मार पाया था? वो हर साल इसी रात फिर जाने कहाँ से लौट आती थी, जाने कैसे लौट आती थी और ये रात ठीक उसी तरह चलती थी जैसे की 10 साल पहले चली थी.

वो खाना बनती थी, हम खाते थे, एक दूसरे को प्यार करते थे, सन्राइज़ देखने आते थे और मैं हर सुबह उसका खून करता था. हर साल इसी रात वो जैसे अपनी मौत की कहानी दोहराने फिर चली आती थी. एक ऐसा सिलसिला जो ख़तम होने का नाम ही नही ले रहा था. एक ऐसी ग़लती जो कि तो मैने 10 साल पहले थी पर अब हर साल करनी पड़ रही थी.


"ज़िंदगी गुज़र रही है इस तरह
बिना जुर्म कोई सज़ा हो जैसे."
दोस्तो कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त



SILSILA



Kehte hain ke 2 cheezen insaan chahe jitni koshish kare, kabhi chhupa nahi sakta. Pehli cheez hai waste, shit, crap aur doosri cheez hoti hai jhooth. Aur vajah dono ke pichhe ek hi hai, dono cheezen badbu maarti hain. Koi bhi is badbu ko zyada waqt tak chhupa kar nahi rakh sakta aur agar aisa karne ki koshish kare, toh vo badbu ek lambe arse tak khud hi soonghni padti hai. Insaan ek jhooth bolta hai, phir use chhupane ke liye doosra jhooth, phir teesra aur jhooth bolne ka aisa silsila shuru ho jata hai jisse nijaat sirf sach bolkar hi paayi ja sakti hai, par kabhi kabhi aisa karne ke liye bhi bahut der ho chuki hoti hai.

Ek aisa hi khel kismat ne mere saath bhi khela. 10 saal pehle ek manhoos raat ko maine ek galti ki aur sabki nazar se usko chhupa toh liya par phir meri apni kartoot mere saamne is tarike se aa khadi hui ke main chah kar bhi kuchh kar nahi sakta tha. Us raat ki meri galti ne ek aisa atoot silsila shuru kar diya tha jise main lakh koshishon ke baad bhi rok nahi pa raha tha.
Kya karun, kya na karun, sar pakde aankhen band kiye betha yahi soch raha tha ke deewar par tangi purane zamane ki ghadi ne gyarah bajaye aur ghante ki aawaz poore ghar mein goonjne lagi.

"Waqt ho chuka hai" Maine dil hi dil mein socha

"Itne dhyaan se kya soch rahe ho?" Uski meethi surili aawaz mere kaan mein padi

Sar uthakar maine apni aankhen kholi aur uski taraf dekha. Vo mere saamne bethi muskura rahi thi.

"Sar mein dard hai? Daba doon?" Apne usi fikar karne wale andaz mein usne pyaar se puchha. Maine muskurate hue inkaar mein gardan hila di.

Ham dono mere Manali ke paas hi ek chhote se hill station mein bane ghar mein bethe the. Ye bungalow maine 12 saal pehle kharida tha aur aksar yahan aata rehta tha. Aasman mein chand poore noor par tha aur ham dono badi si balcony mein lagi hui dinner table par bethe the.

"Khana thanda ho raha hai jaan" Usne plate meri taraf badhate hue kaha "Kha lo. Kheer phir se thandi ho gayi hai, main garam kar laoon"

"Nahi rehne do" Maine kaha "Mujhe thandi hi pasand hai"

Kheer, dil hi dil mein main soch raha tha, hamesha ki tarah.

Pichhle 10 saal mein waqt ne usko zara bhi nahi badla tha. Vo aaj bhi vaisi thi. Lambe ghane kaale baal, teekhe nain naksh, gora rang, bhari bhari chhatiyan, labma kad. Aaj bhi kisi 20-22 saal ki ladki ki tarah pyaar lafz mein kitna bharosa rakhti thi. Vo sab kuchh thi jo ek mard ko chahiye hota hai par pata nahi mujhe usse zyada aur kya chahiye tha.

Maine ek haath se apne coat ki pocket check ki. Ummeed ke mutaabik hi meri .45 revolver meri jeb mein thi. Loaded.

Khana khatam karke usne plates hatayi aur andar kitchen mein rakh kar aa gayi. Aate aate usne music system par ek slow romantic tune laga di aur volume itna kar diya ke hamen bahar tak aawaz aaye.

"Come dance with me" Aate hue usne apna haath meri taraf badhaya.

"But we just ate" Maine muskura kar jawab diya

"So? Come on" Mera haath pakad kar usne khincha. Main janta tha ke vo aisa karegi isliye uske koshish karne se pehle hi uth kar khada ho gaya.

"Have you really, loved a woman ......" Bryan Adams ki aawaz aa rahi thi aur ham dono ke jism ek doosre se sate hue, bahut kareeb, dheere dheere music ke saath hil rahe the. Uske dono haath mere kandhe par the aur mere uski kamar par. Mere kandhe par rakhe uske chehre ki saans ki garmi main apni gardan par mehsoos kar raha tha, aur har saans ke saath uper neeche hoti uski chhatiyon ko apne seene par mehsoos kar raha tha.

Ghar ke andar ghadi ne 12 bajaye. Main janta tha ke ab vo kya kahegi.

"Lets go to the bedroom. Make love to me. I want to celebrate our anniversary with you inside me" Kehte hue vo halki si uper ko uthi aur apne honth mere hontho par rakh diye.

Kuchh pal baad ham dono bedroom mein khade ek doosre se lipte hue the.

"Tumhare baal safed ho rahe hain" Dheere se usne mere kaan mein kaha "Jawani mein buddhe ho rahe ho. I hope ke bed par ab bhi perform kar sakte ho"

Kehkar vo dheere se hasi, vahi pyaari si hasi ki aawaz.

Ek mard ko aur kya chahiye ho sakta hai jo ismein nahi, maine dil hi dil mein socha.

"Have you really loved a woman" Bryan Adams ke gaane ki aawaz phir aayi aur main sochne par majboor ho gaya ke Did i really love her?

Usne apni dono baahen mere gale mein daal do. She liked the strong play of my muscles.

"Love me, Jaan," Usne dheere se mere kaan mein kaha.Jaise ke vo jaanti ho ke main kya sunna chah raha hoon. Yahi vo line thi jo usne mujhse 10 saal pehle kahi thi aur uske baad har saal kehti aa rahi thi par main kyun kabhi usko pyaar na kar saka, ye mujhe kabhi samajh nahi aaya.

Maine use apni baahon mein uthaya aur bed par gira diya. She sat there smiling up at me. She was beautiful, elegant, graceful, gentle, kind and hot, all at the same time, everything i could want in a wife.

"Toh iske alawa aur kya chahiye mujhe?" Maine dil hi dil mein socha aur mera dhyaan coat ki jeb mein rakhi revolver par gaya.

Maine apna coat utarkar ek taraf rakha aur apni zip neeche ki. Mera khada hua lund fauran hi bahar aa gaya.

Vo mera ishara achhi tarah samajhti thi. Aakhir ye pehli baar toh nahi tha ke ham ek doosre se pyaar kar rahe the. Muskurai hui vo uthkar apne ghutno par beth gayi, ada se apni zulf ko lehrate hue ek taraf kiya aur mere lund ko apne haath mein pakda.

"Umm, huh," Mere munh se nikal pada. Uske haath kitne thande the. Ek nazar maine A.C. temperature par daali.

"You are so hard," usne kaha, aur muskurate hue mera lund apne munh mein le liya. Her tongue raced around thethick tip of my lund until she was literally drooling. Vo kabhi doosri ladkiyon ki tarah aaram se nahi choosti thi, sidha lund munh mein lete hi aise choosne lagti thi ke mujhe lagta tha ke uske munh mein hi chhut jaoonga. Aanand ki ek ajeeb si lehar mere poore shareer mein daud gayi. Mera lund beintehaan garam ho chuka tha aur uski thandi geeli jeebh ka touch ek ajeeb si uttejna paida kar raha tha. Khade khade mere paon kaanpne lage aur vo ishara samajh gayi. Vo lund aur bhi tezi se choosne lagi. Kabhi munh mein leti toh kabhi apne honth lund par phirane lagti.

And then her fingers reached out and found my balls. She lightly caressed them, fondlingthem and playing with them aur isne jaise mere dil-o-dimag mein ek jaadu sa paida kar diya. Jis tarah se mera lund uske munh mein jhatke kha raha tha, usse mujhe poora yakeen tha ke vo bhi samajh chuki thi ke mujhe kitna maza aa raha tha. Maine apne dono haathon se uske sar ko pakde aur apne pet ki taraf khinchi liya. Mera poora lund uske munh gale tak utar gaya.

She gasped, feeling the blunt tip of my cock bounce off the roof of her mouth. She swallowed hard and then my prick raced past her tonsils.
Mera khada lund uske gale ke andar tak utar chuka tha. Ek pal ke liye usne pichhe hatne ki koshish ki, shayad uska dam ghutne laga tha, par phir vo dheere se shaant ho gayi aur lund ke nichle hisse par apni jeebh phirane lagi.
Kuchh pal baad vo pichhe ko hui aur lund munh se nikaal kar lambi lambi saans lene lagi. Then she tensed her jaws aur daanto se mere lund par kaata. Jismein mujhe takleef honi chahiye thi usmein bhi mujhe maza hi aaya. I groaned. and she immediately sucked it back in her mouth.

"... Nikalne wala hai mera! Bas karo, bas nahi toh munh mein hi nikal jaayega! Please!"

Usne lund munh se nikala aur pichhe ko hokar beth gayi. Maine aage badhkar uska haath pakadna chaha par vo tezi ke saath pichhe hote hue aaram se let gayi aur meri taraf dekh kar muskurane lagi.

Maine apni pent ke button khole aur usko utaar kar poori tarah nanga ho gaya. Mujhe dekhte hue usne bhi apne gown ke straps apne shoulders se khiskaye aur lete lete hi gown sarka kar apne ghutno se neeche kar diya.

Hamesha ki tarah vo neeche se nangi thi. Gown ke neeche kuchh bhi nahi tha.

"Fuck me now" Usne apni baahen meri taraf phelayi "Love move, chodo mujhe"

Vo achhi tarah jaanti thi ke mujhe bistar par is tarah ki baaten kitna excite karti thi aur vo inka istemaal karna bhi bakhubi jaanti thi. Bistar par chadhta hua main uske kareeb pahuncha.

Usne apni taange dheere se phelayi aur hawa mein uper ko utha li.

"Meri choot ko tumhare lund ka intezaar hai. Aa jao. Chodo mujhe"

Ye mere liye bahut se kahin zyada tha. Mera lund poore josh mein aa gaya aur main fauran uski taango ke beech aa gaya. Lund haath se pakad kar uski choot par rakha.

"Get in .... in one shot ..." Usne neeche se apni gaand uper ko uthayi.
Maine zor se dhakka maara aur mera lund uski geeli choot mein andar tak dhas gaya.

"Aaaaahhhhhhh" Vo chillayi "Bhar do mujhe .... Poori ko bhar do"

Lund uski choot mein andar tak ghusa kar main uske uper jhuka aur uske honth ko chooma par usne mere baal pakadte hue mere sar ko neeche apni chhatiyon ki taraf dhakel diya,

"Suck them" Kisi sherni ki taraf vo chillayi "Chooso inhen, kaato, maslo. Suck the life out of them"

Maine uska nipple apne munh mein lekar choosna shuru kar diya. Mere baalon ko pakde vo jaise apni poori chhati mere munh mein ghusane ki koshish kar rahi thi.

"AAAAAHHHHHHHH" Vo chillayi aur neeche se apni gaand hilate hue lund andar bahar karne ki koshish karne lagi "Chodo mujhe jaan ... ji bharke chodo .... aaj anniversary par bolo kya chahiye tumhein?"

Main janta tha ke ab vo kya kehne wali thi.

"Bolo kya karna chahte ho? Main sab karungi aaj ki raat. Tum meri gaand marna chahte ho na? I will give you my gaand. Tell me what else do you want lover?"

Main dil hi dil mein muskura utha. Vo hamesha yahi kehti thi par aisa karne ki naubat aayi nahi thi.

"Fuck meeeeeeeee" Maine halke se lund bahar khincha to vo phir chillayi
Tabhi bahar lagi ghadi mein 1 baja.

"Lets count the shots" Vo fauran boli "Lets see if you are capable of 10,000 shots in my choot. Bolo hai dam?"

Maine uski taraf dekha aur uski dono chhatiyon ko pakad kar neeche se dhakke lagane laga. Vo mere har dhakke ko gin rahi thi.

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Us poori raat main usko jaanwaro ki tarah chodta raha aur vo hi hamesha ki tarah bistar par lagatar mera muqabla karti rahi. Thak kar ham dono bisar par ludhak gaye aur vo meri baahon mein aaram se let gayi.

"Kuchh sunaoon? " Dheere se vo mere kaano mein boli. Matlab main samjhta tha. Uski taraf dekh kar muskuraya aur uske honth choom liye.

"Sunao" Maine kaha aur vo ek ghazal sunane lagi.


Yun na mil hamse, khafa ho jaise,
Saath chal, mauj-e-saba ho jaise.

Log yun dekh kar has dete hain,
Tune mujhe bhula diya ho jaise,

Ishq ko shirk ki hadh tak na badha,
Yun na mil hamse, khuda ho jaise.

Maut aayi bhi toh is naaz ke saath,
Mujhe koi ehsaan kiya ho jaise.

Hichkiyan raat bhar aati rahi,
Tumne mujhe yaad kiya ho jaise.

Zindagi guzar rahi hai is tarah,
Bina jurm koi saza ho jaise.


Bahar ghadi 5 baja rahi thi.

"You wanna see the sun rise?" Maine usse puchha toh kisi chhoti bachchi ki tarah usne fauran haan mein sar hila diya.

"Come" Keh kar main bistar se utha aur vo bhi mere pichhe pichhe hi uth gayi.

Taiyyar hokar ham dono ghar se nikle aur thodi der chal kar ek pahad ki aakhri chhor par pahunche. Mera ghar jahan bana hua tha vahan door door tak koi aur ghar nahi tha. Bas sunsan sadak ke kinare ek pahad ke uper bana chhota sa cottage.

Uska haath pakde main pahad ki kinare par aakar khada ho gaya. Ham dono ke aage ab ek gehri khaayi thi par uski taraf na dhyaan uska tha, na mera. Saamne aasman par chand ab bhi poora tha aur halki halki sooraj ki laali bhi phelni shuru ho gayi thi. Ye ek aisa nazara tha jab aasman par raat ka chand aur subah ka sooraj, dono ek saath dekhe ja sakte the.

Vo muskurate hue poori duniya se bekhabar saamne aasman ki aur dekh rahi thi. Main 2 kadam pichhe ko hua aur apni jeb par haath rakha. Revolver ab bhi maujood thi.

Main jeb mein haath dala aur revolver bahar nikali.

"Waqt ho chuka hai" Aasman mein ugte sooraj ki taraf dekhte hue maine socha.

"Sorry Jaan" Ek nazar uspar daalte hue main zor se bola.

Vo meri taraf palti.

Meri anguli ne revolver ka lever khincha.

Hawa mein goli ki aawaz goonji.

Revolver se nikli goli uska maathe par lagi aur uska khoobsurat chehra bigad gaya.

Pichhe ko jhatka khaate hue vo ladkhadayi aur khaayi mein ja giri.

Kuchh der tak vahin khada main lambi saans lekar apne aapko shaant karta raha. Jab dhadkan kaabu mein aa gayi toh maine aage badhkar khaayi mein jhaanka.

Neeche patthar toh nazar aa rahe the par uski laash ka kahin naam-o-nishan nahi tha. Vo toh jaise girte hue kahin hawa mein hi gayab ho gayi thi.
Maine apne haath ki taraf dekha. Revolver bhi mere haath se gayab ho chuki thi.


"Maut aayi bhi toh is naaz ke saath,
Mujhpse koi ehsaan kiya ho jaise"


Mujhe uske kahe bol yaad aaye aur main palat kar vaapis cottage ki taraf chal pada jahan pahunch kar mujhe har cheez phir vaise hi karni thi jaise ki vo 10 saal pehle us raat thi jab maine uska khoon kiya tha.

Par kya sach mein main use maar paya tha? Vo har saal isi raat phir jaane kahan se laut aati thi, jaane kaise laut aati thi aur ye raat theek usi tarah chalti thi jaise ki 10 saal pehle chali thi.

Vo khana banati thi, ham khaate the, ek doosre ko pyaar karte the, sunrise dekhne aate the aur main har subah uska khoon karta tha. Har saal isi raat vo jaise apni maut ki kahani dohrane phir chali aati thi. Ek aisa silsila jo khatam hone ka naam hi nahi le raha tha. Ek aisi galti jo ki toh maine 10 saal pehle thi par ab har saal karni pad rahi thi.


"Zindagi guzar rahi hai is tarah
Bina jurm koi saza ho jaise."

samaapt





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