हिंदी सेक्सी कहानियाँ
चिराग
मिसेज़. शाँतिलाल को जब मैने देखा तो देखता ही रह गया. 35 साल की मिसेज़ शाँतिलाल कहीं से भी 25 से ज़्यादा की नहीं लग रही थी. गुलाबी रंगत लिए सफेद रंग, लंबा क़द बड़ी बड़ी आँखें. तराशे हुए होन्ट जैसे अभी उन मे से रस टपक पड़ेंगा.
सुरहिदार गर्दन के नीचे उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ कसी हुई ब्लाउस से साफ झलक रही थीं. पतली कमर और फिर पीछे काफ़ी उभार लिए नितंब.
"उहह...हुउऊउ..." जब मिसेज़. शाँतिलाल को लगा कि मैं जल्दी होश मे नहीं आने वाला तो उस ने अपने गला को साफ करते हुवे मेरा ध्यान भंग किया, तब मैं ह्ड्बाडा कर इधर उधर देखने लगा.
"म...म...मैं हरीश हूँ, आपकी फॅक्टरी का नया मुलाज़िम हूँ, मुझे सेठ जी ने आपके पास भेजा है."
" मैं तो प्रिया हूँ. ग्लॅड टू सी यू." उस ने अपना खूबसूरत हाथ आगे बढ़ाया और मुझे कुच्छ हरकत करता नही पाकर खुद मेरा हाथ खींच कर पकड़ लिया."ओके....पर क्या हम गेट पर ही बातें करें या अंदर चलें..." वह हँसी और मैं उसकी हँसी मे खो चुका था.
"बेटा हारीश आज तेरी खैर नहीं, तू सही सलामत निकल ले." यह सब
सोचते हुए मैं प्रिया के पिछे चल पड़ा. चलते हुए उसके नितंबों की थिरकन देख कर मेरा तो बुरा हाल था.
मेरा जूनियर मेरे अंडरवेर के अंदर उच्छल-कूद कर रहा था. उसे देख कर तो मुर्दों के भी खड़ा हो जाते, मैं तो एक तंदुरुस्त और हंडसॉम नौजवान था.
सेठ शाँतिलाल के ऑफीस मे आस आन अकाउंट क्लर्क मैं ने हफ्ते भर पहले जाय्न किया था. मेरे काम से सेठ काफ़ी खुश था. आज मैं जैसे ही ऑफीस पहुँचा सेठ जी ने अपने चेंबर मे बुला लिया. "हरीश, तुझे बुरा ना लगे तो क्या तुम मेरा एक घरेलू काम कर सकते हो."
सेठ जी की इंसानियत के तो मैं ने काफ़ी चर्चे सुने थे और आज सेठ की बात सुन कर मुझे यकीन हो गया.
"आप हुक्म कीजिए सर, मैं ज़रूर करूँगा."
"तुम कोठी चले जाओ. तुम्हारी मालकिन यानी मिसेज़ शाँतिलाल को कुच्छ शॉपिंग करनी है. शाम को वहीं से अपने घर चले जाना.
मैं सेठ शाँतिलाल के बेडरूम मे बैठा सॉफ्ट-ड्रिंक पीते हुए कमरे का जायेज़ा ले रहा था. सेठ जी की वाइफ प्रिया मुझे यहीं सोफे पर बिठा कर बाथरूम मे घुस चुकी थी.
"हारिस...थोड़ा टवल दे देना...सामने रखा है.''
मैं टवल लेकर बाथरूम के दरवाज़े पर पहुँचा. गेट पर हल्का हाथ रखा ही था कि वह खुल गया. गाते खुलने से मैं लड़खराया और बॅलेन्स बनाने के लिए एक कदम बाथरूम के भीतर रखा.
मगर मेरा पैर वहाँ रखे सोप पर पड़ा और मैं फिसलता हुआ सीधा बाथरूम मे घुस गया, जहाँ प्रिया मात्र एक छ्होटी सी पॅंटी मे खड़ी थी. मैं उस से टकराया और उसे लेते हुए बाथरूम की फर्श पर गिरा.
मुझे तो कोई खास चोट नहीं आई पर प्रिया को शायद काफ़ी चोटें आई थी. वो लगातार कराहे जा रही थी. उसका नंगा बदन और उसे दर्द से कराहता देख कर समझ मे नहीं आ रहा था की क्या करूँ.
"प्लीज़....मुझे उठाओ"मुझे कुच्छ करता ना देख वो कराहती हुई बोली. मैं झट से उसे उठा लिया. आ मैं उस चिकने और रेशम जैसे नर्म बदन को अपनी गोद मे उठाए हुआ था.
उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ मेरे सीने से चिपकी हुई थीं. उसका भीगा हुआ चेहरा मेरे चेहरे से आधे इंच दूर था. उसकी साँसें मेरे नथुनो से टकरा रही थीं.
मुझे ना जाने क्या हुआ कि अपने होन्ट उसके गुलाबी होंटो पर रख दिए. मैं उसकी आँखों मे देख रहा था. उसकी आँखों मे मुझे हैरत भरी खुशी दिखाई पड़ी, जबकि चंद सेकेंड पहले उसकी आँखों मे केवल तकलीफ़ दिखाई दे रही थी.
"जब काफ़ी देर बाद मैं ने अपने होन्ट अलग किए तो वह हाँफ रही थी. उसके चेहरे पर एक शर्मीली मुस्कुराहट थी. मैं तो अपने होश खो ही चुका था मगर उसकी नशीली मुस्कुराहट ने मुझे हौसला दिया.
मैं भूल गया था कि वह तकलीफ़ मे है. मेरे गुस्ताख
लब जैसे ही दुबारा आगे बढ़े अचानक उसने अपना हाथ आगे लाकर मुझे रोक दिया.
"बड़े जोशीले नौजवान हो तुम....लेकिन मैं तकलीफ़ मे हूँ.''उसी जानलेवा मुस्कुराहट के बीच वह बोली. मैं खुद को बुरा भला कहने लगा. उसे बेड पर ला कर धीरे से लिटा दिया.
वह अपने कूल्हे को पकड़ कर कराह रही थी.
"प्रिया जी मैं डॉक्टर को खबर करूँ?" उसके गोल गोल ठोस उभारो से बमुश्किल नज़रें हटाकर मैने पुछा.
"ओह्ह्ह.... नहीं...हारिस...तुम थोड़ी मालिश कर सकते हो?" मैं झट से तैयार हो गया. बेड के ड्रॉयर से मूव निकाल कर मैं मालिश करने पहुँच गया.
"मेरी पॅंटी गीली है....इसे प्लीज़ निकाल दो और पहले वह चादर मुझ पर डाल दो. ओह्ह्ह.."
मैने सामने हॅंगर पर रखा बारीक सा चादर उस पर डाल दिया, तब मुझे पता चला कि उसका हाहकारी जिस्म इस नाज़ुक सी चादर मे नहीं छुप सकता.
अब मुझे उस अप्सरा की पतली कमर के नीचे विशाल चूतदों से उसकी पॅंटी खिचना. मेरे होन्ट सुख रहे थे. चादर के भीतर उस का एक एक अंग पूरी आबो ताब के साथ चमक रहा था.
मैं ने धीरे से उसकी जाँघो के पास चादर मे अपने दोनों हाथ घुसाए. वो शांत पीठ के बल लेटी मेरे एक एक हरकत को देख रही थी. उसके चेहरे पर मंद मुस्कुराहट खेल रही थी. जब मेरी नज़र उसके मुस्कुराते लबों पर पड़ी तो मैं और भी नर्वस हो गया.
मेरी हाथों की लरज़िश साफ देखी जा सकती थी. आख़िर मेरी उंगली उसकी जाँघ च्छू गयी. क्या कहूँ उस रेशमी अहसास का. मेरी पूरी हथेली और उंगलियाँ उसकी जांघों से सॅट कर बहुत ही धीरे धीरे उपर की तरफ बढ़ रहे थे.
"उफफफफ्फ़....ओह्ह्ह" उसकी आवाज़ मे तकलीफ़ कम और मस्ती ज़्यादा थी. हथेलियों का सफ़र जारी था. इसी बीच मेरे दोनो अंगूठे जांघों की जोड़ पर रुक गये. जब मेरा उधर ध्यान गया तो मैं पसीने पसीने हो गया. गीली पॅंटी उसकी योनि से चिपक गयी यही. मेरे अंगूठे उसके
उभरी हुई योनि को ढके हुए थे. प्रिया की साँसें अचानक तेज़ चलने लगी थीं.
मैं अपने हाथो को और उपर सरकाते हुए पॅंटी की एलास्टिक तक पहुँच ही गया. "हारीश...जल्दी करो ना.." अपनी उठती गिरती साँसों के बीच कराहती आवाज़ मे बोली. मैं ने दोनो तरफ से एलएस्टिक मे उंगलियाँ डाल कर पॅंटी को नीचे खिचना शुरू किया.
"पता नहीं इतनी छ्होटी पॅंटी कैसे पहनती है." बड़ी मुश्किल से मैं उसे नीचे खींच रहा था. उसने अपनी चूतड़ उठा कर पॅंटी निकालने मे मेरी मदद की.
पारदर्शी चादर से उसके शरीर का एक एक कटाव सॉफ झलक रहा था. आज मैं ज़िंदगी मे पहली बार किसी जवान औरत को सर से पैर तक नंगा देख रहा था.
मेरे लिंग का तनाव बाहर से सॉफ पता चल रहा था जिसे च्छुपाने का कोई उपाए नहीं था.
मूव हाथ मे लेकर मैं बेड पर बैठ गया. टाइट जींस के कारण मुझे बैठने मे परेशानी को देख कर उसने मुझे पॅंट उतार कर बैठने को कहा. शरमाते, झिझकते मैं अपना पॅंट उतार कर बैठ गया. तभी वह पलट कर पेट के बल हो गयी साथ साथ
चादर सिमट कर एक साइड हो गयी और पीछे से उसका पूरा शरीर खुल गया.
उस ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने नितंब पर रखा और मालिश करने को कहा. काँपते हाथों से उसके पहाड़ से उभरे, चिकने और गोरे चूतदों पर मूव की मालिश करने लगा.
मेरा 8'' का लिंग अंडरवेर से बाहर निकलने को बेताब था. एक बार जब मेरी नज़र उस के चेहरे की तरफ गयी ती उसे मेरे लिंग के उभार की तरफ देखता पाकर शर्मा गया लेकिन कोई चारा नहीं था.
तभी उसी हालत मे लेटे लेटे एक हाथ मेरे लिंग के उभार पर रख दिया. मैं तो एकदम थर्रा गया.
"क्यों तकलीफ़ दे रहे हो ऐसे, बाहर निकाल दो." वह धीरे से वहाँ हाथ फेरते हुए बोली.
मुझे तो लग रहा था कि अब च्छुटा तब च्छुटा. बड़ी मुश्किल से खुद पर काबू पाता हुआ
बोला
"ये...ये आप क्या कर रही हैं?"
अचानक वह उठी और मुझे धक्का दे कर बेड पर गिरा दी. मेरे बॉक्सर को तेज़ी के साथ निकल दी. मैं कुच्छ सोचता उस से पहले मेरा एरेक्ट लिंग अपने हाथों मे ले चुकी थी. मैं कुच्छ रेज़िस्ट करने की हालत मे नहीं था.
अचानक अपना सर झुका कर मेरे लिंग के छेद से निकल रहे प्रेकुं की बूँद को ज़ुबान से चाट लिया. उसी हालत मे अपनी ज़बान को लिंग की लंबाई मे उपर से नीचे की ओर ले गयी, फिर नीचे से उपर की ओर आई.
मेरे शरीर का सारा खून जैसे सिमट कर मेरे लिंग तक आ चुका था. मेरे लाख कोशिश के बाद भी मैं नहीं रुक सका और मेरे लिंग से वीर्य की तेज़ धार छूट पड़ी.
एक दो तीन....पता नहीं कितनी पिचकारियाँ निकली और उस का पूरा चेहरा मेरे वीर्य से भर गया.
उसके चेहरे पर खुशी भरी मुस्कान थी.
मैं काफ़ी शर्मिंदा था. जल्दी छूट जाने के कारण भी और अपने वीर्य से उसका चेहरा भर देने के कारण भी. मगर मैं करता भी क्या. मैं मजबूर था.
मेरी सोच को उसने पढ़ लिया और बोली.."यार...कितने दिन का जमा कर रखा था. इतनी जल्दी छूट पड़े. लगता है तुम ने कभी चुदाई नहीं की है. चलो आज मैं तुम्हें सब सिखा दूँगी." और वह खिलखिला कर हंस पड़ी.
उसने मेरी शर्ट और बनियान उतार दी. अब हम दोनो एक दूसरे के सामने पूरी तरह नंगे थे.
झरने के बाद मेरा जोश कुच्छ कम हो गया था और फिर से मैं झिझक रहा था. यह देख वो बोली "क्यों मुझे गोद मे उठा कर तो खूब किस करना चाह रहे थे अब क्या हुआ."
"प्रिया जी यह सब ठीक है क्या?"
"ठीक है या नहीं, मैं नहीं जानती...पर क्या मैं और मेरा यह गुलाबी रेशमी बदन तुम्हें अच्छा नहीं लगा क्या?" कहते हुए वो एक मस्त अंगड़ाई ली. उसकी चुचियों का उभार और बढ़ गया था. निपल्स और भी खड़े हो गये थे. अब चाहे जो हो मैं दिल की बात पर चलने को तैयार था.
"आप...आप की यह मस्त अंगड़ाई तो साधुओं की तपस्या भंग करने वाली है." और मैं ने उसे अपनी बाहों मे कस लिया. मेरे होन्ट उसके रसभरे होन्ट से जुड़ गये.
वो भी किस मे पूरा पूरा मज़ा ले रही थी. दोनों की ज़बाने एक दूसरे से उलझ रही थीं. अब मैं उसके गालों को चूमता हुआ दाएँ कान की लॉ तक गया. वह मस्ती मे मोन कर रही थी. फिर उसी तरह किस करता हुआ बाएँ कान की लॉ तक गया.
मेरा एक हाथ उसकी मस्त नितंबों को मसल रहा था और दूसरा हाथ उसकी चुचियों से खेल रहा था. अयाया....क्या अहसास था.
मैं उसके गले पर अपने होतों का निशान छ्चोड़ता हुवा उन उन्नत पहाड़ियों तक पहुँचा. दोनो स्तनों के बीच की घाटी मे अपना मुँह डाल कर रगड़ने लगा.
मेरा लंड फिर से अपनी पूरी लंबाई को पा कर अकड़ रहा था और उसकी नाभि के आसपास धक्के मार रहा था. इन सब से वह इतना बेचैन हो गयी कि अपनी एक चूंची को पकड़ कर मेरे मुँह मे डाल दी. मैं बारी बारी से काफ़ी देर तक दोनों चुचियों को चूस चूस कर मज़े ले रहा था.
उसके मुँह से भी उफ़फ्फ़....आअहह....यअहह....चूऊवसो..और चूसो...जैसे शब्द निकल रहे थे. अब मैं चुचियों को छ्चोड़ कर नीचे बढ़ा. उस की नाभि बहुत ही सुंदर और सेक्सी थी. अपनी ज़ुबान उसमे डाल कर मैं उसे चूसने लगा. वह तो एक्सिटमेंट से तड़प
रही थी. जल्द ही मैं और नीचे बढ़ा.मेरे दोनों हाथ उसके चूतदों पर कस गये.
मेरे सामने उसका सबसे कीमती अंग क्लीन शेव्ड योनि थी. उसकी चूत तो किसी कुँवारी लड़की जैसी थी. अपनी दो उंगलियों की मदद से मैने उसके लिप्स खोले और अपना मुँह लगा दिया.
वहाँ तो पहले से ही नदियों जैसी धारा बह रही थी. उन्हें चूस कर साफ करता मैं अपनी ज़बान उसमे डाल दिया.
उसकी सिसकियाँ तेज़ से तेज़ होती जा रही थी. तभी उसने मेरे सर को ज़ोर से अपनी चूत पर दबा दिया और एक बार फिर झाड़ गयी.
"हारीश डार्लिंग अब आ जाओ, डाल दो अपना मूसल मारी चूत मे, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा....उफफफ्फ़."
मैं भी अब ज़्यादा देर नही करने की पोज़िशन मे था. उसे पीठ के बल लिटा कर उसके पैरों के बीच आ गया. उसने खुद अपनी दोनों जांघें फैला ली.
मैं अपने लंड के सुपादे को उसकी लव होल पर रखा ओर ज़ोर का धक्का मारा. लगभग 2'' लंड अंदर गया और साथ साथ वो ज़ोर से चीख पड़ी..."ओववव....माआंन्न.....मर गयी....ऊओह"
मुझे बड़ा ताज्जुब हुया कि वह वर्जिन लड़की की तरह कर रही थी. इसे मैं उसका नाटक समझ कर एक के बाद एक कई ज़ोरदार झटके लगा दिए. मेरे लंड मे काफ़ी जलन होने लगी थी.
उसकी चूत तो सचमुच किसी कुँवारी की तरह कसी हुई थी. वह दर्द से छॅट्पाटा रही थी और तेज़ तेज़ चीख रही थी. मैने उसकी चीखों को रोकने की कोशिश भी नहीं किया.
उसका अपना घर था.अपनी मर्ज़ी से छुड़वा. रही थी.
मैं अपना पूरा लंड अंदर डाल कर थोड़ी देर रुक गया और उसकी चुचियों और होन्ट को चूसने लगा. कुच्छ ही पलों मे वह रेलेक्स लगने लगी और अपनी गांद उठा कर हल्का झटका
दिया.
मैं समझ गया कि अब उसकी तकलीफ़ ख़त्म हो चुकी है. फिर तो मैं जो स्पीड पकड़ा कि उसकी तो नानी याद आ गयी. कितने तरह की आवाज़ें उसके मूह से निकल रही थी. कई बार वह झाड़ चुकी थी.
आख़िरकार मेरा भी वक़्त क़रीब आ गया. मैने अपने झटकों की रफ़्तार और तेज़ कर दी. दो चार मिनट के बाद मैं उसकी चूत मे झाड़ गया.
हम दोनो पसीने से तर हो चुके थे और हमारी साँसें तेज़ तेज़ चल रही थीं. दोनों अगल बगल लेट कर अपनी साँसें दुरुस्त करने लगे.
दस मिनट बाद वह उठी और ज़ोर से मुझसे लिपट गयी. मेरे चेहरे पर चुंबनों की झड़ी लगा दी.
"हारीश...मेरी जान... आज तुमने मुझे वो खुशी दी है जिस से मैं आज तक अंजान थी.''
"मगर तुम तो शादी शुदा हो...फिर..?" और मुझे उसका चीखना चिल्लाना याद आ गया.
"मैं आज तक कुँवारी थी....और तुम...एक वर्जिन लड़के ने आज मेरा कुँवारापन ख़त्म किया है." और उस ने मेरे लंड की ओर इशारा किया.
मैने अपने लंड को देखा तो दंग रह गया. वह खून से सना हुवा था. उसकी चूत के आस पास भी खून था.
"तो..मतलब सेठ जी..."
"हां वो नमार्द है"
हम दोनों ने बाथरूम जाकर एक दूसरे की सफाई की. बाथरूम मे भी फर्श पर उसकी जम कर चुदाई की. वह एकदम मस्त हो गयी. फिर मैं कपड़े पहन कर चला गया.
यह सिलसिला कई माह तक चला. सेठ जी मुझे अपनी कोठी भेज दिया करते थे, जहाँ मैं तरह तरह से उनकी वाइफ प्रिया की चुदाई करता.
मेरी तरक्की भी हो चुकी थी और मैं अपने ऑफीस की ही एक सुंदर सी लड़की से शादी कर चुका था.
मेरी जाय्निंग के 9 महीना बाद मैं अपनी वाइफ के साथ उनकी कोठी मे एक फंक्षन मे शामिल था. सेठ जी के अंधेरे घर मे उनका चिराग आ चुका था. प्रिया ने एक सुंदर से बेटे को जन्म दिया था. ना जाने क्यों मैने अपनी वाइफ को उस बच्चे के पास नहीं जाने दिया.
समाप्त
Chiraag
Mrs. Shantilal ko jab main dekha to dekhta hi rah gaya. 35 saal ki Mr Shantilal kahin se bhi 25 se zyada ki nahin lag rahi thi. Gulaabi rangat liye safed rang, lamba qad badi badi aankhen. Taraashe huye hont jaise abhi un me se ras tapak padenge.
Surahidar gardan ke niche uski badi badi chuchiyan kasi huyi blouse se saaf jhalak rahi thin. Patli kamar aur phir piche kaafi ubhaar liye nitamb.
"Uhhh...huuuu..." Jab Mrs. Shantilal ko laga ki main jaldi hosh me nahin aane wala to us ne apne gala ko saaf karte huwe mera dhyan bhang kiya, tab main hdbada kar idhar udhar dekhne laga.
"M...m...main Haaris hun, aapki factory ka naya mulazim hun, mujhe sethji ne aapke paas bheja hai."
" Main to Priya hun. Glad to see you." us ne apna khubsurat haath aage badhaya aur mujhe kuchh harkat karta nahi pakar khud mera hath khinch kar pakad liya."Okay....par kya ham gate par hi baaten karen ya andar chalen..." wah hansi aur mai uski hansi me kho chuka tha.
"Beta Haaris aaj teri khair nahin, tu sahi salamat nikal le." yah sab
sochte huye mai Priya ke pichhe chal pada. Chalte huye uske nitambon ki thirkan dekh kar mera to bura haal tha.
Mera junior mere underwear ke andar uchhal-kood kar raha tha. Usay dekh kar to murdon ke bhi khada ho jaate, main to ek tandurust aur handsom naujawaan tha.
Seth Shantilal ke office me as an account clerk main ne hafte bhar pahle join kiya tha. Mere kaam se seth kaafi khush tha. Aaj main jaise hi office pahuncha seth ji ne apne chamber me bula liya. "Haaris, tujhe bura na lage to kya tum mera ek gharelu kaam kar sakte ho."
Seth ji ki insaaniyat ke to main ne kafi charche sune the aur aaj seth ki baat sun kar mujhe yakeen ho gaya.
"Aap hukm kijiye sir, main zarur karunga."
"Tum kothi chale jaao. Tumhari maalkin yaani Mrs Shantilal ko kuchh shopping karni hai. Sham ko wahin se apne ghar chale jana.
Main seth Shantilal ke bedroom me baitha soft-drink pite huye kamre ka jaayeza le raha tha. Sethji ki wife Priya mujhe yahin sofe par bitha kar bathroom me ghus chuki thi.
"Haaris...thoda towel de dena...samne rakha hai.''
Main towel lekar bathroom ke darwaaze par pahuncha. Gate par halka hath rkha hi tha ki wah khul gaya. Gate khulne se main ladkharaya aur balance banane ke liye ek kadam bathroom ke bhitar rakha.
Magar mera pair wahaan rakhe soap par pada aur main kisi fisalta hua sidha bathroom me ghus gaya, jahaan priya maatr ek chhoti si panty me khadi thi. Main us se takraya aur usay lete huye bathroom ki farsh par gira.
Mujhe to koi khas chot nahin aayi par priya ko shayad kaafi choten aayi thi. Wo lagatar karaahe ja rahi thi. Uska nanga badan aur usay dard se karahta dekh kar samajh me nahin aa raha tha ki kya karun.
"Please....mujhe uthaao"Mujhe kuchh karta na dekh wo karahti huyi boli. Main jhat se usay utha liya. Aah main us chikne aur resham jaise narm badan ko apni god me uthaye hua tha.
Uski badi badi chuchiyan mere seene se chipki huyi thin. Uska bhiga hua chehra mere chehre se aadhe inch door tha. Uski saansen mere nathuno se takra rahi thin.
Mujhe na jaane kya hua ki apne hont uske gulaabi honton par rakh diya. Mai uski aankhon me dekh raha tha. Uski aankhon me mujhe hairat bhari khushi dikhaayi padi, jabki chand second pahle uski aankhon me kewal taklif dikhayi de rahi thi.
"Jab kaafi der baad mai ne apne hont alag kiye to wah haanf rahi thi. Uske chehre par ek sharmeeli muskurahat thi. Main to apne hosh kho hi chuka tha magar uski nashili muskurahat ne mujhe hausla diya.
Main bhool gaya tha ki wah taklif me hai. Mere gustakh
lab jaise hi dubara aage badhe achanak usne apna hath aage lakar mujhe rok diya.
"Bade joshile naujawan ho tum....lekin main taklif me hun.''Usi jaanlewa muskuraahat ke bich wah boli. Main khud ko bura bhala kahne laga. Usay bed par la kar dhire se lita diya.
Wah apne kulhe ko pakad kar karaah rahi thi.
"Priya ji main doctor ko khabar karun?" uske gol gol thos ubharonse bamushkil nazren hatakar maine puchha.
"Ohhh.... nahin...Haaris...tum thodi maalish kar sakte ho?" Main jhat se taiyar ho gaya. Bed ke drower se moov nikal kar main maalish karne pahunch gaya.
"Meri panty geeli hai....isay please nikal do aur pahle wah chadar mujh par daal do. Ohhh.."
Maine samne hanger par rakha bareek sa chadar us par daal diya, tab mujhe pata chala ki uska hahakari jism is naazuk si chadar me nahin chup sakte.
Ab mujhe Us apsara ki patli kamar ke niche vishal chutadon se uski panty khichna. Mere hont sukh rahe the. Chadar ke bhitar us ka ek ek ang puri aabo taab ke sath chamak raha tha.
Main ne dhire se uski jangho ke paas chadar me apne donon haath ghusaye. Wo shaant pith ke bal leti mere ek ek hakat ko dekh rahi thi. Uske chehre par mand muskurahat khel rahi thi. Jab meri nazar uske muskurate labon par padi to main aur bhi narvous ho gaya.
Meri hathon ki larzish saaf dekhi ja sakti thi. Akhir meri ungli uski jangh chhu gayi. Kya kahun us reshmi ahsaas ka. meri puri hatheli aur ungliyan uski jaanghon se sat kar bahut hi dhire dhire upar ki taraf badh rahe the.
"Ufffff....ohhh" uski aawaz me taklif kam aur masti zyada thi. Hatheliyon ka safar jaari tha. Isi bich mere dono anguthe janghon ki jod par ruk gaye. Jab mera udhar dhyan gaya to main paseene paseene ho gaya. geeli panty uski yoni se chipak gayi yhi. Mere anguthe uske
ubhri huyi yoni ko dhake huye the. Priya ki saansen achanak tez chalne lagi thin.
Main apne hatho ko aur upar sarkaate huye panty ki elastic tak pahunch hi gaya. "Haaris...jaldi karo na.." apni uthti girti saanson ke bich karahti aawaz me boli. Main ne dono taraf se elestic me ungliyan daal kar panty ko niche khichna shuru kiya.
"Pata nahin itni chhoti panty kaise pahanti hai." badi mushkil se main usay niche khinch raha tha. Usne apni chutad utha kar panty nikaalne me meri madad ki.
Paardarshi chadar se uske sharir ka ek ek kataao saaf jhalak raha tha. Aaj main zindagi me pahli baar kisi jawan aurat ko sar se pair tak nanga dekh raha tha.
Mere ling ka tanaaw bahar se saaf pata chal raha tha jise chhupane ka koi upaaye nahin tha.
Moov haath me lekar main bed par baith gaya. Tight jeens ke karan mujhe baithne me pareshani ko dekh kar usne mujhe pant utaar kar baithne ko kaha. Sharmaate, jhijhakte main apna pant utaar kar baith gaya. Tabhi wah palat kar pet ke bal ho gayi saath saath
chadar simat kar ek side ho gayi aur piche se uska pura sharir khul gaya.
Us ne mera haath pakad kar apne nitamb par rakha aur malish karne ko kaha. Kaanpte hathon se uske pahaad se ubhre, chikne aur goray chutadon par moov ki maalish karne laga.
Mera 8'' ka ling underwear se baahar nikalne ko betaab tha. Ek baar jab meri nazar us ke chehre ki taraf gayi ti use mere ling ke ubhar ki taraf dekhta pakar sharma gaya lekin koi chara nahin tha.
Tabhi usi halat me lete lete ek hath mere ling ke ubhar par rakh di. Main to ekdam tharra gaya.
"Kyon takleef de rahe ho isay, baahar nikaal do." wah dhire se wahan hath pherte huye boli.
Mujhe to lag raha tha ki ab chhuta tab chhuta. Badi mushkil se khud par kaabu paata hua
bola
"Ye...ye aap kya kar rahi hain?"
Achanak wah uthi aur mujhe dhakka de kar bed par gira di. Mere boxer ko tezi ke sath nikal di. Mai kuchh sochta us se pahle mera erect ling apne hathon me le chuki thi. Main kuchh resist karne ki halat me nahin tha.
Achanak apna sar jhuka kar mere ling ke chhed se nikal rahe precum ki boond ko zuban se chat li. Usi halat me apnni zaban ko ling ki lambaai me upar se niche ki or le gayi, phir niche se upar ki or aayi.
Mere sharir ka saara khoon jaise simst kar mere ling tak aa chuka tha. Mere lakh koshish ke baad bhi main nahin ruk saka aur mere ling se weerya ki tez dhaar chut padi.
Ek do ten....pata nahin kitni pichkariyan nikli aur us ka pura chehra mere veerya se bhar gaya.
Uske chehre par khushi bhari muskan thi.
Main kaafi sharminda tha. Jaldi chhut jaane ke kaaran bhi aur apne veerya se uska chehra bhar dene ke karan bhi. Magar main karta bhi kya. Main majbur tha.
Meri soch ko usne padh liya aur boli.."yaar...kitne din ka jama kar rkha tha. Itni jaldi chhut pade. Lagta hai tum ne kabhi chudaai nahin ki hai. Chalo aaj main Tumhen sab sikha doongi." aur wah khilkhila kar hans padi.
Usne meri shirt aur bniyan utar di. Ab ham dono ek dusray ke samne puri tarah nange the.
Jharne ke baad mera josh kuchh kam ho gaya tha aur phir se mai jhijhak raha tha. Yah dekh wo boli "Kyon mujhe god me utha kar to khub kiss karna chaah rahe the ab kya hua."
"Priya ji yah sab thik hai kya?"
"Thik hai ya nahin, main nahin jaanti...par kya main aur mera yah gulabi reshmi badan tumhen achha nahin laga kya?" Kahte huye wo ek mast angdaayi li. Uski chuchiyon ka ubhaar aur badh gaya tha. Nipples aur bhi khade ho gaye the. Ab chahe jo ho mai dil ki baat par chalne ko tayar tha.
"Aap...aap ki yah mast angdaayi to sadhuon ki tapassya bhang karne wali hai." aur main ne usay apni baahon me kas liya. Mere hont uske rasbhare hont se jud kaye.
Wo bhi kiss me pura pura maza le rahi thi. Donon ki zabaanen ek dusre se ulajh rahi thin. Ab main uske galon ko chumta hua dayen kan ki law tak gaya. Wah masti me moan kar rahi thi. Phir usi tarah kiss karta hua baayen kaan ki law tak gaya.
Mera ek hath uski mast nitambon ko masal rahe the aur dusra hath uski chuchiyon se khel raha tha. Aaaah....kya ahsaas tha.
Main uske gale par apne hoton ka nishaan chhodta huwa un unnat pahadiyon tak pahuncha. Dono stanon ke bich ki ghati me apna munh dal kar ragadne laga.
Mera lund phir se apni puri lambayi ko pa kar akad raha tha aur uski nabhi ke aaspaas dhakke maar raha tha. Insab se wah itna bechain ho gayi ki apni ek chunchi ko pakad kar mere munh me daal di. Main baari baari se kaafi der tak donon chuchiyon ko chus chus kar maze le raha tha.
Uske munh se bhi ufff....aaahhh....yeahhhh....choooooso..aur chooso...jaise shabd nikal rahe the. Ab main chuchiyon ko chhod kar niche badha. Us ki naabhi bahut hi sundar aur sexy thi. Apni zubaan usme daal kar main usay chusne laga. Wah to excitment se tadap
rahi thi. Jald hi mai aur niche badha.Mere donon haath uske chutadon par kas gaye.
Mere saamne uska sabse keemti ang clean shaved yoni thi. Uski chut to kisi kunwari ladki jaisi thi. Apni do ungliyon ki madad se maine uske lips khole aur apna munh laga diya.
Wahaan to pahle se hi nadiyon jaisi dhara bah rahi thi. Unhen choos kar saaf karta main apni zabaan usme daal diya.
Uski siskiyaan tez se tez hoti ja rahi thi. Tabhi usne mere sar ko zor se apni choot par daba diya aur ek baar phir jhad gayi.
"Haaris darling ab aa jaao, daal do apna musal mari choot me, ab bardaasht nahin ho raha....uffff."
Main bhi ab zyada der nahi karne ki position me tha. Usay pith ke bal lita kar uske pairon ke bich aa gaya. Usne khud apni donon jaanghen phaila li.
Main apne land ke supaade ko uski love hole par rakha or zor ka dhakka maara. Lagbhag 2'' land andar gaya aur saath sath wo zor se cheekh padi..."Owww....maaaannn.....mar gayi....ooohhhh"
Mujhe bada tajjub huya ki wah virgin ladki ki tarah kar rahi thi. Isay main uska naatak samajh kar ek ke baad ek kai Zordar jhatke laga diye. Mere land me kaafi jalan hone lagi thi.
Uski chut to sachmuch kisi kunwari ki tarah kasi huyi thi. Wah dard se chhatpata rahi thi aur tez tez cheekh rahi thi. Main uski chikhon ko rokne ki koshish bhi nahin kiya.
Uska apna ghar tha.Apni marzi se chudwa rahi thi.
Main apna pura land andar daal kar thodi der ruk gaya aur uski chuchiyon aur hont ko chusne laga. Kuchh hi palon me wah relex lagne lagi aur apni gaand utha kar halka jhatka
di.
Main samajh gaya ki ab uski taklif khatm ho chuki hai. Phir to main jo speed pakda ki uski to naani yaad aa gayi. Kitne tarah ki aawazen uske muh se nikal rahi thi. Kai baar wah jhad chuki thi.
Aakhirkaar mera bhi waqat qareeb aa gaya. Maine apne jhatkon ki raftaar aur tez kar di. Do chaar minut ke baad main uski choot me jhad gaya.
Ham dono paseene se tar ho chuke the aur hamaari saansen tez tez chal rahi thin. Donon agal bagal let kar apni saansen durust karne lage.
Das minat baad Wah uthi aur zor se mujhse lipat gayi. Mere chehre par chumbanon ki jhadi laga di.
"Haaris...meri jaan... aaj tumne mujhe wo khushi di hai jis se main aaj tak anjaan thi.''
"Magar tum to shadi shuda ho...phir..?" aur mujhe uska chikhna chillana yaad aa gaya.
"Main aaj tak kunwari thi....aur tum...ek virgin ladke ne aaj mera kunwarapan khatm kiya hai." aur us ne mere land ki or ishara kiya.
Mai apne land ko dekha to dang rah gaya. Wah khoon se sana huwa tha. Uski choot ke aas paas bhi khoon the.
"To..matlab seth ji..."
"haan wo namard hai"
Ham donon ne bathroom jakar ek dusre ki sfaai kiya. Bathroom me bhi farsh par uski jam kar chudaai kiya. Wah ekdam mast ho gayi. Phir main kapde pahan kar chala gaya.
Yah silsila kai maah tak chala. Sethji mujhe apni kothi bhej diya karte the, jahaan mai tarah tarah se unki wife Priya ki chudaayi karta.
Meri tarakki bhi ho chuki thi aur main apne office ki hi ek sundar si ladki se shadi kar chuka tha.
Meri joining ke 9 mahina baad main apni wife ke saath unki kothi me ek function me shamil tha. Seth ji ke andhere ghar me unka chiraag aa chuka tha. Priya ne ek sundar se bete ko janm diya tha. Na jaane kyon main apni wife ko us bachche ke paas nahin jaane diya.
samaapt
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