हिंदी सेक्सी कहानियाँ
हम तीनों एक साल से शहर में पढ़ रहे थे। मैं और मेरी बहन मुन्नी और गांव में ही रहने वाली पड़ोस की एक मुन्नी की हम उम्र राधा, अब हम तीनों ही कॉलेज में दूसरे साल में आ चुके थे। इस एक साल में हम तीनों का नजरिया काफ़ी कुछ बदल गया था। गांव में हमें सेक्स के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं था। पर कॉलेज के मित्रों से संग रह कर हमने अब बहुत सी सेक्स सम्बन्धी गन्दी बातें सीख ली थी। मुझमें सेक्स की सोच बहुत बुरी तरह से घर गई थी। बात-बात पर लण्ड सख्त हो जाता था। लड़कियों को देख कर उन्हें चोदने का मन कर उठता था। उनकी गाण्ड की कसी हुई गोलाईयाँ मुझे घायल कर देती थी। यही बात मुझे हस्तमैथुन करने पर विवश कर देती थी। अब तो मुझे अपनी बहन भी एक सुन्दर परी के समान लगती थी, उसके मम्मे और पिछाड़ी मसल देने को जी करता था। … और राधा, आह पूछो मत, बस वो हाँ नहीं कहती थी, वरना उसकी तो चूत मैं फ़ाड़ कर रख देता।
मैंने नोट किया कि मुन्नी और राधा भी शायद इसी जवानी के कशमकश के दौर से गुजर रही थी। जवानी उन पर भी टूट के जो आ पड़ी थी। उनकी कसी जीन्स और बनियाननुमा टॉप मुझ पर कहर ढाती थी। वे भी अब बाथरूम में समय लगाने लग गई थी। सम्भव था कि वे भी हस्तमैथुन की शिकार हो चुकी थी। नासमझ उम्र और जवानी का नया-नया अनुभव मस्तिष्क को नासमझ कर देता है और कदम क्षणिक सुख की ओर बढ़ने लगता है। इसी कम समझ के कारण वासना का झुकाव बेहाल कर देता है और मैं संजय इसमें डूबता ही चला जाता हूँ।
राधा की मतलबी मुस्कान मुझे घायल कर देती थी। मेरा दिल तड़प उठता था। मैं दबी जुबान से मुन्नी से पूछ कर राधा के मन की टोह लेता रहता था। बदले में मुन्नी बस यही कहती थी कि खुद ही राधा से बात क्यूं नहीं कर लेते। पर मुझे क्या पता था कि उधर भी राधा की फ़ुद्दी में आग भरी हुई है। एक बार स्वयं मुन्नी ने ही राधा की जिद पर मुझसे पूछ ही लिया। राधा तुम्हें कैसी लगती है।
बम्बास्टिक है यार राधा तो ! साली साथ में रहती है और लिफ़्ट भी नहीं देती है?
लिफ़्ट तो तुम नहीं मारते हो, जरा उसे बात करके के देखो। देखना कैसे पट जायेगी।
मुन्नी, ऐसी बात कैसे करूँ, मेरी तो बोलती बन्द हो जाती है, फिर कहीं डांट दिया तो।
मुन्नी मेरी हिम्मत बढ़ाती रही और मैं जोश में आ गया। फिर राधा के घर आते ही मैंने उसे प्रोपोज करने की कोशिश की।
राधा, मुन्नी कह रही थी कि तुम मुझसे …
हाँ हाँ कहो …
मेरा मतलब है … वो लिफ़्ट उंह… मुझे तुम … मतलब … बाजार से कुछ लाना है।
वो जोर से हंस पड़ी- संजू, पहले सोच लो कि क्या कहना है।
वो आप ही कह दो ना …
चलो अन्दर !
वो मुझे धक्का दे कर भीतर ले आई, फिर मुस्करा कर बोली- मुझे लिफ़्ट चाहिये… बोलो दोगे?
ओह, बाबा…! मेरी तो हवा ही निकल गई।
पर तभी मुन्नी भी रसोई से आ गई। दोनों ने मुझे घेर लिया।
बोलो ना… दोगे लिफ़्ट।
अरे लिफ़्ट कैसे देते हैं भला?
राधा अपनी छाती के उभारों को मेरी छाती से टकरा कर मुझे बेहाल कर रही थी।
मुझे एक किस करके ! और कैसे दोगे लिफ़्ट? राधा ने ठुमक कर कहा।
मैंने राधा के गाल पर एक बार चूम लिया और वहाँ से भाग छूटा। दोनों जोर से खिलखिला उठी।
बाहर जाकर मैंने अपने आपको संयत किया और अपनी बाईक लेकर मार्केट आ गया। कुछ नहीं सूझा तो एक बीयर बार में चला गया। मैंने वहा आराम से एक बीयर की बोतल मंगाई और धीरे धीरे पीने लगा। मुझे बीती हुई बातें बहुत रोमांचक लगने लगी। बस लण्ड था कि सख्त हो गया। दिल में खलबली मचने लगी। सरूर भी चढ़ने लगा। राधा चुदना चाहती है।
दो बीयर पी कर मैं जब बाहर निकला तो अंधेरा घिर आया था। मैंने अपनी मोबाईक उठाई और घर आ गया। दोनों देखते ही समझ गई कि आज मैं पीकर आया हूँ। उन्हें यह पता था कि मैं शराब नहीं बीयर ही पीता था।
रात का भोजन किया। होमवर्क करने में मन नहीं लग रहा था। सो मैं अन्दर कमरे में जाकर लेट गया। अन्दर का कमरा हमने सोने के लिये ही बनाया था। बड़ा सा कमरे के ही आकार का मोटा गद्दा था। बस हम तीनों वहीं पर जाकर अपनी सुविधा अनुसार सो जाते थे। गांव वाली आदत थी, सो बस रात को गांव की स्टाईल वाली धारीधार चड्डी पहन कर सोता था। वे दोनों भी आदत के अनुसार अपनी ढीली ढाली फ़्रॉक पहन कर सोती थी। जाने कब मेरा रात को नशा टूटा और मैं पेशाब करने को उठा।
जब पेशाब करके आया तो मैंने अन्धेरे में दो नंगी टांगें चूतड़ो के ऊपर तक उठी हुई देखी, शायद राधा थी। मेरे मन में अन्तर्वासना जाग उठी। मेरा लण्ड कड़क होने लगा। चड्डी में से बायें पायचे में से बाहर झांकने लगा। मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और और उसे हाथ से जोर से दबा दिया। अन्धेरे में मैं राधा के पास जाकर लेट गया। फिर उसके नजदीक आता चला गया। धीरे से मैंने उसकी कमर पर हाथ लपेट लिया। वो शायद मेरे स्पर्श से जाग गई थी। उसकी एक ठण्डी सांस मैंने महसूस की। मैंने अपना हाथ उसके बदन पर फ़ेरना शुरू कर दिया। अब मुझे उसकी तेज सांसें स्पष्ट सुनाई देने लगी। मुझे मालूम हो गया कि राधा कोई विरोध नहीं कर रही है बल्कि उसे आनन्द आ रहा है। मैंने उसकी छाती के उभार दबा दिये। वो चिहुंक उठी। अब वो भी पलट गई और मुझे बेतहाशा चूमने लग गई। मेरी तो जैसे किस्मत खुल गई।
मैंने जोश जोश में उसकी चूत भी दबा दी, उसके चूतड़ भी दबा दिये। उसका हाथ भी मेरे लौड़े पर आ गया। उसने मेरा सख्त लण्ड जोर से दबा दिया। लण्ड तो वैसे भी बेकाबू हो रहा था। मैंने अपना लण्ड जोर से उसकी चूत में गड़ा दिया। उसकी चड्डी में मेरा लण्ड फ़ंस कर रह गया। मैंने जोश में उछल कर उसके मुख में अपना मोटा लण्ड चिपका दिया। जिसे उसने सहर्ष अपने नरम से मुख में ले लिया।
इसी हड़बड़ी में हम भूल गये कि कोई तीसरा भी वहाँ मौजूद है। लाईट जल उठी, राधा सामने खड़ी मुस्करा रही थी।
कब से चल रहा है यह सब? अपनी बहन को ही चोदने का विचार है क्या? राधा ने अपनी आंखें मटकाई।
मेरा लण्ड तो मुन्नी के मुख में घुसा हुआ था। मुझे काटो तो खून नहीं। जिसे मैं राधा समझ कर दबाये जा रहा था वो तो मुन्नी मेरी बहना थी। मेरा तो सर शर्म से झुक गया। मेरा लण्ड बेजान होकर लम्बा सा लटक गया था। मैंने अपना लण्ड अपनी चड्डी में घुसा दिया।
मुन्नी अपनी सफ़ाई देने लगी- यह तो आज ही हुआ है, पहली बार। सच राधा, मुझे मजा आने लगा था सो मैंने कुछ नहीं कहा।
मुन्नी शर्मा सी गई।
अरे अरे भई मुन्नी ! मुझे पता है कि संजू ने मेरे बदले तुझे रगड़ दिया है ! हाय रब्बा, मैं तो फिर प्यासी की प्यासी रह गई। कहाँ है वो साला, मुझे चोद दे हाय राम। राधा अपनी फ़ुद्दी दबा कर कसक भरी आवाज में बोली।
मैं सुन्न सा रह गया था। उनकी कोई भी बात मुझे सुनाई नहीं दे रही थी। मैं मुख छुपा कर वहाँ से उठा और सामने के कमरे में आ गया। आत्मग्लानि से मैं भर गया था। मेरा दिल जोर जोर से धाड़ धाड़ कर रहा था। मैंने यह क्या कर दिया। रात भर मुझे ठीक से नींद भी नहीं आई।
सवेरे किसी ने ऐसी कोई बात नहीं कि जिससे कोई शर्मिन्दगी उठानी पड़े। सवेरे का नाश्ता हम तीनों ने मिल कर रोज की तरह बनाया और साथ साथ बैठ कर नाश्ता किया। पर कोई भी एक दूसरे से नजरें नहीं मिला रहा था। मुझे लगा कि वे दोनों भी कुछ सोच कर आईं थी। वे दोनों ही सोफ़े में मेरी दाईं और बाईं आकर बैठ गई।
संजू, प्लीज किसी को कहना नहीं। मुन्नी ने मेरे चेहरे पर हाथ रख कर कहा।
मैं भी कुछ नहीं बताऊंगी। राधा भी मेरे से चिपक कर बैठ गई।
मुन्नी, तू तो मेरी बहन है ना, मुझे माफ़ कर दे, जाने ये सब कैसे हो गया। मैं हकला कर बोला।
संजू, तूने तो राधा समझ कर मुन्नी को पकड़ लिया था ना, तो वो तो गलती से हुआ ना।
राधा ने मेरी आंखो में झांका। मैंने हामी भर दी।
तो छोड़ ना ये सब, अब कर ले ना मेरे साथ। राधा का हाथ मेरे लौड़े से जा टकराया।
ओह राधा ! मुन्नी ! तुम दोनों ने मुझे माफ़ कर दिया, थेन्क्स।
नहीं किया माफ़, तुम्हें सजा तो मिलेगी। राधा ने मेरे लौड़े को धीरे से दबा कर इशारा किया।
मेरा दिल प्रफ़ुल्लित हो उठा। मुस्करा कर मैंने दोनों के गले में हाथ डाल कर एक एक कर के चूम लिया। राधा की तो मैंने धीरे से चूची भी दबा दी। सभी खुश हो गये। अब मैंने दोनों को बारी बारी से दबाना शुरू कर दिया। राधा को तो विशेषकर अंग सहला कर आनन्द ले रहा था।
तो राधा चुदेगी पहले…
शेष कहानी दूसरे भाग में !
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थ्री ईडीयट्स-1
प्रेषक : जो हण्टरहम तीनों एक साल से शहर में पढ़ रहे थे। मैं और मेरी बहन मुन्नी और गांव में ही रहने वाली पड़ोस की एक मुन्नी की हम उम्र राधा, अब हम तीनों ही कॉलेज में दूसरे साल में आ चुके थे। इस एक साल में हम तीनों का नजरिया काफ़ी कुछ बदल गया था। गांव में हमें सेक्स के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं था। पर कॉलेज के मित्रों से संग रह कर हमने अब बहुत सी सेक्स सम्बन्धी गन्दी बातें सीख ली थी। मुझमें सेक्स की सोच बहुत बुरी तरह से घर गई थी। बात-बात पर लण्ड सख्त हो जाता था। लड़कियों को देख कर उन्हें चोदने का मन कर उठता था। उनकी गाण्ड की कसी हुई गोलाईयाँ मुझे घायल कर देती थी। यही बात मुझे हस्तमैथुन करने पर विवश कर देती थी। अब तो मुझे अपनी बहन भी एक सुन्दर परी के समान लगती थी, उसके मम्मे और पिछाड़ी मसल देने को जी करता था। … और राधा, आह पूछो मत, बस वो हाँ नहीं कहती थी, वरना उसकी तो चूत मैं फ़ाड़ कर रख देता।
मैंने नोट किया कि मुन्नी और राधा भी शायद इसी जवानी के कशमकश के दौर से गुजर रही थी। जवानी उन पर भी टूट के जो आ पड़ी थी। उनकी कसी जीन्स और बनियाननुमा टॉप मुझ पर कहर ढाती थी। वे भी अब बाथरूम में समय लगाने लग गई थी। सम्भव था कि वे भी हस्तमैथुन की शिकार हो चुकी थी। नासमझ उम्र और जवानी का नया-नया अनुभव मस्तिष्क को नासमझ कर देता है और कदम क्षणिक सुख की ओर बढ़ने लगता है। इसी कम समझ के कारण वासना का झुकाव बेहाल कर देता है और मैं संजय इसमें डूबता ही चला जाता हूँ।
राधा की मतलबी मुस्कान मुझे घायल कर देती थी। मेरा दिल तड़प उठता था। मैं दबी जुबान से मुन्नी से पूछ कर राधा के मन की टोह लेता रहता था। बदले में मुन्नी बस यही कहती थी कि खुद ही राधा से बात क्यूं नहीं कर लेते। पर मुझे क्या पता था कि उधर भी राधा की फ़ुद्दी में आग भरी हुई है। एक बार स्वयं मुन्नी ने ही राधा की जिद पर मुझसे पूछ ही लिया। राधा तुम्हें कैसी लगती है।
बम्बास्टिक है यार राधा तो ! साली साथ में रहती है और लिफ़्ट भी नहीं देती है?
लिफ़्ट तो तुम नहीं मारते हो, जरा उसे बात करके के देखो। देखना कैसे पट जायेगी।
मुन्नी, ऐसी बात कैसे करूँ, मेरी तो बोलती बन्द हो जाती है, फिर कहीं डांट दिया तो।
मुन्नी मेरी हिम्मत बढ़ाती रही और मैं जोश में आ गया। फिर राधा के घर आते ही मैंने उसे प्रोपोज करने की कोशिश की।
राधा, मुन्नी कह रही थी कि तुम मुझसे …
हाँ हाँ कहो …
मेरा मतलब है … वो लिफ़्ट उंह… मुझे तुम … मतलब … बाजार से कुछ लाना है।
वो जोर से हंस पड़ी- संजू, पहले सोच लो कि क्या कहना है।
वो आप ही कह दो ना …
चलो अन्दर !
वो मुझे धक्का दे कर भीतर ले आई, फिर मुस्करा कर बोली- मुझे लिफ़्ट चाहिये… बोलो दोगे?
ओह, बाबा…! मेरी तो हवा ही निकल गई।
पर तभी मुन्नी भी रसोई से आ गई। दोनों ने मुझे घेर लिया।
बोलो ना… दोगे लिफ़्ट।
अरे लिफ़्ट कैसे देते हैं भला?
राधा अपनी छाती के उभारों को मेरी छाती से टकरा कर मुझे बेहाल कर रही थी।
मुझे एक किस करके ! और कैसे दोगे लिफ़्ट? राधा ने ठुमक कर कहा।
मैंने राधा के गाल पर एक बार चूम लिया और वहाँ से भाग छूटा। दोनों जोर से खिलखिला उठी।
बाहर जाकर मैंने अपने आपको संयत किया और अपनी बाईक लेकर मार्केट आ गया। कुछ नहीं सूझा तो एक बीयर बार में चला गया। मैंने वहा आराम से एक बीयर की बोतल मंगाई और धीरे धीरे पीने लगा। मुझे बीती हुई बातें बहुत रोमांचक लगने लगी। बस लण्ड था कि सख्त हो गया। दिल में खलबली मचने लगी। सरूर भी चढ़ने लगा। राधा चुदना चाहती है।
दो बीयर पी कर मैं जब बाहर निकला तो अंधेरा घिर आया था। मैंने अपनी मोबाईक उठाई और घर आ गया। दोनों देखते ही समझ गई कि आज मैं पीकर आया हूँ। उन्हें यह पता था कि मैं शराब नहीं बीयर ही पीता था।
रात का भोजन किया। होमवर्क करने में मन नहीं लग रहा था। सो मैं अन्दर कमरे में जाकर लेट गया। अन्दर का कमरा हमने सोने के लिये ही बनाया था। बड़ा सा कमरे के ही आकार का मोटा गद्दा था। बस हम तीनों वहीं पर जाकर अपनी सुविधा अनुसार सो जाते थे। गांव वाली आदत थी, सो बस रात को गांव की स्टाईल वाली धारीधार चड्डी पहन कर सोता था। वे दोनों भी आदत के अनुसार अपनी ढीली ढाली फ़्रॉक पहन कर सोती थी। जाने कब मेरा रात को नशा टूटा और मैं पेशाब करने को उठा।
जब पेशाब करके आया तो मैंने अन्धेरे में दो नंगी टांगें चूतड़ो के ऊपर तक उठी हुई देखी, शायद राधा थी। मेरे मन में अन्तर्वासना जाग उठी। मेरा लण्ड कड़क होने लगा। चड्डी में से बायें पायचे में से बाहर झांकने लगा। मैंने अपना लण्ड बाहर निकाला और और उसे हाथ से जोर से दबा दिया। अन्धेरे में मैं राधा के पास जाकर लेट गया। फिर उसके नजदीक आता चला गया। धीरे से मैंने उसकी कमर पर हाथ लपेट लिया। वो शायद मेरे स्पर्श से जाग गई थी। उसकी एक ठण्डी सांस मैंने महसूस की। मैंने अपना हाथ उसके बदन पर फ़ेरना शुरू कर दिया। अब मुझे उसकी तेज सांसें स्पष्ट सुनाई देने लगी। मुझे मालूम हो गया कि राधा कोई विरोध नहीं कर रही है बल्कि उसे आनन्द आ रहा है। मैंने उसकी छाती के उभार दबा दिये। वो चिहुंक उठी। अब वो भी पलट गई और मुझे बेतहाशा चूमने लग गई। मेरी तो जैसे किस्मत खुल गई।
मैंने जोश जोश में उसकी चूत भी दबा दी, उसके चूतड़ भी दबा दिये। उसका हाथ भी मेरे लौड़े पर आ गया। उसने मेरा सख्त लण्ड जोर से दबा दिया। लण्ड तो वैसे भी बेकाबू हो रहा था। मैंने अपना लण्ड जोर से उसकी चूत में गड़ा दिया। उसकी चड्डी में मेरा लण्ड फ़ंस कर रह गया। मैंने जोश में उछल कर उसके मुख में अपना मोटा लण्ड चिपका दिया। जिसे उसने सहर्ष अपने नरम से मुख में ले लिया।
इसी हड़बड़ी में हम भूल गये कि कोई तीसरा भी वहाँ मौजूद है। लाईट जल उठी, राधा सामने खड़ी मुस्करा रही थी।
कब से चल रहा है यह सब? अपनी बहन को ही चोदने का विचार है क्या? राधा ने अपनी आंखें मटकाई।
मेरा लण्ड तो मुन्नी के मुख में घुसा हुआ था। मुझे काटो तो खून नहीं। जिसे मैं राधा समझ कर दबाये जा रहा था वो तो मुन्नी मेरी बहना थी। मेरा तो सर शर्म से झुक गया। मेरा लण्ड बेजान होकर लम्बा सा लटक गया था। मैंने अपना लण्ड अपनी चड्डी में घुसा दिया।
मुन्नी अपनी सफ़ाई देने लगी- यह तो आज ही हुआ है, पहली बार। सच राधा, मुझे मजा आने लगा था सो मैंने कुछ नहीं कहा।
मुन्नी शर्मा सी गई।
अरे अरे भई मुन्नी ! मुझे पता है कि संजू ने मेरे बदले तुझे रगड़ दिया है ! हाय रब्बा, मैं तो फिर प्यासी की प्यासी रह गई। कहाँ है वो साला, मुझे चोद दे हाय राम। राधा अपनी फ़ुद्दी दबा कर कसक भरी आवाज में बोली।
मैं सुन्न सा रह गया था। उनकी कोई भी बात मुझे सुनाई नहीं दे रही थी। मैं मुख छुपा कर वहाँ से उठा और सामने के कमरे में आ गया। आत्मग्लानि से मैं भर गया था। मेरा दिल जोर जोर से धाड़ धाड़ कर रहा था। मैंने यह क्या कर दिया। रात भर मुझे ठीक से नींद भी नहीं आई।
सवेरे किसी ने ऐसी कोई बात नहीं कि जिससे कोई शर्मिन्दगी उठानी पड़े। सवेरे का नाश्ता हम तीनों ने मिल कर रोज की तरह बनाया और साथ साथ बैठ कर नाश्ता किया। पर कोई भी एक दूसरे से नजरें नहीं मिला रहा था। मुझे लगा कि वे दोनों भी कुछ सोच कर आईं थी। वे दोनों ही सोफ़े में मेरी दाईं और बाईं आकर बैठ गई।
संजू, प्लीज किसी को कहना नहीं। मुन्नी ने मेरे चेहरे पर हाथ रख कर कहा।
मैं भी कुछ नहीं बताऊंगी। राधा भी मेरे से चिपक कर बैठ गई।
मुन्नी, तू तो मेरी बहन है ना, मुझे माफ़ कर दे, जाने ये सब कैसे हो गया। मैं हकला कर बोला।
संजू, तूने तो राधा समझ कर मुन्नी को पकड़ लिया था ना, तो वो तो गलती से हुआ ना।
राधा ने मेरी आंखो में झांका। मैंने हामी भर दी।
तो छोड़ ना ये सब, अब कर ले ना मेरे साथ। राधा का हाथ मेरे लौड़े से जा टकराया।
ओह राधा ! मुन्नी ! तुम दोनों ने मुझे माफ़ कर दिया, थेन्क्स।
नहीं किया माफ़, तुम्हें सजा तो मिलेगी। राधा ने मेरे लौड़े को धीरे से दबा कर इशारा किया।
मेरा दिल प्रफ़ुल्लित हो उठा। मुस्करा कर मैंने दोनों के गले में हाथ डाल कर एक एक कर के चूम लिया। राधा की तो मैंने धीरे से चूची भी दबा दी। सभी खुश हो गये। अब मैंने दोनों को बारी बारी से दबाना शुरू कर दिया। राधा को तो विशेषकर अंग सहला कर आनन्द ले रहा था।
तो राधा चुदेगी पहले…
शेष कहानी दूसरे भाग में !
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