हिंदी सेक्सी कहानियाँ
कोशिश
विजय मल्होत्रा, बिज़्नेस टिकून, शहर के चंद रहीसो में से एक. रुपया, पैसा, गाड़ी, नौकर किसी चीज़ की कोई कमी नहीं थी. बस एक कमी थी उनका बेटा अजय जो शरीर से तो 20 साल का हॅटा कॅटा आदमी बन गया था लेकिन एक आक्सिडेंट की वजह से उसके दिमाग़ पर चोट लगी जिससे उसका दिमाग़ एक बच्चे की तरह काम कर रहा था. कई बार वो अंजाने में अपने मा-बाप को चुदाई करते हुए देख चुक्का था लेकिन उसकी समझ में कुछ नहीं आता था बस एक जिग्यासा सी बनी रहती थी हमेशा जैसे कि अक्सर बच्चों में देखी जा सकती है.
विजय ने अजय को बड़े से बड़े डॉक्टर्स से दिखवाया. लंडन, अमेरिका तक में उसका इलाज चला लेकिन कहीं कोई फ़ायदा हुआ. विजय को हमेशा यही चिंता खाए जा रही थी कि उसके बाद इतना बड़ा बिज़्नेस अजय कैसे संभालेगा. और यही चिंता उसकी गिरती सेहत का कारण बनती जा रही थी जो आगे चलकर उसके बिज़्नेस को ख़तम कर सकती थी.
उन्होने अपने फॅमिली डॉक्टर विशाल से सलाह मशविरा किया तो उन्होने बताया कि "फिलहाल तो कोई हाल नज़र नहीं आ रहा है पर एक काम कर सकते हैं अजय को कहीं दूर किसी हिल स्टेशन पर भेज देते हैं. वहाँ की हरियाली, शुद्ध ताज़ी हवाएँ, मौसम और बारिश का मज़ा, हो सकता है अजय के दिमाग़ पर कुछ असर करे. क्या पता वो वही जाकर ठीक हो जाए. वहाँ तुम्हारे पेरेंट्स भी हैं गाओं में."
विजय ने कहा "हां यार तूने अच्छा याद दिलाया. शायद उसकी किस्मत में वहाँ ही ठीक होना लिखा है. अब तो भगवान से यही प्रार्थना है कि वो जल्दी से ठीक हो जाए. चलो ये कोशिश भी करके देख लेते हैं वरना तो हर जगह से उम्मीद ही टूट चुकी है.
विशाल ने उसे हौंसला दिया और तय्यारी करने को कहा. दो दिन बाद ही विजय उसे उसके दादा-दादी के पास छोड़ आया. अजय यहाँ आके बहुत खुश था. रोज सुबह सुबह खेतों में चला जाता. दिन भर खेतों में, पहाड़ों पर खेलता, तालाब में नहाता. चिड़ियों से, पेड़-पोधो से बातें करता, तितलियाँ पकड़ता बस दिन भर उसका मन वहीं लगा रहता था. उसे यूँ खुस देखकर उसके दादा-दादी भी बहुत खुस थे.
एक दिन अचानक जब वो खेल रहा था तभी उसके खेतों की रखवाली करने वाले माली की लड़की मीना अपनी सहेलियों के साथ खेतों के पास बने तालाब पर नहाने आई. उन्हे पता नहीं था कि अजय वहाँ खेल रहा है. सबने अपने अपने कपड़े उतारे और उतर गयी पानी में. गोरी गोरी, छोटी-बड़ी चुचियाँ पानी में उछल-कूद मचा रही थी. अगर कोई उस द्रश्य को देख लेता तो उसका लंड पॅंट फाड़ कर यक़ीनन बाहर आ जाता. अजय पास ही खेल रहा था तो पानी की आवाज़ सुनकर तालाब की तरफ चला आया.. वहाँ आकर जब उसने सुंदर सुंदर लड़कियों और उनकी चुचियों को देखा तो जैसे खो ही गया. धीरे धीरे वो सम्मोहित सा तालाब के पास आ गया और एकटक लड़कियों ख़ासकर मीना को निहारने लगा.
अचानक मीना की नज़र उस पर पड़ी तो वो चिल्ला उठी. उसने अजय को देशी भाषा में गालियाँ निकालनी शुरू कर दी जिसे सुनकर अजय घबरा गया और वहाँ से तुरंत भाग गया. मीना का चेहरा गुस्से से लाल हो गया था. उसे अपनी सहेलियों से पता चल गया था कि ये लड़का शहर से आया है और कहाँ ठहरा है तो वो सीधा वहीं चली गयी.
जब अजय ने उसे खिड़की से उसके घर की तरफ आते देखा तो डर के मारे वो अपने कमरे को अंदर से बंद करके बैठ गया. मीना ने सारी घटना अजय की दादी को बताई तो दादी ने उससे अपने पोते के किए की माँफी माँगी और अजय की हालत से अवगत कराया जिसे सुनकर मीना चौंक गयी. उसे अब अफ़सोस हो रहा था कि उसने बेवजह ही उसे कितना डाँट दिया था और यहाँ शिकायत भी करने चली आई थी.
उसे लगा कि उसे अजय से माफी माँगनी चाहिए और उसकी दादी से पर्मिशन लेके अंदर चली गयी. वहाँ जाकर जब उसने दरवाजा खटखटाया तो अजय ने डर के मारे दरवाजा ही नहीं खोला. उसने अजय को कहा "अगर तुम दरवाजा नहीं खॉलोगे तो मैं तुम्हारी दादी को सब बता दूँगी" बेचारा अजय क्या करता उसने धीरे से दरवाजा खोल दिया. दरवाजा खुलते ही मीना किसी प्यासी शेरनी की तरह अंदर लपकी और अजय को पीछे धकेलते हुए अंदर से दरवाजा बंद कर दिया.
अजय की तो हालत खराब थी. उसकी आँखें गीली हो गयी थी ये सोचकर कि अब उसका क्या होगा. मीना को उसका मासूम चेहरा और उसकी भोली अदाएँ भा गयी और वो सोचने लगी कि भगवान भी कितना निस्थुर है जो इतने सुंदर और जवान लड़के को दिमाग़ से कमजोर बना दिया.
इसके बाद मीना ने पूछा "तुम वहाँ रोज़ जाते हो". अजय कुछ नहीं बोला. मीना ने कहा "कल मेरे साथ चलना". पहले तो अजय ने मना करने की सोची लेकिन फिर उसे मीना द्वारा दादी को बात बता देने की धमकी याद आ गयी तो वो मान गया. इतना बोलकर मीना वहाँ से चली गयी. अगले दिन मीना अजय के घर पहुँच गयी क्यूंकी वो जानती थी कि अजय नहीं जाएगा. लेकिन रास्ते भर मीना उससे हल्की फुल्की मज़ाक भरी बातें करती रही जिससे अजय का डर दूर भाग गया और तालाब तक पहुँचते पहुँचते अजय और मीना अच्छे दोस्त बन गये थे.
तालाब पर पहुँचते ही मीना कपड़े समेत पानी में उतर गयी. उसने अजय को भी आने को कहा लेकिन वो शर्मा रहा था. तालाब के ठंडे पानी में मीना का जिस्म गरमा रहा था. जवानी की दहलीज पर उसने कदम रखे ही थे और अजय उसको नग्न देखने वाला पहला पुरुष था. उसकी तरफ आकर्षण स्वाभाविक है. उसने अजय को कहा "अब तो हम दोस्त हैं तो साथ क्यूँ नहीं नहा सकते". अजय ने एक पल को सोचा और अपने कपड़े (अंडरवेर छोड़कर) उतारकर पानी में आ गया. पानी में आकर दोनो अठखेलियाँ करने लगे. मीना का जिस्म गरम होता जा रहा था और इसका कुछ कुछ असर अजय पर भी पड़ रहा था. उसका लंड पॅंट में तंबू बना चुका था जिसे मीना देख चुकी थी. मीना की धड़कने तेज हो चुकी थी.
मीना ने अजय को कसकर अपनी बाहों में समेट लिया. अजय घबरा गया और मीना की गिरफ़्त से छूटने की कोशिश करने लगा. मीना ने कहा "यार दोस्तों से भी कोई शरमाता है. बच्चों जैसी हरकतें मत करो. मैं तुम्हे आज एक नया खेल सिखाउन्गि." मीना ने अजय के जिस्म को, उसके होठों को, उसकी छाती को चूमना चाटना शुरू कर दिया. अजय के जिस्म में झुरजुरी दौड़ गयी. उसकी लंड की नसों में खून उफान मारने लगा. लगा जैसे की लंड फट जाएगा. अंजाने में ही उसके हाथ कब मीना की चुचियों पर चले गये उसे पता ही नहीं चला.
फिर तो जैसे तूफान आ गया. मीना ने अपना सूट सलवार उतार दिया. अब उसके जिस्म पर सिर्फ़ ब्रा-पॅंटी ही थी. अजय ये देखकर पागल हो रहा था. उसका दिमाग़ उसके काबू में नहीं रहा. वो पागलो की तरह ब्रा के उपर से ही मीना की चुचियों को दबाने और निचोड़ने लगा. मीना मस्ती में कराह रही थी और उसके होंठों को चूमे जा रही थी. मीना ने इसके बाद अजय का अंडरवेर उतार दिया . कच्छा उतरते ही अजय का लंबा मोटा लंड उसकी आँखों के सामने था. उसने अजय का लंड अपने मूह में भर लिया और आगे पीछे करने लगी. अजय के हाथ मीना की चुचियों से हट गये तो मीना ने पीछे से अपनी ब्रा के स्ट्रॅप खोलते हुए ब्रा उतार दी.
ब्रा उतरते ही मीना की गोरी और कसी हुई चुचियाँ अजय के सामने थी जो उसे बुला रही थी. अजय ने उनका निमत्रन स्वीकार किया और एक चुचि को हाथ से दबाते हुए दूसरी चुचि को मूह में भर लिया. जैसे ही चुचि के दाने को अजय ने हल्के से काटा तो मीना की मस्ती भरी चीख निकल गयी और वो झाड़ गयी. मीना ने अपनी पॅंटी उतारी और अजय के उपर 69 की पोज़िशन में लेट गयी. अजय को सब बहुत अच्छा लग रहा था. अब तक ये सब उसने सिर्फ़ अपने मम्मी-पापा को करते देखा था और आज खुद उसके साथ ऐसा हो रहा था. उसका दिमाग़ सैकड़ों विचारों से झूझ रहा था. उसका लंड ऐसे क्यूँ फूल रहा है ? वो क्या कर रहा है? क्या ऐसा करना सही है? लेकिन इस समय उसे इन सवालों के जवाब नहीं बल्कि उस असीम आनंद को महसूस करना था जिसे हासिल करने का सपना हर लड़की-लड़का देखते हैं.
मीना ने अजय के लंड को मूह में ले लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. उसने अजय को उसकी चूत चाटने को कहा. अजय ने पहले उसकी चूत को सूँघा और फिर उस पर हौले से अपनी जीभ फिराई. उसे कुछ नमकीन सा टेस्ट लगा. लेकिन इतना बुरा भी नहीं था. आख़िर मीना भी तो उसका लंड चूस रही थी. उसने मीना की चूत को पहले उपर उपर से और फिर चूत की फांकों को हटाते हुए अंदर गहराई तक जीभ डालकर चाटना शुरू कर दिया.
इधर अजय की जीभ को अपनी चूत में इतनी गहराई में पाकर मीना ने अजय का लंड और जोरों से चूसना शुरू कर दिया. अजय पर से भी कंट्रोल हटता जा रहा था. उसने मीना को बताया कि उसे बाथरूम आ रहा है लेकिन मीना को पता था कि क्या बात है तो उसने अजय को नहीं छोड़ा और बस चूस्ति रही. अजय का लंड बर्धस्त. नहीं कर पाया और उसने पानी छोड़ दिया. मीना उसकी एक एक बूँद को चाट गयी. लंड से पानी निकलने के बाद वो छोटा होने लगा लेकिन मीना ने उसे चूसना नहीं छोड़ा.
हालाँकि चूत चुसाई से वो भी दूसरी बार झाड़ गयी थी. अजय का लंड चूसे जाने से दुबारा खड़ा होने लगा. लंड के खड़ा होते ही मीना उसके उपर से हट गयी और उसे अपने उपर आने को कहा. मीना ने अपनी टाँगें फैलाई और अजय को चूत की तरफ इशारा करते हुए बताया कि इस छेद में अपना लंड डाले. अजय ने एक दो बार प्रयास किया लेकिन एक तो चूत टाइट थी और दूसरा ये उसका फर्स्ट टाइम था जिसकी वजह से लंड बार बार फिसल रहा था. मीना ने अपनी चूत की फांकों अपने हाथों से फैलाया और अजय के लंड को छेद पर टिकाते हुए ज़ोर से धक्का मारने को कहा.
अजय ने ज़ोर से धक्का मारा तो उसका लंड का सूपड़ा मीना की चूत में फँस गया. मीना दर्द से तड़प उठी लेकिन वो जानती थी कि आज नहीं तो कभी नहीं. उसने अजय को दुबारा धक्का मारने को कहा. अजय ने उसकी कमर को पकड़ा और एक ज़ोर से धक्का मार दिया. उसका लंड 2 इंच अंदर जाकर अटक गया. इससे पहले मीना कुछ कहती अजय ने और एक जोरदार धक्का मार दिया जो मीना की चूत की झिल्ली फाड़ता हुया 5 इंच अंदर चला गया था. मीना का दर्द के मारे बुरा हाल हो गया. उसकी चूत से खून निकल आया और वो चीख पड़ी. लेकिन अजय पर तो जैसे नशा छा गया था. मीना उसकी गिरफ़्त से छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन अजय ने उसे कसकर पकड़ कर रखा था.
उसने मीना की चीख अनसुनी करते हुए एक और ज़ोर का धक्का मार दिया और उसका लंड मीना की चूत में खो गया. इसके बाद उसने लंड को मीना की चूत के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया. मीना की चीखें धीरे धीरे सिसकारियों में बदलने लगी. जो लंड पहले उसे तकलीफ़ दे रहा था अब उसे जन्नत की सैर करा रहा था. अजय एक बार झाड़ चुक्का था तो इस बार उसका लंड पानी छोड़ने में समय ले रहा था. अजय ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि चुदाई में इतना मज़ा आता है.
अजय की जोरदार चुदाई में मीना एक बार झाड़ चुकी थी और दूसरी बार झड़ने की तरफ बढ़ रही थी. इधर अजय के जिस्म का लावा भी बाहर आने को उतावला हो रहा था. अजय ने धक्के और तेज लगाते हुए मीना की चूत को अपने लंड के पानी से भरना शुरू कर दिया. इसी के साथ मीना की चूत ने भी पानी छोड़ दिया और दोनो एक दूसरे के उपर लेट कर हाँफने लगे.
इसके बाद दोनो ने एक बार और चुदाई की और अपने अपने कपड़े पहनकर वापस घर आ गये. अब तो ये उनका रोज़ का काम बन गया था. रोज़ तालाब और खेतों में जाते और मनपसंद जगह पर चुदाई किया करते थे. पहले तो दादी को उसका मीना के साथ रोज़ रोज़ जाना नागवार गुजरा लेकिन जब अजय की हालत में उन्हें सुधार दिखा तो उन्होना सोचा कि शायद मीना उसे ठीक करने की कोशिश कर रही है. क्यूँ ना मीना को कोशिश करने दी जाए. शायद अजय ठीक हो जाए. फिर तो कोई रोक टोक नहीं. दोनो दिन में कम से कम एक बार तो ज़रूर चुदाई करते थे. धीरे धीरे अजय की हालत में सुधार आता गया.
इसका कारण सिर्फ़ चुदाई नहीं थी बल्कि वो प्यार, हमदर्दी, अपनापन था जो उसे अपने घर में कभी नहीं मिला. पापा बिज़्नेस में उलझे रहते थे तो मम्मी किटी पार्टीस में. ऐसा नहीं कि वो अजय को प्यार नहीं करते थे लेकिन उनके पास अजय के लिए समय नहीं था. शायद यही कारण था अजय रिकवर नहीं कर पा रहा था. अब वोही प्यार और अपनापन उसे मीना के रूप में दिखाई दे रहा था.
धीरे धीरे अजय पूरी तरह ठीक हो गया. उसकी दादी ने ये खूसखबरी अजय के पिता विजय मल्होत्रा को सुनाई जिसे सुनकर तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुया. वो बहुत खुस थे कि उनकी ये कोशिश कितनी सफल हुई है. उन्होने तुरंत गाओं जाकर अजय को वापस लाने की सोची. वो गाओं गये और अजय को वापस लेके चलने लगे. अजय गाड़ी में बैठ गया जाकर और रोज की तरह उस समय मीना वहाँ पर आई जिसे अजय देख ना सका.
मीना को देखकर अजय की दादी ने बताया "विजय बेटा आज अगर अजय ठीक हुया है तो सिर्फ़ इस लड़की की वजह से. इसकी कोशिश का ही नतीजा है कि आज हमारा अजय बिलकुक ठीक है. विजय ये सुनकर बहुत खुस हुया और उसने कुछ पैसे निकालकर मीना को देने चाहे और कहा "बेटी तुमने हमारे बेटे के लिए कोशिश की ये उसका इनाम है रख लो."
मीना को तो झटका सा लगा क्यूंकी वो अजय से प्यार करने लगी थी और यहाँ उसके प्यार का मज़ाक बन रहा था. उसने पैसे लेने से इनकार कर दिया और कहा "नहीं बाबूजी आप लोगों की सेवा करना तो हमारा कर्तव्य है. मुझे ये पैसे नहीं चाहिए. विजय उसकी बातें सुनकर हैरान रह गया. और वो अपनी मा से विदा लेकर वहाँ से निकला और अपनी गाड़ी में बैठ गया और गाड़ी ने शहर के लिए चलना शुरू कर दिया. मीना भी वहाँ से चल दी. उसकी आँखें नम थी और बार बार एक ही सवाल उसके मन में उठ रहा था कि "ये मेरा प्यार था या सिर्फ़ कोशिश"
दा एंड
KOSHISH
Vijay Malhotra, Business Tycoon, Shehar ke chand rahison mein se ek. Rupaya, paisa, gaadi, naukar kisi cheez ki koi kami nahin thi. Bas ek kami thi unka beta Ajay jo shareer se to 20 saal ka hatta katta aadmi ban gaya tha lekin ek accident ki wajah se uske dimaag par chot lagi jisse uska dimaag ek bacche ki tarah kaam kar raha tha. Kai baar wo anjaane mein apne maa-baap ko chudai karte huye dekh chukka tha lekin uski samajh mein kuch nahin aata tha bas ek jigyasa si bani rehti thi hamesha jaise ki aksar bachhon mein dekhi jaa sakti hai.
Vijay ne Ajay ko bade se bade doctors se dikhwaya. London, America tak mein uska ilaaj chala lekin kahin koi fayda huya. Vijay ko hamesha yahi chinta khai jaa rahi thi ki uske baad itna bada business Ajay kaise sambhalega. Aur yahi chinta uski girti sehat ka kaaran banti jaa rahi thi jo aage chalkar uske business ko khatam kar sakti thi.
Unhone apne family doctor Vishal se salah mashwira kiya to unhone bataya ki "filhaal to koi hal najar nahin aa raha hai par ek kaam kar sakte hain Ajay ko kahin door kisi hill station par bhej dete hain. Wahan ki hariyali, shudh taazi hawayen, mausam aur barish ka maja, ho sakta hai Ajay ke dmaag par kuch asar kare. Kya pata wo wahi jaakar theek ho jaye. Wahan tumhare parents bhi hain gaon mein."
Vijay ne kaha "Haan yaar tune achha yaad dilaya. Shayad uski kismat mein wahan hi theek hona likha hai. Ab to bhagwan se yahi prathna hai ki wo jaldi se theek ho jaye. Chalo ye Koshish bhi karke dekh lete hain warna to har jagah se ummed hi toot chuki hai.
Vishal ne use haunsla diya aur tayyari karne ko kaha. Do din baad hi Vijay use uske dada-dadi ke paas chod aaya. Ajay yahan aake bahut khus tha. Roj subah subah kheton mein chala jaata. Din bhar kheton mein, pahadon par khelta, talaab mein nahata. Chidiyon se, ped-podhon se baatein karta, titliyan pakadta bas din bhar uska man wahin laga rehta tha. Use yun khus dekhkar uske dada-dadi bhi bahut khus the.
Ek Din Achanak jab wo khel raha tha tabhi uske kheton ki rakhwali karne wale mali ki ladki Meena apni saheliyon ke saath kheton ke paas bane talaab par nahane aayi. Unhe pata nahin tha ki Ajay wahan khel raha hai. Sabne apne apne kapde utare aur utar gayi pani mein. Gori gori, choti-badi chuchiyan paani mein uchal-kood macha rahi thi. Agar koi us drashya ko dekh leta to uska lund pant phad kar yakeenan bahar aa jata. Ajay paas hi khel raha tha to paani ki awaaz sunkar talab ki taraf chala aaya.. Wahan aakar jab usne sunder sunder ladkiyon aur unki chuchiyon ko dekha to jaise kho hi gaya. Dheere dheere wo sammohit sa talaab ke paas aa gaya aur ektak ladkiyon khaskar Meena ko niharne laga.
Achanak Meena ki najar us par padi to wo chilla uthi. Usne Ajay ko deshi bhasha mein galiyan nikalni shuru kar di jise sunkar Ajay ghabra gaya aur wahan se turant bhag gaya. Meena ka chehra gusse se laal ho gaya tha. Use apni saheliyon se pata chal gaya tha ki ye ladka shehar se aaya hai aur kahan thehra hai to wo seedha wahin chali gayi.
Jab Ajay ne use khidki se uske ghar ki taraf aate dekha to dar ke mare wo apne kamre ko andar se band karke baith gaya. Meena ne saari ghatna Ajay ki dadi ko batayi to dadi ne usse apne pote ke kiye ki maanfi maangi aur Ajay ki haalat se avgat karaya jise sunkar Meena chaunk gayi. Use ab afsos ho raha tha ki usne bewajah hi use kitna dant diya tha aur yahan shikayat bhi karne chali aayi thi.
Use laga ki use Ajay se maafi maangni chahiye aur uski dadi se permission leke andar chali gayi. Wahan jakar jab usne darwaja khatkhataya to Ajay ne dar ke maare darwaja hi nahin khola. Usne Ajay ko kaha "Agar tum darwaja nahin khologe to main tumhari dadi ko sab bata dungi" Bechara Ajay kya karta usne dheere se darwaja khol diya. Darwaja khulte hi Meena kisi pyaasi sherni ki tarah andar lapki aur Ajay ko peeche dhakelte huye andar se darwaja band kar diya.
Ajay ki to haalat kharab thi. Uski aankhen gili ho gayi thi ye sochkar ki ab uska kya hoga. Meena ko uska masoom chehra aur uski bholi adayen bha gayi aur wo sochne lagi ki bhagwan bhi kitna nisthur hai jo itne sunder aur jawan ladke ko dimaag se kamjor bana diya.
Iske baad Meena ne poocha "Tum wahan roz jaate ho". Ajay kuch nahin bola. Meena ne kaha "Kal mere saath chalna". Pehle to Ajay ne mana karne ki sochi lekin phir use Meena dwara dadi ko baat bata dene ki dhamki yaad aa gayi to wo maan gaya. Itna bolkar Meena wahan se chali gayi. Agle din Meena Ajay ke ghar pahunch gayi kyunki wo jaanti thi ki Ajay nahin jayega. Lekin raaste bhar Meena usse halki fulki majak bhari baatein karti rahi jisse Ajay ka dar door bhaag gaya aur talaab tak pahunchte pahunchte Ajay aur Meena acche dost ban gaye the.
Talaab par pahunchte hi Meena kapde samet paani mein utar gayi. Usne Ajay ko bhi aane ko kaha lekin wo sharma raha tha. Talaab ke thande paani mein Meena ka jism garma raha tha. Jawani ki dehlij par usne kadam rakhe hi the aur Ajay usko nagna dekhne wala pehla purush tha. Uski taraf akarshan swabhawik hai. Usne Ajay ko kaha "Ab to hum dost hain to saath kyun nahin naha sakte". Ajay ne ek pal ko socha aur apne kapde (Underwear chodkar) utarkar paani mein aa gaya. Paani mein aakar dono athkheliyan karne lage. Meena ka jism garam hota jaa raha tha aur iska kuch kuch asar Ajay par bhi pad raha tha. Uska lund pant mein tambu bana chuka tha jise Meena dekh chuki thi. Meena ki dhadhkane tej ho chuki thi.
Meena ne Ajay ko kaskar apni baahon mein samet liya. Ajay ghabra gaya aur Meena ki giraft se chootne ki koshish karne laga. Meena ne kaha "Yaar doston se bhi koi sharmata hai. Bachhon jaisi harkatein mat karo. Main tumhe aaj ek naya khel sikhaungi." Meena ne Ajay ke jism ko, uske hothon ko, uski chaati ko chumna chatna shuru kar diya. Ajay ke jism mein jhurjhuri daud gayi. Uski lund ki nason mein khoon ufan maarne laga. Laga jaise ki lund fat jayega. Anjaane mein hi uske haath kab Meena ki chuchiyon par chale gaye use pata hi nahin chala.
Phir to jaise toofan aa gaya. Meena ne apna suit salwar utar diya. Ab uske jism par sirf bra-panty hi thi. Ajay ye dekhkar paagal ho raha tha. Uska dimaag uske kabu mein nahin raha. Wo paagon ki tarah bra ke upar se hi Meena ki chuchiyon ko dabane aur nichodne laga. Meena masti mein karah rahi thi aur uske honthon ko chume jaa rahi thi. Meena ne iske baad Ajay ka underwear utar diya . Kachha utarte hi Ajay ka lamba mota lund uski aankhon ke saamne tha. Usne Ajay ka lund apne muh mein bhar liya aura age peeche karne lagi. Ajay ke haath Meena ki chuchiyon se hat gaye to Meena ne peeche se apni bra ke strap kholte huye bra utar di.
Bra utarte hi Meena ki Gori aur kasi huyi chuchiyan Ajay ke saamne thi jo use bula rahi thi. Ajay ne unka nimatran sweekar kiya aur ek chuchi ko haath se dabate huye doosri chuchi ko muh mein bhar liya. Jaise hi chuchi ke daane ko Ajay ne halke se kaata to Meena ki masti bhari cheekh nikal gayi aur wo jhad gayi. Meena ne apni panty utari aur Ajay ke upar 69 ki position mein let gayi. Ajay ko sab bahut achha lag raha tha. Ab tak ye sab usne sirf apne mummy-papa ko karte dekha tha aur aaj khud uske saath aisa ho raha tha. Uska dimaag saikdon vicharon se jhoojh raha tha. Uska lund aise kyun phool raha hai ? Wo kya kar raha hai? Kya aisa karna sahi hai? Lekin is samay use in sawalon ke jawab nahin balki us aseem anand kop rapt karna tha jise haasil karne ka sapna har ladki-ladka dekhte hain.
Meena ne Ajay ke lund ko muh mein le liya aur jor jor se choosne lagi. Usne Ajay ko uski chut chaatne ko kaha. Ajay ne pehle uski chut ko sungha aur phir us par haule se apni jeebh phirayi. Use kuch namkeen sa taste laga. Lekin itna bura bhi nahin tha. Aakhir Meena bhi to uska lund choos rahi thi. Usne Meena ki chut ko pehle upar upar se aur phir chut ki phankon ko hatate huye andar gehrayi tak jeebh dalkar chatna shuru kar diya.
Idhar Ajay ki jeebh ko apni chut mein itni gehrayi mein paakar Meena ne Ajay ka lund aur joron se choosna shuru kar diya. Ajay par se bhi control hatta ja raha tha. Usne Meena ko bataya ki use bathroom aa raha hai lekin Meena ko pata tha ki kya baat hai to usne Ajay ko nahin choda aur bas choosti rahi. Ajay ka lund bardhast nahin kar paya aur usne pani chod diya. Meena uski ek ek boond ko chat gayi. Lund se paani nikalne ke baad wo chota hone laga lekin Meena ne use choosna nahin choda.
Halanki chut chusayi se wo bhi doosri baar jhad gayi thi. Ajay ka lund choose jaane se dubara khada hone laga. Lund ke khada hote hi Meena uske upar se hat gayi aur use apne upar aane ko kaha. Meena ne apni taangein phailayi aur Ajay ko chut ki taraf ishara karte huye bataya ki is ched mein apna lund dale. Ajay ne ek do baar prayas kiya lekin ek to chut tight thi aur doosra ye uska first time tha jiski wajah se lund baar baar fisal raha tha. Meena ne apni chut ki faankon apne haathon se failaya aur Ajay ke lund ko ched par tikate huye jor se dhakka marne ko kaha.
Ajay ne jor se dhakka mara to uska lund ka supada Meena ki chut mein fans gaya. Meena dard se tadap uthi lekin wo jaanti thi ki aaj nahin to kabhi nahin. Usne Ajay ko dubara dhakaa maarne ko kaha. Ajay ne uski kamar ko pakda aur ek jor se dhakka maar diya. Uska lund 2 inch andar jaakar atak gaya. Isse pehle Meena kuch kehti Ajay ne aur ek jordaar dhakka maar diya jo Meena ki chut ki jhilli phadta huya 5 inch andar chala gaya tha. Meena ka dard ke maare bura haal ho gaya. Uski chut se khoon nikal aaya aur wo cheekh padi. Lekin Ajay par to jaise nasha cha gaya tha. Meena uski giraft se chootne ki koshish karne lagi lekin Ajay ne use kaskar pakad kar rakha tha.
Usne Meena ki cheekh ansuni karte huye ek aur jor ka dhakka maar diya aur uska lund Meena ki chut mein kho gaya. Iske baad usne lund ko Meena ki choot ke andar-bahar karna shuru kar diya. Meena ki cheekhen dheere dheere siskariyon mein badalne lagi. Jo lund pehle use takleef de raha tha ab use jannat ki sair kara raha tha. Ajay ek baar jhad chukka tha to is baar uska lund paani chorne mein samay le raha tha. Ajay ne kabhi sapne mein bhi nahin socha tha ki chudai mein itna maja aata hai.
Ajay ki jordaar chudai mein Meena ek baar jhad chuki thi aur doosri baar jhadne ki taraf badh rahi thi. Idhar Ajay ke jism ka lawa bhi bahar aane ko utawala ho raha tha. Ajay ne dhakke aur tej lagate huye Meena ki chut ko apne lund ke paani se bharna shuru kar diya. Isi ke saath Meena ki chut ne bhi paani chod diya aur dono ek doosre ke upar let kar haanfne lage.
Iske baad dono ne ek baar aur chudai ki aur apne apne kapde pehankar wapas ghar aa gaye. Ab to ye unka roz ka kaam ban gaya tha. Roz talaab aur kheton mein jaate aur manpasand jagah par chudai kiya karte the. Pehle to dadi ko uska Meena ke saath roz roz jaana nagwaar gujra lekin jab Ajay ki haalat mein unhen sudhar dikha to unhona socha ki shayad Meena use theek karne ki koshish kar rahi hai. Kyun na Meena ko koshish karne di jaye. Shayad Ajay theek ho jaye. Phir to koi rok tok nahin. Dono din mein kam se kam ek baar to jaroor chudai karte the. Dheere dheere Ajay ki haalat mein sudhar aata gaya.
Iska kaaran sirf chudai nahin thi balki wo pyaar, hamdardi, apnapan tha jo use apne ghar mein kabhi nahin mila. Papa business mein uljhe rehte the to mummy kitty parties mein. Aisa nahin ki wo Ajay ko pyaar nahin karte the lekin unke paas Ajay ke liye samay nahin tha. Shayad yahi karan tha Ajay recover nahin kar pa raha tha. Ab wohi pyaar aur apnapan use Meena ke roop mein dikhayi de raha tha.
Dheere dheere Ajay poori tarah theek ho gaya. Uski dadi ne ye khuskhabri Ajay ke pita Vijay Malhotra ko sunai jise sunkar to unhen vishwaas hi nahin huya. Wo bahut khus the ki unki ye koshish kitni safal huyi hai. Unhone turant gaon jaakar Ajay ko wapas lane ki sochi. Wo gaon gaye aur Ajay ko wapas leke chalne lage. Ajay gaadi mein baith gaya jaakar aur roj ki tarah us samay Meena wahan par aayi jise Ajay dekh na saka.
Meena ko dekhkar Ajay ki dadi ne bataya "Vijay beta aaj agar Ajay theek huya hai to sirf is ladki ki wajah se. Iski koshish ka hi natija hai ki aaj hamara Ajay bilkuk theek hai. Vijay ye sunkar bahut khus huya aur usne kuch paise nikalkar Meena ko dene chahe aur kaha "Beti tumne hamare bete ke liye koshish ki ye uska inaam hai rakh lo."
Meena ko to jhatka sa laga kyunki wo Ajay se pyaar larne lagi thi aur yahan uske pyaar ka majak ban raha tha. Usne paise lene se inkaar kar diya aur kaha "Nahin babuji aap logon ki sewa karna to hamara kartavya hai. Mujhe ye paise nahin chahiye. Vijay uski baatein sunkar hairan reh gaya. Aur wo apni maa se wida lekar wahan se nikala aur apni gaadi mein baith gaya aur gaadi ne shehar ke liye chalna shuru kar diya. Meena bhi wahan se chal di. Uski aankhen nam thi aur baar baar ek hi sawal uske man mein uth raha tha ki "YE MERA PYAAR THA YA SIRF KOSHISH"
THE END
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कोशिश
विजय मल्होत्रा, बिज़्नेस टिकून, शहर के चंद रहीसो में से एक. रुपया, पैसा, गाड़ी, नौकर किसी चीज़ की कोई कमी नहीं थी. बस एक कमी थी उनका बेटा अजय जो शरीर से तो 20 साल का हॅटा कॅटा आदमी बन गया था लेकिन एक आक्सिडेंट की वजह से उसके दिमाग़ पर चोट लगी जिससे उसका दिमाग़ एक बच्चे की तरह काम कर रहा था. कई बार वो अंजाने में अपने मा-बाप को चुदाई करते हुए देख चुक्का था लेकिन उसकी समझ में कुछ नहीं आता था बस एक जिग्यासा सी बनी रहती थी हमेशा जैसे कि अक्सर बच्चों में देखी जा सकती है.
विजय ने अजय को बड़े से बड़े डॉक्टर्स से दिखवाया. लंडन, अमेरिका तक में उसका इलाज चला लेकिन कहीं कोई फ़ायदा हुआ. विजय को हमेशा यही चिंता खाए जा रही थी कि उसके बाद इतना बड़ा बिज़्नेस अजय कैसे संभालेगा. और यही चिंता उसकी गिरती सेहत का कारण बनती जा रही थी जो आगे चलकर उसके बिज़्नेस को ख़तम कर सकती थी.
उन्होने अपने फॅमिली डॉक्टर विशाल से सलाह मशविरा किया तो उन्होने बताया कि "फिलहाल तो कोई हाल नज़र नहीं आ रहा है पर एक काम कर सकते हैं अजय को कहीं दूर किसी हिल स्टेशन पर भेज देते हैं. वहाँ की हरियाली, शुद्ध ताज़ी हवाएँ, मौसम और बारिश का मज़ा, हो सकता है अजय के दिमाग़ पर कुछ असर करे. क्या पता वो वही जाकर ठीक हो जाए. वहाँ तुम्हारे पेरेंट्स भी हैं गाओं में."
विजय ने कहा "हां यार तूने अच्छा याद दिलाया. शायद उसकी किस्मत में वहाँ ही ठीक होना लिखा है. अब तो भगवान से यही प्रार्थना है कि वो जल्दी से ठीक हो जाए. चलो ये कोशिश भी करके देख लेते हैं वरना तो हर जगह से उम्मीद ही टूट चुकी है.
विशाल ने उसे हौंसला दिया और तय्यारी करने को कहा. दो दिन बाद ही विजय उसे उसके दादा-दादी के पास छोड़ आया. अजय यहाँ आके बहुत खुश था. रोज सुबह सुबह खेतों में चला जाता. दिन भर खेतों में, पहाड़ों पर खेलता, तालाब में नहाता. चिड़ियों से, पेड़-पोधो से बातें करता, तितलियाँ पकड़ता बस दिन भर उसका मन वहीं लगा रहता था. उसे यूँ खुस देखकर उसके दादा-दादी भी बहुत खुस थे.
एक दिन अचानक जब वो खेल रहा था तभी उसके खेतों की रखवाली करने वाले माली की लड़की मीना अपनी सहेलियों के साथ खेतों के पास बने तालाब पर नहाने आई. उन्हे पता नहीं था कि अजय वहाँ खेल रहा है. सबने अपने अपने कपड़े उतारे और उतर गयी पानी में. गोरी गोरी, छोटी-बड़ी चुचियाँ पानी में उछल-कूद मचा रही थी. अगर कोई उस द्रश्य को देख लेता तो उसका लंड पॅंट फाड़ कर यक़ीनन बाहर आ जाता. अजय पास ही खेल रहा था तो पानी की आवाज़ सुनकर तालाब की तरफ चला आया.. वहाँ आकर जब उसने सुंदर सुंदर लड़कियों और उनकी चुचियों को देखा तो जैसे खो ही गया. धीरे धीरे वो सम्मोहित सा तालाब के पास आ गया और एकटक लड़कियों ख़ासकर मीना को निहारने लगा.
अचानक मीना की नज़र उस पर पड़ी तो वो चिल्ला उठी. उसने अजय को देशी भाषा में गालियाँ निकालनी शुरू कर दी जिसे सुनकर अजय घबरा गया और वहाँ से तुरंत भाग गया. मीना का चेहरा गुस्से से लाल हो गया था. उसे अपनी सहेलियों से पता चल गया था कि ये लड़का शहर से आया है और कहाँ ठहरा है तो वो सीधा वहीं चली गयी.
जब अजय ने उसे खिड़की से उसके घर की तरफ आते देखा तो डर के मारे वो अपने कमरे को अंदर से बंद करके बैठ गया. मीना ने सारी घटना अजय की दादी को बताई तो दादी ने उससे अपने पोते के किए की माँफी माँगी और अजय की हालत से अवगत कराया जिसे सुनकर मीना चौंक गयी. उसे अब अफ़सोस हो रहा था कि उसने बेवजह ही उसे कितना डाँट दिया था और यहाँ शिकायत भी करने चली आई थी.
उसे लगा कि उसे अजय से माफी माँगनी चाहिए और उसकी दादी से पर्मिशन लेके अंदर चली गयी. वहाँ जाकर जब उसने दरवाजा खटखटाया तो अजय ने डर के मारे दरवाजा ही नहीं खोला. उसने अजय को कहा "अगर तुम दरवाजा नहीं खॉलोगे तो मैं तुम्हारी दादी को सब बता दूँगी" बेचारा अजय क्या करता उसने धीरे से दरवाजा खोल दिया. दरवाजा खुलते ही मीना किसी प्यासी शेरनी की तरह अंदर लपकी और अजय को पीछे धकेलते हुए अंदर से दरवाजा बंद कर दिया.
अजय की तो हालत खराब थी. उसकी आँखें गीली हो गयी थी ये सोचकर कि अब उसका क्या होगा. मीना को उसका मासूम चेहरा और उसकी भोली अदाएँ भा गयी और वो सोचने लगी कि भगवान भी कितना निस्थुर है जो इतने सुंदर और जवान लड़के को दिमाग़ से कमजोर बना दिया.
इसके बाद मीना ने पूछा "तुम वहाँ रोज़ जाते हो". अजय कुछ नहीं बोला. मीना ने कहा "कल मेरे साथ चलना". पहले तो अजय ने मना करने की सोची लेकिन फिर उसे मीना द्वारा दादी को बात बता देने की धमकी याद आ गयी तो वो मान गया. इतना बोलकर मीना वहाँ से चली गयी. अगले दिन मीना अजय के घर पहुँच गयी क्यूंकी वो जानती थी कि अजय नहीं जाएगा. लेकिन रास्ते भर मीना उससे हल्की फुल्की मज़ाक भरी बातें करती रही जिससे अजय का डर दूर भाग गया और तालाब तक पहुँचते पहुँचते अजय और मीना अच्छे दोस्त बन गये थे.
तालाब पर पहुँचते ही मीना कपड़े समेत पानी में उतर गयी. उसने अजय को भी आने को कहा लेकिन वो शर्मा रहा था. तालाब के ठंडे पानी में मीना का जिस्म गरमा रहा था. जवानी की दहलीज पर उसने कदम रखे ही थे और अजय उसको नग्न देखने वाला पहला पुरुष था. उसकी तरफ आकर्षण स्वाभाविक है. उसने अजय को कहा "अब तो हम दोस्त हैं तो साथ क्यूँ नहीं नहा सकते". अजय ने एक पल को सोचा और अपने कपड़े (अंडरवेर छोड़कर) उतारकर पानी में आ गया. पानी में आकर दोनो अठखेलियाँ करने लगे. मीना का जिस्म गरम होता जा रहा था और इसका कुछ कुछ असर अजय पर भी पड़ रहा था. उसका लंड पॅंट में तंबू बना चुका था जिसे मीना देख चुकी थी. मीना की धड़कने तेज हो चुकी थी.
मीना ने अजय को कसकर अपनी बाहों में समेट लिया. अजय घबरा गया और मीना की गिरफ़्त से छूटने की कोशिश करने लगा. मीना ने कहा "यार दोस्तों से भी कोई शरमाता है. बच्चों जैसी हरकतें मत करो. मैं तुम्हे आज एक नया खेल सिखाउन्गि." मीना ने अजय के जिस्म को, उसके होठों को, उसकी छाती को चूमना चाटना शुरू कर दिया. अजय के जिस्म में झुरजुरी दौड़ गयी. उसकी लंड की नसों में खून उफान मारने लगा. लगा जैसे की लंड फट जाएगा. अंजाने में ही उसके हाथ कब मीना की चुचियों पर चले गये उसे पता ही नहीं चला.
फिर तो जैसे तूफान आ गया. मीना ने अपना सूट सलवार उतार दिया. अब उसके जिस्म पर सिर्फ़ ब्रा-पॅंटी ही थी. अजय ये देखकर पागल हो रहा था. उसका दिमाग़ उसके काबू में नहीं रहा. वो पागलो की तरह ब्रा के उपर से ही मीना की चुचियों को दबाने और निचोड़ने लगा. मीना मस्ती में कराह रही थी और उसके होंठों को चूमे जा रही थी. मीना ने इसके बाद अजय का अंडरवेर उतार दिया . कच्छा उतरते ही अजय का लंबा मोटा लंड उसकी आँखों के सामने था. उसने अजय का लंड अपने मूह में भर लिया और आगे पीछे करने लगी. अजय के हाथ मीना की चुचियों से हट गये तो मीना ने पीछे से अपनी ब्रा के स्ट्रॅप खोलते हुए ब्रा उतार दी.
ब्रा उतरते ही मीना की गोरी और कसी हुई चुचियाँ अजय के सामने थी जो उसे बुला रही थी. अजय ने उनका निमत्रन स्वीकार किया और एक चुचि को हाथ से दबाते हुए दूसरी चुचि को मूह में भर लिया. जैसे ही चुचि के दाने को अजय ने हल्के से काटा तो मीना की मस्ती भरी चीख निकल गयी और वो झाड़ गयी. मीना ने अपनी पॅंटी उतारी और अजय के उपर 69 की पोज़िशन में लेट गयी. अजय को सब बहुत अच्छा लग रहा था. अब तक ये सब उसने सिर्फ़ अपने मम्मी-पापा को करते देखा था और आज खुद उसके साथ ऐसा हो रहा था. उसका दिमाग़ सैकड़ों विचारों से झूझ रहा था. उसका लंड ऐसे क्यूँ फूल रहा है ? वो क्या कर रहा है? क्या ऐसा करना सही है? लेकिन इस समय उसे इन सवालों के जवाब नहीं बल्कि उस असीम आनंद को महसूस करना था जिसे हासिल करने का सपना हर लड़की-लड़का देखते हैं.
मीना ने अजय के लंड को मूह में ले लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. उसने अजय को उसकी चूत चाटने को कहा. अजय ने पहले उसकी चूत को सूँघा और फिर उस पर हौले से अपनी जीभ फिराई. उसे कुछ नमकीन सा टेस्ट लगा. लेकिन इतना बुरा भी नहीं था. आख़िर मीना भी तो उसका लंड चूस रही थी. उसने मीना की चूत को पहले उपर उपर से और फिर चूत की फांकों को हटाते हुए अंदर गहराई तक जीभ डालकर चाटना शुरू कर दिया.
इधर अजय की जीभ को अपनी चूत में इतनी गहराई में पाकर मीना ने अजय का लंड और जोरों से चूसना शुरू कर दिया. अजय पर से भी कंट्रोल हटता जा रहा था. उसने मीना को बताया कि उसे बाथरूम आ रहा है लेकिन मीना को पता था कि क्या बात है तो उसने अजय को नहीं छोड़ा और बस चूस्ति रही. अजय का लंड बर्धस्त. नहीं कर पाया और उसने पानी छोड़ दिया. मीना उसकी एक एक बूँद को चाट गयी. लंड से पानी निकलने के बाद वो छोटा होने लगा लेकिन मीना ने उसे चूसना नहीं छोड़ा.
हालाँकि चूत चुसाई से वो भी दूसरी बार झाड़ गयी थी. अजय का लंड चूसे जाने से दुबारा खड़ा होने लगा. लंड के खड़ा होते ही मीना उसके उपर से हट गयी और उसे अपने उपर आने को कहा. मीना ने अपनी टाँगें फैलाई और अजय को चूत की तरफ इशारा करते हुए बताया कि इस छेद में अपना लंड डाले. अजय ने एक दो बार प्रयास किया लेकिन एक तो चूत टाइट थी और दूसरा ये उसका फर्स्ट टाइम था जिसकी वजह से लंड बार बार फिसल रहा था. मीना ने अपनी चूत की फांकों अपने हाथों से फैलाया और अजय के लंड को छेद पर टिकाते हुए ज़ोर से धक्का मारने को कहा.
अजय ने ज़ोर से धक्का मारा तो उसका लंड का सूपड़ा मीना की चूत में फँस गया. मीना दर्द से तड़प उठी लेकिन वो जानती थी कि आज नहीं तो कभी नहीं. उसने अजय को दुबारा धक्का मारने को कहा. अजय ने उसकी कमर को पकड़ा और एक ज़ोर से धक्का मार दिया. उसका लंड 2 इंच अंदर जाकर अटक गया. इससे पहले मीना कुछ कहती अजय ने और एक जोरदार धक्का मार दिया जो मीना की चूत की झिल्ली फाड़ता हुया 5 इंच अंदर चला गया था. मीना का दर्द के मारे बुरा हाल हो गया. उसकी चूत से खून निकल आया और वो चीख पड़ी. लेकिन अजय पर तो जैसे नशा छा गया था. मीना उसकी गिरफ़्त से छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन अजय ने उसे कसकर पकड़ कर रखा था.
उसने मीना की चीख अनसुनी करते हुए एक और ज़ोर का धक्का मार दिया और उसका लंड मीना की चूत में खो गया. इसके बाद उसने लंड को मीना की चूत के अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया. मीना की चीखें धीरे धीरे सिसकारियों में बदलने लगी. जो लंड पहले उसे तकलीफ़ दे रहा था अब उसे जन्नत की सैर करा रहा था. अजय एक बार झाड़ चुक्का था तो इस बार उसका लंड पानी छोड़ने में समय ले रहा था. अजय ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि चुदाई में इतना मज़ा आता है.
अजय की जोरदार चुदाई में मीना एक बार झाड़ चुकी थी और दूसरी बार झड़ने की तरफ बढ़ रही थी. इधर अजय के जिस्म का लावा भी बाहर आने को उतावला हो रहा था. अजय ने धक्के और तेज लगाते हुए मीना की चूत को अपने लंड के पानी से भरना शुरू कर दिया. इसी के साथ मीना की चूत ने भी पानी छोड़ दिया और दोनो एक दूसरे के उपर लेट कर हाँफने लगे.
इसके बाद दोनो ने एक बार और चुदाई की और अपने अपने कपड़े पहनकर वापस घर आ गये. अब तो ये उनका रोज़ का काम बन गया था. रोज़ तालाब और खेतों में जाते और मनपसंद जगह पर चुदाई किया करते थे. पहले तो दादी को उसका मीना के साथ रोज़ रोज़ जाना नागवार गुजरा लेकिन जब अजय की हालत में उन्हें सुधार दिखा तो उन्होना सोचा कि शायद मीना उसे ठीक करने की कोशिश कर रही है. क्यूँ ना मीना को कोशिश करने दी जाए. शायद अजय ठीक हो जाए. फिर तो कोई रोक टोक नहीं. दोनो दिन में कम से कम एक बार तो ज़रूर चुदाई करते थे. धीरे धीरे अजय की हालत में सुधार आता गया.
इसका कारण सिर्फ़ चुदाई नहीं थी बल्कि वो प्यार, हमदर्दी, अपनापन था जो उसे अपने घर में कभी नहीं मिला. पापा बिज़्नेस में उलझे रहते थे तो मम्मी किटी पार्टीस में. ऐसा नहीं कि वो अजय को प्यार नहीं करते थे लेकिन उनके पास अजय के लिए समय नहीं था. शायद यही कारण था अजय रिकवर नहीं कर पा रहा था. अब वोही प्यार और अपनापन उसे मीना के रूप में दिखाई दे रहा था.
धीरे धीरे अजय पूरी तरह ठीक हो गया. उसकी दादी ने ये खूसखबरी अजय के पिता विजय मल्होत्रा को सुनाई जिसे सुनकर तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुया. वो बहुत खुस थे कि उनकी ये कोशिश कितनी सफल हुई है. उन्होने तुरंत गाओं जाकर अजय को वापस लाने की सोची. वो गाओं गये और अजय को वापस लेके चलने लगे. अजय गाड़ी में बैठ गया जाकर और रोज की तरह उस समय मीना वहाँ पर आई जिसे अजय देख ना सका.
मीना को देखकर अजय की दादी ने बताया "विजय बेटा आज अगर अजय ठीक हुया है तो सिर्फ़ इस लड़की की वजह से. इसकी कोशिश का ही नतीजा है कि आज हमारा अजय बिलकुक ठीक है. विजय ये सुनकर बहुत खुस हुया और उसने कुछ पैसे निकालकर मीना को देने चाहे और कहा "बेटी तुमने हमारे बेटे के लिए कोशिश की ये उसका इनाम है रख लो."
मीना को तो झटका सा लगा क्यूंकी वो अजय से प्यार करने लगी थी और यहाँ उसके प्यार का मज़ाक बन रहा था. उसने पैसे लेने से इनकार कर दिया और कहा "नहीं बाबूजी आप लोगों की सेवा करना तो हमारा कर्तव्य है. मुझे ये पैसे नहीं चाहिए. विजय उसकी बातें सुनकर हैरान रह गया. और वो अपनी मा से विदा लेकर वहाँ से निकला और अपनी गाड़ी में बैठ गया और गाड़ी ने शहर के लिए चलना शुरू कर दिया. मीना भी वहाँ से चल दी. उसकी आँखें नम थी और बार बार एक ही सवाल उसके मन में उठ रहा था कि "ये मेरा प्यार था या सिर्फ़ कोशिश"
दा एंड
KOSHISH
Vijay Malhotra, Business Tycoon, Shehar ke chand rahison mein se ek. Rupaya, paisa, gaadi, naukar kisi cheez ki koi kami nahin thi. Bas ek kami thi unka beta Ajay jo shareer se to 20 saal ka hatta katta aadmi ban gaya tha lekin ek accident ki wajah se uske dimaag par chot lagi jisse uska dimaag ek bacche ki tarah kaam kar raha tha. Kai baar wo anjaane mein apne maa-baap ko chudai karte huye dekh chukka tha lekin uski samajh mein kuch nahin aata tha bas ek jigyasa si bani rehti thi hamesha jaise ki aksar bachhon mein dekhi jaa sakti hai.
Vijay ne Ajay ko bade se bade doctors se dikhwaya. London, America tak mein uska ilaaj chala lekin kahin koi fayda huya. Vijay ko hamesha yahi chinta khai jaa rahi thi ki uske baad itna bada business Ajay kaise sambhalega. Aur yahi chinta uski girti sehat ka kaaran banti jaa rahi thi jo aage chalkar uske business ko khatam kar sakti thi.
Unhone apne family doctor Vishal se salah mashwira kiya to unhone bataya ki "filhaal to koi hal najar nahin aa raha hai par ek kaam kar sakte hain Ajay ko kahin door kisi hill station par bhej dete hain. Wahan ki hariyali, shudh taazi hawayen, mausam aur barish ka maja, ho sakta hai Ajay ke dmaag par kuch asar kare. Kya pata wo wahi jaakar theek ho jaye. Wahan tumhare parents bhi hain gaon mein."
Vijay ne kaha "Haan yaar tune achha yaad dilaya. Shayad uski kismat mein wahan hi theek hona likha hai. Ab to bhagwan se yahi prathna hai ki wo jaldi se theek ho jaye. Chalo ye Koshish bhi karke dekh lete hain warna to har jagah se ummed hi toot chuki hai.
Vishal ne use haunsla diya aur tayyari karne ko kaha. Do din baad hi Vijay use uske dada-dadi ke paas chod aaya. Ajay yahan aake bahut khus tha. Roj subah subah kheton mein chala jaata. Din bhar kheton mein, pahadon par khelta, talaab mein nahata. Chidiyon se, ped-podhon se baatein karta, titliyan pakadta bas din bhar uska man wahin laga rehta tha. Use yun khus dekhkar uske dada-dadi bhi bahut khus the.
Ek Din Achanak jab wo khel raha tha tabhi uske kheton ki rakhwali karne wale mali ki ladki Meena apni saheliyon ke saath kheton ke paas bane talaab par nahane aayi. Unhe pata nahin tha ki Ajay wahan khel raha hai. Sabne apne apne kapde utare aur utar gayi pani mein. Gori gori, choti-badi chuchiyan paani mein uchal-kood macha rahi thi. Agar koi us drashya ko dekh leta to uska lund pant phad kar yakeenan bahar aa jata. Ajay paas hi khel raha tha to paani ki awaaz sunkar talab ki taraf chala aaya.. Wahan aakar jab usne sunder sunder ladkiyon aur unki chuchiyon ko dekha to jaise kho hi gaya. Dheere dheere wo sammohit sa talaab ke paas aa gaya aur ektak ladkiyon khaskar Meena ko niharne laga.
Achanak Meena ki najar us par padi to wo chilla uthi. Usne Ajay ko deshi bhasha mein galiyan nikalni shuru kar di jise sunkar Ajay ghabra gaya aur wahan se turant bhag gaya. Meena ka chehra gusse se laal ho gaya tha. Use apni saheliyon se pata chal gaya tha ki ye ladka shehar se aaya hai aur kahan thehra hai to wo seedha wahin chali gayi.
Jab Ajay ne use khidki se uske ghar ki taraf aate dekha to dar ke mare wo apne kamre ko andar se band karke baith gaya. Meena ne saari ghatna Ajay ki dadi ko batayi to dadi ne usse apne pote ke kiye ki maanfi maangi aur Ajay ki haalat se avgat karaya jise sunkar Meena chaunk gayi. Use ab afsos ho raha tha ki usne bewajah hi use kitna dant diya tha aur yahan shikayat bhi karne chali aayi thi.
Use laga ki use Ajay se maafi maangni chahiye aur uski dadi se permission leke andar chali gayi. Wahan jakar jab usne darwaja khatkhataya to Ajay ne dar ke maare darwaja hi nahin khola. Usne Ajay ko kaha "Agar tum darwaja nahin khologe to main tumhari dadi ko sab bata dungi" Bechara Ajay kya karta usne dheere se darwaja khol diya. Darwaja khulte hi Meena kisi pyaasi sherni ki tarah andar lapki aur Ajay ko peeche dhakelte huye andar se darwaja band kar diya.
Ajay ki to haalat kharab thi. Uski aankhen gili ho gayi thi ye sochkar ki ab uska kya hoga. Meena ko uska masoom chehra aur uski bholi adayen bha gayi aur wo sochne lagi ki bhagwan bhi kitna nisthur hai jo itne sunder aur jawan ladke ko dimaag se kamjor bana diya.
Iske baad Meena ne poocha "Tum wahan roz jaate ho". Ajay kuch nahin bola. Meena ne kaha "Kal mere saath chalna". Pehle to Ajay ne mana karne ki sochi lekin phir use Meena dwara dadi ko baat bata dene ki dhamki yaad aa gayi to wo maan gaya. Itna bolkar Meena wahan se chali gayi. Agle din Meena Ajay ke ghar pahunch gayi kyunki wo jaanti thi ki Ajay nahin jayega. Lekin raaste bhar Meena usse halki fulki majak bhari baatein karti rahi jisse Ajay ka dar door bhaag gaya aur talaab tak pahunchte pahunchte Ajay aur Meena acche dost ban gaye the.
Talaab par pahunchte hi Meena kapde samet paani mein utar gayi. Usne Ajay ko bhi aane ko kaha lekin wo sharma raha tha. Talaab ke thande paani mein Meena ka jism garma raha tha. Jawani ki dehlij par usne kadam rakhe hi the aur Ajay usko nagna dekhne wala pehla purush tha. Uski taraf akarshan swabhawik hai. Usne Ajay ko kaha "Ab to hum dost hain to saath kyun nahin naha sakte". Ajay ne ek pal ko socha aur apne kapde (Underwear chodkar) utarkar paani mein aa gaya. Paani mein aakar dono athkheliyan karne lage. Meena ka jism garam hota jaa raha tha aur iska kuch kuch asar Ajay par bhi pad raha tha. Uska lund pant mein tambu bana chuka tha jise Meena dekh chuki thi. Meena ki dhadhkane tej ho chuki thi.
Meena ne Ajay ko kaskar apni baahon mein samet liya. Ajay ghabra gaya aur Meena ki giraft se chootne ki koshish karne laga. Meena ne kaha "Yaar doston se bhi koi sharmata hai. Bachhon jaisi harkatein mat karo. Main tumhe aaj ek naya khel sikhaungi." Meena ne Ajay ke jism ko, uske hothon ko, uski chaati ko chumna chatna shuru kar diya. Ajay ke jism mein jhurjhuri daud gayi. Uski lund ki nason mein khoon ufan maarne laga. Laga jaise ki lund fat jayega. Anjaane mein hi uske haath kab Meena ki chuchiyon par chale gaye use pata hi nahin chala.
Phir to jaise toofan aa gaya. Meena ne apna suit salwar utar diya. Ab uske jism par sirf bra-panty hi thi. Ajay ye dekhkar paagal ho raha tha. Uska dimaag uske kabu mein nahin raha. Wo paagon ki tarah bra ke upar se hi Meena ki chuchiyon ko dabane aur nichodne laga. Meena masti mein karah rahi thi aur uske honthon ko chume jaa rahi thi. Meena ne iske baad Ajay ka underwear utar diya . Kachha utarte hi Ajay ka lamba mota lund uski aankhon ke saamne tha. Usne Ajay ka lund apne muh mein bhar liya aura age peeche karne lagi. Ajay ke haath Meena ki chuchiyon se hat gaye to Meena ne peeche se apni bra ke strap kholte huye bra utar di.
Bra utarte hi Meena ki Gori aur kasi huyi chuchiyan Ajay ke saamne thi jo use bula rahi thi. Ajay ne unka nimatran sweekar kiya aur ek chuchi ko haath se dabate huye doosri chuchi ko muh mein bhar liya. Jaise hi chuchi ke daane ko Ajay ne halke se kaata to Meena ki masti bhari cheekh nikal gayi aur wo jhad gayi. Meena ne apni panty utari aur Ajay ke upar 69 ki position mein let gayi. Ajay ko sab bahut achha lag raha tha. Ab tak ye sab usne sirf apne mummy-papa ko karte dekha tha aur aaj khud uske saath aisa ho raha tha. Uska dimaag saikdon vicharon se jhoojh raha tha. Uska lund aise kyun phool raha hai ? Wo kya kar raha hai? Kya aisa karna sahi hai? Lekin is samay use in sawalon ke jawab nahin balki us aseem anand kop rapt karna tha jise haasil karne ka sapna har ladki-ladka dekhte hain.
Meena ne Ajay ke lund ko muh mein le liya aur jor jor se choosne lagi. Usne Ajay ko uski chut chaatne ko kaha. Ajay ne pehle uski chut ko sungha aur phir us par haule se apni jeebh phirayi. Use kuch namkeen sa taste laga. Lekin itna bura bhi nahin tha. Aakhir Meena bhi to uska lund choos rahi thi. Usne Meena ki chut ko pehle upar upar se aur phir chut ki phankon ko hatate huye andar gehrayi tak jeebh dalkar chatna shuru kar diya.
Idhar Ajay ki jeebh ko apni chut mein itni gehrayi mein paakar Meena ne Ajay ka lund aur joron se choosna shuru kar diya. Ajay par se bhi control hatta ja raha tha. Usne Meena ko bataya ki use bathroom aa raha hai lekin Meena ko pata tha ki kya baat hai to usne Ajay ko nahin choda aur bas choosti rahi. Ajay ka lund bardhast nahin kar paya aur usne pani chod diya. Meena uski ek ek boond ko chat gayi. Lund se paani nikalne ke baad wo chota hone laga lekin Meena ne use choosna nahin choda.
Halanki chut chusayi se wo bhi doosri baar jhad gayi thi. Ajay ka lund choose jaane se dubara khada hone laga. Lund ke khada hote hi Meena uske upar se hat gayi aur use apne upar aane ko kaha. Meena ne apni taangein phailayi aur Ajay ko chut ki taraf ishara karte huye bataya ki is ched mein apna lund dale. Ajay ne ek do baar prayas kiya lekin ek to chut tight thi aur doosra ye uska first time tha jiski wajah se lund baar baar fisal raha tha. Meena ne apni chut ki faankon apne haathon se failaya aur Ajay ke lund ko ched par tikate huye jor se dhakka marne ko kaha.
Ajay ne jor se dhakka mara to uska lund ka supada Meena ki chut mein fans gaya. Meena dard se tadap uthi lekin wo jaanti thi ki aaj nahin to kabhi nahin. Usne Ajay ko dubara dhakaa maarne ko kaha. Ajay ne uski kamar ko pakda aur ek jor se dhakka maar diya. Uska lund 2 inch andar jaakar atak gaya. Isse pehle Meena kuch kehti Ajay ne aur ek jordaar dhakka maar diya jo Meena ki chut ki jhilli phadta huya 5 inch andar chala gaya tha. Meena ka dard ke maare bura haal ho gaya. Uski chut se khoon nikal aaya aur wo cheekh padi. Lekin Ajay par to jaise nasha cha gaya tha. Meena uski giraft se chootne ki koshish karne lagi lekin Ajay ne use kaskar pakad kar rakha tha.
Usne Meena ki cheekh ansuni karte huye ek aur jor ka dhakka maar diya aur uska lund Meena ki chut mein kho gaya. Iske baad usne lund ko Meena ki choot ke andar-bahar karna shuru kar diya. Meena ki cheekhen dheere dheere siskariyon mein badalne lagi. Jo lund pehle use takleef de raha tha ab use jannat ki sair kara raha tha. Ajay ek baar jhad chukka tha to is baar uska lund paani chorne mein samay le raha tha. Ajay ne kabhi sapne mein bhi nahin socha tha ki chudai mein itna maja aata hai.
Ajay ki jordaar chudai mein Meena ek baar jhad chuki thi aur doosri baar jhadne ki taraf badh rahi thi. Idhar Ajay ke jism ka lawa bhi bahar aane ko utawala ho raha tha. Ajay ne dhakke aur tej lagate huye Meena ki chut ko apne lund ke paani se bharna shuru kar diya. Isi ke saath Meena ki chut ne bhi paani chod diya aur dono ek doosre ke upar let kar haanfne lage.
Iske baad dono ne ek baar aur chudai ki aur apne apne kapde pehankar wapas ghar aa gaye. Ab to ye unka roz ka kaam ban gaya tha. Roz talaab aur kheton mein jaate aur manpasand jagah par chudai kiya karte the. Pehle to dadi ko uska Meena ke saath roz roz jaana nagwaar gujra lekin jab Ajay ki haalat mein unhen sudhar dikha to unhona socha ki shayad Meena use theek karne ki koshish kar rahi hai. Kyun na Meena ko koshish karne di jaye. Shayad Ajay theek ho jaye. Phir to koi rok tok nahin. Dono din mein kam se kam ek baar to jaroor chudai karte the. Dheere dheere Ajay ki haalat mein sudhar aata gaya.
Iska kaaran sirf chudai nahin thi balki wo pyaar, hamdardi, apnapan tha jo use apne ghar mein kabhi nahin mila. Papa business mein uljhe rehte the to mummy kitty parties mein. Aisa nahin ki wo Ajay ko pyaar nahin karte the lekin unke paas Ajay ke liye samay nahin tha. Shayad yahi karan tha Ajay recover nahin kar pa raha tha. Ab wohi pyaar aur apnapan use Meena ke roop mein dikhayi de raha tha.
Dheere dheere Ajay poori tarah theek ho gaya. Uski dadi ne ye khuskhabri Ajay ke pita Vijay Malhotra ko sunai jise sunkar to unhen vishwaas hi nahin huya. Wo bahut khus the ki unki ye koshish kitni safal huyi hai. Unhone turant gaon jaakar Ajay ko wapas lane ki sochi. Wo gaon gaye aur Ajay ko wapas leke chalne lage. Ajay gaadi mein baith gaya jaakar aur roj ki tarah us samay Meena wahan par aayi jise Ajay dekh na saka.
Meena ko dekhkar Ajay ki dadi ne bataya "Vijay beta aaj agar Ajay theek huya hai to sirf is ladki ki wajah se. Iski koshish ka hi natija hai ki aaj hamara Ajay bilkuk theek hai. Vijay ye sunkar bahut khus huya aur usne kuch paise nikalkar Meena ko dene chahe aur kaha "Beti tumne hamare bete ke liye koshish ki ye uska inaam hai rakh lo."
Meena ko to jhatka sa laga kyunki wo Ajay se pyaar larne lagi thi aur yahan uske pyaar ka majak ban raha tha. Usne paise lene se inkaar kar diya aur kaha "Nahin babuji aap logon ki sewa karna to hamara kartavya hai. Mujhe ye paise nahin chahiye. Vijay uski baatein sunkar hairan reh gaya. Aur wo apni maa se wida lekar wahan se nikala aur apni gaadi mein baith gaya aur gaadi ne shehar ke liye chalna shuru kar diya. Meena bhi wahan se chal di. Uski aankhen nam thi aur baar baar ek hi sawal uske man mein uth raha tha ki "YE MERA PYAAR THA YA SIRF KOSHISH"
THE END
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