Thursday, September 8, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ मर्ज बढता ही गया--3

हिंदी सेक्सी कहानियाँ
मर्ज बढता ही गया--3
गतांक से आगे........
और अंत में वही हुआ  सुदेश एक बार तो रश्मि को बिना चोदे हे झड गया ।
उसका अन्डरवेअर उसके अपने ही रस से भीग गया । यह देख कर रश्मि खिलखिला कर
हंस पड़ी परन्तु सुदेश की हालत देखने लायक  थी । वो अपने आप में बहुत
शर्मिंदा महसूस कर रहा था । खेर थोड़ी ही देर के बाद वो फिर से तैयार हो
गया । इस बार वो अपना संतुलन बना के चल रहा था । उसने रश्मि को गोद में
उठाया और उसको पलंग पे पटक दिया । अब वो अपने खेल में जल्दबाजी नहीं करना
चाहता था । वो धीरे धीरे रश्मि के स्तनों को मसलने लगा और चूसने लगा ।
कभी कभी उसका मुह रश्मि की नाभि पे आ जाता तो रश्मि भी सिहर उठती । ये
देख कर सुदेश को भी जोश आ जाता । सुदेश रश्मि के ओठों का रसपान करता तो
रश्मि उसके हथियार को खिंच कर लम्बा करने का प्रयास करती । थोड़ी देर के
खेल के बाद सुदेश अपना मुह रश्मि की चिकनी चूत पे ले गया उसकी चूत गरम हो
चुकी थी वो अब चुदने को एक दम तैयार थी पर सुदेश तो चाहता था की जल्दबाजी
में एक बार फिर से काम बिगड़ सकता हे इसलिए उसने धैर्य रखा और अपना काम
करता रहा । उसने अपनी नाक को रश्मि की चूत के पास ले जा क सुंघा एक मादक
सी महक उसके दिमाग पे छा गई उसे लगा जैसे किसी ने उसको बिना पानी या सोडे
के ही सराब पिला दी हो वो मदहोस सा हो गया उसकी आँखे अधखुली थी अपनी
अधखुली आँखों से वो रश्मि की चूत को भी निहार रहा था । धीरे से उसने अपनी
जीब बाहर निकली और बड़े इत्मीनान से उसको रश्मि की चूत की चीर पे फेरा
रश्मि को मानो करंट सा लग गया हो तो फडफडा उठी उसने अपनी टांगो को आपस
में चिपका लिया ।
अब तो ऐसा लगने लगा जैसे सुदेश रश्मि पे haavi हो रहा हो । उसने रश्मि की
तानो को फैला दिया और खुद उसकी टांगो के बीच आ गया उसने रश्मि की चूत को
थोडा सा फैला दिया और अपनी जीभ उसमे डालने लगा । अंदर तो मानो कोई
ज्वालामुखी फुट रहा हो रश्मि की चूत एक दम लाल सुर्ख और गरम थी सुदेश इस
गर्मी को अपने में समाहित कर लेना चाहता था और चाहता था की अपनी
शर्मिंदगी का बदला लिया जाए और रश्मि को शांत कर दिया जाए । उसने अपनी
जीभ को रश्मि की चूत में फिराना शुरू किया रश्मि की चूत की garmaahat की
सुदेश अपनी जीभ पे महसूस कर रहा था थोड़ी देर की चटाई के बाद सुदेश ने
देखा उसका लंड एक दम कठोर हो गया हे । वो अपनी गर्मी को ज्यादा सहन नहीं
कर सकता था इसलिए उसने अपने लंड का सुपाडा रश्मि की चूत के मुहाने पे
लगाया और एक जोर का झटका दिया । इस काम को करने में सुदेश को ज्यादा
म्हणत नहीं karni पड़ी क्यू की रश्मि तो पहले से ही इस काम में माहिर हो
चुकी थी सो सुदेश का लंड अपनी चूत में लेने में उसको कोई ज्यादा दिक्कत
नहीं आई । उसके मुह से सिर्फ एक आह निकली ये आह दर्द की नहीं थी बल्कि
मजे की थी ।
सुदेश तो अपना होश रश्मि की चूत देखते ही खो चूका था इसलिए उसको पता भी
नहीं था की नई नवेली दुल्हन की चूत में लंड एक दम से नहीं जाता । वो अपने
काम में लगा रहा अब सुदेश धीरे धीरे रश्मि की चूत मार रहा था । थोड़ी देर
के बाद उसका लंड पूरा पानी से भीग गया सायद रश्मि की चूत ने पानी chod
दिया था इस लिए सुदेश का लंड भी गिला हो गया था । सुदेश को लगा मानो वो
अपने शारीर की गर्मी को ज्यादा सहन नहीं कर पायेगा इस लिए उसने जोर जोर
से धक्के लगाने शुरू कर दिए हर धक्के पे रश्मि के मुह से आह निकलती तो
सुदेश और ज्यादा जोश में आ के जोर का धक्का देता उधर रश्मि भी हर धक्के
पे पूरी हिल जाती और जोर की आहे भरती । थोड़ी देर तक जोर के धक्के देने के
बाद सुदेश रश्मि की चूत में झड गया उसका अमृत रस रश्मि की चूत से बाहर आ
रहा था ऐसा लग रहा था मानो किसी ने mahadev का दही से अभिषेक किया हो ।
और सुदेश रश्मि के वक्ष स्थलों पे अपना सर रख कर सो गया रश्मि का शारीर
भी लाल सुर्ख हो गया था वो भी एक dam nidhaal हो गई थी । इसी अवस्था में
उन दोनों को naa jaane kab neend आ गई पता ही नहीं चला ।

अगले दिन सुबह जब सुदेश उठा तो रश्मि के नंगे जिस्म को सूरज की रौशनी में
देख कर फिर जोश में आ गया । or वो सुबह सुबह ही रश्मि को एक बार फिर से
अपने आगोश में ले लिया ।
दोपहर को सुदेश का दोस्त रमण उससे मिलने आया । वो मिलने तो क्या आया
वास्तव में तो वो सुदेश से yeh पूछने आया था ki उसकी सुहागरात कैसी रही ।
खेर घर में पाँव रखते ही उसकी नज़र रश्मि पे पड़ी उसको देखते ही रमण उस पे
फ़िदा हो गया । वो उसको एक तक देखे जा रहा था की इसी बीच सुदेश आ गया ।
रमण ने सुदेश को कहा यार तुम बहुत किस्मत वाले हो जो तुमको इतनी सुन्दर
पत्नी मिली । अपनी पत्नी की तारीफ़ सुन कर सुदेश मन ही मन खुस हुआ परन्तु
उसके चेहरे पे एक सिकन थी वो कुछ बाते जानना चाहता था ।
इसके बाद सुदेश और रमण एक कमरे में चले गए । रमण ने सुदेश से पुछा यार
सुदेश बता तेरे सुहागरात कैसी रही । रात  को किला फतेह कर लिया या नहीं ।
सुदेश को शर्म आ गई और उसने अपना सर हां में हिला दिया । मन में खुसी  भी
थी और एक उलझन ही थी । मन ही मन सोच रहा था की रमण को बात पूछ लू । वो
कुछ कहने ही वाला था की रमण ने उसको पूछ लिया क्या बात हे सुदेश कुछ
परेसान से देखाए दे रहे हो कोई परेसानी हो तो में बाद में आ जाता हु ।
सुदेश ने कहा कुछ नहीं यार बस एक बात समझ में नहीं आ रही हे तुम मुझे बता
सकते हो क्या । रमण बोला हा पुचो क्या बात हे । सुदेश ने कहा क्या किसी
नै नवेली दुल्हन के साथ जब पहली बार करते हे तो क्या उसकी योनी से खून
आता हे क्या ।
रमण कुछ सोच vichaar रहा था । उसको लगा सायद सुहागरात को रश्मि के खून
नहीं आया होगा इसलिए सुदेश परेसान हो गया हे शायद उसको वहम होगा की रश्मि
पहले से ही किसी के साथ अनुभव ले चुकी हे । रमण तो चाहता था की यदि वो
उसको ये बता दे की रश्मि पहले से किसी के साथ सारा काम कर चुकी हे तो में
रश्मि को कभी  नहीं पा सकूँगा इसलिए उसने अपने किताबी ज्ञान का उपयोग में
लिया और सुदेश को कहा । देखो सुदेश ऐसा कुछ नहीं हे की खून निकले । उसने
कहा औरतों के योनी में एक झिल्ली होती हे यदि वो फट जाती हे तो खून निकल
आता हे और कोई जरुरी नहीं हे की वो झिल्ली सम्भोग के समय ही फटे वो तो
खेल खेल भी फट सकती हे तुम परेसान मत होवो ये सब तो एक दम साधारण si बात
हे ।
रमण की बात सुन कर सुदेश का सारा वहम निकल गया उसके चहरे पे एक सुकून आ
गया । अब तो खुस था । वो दोनों बातें कर ही रहे थे की इसी बीच रश्मि वह
चाय ले के आ गई । उसने एक कप सुदेश को दिया और जैसे ही वो दूसरा कप रमण
को देने के लिए झुकी उसकी साड़ी का पल्लू नीचे सरक गया । साड़ी का पल्लू
सरकते ही रमण रश्मि की चिकनी गोलाइयो की दरार के बेच फंस गया । वो उसके
उसको एक टक देखे जा रहा था । कुछ संभल कर रश्मि ने अपना पल्लू ठेक किया
तो रमण की भी तन्द्रा टूट गई । रश्मि वही पे सोफे पे बेथ गई और उन दोनों
की बातो में साथ देने लगी । जब जब रमण की नज़र रश्मि पे पड़ती रश्मि के
गुलाबी ओठो पे एक मुस्कान आ जाती और आँखे शर्म से झुक  जाती । शायद रमण
रश्मि के वर्ताव को पहचान गया था । कुछ देर बाते करने के बाद रमण वह से
चला गया ।

दिन पर दिन बित्ते चले गए । रमण का सुदेश के घर आना जाना जारी रहा ।
रश्मि भी अब रमण से काफी खुल गई थी । वो कई बार रमण के साथ एक ही सोफे पे
बेथ कर चाय की चुस्कियो का आनंद लेती रही । बातो बातो में वो कभी कभी रमण
की जांघो पे भी हाथ मार देती थी । जिस से रमण का भी मन मचल उठता ।
एक दिन सुदेश ने रमण को बताया की वो शहर जा के काम करना चाहता हे । रमण
ने देखा अब उसका रास्ता साफ़ हे । उसने सुदेश को और प्रोत्साहित किया और
कहा शहर में बहुत अछि कमाई हे तुमको जरुर जाना चाहिए । और एक दिन रमण ने
सुदेश को शहर का रास्ता दिखा दिया । वो सुदेश को छोड़ने के लिए स्टेशन तक
आया । सुदेश का ध्यान तो रश्मि की और था पर मन को भारी कर के वो शहर की
और चल पड़ा ।
अब दोनों पंछियों के लिए आसमान खुला था । रश्मि का मन भी थोडा उदास था पर
रमण को देख कर वो खुस भी थी । दो चार दिन के बाद ही रमण ने अपना जाल
फैलाना सुरु कर दिया ।
एक दिन जब रश्मि के सास ससुर खेत पे चले गए रमण रश्मि से मिलने उसके घर
गया । रश्मि रशोई में खाना बनाने की तयारी कर रही थी । उसका मुह दिवार की
और था रमण कब रसोई में आया उसको पता ही नहीं चला । वो अपने काम में
व्यस्त थी । घाघरे के पेचे उसके उभारदार नितम्बो को देख कर रमण का लंड एक
दम से खड़ा हो गया । वो रश्मि के नजदीक गया । और पेचे से उसकी कमर को पकड़
लिया । रश्मि एक दम से हुए इस हमले से दर गई उसने अपने आप को रमण से
छुड़ाया और एक और हट गई और कहा ये आप क्या कर रहे हो रमणजी अगर कोई देख
लेगा तो बहुत बदनामी होगी । रमण ने भी उसके शब्दों का अर्थ लगा लिया की
किसी के घर में होने से डर रही थी न की उसके रसोई में होने से । रमण ने
मोर्चा संभाला और कहा रश्मि घर पे कोई नहीं हे तेरे सास ससुर खेत में गए
हे । इस पर रश्मि मुस्कुरा दी और कहा मुझे पता हे में तो बस उ ही कह रही
थी । अब रमण से और नहीं रहा जा रहा था उसने रश्मि को पकड़ लिया और अपनी
बाहों में झुला झुलाने लगा और उसके गोरे गोरे चिकने गालो पे चुम्बन  की
झाडिया लगा दी । रश्मि भी और बर्दास्त नहीं कर सकती ही उसने भी रमण को
प्रतिउत्तर देना सुरु कर दिया । दोनों पंछी उड़ान के लिए तयार थे । रमण ने
रश्मि की चूत को खड़े खड़े ही घाघरे के ऊपर से ही सहलाना सुरु कर दिया
रश्मि भी रमण के लंड को पेंट के ऊपर से रगड़ने लगी । अब रमण ने रश्मि की
अंगिया के हुक खोल दिए जैसे ही उसने उसके हुक को खोला रश्मि के दुधिया
रंग में रंगे गोल गोल और चिकने गुलाबी चुचियो वाले स्तन झट से बाहर आ गए
जिस को देख कर रमण के होश फाख्ता हो गए वो अपने पे काबू नहीं रख सका और
उन पर टूट पड़ा रश्मि भी एक दम लाल हो गई उसने कहा रमण ये सब आपका ही तो
हा जरा आहिस्ता कीजिये ना इतनी जल्दी क्या हे । रमण तो अपनी धुन में उनको
अपने मुह में लगातार चुस्त जा रहा था शायद रश्मि की बात उसके कानो तक
पहुची ही नहीं । रश्मि की चुचियो को चूसने के बाद रमण धीरे धीरे रश्मि के
नाभि कमल तक आ गया और रश्मि की मधोस कर देने वाली खुसबू पागल सी कर रही
थी वो तो जन्नत के द्वार तक पहुँचने वाला था बस एक रुकावट आ रही थी ।
उसने उस द्वार को खोला नहीं परन्तु उसको ऊपर कर दिया जी हाँ उसने रश्मि
के घाघरे को उसके कामत तक ऊपर उठा दिया उसको जन्नत का दरवाजा दिखाई दे
रहा था । उसको देखते ही रमण के लंड की एक एक नस फुल गई थी उसको लगने लगा
कई उसके लंड की नसे फट न जाए उससे पहले ही रश्मि ने रमण की पेंट खोल कर
उसका लंड अपने हाथ में ले लिया और उसको सहलाने लगी । इस से रमण का जोश
दुगुना हो गया । रश्मि ने रमण का लंड देखा तो उसकी आँखे फट गई उसका लंड
नो इंच का था इनता मोटा लंड उसने आज तक नहीं देखा । वो अपनी किस्मत को
बार बार दुहाई दे रही थी । रश्मि नीचे झुकी मानो वो रमण के लंड को
साष्टांग प्रणाम करना चाहती हो परन्तु नीचे झुक कर उसने रमण के लंड को
अपने मुह में के लिया जैसे ही रमण का लंड रश्मि के मुह में गया उसके लंड
ले रस की बुँदे टपकने लगी रश्मि उसको प्रशाद मान कर अपने कंठों में उतार
लिया । वो उसके सारे रस को पि गई । और रमण के लंड की चमड़ी को पीछे कर कर
के अपने मुह में ले के जोर जोर से झटके देने लगी कई देर तक करने बाद रमण
से रहा न गया उसने रश्मि को ऊपर उठाया और उसको दिवार के सहारे खड़ा कर
दिया । रमण ने रश्मि की एक जांघ को अपने हाथ से ऊपर उठाया और और अपना लंड
रश्मि की गुलाबी चूत पे टिका दिया पूरा सहारा देख कर रमण ने रश्मि को जोर
का झटका दिया जैसे ही रमण का लंड रश्मि की चूत को चीरता हुआ अन्दर गया
रश्मि के गले से मधुर नाद निकलने लगा दिवार का सहारा दिए हुए रमण ने
रश्मि की चुदाई करनी सुरु कर दी रश्मि के लिए ये एक नया अनुभव था आज वो
एक असीम आनंद में खो गई । कुछ देर ऐसी ही चूड़ी करने के बाद रमण रसोई में
लगी पट्टी पे बैठ गया और रश्मि और अपने ऊपर ले लिया अब रश्मि रमण ले लंड
पे बैठी ऊपर नीचे हो रही थी मानो किसी अरबी घोड़े की सवारी कर रही हो नीचे
रश्मि और रमण का रस टपक रहा था जैसी मधुमख्ही के छाते से शहद टपकता हो ।
दोनों के दोनों दिन दुनिया से बेखबर परम आनंद की गहराई में खो गए थे । अब
रमण ने रश्मि को नीचे उतरा और उसको सीधा लेता दिया और खुद रश्मि के ऊपर आ
गया अपनी लंड का एक जोरदार झटका देते ही रश्मि की स्वांस जहा थी वही अटक
गई । उसके मुह से एक जोर की चीख निकली शायद रमण का लंड रश्मि के गर्भस्य
तक चला गया था रमण उसकी चीख को अनसुना कर लगातार धक्के दे रहा था । हर
धक्के पे रश्मि की चीख पुरे घर में सुनी जा सकती थी । दोनों के दोनों
पसीने से लतपथ हो चुके थे । पर रुकने का नाम नहीं ले रहे थे । ४५ मिनट तक
रमण रश्मि को चोदता रहा । इस बीच रश्मि कई बार झड चुकी थी उसकी चूत एक दम
गीली हो गई थी आज रश्मि की चुदाई से रसोई में एक अजीब सा संगीत आ रारहा
था चूत से फचफच की आवाज़े निकलने लगी । अंत  में वो घडी आ गई जब रमण भी
झड़ने वाला था अब रमण और जोर से झटके देने लगा तो रश्मि की चिक्खे भी तेज
हो गई उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे । चेहरा  लाल तो गया था आखिर रमण
रश्मि की चूत में ही शान्त हो गया । वो रश्मि के ऊपर ही कई देर तक पड़ा
रहा । रश्मि के बदन पे पसीने की बुँदे मोतियों की तरह चमक रही थी । उसकी
चूत खिले हुए गुलाब की तरह लाल सुर्ख हो गई थी स्तन में थोडा ढीलापन आ
गया था ऐसा लग रहा था की रश्मि परम संतोस को प्राप्त कर चुकी थी । रमण और
रश्मि की तम्मना कई दिनों बाद आज पूरी हो गई थी ।
तो दोस्तों ये थी रश्मि की पहर से ससुराल तक की यात्रा
इस के बाद रश्मि जब भी गाँव जाती तो वह पे इन्द्र और सुखराम के साथ
मजे लेती
और अपने ससुराल में रहती तो कभी स्कुदेश से तो कभी रमण के  साथ
मजे लेती
ये सिलसिला यु ही चलती रहा रश्मि जिंदगी का आनंद लेती रही
और दुसरो को भी देती रही
इसी के  साथ में ये कहानी येही ख़तम कर रहा हु आपका दोस्त राज शर्मा

 समाप्त


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