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हिंदी सेक्सी कहानियाँ
मां बेटे का संवाद--5
gataank se aage.................
"अरे वो तो ऐसे ही ... बदमाश कहीं का ... मेरे को तेरा मंगलसूत्र पहना देख कर तेरा लंड ऐसा हो गया था जैसे लोहे की सलाख ... वो बात अलग है बेटा ... वो तो मेरे तेरे बीच की बात है"
"पर मां, मेरे लिये तो तू ही मां है, तू ही मेरी बीवी, लुगाई, सब कुछ. अब उस लड़की से शादी करके मैं क्या करूंगा?"
"अरे कर ले ना. सच में बड़ी रूपवती है. तुझे बहुत पसंद आयेगी. बहू घर में आये तो मुझे भी कुछ आराम मिलेगा."
"तो क्या मैं तुझे इतना रगड़ता हूं कि तेरे को मेरे से आराम चाहिये?"
"हंस रहा है ना, हंस, और हंस, तेरे को मालूम है कि तू मुझे चौबीस घंटे रगड़ेगा फ़िर भी मैं तेरे को आशिर्वाद ही दूंगे मेरे राजा. अरे घर का भी काम होता है, अब मेरी उमर हो चली है, घर के काम को तो जवान बहू चाहिये ना?"
"ऐसा बोल. पर अम्मा, घर में कमला हो ना हो, चोदूंगा तो मैं बस तुझे ही. अब वो बालिका घर में रहेगी तो उसे पता चल ही जायेगा कि ये बेटा अपनी मां के पीछे दीवाना है. तब वह हाय तोबा नहीं मचायेगी?"
"अरे मैं सब संभाल लूंगी. उसे बता भी दूंगी."
अच्छा अम्मा? वो शादी को तैयार हो जायेगी अगर उसे पता चलेगा कि हमारे यहां तो मां बेटे का इश्क चलता है?
"शादी के बाद बताऊंगी. तब बच के कहां जायेगी? उसकी सुनता कौन है बाद में? शादी के बाद तो ऐसे जाल में फ़ंसा दूंगी कि पर मारेगी तो भी उड़ नहीं पायेगी.
"अच्छी डांट डपट के रखेगी? उससे काम करवायेगी अम्मा?"
"हां बेटे, घर का काम भी करवाऊंगी और ... जरा अपनी भी सेवा करवाऊंगी."
"अच्छा ... अब समझा. अम्मा तू बड़ी चालू चीज है. बहू से सेवा करवायेगी, वो पिक्चर वाली सेवा? ओह अम्मा, क्या दिमाग पाया है तूने."
"अरे तो क्या हुआ? तू ही कह रहा था ना आज कि अम्मा किसी को ले आऊं क्या चोदने को अगर तेरा मन नहीं भरता. तो अब बहू ही ले आ, मैं उसी से मन बहला लूंगी."
"पर वो तो मैं किसी मर्द की बात कर रहा था, किसी तगड़े लंड वाले मर्द की. तेरी हवस क्या वो जरा सी छोकरी पूरी कर पायेगी? तेरे को चाहिये मस्त मूसल जैसा लौड़ा जो कभी ना झड़े"
"तेरा लंड क्या कम है? चूत में घुसता है तो स्वर्ग ले जाता है बेटे और गांड में ... उई मां ऽ ... हालत खराब कर देता है मेरी, तू नहीं जानता कि जब एक मां अपने बेटे का लंड पा लेती है तो उसे और कोई लंड नहीं भाता. तेरे बिना मैं किसी से नहीं चुदाऊंगी. हां कोई प्यारी सी लड़की मिल जाये तो बात और है. बहुत सुकून मिलेगा बेटे मुझे. तू नहीं जानता, तूने जो ये आग लगायी है मेरे बदन को वो बुझती नहीं है मेरे लाल. जब तू होता है तो अपनी अम्मा से चिपटा रहता है पर दोपहर को जब मैं अकेली होती हूं तो परेशान हो जाती हूं बेटे, मुठ्ठ मार कर भी आराम नहीं मिलता. वो केले, ककड़ी, गाजर - सब नाकारा हो जाते हैं. और जब तू काम से शहर के बाहर जाता है तो .... मैं पागल सी हो जाती हूं बेटे. ये जो पिक्चर तू लाता है ना, उन्हें देख देख कर अब मेरा भी मन होता है किसी औरत के बदन से बदन लगाने का. अगर बहू ले आये तो दोनों काम हो जायेंगे."
"चलो, मेरी अम्मा को और कोई तो मिला प्यास बुझाने को पर क्या हुआ अम्मा, एकदम से कमला कैसे खयाल में आ गयी तेरे? ऐसी क्या खास बात है उसमें? या तेरी बुर कुलबुलाती है उसकी कमसिन जवानी देख कर,अब मेरे को पता चला है कि तेरा कोई भरोसा नहीं मां"
"खास बात है ना उसमें. हमारे यहां बहू लानी हो तो जरा देख भाल कर चुननी पड़ेगी बेटे. और कमला में वो सब बातें हैं. वो सुंदर तो है ही, जरा चालू चीज भी है. मार खा चुकी है अपनी मौसी से कई बार. असल में एक दो बार पकड़ी गयी थी वहां की नौकरानी चंपा के साथ कुछ कर रही थी."
"अच्छा! अब समझा. तो कल जैसी पिक्चर में हीरोइन बनने लायक है?"
और क्या? पिछली बार जब मेरी ननद ने पकड़ा तो छत पर के कमरे में चंपा की टांगों के बीच मुंह दे कर बैठी थी बदमाश. तेरी चाची तो हाथ पैर ही तोड़ देती उसके, मैंने ही मना लिया कि शुकर करो किसी लड़के या मर्द के साथ मुंह काला नहीं किया. तब छोड़ा उसे. फ़िर भी कस के दो चार जड़ ही दिये थे उसको. रो रही थी तब मैंने ननद को नीचे भेजा और कमला को मना कर चुप किया. मुझे लिपट कर सहम कर बैठी ती बेचारी. मैंने तब हौले हौले उसकी छाती भी टटोल ली बेटे, छोटे छोटे हैं मम्मे पर एकदम अमरूद जैसे सख्त हैं, दबाने में मजा आयेगा"
"तेरे को या मेरे को?"
"दोनों को मेरे लाल. मैंने बात करके ये भी जान लिया कि उसको औरतें बहुत पसंद हैं, खास कर उमर में बड़े औरतें. तभी तो उस अधेड़ चंपा को दिल दे बैठी. अब वो घर आयेगी तो उसे मनाने में कोई मुश्किल नहीं होगी बेटे. मेरी सेवा करने को आसानी से मान जायेगी वो छोकरी. और उसे भी तो मैं सुख दूंगी."
"हां अम्मा, तू इतनी खूबसूरत है, किसी का भी मन डोल जायेगा."
अरे यही चिंता है मेरे को कि कमला को मैं कैसी लगूंगी. मोटी हो गयी हूं, थुलथुला बदन हो गया है मेरा."
"तो वो चंपा कहां विश्व सुंदरी है! मैंने देखा था पिछले साल जब गांव गया था. गिट्टी सी है, ये बड़े बड़े मम्मे हैं उसके और खाया पिया बदन है. वही तो राज है अम्मा तेरे रूप का, क्या माल भरा है तेरे बदन में, ये मोटे मोटे मम्मे, लटकते हुए, ये गोरी गोरी मोटी टांगें, वो कमला तो निछावर हो जायेगी तुझ पर अम्मा."
"सच कहता है बेटे? फ़िर बात चलाऊं?"
"जैसा तू ठीक समझे मां. पर वो छोकरी क्या सिर्फ़ तुझसे इश्क करेगी? मेरी मतलब है अम्मा कि वैसे मुझे तेरे सिवा और किसी की जरूरत नहीं है पर अगर खूबसूरत माल घर में ही आ जाये और वो भी हक का तो ... फ़िर मुंह मारने का मन तो होगा ना. वो लड़की कमला अपने सैंया को, एक मरद को - मुझे - मुंह मारने का मौका देगी या नहीं?"
"क्या बात करता है बेटे. आखिर तू उसका पति होगा. तुझे कैसे मना करेगी? और आखिर तू भी तो इतना सजीला नौजवान है. वो लड़की इस तरह की है मेरा मतलब है औरतों वाली फ़िर भी उसको इतनी तो समझ होगी कि पति की सेज तो उसे सजाना ही है. मैं भी समझा दूंगी. फ़िर बेटे, हम दोनों मिलकर उसे चोदा करेंगे. ये ध्यान रख कि वो अकेली है और हम दो हैं, जैसा चाहेंगे उस लड़की को करना पड़ेगा, ना करके जायेगी किधर? और एक बात बेटे ...."
"क्या अम्मा?"
"तेरे को गांड मारने का शौक है ना? मुझे हमेशा कहता है ना कि मैं रोज नहीं मरवाती! तू उसकी गांड मार लिया कर, चाहे तो सुबह शाम. मुझे थोड़ी राहत मिलेगी उस मुस्टंडे लंड से ... मेरे को सच में दुखता है बेटे"
"तेरी तो मैं जरूर मारूंगा मां, भले हफ़्ते में एक बार, ऐसी मोटी डनलोपिलो की गांड थोड़े होगी उसकी, बाकी मेरी कमला रानी को मेरा शौक सहना पड़ेगा. पर अम्मा, वो तैयार हो जायेगी? नखरा भी कर सकती है, आखिर औरत औरत वाले इश्क में तो गांड का तो कोई रोल ही नहीं है ना"
"उससे तुझे क्या करना, मैं तैयार करूंगी उसे. बेटे ऐसी लड़कियां ... मेरा मतलब है औरतों पर मरने वाली लड़कियां ... चुदाने में नखरा करती हैं अक्सर ... बुर चुसवाने में ज्यादा मजा आता है उन्हें ... इसलिये मैं कह दूंगी कि अगर चुदाई से बचना है तो गांड मरवा लिया कर. अगर नहीं मानेगी तो हाथ पैर मुंह बांध कर तेरे सामने डाल दूंगी, मारना उसकी जोर से ... थोड़ा रोयेगी धोयेगी शुरू में फ़िर मान जायेगी .... अखिर अपने पसंद की ऐसी ससुराल उसे कहां मिलेगी जो उसके असले इश्क का खयाल रखती हो?"
"और अपने पसंद की ऐसी मस्त सास उसे और कहां मिलेगी, है ना अम्मा? ... सच, मजा आ जायेगा अम्मा .... पर तेरी गांड भी मैं मारूंगा अम्मा... उसे नहीं छोड़ सकता."
"कहा ना, कभी कभी मार लिया कर, पर ज्यादा उसकी मारा कर जब मन चाहे."
"अम्मा, तेरा ये बेटा और बहू मिलकर तेरी सेवा किया करेंगे. जरा कल्पना कर कि मैं तुझे चोद रहा हूं और वो तुझे अपनी बुर का पानी पिला रही है. या तेरा बेटा तेरी गांड मार रहा है - अच्छा अच्छा नाराज मत हो तूने अभी कहा था कि तेरी ज्यादा न मारा करूं ... समझ ले मैं तेरी चूंचियां दबा कर तेरे मुंह में लंड देकर चुसवा रहा हूं और तेरी बहू तेरे सामने लेटकर अपनी जीभ से सास की बुर से पानी निकाल रही है. या जब मैं उसकी गांड मारा करूं, तू अपनी बुर से उसका मुंह बंद कर दिया कर ...."
"कैसा करता है रे ... गंदी गंदी बातें सुनाकर फ़िर से मुझे पानी छूटने लगा."
"तो क्या हुआ अम्मा, आ जा बैठ जा मेरे मुंह पर. और देख ले, तेरा पानी पी कर फ़िर से तेरी गांड मारूंगा आज. मरवा और अपनी बहू के बारे में सोच. चल आ जा अम्मा ........."
"आती हूं मेरे लाल, आज तो मैं बहुत खुश हूं, ऐसे मौके पर तो मुंह मीठा करना चाहिये, वो बर्फ़ी ले आऊं?"
"बर्फ़ी वर्फ़ी कुछ नहीं अम्मा, देना हो तो तेरा दूध दे दे"
"अरे बार बार वही कहता है, अब दूध कैसे पिलाऊं तेरे को, और बहू आ रही है ना! दूध पिला देगी एक साल बाद!"
"उसकी तो फ़िर सोचूंगा, पर मां, सच में, मन नहीं मानता, तेरा दूध, तेरे बदन का ये रस पीने को इतना दिल करता है ... लंड साला पागल कर देता है"
"बेटा .... वो तू ... मेरा दूध पीने की बात करता है ना हरदम ? बुर का रस काफ़ी नहीं पड़ता तेरे को?"
"कहां अम्मा ... दूध पीने को मैं इसलिये बेताब हूं कि - बहुत मन होता है कि पेट भर के पियूं तेरे बदन का रस .... तेरी बुर का रस लाजवाब है पर बस दो तीन चम्मच ही मिलता है अम्मा. बस इसलिये बार बार दूध पिलाने को कहता हूं अम्मा "
"दूध अब कहां बेटे पर .... बेटे तुझे अपना .... मेरा मतलब है एक और बात है मेरे बदन में जो तुझे पेट भर के पिला सकती हूं...."
"क्या अम्मा, बोल ना ...."
"अरे कैसे बोलूं ... शरम आती है .... तुझे अच्छा ना लगे तो ... डर लगता है"
"अब बता ना अम्मा ... कुछ तो बोल"
"अरे अब क्या बोलूं ... इतनी देर देर तक कहां कहां मुंह लगाये रहता है मेरे बदन में ... उतनी देर में चाहे तो आरम से कई बार पेट भरके पी सकता है मेरा लाड़ला ..."
"मां ... तेरा मतलब वही है ना जो मैं समझ रहा हूं? तू यही कह रही है ना कि ..."
"हां बेटे .... मेरा मूत पियेगा?"
"अम्मा ... अम्मा तू सौ साल जिये ... तूने तो मेरे मन की बात कह दी .... एक दो हफ़्ते से मैं सोच रहा हूं, एक बार लगा कि जबरदस्ती तेरे साथ बाथरूम घुस जाऊं, फ़िर लगता था कि कैसे कहूं ... तुझे अटपटा ना लग जाये."
"बहुत आस है रे मेरे मन में .... हमेशा यही सोचती रहती हूं कि मेरा बेटा मां के बदन के रस के लिये तरस रहा है और मैं उसकी इतनी सी भी इच्छा पूरी नहीं कर सकती ... इतनी आस है तेरी कुछ पीने की अपने अम्मा के बदन से और .... और मैं कुछ नहीं कर रही हूं .... बोल बेटे .... पियेगा?"
"चल अम्मा, मूत दे मेरे मुंह में अभी यहीं पर .... आ जा अम्मा."
"अरे पगला हो गया है क्या .... यहां नहीं ... छलक जायेगा .... पहली बार है ... चल बाथरूम में चल ... पर सोच ले मेरे लाल फ़िर से ... बाद में मौके पर पीछे हट जायेगा तो ... मैं नहीं सहन कर पाऊंगी बेटे"
"सोच लिया मां ... कब का सोच कर रखा है मैंने ... कर दे ना अम्मा यहीं पर, जल्दी पिला दे .... मुझसे नहीं रुका जाता अब"
"चल ना मेरे दिल के टुकड़े ... बाथरुम में, आज तो चल, अब तो हमेशा पिलाऊंगी बेटे, फ़िर कहीं भी पी लिया करना. तू नहीं जानता मेरे लाल, कितनी इच्छा होती है तुझे अपने बदन से .... तेरी हर प्यास बुझाने की मेरे बच्चे .....मैं तो निहाल हो जाऊंगी आज ..."
"चलो अम्मा .... और अम्मा आज मेरा यह लंड अब ऐसा खड़ा हो गया है कि रात भर मारूंगा आज तेरी ..... मां कसम .... तेरी कसम ... मार मार के आज फ़ुकला कर दूंगा तेरी गांड .... तेरे बदन का ये अमरित पी कर अम्मा .... ऐसा जोश चढे़आ है अम्मा मेरे लंड को सिर्फ़ उसके बारे में सोचने से ... तब जब पी लूंगा तो ये क्या करेगा .... आज तेरी गांड की खैर नहीं अम्मा"
"मार लेना बेटे ... कुछ महने की तो बात है, फ़िर बहू भी आ जायेगी मेरा दर्द कम करने को."
"मां ... एक बात तो बता . वो बहू को भी पिलायेगी क्या? वो पिक्चर जैसे?"
"और क्या? उसका भी तो हक है अपनी सास के बदन पर. मन में बात थी कब से मेरे, आज पिक्चर में देखा तो कल्पना करने लगी कि मेरी बहू है और मैं उसके मुंह में मूत रही हूं, बड़ा मजा आया बेटे, फ़िर सोचा कि सिर्फ़ बहू क्यों, मेरे बेटे को भी शायद मजा आये. इसलिये सोचा कि कह ही डालूं तुझे .... अब चल बेटे, तेरे मुंह में मूतूंगी तभी चैन आयेगा मुझे ... आ जा मेरे लाल .... आ जा."
"वो कमला पियेगी ना अम्मा?"
"पियेगी बेटा, झट से पियेगी, मैं पहचान गयी हूं उसको, बड़ी बदमाश छिनाल सी लड़की है, हर चीज करेगी वो ये मुझे यकीन है. और मान लो नहीं किया तो ... तो भी मैं इसे छोड़ने वाली नहीं बेटे ... मुश्कें बांध कर जबरदस्ती भी करनी पड़े तो करूंगी ... पर लगता है उसकी नौबत नहीं आयेगी"
"अम्मा, एक मेरे मन की भी बात सुन ले. ये तो शुरुआत है. तेरी गांड चूस रहा था ना अम्मा? बहुत मस्त स्वाद आता है अम्मा. उंगली से घी लगाने के बाद मैंने उंगली चूसी थी, मजा आ गया मां. अब सोच ले, सिर्फ़ पिलायेगी मुझे अपने बदन से या ...."
"या क्या बेटे? बोल ना?"
"खिलाने की नहीं सोची? सच मां, तेरे बदन से मैं खाना भी चाहता हूं."
"कैसी गंदी बात करता है रे .... नालायक ...."
"अब इसमें गंदा क्या है? आज मैंने नहीं कहा था कि लगता है तेरी गांड में मिठाई भर दूं और वहीं से खा लूं?"
"वो ... अच्छा उसकी बात कर रहा है ... मेरे को लगा ..."
"तुझे क्या लगा मां? बोल? बोल ना. अब गंदी बात कौन सोच रहा है?"
"चल बदमाश ... वैसे बुर में केला तो तू रोज डालता है और खाता है ..."
"बस वैसे ही केला गांड में डाल दूंगा ... वो पिछले हफ़्ते जब तू हलुआ बना रही थी मां ... और मैं वहीं खड़ा खड़ा तेरी गांड मार रहा था ... याद आया?"
"याद कैसे नहीं आयेगा मूरख ... वो कढ़ाई उलटते उलटते बची थी नालायक"
"बस उस दिन मन में आ गया कि अगर वो हलुआ तेरी गांड में भर दूं और वहां से खाऊं तो क्या मजा आयेगा"
"अच्छा ये बात है ... तभी एकदम से बीच में हुमक कर झड़ गया था ... मैं भी अचरज में पड़ गयी थी कि आज क्या हुआ नहीं तो आधे घंटे तक मारे बिना मेरे को नहीं छोड़ता कभी ... ओह ... ओह ... कैसी कैसी बातें करने लगा रे तू अब ... देख ये बुर फ़िर बहने लगी"
"बहेगी ही, आखिर मेरी चुदैल मां की बुर है! आखिर बेटे को खिलाने में किस मां को मजा नहीं आता मां? सोच ले, मैं इंतजार करूंगा मां."
"हां सोचूंगी मेरे लाल सोचूंगी, तू तो पागल है, पर अब चल ना, जल्दी चल बाथरूम में"
"चल अम्मा, उठा के ले चलता हूं."
समाप्त
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मां बेटे का संवाद--5
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"अरे वो तो ऐसे ही ... बदमाश कहीं का ... मेरे को तेरा मंगलसूत्र पहना देख कर तेरा लंड ऐसा हो गया था जैसे लोहे की सलाख ... वो बात अलग है बेटा ... वो तो मेरे तेरे बीच की बात है"
"पर मां, मेरे लिये तो तू ही मां है, तू ही मेरी बीवी, लुगाई, सब कुछ. अब उस लड़की से शादी करके मैं क्या करूंगा?"
"अरे कर ले ना. सच में बड़ी रूपवती है. तुझे बहुत पसंद आयेगी. बहू घर में आये तो मुझे भी कुछ आराम मिलेगा."
"तो क्या मैं तुझे इतना रगड़ता हूं कि तेरे को मेरे से आराम चाहिये?"
"हंस रहा है ना, हंस, और हंस, तेरे को मालूम है कि तू मुझे चौबीस घंटे रगड़ेगा फ़िर भी मैं तेरे को आशिर्वाद ही दूंगे मेरे राजा. अरे घर का भी काम होता है, अब मेरी उमर हो चली है, घर के काम को तो जवान बहू चाहिये ना?"
"ऐसा बोल. पर अम्मा, घर में कमला हो ना हो, चोदूंगा तो मैं बस तुझे ही. अब वो बालिका घर में रहेगी तो उसे पता चल ही जायेगा कि ये बेटा अपनी मां के पीछे दीवाना है. तब वह हाय तोबा नहीं मचायेगी?"
"अरे मैं सब संभाल लूंगी. उसे बता भी दूंगी."
अच्छा अम्मा? वो शादी को तैयार हो जायेगी अगर उसे पता चलेगा कि हमारे यहां तो मां बेटे का इश्क चलता है?
"शादी के बाद बताऊंगी. तब बच के कहां जायेगी? उसकी सुनता कौन है बाद में? शादी के बाद तो ऐसे जाल में फ़ंसा दूंगी कि पर मारेगी तो भी उड़ नहीं पायेगी.
"अच्छी डांट डपट के रखेगी? उससे काम करवायेगी अम्मा?"
"हां बेटे, घर का काम भी करवाऊंगी और ... जरा अपनी भी सेवा करवाऊंगी."
"अच्छा ... अब समझा. अम्मा तू बड़ी चालू चीज है. बहू से सेवा करवायेगी, वो पिक्चर वाली सेवा? ओह अम्मा, क्या दिमाग पाया है तूने."
"अरे तो क्या हुआ? तू ही कह रहा था ना आज कि अम्मा किसी को ले आऊं क्या चोदने को अगर तेरा मन नहीं भरता. तो अब बहू ही ले आ, मैं उसी से मन बहला लूंगी."
"पर वो तो मैं किसी मर्द की बात कर रहा था, किसी तगड़े लंड वाले मर्द की. तेरी हवस क्या वो जरा सी छोकरी पूरी कर पायेगी? तेरे को चाहिये मस्त मूसल जैसा लौड़ा जो कभी ना झड़े"
"तेरा लंड क्या कम है? चूत में घुसता है तो स्वर्ग ले जाता है बेटे और गांड में ... उई मां ऽ ... हालत खराब कर देता है मेरी, तू नहीं जानता कि जब एक मां अपने बेटे का लंड पा लेती है तो उसे और कोई लंड नहीं भाता. तेरे बिना मैं किसी से नहीं चुदाऊंगी. हां कोई प्यारी सी लड़की मिल जाये तो बात और है. बहुत सुकून मिलेगा बेटे मुझे. तू नहीं जानता, तूने जो ये आग लगायी है मेरे बदन को वो बुझती नहीं है मेरे लाल. जब तू होता है तो अपनी अम्मा से चिपटा रहता है पर दोपहर को जब मैं अकेली होती हूं तो परेशान हो जाती हूं बेटे, मुठ्ठ मार कर भी आराम नहीं मिलता. वो केले, ककड़ी, गाजर - सब नाकारा हो जाते हैं. और जब तू काम से शहर के बाहर जाता है तो .... मैं पागल सी हो जाती हूं बेटे. ये जो पिक्चर तू लाता है ना, उन्हें देख देख कर अब मेरा भी मन होता है किसी औरत के बदन से बदन लगाने का. अगर बहू ले आये तो दोनों काम हो जायेंगे."
"चलो, मेरी अम्मा को और कोई तो मिला प्यास बुझाने को पर क्या हुआ अम्मा, एकदम से कमला कैसे खयाल में आ गयी तेरे? ऐसी क्या खास बात है उसमें? या तेरी बुर कुलबुलाती है उसकी कमसिन जवानी देख कर,अब मेरे को पता चला है कि तेरा कोई भरोसा नहीं मां"
"खास बात है ना उसमें. हमारे यहां बहू लानी हो तो जरा देख भाल कर चुननी पड़ेगी बेटे. और कमला में वो सब बातें हैं. वो सुंदर तो है ही, जरा चालू चीज भी है. मार खा चुकी है अपनी मौसी से कई बार. असल में एक दो बार पकड़ी गयी थी वहां की नौकरानी चंपा के साथ कुछ कर रही थी."
"अच्छा! अब समझा. तो कल जैसी पिक्चर में हीरोइन बनने लायक है?"
और क्या? पिछली बार जब मेरी ननद ने पकड़ा तो छत पर के कमरे में चंपा की टांगों के बीच मुंह दे कर बैठी थी बदमाश. तेरी चाची तो हाथ पैर ही तोड़ देती उसके, मैंने ही मना लिया कि शुकर करो किसी लड़के या मर्द के साथ मुंह काला नहीं किया. तब छोड़ा उसे. फ़िर भी कस के दो चार जड़ ही दिये थे उसको. रो रही थी तब मैंने ननद को नीचे भेजा और कमला को मना कर चुप किया. मुझे लिपट कर सहम कर बैठी ती बेचारी. मैंने तब हौले हौले उसकी छाती भी टटोल ली बेटे, छोटे छोटे हैं मम्मे पर एकदम अमरूद जैसे सख्त हैं, दबाने में मजा आयेगा"
"तेरे को या मेरे को?"
"दोनों को मेरे लाल. मैंने बात करके ये भी जान लिया कि उसको औरतें बहुत पसंद हैं, खास कर उमर में बड़े औरतें. तभी तो उस अधेड़ चंपा को दिल दे बैठी. अब वो घर आयेगी तो उसे मनाने में कोई मुश्किल नहीं होगी बेटे. मेरी सेवा करने को आसानी से मान जायेगी वो छोकरी. और उसे भी तो मैं सुख दूंगी."
"हां अम्मा, तू इतनी खूबसूरत है, किसी का भी मन डोल जायेगा."
अरे यही चिंता है मेरे को कि कमला को मैं कैसी लगूंगी. मोटी हो गयी हूं, थुलथुला बदन हो गया है मेरा."
"तो वो चंपा कहां विश्व सुंदरी है! मैंने देखा था पिछले साल जब गांव गया था. गिट्टी सी है, ये बड़े बड़े मम्मे हैं उसके और खाया पिया बदन है. वही तो राज है अम्मा तेरे रूप का, क्या माल भरा है तेरे बदन में, ये मोटे मोटे मम्मे, लटकते हुए, ये गोरी गोरी मोटी टांगें, वो कमला तो निछावर हो जायेगी तुझ पर अम्मा."
"सच कहता है बेटे? फ़िर बात चलाऊं?"
"जैसा तू ठीक समझे मां. पर वो छोकरी क्या सिर्फ़ तुझसे इश्क करेगी? मेरी मतलब है अम्मा कि वैसे मुझे तेरे सिवा और किसी की जरूरत नहीं है पर अगर खूबसूरत माल घर में ही आ जाये और वो भी हक का तो ... फ़िर मुंह मारने का मन तो होगा ना. वो लड़की कमला अपने सैंया को, एक मरद को - मुझे - मुंह मारने का मौका देगी या नहीं?"
"क्या बात करता है बेटे. आखिर तू उसका पति होगा. तुझे कैसे मना करेगी? और आखिर तू भी तो इतना सजीला नौजवान है. वो लड़की इस तरह की है मेरा मतलब है औरतों वाली फ़िर भी उसको इतनी तो समझ होगी कि पति की सेज तो उसे सजाना ही है. मैं भी समझा दूंगी. फ़िर बेटे, हम दोनों मिलकर उसे चोदा करेंगे. ये ध्यान रख कि वो अकेली है और हम दो हैं, जैसा चाहेंगे उस लड़की को करना पड़ेगा, ना करके जायेगी किधर? और एक बात बेटे ...."
"क्या अम्मा?"
"तेरे को गांड मारने का शौक है ना? मुझे हमेशा कहता है ना कि मैं रोज नहीं मरवाती! तू उसकी गांड मार लिया कर, चाहे तो सुबह शाम. मुझे थोड़ी राहत मिलेगी उस मुस्टंडे लंड से ... मेरे को सच में दुखता है बेटे"
"तेरी तो मैं जरूर मारूंगा मां, भले हफ़्ते में एक बार, ऐसी मोटी डनलोपिलो की गांड थोड़े होगी उसकी, बाकी मेरी कमला रानी को मेरा शौक सहना पड़ेगा. पर अम्मा, वो तैयार हो जायेगी? नखरा भी कर सकती है, आखिर औरत औरत वाले इश्क में तो गांड का तो कोई रोल ही नहीं है ना"
"उससे तुझे क्या करना, मैं तैयार करूंगी उसे. बेटे ऐसी लड़कियां ... मेरा मतलब है औरतों पर मरने वाली लड़कियां ... चुदाने में नखरा करती हैं अक्सर ... बुर चुसवाने में ज्यादा मजा आता है उन्हें ... इसलिये मैं कह दूंगी कि अगर चुदाई से बचना है तो गांड मरवा लिया कर. अगर नहीं मानेगी तो हाथ पैर मुंह बांध कर तेरे सामने डाल दूंगी, मारना उसकी जोर से ... थोड़ा रोयेगी धोयेगी शुरू में फ़िर मान जायेगी .... अखिर अपने पसंद की ऐसी ससुराल उसे कहां मिलेगी जो उसके असले इश्क का खयाल रखती हो?"
"और अपने पसंद की ऐसी मस्त सास उसे और कहां मिलेगी, है ना अम्मा? ... सच, मजा आ जायेगा अम्मा .... पर तेरी गांड भी मैं मारूंगा अम्मा... उसे नहीं छोड़ सकता."
"कहा ना, कभी कभी मार लिया कर, पर ज्यादा उसकी मारा कर जब मन चाहे."
"अम्मा, तेरा ये बेटा और बहू मिलकर तेरी सेवा किया करेंगे. जरा कल्पना कर कि मैं तुझे चोद रहा हूं और वो तुझे अपनी बुर का पानी पिला रही है. या तेरा बेटा तेरी गांड मार रहा है - अच्छा अच्छा नाराज मत हो तूने अभी कहा था कि तेरी ज्यादा न मारा करूं ... समझ ले मैं तेरी चूंचियां दबा कर तेरे मुंह में लंड देकर चुसवा रहा हूं और तेरी बहू तेरे सामने लेटकर अपनी जीभ से सास की बुर से पानी निकाल रही है. या जब मैं उसकी गांड मारा करूं, तू अपनी बुर से उसका मुंह बंद कर दिया कर ...."
"कैसा करता है रे ... गंदी गंदी बातें सुनाकर फ़िर से मुझे पानी छूटने लगा."
"तो क्या हुआ अम्मा, आ जा बैठ जा मेरे मुंह पर. और देख ले, तेरा पानी पी कर फ़िर से तेरी गांड मारूंगा आज. मरवा और अपनी बहू के बारे में सोच. चल आ जा अम्मा ........."
"आती हूं मेरे लाल, आज तो मैं बहुत खुश हूं, ऐसे मौके पर तो मुंह मीठा करना चाहिये, वो बर्फ़ी ले आऊं?"
"बर्फ़ी वर्फ़ी कुछ नहीं अम्मा, देना हो तो तेरा दूध दे दे"
"अरे बार बार वही कहता है, अब दूध कैसे पिलाऊं तेरे को, और बहू आ रही है ना! दूध पिला देगी एक साल बाद!"
"उसकी तो फ़िर सोचूंगा, पर मां, सच में, मन नहीं मानता, तेरा दूध, तेरे बदन का ये रस पीने को इतना दिल करता है ... लंड साला पागल कर देता है"
"बेटा .... वो तू ... मेरा दूध पीने की बात करता है ना हरदम ? बुर का रस काफ़ी नहीं पड़ता तेरे को?"
"कहां अम्मा ... दूध पीने को मैं इसलिये बेताब हूं कि - बहुत मन होता है कि पेट भर के पियूं तेरे बदन का रस .... तेरी बुर का रस लाजवाब है पर बस दो तीन चम्मच ही मिलता है अम्मा. बस इसलिये बार बार दूध पिलाने को कहता हूं अम्मा "
"दूध अब कहां बेटे पर .... बेटे तुझे अपना .... मेरा मतलब है एक और बात है मेरे बदन में जो तुझे पेट भर के पिला सकती हूं...."
"क्या अम्मा, बोल ना ...."
"अरे कैसे बोलूं ... शरम आती है .... तुझे अच्छा ना लगे तो ... डर लगता है"
"अब बता ना अम्मा ... कुछ तो बोल"
"अरे अब क्या बोलूं ... इतनी देर देर तक कहां कहां मुंह लगाये रहता है मेरे बदन में ... उतनी देर में चाहे तो आरम से कई बार पेट भरके पी सकता है मेरा लाड़ला ..."
"मां ... तेरा मतलब वही है ना जो मैं समझ रहा हूं? तू यही कह रही है ना कि ..."
"हां बेटे .... मेरा मूत पियेगा?"
"अम्मा ... अम्मा तू सौ साल जिये ... तूने तो मेरे मन की बात कह दी .... एक दो हफ़्ते से मैं सोच रहा हूं, एक बार लगा कि जबरदस्ती तेरे साथ बाथरूम घुस जाऊं, फ़िर लगता था कि कैसे कहूं ... तुझे अटपटा ना लग जाये."
"बहुत आस है रे मेरे मन में .... हमेशा यही सोचती रहती हूं कि मेरा बेटा मां के बदन के रस के लिये तरस रहा है और मैं उसकी इतनी सी भी इच्छा पूरी नहीं कर सकती ... इतनी आस है तेरी कुछ पीने की अपने अम्मा के बदन से और .... और मैं कुछ नहीं कर रही हूं .... बोल बेटे .... पियेगा?"
"चल अम्मा, मूत दे मेरे मुंह में अभी यहीं पर .... आ जा अम्मा."
"अरे पगला हो गया है क्या .... यहां नहीं ... छलक जायेगा .... पहली बार है ... चल बाथरूम में चल ... पर सोच ले मेरे लाल फ़िर से ... बाद में मौके पर पीछे हट जायेगा तो ... मैं नहीं सहन कर पाऊंगी बेटे"
"सोच लिया मां ... कब का सोच कर रखा है मैंने ... कर दे ना अम्मा यहीं पर, जल्दी पिला दे .... मुझसे नहीं रुका जाता अब"
"चल ना मेरे दिल के टुकड़े ... बाथरुम में, आज तो चल, अब तो हमेशा पिलाऊंगी बेटे, फ़िर कहीं भी पी लिया करना. तू नहीं जानता मेरे लाल, कितनी इच्छा होती है तुझे अपने बदन से .... तेरी हर प्यास बुझाने की मेरे बच्चे .....मैं तो निहाल हो जाऊंगी आज ..."
"चलो अम्मा .... और अम्मा आज मेरा यह लंड अब ऐसा खड़ा हो गया है कि रात भर मारूंगा आज तेरी ..... मां कसम .... तेरी कसम ... मार मार के आज फ़ुकला कर दूंगा तेरी गांड .... तेरे बदन का ये अमरित पी कर अम्मा .... ऐसा जोश चढे़आ है अम्मा मेरे लंड को सिर्फ़ उसके बारे में सोचने से ... तब जब पी लूंगा तो ये क्या करेगा .... आज तेरी गांड की खैर नहीं अम्मा"
"मार लेना बेटे ... कुछ महने की तो बात है, फ़िर बहू भी आ जायेगी मेरा दर्द कम करने को."
"मां ... एक बात तो बता . वो बहू को भी पिलायेगी क्या? वो पिक्चर जैसे?"
"और क्या? उसका भी तो हक है अपनी सास के बदन पर. मन में बात थी कब से मेरे, आज पिक्चर में देखा तो कल्पना करने लगी कि मेरी बहू है और मैं उसके मुंह में मूत रही हूं, बड़ा मजा आया बेटे, फ़िर सोचा कि सिर्फ़ बहू क्यों, मेरे बेटे को भी शायद मजा आये. इसलिये सोचा कि कह ही डालूं तुझे .... अब चल बेटे, तेरे मुंह में मूतूंगी तभी चैन आयेगा मुझे ... आ जा मेरे लाल .... आ जा."
"वो कमला पियेगी ना अम्मा?"
"पियेगी बेटा, झट से पियेगी, मैं पहचान गयी हूं उसको, बड़ी बदमाश छिनाल सी लड़की है, हर चीज करेगी वो ये मुझे यकीन है. और मान लो नहीं किया तो ... तो भी मैं इसे छोड़ने वाली नहीं बेटे ... मुश्कें बांध कर जबरदस्ती भी करनी पड़े तो करूंगी ... पर लगता है उसकी नौबत नहीं आयेगी"
"अम्मा, एक मेरे मन की भी बात सुन ले. ये तो शुरुआत है. तेरी गांड चूस रहा था ना अम्मा? बहुत मस्त स्वाद आता है अम्मा. उंगली से घी लगाने के बाद मैंने उंगली चूसी थी, मजा आ गया मां. अब सोच ले, सिर्फ़ पिलायेगी मुझे अपने बदन से या ...."
"या क्या बेटे? बोल ना?"
"खिलाने की नहीं सोची? सच मां, तेरे बदन से मैं खाना भी चाहता हूं."
"कैसी गंदी बात करता है रे .... नालायक ...."
"अब इसमें गंदा क्या है? आज मैंने नहीं कहा था कि लगता है तेरी गांड में मिठाई भर दूं और वहीं से खा लूं?"
"वो ... अच्छा उसकी बात कर रहा है ... मेरे को लगा ..."
"तुझे क्या लगा मां? बोल? बोल ना. अब गंदी बात कौन सोच रहा है?"
"चल बदमाश ... वैसे बुर में केला तो तू रोज डालता है और खाता है ..."
"बस वैसे ही केला गांड में डाल दूंगा ... वो पिछले हफ़्ते जब तू हलुआ बना रही थी मां ... और मैं वहीं खड़ा खड़ा तेरी गांड मार रहा था ... याद आया?"
"याद कैसे नहीं आयेगा मूरख ... वो कढ़ाई उलटते उलटते बची थी नालायक"
"बस उस दिन मन में आ गया कि अगर वो हलुआ तेरी गांड में भर दूं और वहां से खाऊं तो क्या मजा आयेगा"
"अच्छा ये बात है ... तभी एकदम से बीच में हुमक कर झड़ गया था ... मैं भी अचरज में पड़ गयी थी कि आज क्या हुआ नहीं तो आधे घंटे तक मारे बिना मेरे को नहीं छोड़ता कभी ... ओह ... ओह ... कैसी कैसी बातें करने लगा रे तू अब ... देख ये बुर फ़िर बहने लगी"
"बहेगी ही, आखिर मेरी चुदैल मां की बुर है! आखिर बेटे को खिलाने में किस मां को मजा नहीं आता मां? सोच ले, मैं इंतजार करूंगा मां."
"हां सोचूंगी मेरे लाल सोचूंगी, तू तो पागल है, पर अब चल ना, जल्दी चल बाथरूम में"
"चल अम्मा, उठा के ले चलता हूं."
समाप्त
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