Sunday, August 4, 2013

FUN-MAZA-MASTI शुभारम्भ-9

FUN-MAZA-MASTI


शुभारम्भ-9
चाची टेडी मुस्कान के साथ बोली, "तेरी लुगाई खुश रहेगी और क्या........मैंने भी तुझे घी खिला खिला के सांड न बनाया तो बोलना.... "

मैंने भी जवाब फेंका, " कोनसा सांड, वो चाचा वाला.......जो दिन भर में 4 -5 गायों को ठोक देता था ? "

चाची ने जोर से मेरे कंधे पर हाथ मारा और बेशर्मो की तरह हंसने लगी.

मैंने सोचा चाची से पूछ लूँ की सुबह किस बात पर नाराज़ हो गयी थी.

मैंने कहा, "चाची......व व व वो......स स सुबह........आप गुस्सा हो गयी थी .......क्या हुआ ....?

चाची ने एक प् मुझे निहारा और फिर धीरे से बोली, "लल्ला......कल जो हो गया वो तो ठीक पर आज सुबह मैं तेरे कमरे में थी ये सब को पता था.....भाभी जी बाहर ही थी......कहीं अन्दर आ जाती तो......तू तो पूरा नादान ही है....मजाक हमेशा अच्छे नहीं लगते...."

साला......इसको कल रात की बात से दिक्कत नहीं......कहीं मेरी माँ हम दोनों को न पकड़ ले......इस डर से सुबह चाची गुस्सा हुयी.........चलो...मैंने भी ठंडी सांस ली.

मैंने सोचा की चाची से पूछ ही लूँ........की आखिर उनकी जांघ पर बने "बलमा" गोदने (tatoo) ..का क्या सीन है.

मैंने कहा, "चाची.....ए ए एक बात पुछु.....?"

चाची ने ऑंखें सिकोड़ कर मुझे देखा और बोली, "हम्म्म......पूछ ...."

"अ अ आप न न नाराज़ तो नहीं हो जाओगी ?

चाची ने मुझे टेडी नज़र से देखा और बोली, "नाराज़ होने की बात हुयी तो हो भी सकती हूँ.......बोल क्या बात है ?"

मेरी गांड फटी........मैंने कहा, "न न नहीं.....व व वो.....ऐसे ही......कुछ नहीं ......"

चाची ने अपनी आखें तरेरी और थोड़ी कड़क आवाज़ में बोली....." बता क्या बात है......? की करू तेरी शिकायत की तू हर रात जो कागज़ गंदे करता है....."

भेन्चोद यह कहाँ फंस गया.........

मैंने हिम्मत बटोरी, "व व व्वो.......आप नाराज़ मत होना.....प्लीज़..."

चाची ने गर्दन हिलाई......मैंने धीरे से कहा, "अ अ अ आपकी ज ज जांघ पर क्या लिखा है......."

अब तीर कमान से निकल गया था. मैं अपने गांड की फटफटी पर ब्रेक लगाये बैठा था......फट तो रही थी मगर मैं कंट्रोल कर रहा था.

चाची की आंखे फ़ैल गयी. बोली, "राम.....कितना बेशरम है रे लल्ला.......बेशरम भी है और हिरसु भी.....ताका झांकी करने से बाज़ नहीं आया न तू........"

गांड की फटफटी फुल स्पीड में निकल ली.........

मैं सकपकाया..... "न न नहीं....चाची.......म म म मैं......नहीं करता .......ताक झांक......व व वो तो .....म म मुझे ......दिखा था......क क कुछ लिखा......था......इ इसलिए पूछ लिया.............प्लीज़.......पापा से मत बोल देना.........प्लीज़...."

चाची ने फिर कातिल मुस्कान मारी....."अरे मैं नाराज़ नहीं हुयी......मगर मुझे लगा की तू कहीं बिगड़ तो नहीं रहा...इस लिए तुझे डांट देती हूँ......बेकार चीजों में दिमाग लगाएगा तो फिर अपनी लुगाई का ध्यान कैसे रखेगा....."

मेरी जान में जान आ गयी......मैंने कहा, "आप सिखाओगी तो सीख लूँगा की किस तरह ध्यान रखते है........"

चाची ने मेरी नाक पकड़ कर कहा, " समय आने पर सब सिखा दूंगी"

फिर वो उठी और बोली, "......चल मोमबत्ती अन्दर मेरे वाले कमरे में ले चल.......मुझे कपडे समेटने है. वहीँ मेरे पास बैठ कर बाते करना...मेरा काम भी हो जायेगा और मन भी बहलता रहेगा......"

बहुत शानी है.......पूरी बात ही गोल कर गयी.......मेरे दिमाग में कीड़ा कुलबुलाये जा रहा था की साला....यह जांघ पर लिखे बलमा का सीन क्या है.......

मैंने मोमबत्ती उठाई और चाची के रूम में चला गया, मोमबत्ती बेड के पास वाली टेबल पर रखी और बेड पर बेठ गया. चाची हाथ में धोये हुए कपडे लिए अन्दर आई और बेड के पास पटक कर निचे ही बैठ गयी. मोमबत्ती की टिमटिम रोशनी से पुरे रूम में अलग ही नज़ारा बन रहा था. अब मुझे समझ मे आया की केंडल लाइट डीनर इतना रोमांटिक क्यों होता है. मोमबत्ती की लो धीरे धीरे हिल रही थी और पुरे रूम में परछाईया बना रही थी. चाची का चेहरा भी मोमबती की टिमटिमाती रोशनी में बहुत ही मादक और सेक्सी लग रहा था.

कीड़ा कुलबुलाने लगा.......

मैंने पूछा, "चाची.......सब लोग कब तक आयेंगे....?"

चाची ने ठंडी सांस ली, "राम जाने लल्ला......भाभी कह रही थी की संगीत और नाच गाना है......अभी आधे घंटे पहले तो गए ही है.......अभी तो पहुंचे ही नहीं होगे.......12 -1 तो बज ही जाएगी......राम....अँधेरे में 4 घंटे क्या करेंगे......मरी इस गर्मी में तो नींद भी नहीं आएगी.....गाँव होता तो साड़ी खोल कर छत पर जाके लेट जाती.....यहाँ तो.... "

मैंने सोचा चाची आप तो बस साड़ी खोल दो.....बाकि मैं संभाल लूँगा.....ये सोच कर मुझे हंसी आ गयी.....

"क्यों रे......आज बहुत हंसी छुट रही है.......क्या हुआ ?", चाची ने मुस्कुराते हुए पूछा.

मेरी चोरी पकड़ी गयी, "न न नहीं......म म..मैं ....वो......कुछ नहीं चाची....."

अचानक चाची की नज़र मेरी शर्ट के पॉकेट पर पड़ी. "यह क्या लल्ला......तेरी जेब में क्या है.....?"

मैंने नज़र झुका कर देखा. पिया ने जाते जाते मुझे "डेरी मिल्क सिल्क" दी थी. मैंने जेब में रख ली थी.....मोमबती की रोशनी में नीले रंग का रेपर चमक रहा था.
मैंने उसे बाहर निकला, पूरी नरम हो गयी थी......मैं समझ गया की यह तो पिघल गयी......

चाची बोली, "वाह रे लल्ला.....बचपना अभी तक गया नहीं तेरा.......टॉफी चोकलेट लिए घूमता है......राम....कोनसी चोकलेट है"

मैंने कहा, "डेरी मिल्क सिल्क". चाची उछली, "अरे वोही जो चाट चाट कर खाते है........टीवी पर दिखाते हैं न........ला मुझे भी चखा न......."

नेकी और पूछ पूछ........चाची चाटने चाहे तो मैं कैसे मना कर सकता हूँ.

चाची ने रेपर खोला......चोकलेट सच में पिघल चुकी थी.......जैसे ही अन्दर का रेपर खोला........चोकलेट का एक कतरा उसमे से निकल कर निचे गिरने लगा......चाची ने झट अपने मुंह खोला और टप से अपने मुंह में ले लिया......थोड़ी चोकलेट उनके होटों पर भी लग गयी.

एक और कतरा गिरा सीधा उनके सीने पर......जहाँ ब्लाउस शुरू होता है बस उसके १ इंच ऊपर.........चाची ने अपने होटों पर लगी चोकलेट जुबान फेर कर साफ़ की.
अब "डेरी मिल्क सिल्क" तो "डेरी मिल्क सिल्क" है. पिघल तो चुकी ही थी .........जो रेले निकलना शुरू हुए.......चाची चाटे जा रही थी मगर चोकलेट भी टपके ही जा रही थी. दो तिन बार उनकी साड़ी पर गिर गयी...........चाची ने लालच छोड़ा और पास में पड़ी प्लेट में चोकलेट रख दी......

देखने लायक सीन हो गया था, चाची अपने दोनों हाथ फैलाये बैठी थी.....दोनों हाथों में चोकलेट लगी थी.....थोड़ी सी चाची के होटों पर और होटों के किनारे लगी थी और एक बेशरम चोकलेट की बूंद उनके उभारो के सल से 1 इंच ऊपर पड़ी इठला रही थी.

जिस तरह औरते मुंह सिकोड़ कर नीचे देखते हुए अपने ब्लाउस के हुक लगाती है वैसे ही चाची ने निचे देखा. मम्मो के थोडा सा ऊपर पड़ी चोकलेट उन्हें मुंह चिड़ा रही थी.
उन्होंने दोनों हाथ ऊपर उठा कर फैला लिए थे ताकि हाथों से चोकलेट कपड़ो और साड़ी पर न गिर जाये.....मगर इस चक्कर में उनका आंचल पूरा ढल गया था.............

मोमबत्ती की टिमटिमाती रोशनी में ब्लाउस में कसे दोनो मम्मे बाहर आने की जिद कर रहे थे. शायद उनको भी चोकलेट खानी थी. मैं तो बिंदास चाची के मम्मे निहार रहा था. चाची ने इधर उधर करके अपने दोनों हाथो को देखा और फिर अपने सीने पर पड़ी चोकलेट की बूंद को देखा.......

चाची के बदन की गर्मी से वो पिघल कर धीरे धीरे चाची के मम्मो के बिच की गली में जाने लगी थी.......

चाची ने कहा, "हाय राम......ये मरी सिल्क.......ऊई.....लल्ला.......अरे ये चोकलेट साफ़ कर दे.......नहीं तो अभी नहाना ही पड़ेगा......"

कुत्तो के दिन बदलते देर नहीं लगती........

मैं थोडा आगे सरका......चोकलेट पिघल के करीब एक इंच नीचे आ गयी थी.......बस चाची के मम्मो के सल पर अटकी थी......मनो इज़ाज़त का इंतज़ार कर रही हो. मैं तो उपरवाले से प्रार्थना कर रहा था की साली चोकलेट घुस जाये चाची के सलों में. फिर मैं आराम से साफ़ कर दूंगा.......

नंगो के नौ ग्रह बलवान..........चोकलेट को मानो उपरवाले का आदेश हुआ. वो बड़े शान से चाची के मम्मो की घाटी में घुस गयी.

चाची जोर से चिल्लाई..."अरे गयी वो ....लल्ला देखता नहीं मेरे हाथों में चोकलेट लगी है...साफ़ कर न...."

मैं जैसे नींद से जगा, अपने सूखे होटों पर जुबान फेरते हुए मैंने कांपता हुआ अपना हाथ बढाया और जिस तरह तिलक लगाते है वैसे उल्टा किया......

पहले अंगूठा जहाँ बूंद गिरी थी वहां रखा और धीरे से निचे ले गया. चाची बोली, "हें लल्ला....साफ़ कर रहा है की फैला रहा है......"
मैंने चाची की बात अनसुनी कर दी और अपना अंगूठा उनके मम्मो के सल के बिच फसा दिया.....फिर मैंने धीरे से अपना पूरा हाथ उनके गले और मम्मो के बिच रख दिया. मैंने कहा, "चाची......ब ब बहुत स स सारी ....चोकलेट गिरी है......." चाची ने बड़े आराम से कहा, "हाँ रे.....तू तो कर दे साफ़.....

अपनी ट्रेन को खुद रेल मंत्री से ग्रीन सिग्नल दे दिया तो फिर कहा रुकने वाले थे.......अपने हाथ से पहले चाची के गले के निचले हिस्से को सहलाया.....जो की औरतों का वीक स्पोट होता है.......शाहरुख़ खान भी तो काजोल की गर्दन पर ही किस करता है.......चाची की आंखे हलकी सी बंद हो गयी.....मोमबत्ती की लो फड़फडा रही थी और मेरी गांड और बाबुराव के बीच जंग हो रही थी. फटती हुयी गांड कह रही थी कि मत कर....मरेगा......और खड़ा हुआ बाबुराव कह रहा था कि चूतिये निशाना मत चुक.

जैस कि दुनिया जानती है कि चूल...यानि.....ठरक......का कोई इलाज नहीं है.......तो अपनी चूल जीत गयी और अपुन ने चाची के गले को सहलाते सहलाते धीरे से उनके मम्मे पर हाथ रख ही दिया.......

चाची ने एक दम से झटका खाया, मेरी तरफ देख कर बोली, "क्या कर रहा है लल्ला....." . मैंने भी चाची कि आँखों में देखते हुए उनके ब्लाउस में हाथ डाला और उनके मम्मे को सहलाते हुए कहा. "चोकलेट साफ़ कर रहा हूँ चाची.......आप भी बच्चो जैसे चोकलेट खाती हो......" मेरे हाथ फेरने से चोकलेट पूरी तरह से चाची के मम्मे पर लग गयी थी. चाची की ऑंखें धीरे धीरे नशीली हो गयी........वो धीरे से बोली, "ब ब बस लल्ला.......हो गयी साफ़......." मगर उनकी आवाज़ में ताक़त नहीं थी......चाची का सोफ्ट सोफ्ट मम्मा मेरे हाथ में था और मैं चोकलेट से उसकी मालिश कर रहा था.......मेरी हथेली बार बार चाची के निप्पल से रगड़ खाती थी और उनके मुंह से आह निकल जाती थी........मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने चाची की चूची जोर से दबा ली.......चाची की जैसे नींद खुली और वो जोर से बोली, "क्या कर रहा है हरामी.......हाथ बाहर निकाल...."

फटती हुयी गांड ने चिल्ला चिल्ला कर मना किया था की मत कर..........मगर बाबुराव के कहने पर ये सब हुआ......और अब जब चोरी पकड़ा गयी तो बाबुराव चुपचाप सिमट गया और उसने मुंह लटका लिया........

चाची जोर से बोली, " राम....बहुत ही बिगड़ गया है रे छोरे.....कोई शर्म लिहाज है की नहीं ?"

मैंने कहा, "च च च चाची.....आ आ आप ही ने तो क क क कहा था.......स स स साफ करने को........"

चाची ने ऑंखें तरेरी, "साले हरामी......साफ़ करने को कहा था.......तू तो दबाने लगा......पुरे पर चोकलेट लगा दी.....अब नहाना ही पड़ेगा....."

मैं तो कुछ बोलने की हालत में ही नहीं था.......चाची उठी और बाथरूम में गयी......मैं वहीँ उनके बेड पर बैठा रहा......१-२ मिनट बाद पानी की आवाज़ आई और चाची अन्दर से चिल्लाई....."हे राम....कितना अँधेरा है.....कुछ भी नहीं दीखता......मरी ये बिजली भी आज ही जानी थी.......लल्ला.....अरे ओ....लल्ला...."

मैं फिर हकलाया....."ह ह ह हाँ चाची......"

"अरे वो मोमबत्ती तो ला इधर........", चाची अन्दर से बोली.

मैंने कांपते हाथों से मोमबत्ती उठाई और बाथरूम की तरफ बड़ा. बाथरूम का डोर खुला था, और चाची मेरी ओर पीठ करके खड़ी थी. उन्होंने साडी उतार दी थी और सिर्फ ब्लाउस और पेटीकोट में खड़ी थी. मोमबत्ती की टिमटिमाती रोशनी में उनकी पेटीकोट में छुपे नितम्ब बहुत ही मारू लग रहे थे. उनका पेटीकोट उनके कमर के कटाव के सबसे बड़े हिस्से पर टिका था. ऐसा लग रहा था मानो पेटीकोट बस उनकी गांड की गोलों के दम पर ही टिका था वर्ना कब का गिर जाता. चाची अपना ब्लाउस खोल रही थी. मेरी तरफ पीठ होने से मुझे दिख तो कुछ भी नहीं रहा था मगर उनके हाथ चलने से उनकी विशाल गांड थरथरा रही थी. और उसको ऐसे हिलते देख मेरा मुंह खुला का खुला ही रह गया.

चाची बोली, "हाय राम....तू अन्दर क्यों आया ?"
मैं बोला, "च च च चाची.......आ आ आपने ही तो मोमबत्ती मांगी थी........"

चाची बोली, " हें....हाँ रे.....वो वहां पर रख दे.......हाँ.......अरे वो जहाँ शेम्पू रखा है......बस उसके पास.......हाय राम इधर मत देख बेशरम"

मैंने बहुत कोशिश की मगर पापी मन नहीं मान रहा था....... बार बार मेरी नज़र चाची की तरफ ही जा रही थी.

चाची का ब्लाउस आधा खुल चूका था.......जैसे ही वो यह सब बोलने के लिए मुड़ी मेरी नज़र सीधे चुम्बक के जैसे उनके आधे खुले ब्लाउस में से झांकते मम्मो पर जा चिपकी.

किसी ने सत्य ही कहा है की औरत के बदन की असकी कामुकता आधे ढके होने में है.....

पूरी नग्न औरत से तो आधी ढकी औरत ही ज्यादा सेक्सी लगती है......

चाची के ब्लाउस को सिर्फ दो हुक पूरी हिम्मत और ताकत के साथ संभाले हुए थे वर्ना वो तो फटने के लिए बेताब था. हमेशा की तरह चाची ने आज भी ब्रा नहीं पहनी थी, जो नज़ारा उभर के आया था वो किसी मरते आदमी की साँसें चालू कर देता और जिन्दा इंसान की साँसे बंद, मम्मे ब्लाउस में कसे इस कदर कसमसा रहे थे मनो हुको को तोड़ डालेंगे.

मोमबत्ती मेरे हाथ में थी और मेरा मुंह खुला का खुला ही था. चाची अब पूरी पलट के खड़ी हो गयी. उनका तराशा हुआ बदन सिर्फ ब्लाउस और पेटीकोट में मेरे सामने था. ब्लाउस के तो हाल आप जानते ही हो.....पेटीकोट चाची ने काफी नीचे बांधा था...उनकी मद मस्त नाभि मोमबत्ती की रौशनी में कुए जैसी दिख रही थी. चाची ने अपने हाथ अपने मम्मो के ऊपर रख लिए और चिल्लाई...."अरे हरामी......बाहर क्यों नहीं जाता......निकल बाहर....." और पलट के अपने ब्लाउस के बचे खुचे हुक खोलने लगी.

मैं सकपकाते हुए बाहर जाने लगा तो वो फिर चिल्लाई "अरे ये मरी मोमबत्ती तो रखता जा...."

मैंने कांपते हुए हाथों से मोमबत्ती को ग्लास की रेक पर रखा और पलट के जाने लगा. मोमबत्ती ढंग से टिकी नहीं थी.
जैसे ही मैं मुड़ा. मोमबत्ती नीचे गिरी और बुझ गयी.

पूरा बाथरूम घुप्प अँधेरे में हो गया. कुछ भी नहीं दिख रहा था.

चाची जोर से चिल्लाई. " हाय राम......जान नहीं है क्या हाथों में......जा माचिस ला.....कहा गयी मोमबत्ती...."

मैं माचिस लेन की बजाये फर्श पर टटोल टटोल के मोमबत्ती ढूंढ़ने लगा......तभी मेरा हाथ चाची के हाथ से टकराया...चाची भी मोमबत्ती ढूंढ़ रही थी.

कीड़ा कुलबुलाने लगा.....

मैंने थोडा हाथ आगे बढाया और चाची की तरह आगे बड़ा.......अचानक मेरे हाथ से कुछ कड़क सा टकराया.....मुझे समझ नहीं आया की ये क्या है.....मैं बैठा था और मेरे हाथ चाची के सीने की ओर थे.......मुझे लगा शायद चाची का मंगल सूत्र है.....मैंने फिर हाथ बढाया और अब की बार मेरे हाथ से कुछ नरम नरम सा टकराया.......

मैं वहीं पर रुक गया.......मेरी नसे सनसनाने लगी.......जो मेरे हाथ से टकराया था वो चाची का खड़ा हुआ निप्पल था.
चाची ने अपना ब्लाउस पूरा खोल लिया था.

मैंने हिम्मत की और फिर से अपने हाथ बढाया......मेरा हाथ सीधे लेजर बोम्ब की तरह निशाने पर गया और चाची के मम्मे से जा टकराया.....मैंने अपने हाथ वही पर रख दिया और चुतिया बनाने के लिए कहने लगा.....
"अरे च च चाची......आ आ आप हो क्या..."

चाची दबी हुयी जुबान से बोली, "ओर क्या हरामी यहाँ पे माधुरी दीक्षीत थोड़ी बैठी है. हाथ हटा......"
मैंने हाथ नहीं हटाया और चाची के मम्मे को हाथ में ले लिया और धीर धीर दबाते हुए बोला, "न न नहीं च च चाची आप थोड़ी हो......ये तो शायद नहाने का स्पंज है......" मैंने दबाना बंद नहीं किया.......

मेरी गांड फटे जा रही थी मगर खुदा की कसम क्या मज़ा आ रहा था.....चाची का मम्मा मेरे हाथो में तो समां नहीं पा रहा था मगर इतना सोफ्ट था की सचमुच का स्पंज हो.

चाची जोर से बोली, " हरामी छोड़....."
मैंने भी हिम्मत पकड़ी, "क्या छोडू च च चाची......."

चाची ने अब आवाज़ धीरे की और बोली, "मेरा बोबा........छोड़ हरामी.........मेरा मम्मा .....छोड़ कमीने...."

मैंने समझ लिया की चाची को गुस्सा आ गया है........मैंने बहुत मुश्किल से चाची के मम्मो को छोड़ दिया.

चाची ने अब आवाज़ धीरे की और बोली, "मेरा बोबा........छोड़ हरामी.........मेरा मम्मा .....छोड़ कमीने...."

मैंने समझ लिया की चाची को गुस्सा आ गया है........मैंने बहुत मुश्किल से चाची के मम्मो को छोड़ दिया.
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चाची बोली, "लल्ला......बहुत ही बेशरम हो गया है रे........कुछ लाज शरम है की नहीं........"

पूरा घुप्प अँधेरा था. मुझे लगा की चाची मुस्कुरा रही है मगर साला कन्फर्म नहीं था.........अगर सच में गुस्सा हुयी तो.....ये सोच कर मेरी गांड फटने लगी.

मैंने कहा, "च च च चाची म म मैं माचिस ले आता हूँ........"

चाची बोली, "नहीं.....तू यहीं पर रुक......अँधेरे में न जाने क्या गिराएगा क्या तोड़ेगा.......मुझे पता है माचिस कहाँ है.......यहीं रुक जा....."
kramashah.............










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