FUN-MAZA-MASTI
शुभारम्भ-11
अचानक चाची सीधी होकर बैठ गयी और बोली, "चल लल्ला...उठ....और कहीं नहीं लगी है.......बोरोलीन लगाकर कपडे पहन ले.......सब लोग आते होंगे....."
भेनचोद.......लंड कपडे पहन ले.......इसी को कहते है खड़े लंड पर डंडा......KLPD
मैंने कहा, "च च चाची.......प्लीज़.......म म म मेरा प प पानी निकल तो दो.........नहीं तो रात भर दुखेंगा......"
चाची ने टेडी मुस्कान मरते हुए कहा, "वाह रे लल्ला.........खुद ही निकाल ले.......वो तेरे कागजों में.......रोज़ तो मुठ मारता है......"
मैं समझ की साली मादरचोद भाव खा रही है........मगर खड़े लंड की खातिर तो कुछ भी करना ही था.
मैंने थोडा सा आगे झुक कर चाची का हाथ पकड़ा जिससे उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा था और उनके हाथ को मेरे लंड के ऊपर हिलाने लगा. चाची मुस्कुराते हुए मुझे देख रही थी. अचानक चाची ने मेरे लंड को कस के पकड़ लिया और उनके चेहरे पर उत्तेजना के भाव आ गए. उन्होंने दांत भींचे हुए थे और मेरे लंड को कस के हाथ में पकडे जोर जोर से मुठ मरने लगी. मैं समझ गया की अब चाची की गांड फट रही है की घरवाले आ न जाये. इसिलए वो जल्दी से मेरा पानी निकलना चाहती है
मैंने भी सोच लिया की आज कुछ भी जाए मेरा पानी जल्दी नहीं निकलने दूंगा. मैंने कहीं पढ़ा था की जब पानी निकलने लगे तो लम्बी लम्बी साँसे लेनी चाहिए पानी जल्दी नहीं निकलता. मैंने लम्बी लम्बी साँसें लेना शुरू कर दिया. चाची को लगा की मेरा निकलने वाला है तो वो और जोर जोर मेरा हिलाने लगी. मगर मैं अब कंट्रोल में आ गया था. जोर जोर से हिलाने के चक्कर में चाची का टोवल ढीला हो गया था, मैंने कनखियों से देखा की चाची का टोवल बस गिरने ही वाला था. तभी चाची ने हिलाना बंद किया और सीधी होकर घुटनों के बल खड़ी हो गयी, टोवल को बस जैसे इसका ही इंतज़ार था, भोसड़ी के ने चाची के मम्मो का साथ छोड़ दिया और 80 साल के बुढ्ढे के जैसे ढेर हो गया. चाची ने झट से अपने मम्मो को एक हाथ से और दुसरे हाथ से अपनी चमेली को छुपा लिया और वो ही रानी मुखर्जी वाली शर्मीली मगर शरारती मुस्कान मारने लगी.
हाय......मैं तो घायल हो गया.
मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाला. मैं थोडा सा उठा और चाची के हाथ को जो उनके मम्मो को छुपाये हुए था उसको हटा दिया.......चाची ने फिर से छुपा लिया, मैंने चाची के हाथ को कास के पकड़ के उनके मम्मो से हटा कर मेरे दुखी बाबुराव पर रख दिया......बाबुराव तो गुलाब के फूल जैसा खिल गया. चाची ऑंखें तो बंद किये थी मगर मुस्कुरा रही थी. मेरे बाबुराव को पकड़ने के कारण वो थोडा सा झुकी हुयी थी. उनके गोल गोल संतरे अपने चेरी जैसे निप्पलों के साथ मुझे चिड़ा रहे थे. चाची का जोबन मेरे मुंह से सिर्फ कुछ ही दूर था. अचानक मेरी इतनी देर के ठरक आग जैसे भभक गयी और मैंने कचकचा कर उनमे मम्मे को अपने मुंह में ले लिया.
आम खाने के शौकीन जानते होंगे की आम खाने का मज़ा चूस कर खाने में ही है..........बस मैं भी चाची के आम बरसो के भूखे प्यासे जैसे जोर जोर से चूसने लगा.......
चाची के मुंह से ऐसी मादक सिसकारी निकली की मेरा पूरा शरीर सितार के तार की तरह तन गया. चाची का मुंह हैरत और मस्ती के कारण खुल गया था. मैं उनके चेहरे पर आता ये काम वासना के भाव देख रहा था तभी उन्होंने अपनी नज़रे निचे करके मुझे देखा और हमारी नज़रे मिली और उन्होंने एक ज़ोरदार सिसकारी मार दी और जोर जोर से मेरा लौड़ा हिलाने लगी. उन्होंने मेरे बाबुराव को इतना कस के पकड़ा था जैसे वो कोई जहरीला सांप हो और अगर छुटा तो काट खायेगा. चाची सिसकारी पे सिसकारी मार रही थी और जंगलीपन से मेरा लंड हिला रही थी. चाची के मम्मो में से हलकी हलकी चोकलेट की खुशबु आ रही थी.
अरे हां.......चोकलेट......
जिस पिघली हुयी चोकलेट के कारण यह सब हुआ था वो वहीँ पास में बेड साइड टेबल पर पड़ी थी. मैंने चाची का मम्मा छोड़ा और अपने लंड को मुश्किल से उनकी गिरफ्त में से निकाला. उठा और चोकलेट उठा कर उनके दोनों मम्मो पर मसल दी. चाची का मुंह हैरत से खुला का खुला ही रह गया, इसके पहले की वो कुछ बोल पाती मैंने अपना मुंह वापस उनके चोकलेट से लथपथ मम्मो पर लगा दिया और जन्मो जनम के प्यासे की तरह चोकलेट उनके मम्मो से चाटने लगा.
चाची ने अपने सर पीछे की तरफ फ़ेंक दिया और वासना से भरी ऐसी आह भरी की मेरा बाबुराव घंटे की तरह टन टन करने लगा. चाची के मम्मे चोकलेट से चिकने होने के बाद तो जैसे सोफ्टी आइसक्रीम हो गए थे......मैं उनके निप्पल को जैसे चुसना शुरू करता चाची का पूरा बदन सिहरने लगता......उनके पुरे शरीर में हलके हलके झटके लगने लगते....
वो बोली, "हाँ.......हाँ रे.......चूस ले...लल्ला............आह आअह.........उई माँ.......धीरे चूस हरामी......आह"
चाची और मैं दोनों ही बिस्तर पर घुटनों के बल खड़े थे. मैं चाची के मम्मो को भूखे-नंगे की तरह चुसे और चाटे जा रहा था और चाची मेरा बाबुराव अपने हाथों में पकडे मुठियाए जा रही थी. मैंने चाची के चिकने मम्मो को अपने हाथों से भींच रखा था. चाची के मम्मे और निप्पल लाल हो गए थे ऐसा लग रहा था मानो मेरे इस वहशी प्यार से शरमा गए हो.
मैंने अपने एक हाथ चाची के मम्मो से हटा कर उनके नंगो नितम्बो पर रख दिया. मेरी इस हरकत से चाची एक दम किचकिची खाकर मुझसे और जोर से चिपक गयी और अपने मम्मे मेरे मुंह पर दबाने लगी. फिर उन्होंने मेरे बाल पकडे और मेरा मुंह अपने एक मम्मे से हटा कर दुसरे मम्मे पर रख दिया. मैं भी प्यासे सावन की तरह उनके बोबों पर टूट पड़ा. मेरा दूसरा हाथ उनकी विशाल गांड का नाप लेने की कोशिश कर रहा था मगर आखिर वो तो चाची की गांड थी, जिसको नापना मुश्किल ही नहीं........नामुमकिन था. मैंने अपने हाथ उनकी गांड से हटा कर आगे किया और उनकी इमरती जैसे नाभि के चारो और उंगलिया घुमाने लगा. चाची ने फिर से एक सिसकारी भरी और अचानक मेरा मुंह अपने मम्मो से खिंच कर अपने जलते हुए होटों से चिपका लिया.
चाची ने मुझे इस कदर चूस चूस कर किस करना शुरू किया जैसे मुझे सांप ने होटों पर काट लिया हो और चाची को मेरी जान बचाने के लिए मेरे होटों से जहर चूस कर निकलना हो. चाची के इस कदर चूसने से मेरे दिमाग में ...........
कीड़ा कुलबुलाने लगा.......
मैंने किस करते करते ही चाची को थोडा घुमाया और जब उनका जलता बदन बिस्तर की किनारे पर आ गया तो उनको धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया. इसके पहले की वो कुछ बोल पाती मैंने उनके ऊपर लेट कर अपने होटों से उनके होटों को सील कर दिया. चाची इतने मज़े से किस कर रही थी की मल्लिका शेरावत भी शरमा जाती और अपना इमरान हाश्मी तो चाची के चुम्मे के लिया अपनी तीसरी टांग पे खड़ा हो जाता. चाची ने मम मम....आवाज़े निकलना शुरू कर दिया था. वो लगातार गरम पे गरम हो रही थी और मैं सोच रहा था की बस लोहा थोडा और गरम हो जाये फिर बस ..............
चाची ने मेरे मुंह में अपनी जुबां डाली और मेरी जीभ से अपनी जीभ को लड़ाने लगी. हाय......क्या मज़ा आ रहा था.
मैंने अपने होटों को चाची के होटों से अलग किया और औरतों की सबसे कामुक जगहों में से एक उनकी गर्दन पर कान के निचे की ओर चूमने लगा......चाची के होटों से फिर से आह निकल पड़ी........मैं किस करते करते निचे की और जाता जा रहा था........चाची के मम्मो ने मुझे और निचे जाने से रोकने की कोशिश की मगर मेरा इरादा पक्का था.
लंड खड़ा होने के बाद तो इंसान फरिश्तों की नहीं सुनता .......चाची के मम्मे क्या चीज़ थे......
मैंने अपनी जीभ से चाची की नाभि के चारो और गोला बनाया और धीरे धीरे जीभ से उनकी नाभि को सहलाने लगा. उत्तेजना से चाची का पूरा पेट कांपने लगा.........मैंने चाची की कमर पर चूमा और उनकी कमर पर अपने दांत धीरे से गदा दिए, चाची का पूरा बदन सिहर गया और उनके मुंह से फिर से हाय...निकल गयी.
मेरा निशाना तो चाची की चमेली थी.......भेन्चोद.......आज बच के कहा जाएगी.
मैं निचे और निचे सरकता हुआ चाची के पेरों के पास पहुँच गया. मैंने घुटनों के बल बैठ कर चाची की चिकनी जांघे पकड़ी और जहाँ पर चाची की जांघ पर "बलमा" लिखा था.....वहीँ पर एक ज़ोरदार चुम्मा दे डाला.......चाची के पूरी गांड और कमर बिस्तर से ऊपर उठ गए और उन्होंने वो मादक सिसकारी मारी की उसे सुनकर साधू सन्यासी भी फिर से मोह माया के भंवर में फंसने को आतुर हो जाते......
मैंने चाची की दोनों जांघे पकड़ी और जिस तरह लालची बनिया धीरे धीरे अपनी तिजोरी खोलता है वैसे ही मैंने चाची की जवानी की तिजोरी खोल दी.
हाय.......मर.....जावा.........क्या नज़ारा था...........
चाची की चिकनी चमेली इतनी देर से मेरे ध्यान नहीं देने के कारन मानो नाराज़ थी. बिलकुल गुस्से में लाल होकर मुंह फुलाए बैठी थी. और कुछ आंसू भी टपका दिया थे. चाची के कामरस की कुछ बूंदें उनकी चूत की पंखुड़ियों पर सुबह की ओस जैसी बैठी थी. चाची की चूत पर एक भी बाल नहीं था. इतनी चिकनी थी मानो करीना का गाल हो...........
मैंने एक सेकंड के लिए ये शानदार ठरकी नज़ारा देखा और असली कुत्ते की तरह अपनी जीभ से चाची की चिकनी चमेली पर आई कामरस की बूंदों को चाट लिया. चाची ने इतनी जोर से झटका खाया और सिसकारी मारी की एक सेकंड के लिए मुझे लगा की भोसड़ी की को कहीं जवानी में ही अटेक तो नहीं आ गया. मगर चाची के चूत से किया हुआ यह खिलवाड़ उनका सर घुमा चूका था. उन्होंने सर उठा कर मेरी आँखों में ऑंखें डाली और धीरे से सर हिलाने लगी.............
चाची बोली, " ल ल ल लल्ला........म म म मत कर रे.......गन्दा है.........."
भेन्चोद........कोंन चुतिया चाची की शानदार चिकनी चूत को गन्दा बोलेगा.......वो तो गुलकंद का पीस लग रही थी.
मैंने चाची की आँखों में ऑंखें डाले डाले ही फिर से उनकी चूत की पंखुड़ियों पर अपनी जीभ चलाई.......चाची ने आह भरी और अपने सर पीछे फेंक दिया और अपनी गांड ऊँची करके चिकनी चमेली मेरे भूखे होटों को समर्पित कर दी.
मैंने चाची के चूत के छेद पर अपनी जीभ टिकाई और अपनी जीभ को सिकोड़ कर बिलकुल नोकदार कर दिया, मैं अपनी जीभ को ऊपर चलाता गया और चाची की मुनिया धीरे धीरे गुलाब के फुल की तरह खिलती गयी. चाची की मुनिया का चिकनापन देखने लायक था इतनी चिकनी थी मानो किसी टीनेजर लड़की की हो.....उसमे से नमकीन खुशबु आ रही थी और इतनी देर से जो नंगेपन का नाच चल रहा था उसके कारण इतनी पनियाई हुयी थी की मुझे लग रहा था की मैं किसी शरबत के ग्लास में जीभ से कुत्ते की तरह चाट चाट के शरबत पी रहा हूँ.....
अनुभवी जानते होंगे की औरत की चूत से ज्यादा कामुक उनकी क्लिटोरिस होती है जिसको चना या दाना भी बोलते है.....
मैं अनजाने में ही अपनी जीभ से चाची के दाने को छेड़ बैठा और बेचारी चाची का बचा खुचा कंट्रोल भी ख़तम हो गया और वो ऐसे सिसियाने लगी जैसे उनकी चूत पर किसी ने मिर्च डाल दी हो.......मैं पहले उनकी चूत को धीरे से अपनी जीभ से खोदता और फिर जीभ ऊपर ले जाकर उनके दाने से अपनी जीभ का दंगल करवाता.......चाची ऐसे हाय हाय करके अपनी चूत मेरे मुंह पर दबा रही थी की मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी.....मैंने उनकी मुनिया की पंखुड़ियों को अपने होटों में दबाया और किस लेने के अंदाज में चूस मारा.....अब तो चाची की मुनिया ढेर हो गयी और जो चाची ने मेरा सर अपनी जन्घो में दबा कर सिसकारी मारी मुझे लगा कहीं जोश जोश में मैंने चाची की मुनिया पर काट तो नहीं लिया.....मगर चाची जोर जोर से साँसे ले कर जोर से फिर बोली, "उईईईई........माँ......आ आ ........"
और चाची का पूरा बदन अकड़ गया........भेन्चोद ने मुझे अपनी टांगों के बीच दबा रखा था, मैं तो ढंग से सांस भी नहीं ले पा रहा था, मेरी गांड भी फटी कि यह चाची को क्या हो गया.......बड़ी मुश्किल से मैंने अपना सर चाची की विशाल जाघों में से निकला और देखा की उनकी ऑंखें बंद थी और वो जोर जोर से सांस ले रही थी......
फिर उन्होंने अपनी ऑंखें धीरे से खोली, उनकी ऑंखें इस कदर नशीली थी मानो उन्होंने 5 -6 पैग लगा रखे हो. अब मैं समझा की चाची का सिग्नल तो डाउन हो गया था.....मगर मेरा नहीं........
बाबुराव गुस्से में अपने सर इधर उधर हिला रहा था........सुपदा बिलकुल फुल कर टमाटर की तरह लाल सुर्ख हो गया था.......चाची ने पहले मुझे देखा और फिर मेरे सांप जैसे लहराते लंड को और मुस्कुरा दी. मैं थोडा आगे होके उनके पास गया और उनका हाथ पकड़ कर अपने गुस्सैल बाबुराव पर रख दिया,
चाची ने फिर जड़ से पकड़ा और बच्चो से बात करने वाली अदा में बोली, "अले अले......देखो तो......कैसा नाराज़ हो गया है.........अभी खुश करती हूँ मेले पप्पु लाला को........." और जोर जोर से मेरी मुठ मारने लगी.....................
मस्ती से मेरी तो ऑंखें ही बंद हो गयी......चाची अपने हाथ से बाबुराव को बेदर्दी से हिलाए जा रही थी मगर बाबुराव भी WWF के पहेलवान जैसे इतनी मार खा के भी डटा हुआ था. चाची ने अपने दूसरा हाथ बड़ा कर मेरे गोटें सहलाने शुरू कर दिया......मैं समझ गया की यह कमीनी अब मेरा जल्दी से निकलने की फ़िराक में है. मेरे गोटों में सुरसुरी शुरू हो गयी मगर मैं आज जल्दी हल्का होने के मुड में नहीं था.........मैंने लम्बी लम्बी साँसे लेना शुरू कर दिया.......जो सुरसुरी मेरे गोटों में शुरू हुयी थी वो बंद हो गयी और चाची के हाथ का कसाव मेरे लंड पर और बढ़ गया.
उन्होंने अब मेरे गोटों को अपने नाखुनो से रगड़ना शुरू कर दिया.......भेन्चोद.....मुझे तो अँधेरे में भी हजारो वॉट की रोशनी दिखने लगी......मैंने बड़ी मुश्किल से अपने गोटों में उबलते हुए लावे को रोका.........
ये साली आज नहीं मानेगी......
मैंने ऑंखें खोली और मेरी नज़र सीधी चोकलेट पर पड़ी. मैंने पक्क से चाची के हाथ से अपने लौड़ा खिंचा और चोकलेट को अपने लंड पर लथेड कर चाची के हैरान चेहरे के सामने कर दिया.......
बाबुराव चोकलेट में लिपटाहुआ मासूम और खूंखार दोनों लग रहा था. मेरे चेहरे पर भी पापा रंजीत वाली मुस्कराहट आ गयी और मैंने चाची के सर को अपने लौड़े की तरफ करके कहा, "च च च चाची.......ऐ ऐ ऐसे नहीं निकलेगा.........
प्लीज़ .........इसे.......च च चूस लो ना........"
चाची एकटक मेरे चोकलेट में लिपटे लौड़े को देख रही थी. मगर उन्होंने चूसने में कोई इच्छा नहीं दिखाई,
मैं चाची के चेहरे से १० इंच की दुरी पर बाबुराव को लाकर धीरे धीरे हिलाने लगा. मैंने फिर कहा, " च च चाची प्लीज़ चूस लो ना.....देखो कैसा तड़प रहा है .......आह ह ह ह ........."
चाची ने मुझे देखा फिर मेरे प्यारे बाबुराव को.......और मेरी आँखों में देखते हुए धीरे से मुंह खोल कर मेरा लाल लाल फुला हुआ सुपाडा अपने होटों के बीच दबा लिया. मेरे मुंह से आह निकल गयी......
चाची के नरम नरम होटों के बीच मेरा सुपाडा फंसा था यह सोच सोच कर ही मेरे फ़रिश्ते भांगड़ा कर रहे थे मगर वो मुंह में मेरा सुपाडा दबाये जिस कातिल अदा से मेरी आँखों से ऑंखें मिलाये हुयी थी, मेरे रोम रोम से पसीना छुट रहा था.
चाची ने मेरे सुपाड़े को धीरे से चुसना शुरू किया........मैंने आज तक ना जाने कितनी बार मुठ मारी थी मगर कभी वो मज़ा नहीं आया था जो चाची के सिर्फ मेरा सुपाड़े के चूसने में ही आ रहा था. साली हरामन ......एकटक मुझसे नज़रे मिलाये हुयी थी. मेरे सुपाड़े को ऐसे चूस रही थी मानो दशहरी आम हो. मुझे तो जन्नत का मज़ा आ रहा था.
चाची ने मेरे सुपाड़े को छोड़ा और अपनी जीभ की नोक से सुपाड़े के छेद को खोदने लगी.......भेन्चोद.....मेरी तो सांस ही रुक गयी......चाची की जीभ लपालप मेरे बाबुराव के छेद को छेड़े जा रही थी और वो बेशरम औरत मेरी आँखों में आये मस्ती के भाव देखे जा रही थी. चाची ने छेद को खोदने के बाद जीभ से सुपाड़े पर सपाटा मारा और छेद से लंड की चमड़ी के जोड़ पर अपनी शरारती जीभ ले आई.......ओह्ह.......स्वर्ग के सारे सितारे और नज़ारे दिख गए भैया.......वहां पर जीभ लाकर चाची ने चमड़ी और सुपाड़े के जोड़ पर जीभ से ठुनकी मरना शुरू कर दी.....मैंने चाची का सर पकड़ा और उसको अपने लंड पर दबाने लगा ताकि वो मेरे सुपाड़े पर रहम खा ले... क्योकि ये सब चलता रहा तो मैं क्या सल्लू बाबा भी अपने कमिटमेंट भूल जाते और पिचकारी छोड़ देते....... चाची ने सुपदे पर हरकत करना बंद नहीं की......बल्कि
उन्होंने सुपाड़े के छेद पर फिर से जीभ घुमाई और लंड की लार पर से जुबान इस तरह उठाई की एक तार सा बन गया.......हाय ये साली तो आज मेरा लंड फोड़ कर ही मानेगी..........लंड की लार और चाची की लार से पूरा सुपाडा तर हो चूका था और मोमबत्ती की रोशनी में चमक रहा था.
मैंने सिसियाते हुए कहा, "आह.......च च चाची.........प प पूरा ले लो.....अ अ अन्दर.......ऊह......आह........"
चाची ने मेरी बात अनसुनी कर दी और मेरे सुपाड़े का बलात्कार करना जारी रखा........मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने चाची के बाल पकडे और अपना लंड उनके खुले मुंह पर दबा दिया..........घप्प करके मेरा लंड चाची में मुंह में घुस गया...........
मेरी गांड भी फटी, की साली भेन्चोद नाराज़ हो गयी या नाटक चोदने लगी तो बॉस अपनी तो पक्की KLPD हो जाएगी......
चाची ने पहले तो कोई रिएक्शन नहीं दिया और अचानक उनके होंट मेरे लंड पर कस गए और उन्होंने मेरे लंड को जोर जोर से कुल्फी की तरह चुसना शुरू कर दिया.......अब सर पीछे फ़ेंक कर आँहें भरने की बारी मेरी थी. साली के बाल पकड़ कर थोडा सा कड़कपन दिखाया तो भेन्चोद और गरमा गयी...........और बिलकुल ठरकी पने से लंड को पूरा मुंह लेकर चूसते हुए बाहर लाती और फिर से गप्प से पूरा अन्दर डाल लेती ..... उनका एक हाथ मेरे लंड को जड़ से पकडे था मानो लंड कोई कबूतर है......की छोड़ा तो उड़ जायेगा और उनका दूसरा हाथ मेरे गोटों को सहला और मस्का रहा था. कभी कभी वो मेरे गोटों को नाखुनो से रगड़ देती और मेरी आह और सिसकियाँ निकल जाती.
मेरी सिसकियाँ मुझे ही अजनबी लग रही थी मेरे होंट सुख चुके थे और मेरी ऑंखें खुल नहीं पा रही थी........मेरे गोटों में सुरसुरी शुरू हो गयी थी. मैं समझ गया की गुरु अब नहीं रुके तो फिर घंटा नहीं रुक पाएंगे......मैंने फिर से चाची के बाल पकड़ के उनका सर पीछे खिंचा और मेरा lucky लोडा पक्क की आवाज़ के साथ चाची के भूखे मुंह से बाहर आ गया..........चाची ने साडी चोकलेट चूस चूस कर साफ़ कर दी थी और पूरा लंड चाची की लार से सराबोर था. लंड इस कदर लाल सुर्ख हो गया था की ऐसा लग रहा था की चाची के चुसना बंद कर देने से नाराज़ हो गया है. साला....बार बार ऐसे ठुनकी मार रहा था मानो अभी मारने दोड़ेगा.
चाची ने मुझे आधी खुली नशीली आँखों से देखा और अपनी भंवे उठा कर इशारों में पूछने लगी की क्या हुआ........मैंने कुछ नहीं कहा और धीरे से झुक कर चाची के भीगे होटों पर किस कर दिया...........मर्डर मूवी में तो सिर्फ इमरान हाश्मी ने गाया था की " भीगे होंट तेरे........." मगर उस भीगे होंट का मतलब और स्वाद मुझे आज आया.
बेचारे इमरान को कहाँ मल्लिका के ऐसे भीगे होंट नसीब हुए होंगे.
मैं चाची के नरम मगर गरम होटों को पागलों की तरह चुसे जा रहा था और वो ठरकी औरत गरम पे गरम हुए ही जा रही थी. मेरे हाथ उनको मम्मो तक पहुँच गए और फिर से उनकी बेदर्दी से रगड़ने लगे, चाची किस करते करते ही मम्म मम्म आवाज़ निकल रही थी. वो बिस्तर पर बैठी थी और मैं बेड के किनारे पर नीचे खड़ा था, मैंने किस करते करते ही धीरे से चाची को बिस्तर की ओर दबाया और उनको बिना किस तोड़े बिस्तर पर लेटा दिया और उनके ऊपर आ गया.
जिस का मुझे था इंतज़ार......जिसके लिए दिल था बेकरार........वो घडी आ गयी.......आ गयी....
मैंने इस के पहले चुदाई की ही नहीं थी.......मगर जैसे ही मैं चाची के ऊपर लेटा और मेरा लंड उनके पेट और टांगों से जोड़ से टकराया.....मैंने अपने घुटने बिना कुछ सोचे ही मोड़े और चाची की जांघों में फसा कर उनकी टांगे खोल दी और अपने घुटने के बल लेट गया......ऐसा करते ही मेरे बाबुराव का सामना चाची की चिकनी चमेली से हो गया. मैं थोडा सा आगे झुका और मेरे लंड ने उचल के चाची की चूत की पप्पी ले ली......चाची एक दम सिहर गयी और उनकी ऑंखें खुल गयी..........उन्होंने अपने मुंह मेरे मुंह से अलग किया और बोली, " आह......मत कर.......आह.......हरामी..........हट मेरे ऊपर से........क्या कर रहा था........उठ जा...........आह"
मुझे लगा की अगर चाची की बात मान ली तो KLPD और नहीं मानी और वो नाराज़ हो गयी तो गांड पे डंडा.......भेन्चोद करू क्या ???
मुझे कुछ नहीं सुझा तो मैंने चाची का हाथ पकड़ा और अपने सिसकी मारते बाबुराव पर रख दिया....बेचारा.....अब कुछ तो दें उसको.......और मैंने चाची के निप्पल को धीरे से अपनी जीभ से छेड़ा......चाची फिर बोली, "उठ.....हरामी.......सब आने वाले होंगे......कमीने.........हट....जा......आह.........ऊह......मत कर.......उठ.....आह......"
मुझे समझ आ गया की निप्पल चाची की कमजोरी है.......मैंने अपने मुंह खोला और चाची का मम्मा पूरा का पूरा अपने मुंह में ले लिया और इतनी जोर जोर से चुसना शुरू किया की चाची की आवाज़ पहले तो बंद ही हो गयी और फिर उन्होंने ने ऐसी आह भरी की विद्या बालन भी उनके आगे फ़ैल हो जाती.
चाची ने कचकचा कर मेरे लौड़े को फिर से मुठियाना शुरू कर दिया और मैंने चाची का मम्मा मुंह में लिए लिए ही उनके निप्पल को अपनी जीभ से छेड़ना शुरू कर दिया......अब तो चाची ब्लू फिल्मो की हिरोइन के जैसी जोर जोर से आहें भर रही थी......और चाची की आंहें सुन सुन कर मेरे पसीने निकल रहे थे.
मैं थोडा सा आगे आया......अब लंड चाची की चूत से मुश्किल से 4 -5 इंच दूर था..........मेरा इरादा था की चाची को पता लगे उसके पहले गप्प से अपना लंड पेल दू......
चाची ने मेरे लंड को हिलाते हिलाते ही आगे खीचा.......अब लंड बिलकुल चूत के मुंह पर दस्तक दे रहा था मगर छु नहीं पाया था.......
मैं कुछ करता इसके पहले चाची ने ही मेरे लंड को अपनी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.........मुझे इतना आनंद आया की मेरे मुंह से निकल गया, "आह......च च चाची...........ऊह........"
kramashah.............
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मैंने कहा, "च च चाची.......प्लीज़.......म म म मेरा प प पानी निकल तो दो.........नहीं तो रात भर दुखेंगा......"
चाची ने टेडी मुस्कान मरते हुए कहा, "वाह रे लल्ला.........खुद ही निकाल ले.......वो तेरे कागजों में.......रोज़ तो मुठ मारता है......"
मैं समझ की साली मादरचोद भाव खा रही है........मगर खड़े लंड की खातिर तो कुछ भी करना ही था.
मैंने थोडा सा आगे झुक कर चाची का हाथ पकड़ा जिससे उन्होंने मेरे लंड को पकड़ा था और उनके हाथ को मेरे लंड के ऊपर हिलाने लगा. चाची मुस्कुराते हुए मुझे देख रही थी. अचानक चाची ने मेरे लंड को कस के पकड़ लिया और उनके चेहरे पर उत्तेजना के भाव आ गए. उन्होंने दांत भींचे हुए थे और मेरे लंड को कस के हाथ में पकडे जोर जोर से मुठ मरने लगी. मैं समझ गया की अब चाची की गांड फट रही है की घरवाले आ न जाये. इसिलए वो जल्दी से मेरा पानी निकलना चाहती है
मैंने भी सोच लिया की आज कुछ भी जाए मेरा पानी जल्दी नहीं निकलने दूंगा. मैंने कहीं पढ़ा था की जब पानी निकलने लगे तो लम्बी लम्बी साँसे लेनी चाहिए पानी जल्दी नहीं निकलता. मैंने लम्बी लम्बी साँसें लेना शुरू कर दिया. चाची को लगा की मेरा निकलने वाला है तो वो और जोर जोर मेरा हिलाने लगी. मगर मैं अब कंट्रोल में आ गया था. जोर जोर से हिलाने के चक्कर में चाची का टोवल ढीला हो गया था, मैंने कनखियों से देखा की चाची का टोवल बस गिरने ही वाला था. तभी चाची ने हिलाना बंद किया और सीधी होकर घुटनों के बल खड़ी हो गयी, टोवल को बस जैसे इसका ही इंतज़ार था, भोसड़ी के ने चाची के मम्मो का साथ छोड़ दिया और 80 साल के बुढ्ढे के जैसे ढेर हो गया. चाची ने झट से अपने मम्मो को एक हाथ से और दुसरे हाथ से अपनी चमेली को छुपा लिया और वो ही रानी मुखर्जी वाली शर्मीली मगर शरारती मुस्कान मारने लगी.
हाय......मैं तो घायल हो गया.
मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को संभाला. मैं थोडा सा उठा और चाची के हाथ को जो उनके मम्मो को छुपाये हुए था उसको हटा दिया.......चाची ने फिर से छुपा लिया, मैंने चाची के हाथ को कास के पकड़ के उनके मम्मो से हटा कर मेरे दुखी बाबुराव पर रख दिया......बाबुराव तो गुलाब के फूल जैसा खिल गया. चाची ऑंखें तो बंद किये थी मगर मुस्कुरा रही थी. मेरे बाबुराव को पकड़ने के कारण वो थोडा सा झुकी हुयी थी. उनके गोल गोल संतरे अपने चेरी जैसे निप्पलों के साथ मुझे चिड़ा रहे थे. चाची का जोबन मेरे मुंह से सिर्फ कुछ ही दूर था. अचानक मेरी इतनी देर के ठरक आग जैसे भभक गयी और मैंने कचकचा कर उनमे मम्मे को अपने मुंह में ले लिया.
आम खाने के शौकीन जानते होंगे की आम खाने का मज़ा चूस कर खाने में ही है..........बस मैं भी चाची के आम बरसो के भूखे प्यासे जैसे जोर जोर से चूसने लगा.......
चाची के मुंह से ऐसी मादक सिसकारी निकली की मेरा पूरा शरीर सितार के तार की तरह तन गया. चाची का मुंह हैरत और मस्ती के कारण खुल गया था. मैं उनके चेहरे पर आता ये काम वासना के भाव देख रहा था तभी उन्होंने अपनी नज़रे निचे करके मुझे देखा और हमारी नज़रे मिली और उन्होंने एक ज़ोरदार सिसकारी मार दी और जोर जोर से मेरा लौड़ा हिलाने लगी. उन्होंने मेरे बाबुराव को इतना कस के पकड़ा था जैसे वो कोई जहरीला सांप हो और अगर छुटा तो काट खायेगा. चाची सिसकारी पे सिसकारी मार रही थी और जंगलीपन से मेरा लंड हिला रही थी. चाची के मम्मो में से हलकी हलकी चोकलेट की खुशबु आ रही थी.
अरे हां.......चोकलेट......
जिस पिघली हुयी चोकलेट के कारण यह सब हुआ था वो वहीँ पास में बेड साइड टेबल पर पड़ी थी. मैंने चाची का मम्मा छोड़ा और अपने लंड को मुश्किल से उनकी गिरफ्त में से निकाला. उठा और चोकलेट उठा कर उनके दोनों मम्मो पर मसल दी. चाची का मुंह हैरत से खुला का खुला ही रह गया, इसके पहले की वो कुछ बोल पाती मैंने अपना मुंह वापस उनके चोकलेट से लथपथ मम्मो पर लगा दिया और जन्मो जनम के प्यासे की तरह चोकलेट उनके मम्मो से चाटने लगा.
चाची ने अपने सर पीछे की तरफ फ़ेंक दिया और वासना से भरी ऐसी आह भरी की मेरा बाबुराव घंटे की तरह टन टन करने लगा. चाची के मम्मे चोकलेट से चिकने होने के बाद तो जैसे सोफ्टी आइसक्रीम हो गए थे......मैं उनके निप्पल को जैसे चुसना शुरू करता चाची का पूरा बदन सिहरने लगता......उनके पुरे शरीर में हलके हलके झटके लगने लगते....
वो बोली, "हाँ.......हाँ रे.......चूस ले...लल्ला............आह आअह.........उई माँ.......धीरे चूस हरामी......आह"
चाची और मैं दोनों ही बिस्तर पर घुटनों के बल खड़े थे. मैं चाची के मम्मो को भूखे-नंगे की तरह चुसे और चाटे जा रहा था और चाची मेरा बाबुराव अपने हाथों में पकडे मुठियाए जा रही थी. मैंने चाची के चिकने मम्मो को अपने हाथों से भींच रखा था. चाची के मम्मे और निप्पल लाल हो गए थे ऐसा लग रहा था मानो मेरे इस वहशी प्यार से शरमा गए हो.
मैंने अपने एक हाथ चाची के मम्मो से हटा कर उनके नंगो नितम्बो पर रख दिया. मेरी इस हरकत से चाची एक दम किचकिची खाकर मुझसे और जोर से चिपक गयी और अपने मम्मे मेरे मुंह पर दबाने लगी. फिर उन्होंने मेरे बाल पकडे और मेरा मुंह अपने एक मम्मे से हटा कर दुसरे मम्मे पर रख दिया. मैं भी प्यासे सावन की तरह उनके बोबों पर टूट पड़ा. मेरा दूसरा हाथ उनकी विशाल गांड का नाप लेने की कोशिश कर रहा था मगर आखिर वो तो चाची की गांड थी, जिसको नापना मुश्किल ही नहीं........नामुमकिन था. मैंने अपने हाथ उनकी गांड से हटा कर आगे किया और उनकी इमरती जैसे नाभि के चारो और उंगलिया घुमाने लगा. चाची ने फिर से एक सिसकारी भरी और अचानक मेरा मुंह अपने मम्मो से खिंच कर अपने जलते हुए होटों से चिपका लिया.
चाची ने मुझे इस कदर चूस चूस कर किस करना शुरू किया जैसे मुझे सांप ने होटों पर काट लिया हो और चाची को मेरी जान बचाने के लिए मेरे होटों से जहर चूस कर निकलना हो. चाची के इस कदर चूसने से मेरे दिमाग में ...........
कीड़ा कुलबुलाने लगा.......
मैंने किस करते करते ही चाची को थोडा घुमाया और जब उनका जलता बदन बिस्तर की किनारे पर आ गया तो उनको धक्का देकर बिस्तर पर गिरा दिया. इसके पहले की वो कुछ बोल पाती मैंने उनके ऊपर लेट कर अपने होटों से उनके होटों को सील कर दिया. चाची इतने मज़े से किस कर रही थी की मल्लिका शेरावत भी शरमा जाती और अपना इमरान हाश्मी तो चाची के चुम्मे के लिया अपनी तीसरी टांग पे खड़ा हो जाता. चाची ने मम मम....आवाज़े निकलना शुरू कर दिया था. वो लगातार गरम पे गरम हो रही थी और मैं सोच रहा था की बस लोहा थोडा और गरम हो जाये फिर बस ..............
चाची ने मेरे मुंह में अपनी जुबां डाली और मेरी जीभ से अपनी जीभ को लड़ाने लगी. हाय......क्या मज़ा आ रहा था.
मैंने अपने होटों को चाची के होटों से अलग किया और औरतों की सबसे कामुक जगहों में से एक उनकी गर्दन पर कान के निचे की ओर चूमने लगा......चाची के होटों से फिर से आह निकल पड़ी........मैं किस करते करते निचे की और जाता जा रहा था........चाची के मम्मो ने मुझे और निचे जाने से रोकने की कोशिश की मगर मेरा इरादा पक्का था.
लंड खड़ा होने के बाद तो इंसान फरिश्तों की नहीं सुनता .......चाची के मम्मे क्या चीज़ थे......
मैंने अपनी जीभ से चाची की नाभि के चारो और गोला बनाया और धीरे धीरे जीभ से उनकी नाभि को सहलाने लगा. उत्तेजना से चाची का पूरा पेट कांपने लगा.........मैंने चाची की कमर पर चूमा और उनकी कमर पर अपने दांत धीरे से गदा दिए, चाची का पूरा बदन सिहर गया और उनके मुंह से फिर से हाय...निकल गयी.
मेरा निशाना तो चाची की चमेली थी.......भेन्चोद.......आज बच के कहा जाएगी.
मैं निचे और निचे सरकता हुआ चाची के पेरों के पास पहुँच गया. मैंने घुटनों के बल बैठ कर चाची की चिकनी जांघे पकड़ी और जहाँ पर चाची की जांघ पर "बलमा" लिखा था.....वहीँ पर एक ज़ोरदार चुम्मा दे डाला.......चाची के पूरी गांड और कमर बिस्तर से ऊपर उठ गए और उन्होंने वो मादक सिसकारी मारी की उसे सुनकर साधू सन्यासी भी फिर से मोह माया के भंवर में फंसने को आतुर हो जाते......
मैंने चाची की दोनों जांघे पकड़ी और जिस तरह लालची बनिया धीरे धीरे अपनी तिजोरी खोलता है वैसे ही मैंने चाची की जवानी की तिजोरी खोल दी.
हाय.......मर.....जावा.........क्या नज़ारा था...........
चाची की चिकनी चमेली इतनी देर से मेरे ध्यान नहीं देने के कारन मानो नाराज़ थी. बिलकुल गुस्से में लाल होकर मुंह फुलाए बैठी थी. और कुछ आंसू भी टपका दिया थे. चाची के कामरस की कुछ बूंदें उनकी चूत की पंखुड़ियों पर सुबह की ओस जैसी बैठी थी. चाची की चूत पर एक भी बाल नहीं था. इतनी चिकनी थी मानो करीना का गाल हो...........
मैंने एक सेकंड के लिए ये शानदार ठरकी नज़ारा देखा और असली कुत्ते की तरह अपनी जीभ से चाची की चिकनी चमेली पर आई कामरस की बूंदों को चाट लिया. चाची ने इतनी जोर से झटका खाया और सिसकारी मारी की एक सेकंड के लिए मुझे लगा की भोसड़ी की को कहीं जवानी में ही अटेक तो नहीं आ गया. मगर चाची के चूत से किया हुआ यह खिलवाड़ उनका सर घुमा चूका था. उन्होंने सर उठा कर मेरी आँखों में ऑंखें डाली और धीरे से सर हिलाने लगी.............
चाची बोली, " ल ल ल लल्ला........म म म मत कर रे.......गन्दा है.........."
भेन्चोद........कोंन चुतिया चाची की शानदार चिकनी चूत को गन्दा बोलेगा.......वो तो गुलकंद का पीस लग रही थी.
मैंने चाची की आँखों में ऑंखें डाले डाले ही फिर से उनकी चूत की पंखुड़ियों पर अपनी जीभ चलाई.......चाची ने आह भरी और अपने सर पीछे फेंक दिया और अपनी गांड ऊँची करके चिकनी चमेली मेरे भूखे होटों को समर्पित कर दी.
मैंने चाची के चूत के छेद पर अपनी जीभ टिकाई और अपनी जीभ को सिकोड़ कर बिलकुल नोकदार कर दिया, मैं अपनी जीभ को ऊपर चलाता गया और चाची की मुनिया धीरे धीरे गुलाब के फुल की तरह खिलती गयी. चाची की मुनिया का चिकनापन देखने लायक था इतनी चिकनी थी मानो किसी टीनेजर लड़की की हो.....उसमे से नमकीन खुशबु आ रही थी और इतनी देर से जो नंगेपन का नाच चल रहा था उसके कारण इतनी पनियाई हुयी थी की मुझे लग रहा था की मैं किसी शरबत के ग्लास में जीभ से कुत्ते की तरह चाट चाट के शरबत पी रहा हूँ.....
अनुभवी जानते होंगे की औरत की चूत से ज्यादा कामुक उनकी क्लिटोरिस होती है जिसको चना या दाना भी बोलते है.....
मैं अनजाने में ही अपनी जीभ से चाची के दाने को छेड़ बैठा और बेचारी चाची का बचा खुचा कंट्रोल भी ख़तम हो गया और वो ऐसे सिसियाने लगी जैसे उनकी चूत पर किसी ने मिर्च डाल दी हो.......मैं पहले उनकी चूत को धीरे से अपनी जीभ से खोदता और फिर जीभ ऊपर ले जाकर उनके दाने से अपनी जीभ का दंगल करवाता.......चाची ऐसे हाय हाय करके अपनी चूत मेरे मुंह पर दबा रही थी की मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी.....मैंने उनकी मुनिया की पंखुड़ियों को अपने होटों में दबाया और किस लेने के अंदाज में चूस मारा.....अब तो चाची की मुनिया ढेर हो गयी और जो चाची ने मेरा सर अपनी जन्घो में दबा कर सिसकारी मारी मुझे लगा कहीं जोश जोश में मैंने चाची की मुनिया पर काट तो नहीं लिया.....मगर चाची जोर जोर से साँसे ले कर जोर से फिर बोली, "उईईईई........माँ......आ आ ........"
और चाची का पूरा बदन अकड़ गया........भेन्चोद ने मुझे अपनी टांगों के बीच दबा रखा था, मैं तो ढंग से सांस भी नहीं ले पा रहा था, मेरी गांड भी फटी कि यह चाची को क्या हो गया.......बड़ी मुश्किल से मैंने अपना सर चाची की विशाल जाघों में से निकला और देखा की उनकी ऑंखें बंद थी और वो जोर जोर से सांस ले रही थी......
फिर उन्होंने अपनी ऑंखें धीरे से खोली, उनकी ऑंखें इस कदर नशीली थी मानो उन्होंने 5 -6 पैग लगा रखे हो. अब मैं समझा की चाची का सिग्नल तो डाउन हो गया था.....मगर मेरा नहीं........
बाबुराव गुस्से में अपने सर इधर उधर हिला रहा था........सुपदा बिलकुल फुल कर टमाटर की तरह लाल सुर्ख हो गया था.......चाची ने पहले मुझे देखा और फिर मेरे सांप जैसे लहराते लंड को और मुस्कुरा दी. मैं थोडा आगे होके उनके पास गया और उनका हाथ पकड़ कर अपने गुस्सैल बाबुराव पर रख दिया,
चाची ने फिर जड़ से पकड़ा और बच्चो से बात करने वाली अदा में बोली, "अले अले......देखो तो......कैसा नाराज़ हो गया है.........अभी खुश करती हूँ मेले पप्पु लाला को........." और जोर जोर से मेरी मुठ मारने लगी.....................
मस्ती से मेरी तो ऑंखें ही बंद हो गयी......चाची अपने हाथ से बाबुराव को बेदर्दी से हिलाए जा रही थी मगर बाबुराव भी WWF के पहेलवान जैसे इतनी मार खा के भी डटा हुआ था. चाची ने अपने दूसरा हाथ बड़ा कर मेरे गोटें सहलाने शुरू कर दिया......मैं समझ गया की यह कमीनी अब मेरा जल्दी से निकलने की फ़िराक में है. मेरे गोटों में सुरसुरी शुरू हो गयी मगर मैं आज जल्दी हल्का होने के मुड में नहीं था.........मैंने लम्बी लम्बी साँसे लेना शुरू कर दिया.......जो सुरसुरी मेरे गोटों में शुरू हुयी थी वो बंद हो गयी और चाची के हाथ का कसाव मेरे लंड पर और बढ़ गया.
उन्होंने अब मेरे गोटों को अपने नाखुनो से रगड़ना शुरू कर दिया.......भेन्चोद.....मुझे तो अँधेरे में भी हजारो वॉट की रोशनी दिखने लगी......मैंने बड़ी मुश्किल से अपने गोटों में उबलते हुए लावे को रोका.........
ये साली आज नहीं मानेगी......
मैंने ऑंखें खोली और मेरी नज़र सीधी चोकलेट पर पड़ी. मैंने पक्क से चाची के हाथ से अपने लौड़ा खिंचा और चोकलेट को अपने लंड पर लथेड कर चाची के हैरान चेहरे के सामने कर दिया.......
बाबुराव चोकलेट में लिपटाहुआ मासूम और खूंखार दोनों लग रहा था. मेरे चेहरे पर भी पापा रंजीत वाली मुस्कराहट आ गयी और मैंने चाची के सर को अपने लौड़े की तरफ करके कहा, "च च च चाची.......ऐ ऐ ऐसे नहीं निकलेगा.........
प्लीज़ .........इसे.......च च चूस लो ना........"
चाची एकटक मेरे चोकलेट में लिपटे लौड़े को देख रही थी. मगर उन्होंने चूसने में कोई इच्छा नहीं दिखाई,
मैं चाची के चेहरे से १० इंच की दुरी पर बाबुराव को लाकर धीरे धीरे हिलाने लगा. मैंने फिर कहा, " च च चाची प्लीज़ चूस लो ना.....देखो कैसा तड़प रहा है .......आह ह ह ह ........."
चाची ने मुझे देखा फिर मेरे प्यारे बाबुराव को.......और मेरी आँखों में देखते हुए धीरे से मुंह खोल कर मेरा लाल लाल फुला हुआ सुपाडा अपने होटों के बीच दबा लिया. मेरे मुंह से आह निकल गयी......
चाची के नरम नरम होटों के बीच मेरा सुपाडा फंसा था यह सोच सोच कर ही मेरे फ़रिश्ते भांगड़ा कर रहे थे मगर वो मुंह में मेरा सुपाडा दबाये जिस कातिल अदा से मेरी आँखों से ऑंखें मिलाये हुयी थी, मेरे रोम रोम से पसीना छुट रहा था.
चाची ने मेरे सुपाड़े को धीरे से चुसना शुरू किया........मैंने आज तक ना जाने कितनी बार मुठ मारी थी मगर कभी वो मज़ा नहीं आया था जो चाची के सिर्फ मेरा सुपाड़े के चूसने में ही आ रहा था. साली हरामन ......एकटक मुझसे नज़रे मिलाये हुयी थी. मेरे सुपाड़े को ऐसे चूस रही थी मानो दशहरी आम हो. मुझे तो जन्नत का मज़ा आ रहा था.
चाची ने मेरे सुपाड़े को छोड़ा और अपनी जीभ की नोक से सुपाड़े के छेद को खोदने लगी.......भेन्चोद.....मेरी तो सांस ही रुक गयी......चाची की जीभ लपालप मेरे बाबुराव के छेद को छेड़े जा रही थी और वो बेशरम औरत मेरी आँखों में आये मस्ती के भाव देखे जा रही थी. चाची ने छेद को खोदने के बाद जीभ से सुपाड़े पर सपाटा मारा और छेद से लंड की चमड़ी के जोड़ पर अपनी शरारती जीभ ले आई.......ओह्ह.......स्वर्ग के सारे सितारे और नज़ारे दिख गए भैया.......वहां पर जीभ लाकर चाची ने चमड़ी और सुपाड़े के जोड़ पर जीभ से ठुनकी मरना शुरू कर दी.....मैंने चाची का सर पकड़ा और उसको अपने लंड पर दबाने लगा ताकि वो मेरे सुपाड़े पर रहम खा ले... क्योकि ये सब चलता रहा तो मैं क्या सल्लू बाबा भी अपने कमिटमेंट भूल जाते और पिचकारी छोड़ देते....... चाची ने सुपदे पर हरकत करना बंद नहीं की......बल्कि
उन्होंने सुपाड़े के छेद पर फिर से जीभ घुमाई और लंड की लार पर से जुबान इस तरह उठाई की एक तार सा बन गया.......हाय ये साली तो आज मेरा लंड फोड़ कर ही मानेगी..........लंड की लार और चाची की लार से पूरा सुपाडा तर हो चूका था और मोमबत्ती की रोशनी में चमक रहा था.
मैंने सिसियाते हुए कहा, "आह.......च च चाची.........प प पूरा ले लो.....अ अ अन्दर.......ऊह......आह........"
चाची ने मेरी बात अनसुनी कर दी और मेरे सुपाड़े का बलात्कार करना जारी रखा........मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने चाची के बाल पकडे और अपना लंड उनके खुले मुंह पर दबा दिया..........घप्प करके मेरा लंड चाची में मुंह में घुस गया...........
मेरी गांड भी फटी, की साली भेन्चोद नाराज़ हो गयी या नाटक चोदने लगी तो बॉस अपनी तो पक्की KLPD हो जाएगी......
चाची ने पहले तो कोई रिएक्शन नहीं दिया और अचानक उनके होंट मेरे लंड पर कस गए और उन्होंने मेरे लंड को जोर जोर से कुल्फी की तरह चुसना शुरू कर दिया.......अब सर पीछे फ़ेंक कर आँहें भरने की बारी मेरी थी. साली के बाल पकड़ कर थोडा सा कड़कपन दिखाया तो भेन्चोद और गरमा गयी...........और बिलकुल ठरकी पने से लंड को पूरा मुंह लेकर चूसते हुए बाहर लाती और फिर से गप्प से पूरा अन्दर डाल लेती ..... उनका एक हाथ मेरे लंड को जड़ से पकडे था मानो लंड कोई कबूतर है......की छोड़ा तो उड़ जायेगा और उनका दूसरा हाथ मेरे गोटों को सहला और मस्का रहा था. कभी कभी वो मेरे गोटों को नाखुनो से रगड़ देती और मेरी आह और सिसकियाँ निकल जाती.
मेरी सिसकियाँ मुझे ही अजनबी लग रही थी मेरे होंट सुख चुके थे और मेरी ऑंखें खुल नहीं पा रही थी........मेरे गोटों में सुरसुरी शुरू हो गयी थी. मैं समझ गया की गुरु अब नहीं रुके तो फिर घंटा नहीं रुक पाएंगे......मैंने फिर से चाची के बाल पकड़ के उनका सर पीछे खिंचा और मेरा lucky लोडा पक्क की आवाज़ के साथ चाची के भूखे मुंह से बाहर आ गया..........चाची ने साडी चोकलेट चूस चूस कर साफ़ कर दी थी और पूरा लंड चाची की लार से सराबोर था. लंड इस कदर लाल सुर्ख हो गया था की ऐसा लग रहा था की चाची के चुसना बंद कर देने से नाराज़ हो गया है. साला....बार बार ऐसे ठुनकी मार रहा था मानो अभी मारने दोड़ेगा.
चाची ने मुझे आधी खुली नशीली आँखों से देखा और अपनी भंवे उठा कर इशारों में पूछने लगी की क्या हुआ........मैंने कुछ नहीं कहा और धीरे से झुक कर चाची के भीगे होटों पर किस कर दिया...........मर्डर मूवी में तो सिर्फ इमरान हाश्मी ने गाया था की " भीगे होंट तेरे........." मगर उस भीगे होंट का मतलब और स्वाद मुझे आज आया.
बेचारे इमरान को कहाँ मल्लिका के ऐसे भीगे होंट नसीब हुए होंगे.
मैं चाची के नरम मगर गरम होटों को पागलों की तरह चुसे जा रहा था और वो ठरकी औरत गरम पे गरम हुए ही जा रही थी. मेरे हाथ उनको मम्मो तक पहुँच गए और फिर से उनकी बेदर्दी से रगड़ने लगे, चाची किस करते करते ही मम्म मम्म आवाज़ निकल रही थी. वो बिस्तर पर बैठी थी और मैं बेड के किनारे पर नीचे खड़ा था, मैंने किस करते करते ही धीरे से चाची को बिस्तर की ओर दबाया और उनको बिना किस तोड़े बिस्तर पर लेटा दिया और उनके ऊपर आ गया.
जिस का मुझे था इंतज़ार......जिसके लिए दिल था बेकरार........वो घडी आ गयी.......आ गयी....
मैंने इस के पहले चुदाई की ही नहीं थी.......मगर जैसे ही मैं चाची के ऊपर लेटा और मेरा लंड उनके पेट और टांगों से जोड़ से टकराया.....मैंने अपने घुटने बिना कुछ सोचे ही मोड़े और चाची की जांघों में फसा कर उनकी टांगे खोल दी और अपने घुटने के बल लेट गया......ऐसा करते ही मेरे बाबुराव का सामना चाची की चिकनी चमेली से हो गया. मैं थोडा सा आगे झुका और मेरे लंड ने उचल के चाची की चूत की पप्पी ले ली......चाची एक दम सिहर गयी और उनकी ऑंखें खुल गयी..........उन्होंने अपने मुंह मेरे मुंह से अलग किया और बोली, " आह......मत कर.......आह.......हरामी..........हट मेरे ऊपर से........क्या कर रहा था........उठ जा...........आह"
मुझे लगा की अगर चाची की बात मान ली तो KLPD और नहीं मानी और वो नाराज़ हो गयी तो गांड पे डंडा.......भेन्चोद करू क्या ???
मुझे कुछ नहीं सुझा तो मैंने चाची का हाथ पकड़ा और अपने सिसकी मारते बाबुराव पर रख दिया....बेचारा.....अब कुछ तो दें उसको.......और मैंने चाची के निप्पल को धीरे से अपनी जीभ से छेड़ा......चाची फिर बोली, "उठ.....हरामी.......सब आने वाले होंगे......कमीने.........हट....जा......आह.........ऊह......मत कर.......उठ.....आह......"
मुझे समझ आ गया की निप्पल चाची की कमजोरी है.......मैंने अपने मुंह खोला और चाची का मम्मा पूरा का पूरा अपने मुंह में ले लिया और इतनी जोर जोर से चुसना शुरू किया की चाची की आवाज़ पहले तो बंद ही हो गयी और फिर उन्होंने ने ऐसी आह भरी की विद्या बालन भी उनके आगे फ़ैल हो जाती.
चाची ने कचकचा कर मेरे लौड़े को फिर से मुठियाना शुरू कर दिया और मैंने चाची का मम्मा मुंह में लिए लिए ही उनके निप्पल को अपनी जीभ से छेड़ना शुरू कर दिया......अब तो चाची ब्लू फिल्मो की हिरोइन के जैसी जोर जोर से आहें भर रही थी......और चाची की आंहें सुन सुन कर मेरे पसीने निकल रहे थे.
मैं थोडा सा आगे आया......अब लंड चाची की चूत से मुश्किल से 4 -5 इंच दूर था..........मेरा इरादा था की चाची को पता लगे उसके पहले गप्प से अपना लंड पेल दू......
चाची ने मेरे लंड को हिलाते हिलाते ही आगे खीचा.......अब लंड बिलकुल चूत के मुंह पर दस्तक दे रहा था मगर छु नहीं पाया था.......
मैं कुछ करता इसके पहले चाची ने ही मेरे लंड को अपनी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया.........मुझे इतना आनंद आया की मेरे मुंह से निकल गया, "आह......च च चाची...........ऊह........"
kramashah.............
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