Thursday, August 15, 2013

FUN-MAZA-MASTI अनोखा मोड़-10


FUN-MAZA-MASTI

 अनोखा मोड़-10

और फिर रीमा चाय बना कर ले आई और दोनों ने चाय पी चाय पीने के बाद रोहन ने कहा
रीमा मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी है .....
ये सुनते ही रीमा का दिल तेज़ तेज़ धडकने लगा वो मन ही मन सोचने लगी की ऐसी कोनसी बात हो सकती है
जो रोहन उस से कहना चाहता है ....
रीमा को गुमसुम देखकर रोहन ने कहा क्या हुआ किस सोच में पड़ गयी तुम
रीमा ने नर्वस होते हुए कहा नहीं नहीं में तो कुछ भी नहीं सोच रही .... आप कहिये न क्या बात है ..
रोहन ने कहा ..... आज पड़ोस वाले शर्मा जी आये थे और वो कह रहे थे की में उनके बेटे को पड़ा दिया करू
और में भी सोच रहा हूँ की में पूरा दिन घर पर खाली बेठा बोर होता रहता हूँ तो क्यों न में उनके बेटे को
टियुशन पढाना शुरू कर दूँ , और हो सकता है आगे चल कर और भी बच्चे टियुशन के लिए मिल जाये ...
इस से मेरा मन भी लगा रहेगा और ४ पैसे भी आयेंगे बोलो तुम्हारी क्या राय है इस बारे में ?
रोहन की बात सुन कर रीमा की जान में जान पड़ गयी .. उसने कहा आपका आईडिया बुरा नहीं है ..
रोहन और रीमा अभी इस बारे में बात कर ही रहे थे की नीतू आ गयी ......और उसको देखते ही दोनों चुप हो गए
नीतू भी पूरी घाघ थी उसने चुटकी लेते हुए कहा लगता है कोई ख़ास बात चल रही है मियां बीवी में ?
कही में गलत टाइम पर तो नहीं आ गयी कहते हुए नीतू रीमा को देखने लगी .........
रीमा ने झेंपते हुए कहा नहीं नहीं भाभी हम तो बस ऐसे ही .....
रीमा की बात सुन कर नीतू हंसने लगी और रीमा मन ही मन डरने लगी की कही नीतू के मुंह से कोई ऐसी वैसी
बात न निकल जाये जो रोहन के मन में शक पैदा कर दे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ......... नीतू ने रोहन से कहा .....
भाई साहब अगर आपको कोई ऐतराज न हो तो में रीमा को अपने साथ मार्किट ले जाऊ बस अभी थोड़ी देर में
हम वापिस आ जायेंगे ,
रोहन ने रीमा की तरफ सवालिया निगाहों से देखा और फिर नीतू से बोला ....
हाँ हाँ भाभी जी आप रीमा को अपने साथ ले जाइये लेकिन माफ़ कीजिये क्या में जान सकता हूँ की इस वक़्त
आपको ऐसा कोन सा काम पड़ गया जो मार्किट जाना पड़ रहा है
नीतू ने अपनी नजरो को दूसरी तरफ करते हुए थोडा सा शरमाते हुए कहा
हाँ भाई साहब कोई जरूरी काम है इसलिए तो कह रही हूँ .......
नीतू के कहने का ढंग कुछ ऐसा था की फिर रोहन को भी चुप होना पड़ा .....
और फिर नीतू रीमा को अपने साथ लेकर घर से बाहर निकल आई बाहर आते ही रीमा ने नीतू से कहा
भाभी प्लीज मुझे तो बता दीजिये की आप मार्किट में किस काम से जा रही है ,,,
नीतू ने मुस्कराते हुए कहा ... कोन जा रहा है मार्किट .........
रीमा ने हेरान होते हुए कहा लेकिन अभी आपने ही तो कहा था की मार्किट जाना है तो फिर
नीतू ने हँसते हुए कहा हाँ वो मेने झूठ कहा था अगर ऐसा नहीं करती तो रोहन कई सवाल करता ...
और मुझे तेरे साथ अकेले में कुछ बात करनी थी इसलिए मुझे मजबूरन ऐसा करना पड़ा .......
चल अब देर मत कर जल्दी से मेरे घर चलते है वहां आराम से बेठ कर बात करते है ...
रीमा हिचकिचाते हुए नीतू के साथ उसके घर की और चल दी लेकिन उसके मन में कई सवाल पैदा होने लगे
और विचारो की कशमकश में कब नीतू का घर आ गया रीमा को पता ही नहीं चला ....
नीतू ने लॉक खोलते हुए रीमा से कहा ......... आजा रीमा अन्दर आजा ...
और रीमा नीतू के घर में दाखिल हो गयी ,अन्दर जाने के बाद नीतू ने रीमा को सोफे पर बेठने के लिए कहा और
वो खुद किचन में चली गयी और जब वो वापिस आई तो उसके हाथ में एक ट्रे थी जिसमे कोल्ड ड्रिंक के २ गिलास थे
नीतू के आते ही रीमा बोली .. भाभी प्लीज् अब तो बताइए न क्या बात है ...
नीतू ने रीमा को कोल्ड ड्रिंक का गिलास देते हुए कहा बता रही हूँ इतनी उतावली क्यों हो रही है ले पहले कोल्ड ड्रिंक पी
रीमा ने अपने हाथ में गिलास तो पकड़ लिया लेकिन जब तक उसको बात न पता चले उसके हलक से पानी की एक बूंद
भी नहीं उतरने वाली थी इसलिए वो गिलास हाथ में पकड़ कर बेठी रही और नीतू के बोलने का इंतज़ार करने लगी
नीतू भी अपना गिलास ले कर रीमा के पास ही बेठ गयी और उसने अपने गिलास से सिप करते हुए कहा ....
रीमा तेरे लिए एक अच्छी खबर है .....
ये सुन कर रीमा नीतू के मुंह को ताकने लगी....उसकी समझ में कुछ नहीं आया था ...
नीतू ने कहा .... मेरी एक आंटी है जो की एक स्कूल में प्रिंसिपल है आज दोपहर को मेरी उनसे बात हुई थी तो मेने उनसे
बातो ही बातो में जॉब के लिए पुछा था और इकत्फाक की बात ये हुई की वहां वेकेंसी है इसलिए मेने तुमसे इस बात का
ज़िक्र करना जरूरी समझा अब अगर तुम कहो तो में उनसे आगे बात करू , कहते हुए नीतू रीमा को गौर से देखने लगी
नीतू की बात सुन कर रीमा सोच में पड़ गयी और उसने कुछ सोचते हुए कहा ....
लेकिन भाभी मेरे पास टीचिंग का तो जरा सा भी एक्सपीरियंस नहीं है ...
नीतू ने मुस्कराते हुए रीमा को देखा और बोली .... तू इसकी टेंशन मत ले मेने बताया न की वहां की प्रिंसिपल मेरी आंटी है
इसलिए तुझे पूरी हेल्प मिलेगी .... बस तू ये बता की में उनसे जॉब की बात करू या नहीं ?
नीतू की बात सुन कर रीमा कुछ सोचने लगी और फिर उसने कहा ...
भाभी जॉब तो मुझे अब करनी ही है अगर आपको सही लगता है तो आप बात कर लीजिये
रीमा की बात सुन कर नीतू की आँखों में चमक पैदा हो गयी , बेचारी रीमा भला क्या जानती थी की वो जिसको अपनी
हमदर्द समझे बेठी है वो कितनी कमीनी औरत है ,,,, नीतू ने कहा
ठीक है फिर कल तू ऑफिस टाइम पर ही तैयार रहना पहले में तेरे साथ आंटी के पास चलूंगी फिर ऑफिस जाउंगी

और फिर नीतू .. रीमा को छोड़ने उसके साथ उसके घर तक गयी
रोहन ने नीतू के जाते ही रीमा से पुछा .... क्या काम था भाभी को मार्किट में ?
रीमा ने पहले ही सोच लिया था की रोहन को क्या बहाना बनाना है उसने कहा
वो क्या है की भाभी ने अपने लिए अंडरगारमेंट लेने थे ..
अंडरगारमेंट की बात सुनते ही रोहन ने रीमा को छेड़ते हुए कहा .... तुम भी कुछ लायी हो ?
रीमा ने शरमाते हुए कहा ... नहीं जी ....... मेरे को अभी जरूरत नहीं है मेरे पास है ...
में खाना बनाने जा रही हूँ कहते हुए रीमा किचन में चली गयी और रोहन मुस्कराने लगा 


 और फिर अगले दिन सुबह
रीमा ऑफिस टाइम पर ही तैयार हो गयी और तैयार होने के बाद
उसने जल्दी से रोहन के लिये चाय नाश्ता भी बना दिया
रोहन ने चाय पीते हुए रीमा से कहा .....
अगर आज भी तबियत ठीक नहीं लग रही हो तो बेशक मत जाओ ...
रीमा ने मुस्कराते हुए रोहन को देखा और बोली ....
आप मेरी फिक्र न करिए आज में जल्दी घर नहीं आउंगी
रोहन मुस्कराते हुए रीमा को देखने लगा ,
तभी नीतू की आवाज ने रीमा और रोहन दोनों को चोंका दिया क्योकि आज
नीतू ने घर के बाहर से ही रीमा को आवाज दी थी , रीमा ने रोहन को मुस्कराते हुए देखा
रोहन ने भी स्माइल देते हुए रीमा को विदा किया ...और फिर वो घर से निकल कर बाहर आ गयी ,
बाहर नीतू खड़ी थी उसने रीमा को देखते ही कहा चल जल्दी से चल और फिर वो दोनों अपनी
गली से बाहर निकल कर सड़क तक आ गयी , सड़क पर आते ही नीतू ने एक ऑटो को रोका
और इस से पहले की रीमा कुछ पूछती नीतू ने उसे ऑटो में बेठने को कहा
रीमा चुपचाप ऑटो में बेठ गयी और फिर नीतू उसके साथ वाली सीट पर बेठ गयी ...
बैठते ही नीतू ने ऑटो वाले को जिस जगह जाना था वहां का पता बताया ....
ऑटो वाले ने ऑटो स्टार्ट किया और नीतू ने उसको जो पता बताया था वो उस पते की और चल पड़ा ,
१५ मिनट तक सडको पर दौड़ने के बाद ऑटो वाला एक जगह रुक गया
नीतू जानती थी की उसकी मंजिल आ गयी है इसलिए उसने ऑटो से उतर कर ऑटो वाले को पैसे दिए और
रीमा को साथ ले कर सड़क की दूसरी तरफ बनी एक पुरानी सी ईमारत की तरफ चल दी ,
वो ईमारत बाहर से देखने में एक पुरानी हवेली जैसी लग रही थी ,लेकिन ईमारत में दाखिल होते ही
रीमा को स्कूल जैसा माहोल दिखाई देने लगा और फिर नीतू के साथ चलती हुई वो प्रिंसिपल के
कमरे के बाहर तक आ गयी ...
प्रिंसिपल के कमरे के बाहर स्टूल पर बेठे चपरासी को नीतू ने कहा ...
हमे मेडम से मिलना है ...
चपरासी ने कहा ...... मेडम आप अपना नाम बता दीजिये में बड़ी मेडम से पूछ कर आता हूँ
नीतू ने उसको अपना नाम बता दिया और फिर वो चपरासी प्रिंसिपल के कमरे में चला गया और जब
वो वापिस आया तो उसने कहा मेडम आप अन्दर जा सकती है ..
और फिर रीमा और नीतू प्रिंसिपल के कमरे में दाखिल हो गयी ,
तकरीबन ४० साल की उम्र की गेंहुए रंग और तीखे नैन नक्श वाली औरत सफ़ेद रंग की साड़ी में
बड़ी सी रिवाल्विंग चेयर पर विराज मान थी ,
आँखों पर गोल्डन फ्रेम वाला चश्मा उसकी शख्सियत को और ज्यादा प्रभावशाली बना रहा था
उसके आगे बड़ी सी मेज पर एक नेम प्लेट रखी थी जिसपर पीतल के अक्षरो में लिखा था ,
साधना गुप्ता ....जो की उसका नाम था ....
कमरे में दाखिल होते ही नीतू ने बड़े अदब से अपने दोनों हाथो को जोड़ कर उसको नमस्ते की
नीतू की देखा देखी रीमा ने भी साधना को हाथ जोड़ कर नमस्ते की ,
साधना ने मुस्कारते हुए दोनों की तरफ देखा और अपनी गर्दन को जुम्बिश देते हुए दोनों को
नमस्ते का जवाब दिया और फिर उसने उन दोनों को बेठने को कहा ,
नीतू और रीमा साधना के सामने पड़ी कुर्सियों पर बेठ गए कुछ देर तक नीतू से इधर उधर की
बाते करने के बाद साधना ने रीमा की और रूबरू होते हुए कहा ... यू आर रीमा हम्म
रीमा ने थोडा घबराते हुए कहा जी मेडम मेरा ही नाम रीमा है
साधना ने रीमा को गौर से देखा और बोली मुझे नीतू ने तुम्हारे बारे में सब कुछ बता दिया है इसलिए
तुम किसी बात की चिंता मत करो ,में सब संभाल लुंगी , बस जैसे जैसे में कहूँ वैसे वैसे करती जाना ठीक है
रीमा ने कहा जी ठीक है और फिर उसने रीमा से एक फॉर्म भरवाया और बोली ...
देखो रीमा अभी १ महीने तक तुम्हारी जॉब टेम्परेरी रहेगी और सेलरी होगी ३५०० और फिर जब तुम
परमानेंट हो जाओगी तो तुम्हारी सेलरी ५००० हो जाएगी , तुम्हे सुबह ८ बजे तक यहाँ आना होगा और
यहाँ की टीचर्स के लिए जो यूनिफार्म कंपलसरी है तुम भी वही पहन कर आओगी , ठीक है ..
रीमा ने अपनी गरदन को हिलाते हुए कहा जी मेडम ठीक है ...लेकिन वो यूनिफार्म ...
साधना ने रीमा की भावनाओ को समझते हुए कहा ...वो यूनिफार्म तुम्हे यही से मिलेगी में अभी दिलवाती हूँ
कहते हुए उसने अपनी मेज पर रखी बेल बजाई तो चपरासी अन्दर आ गया ,
साधना ने चपरासी से कहा .... इनको स्टोर में ले जाओ और दीप्ति मेडम से कहना की इनको यूनिफार्म दे दे
फिर साधना ने रीमा से कहा तुम इसके साथ स्टोर में चली जाओ और वहां से अपनी यूनिफार्म ले लो ...
रीमा उठ कर चपरासी के साथ स्टोर की तरफ चल दी और नीतू वही साधना के पास बेठी रही ...
चपरासी प्रिंसिपल के कमरे से निकल कर स्टोर की और चल दिया और रीमा उसके पीछे पीछे चल दी
स्टोर रूम प्रिंसिपल के रूम से ज्यादा दूर नहीं था , वहां जाकर चपरासी ने स्टोर कीपर दीप्ति से कहा
इनको बड़ी मेडम ने भेजा है टीचर वाली यूनिफार्म के लिए और इतना कहकर वो चला गया ,
चपरासी के जाने के बाद दीप्ति ने रीमा को गौर से देखा और बड़े ही अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कराती हुई बोली ...
क्या नाम है तुम्हारा ?
रीमा ने उसकी और मुस्कराते हुए देखा और बोली .....जी रीमा
फिर दीप्ति ने स्टोर से निकाल कर २ नीले रंग की साड़ी और २ पेटीकोट रीमा को देते हुए कहा ...
ये लो ......बस अब ब्लाउज तुम्हे अपने पास से अरेंज करने होंगे ,
रीमा ने कहा ... जी कोई बात ....मेरे पास पहले से ही इस कलर का ब्लाउज है...
और रीमा दीप्ति से यूनिफार्म ले कर वापिस प्रिंसिपल के कमरे की और चल दी ...
जैसे ही रीमा प्रिंसिपल के कमरे के अन्दर पहुंची तो शायद उसी के बारे में ही जिक्र चल रहा था क्योकि रीमा के
आते ही वो दोनों सकपका कर चुप हो गयी और नीतू ने रीमा को देखते ही बात बदल दी वो बोली ...
मिल गयी यूनिफार्म ?
रीमा ने अपने हाथ में पोली की और इशारा करते हुए कहा हम्म मिल गयी ..
फिर नीतू ने साधना से कहा ...ठीक है आंटी फिर ये कल से आ जाएगी और फिर वो दोनों साधना से विदा ले कर
उसके कमरे से बाहर आ गयी ,
बाहर सड़क पर आने के बाद नीतू ने रीमा से कहा तू अब यहाँ से वापिस अपने घर चली जा और में
ऑफिस के लिए निकलती हूँ , नीतू की बात सुन कर रीमा ने कुछ सोचते हुए कहा ...
भाभी लेकिन में अभी घर चली गयी तो रोहन को क्या कहूँगी ...
रीमा की बात सुन कर नीतू ने अपने पर्स से १०० के ५ नोट निकाले और रीमा को देते हुए कहा
ये ले पहले ये पैसे अपने पास रख ....
रीमा ने झिझकते हुए कहा लेकिन भाभी आप ये पैसे मुझे क्यों दे रही हो ?
नीतू ने मुस्कराते हुए कहा अरे रख तो सही पहले फिर बताती हूँ ...
रीमा ने वो पैसे अपने बैग में रख लिए और नीतू को देखने लगी ....
नीतू ने कहा ...... तुझे अभी घर नहीं जाना इसलिए तू शाम तक मार्किट में घूम फिर कुछ खा पी और सिनेमा देख ..
पूरा दिन मस्ती कर और .शाम को घर चली जाना ....
नीतू की बात सुन कर रीमा घबराती हुई बोली ....




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