FUN-MAZA-MASTI
शुभारम्भ-8
मैंने चाची के मम्मे दबाते दबाते ही उनके निप्पल जो बादाम जैसे बड़े और कड़क हो गए थे, उनको अपनी ऊँगली और अंगूठे के बीच ले कर धीरे से मसल दिया, चाची ने अपनी ऑंखें खोली और मुझसे नज़र मिला कर ऐसी सिसकारी मारी की मेरे पुरे शरीर में सनसनी मच गयी. उनकी नज़ारे तो मुझसे मिली हुयी थी मगर उनकी ऑंखें अब आधी ही खुली थी, वो पूरी तरह से मस्ता गयी थी. मैंने फिर चाची के दोनों निप्पलो को अपनी ऊँगली और अंगूठे के बिच लेकर मसला. उनका पूरा शरीर कांप गया.
तभी उन्होंने मेरे लंड के छेद को धीरे से अपने नाख़ून से रगड़ दिया. अब झटका खाने की बारी मेरी थी. मेरा मुंह खुल गया. चाची मेरी आँखों में ही देख रही थी.
उनके चेहरे पर वो ही टेडी मुस्कान नाचने लगी थी........वो समझ गयी की लोंडे को क्या पसंद है.
मैंने फिर से उनके निपल को रगडा उन्होंने फिर से नाख़ून से मेरे सुपाड़े के छेद को रगड़कर अपना नाख़ून लंड के छेद से धीरे धीरे रगड़ती हुयी मेरे गोटे तक ले आई. मेरा पूरा बदन मस्ती की लहर में कांपने लगा. अब वो मेरे गोटो को अपने नाखुनो से धीरे धीरे रगड़ने लगी.....
कोई देखता तो शायद उसका बिना हिलाए ही निकल जाता......मैं और चाची, रूम के ठीक बिच में खड़े.........चाची के खुबसूरत गदराये बदन पर एक कपडा नहीं.......उनके तरबूज जैसे उभरे हुए नितम्ब.......उनकी चिकनी चिकनी टांगे........मस्त मोटी मोटी जांघे......नितम्ब और कमर के बीच का कटाव........उनका जोबन जो मेरे हाथों में मसला जा रहा था.......और उनका हाथ तो मेरे गोटो को ऐसे रगड़ रहा था जैसे कद्दूकस पर नारियल घिस रही हो. और हम दोनों की एक दुसरे से मिली हुयी नज़र.......मुझे लंड हिलवाने से ज्यादा मज़ा चाची के आँखों में देखकर आ रहा था.........चाची की आँखों में कोई शर्म नहीं थी.......उनकी आँखों में तो बस एक भूख थी ....एक प्यास थी.......और...........वासना थी.
मैं अपना एक हाथ चाची के मम्मे से नीचे लाने लगा.....उनके चिकने बदन पर मेरा हाथ ऐसा फिसल रहा था जैसे कांच पर पानी की बुँदे. मैंने उनकी गोल नाभि को धीरे से छेड़ दिया......एक उंगली से में उनके कमर और पेट पर कलम की तरह फिराने लगा.....मानो मैं एक पेंटर हूँ और उनका पेट मेरा केनवास .........जो पेंटिंग बन रही थी वो दुनिया की सबसे मादक तस्वीर थी.
अब मेरी उंगलिया...धीरे धीरे और नीचे जाने लगी..
चाची को एहसास हो गया था की मेरी उंगलियों की मंजिल कहाँ है.........
उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ लिया और धीरे से गर्दन हिला के मना करने लगी.......मैंने भी अपने हाथ को रोक लिया और चाची की आँखों में देखते हुए धीरे से गर्दन हिला दी. अब तो कोई मेरे सर पर बन्दुक रख देता तो भी मैं रुकने वाला नहीं था.
चाची के मखमली पेट से फिसलता हुआ मेरा हाथ वहां जा रहा था, जहाँ के सिर्फ सपने ही मैंने देखे थे. हाँ टंकी में से और चाची को धोते हुए देख लिया था...मगर अब वक़्त था चाची की चिकनी चमेली की चिकनाहट देखने का.......
चाची थोडा सा घबरा गयी और पीछे हटने लगी, मैंने अपने दूसरा हाथ उनके मम्मे पर से हटाया और चाची की कमर में डाल कर चाची को अपनी तरफ खिंच लिया. अपनी चाची फस गयी थी. उनके दोनों मम्मे मेरे सीने में गड़ रहे थे और मेरा हाथ एक कीड़े की तरह कुल्बुलालाता हुआ उनकी मुनिया की तरफ बढ रहा था.
मैं चाची से थोडा सा लम्बा हूँ......चाची को जब मैंने अपने से चिपका लिया तो उनका उनका सर मेरे होटों के सामने आ गया.......मैंने उनका माथा चूम लिया......
मगर मेरी उंगलियों का तो अपने खुद का दिमाग था. चाची ने भले ही मेरे हाथ को पकड़ रखा था मगर मेरा हाथ उनके पेट के निचले हिस्से पर पहुँच चूका था.
मेरी उंगलिया उनकी गरमा गरम चूत तक पहुँचने ही वाली थी........मैंने अपनी उंगलियों को और नीचे किया और उनको जन्नत मिल गयी.
कभी आपने अपनी ऊँगली से चाट कर हलवा खाया हो तो ही आप समझ सकते है की मेरी उंगलियों की क्या महसूस हुआ. चाची की चूत का सल जहाँ से शुरू होता है वो ही ऐसा लबालब चिकना था की मेरी उंगली ही फिसल गयी.......मेरी उंगली लगते ही चाची ने वो सिसकारी भरी की मेरे लंड ने उनके पेट पर जोर से ठुनकी मार दी.
लंड ऐसे झटके मार रहा था जैसे स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस का गेअर हो.
चाची ने मेरे लंड को फिर से पकड़ लिया. मेरी उंगलिया चाची की चूत का पूरा मुआयना कर रही थी, चाची की झांट पूरी तरह से साफ़ हो गयी थी, एक भी बाल नहीं बचा था. रस में डूबी चूत केटरीना के गालो से ज्यादा चिकनी हो गयी थी. आज मुझे पता लगा की चिकनी चमेली का मतलब क्या होता है.
इधर मैं अपनी उंगली उनके चूत के सल पर फिरा रहा था.......उनकी चूत का सल इतना मोटा और कसा हुआ था की मेरी उंगली उसके ऊपर ही घूम रही थी......मगर चाची की चूत ऐसे चासनी छोड़ रही थी मानो जलेबी हो. मैंने ऊँगली को थोडा सा दबाया और चाची की चूत के पट खोल दिए. जैसे से ही मेरी उंगलियों ने चाची के दाने को मतलब clit को छुआ चाची ने वो मादक सिसकारी मारी की अपने तो लंड का एक एक बाल खड़ा हो गया. मैंने फिर से दाने को रगडा और चाची ने जोश में आकर मेरे लंड को जोर जोर से दबाकर हिलाना शुरू कर दिया. वो इतनी उत्तेजित थी की लगतार सिस्कारिया मार रही थी. चाची थोड़ी से पीछे हुयी और उन्होंने मेरा हाथ छोड़ दिया. वो अपने दुसरे हाथ से मेरे नितम्बो पर नाख़ून चलाने लगी......मेरे नितम्बो पर नाख़ून रगड़ने से मुझे ऐसा आनंद आया की मैंने अपनी उंगली थोड़ी सी और दबा दी. मेरी उंगली सीधी फिसलती हुयी चाची की मुनिया के मुंह पर चली गयी. चाची ने अपनी चूत को मेरे हाथ पर दबा दिया और खड़े खड़े ही अपनी कमर हिलाने लगी.
साली.....मेरी उंगली को चोद रही थी. मैंने थोडा सा उंगली को और दबाया और मेरी उंगली चाची के स्वर्ग में दाखिल हो गयी. चाची की चूत में लबालब पानी था. इतनी चिकनी होने से मेरी उंगली फिसल रही थी और मेरी हथेली उनकी clit को रगड़ रही थी. चाची पुरे जोर शोर से मेरा लंड हिला रही थी. जैसे साप पकड़ने वाले उसकी गर्दन नहीं छोड़ते वैसे चाची ने मेरे लंड को इतना कास के पकड़ा था की छूट न जाए.
उनके हाथ मेरे नितम्बो को सहला रहे थे और थोड़ी थोड़ी देर में वो नाख़ून से रगड़ भी रही थी. उन्होंने अपने चेहरा उठाया और मेरी आँखों में देखा, मैंने अपनी उंगली को उनकी चूत में और अन्दर तक पेला और अचानक ही वो जोर जोर से सिसकारी मारने लगी......इनकी चूत अन्दर से इतनी गरम और चिकनी थी की मुझे लगने लगा की मेरी उंगली जल जाएगी, मैं तेज़ी से अपनी उंगली अन्दर बाहर करने लगा और हथेली उनकी clit पर रगड़ने लगा. उनकी कमर भी तेज़ तेज़ हिलने लगी. चाची की ऑंखें आधी बंद थी मगर उनकी नज़र मुझ पर ही थी. अचानक उनका मुंह खुला....."आ आ आ आ ह हह ....उ उ उ उह ......." और चाची के पैर कांपने लगे....
उनकी चूत मेरे उंगली को ऐसे दबाने लगी जैसे वो मेरी उंगली को चूस रही हो. चाची का पानी सैलाब की तरह निकलने लगा........और मेरे हाथ से होता हुआ उनकी जांघ भिगोने लगा. चाची एक दम से ढीली पड़ गयी.
मगर उन्होंने मेरे लंड को नहीं छोड़ा था. उन्होंने नशीली आँखों से मुझे देखा और बोली...."बरसो बाद आज तर हुयी हूँ .........लल्ला....." उनकी आवाज़ अभी तक कांप रही थी. उन्होंने फिर से मेरे लंड के छेद पर उंगली घुमाई...........मेरे खुद के हाल बुरे थे.......इतना सब एकसाथ होने से मैं भी आखिरी मुकाम पर ही खड़ा था.
चाची ने मेरे लंड को उमेठना शुरू किया और मेरी ऑंखें बंद हो गयी..........
चाची बोली, "इस हरामी की सारी अकड़ निकलती हु..........."
उन्होंने मेरे गोटो को अपने दुसरे हाथ से पकड़ा और धीरे से दबा दिया, मैंने उछल गया. मेरे लंड की लार ऐसे टपक रही थी जैसे किसी भूखे को बरसो बाद रोटी मिली हो.
चाची ने जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया........मैं समझ गया की अब ज्यादा खेल नहीं बचा है.....तभी उन्होंने अपनी उंगली से मेरे गोटो के पीछे नाख़ून से रगडा.
गांड के छेद और गोटों के बिच की वो जगह सबसे कोमल और कामुक होती है. अब सिसकारी मारने की बारी मेरी थी. चाची मेरी आँखों में देखते ही मस्त मुस्कान के साथ मेरी मूठ मार रही थी. उन्होंने फिर से वहीँ पर नाख़ून से रगडा और मेरा लावा मेरे गोटों में उबलने लगा.
चाची बोली, "हाय राम.....कुत्ते की तरह क्या देख रहा है......निकाल दे अब........"
यह कहकर जैसे ही उन्होंने फिर से मेरे लंड के छेद को छेड़ा मेरे गोटों में सनसनी होने लगी मेरी ऑंखें बंद होने लगी ......एक पल में तारे दिख गए......
"फच" की आवाज़ के साथ मेरे लंड ने गोला दाग दिया. मेरा वीर्य उड़ता हुआ सीधा चाची के पेट पर गया तभी एक धार और निकली, चाची के मम्मो के निचले हिस्से पर जा गिरी.......एक धार उनकी जांघो पर गिरी. लंड तो मानो रिवाल्वर बन गया था.......एक के बाद एक 6 गोले छोड़े. चाची हैरत भरी नज़रो से कभी मेरे लंड को तो कभी मेरे चेहरे को देख रही थी. मेरे पुरे शरीर में आनंद की लहरें दौड़ रही थी......मैंने दोनों हाथ से चाची के मम्मे थाम लिया और कस के पकड़ लिए.
चाची ने लंड को दबाकर उसमे से आखिरी बूंद भी निकाल दी. वाह.....ऐसा मज़ा आज तक नहीं आया था.
तभी घडी ने 12 का घंटा बजा दिया. चाची ने चौंक कर घडी देखि और अपने कपडे समेटने लगी. मैंने वहीँ पर पड़ा कागज़ उठाया और अपने लंड को साफ़ किया और टेबल पर रख दिया. चाची मुस्कुराती हुयी अपने नितम्ब हिलाती हुयी चली गयी. मैंने लम्बी सांस ली. मेरा अच्छा समय शुरू हो गया था
सुबह नींद खुली तो पुरे बदन में मीठा मीठा दर्द था.
उठते ही रात की बातें मेरी आँखों के सामने घूम गयी, मैं सोच में पड़ गया की वो सपना था की हकीकत.
तभी मेरी नज़र सामने पड़े कागज़ पर पड़ी और मुझे याद आया की मैंने रात को अपना मुन्ना इसी से साफ़ किया था.
तभी दरवाज़ा खुला और चाची हाथ में झाड़ू लिए रूम में आई, चाची और मेरी नज़रे मिली. चाची ने बहुत ही कमीनी स्माइल दी और मैं समझ गया की रात को हुयी बात सपना नहीं हकीकत थी.
मेरा बाबुराव जो सुबह होने से आधा तैयार था ही , ये सोचते ही उसने अपना सर सिपाही की तरह शान से उठा लिया.
चाची मेरे बेड के पास ही झाड़ू निकलने लगी, वो झुकी हुयी थी और उनका विशाल गोल पिछवाडा मेरी नज़रों के सामने था.
कीड़ा कुलबुलाने लगा........
मैंने अपने हाथ बड़ा कर चाची की नितम्बो पर रख दिया,
जिस तरह "हम आपके हैं कौन" में जैसे माधुरी सलमान की गुलेल की मार खा कर पीछे देखती है वैसे ही चाची ने पलट कर मुझे देखा. हैरत से उनकी ऑंखें बड़ी बड़ी हो गयी थी.
मैंने चाची को एक कमीनी मुस्कान मारी. चाची का चेहरा एक दम लाल हो गया और उन्होंने जोर से मेरा हाथ झटका और रूम के बाहर चली गयी.
गांड की फटफटी चल निकली.
मैंने सोचा बॉस.....कल रात की बात से चाची नाराज़ है ?? , अब जा कर अगर घरवालो को बता दिया तो अपनी इस दुनिया से विदाई पक्की.
बाप गोटों में रस्सी बांध कर छत से लटका देगा. मैंने तुरंत टी शर्ट डाला और बाहर गया. पापा और चाचा दोनों डाइनिंग टेबल पर बैठे नाश्ता कर रहे थे.
मैं भी जाकर बैठ गया. दोनों ने नाश्ता निपटाया और दुकान जाने लगे.....मेरा चाचा रहता तो गाँव में था मगर बेचारे को टु व्हीलर भी चलाना नहीं आता था. इसीलिए पापा से साथ स्कूटर पर बैठ कर जाता था. चाचा बाहर से अंदर आया और चाची को आवाज़ लगाई, "अरे नीलू......वो.......दवाई........लानी है ना ?"
मैं एक पल में समझ गया कोनसी दवाई. "खुजली वाली"......चाची ने अन्दर से बोला, "नहीं.....अब मेरे सर में दर्द नहीं है......मत लाना"
चाचा को कुछ समझ नहीं आया.....फिर वो समझ गया की चाची सब के सामने कोड वर्ड में बोल रही है..........उसने बैल जैसे सर हिलाया और चला गया. चाची ने मुझे चाय लाके दी ....तभी मोंम ने किचन से पूछा...... "अरे नीलू.....तेरा सर दुख रहा है ????? दवाई क्यों मंगा रही है .......क्रोसीन पड़ी है खा ले........"
चाची ने बोला, "अरे नहीं भाभी ....अब ठीक है......."
चाची की दवाई तो मेरे पजामे में छुपी थी. मेरी और चाची की नज़रे मिली और चाची मुस्कुरा दी......धीरे से बोली ...
"अब दवाई की ज़रूरत नहीं है......."
मुझे समझ नहीं आ रहा था की साली अभी तो अन्दर गुस्सा दिखा रही थी और अभी फिर से उंगली शुरू कर दी. फिर उसने बड़ी अदा से अपना पल्लू ठीक किया...... साड़ी सही करने के बहाने से मुझे अपनी चिकनी कमर दिखाई और नितम्ब मटकाती हुयी किचन में चली गयी.
साला.......ये चल क्या रहा है ??????
कॉलेज में मन ही नहीं लग रहा था.......इच्छा हो रही थी की दौड़ के घर पर जाओ और चाची की पकड़ के........पकड़ के.........ठोक दू बस......मगर चाची गुस्सा क्यों हुयी ?
खैर... ....क्लास में तो मन लगा नहीं......बाहर निकला और नवजोत मिल गया.......आज का साला दिन ही ख़राब था.
"न न न नमस्ते माट साब..........क क क कैसे है आप......", मेरी नक़ल निकालते हुए नवजोत ने कहा.
" ठ ठीक हूँ", मैंने अपने हक्लेपन को कंट्रोल किया.
"आज आप पढ़ाने नहीं आयेंगे ?", नवजोत ने फिर मसखरी की.
अब मैंने सोच लिया की इस भेन्चोद को औकात दिखानी ही पड़ेगी. मैंने बूंद बूंद करके हिम्मत बटोरी और कहा, "देखो......पिया.....मेरा मतलब है की आपकी सिस्टर अकाउंट में बहुत ही कमज़ोर है........मुझे फीस से कोई मतलब नहीं है...मैं उसकी मदद सर के कहने पर कर रहा था.....अगर आपको प्रोब्लम है तो ठीक है..... आप देख लो...."
मैंने मेरे जीवन में नवजोत से इतनी बात नहीं की थी.....उसका मुंह खुला का खुला ही रह गया......मगर मेरी बात उसके मोटे भेजे में आ गयी थी. उसने बड़ी मुश्किल से अपने मुंह बंद किया और धीरे से बोला.... "आय एम् सोरी......देखना यार......वो फेल नहीं हो जाए.....पापा बहुत गुस्सा होंगे...."
ये बोल कर वो खिसक लिया......और मेरी तो खुद की फटी पड़ी थी.....मुझे तो लगा था की आज यह सूअर मुझ पर ही हमला ना कर दे.
तभी मेरा मोबाइल बजा......पिया का फोन था......"कहाँ हो तुम.....?"
मैंने कहा, "पार्किंग में.....", वो बोली, "चलो मैं वही आ रही हूँ......" और फोन काट दिया.
मैं अपने मोबाइल में SMS पढ़ रहा था. नज़रे उठाई तो सामने से पिया आती दिखी, मेरी साँसे सीने में ही रुक गयी. उसने ब्लू कलर की लो वेस्ट जींस पहनी थी, उसके ऊपर एक ब्लेक टॉप था जो उसने जींस में इन किया हुआ था, जींस ठीक उसकी कमर के घुमाव पर टिकी थी और उसका टॉप बड़े गले का था जिससे उसका एक कन्धा पूरा पूरा बाहर आ रहा था. चिकना चिकना कन्धा धुप में ऐसे चमक रहा था मानों संगमरमर हो.......उसने ब्लैक गोगल लगा रखा था. उसके गोरे बदन पर ब्लैक टॉप क़यामत लग रहा था. साली बहुत ही कटीली दिख रही थी.
वो सीधी मेरे पास आई और बोली, "क्या यार तुमको क्लास में भी आवाज़ लगाई, सुनते ही नहीं हो ? कहा रहतो हो ? सची सची बताओ GF के बारे में सोच रहे थे न ?"
अब मैं उसको क्या बोलता की मैं GF के बारे में नहीं, चाची की मटकती गांड के बारे में सोच रहा था. मैंने कहा, "न न नहीं यार.....व व वो ...रात को नींद नहीं आई थी इसलिए.......". उसने ऑंखें गोल गोल नचा के कहा, "ओ हो......मिस्टर......क्या बात है ? अब तो बता दो की कोन है वो ?"
साला.......मुझे ये समझ नहीं आ रहा था की चाची को गुस्सा क्यों आया.....और इधर इस बात की दुकान का मुंह बंद नहीं हो रहा था......भेन्चोद पटर पटर बोले ही जा रही थी......ठीक है .....सुंदर है......सेक्सी है.........मगर मेरा दिमाग चाची में इतना उलझा था कि मैं पिया की बात ही नहीं समझ पा रहा था. और वो बोले ही जा रही थी...
"अरे मिस्टर.....नाम तो बता दो...", उसने फिर उंगली की.
मेरा ध्यान था नहीं. मैंने उस को चुप रहने के लिया कहा, "पिया.........".
मैं आगे कुछ बोलता इस के पहले उसने एक दम अपने मुंह पर हाथ रख लिया....और उसका मुंह शर्म से लाल हो गया......
उसने धीरे से कहा, "क्या...ये......सच....है......शील"
अब मुझे समझ में आया की यह क्या हुआ. मेरी गांड की फटफटी का इंजन ही फेल हो गया. मैंने उसको चुप करने के लिया उसका नाम लिया था और वो समझी मैं उस के बारे में सोच रहा था. मैंने बात सँभालने की कोशिश की, "अ अ अ अरे.....न न न नहीं.....व. व.वव.वो.....म म म मैं तो तुम को......"
मेरी बात कट के वो धीरे से बोली, "अब कुछ मत कहो.....मैं तुम्हारी बात समझ गयी......"
इसकी माँ की ........हम हकले बिचारे जितनी देर में एक शब्द कहते है जमाना उतनी देर में महाभारत दो बार पढ़ लेता है.
साली मुझे बोलने ही नहीं दे रही थी. मगर ये तो था की वो बहुत खुश हो गयी थी. उसने मुझे धीरे से कहा, "मुझे चोकलेट खाना है"
मैंने उसको घुरा और पूछा, "म म म मतलब ?? "
उसने बड़ी अदा से मुझे देखा और बोली, "अरे बुद्धू मुझे डेरी मिल्क नहीं खिलाओगे क्या ? आज शुभारम्भ है ना ......"
अब मैं उसको क्या कहता की मेरा शुभारम्भ तो कल रात को ही हो गया.
कॉलेज की कैंटीन से उसको डेरी मिल्क दिलवाई. साली......हाथ पकड़ के चल रही थी और मेरी गांड फटे जा रही थी की कही इसका वो सांड भाई मिल गया तो ये शुभारम्भ सीधा THE - END में बदल जायेगा. खैर गांडफटो की किस्मत जोरदार होती है ये तो आप जानते ही है.......वो तो नहीं मिला मगर इसको इसकी दो तीन फ्रेंड्स मिल गयी.
लड़कियां यूँ तो इतना बोलती हैं मगर वक़्त आने पर इशारो में ही बात कर लेती है, पिया ने सबको नज़र नज़र में ही बता दिया. मेरी गांड फटे ही जा रही थी.
बड़ी इज्ज़त और प्यार से उसने डेरी मिल्क मेरे साथ शेयर की. अपुन तो बिलकुल सुन्न हो गए थे. हां....हुन्न....में ही टाइम निकल गया. वो बोली, "चलो मुझे घर छोड़ दो"
मैंने हकलाते हुए कहा, "त त तुम्हारी गाड़ी क क को क्या ह ह हुआ "
"अरे वो अभी तक पंचर है"
मैं अपने बाप का स्कूटर लाया था. उसी पर हम दोनों निकले, बार बार "रब ने बना दी जोड़ी" याद आ रही थी. फर्क ये था की उसने पीछे से मेरे जांघ पर हाथ रखा हुआ था. बाबुराव में दिमाग तो होता नहीं......उसने तुरंत सर उठा कर सलाम दे दी...........एक दो स्पीड ब्रेकर कूदे तो उसके सोफ्ट सोफ्ट मम्मे भी मेरी पीठ पर आ धमके.
भले ही नवजोत की बहन थी....मगर थी तो पटाका......धीरे धीरे मैं भी रिलेक्स हो गया और जान बुझ कर एक दो बार जोर से ब्रेक मार दिया. वो तो जैसे ब्रेक लगने का ही इंतज़ार कर रही थी, मैं ब्रेक लगाता और वो अपना जोबन सीधे मेरी पीठ पर चिपका देती. उसके घर पहुँचते पहुँचते तो बाबुराव बगावत पर उतारू था. बड़ी मुश्किल से पेंट में बने तम्बू को सेट किया. वो उतरी और बोली, "जा रहे हो.....यार.......टाइम का पता ही नहीं चला.....भाई आनेवाला है ......मुझे फ़ोन लगाना.....प्लीज़ ??? बाय "
मैं बड़ी शान से "तुझ में रब दीखता है" गुनगुनाते हुए अपने स्कूटर से घर आ गया. पूरा घर अँधेरे में डूबा था. मुझे समझ नहीं आया की क्या हुआ ?
अपनी चाबी से मैंने दरवाजा खोला, अन्दर गया तो देखा डायनिंग टेबल पर एक मोम बत्ती रखी है और चाची वहीँ पर बैठी थी. मैंने पूछा, "क्या हुआ चाची ?"
चाची से लम्बी सांस ली और बोली, "राम...गाँव में बिजली नहीं रहती समझ आता है, यहाँ तो इतने बड़े शहर में भी डब्बा गोल है. कुछ ट्रांसफार्मर ख़राब हो गया है. अब तो कल सुबह ही बिजली आएगी."
मैंने इधर उधर देखा और पूछा, "सब लोग कहाँ है ? "
चाची बोली, "राम राम लल्ला......इस उम्र में ही तेरी तो याददाश्त ख़तम हो गयी, अरे पड़ोस वाले सक्सेना जी के यहाँ शादी नहीं है क्या ? मरा तेरे चाचा का एक ही तो दोस्त है......विनोद सक्सेना......उसी के भाई की शादी है.......होटल राज विलास में है........ठाठ है ..........बिजली नहीं थी तो भाभी ने मुझे बोल दिया की जमाना ख़राब है, चोरी चकारी का डर है........और तू भी नहीं आया तो तुझे खाना भी खिलाना था......इसीलिए भई मैं तो नहीं गयी.........गए भी इतनी दूर है..........एक डेड़ घंटा तो आने जाने में ही लग जाता है......"
चाची का मुंह भी फुल स्पीड में ही चलता है. १ मिनट का न्यूज़ अपडेट चाची से अच्छा तो स्टार न्यूज़ भी नहीं दे सकता. मुझे हंसी आ गयी.......
चाची बोली, " हें लल्ला.....इस में हंसने की क्या बात हुयी ? "
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, "नहीं चाची आज ऐसे ही हंसी आ रही है"
मोमबत्ती की टिमटिमाती हुयी रोशनी में चाची का चेहरा किसी कमसिन लड़की के जैसा मासूम लग रहा था. वो मेरे लिया खाना लेन उठी तो रौशनी से उनकी कमर चमकने लगी और धीरे धीरे मेरे अन्दर का शैतान जागने लगा.....
चाची ने खाना दिया और मेरे सामने अपने हाथो पर अपनी मुंह टिका कर बैठ गयी. मैंने देखा की रोटियों पर आज भी घी बहुत था. मैंने सोचा थोडा छेड़ लू......
मैंने कहा, "चाची क्या सच में घी खाने से सेहत ठीक रहती है.....?
चाची बोली, " लो......तो फिर ? अरे लल्ला....घी तो अमृत है अमृत.......खाओ तो तो शरीर मजबूत......आँखों पर लगाओ तो आंखे साफ़......बालों पर लगाओ तो बाल काले और घने......गाँव में तो घी बहुत काम में आता है......तू तो घी खाया कर....."
मैंने कहा, " क्या होगा इतना घी खाने से......?"
kramashah.............
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मैंने चाची के मम्मे दबाते दबाते ही उनके निप्पल जो बादाम जैसे बड़े और कड़क हो गए थे, उनको अपनी ऊँगली और अंगूठे के बीच ले कर धीरे से मसल दिया, चाची ने अपनी ऑंखें खोली और मुझसे नज़र मिला कर ऐसी सिसकारी मारी की मेरे पुरे शरीर में सनसनी मच गयी. उनकी नज़ारे तो मुझसे मिली हुयी थी मगर उनकी ऑंखें अब आधी ही खुली थी, वो पूरी तरह से मस्ता गयी थी. मैंने फिर चाची के दोनों निप्पलो को अपनी ऊँगली और अंगूठे के बिच लेकर मसला. उनका पूरा शरीर कांप गया.
तभी उन्होंने मेरे लंड के छेद को धीरे से अपने नाख़ून से रगड़ दिया. अब झटका खाने की बारी मेरी थी. मेरा मुंह खुल गया. चाची मेरी आँखों में ही देख रही थी.
उनके चेहरे पर वो ही टेडी मुस्कान नाचने लगी थी........वो समझ गयी की लोंडे को क्या पसंद है.
मैंने फिर से उनके निपल को रगडा उन्होंने फिर से नाख़ून से मेरे सुपाड़े के छेद को रगड़कर अपना नाख़ून लंड के छेद से धीरे धीरे रगड़ती हुयी मेरे गोटे तक ले आई. मेरा पूरा बदन मस्ती की लहर में कांपने लगा. अब वो मेरे गोटो को अपने नाखुनो से धीरे धीरे रगड़ने लगी.....
कोई देखता तो शायद उसका बिना हिलाए ही निकल जाता......मैं और चाची, रूम के ठीक बिच में खड़े.........चाची के खुबसूरत गदराये बदन पर एक कपडा नहीं.......उनके तरबूज जैसे उभरे हुए नितम्ब.......उनकी चिकनी चिकनी टांगे........मस्त मोटी मोटी जांघे......नितम्ब और कमर के बीच का कटाव........उनका जोबन जो मेरे हाथों में मसला जा रहा था.......और उनका हाथ तो मेरे गोटो को ऐसे रगड़ रहा था जैसे कद्दूकस पर नारियल घिस रही हो. और हम दोनों की एक दुसरे से मिली हुयी नज़र.......मुझे लंड हिलवाने से ज्यादा मज़ा चाची के आँखों में देखकर आ रहा था.........चाची की आँखों में कोई शर्म नहीं थी.......उनकी आँखों में तो बस एक भूख थी ....एक प्यास थी.......और...........वासना थी.
मैं अपना एक हाथ चाची के मम्मे से नीचे लाने लगा.....उनके चिकने बदन पर मेरा हाथ ऐसा फिसल रहा था जैसे कांच पर पानी की बुँदे. मैंने उनकी गोल नाभि को धीरे से छेड़ दिया......एक उंगली से में उनके कमर और पेट पर कलम की तरह फिराने लगा.....मानो मैं एक पेंटर हूँ और उनका पेट मेरा केनवास .........जो पेंटिंग बन रही थी वो दुनिया की सबसे मादक तस्वीर थी.
अब मेरी उंगलिया...धीरे धीरे और नीचे जाने लगी..
चाची को एहसास हो गया था की मेरी उंगलियों की मंजिल कहाँ है.........
उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ लिया और धीरे से गर्दन हिला के मना करने लगी.......मैंने भी अपने हाथ को रोक लिया और चाची की आँखों में देखते हुए धीरे से गर्दन हिला दी. अब तो कोई मेरे सर पर बन्दुक रख देता तो भी मैं रुकने वाला नहीं था.
चाची के मखमली पेट से फिसलता हुआ मेरा हाथ वहां जा रहा था, जहाँ के सिर्फ सपने ही मैंने देखे थे. हाँ टंकी में से और चाची को धोते हुए देख लिया था...मगर अब वक़्त था चाची की चिकनी चमेली की चिकनाहट देखने का.......
चाची थोडा सा घबरा गयी और पीछे हटने लगी, मैंने अपने दूसरा हाथ उनके मम्मे पर से हटाया और चाची की कमर में डाल कर चाची को अपनी तरफ खिंच लिया. अपनी चाची फस गयी थी. उनके दोनों मम्मे मेरे सीने में गड़ रहे थे और मेरा हाथ एक कीड़े की तरह कुल्बुलालाता हुआ उनकी मुनिया की तरफ बढ रहा था.
मैं चाची से थोडा सा लम्बा हूँ......चाची को जब मैंने अपने से चिपका लिया तो उनका उनका सर मेरे होटों के सामने आ गया.......मैंने उनका माथा चूम लिया......
मगर मेरी उंगलियों का तो अपने खुद का दिमाग था. चाची ने भले ही मेरे हाथ को पकड़ रखा था मगर मेरा हाथ उनके पेट के निचले हिस्से पर पहुँच चूका था.
मेरी उंगलिया उनकी गरमा गरम चूत तक पहुँचने ही वाली थी........मैंने अपनी उंगलियों को और नीचे किया और उनको जन्नत मिल गयी.
कभी आपने अपनी ऊँगली से चाट कर हलवा खाया हो तो ही आप समझ सकते है की मेरी उंगलियों की क्या महसूस हुआ. चाची की चूत का सल जहाँ से शुरू होता है वो ही ऐसा लबालब चिकना था की मेरी उंगली ही फिसल गयी.......मेरी उंगली लगते ही चाची ने वो सिसकारी भरी की मेरे लंड ने उनके पेट पर जोर से ठुनकी मार दी.
लंड ऐसे झटके मार रहा था जैसे स्टेट ट्रांसपोर्ट की बस का गेअर हो.
चाची ने मेरे लंड को फिर से पकड़ लिया. मेरी उंगलिया चाची की चूत का पूरा मुआयना कर रही थी, चाची की झांट पूरी तरह से साफ़ हो गयी थी, एक भी बाल नहीं बचा था. रस में डूबी चूत केटरीना के गालो से ज्यादा चिकनी हो गयी थी. आज मुझे पता लगा की चिकनी चमेली का मतलब क्या होता है.
इधर मैं अपनी उंगली उनके चूत के सल पर फिरा रहा था.......उनकी चूत का सल इतना मोटा और कसा हुआ था की मेरी उंगली उसके ऊपर ही घूम रही थी......मगर चाची की चूत ऐसे चासनी छोड़ रही थी मानो जलेबी हो. मैंने ऊँगली को थोडा सा दबाया और चाची की चूत के पट खोल दिए. जैसे से ही मेरी उंगलियों ने चाची के दाने को मतलब clit को छुआ चाची ने वो मादक सिसकारी मारी की अपने तो लंड का एक एक बाल खड़ा हो गया. मैंने फिर से दाने को रगडा और चाची ने जोश में आकर मेरे लंड को जोर जोर से दबाकर हिलाना शुरू कर दिया. वो इतनी उत्तेजित थी की लगतार सिस्कारिया मार रही थी. चाची थोड़ी से पीछे हुयी और उन्होंने मेरा हाथ छोड़ दिया. वो अपने दुसरे हाथ से मेरे नितम्बो पर नाख़ून चलाने लगी......मेरे नितम्बो पर नाख़ून रगड़ने से मुझे ऐसा आनंद आया की मैंने अपनी उंगली थोड़ी सी और दबा दी. मेरी उंगली सीधी फिसलती हुयी चाची की मुनिया के मुंह पर चली गयी. चाची ने अपनी चूत को मेरे हाथ पर दबा दिया और खड़े खड़े ही अपनी कमर हिलाने लगी.
साली.....मेरी उंगली को चोद रही थी. मैंने थोडा सा उंगली को और दबाया और मेरी उंगली चाची के स्वर्ग में दाखिल हो गयी. चाची की चूत में लबालब पानी था. इतनी चिकनी होने से मेरी उंगली फिसल रही थी और मेरी हथेली उनकी clit को रगड़ रही थी. चाची पुरे जोर शोर से मेरा लंड हिला रही थी. जैसे साप पकड़ने वाले उसकी गर्दन नहीं छोड़ते वैसे चाची ने मेरे लंड को इतना कास के पकड़ा था की छूट न जाए.
उनके हाथ मेरे नितम्बो को सहला रहे थे और थोड़ी थोड़ी देर में वो नाख़ून से रगड़ भी रही थी. उन्होंने अपने चेहरा उठाया और मेरी आँखों में देखा, मैंने अपनी उंगली को उनकी चूत में और अन्दर तक पेला और अचानक ही वो जोर जोर से सिसकारी मारने लगी......इनकी चूत अन्दर से इतनी गरम और चिकनी थी की मुझे लगने लगा की मेरी उंगली जल जाएगी, मैं तेज़ी से अपनी उंगली अन्दर बाहर करने लगा और हथेली उनकी clit पर रगड़ने लगा. उनकी कमर भी तेज़ तेज़ हिलने लगी. चाची की ऑंखें आधी बंद थी मगर उनकी नज़र मुझ पर ही थी. अचानक उनका मुंह खुला....."आ आ आ आ ह हह ....उ उ उ उह ......." और चाची के पैर कांपने लगे....
उनकी चूत मेरे उंगली को ऐसे दबाने लगी जैसे वो मेरी उंगली को चूस रही हो. चाची का पानी सैलाब की तरह निकलने लगा........और मेरे हाथ से होता हुआ उनकी जांघ भिगोने लगा. चाची एक दम से ढीली पड़ गयी.
मगर उन्होंने मेरे लंड को नहीं छोड़ा था. उन्होंने नशीली आँखों से मुझे देखा और बोली...."बरसो बाद आज तर हुयी हूँ .........लल्ला....." उनकी आवाज़ अभी तक कांप रही थी. उन्होंने फिर से मेरे लंड के छेद पर उंगली घुमाई...........मेरे खुद के हाल बुरे थे.......इतना सब एकसाथ होने से मैं भी आखिरी मुकाम पर ही खड़ा था.
चाची ने मेरे लंड को उमेठना शुरू किया और मेरी ऑंखें बंद हो गयी..........
चाची बोली, "इस हरामी की सारी अकड़ निकलती हु..........."
उन्होंने मेरे गोटो को अपने दुसरे हाथ से पकड़ा और धीरे से दबा दिया, मैंने उछल गया. मेरे लंड की लार ऐसे टपक रही थी जैसे किसी भूखे को बरसो बाद रोटी मिली हो.
चाची ने जोर जोर से हिलाना शुरू कर दिया........मैं समझ गया की अब ज्यादा खेल नहीं बचा है.....तभी उन्होंने अपनी उंगली से मेरे गोटो के पीछे नाख़ून से रगडा.
गांड के छेद और गोटों के बिच की वो जगह सबसे कोमल और कामुक होती है. अब सिसकारी मारने की बारी मेरी थी. चाची मेरी आँखों में देखते ही मस्त मुस्कान के साथ मेरी मूठ मार रही थी. उन्होंने फिर से वहीँ पर नाख़ून से रगडा और मेरा लावा मेरे गोटों में उबलने लगा.
चाची बोली, "हाय राम.....कुत्ते की तरह क्या देख रहा है......निकाल दे अब........"
यह कहकर जैसे ही उन्होंने फिर से मेरे लंड के छेद को छेड़ा मेरे गोटों में सनसनी होने लगी मेरी ऑंखें बंद होने लगी ......एक पल में तारे दिख गए......
"फच" की आवाज़ के साथ मेरे लंड ने गोला दाग दिया. मेरा वीर्य उड़ता हुआ सीधा चाची के पेट पर गया तभी एक धार और निकली, चाची के मम्मो के निचले हिस्से पर जा गिरी.......एक धार उनकी जांघो पर गिरी. लंड तो मानो रिवाल्वर बन गया था.......एक के बाद एक 6 गोले छोड़े. चाची हैरत भरी नज़रो से कभी मेरे लंड को तो कभी मेरे चेहरे को देख रही थी. मेरे पुरे शरीर में आनंद की लहरें दौड़ रही थी......मैंने दोनों हाथ से चाची के मम्मे थाम लिया और कस के पकड़ लिए.
चाची ने लंड को दबाकर उसमे से आखिरी बूंद भी निकाल दी. वाह.....ऐसा मज़ा आज तक नहीं आया था.
तभी घडी ने 12 का घंटा बजा दिया. चाची ने चौंक कर घडी देखि और अपने कपडे समेटने लगी. मैंने वहीँ पर पड़ा कागज़ उठाया और अपने लंड को साफ़ किया और टेबल पर रख दिया. चाची मुस्कुराती हुयी अपने नितम्ब हिलाती हुयी चली गयी. मैंने लम्बी सांस ली. मेरा अच्छा समय शुरू हो गया था
सुबह नींद खुली तो पुरे बदन में मीठा मीठा दर्द था.
उठते ही रात की बातें मेरी आँखों के सामने घूम गयी, मैं सोच में पड़ गया की वो सपना था की हकीकत.
तभी मेरी नज़र सामने पड़े कागज़ पर पड़ी और मुझे याद आया की मैंने रात को अपना मुन्ना इसी से साफ़ किया था.
तभी दरवाज़ा खुला और चाची हाथ में झाड़ू लिए रूम में आई, चाची और मेरी नज़रे मिली. चाची ने बहुत ही कमीनी स्माइल दी और मैं समझ गया की रात को हुयी बात सपना नहीं हकीकत थी.
मेरा बाबुराव जो सुबह होने से आधा तैयार था ही , ये सोचते ही उसने अपना सर सिपाही की तरह शान से उठा लिया.
चाची मेरे बेड के पास ही झाड़ू निकलने लगी, वो झुकी हुयी थी और उनका विशाल गोल पिछवाडा मेरी नज़रों के सामने था.
कीड़ा कुलबुलाने लगा........
मैंने अपने हाथ बड़ा कर चाची की नितम्बो पर रख दिया,
जिस तरह "हम आपके हैं कौन" में जैसे माधुरी सलमान की गुलेल की मार खा कर पीछे देखती है वैसे ही चाची ने पलट कर मुझे देखा. हैरत से उनकी ऑंखें बड़ी बड़ी हो गयी थी.
मैंने चाची को एक कमीनी मुस्कान मारी. चाची का चेहरा एक दम लाल हो गया और उन्होंने जोर से मेरा हाथ झटका और रूम के बाहर चली गयी.
गांड की फटफटी चल निकली.
मैंने सोचा बॉस.....कल रात की बात से चाची नाराज़ है ?? , अब जा कर अगर घरवालो को बता दिया तो अपनी इस दुनिया से विदाई पक्की.
बाप गोटों में रस्सी बांध कर छत से लटका देगा. मैंने तुरंत टी शर्ट डाला और बाहर गया. पापा और चाचा दोनों डाइनिंग टेबल पर बैठे नाश्ता कर रहे थे.
मैं भी जाकर बैठ गया. दोनों ने नाश्ता निपटाया और दुकान जाने लगे.....मेरा चाचा रहता तो गाँव में था मगर बेचारे को टु व्हीलर भी चलाना नहीं आता था. इसीलिए पापा से साथ स्कूटर पर बैठ कर जाता था. चाचा बाहर से अंदर आया और चाची को आवाज़ लगाई, "अरे नीलू......वो.......दवाई........लानी है ना ?"
मैं एक पल में समझ गया कोनसी दवाई. "खुजली वाली"......चाची ने अन्दर से बोला, "नहीं.....अब मेरे सर में दर्द नहीं है......मत लाना"
चाचा को कुछ समझ नहीं आया.....फिर वो समझ गया की चाची सब के सामने कोड वर्ड में बोल रही है..........उसने बैल जैसे सर हिलाया और चला गया. चाची ने मुझे चाय लाके दी ....तभी मोंम ने किचन से पूछा...... "अरे नीलू.....तेरा सर दुख रहा है ????? दवाई क्यों मंगा रही है .......क्रोसीन पड़ी है खा ले........"
चाची ने बोला, "अरे नहीं भाभी ....अब ठीक है......."
चाची की दवाई तो मेरे पजामे में छुपी थी. मेरी और चाची की नज़रे मिली और चाची मुस्कुरा दी......धीरे से बोली ...
"अब दवाई की ज़रूरत नहीं है......."
मुझे समझ नहीं आ रहा था की साली अभी तो अन्दर गुस्सा दिखा रही थी और अभी फिर से उंगली शुरू कर दी. फिर उसने बड़ी अदा से अपना पल्लू ठीक किया...... साड़ी सही करने के बहाने से मुझे अपनी चिकनी कमर दिखाई और नितम्ब मटकाती हुयी किचन में चली गयी.
साला.......ये चल क्या रहा है ??????
कॉलेज में मन ही नहीं लग रहा था.......इच्छा हो रही थी की दौड़ के घर पर जाओ और चाची की पकड़ के........पकड़ के.........ठोक दू बस......मगर चाची गुस्सा क्यों हुयी ?
खैर... ....क्लास में तो मन लगा नहीं......बाहर निकला और नवजोत मिल गया.......आज का साला दिन ही ख़राब था.
"न न न नमस्ते माट साब..........क क क कैसे है आप......", मेरी नक़ल निकालते हुए नवजोत ने कहा.
" ठ ठीक हूँ", मैंने अपने हक्लेपन को कंट्रोल किया.
"आज आप पढ़ाने नहीं आयेंगे ?", नवजोत ने फिर मसखरी की.
अब मैंने सोच लिया की इस भेन्चोद को औकात दिखानी ही पड़ेगी. मैंने बूंद बूंद करके हिम्मत बटोरी और कहा, "देखो......पिया.....मेरा मतलब है की आपकी सिस्टर अकाउंट में बहुत ही कमज़ोर है........मुझे फीस से कोई मतलब नहीं है...मैं उसकी मदद सर के कहने पर कर रहा था.....अगर आपको प्रोब्लम है तो ठीक है..... आप देख लो...."
मैंने मेरे जीवन में नवजोत से इतनी बात नहीं की थी.....उसका मुंह खुला का खुला ही रह गया......मगर मेरी बात उसके मोटे भेजे में आ गयी थी. उसने बड़ी मुश्किल से अपने मुंह बंद किया और धीरे से बोला.... "आय एम् सोरी......देखना यार......वो फेल नहीं हो जाए.....पापा बहुत गुस्सा होंगे...."
ये बोल कर वो खिसक लिया......और मेरी तो खुद की फटी पड़ी थी.....मुझे तो लगा था की आज यह सूअर मुझ पर ही हमला ना कर दे.
तभी मेरा मोबाइल बजा......पिया का फोन था......"कहाँ हो तुम.....?"
मैंने कहा, "पार्किंग में.....", वो बोली, "चलो मैं वही आ रही हूँ......" और फोन काट दिया.
मैं अपने मोबाइल में SMS पढ़ रहा था. नज़रे उठाई तो सामने से पिया आती दिखी, मेरी साँसे सीने में ही रुक गयी. उसने ब्लू कलर की लो वेस्ट जींस पहनी थी, उसके ऊपर एक ब्लेक टॉप था जो उसने जींस में इन किया हुआ था, जींस ठीक उसकी कमर के घुमाव पर टिकी थी और उसका टॉप बड़े गले का था जिससे उसका एक कन्धा पूरा पूरा बाहर आ रहा था. चिकना चिकना कन्धा धुप में ऐसे चमक रहा था मानों संगमरमर हो.......उसने ब्लैक गोगल लगा रखा था. उसके गोरे बदन पर ब्लैक टॉप क़यामत लग रहा था. साली बहुत ही कटीली दिख रही थी.
वो सीधी मेरे पास आई और बोली, "क्या यार तुमको क्लास में भी आवाज़ लगाई, सुनते ही नहीं हो ? कहा रहतो हो ? सची सची बताओ GF के बारे में सोच रहे थे न ?"
अब मैं उसको क्या बोलता की मैं GF के बारे में नहीं, चाची की मटकती गांड के बारे में सोच रहा था. मैंने कहा, "न न नहीं यार.....व व वो ...रात को नींद नहीं आई थी इसलिए.......". उसने ऑंखें गोल गोल नचा के कहा, "ओ हो......मिस्टर......क्या बात है ? अब तो बता दो की कोन है वो ?"
साला.......मुझे ये समझ नहीं आ रहा था की चाची को गुस्सा क्यों आया.....और इधर इस बात की दुकान का मुंह बंद नहीं हो रहा था......भेन्चोद पटर पटर बोले ही जा रही थी......ठीक है .....सुंदर है......सेक्सी है.........मगर मेरा दिमाग चाची में इतना उलझा था कि मैं पिया की बात ही नहीं समझ पा रहा था. और वो बोले ही जा रही थी...
"अरे मिस्टर.....नाम तो बता दो...", उसने फिर उंगली की.
मेरा ध्यान था नहीं. मैंने उस को चुप रहने के लिया कहा, "पिया.........".
मैं आगे कुछ बोलता इस के पहले उसने एक दम अपने मुंह पर हाथ रख लिया....और उसका मुंह शर्म से लाल हो गया......
उसने धीरे से कहा, "क्या...ये......सच....है......शील"
अब मुझे समझ में आया की यह क्या हुआ. मेरी गांड की फटफटी का इंजन ही फेल हो गया. मैंने उसको चुप करने के लिया उसका नाम लिया था और वो समझी मैं उस के बारे में सोच रहा था. मैंने बात सँभालने की कोशिश की, "अ अ अ अरे.....न न न नहीं.....व. व.वव.वो.....म म म मैं तो तुम को......"
मेरी बात कट के वो धीरे से बोली, "अब कुछ मत कहो.....मैं तुम्हारी बात समझ गयी......"
इसकी माँ की ........हम हकले बिचारे जितनी देर में एक शब्द कहते है जमाना उतनी देर में महाभारत दो बार पढ़ लेता है.
साली मुझे बोलने ही नहीं दे रही थी. मगर ये तो था की वो बहुत खुश हो गयी थी. उसने मुझे धीरे से कहा, "मुझे चोकलेट खाना है"
मैंने उसको घुरा और पूछा, "म म म मतलब ?? "
उसने बड़ी अदा से मुझे देखा और बोली, "अरे बुद्धू मुझे डेरी मिल्क नहीं खिलाओगे क्या ? आज शुभारम्भ है ना ......"
अब मैं उसको क्या कहता की मेरा शुभारम्भ तो कल रात को ही हो गया.
कॉलेज की कैंटीन से उसको डेरी मिल्क दिलवाई. साली......हाथ पकड़ के चल रही थी और मेरी गांड फटे जा रही थी की कही इसका वो सांड भाई मिल गया तो ये शुभारम्भ सीधा THE - END में बदल जायेगा. खैर गांडफटो की किस्मत जोरदार होती है ये तो आप जानते ही है.......वो तो नहीं मिला मगर इसको इसकी दो तीन फ्रेंड्स मिल गयी.
लड़कियां यूँ तो इतना बोलती हैं मगर वक़्त आने पर इशारो में ही बात कर लेती है, पिया ने सबको नज़र नज़र में ही बता दिया. मेरी गांड फटे ही जा रही थी.
बड़ी इज्ज़त और प्यार से उसने डेरी मिल्क मेरे साथ शेयर की. अपुन तो बिलकुल सुन्न हो गए थे. हां....हुन्न....में ही टाइम निकल गया. वो बोली, "चलो मुझे घर छोड़ दो"
मैंने हकलाते हुए कहा, "त त तुम्हारी गाड़ी क क को क्या ह ह हुआ "
"अरे वो अभी तक पंचर है"
मैं अपने बाप का स्कूटर लाया था. उसी पर हम दोनों निकले, बार बार "रब ने बना दी जोड़ी" याद आ रही थी. फर्क ये था की उसने पीछे से मेरे जांघ पर हाथ रखा हुआ था. बाबुराव में दिमाग तो होता नहीं......उसने तुरंत सर उठा कर सलाम दे दी...........एक दो स्पीड ब्रेकर कूदे तो उसके सोफ्ट सोफ्ट मम्मे भी मेरी पीठ पर आ धमके.
भले ही नवजोत की बहन थी....मगर थी तो पटाका......धीरे धीरे मैं भी रिलेक्स हो गया और जान बुझ कर एक दो बार जोर से ब्रेक मार दिया. वो तो जैसे ब्रेक लगने का ही इंतज़ार कर रही थी, मैं ब्रेक लगाता और वो अपना जोबन सीधे मेरी पीठ पर चिपका देती. उसके घर पहुँचते पहुँचते तो बाबुराव बगावत पर उतारू था. बड़ी मुश्किल से पेंट में बने तम्बू को सेट किया. वो उतरी और बोली, "जा रहे हो.....यार.......टाइम का पता ही नहीं चला.....भाई आनेवाला है ......मुझे फ़ोन लगाना.....प्लीज़ ??? बाय "
मैं बड़ी शान से "तुझ में रब दीखता है" गुनगुनाते हुए अपने स्कूटर से घर आ गया. पूरा घर अँधेरे में डूबा था. मुझे समझ नहीं आया की क्या हुआ ?
अपनी चाबी से मैंने दरवाजा खोला, अन्दर गया तो देखा डायनिंग टेबल पर एक मोम बत्ती रखी है और चाची वहीँ पर बैठी थी. मैंने पूछा, "क्या हुआ चाची ?"
चाची से लम्बी सांस ली और बोली, "राम...गाँव में बिजली नहीं रहती समझ आता है, यहाँ तो इतने बड़े शहर में भी डब्बा गोल है. कुछ ट्रांसफार्मर ख़राब हो गया है. अब तो कल सुबह ही बिजली आएगी."
मैंने इधर उधर देखा और पूछा, "सब लोग कहाँ है ? "
चाची बोली, "राम राम लल्ला......इस उम्र में ही तेरी तो याददाश्त ख़तम हो गयी, अरे पड़ोस वाले सक्सेना जी के यहाँ शादी नहीं है क्या ? मरा तेरे चाचा का एक ही तो दोस्त है......विनोद सक्सेना......उसी के भाई की शादी है.......होटल राज विलास में है........ठाठ है ..........बिजली नहीं थी तो भाभी ने मुझे बोल दिया की जमाना ख़राब है, चोरी चकारी का डर है........और तू भी नहीं आया तो तुझे खाना भी खिलाना था......इसीलिए भई मैं तो नहीं गयी.........गए भी इतनी दूर है..........एक डेड़ घंटा तो आने जाने में ही लग जाता है......"
चाची का मुंह भी फुल स्पीड में ही चलता है. १ मिनट का न्यूज़ अपडेट चाची से अच्छा तो स्टार न्यूज़ भी नहीं दे सकता. मुझे हंसी आ गयी.......
चाची बोली, " हें लल्ला.....इस में हंसने की क्या बात हुयी ? "
मैंने मुस्कुराते हुए कहा, "नहीं चाची आज ऐसे ही हंसी आ रही है"
मोमबत्ती की टिमटिमाती हुयी रोशनी में चाची का चेहरा किसी कमसिन लड़की के जैसा मासूम लग रहा था. वो मेरे लिया खाना लेन उठी तो रौशनी से उनकी कमर चमकने लगी और धीरे धीरे मेरे अन्दर का शैतान जागने लगा.....
चाची ने खाना दिया और मेरे सामने अपने हाथो पर अपनी मुंह टिका कर बैठ गयी. मैंने देखा की रोटियों पर आज भी घी बहुत था. मैंने सोचा थोडा छेड़ लू......
मैंने कहा, "चाची क्या सच में घी खाने से सेहत ठीक रहती है.....?
चाची बोली, " लो......तो फिर ? अरे लल्ला....घी तो अमृत है अमृत.......खाओ तो तो शरीर मजबूत......आँखों पर लगाओ तो आंखे साफ़......बालों पर लगाओ तो बाल काले और घने......गाँव में तो घी बहुत काम में आता है......तू तो घी खाया कर....."
मैंने कहा, " क्या होगा इतना घी खाने से......?"
kramashah.............
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