FUN-MAZA-MASTI
शुभारम्भ-10
मैं कुछ बोलता उसके पहले चाची के आगे बड़ने की आवाज़ आई और वो अँधेरे में टटोलते टटोलते बाथरूम से बहार जाने लगी. बहुत ही हलकी सी रोशनी रोशनदान से आ रही थी. मुझे सिर्फ चाची कहाँ है ये दिखाई दे रहा था मगर उनके नंगे मम्मे और चिकनी कमर अँधेरे में छुपे बैठे थे. चाची ने अपने दोनों हाथ आगे बढाकर चलना शुरू किया और उनका हाथ मेरे बेल्ट के बक्कल से जा टकराया. वो बोली, " हें ये मरा नल यहाँ कहाँ से आ गया" और उन्होंने अपने हाथ सीधा मेरे जींस की चेन पर रख दिया. जी हाँ.....सीधा मेरे मासूम बाबुराव पर.......मैंने और बाबुराव दोनों ने झटका खाया........तभी चाची ने जोर से मेरा बाबुराव जींस के ऊपर से ही दबा दिया, मेरे मुंह से आह निकल गयी, चाची बोली, " हाय राम.......ये तू है क्या लल्ला ? मुझे लगा की नल है और उसपे कपडा पड़ा है........परे हट......."
साली चाची मेरे साथ मेरा ही गेम खेल गयी. मुझे तो ये ही समझ नहीं आ रहा था की वो चाहती क्या है ? उनकी बातों से कभी लगता की ठुकवाने को बेकरार है और कभी एकदम सती सावित्री बन जाती.
चाची बाथरूम से बाहर निकल गयी और मैं गंगू गमने जैसा बाथरूम में ही खड़ा रहा.
सच में त्रिया चरित्र किसी के बाप के समझ में नहीं आया होगा. साली....चाची की सारे हाव भाव येही बताते है की उनकी क्या इच्छा है.......मैं उनकी आँखों के वो गुलाबी डोरे और उनकी वो टेडी मुस्कान नहीं भूल पा रहा था जब उन्होंने मेरा लंड हिला हिला कर मेरा पानी निकाल दिया था. मगर वो नाराज़ होती तो मेरी गांड की फटफटी स्टार्ट हो जाती.........
बाहर रूम से बर्तन गिरने की आवाज़ आई. अँधेरे में उस आवाज़ से मानो पूरा घर कांप गया. मैंने पूछा, "चाची......क .क...क्या हुआ......"
कोई जवाब नहीं आया......मैं धीरे धीरे बाथरूम से निकला और चाची के बेड के पास से टटोलता टटोलता आगे गया तभी चाची बोली, "लल्ला......दूध का ग्लास गिर गया" मैंने कहाँ, "चाची आ आ आपको लगी तो नहीं..........".
चाची बोली, " नहीं रे.......मरा मेरा पेटीकोट मेरे पाँव में उलझा और मेरा बेलेंस बिगड़ गया........पूरा पेटीकोट दूध में हो गया.......हाय राम यह मरी बिजली भी......"
तभी कपडा सरकने की आवाज़ आई. मैं समझ गया की चाची ने अपना गीला पेटीकोट भी उतार दिया था.
इसका मतलब चाची सिर्फ पेंटी में थी. सिर्फ पेंटी में.......और मैं उनसे कुछ कदम की दुरी पर था. बाबुराव ऐसा उफान पर आया जैसे सुनामी हो......मुझे लगा की मेरी जींस ही फटेगी आज तो....
ये तो पक्का था की मेरी किस्मत भले ही गधे के लंड से लिखी है मगर वो गधा जरुर बड़े लंड वाला था .
मैंने पूछा, "च च चाची.....मा मा माचिस मिली क्या ?"
चाची की आवाज़ ठीक मेरे सामने से ही आई. "नहीं रे लल्ला.......नहीं मिली......तेरे चाचा भी तो रात में बीडी पीते है.....कहीं रख दी होगी........"
मुझे एहसास हुआ की चाची ठीक मेरे सामने से निकली, बहुत ही हलकी सी रौशनी थी......मैं उनके पीछे पीछे गया.
मुझे बहुत ही हल्का सा दिख रहा था मैं चाची के ठीक पीछे था. अचानक चाची रुक गयी और मैं उनके पिछवाड़े से जा टकराया. मेरा भी बेलेंस बिगड़ा और सँभालने के लिया मैंने चाची को पकड़ा. चाची ने सिवाय पेंटी के कुछ भी नहीं पहना था. मेरा हाथ सीधे उनके कंधे पर पड़ा और मैंने उनका कन्धा पकड़ लिया. इस कशमकश में चाची का भी बेलेंस बिगड़ा और हम दोनों निचे आ गिरे.
पहले मैं गिरा और चाची मेरे ऊपर. चाची मुझे पर इस तरह से गिरी की उनके मम्मे सीधे मेरे हाथो पर फिट हो गए.
चाची जोर से चिल्लाई, "हाय राम.........."
मैं भी जोर से चिल्लाया, "आ आ आ आह...."
चाची मुझ पर से उठने लगी और मैं भी उन्हें उठाने लगा. चाची ने पूछा, "क्या हुआ लल्ला.......गिरा कैसे..."
मैं न तो चाची तो जवाब दे पा रहा था और न ही उनके नमकीन बदन का आनंद ले पा रहा था. मैंने अपने निचे टटोल कर देखा, दूध का ग्लास था.
भेनचोद.......मैं सीधा दूध के ग्लास पर गिरा था. ग्लास तो चकनाचूर हो गया था मगर मेरी गांड पर बहुत जोर से लगी थी. मैं फिर से चिल्लाया,
"चाची पीछे हटो........ग्लास फुट गया है......आपको कांच चुभ जायेगा"
चाची बोली, "हाय राम लल्ला......तुझे लगी तो नहीं.......तू ग्लास पर ही गिरा क्या ? रुक हिलना मत मैं माचिस लायी...."
ऐसे अँधेरे में हिल कर भी क्या करता. मेरी गांड फट रही थी की मैं टूटे कांच पर बैठा हूँ कहीं इधर उधर घुस गया तो............??
अबकी बार चाची को माचिस मिल गयी. चाची ने झट से माचिस जलाई और रूम में हलकी हलकी रौशनी हो गयी. भले ही मेरी गांड जोर से दुःख रही थी मगर जो नज़ारा दिखा उसको देख के तो इंसान बिना बेहोशी की दवा के भी ओपरेशन करा ले.......अभी तक तो मैं गेस कर रहा था की चाची ने ब्लाउस और पेटीकोट खोल लिया है और उन्होंने ब्रा नहीं पहनी है सिर्फ पेंटी में है. मगर रोशनी आने के बाद तो मेरे सिस्टम ही हेंग हो गया.
चाची के मम्मे रोशनी में मुस्कुरा उठे......उनकी कमर पर थोड़ी ही रौशनी और थोडा सा अँधेरा था. अजंता की मूरत लग रही थी. मेरी नज़र निचे और निचे गयी.
चाची ने सिर्फ पेंटी पहनी हुयी थी. मगर वो फूल पत्तो की प्रिंट वाली नहीं बल्कि लेस वाली थी. काफी छोटी और घुमाव वाली. सामान्य कोटन पेंटी तो काफी बड़ी होती है मगर ये ब्लेक कलर की पेंटी तो बड़ी मुश्किल से चाची की मुनिया को छुपाये थी. चाची की मुनिया........यानि चिकनी चमेली.......वो जिसको चाची ने थोड़े समय पहले ही साफ़ किया था.......
सन सनन साय साय फिर से होने लगी. मेरी नज़र उनके बदन को सहलाने लगी. तभी मेरी गांड में शीशे का टुकड़ा चुभ गया और मेरे मुंह से फिर से आह निकल गयी.
चाची के चेहरे कर चिंता के भाव आ गए. वो बोली, "लल्ला.......बिलकुल मत हिलना रे.........कांच है........घुस गए तो मुसीबत हो जाएगी......रुक जा मैं मोम्बाती लाती हूँ."
ये कहकर चाची बाथरूम की ओर गयी और मेरा तो बी पी बढ़ गया. उस कसी पेंटी में चाची के कुल्हे ऐसे मटक रहे थे जैसे जेली हो. पेंटी ने चाची के कुलहो को छुपाया नहीं बल्की और उभार दिया था. मेरे जैसे गोल गांड के रसिया के लिए तो ये नज़ारा फ्रेम करा के रखने वाला था. उनके हर कदम पर उनके नितम्ब भी थाप दे रहे थे.
चाची ने मोमबत्ती जलाई और मेरे पास आई उन्होंने फिर से टॉवेल लपेट लिया था, मगर उस उफनती हुयी जवानी को वो बेचारा कहाँ छुपा पाता. चाची के मम्मे भी उछल उछल कर बाहर आ रहे थे. चाची मेरे पास आकर खड़ी हुयी और मोमबत्ती टेबल पर रख दी. मोमबत्ती की टिमटिमाती रौशनी चाची के बदन से खेलने लगी.
चाची ने कहा, "धीरे से उठना लल्ला.......देख कहीं कांच न चुभ जाए......"
मैं उठने लगा और जैसे ही खड़ा हुआ मेरे कुलहो में जोर से दर्द हुआ, मेरी आह निकल गयी और चाची ने पुछा, "हाय राम क्या हुआ लल्ला......हड्डी तो नहीं खिसक गयी"
चाची ने मुझे पलटाया और उनके मुंह से सिसकारी निकल गयी, "हाय राम लल्ला......तेरे पुठ्ठो पर तो कांच लग गया है......."
मेरी गांड पर कांच......? हे भगवान .......
मैं धीरे धीरे खड़ा हुआ और मेरी गांड का हालचाल देखने लगा, मगर कुछ नहीं दिख रहा था. चाची बोली, "लल्ला.....रुक जा......अरे राम......मुझे देखने दे...."
मैं बेबस लचर होकर चुपचाप खड़ा हो गया और चाची मेरी घायल गांड का मुआयना करने लगी. उन्होंने कुछ कांच के टुकड़े मेरी जींस के ऊपर से हटाये और बोली,
"लल्ला.......खून आ गया है रे.......और कांच के बारीक़ टुकड़े जींस के अन्दर तक घुस गए है. तू एक काम कर .......तू जींस उतार दे........"
मैंने जींस धीरे से उतारी. मेरे पुट्ठो में जलन मची हुयी थी. मैं जींस साइड में रख कर चाची की तरफ गांड करके खड़ा हो गया, चाची बेड पर बैठ गयी और मेरी गांड पर से कांच के टुकड़े हटाने लगी. वो बोली, "राम राम........बच गया रे......कोई बड़ा टुकड़ा नहीं घुसा नहीं तो न बैठने का रहता न लेटने का........" यह कहकर वो धीमे धीमे से हंसने लगी. मुझे गुस्सा आया कि साला यहाँ पर मेरी गांड का भुरता बन गया और चाची को हंसी आ रही है.......इस चाची को तो मैं बताऊंगा.
तभी मुझे कुछ चुभा. मैंने कहा, "च च चाची......अभी भी कांच लगा है क्या ? म म मुझे चुभ रहा है....."
चाची ने मेरी गांड को पास में से घुरा और बोली, "नहीं रे लल्ला......अब तो कुछ नहीं दीखता......मगर हो सके है की कुछ बारीक़ टुकड़े रह गए हो.....तू एक काम कर...
यह अंडरवियर भी उतार......एक तो यह मरी मोमबत्ती में यूँही नहीं दिख रहा....."
मेरी गांड फट रही थी की कहीं कांच वांच रह गया तो ........
मैंने तुरंत अंडरवियर उतारी और अपने प्रिय बाबुराव को अपने हाथों से छुपाकर खड़ा हो गया. अभी भी मेरी गांड चाची की तरफ थी मगर अब पासा बदल गया था.
कहाँ तो मैं चाची को नंगा देखना चाह रहा था और कहाँ मैं खुद नंगा खड़ा था.....किस्मत है.
चाची बोली, "शुक्र है राम जी का........खून तो छिलने से आया है......कांच तो नहीं घुसा और बस थोड़े से टुकड़े चिपके है.......हटाये देती हूँ "
चाची ने हलके हलके हाथों से मेरी गांड पर चिपके कांच के टुकड़े साफ़ किये. किसी भी मर्द के नितम्ब उसके गोटों जैसे ही संवेदनशील होते है. चाची के हलके हाथ और टुकड़े हटाने की हलकी हलकी थाप से मुझे अजीब से गुदगुदी हो रही थी. धीरे धीरे मुझे मज़ा आने लगा और बाबुराव ने भी सर उठा लिया. मैंने उसको अपने हाथों में छुपाये रखा. मगर चाची इतने प्यार से हौले हौले सहला रही थी की कमीना बार बार सर उठा कर देख रहा था.
चाची बोली, "लल्ला......कांच तो अब नहीं है.....मगर ये मरी मोमबत्ती में कुछ दिख नहीं रहा......तू बिस्तर पर लेट जा........एक बार ढंग से देख लूँ....हें......?
मैं चुप चाप बिस्तर पर पेट के बल लेट गया. चाची ने मोम्बाती बेड के कोर्नर पर रखी और मेरे बिलकुल पास पालथी मार कर बैठ गयी. उनके इस तरह से बैठने से उनका बंधा हुआ टोवल थोडा सा खुल गया और उनकी चिकनी जांघें दिखाई देने लगी......उनका पूरा ध्यान मेरी घायल गांड पर था और मेरा पूरा ध्यान उनके जांघ पर लिखे "बलमा" पर था. न जाने क्यों मैं जब भी चाची की जांघ का टेटू देखता मेरा बाबुराव सनक जाता.....पहले से ही कंट्रोल में नहीं था मगर अब तो उसने बगावत ही कर दी. मैं पेट के बल लेटा था इस तरह मैंने बाबुराव को अपने पेट से चिपका कर फंसा लिया था ताकि वो सर न उठा सके. मगर अब वो कुलबुलाने लगा और मेरी हालत ख़राब होने लगी.
इधर चाची मेरी गांड का मुआयना ऐसे कर रही थी जैसे रोड के उद्घाटन से पहले इंजिनियर साहब करते है. वो मेरी गांड पर मस्ती से हाथ फेर रही थी और उनके एक एक स्पर्श से मेरी नसे सनसना रही थी. उन्होंने उनके हाथ से मेरी टांगो को खोलने की कोशिश की. मैंने नहीं खोली क्यूँ की मुझे डर था की कहीं उन्हें मेरी गुस्से में फुफकारता शेषनाग दिख गया तो. चाची बोली, "लल्ला......जरा इधर भी देखने दे बेटा........कहीं इधर उधर कांच चुभ गया तो बाद में दिक्कत ना हो,,,"
भेनचोद....दिक्कत तो अभी हो रही थी.......मेरा बाबुराव अब दुखने लगा था. मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी टंगे चौड़ी की.......और बाबुराव को और जोर से दबा लिया.
चाची ने धीरे से मेरे गोटों को सहलाया मानो सच में चेक कर रही हो की कांच तो नहीं चुभा. मेरी सांसें बंद होने लगी........तभी चाची ने नाखुनो से मेरे गोटों को रगड़ दिया. मेरे मुंह से आह निकल गयी. चाची बोली, "हाय राम......दुःख रहा है क्या लल्ला.......
अब मैं चाची को क्या बोलता की चाची ऐसे ही करो मज़ा आ रहा है. इधर साला बाबुराव कहना नहीं मान रहा था और उधर चाची की उंगलिया जाने कहाँ कहाँ जादू चला रही थी. मेरी हालत टाईट हो रही थी. टालने के लिए मैंने कहाँ, "न न नहीं च च चाची.......ल ल ल लगता है की कांच के कुछ टुकड़े आगे की तरफ भी आ गए......मुझे आगे भी दुःख रहा है...."
चाची बोली, "हाय राम.........देखने दे बेटा .....घूम जा......" मैं कुछ बोलता या कर पता इतनी देर में तो चाची ने मुझे धक्का देकर घुमा दिया. बाबुराव जो अब तक लीबिया की जनता जैसा दबा हुआ था एक दम उछल के चाची के हाथों से जा टकराया....
चाची जोर से चिल्लाई, "हाय राम........"
मेरी भी गांड फटी की ये क्या हो गया.........मैंने झट से बाबुराव को छुपा लिया मगर अब तो वो फन उठा चूका था........घंटा छुपने वाला था ???
मेरे बाबुराव का चमकदार सुपाडा मोमबत्ती की टिमटिमाती रौशनी में ठुनक ठुनक कर चाची को सलाम कर रहा था.
चाची बोली, "बेशरम........चोट लगी है मगर.......अभी भी.........लल्ला.........तू तो बहुत ही बदमाश है रे.........हाय राम........" यह कह कर चाची ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया मानो मैं अपने लंड उनके मुंह में घुसेड़ने वाला हूँ.
मैंने कहा, "न न न नहीं च च चाची........म म म मैंने नहीं क क क किया अपने आ आ आ आप हो गया......."
चाची की नज़ारे तो लंड पर ही जमी थी जैसे बिल्ली की नज़ारे दूध के बर्तन पर लगी हो. उन्होंने अपने सूखे होटों पर जुबान फेरी और बोली, "हम्म...कहाँ कांच लगा है......दिखा तो ज़रा ?" मैंने अपने हाथ नहीं हटाया तो चाची ने मेरे हाथों को मेरे बाबुराव से हटा दिया.
जैसे स्प्रिंग को दबा कर छोड़ दो......तो उछलती है वैसे ही बाबुराव ने झटका खाया और ठुन्कियाँ मारने लगा. चाची अपनी ऑंखें सिकोड़ कर एकटक बाबुराव को निहारे जा रही थी.....ऐसा लग रहा था मानो अपनी नज़रों से उसको सहला रही हो.......उनका मुंह हल्का सा खुल गया था और उनकी नाक के दोनों कोने फुल गए था.
चाची बोली, " हाय राम लल्ला......तुझे कुछ चैन भी है की नहीं.......जब देखो तब ही तलवार लेकर खड़ा रहता है, अभी तो चोट लगी है फिर भी यह क्या.........."
मैं घबरा भी रहा था और मुझे मज़ा भी आ रहा था, मैं कहा, "च च चाची वो....आप मेरे पीछे......म म मेरा मतलब है की मेरे पुठ्ठो पर से कांच हटा रही थी न इसलिए यह अ अ अ ऐसा ह ह ह हो गया.........मैंने जानबूझ कर नहीं किया...."
चाची मेरे बाबुराव को घूरते हुए ठंडी सांस लेकर बोली, "हाँ रे लल्ला......जानबूझ कर अगर हो जाता तो तेरे चाचा आज बाप बन चुके होते......"
वो एकटक मेरे लिंग को देखे जा रही थी. फिर अचानक जैसे उनका मूड फिर बदला और वो बोली, " चल वो सब छोड़.....मुझे बता की कहा दर्द है.....कहीं इधर उधर कांच घुसा होगा तो फिर तेरी लुगाई को खुश कैसे रखेगा......"
यह कह कर उन्होंने मेरे थरथराते लिंग को किसी कुशल सपेरे की तरह पकड़ लिया. मेरे मुंह से तुरंत सिसकारी निकल गयी.
चाची ने झटके से मेरी तरफ देखा और बोली, "दुखा क्या ?"
अब मैं क्या बोलता की चाची दुखा नहीं मज़ा आया ऐसे ही हिलाती रहो. मैंने हाँ में सर हिला दिया. चाची ने मेरे बाबुराव को जड़ से पकड़ा और उसका गौर से मुआयना करने लगी. कांच वांच तो घंटा नहीं लगा था मगर थोडा नाटक करना जरुरी था. मैं ऑंखें बंद किया धीरे धीरे सिसकारी लेने लगा. चाची बड़े ध्यान से मेरे सामान पर चोट के निशान ढूंढ़ रही थी. उन्होंने मेरे बाबुराव की स्किन को थोडा सा निचे सरकाया और सुपाड़े का निरिक्षण करने लगी. मेरी तो सांसे मरते आदमी जैसी रुक रुक कर चल रही थी. उन्होंने फिर से मेरे बाबुराव की स्किन ऊपर की और धीरे से फिर निचे कर दी.
साली.....चाची मेरी मुठ मार रही थी. मुझे इतना मज़ा आ रहा था की बता नहीं सकता. मेरे मुंह से सिस्कारिया और आह पे आह निकलने लगी. क्या सीन था.....मैं चाची के बिस्तर पर नंगा लेटा हुआ, चाची सिर्फ टॉवेल में अपने जोबन छुपाये. चाची मेरा बाबुराव हिला रही थी और यह सब बल्लू चाचा के बिस्तर पर उनकी बीवी के साथ हो रहा था.
अचानक चाची ने हिलाना बंद कर दिया और बोली, "क्यों रे हरामी........चोट वोट कुछ नहीं लगी है......हिरसू......साले.....बेशरम मैं तो सोच रही थी की लल्ला को कांच चुभा होगा और तू हरामी मज़े ले रहा है......."
मज़े की बात ये थी की यह सब बोलते हुए भी वो ठरकी औरत मेरा बाबुराव हिला रही थी और उसके होटों पर वोही टेडी मुस्कान नाच रही थी. चाची भी पक्की कमीनी थी......उसके कमीनेपन का जवाब कमीनेपन से ही देना था.
मैंने कहा, "नहीं चाची.......च च चोट तो लगी है.......आप ध ध ध्यान से देखो.......आप के नहाने के चक्कर में मेरी तो ग ग ग गांड ही छिल गयी......"
मुझे लगा की चाची के सामने गांड बोल दिया. कहीं नाराज़ न हो जाये मगर वो तो गाँव की ठेठ औरत थी.....मेरा बाबुराव हिलाती हुयी बोली, "गांड तो छिली है लल्ला मगर ये तुम्हारा ........मुन्ना तो ठीक ठाक है......"
मैंने अनजान बनके पूछा, " म म मुन्ना.......मतलब......"
चाची ने वो ही टेडी मुस्कान मरी और मेरी आँखों में देखते हुए कहा, "ये तेरा लौड़ा..........."
दोस्तों......औरत के मुंह से ऐसे शब्दों को सुनने का आनंद ही कुछ और है. और जब वो औरत चाची जैसी बिंदास और ठरकी हो और ऐसे शब्द आपकी आँखों में ऑंखें डाल कर कहे तो वियाग्रा या किसी तेल की क्या जरुरत......लंड खड़ा नहीं होता बल्कि फटने लगता है.
चाची ने मेरे लंड को हिलाना जरी रखा. मैंने कहा, "चाची शायद निचे की तरफ कुछ चुभ रहा है........."
चाची ने कहा, "निचे कहा लल्ला........हंडवों पर.......?"
माँ कसम.....अब तो चाची पुरे फार्म में आ गयी थी. मैंने हाँ में सर हिलाया. चाची ने कहा, "थोडा पीछे होजा बेटा.....
और टाँगें चौड़ी कर........मैं देखू जरा कहाँ चुभा......."
मैंने तुरंत अपनी टाँगें चौड़ी कर ली........और चाची मेरी टांगो के बिच कुतिया की तरह बैठ गयी और मेरे गोटों को देखने लगी.......देख तो क्या रही थी.......मज़े से सहला रही थी.....कभी कभी नाखूनों से रगड़ देती.......कांच ढूंढने के
नाम पर पूरा मज़ा ले रही थी. चाची के ऐसी झुके रहने से ऐसा ही लग रहा था मानो वो मेरा लंड चूसने के लिए ही ऐसे बैठी है. हेयर रिमोवल क्रीम की वजह से मेरे लंड और गोटों पर एक भी बाल नहीं था. चाची मज़े से हाथ फेरे जा रही थी.
तभी उन्होंने मेरे गोटों और एसहोल के बिच की जगह पर सहलाया. मेरे मुंह से सिसकारी और आह दोनों एक साथ निकल गए. चाची ने मेरी और देखा. हम दोनों की नज़ारे मिली और ऐसे ही मेरी आँखों में देखते हुए चाची ने फिर से वहीँ पर सहलाया, मैंने भी चाची के चेहरे पर नज़ारे गडाए हुए एक और आह भरी. चाची उस जगह से सहलाते सहलाते मेरे गोटों से होती हुयी मेरे लंड तक पहुंची और मेरे सुपाड़े की स्किन पीछे करके अपनी उंगली मेरे लंड के छेद पर फिराने लगी. मज़े से मेरी ऑंखें बंद हुयी जा रही थी मगर चाची की नशीली आँखों में देख कर मज़ा आ रहा था. इसलिए मैं एकटक उनको देखता रहा.
kramashah.............
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साली चाची मेरे साथ मेरा ही गेम खेल गयी. मुझे तो ये ही समझ नहीं आ रहा था की वो चाहती क्या है ? उनकी बातों से कभी लगता की ठुकवाने को बेकरार है और कभी एकदम सती सावित्री बन जाती.
चाची बाथरूम से बाहर निकल गयी और मैं गंगू गमने जैसा बाथरूम में ही खड़ा रहा.
सच में त्रिया चरित्र किसी के बाप के समझ में नहीं आया होगा. साली....चाची की सारे हाव भाव येही बताते है की उनकी क्या इच्छा है.......मैं उनकी आँखों के वो गुलाबी डोरे और उनकी वो टेडी मुस्कान नहीं भूल पा रहा था जब उन्होंने मेरा लंड हिला हिला कर मेरा पानी निकाल दिया था. मगर वो नाराज़ होती तो मेरी गांड की फटफटी स्टार्ट हो जाती.........
बाहर रूम से बर्तन गिरने की आवाज़ आई. अँधेरे में उस आवाज़ से मानो पूरा घर कांप गया. मैंने पूछा, "चाची......क .क...क्या हुआ......"
कोई जवाब नहीं आया......मैं धीरे धीरे बाथरूम से निकला और चाची के बेड के पास से टटोलता टटोलता आगे गया तभी चाची बोली, "लल्ला......दूध का ग्लास गिर गया" मैंने कहाँ, "चाची आ आ आपको लगी तो नहीं..........".
चाची बोली, " नहीं रे.......मरा मेरा पेटीकोट मेरे पाँव में उलझा और मेरा बेलेंस बिगड़ गया........पूरा पेटीकोट दूध में हो गया.......हाय राम यह मरी बिजली भी......"
तभी कपडा सरकने की आवाज़ आई. मैं समझ गया की चाची ने अपना गीला पेटीकोट भी उतार दिया था.
इसका मतलब चाची सिर्फ पेंटी में थी. सिर्फ पेंटी में.......और मैं उनसे कुछ कदम की दुरी पर था. बाबुराव ऐसा उफान पर आया जैसे सुनामी हो......मुझे लगा की मेरी जींस ही फटेगी आज तो....
ये तो पक्का था की मेरी किस्मत भले ही गधे के लंड से लिखी है मगर वो गधा जरुर बड़े लंड वाला था .
मैंने पूछा, "च च चाची.....मा मा माचिस मिली क्या ?"
चाची की आवाज़ ठीक मेरे सामने से ही आई. "नहीं रे लल्ला.......नहीं मिली......तेरे चाचा भी तो रात में बीडी पीते है.....कहीं रख दी होगी........"
मुझे एहसास हुआ की चाची ठीक मेरे सामने से निकली, बहुत ही हलकी सी रौशनी थी......मैं उनके पीछे पीछे गया.
मुझे बहुत ही हल्का सा दिख रहा था मैं चाची के ठीक पीछे था. अचानक चाची रुक गयी और मैं उनके पिछवाड़े से जा टकराया. मेरा भी बेलेंस बिगड़ा और सँभालने के लिया मैंने चाची को पकड़ा. चाची ने सिवाय पेंटी के कुछ भी नहीं पहना था. मेरा हाथ सीधे उनके कंधे पर पड़ा और मैंने उनका कन्धा पकड़ लिया. इस कशमकश में चाची का भी बेलेंस बिगड़ा और हम दोनों निचे आ गिरे.
पहले मैं गिरा और चाची मेरे ऊपर. चाची मुझे पर इस तरह से गिरी की उनके मम्मे सीधे मेरे हाथो पर फिट हो गए.
चाची जोर से चिल्लाई, "हाय राम.........."
मैं भी जोर से चिल्लाया, "आ आ आ आह...."
चाची मुझ पर से उठने लगी और मैं भी उन्हें उठाने लगा. चाची ने पूछा, "क्या हुआ लल्ला.......गिरा कैसे..."
मैं न तो चाची तो जवाब दे पा रहा था और न ही उनके नमकीन बदन का आनंद ले पा रहा था. मैंने अपने निचे टटोल कर देखा, दूध का ग्लास था.
भेनचोद.......मैं सीधा दूध के ग्लास पर गिरा था. ग्लास तो चकनाचूर हो गया था मगर मेरी गांड पर बहुत जोर से लगी थी. मैं फिर से चिल्लाया,
"चाची पीछे हटो........ग्लास फुट गया है......आपको कांच चुभ जायेगा"
चाची बोली, "हाय राम लल्ला......तुझे लगी तो नहीं.......तू ग्लास पर ही गिरा क्या ? रुक हिलना मत मैं माचिस लायी...."
ऐसे अँधेरे में हिल कर भी क्या करता. मेरी गांड फट रही थी की मैं टूटे कांच पर बैठा हूँ कहीं इधर उधर घुस गया तो............??
अबकी बार चाची को माचिस मिल गयी. चाची ने झट से माचिस जलाई और रूम में हलकी हलकी रौशनी हो गयी. भले ही मेरी गांड जोर से दुःख रही थी मगर जो नज़ारा दिखा उसको देख के तो इंसान बिना बेहोशी की दवा के भी ओपरेशन करा ले.......अभी तक तो मैं गेस कर रहा था की चाची ने ब्लाउस और पेटीकोट खोल लिया है और उन्होंने ब्रा नहीं पहनी है सिर्फ पेंटी में है. मगर रोशनी आने के बाद तो मेरे सिस्टम ही हेंग हो गया.
चाची के मम्मे रोशनी में मुस्कुरा उठे......उनकी कमर पर थोड़ी ही रौशनी और थोडा सा अँधेरा था. अजंता की मूरत लग रही थी. मेरी नज़र निचे और निचे गयी.
चाची ने सिर्फ पेंटी पहनी हुयी थी. मगर वो फूल पत्तो की प्रिंट वाली नहीं बल्कि लेस वाली थी. काफी छोटी और घुमाव वाली. सामान्य कोटन पेंटी तो काफी बड़ी होती है मगर ये ब्लेक कलर की पेंटी तो बड़ी मुश्किल से चाची की मुनिया को छुपाये थी. चाची की मुनिया........यानि चिकनी चमेली.......वो जिसको चाची ने थोड़े समय पहले ही साफ़ किया था.......
सन सनन साय साय फिर से होने लगी. मेरी नज़र उनके बदन को सहलाने लगी. तभी मेरी गांड में शीशे का टुकड़ा चुभ गया और मेरे मुंह से फिर से आह निकल गयी.
चाची के चेहरे कर चिंता के भाव आ गए. वो बोली, "लल्ला.......बिलकुल मत हिलना रे.........कांच है........घुस गए तो मुसीबत हो जाएगी......रुक जा मैं मोम्बाती लाती हूँ."
ये कहकर चाची बाथरूम की ओर गयी और मेरा तो बी पी बढ़ गया. उस कसी पेंटी में चाची के कुल्हे ऐसे मटक रहे थे जैसे जेली हो. पेंटी ने चाची के कुलहो को छुपाया नहीं बल्की और उभार दिया था. मेरे जैसे गोल गांड के रसिया के लिए तो ये नज़ारा फ्रेम करा के रखने वाला था. उनके हर कदम पर उनके नितम्ब भी थाप दे रहे थे.
चाची ने मोमबत्ती जलाई और मेरे पास आई उन्होंने फिर से टॉवेल लपेट लिया था, मगर उस उफनती हुयी जवानी को वो बेचारा कहाँ छुपा पाता. चाची के मम्मे भी उछल उछल कर बाहर आ रहे थे. चाची मेरे पास आकर खड़ी हुयी और मोमबत्ती टेबल पर रख दी. मोमबत्ती की टिमटिमाती रौशनी चाची के बदन से खेलने लगी.
चाची ने कहा, "धीरे से उठना लल्ला.......देख कहीं कांच न चुभ जाए......"
मैं उठने लगा और जैसे ही खड़ा हुआ मेरे कुलहो में जोर से दर्द हुआ, मेरी आह निकल गयी और चाची ने पुछा, "हाय राम क्या हुआ लल्ला......हड्डी तो नहीं खिसक गयी"
चाची ने मुझे पलटाया और उनके मुंह से सिसकारी निकल गयी, "हाय राम लल्ला......तेरे पुठ्ठो पर तो कांच लग गया है......."
मेरी गांड पर कांच......? हे भगवान .......
मैं धीरे धीरे खड़ा हुआ और मेरी गांड का हालचाल देखने लगा, मगर कुछ नहीं दिख रहा था. चाची बोली, "लल्ला.....रुक जा......अरे राम......मुझे देखने दे...."
मैं बेबस लचर होकर चुपचाप खड़ा हो गया और चाची मेरी घायल गांड का मुआयना करने लगी. उन्होंने कुछ कांच के टुकड़े मेरी जींस के ऊपर से हटाये और बोली,
"लल्ला.......खून आ गया है रे.......और कांच के बारीक़ टुकड़े जींस के अन्दर तक घुस गए है. तू एक काम कर .......तू जींस उतार दे........"
मैंने जींस धीरे से उतारी. मेरे पुट्ठो में जलन मची हुयी थी. मैं जींस साइड में रख कर चाची की तरफ गांड करके खड़ा हो गया, चाची बेड पर बैठ गयी और मेरी गांड पर से कांच के टुकड़े हटाने लगी. वो बोली, "राम राम........बच गया रे......कोई बड़ा टुकड़ा नहीं घुसा नहीं तो न बैठने का रहता न लेटने का........" यह कहकर वो धीमे धीमे से हंसने लगी. मुझे गुस्सा आया कि साला यहाँ पर मेरी गांड का भुरता बन गया और चाची को हंसी आ रही है.......इस चाची को तो मैं बताऊंगा.
तभी मुझे कुछ चुभा. मैंने कहा, "च च चाची......अभी भी कांच लगा है क्या ? म म मुझे चुभ रहा है....."
चाची ने मेरी गांड को पास में से घुरा और बोली, "नहीं रे लल्ला......अब तो कुछ नहीं दीखता......मगर हो सके है की कुछ बारीक़ टुकड़े रह गए हो.....तू एक काम कर...
यह अंडरवियर भी उतार......एक तो यह मरी मोमबत्ती में यूँही नहीं दिख रहा....."
मेरी गांड फट रही थी की कहीं कांच वांच रह गया तो ........
मैंने तुरंत अंडरवियर उतारी और अपने प्रिय बाबुराव को अपने हाथों से छुपाकर खड़ा हो गया. अभी भी मेरी गांड चाची की तरफ थी मगर अब पासा बदल गया था.
कहाँ तो मैं चाची को नंगा देखना चाह रहा था और कहाँ मैं खुद नंगा खड़ा था.....किस्मत है.
चाची बोली, "शुक्र है राम जी का........खून तो छिलने से आया है......कांच तो नहीं घुसा और बस थोड़े से टुकड़े चिपके है.......हटाये देती हूँ "
चाची ने हलके हलके हाथों से मेरी गांड पर चिपके कांच के टुकड़े साफ़ किये. किसी भी मर्द के नितम्ब उसके गोटों जैसे ही संवेदनशील होते है. चाची के हलके हाथ और टुकड़े हटाने की हलकी हलकी थाप से मुझे अजीब से गुदगुदी हो रही थी. धीरे धीरे मुझे मज़ा आने लगा और बाबुराव ने भी सर उठा लिया. मैंने उसको अपने हाथों में छुपाये रखा. मगर चाची इतने प्यार से हौले हौले सहला रही थी की कमीना बार बार सर उठा कर देख रहा था.
चाची बोली, "लल्ला......कांच तो अब नहीं है.....मगर ये मरी मोमबत्ती में कुछ दिख नहीं रहा......तू बिस्तर पर लेट जा........एक बार ढंग से देख लूँ....हें......?
मैं चुप चाप बिस्तर पर पेट के बल लेट गया. चाची ने मोम्बाती बेड के कोर्नर पर रखी और मेरे बिलकुल पास पालथी मार कर बैठ गयी. उनके इस तरह से बैठने से उनका बंधा हुआ टोवल थोडा सा खुल गया और उनकी चिकनी जांघें दिखाई देने लगी......उनका पूरा ध्यान मेरी घायल गांड पर था और मेरा पूरा ध्यान उनके जांघ पर लिखे "बलमा" पर था. न जाने क्यों मैं जब भी चाची की जांघ का टेटू देखता मेरा बाबुराव सनक जाता.....पहले से ही कंट्रोल में नहीं था मगर अब तो उसने बगावत ही कर दी. मैं पेट के बल लेटा था इस तरह मैंने बाबुराव को अपने पेट से चिपका कर फंसा लिया था ताकि वो सर न उठा सके. मगर अब वो कुलबुलाने लगा और मेरी हालत ख़राब होने लगी.
इधर चाची मेरी गांड का मुआयना ऐसे कर रही थी जैसे रोड के उद्घाटन से पहले इंजिनियर साहब करते है. वो मेरी गांड पर मस्ती से हाथ फेर रही थी और उनके एक एक स्पर्श से मेरी नसे सनसना रही थी. उन्होंने उनके हाथ से मेरी टांगो को खोलने की कोशिश की. मैंने नहीं खोली क्यूँ की मुझे डर था की कहीं उन्हें मेरी गुस्से में फुफकारता शेषनाग दिख गया तो. चाची बोली, "लल्ला......जरा इधर भी देखने दे बेटा........कहीं इधर उधर कांच चुभ गया तो बाद में दिक्कत ना हो,,,"
भेनचोद....दिक्कत तो अभी हो रही थी.......मेरा बाबुराव अब दुखने लगा था. मैंने बड़ी मुश्किल से अपनी टंगे चौड़ी की.......और बाबुराव को और जोर से दबा लिया.
चाची ने धीरे से मेरे गोटों को सहलाया मानो सच में चेक कर रही हो की कांच तो नहीं चुभा. मेरी सांसें बंद होने लगी........तभी चाची ने नाखुनो से मेरे गोटों को रगड़ दिया. मेरे मुंह से आह निकल गयी. चाची बोली, "हाय राम......दुःख रहा है क्या लल्ला.......
अब मैं चाची को क्या बोलता की चाची ऐसे ही करो मज़ा आ रहा है. इधर साला बाबुराव कहना नहीं मान रहा था और उधर चाची की उंगलिया जाने कहाँ कहाँ जादू चला रही थी. मेरी हालत टाईट हो रही थी. टालने के लिए मैंने कहाँ, "न न नहीं च च चाची.......ल ल ल लगता है की कांच के कुछ टुकड़े आगे की तरफ भी आ गए......मुझे आगे भी दुःख रहा है...."
चाची बोली, "हाय राम.........देखने दे बेटा .....घूम जा......" मैं कुछ बोलता या कर पता इतनी देर में तो चाची ने मुझे धक्का देकर घुमा दिया. बाबुराव जो अब तक लीबिया की जनता जैसा दबा हुआ था एक दम उछल के चाची के हाथों से जा टकराया....
चाची जोर से चिल्लाई, "हाय राम........"
मेरी भी गांड फटी की ये क्या हो गया.........मैंने झट से बाबुराव को छुपा लिया मगर अब तो वो फन उठा चूका था........घंटा छुपने वाला था ???
मेरे बाबुराव का चमकदार सुपाडा मोमबत्ती की टिमटिमाती रौशनी में ठुनक ठुनक कर चाची को सलाम कर रहा था.
चाची बोली, "बेशरम........चोट लगी है मगर.......अभी भी.........लल्ला.........तू तो बहुत ही बदमाश है रे.........हाय राम........" यह कह कर चाची ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया मानो मैं अपने लंड उनके मुंह में घुसेड़ने वाला हूँ.
मैंने कहा, "न न न नहीं च च चाची........म म म मैंने नहीं क क क किया अपने आ आ आ आप हो गया......."
चाची की नज़ारे तो लंड पर ही जमी थी जैसे बिल्ली की नज़ारे दूध के बर्तन पर लगी हो. उन्होंने अपने सूखे होटों पर जुबान फेरी और बोली, "हम्म...कहाँ कांच लगा है......दिखा तो ज़रा ?" मैंने अपने हाथ नहीं हटाया तो चाची ने मेरे हाथों को मेरे बाबुराव से हटा दिया.
जैसे स्प्रिंग को दबा कर छोड़ दो......तो उछलती है वैसे ही बाबुराव ने झटका खाया और ठुन्कियाँ मारने लगा. चाची अपनी ऑंखें सिकोड़ कर एकटक बाबुराव को निहारे जा रही थी.....ऐसा लग रहा था मानो अपनी नज़रों से उसको सहला रही हो.......उनका मुंह हल्का सा खुल गया था और उनकी नाक के दोनों कोने फुल गए था.
चाची बोली, " हाय राम लल्ला......तुझे कुछ चैन भी है की नहीं.......जब देखो तब ही तलवार लेकर खड़ा रहता है, अभी तो चोट लगी है फिर भी यह क्या.........."
मैं घबरा भी रहा था और मुझे मज़ा भी आ रहा था, मैं कहा, "च च चाची वो....आप मेरे पीछे......म म मेरा मतलब है की मेरे पुठ्ठो पर से कांच हटा रही थी न इसलिए यह अ अ अ ऐसा ह ह ह हो गया.........मैंने जानबूझ कर नहीं किया...."
चाची मेरे बाबुराव को घूरते हुए ठंडी सांस लेकर बोली, "हाँ रे लल्ला......जानबूझ कर अगर हो जाता तो तेरे चाचा आज बाप बन चुके होते......"
वो एकटक मेरे लिंग को देखे जा रही थी. फिर अचानक जैसे उनका मूड फिर बदला और वो बोली, " चल वो सब छोड़.....मुझे बता की कहा दर्द है.....कहीं इधर उधर कांच घुसा होगा तो फिर तेरी लुगाई को खुश कैसे रखेगा......"
यह कह कर उन्होंने मेरे थरथराते लिंग को किसी कुशल सपेरे की तरह पकड़ लिया. मेरे मुंह से तुरंत सिसकारी निकल गयी.
चाची ने झटके से मेरी तरफ देखा और बोली, "दुखा क्या ?"
अब मैं क्या बोलता की चाची दुखा नहीं मज़ा आया ऐसे ही हिलाती रहो. मैंने हाँ में सर हिला दिया. चाची ने मेरे बाबुराव को जड़ से पकड़ा और उसका गौर से मुआयना करने लगी. कांच वांच तो घंटा नहीं लगा था मगर थोडा नाटक करना जरुरी था. मैं ऑंखें बंद किया धीरे धीरे सिसकारी लेने लगा. चाची बड़े ध्यान से मेरे सामान पर चोट के निशान ढूंढ़ रही थी. उन्होंने मेरे बाबुराव की स्किन को थोडा सा निचे सरकाया और सुपाड़े का निरिक्षण करने लगी. मेरी तो सांसे मरते आदमी जैसी रुक रुक कर चल रही थी. उन्होंने फिर से मेरे बाबुराव की स्किन ऊपर की और धीरे से फिर निचे कर दी.
साली.....चाची मेरी मुठ मार रही थी. मुझे इतना मज़ा आ रहा था की बता नहीं सकता. मेरे मुंह से सिस्कारिया और आह पे आह निकलने लगी. क्या सीन था.....मैं चाची के बिस्तर पर नंगा लेटा हुआ, चाची सिर्फ टॉवेल में अपने जोबन छुपाये. चाची मेरा बाबुराव हिला रही थी और यह सब बल्लू चाचा के बिस्तर पर उनकी बीवी के साथ हो रहा था.
अचानक चाची ने हिलाना बंद कर दिया और बोली, "क्यों रे हरामी........चोट वोट कुछ नहीं लगी है......हिरसू......साले.....बेशरम मैं तो सोच रही थी की लल्ला को कांच चुभा होगा और तू हरामी मज़े ले रहा है......."
मज़े की बात ये थी की यह सब बोलते हुए भी वो ठरकी औरत मेरा बाबुराव हिला रही थी और उसके होटों पर वोही टेडी मुस्कान नाच रही थी. चाची भी पक्की कमीनी थी......उसके कमीनेपन का जवाब कमीनेपन से ही देना था.
मैंने कहा, "नहीं चाची.......च च चोट तो लगी है.......आप ध ध ध्यान से देखो.......आप के नहाने के चक्कर में मेरी तो ग ग ग गांड ही छिल गयी......"
मुझे लगा की चाची के सामने गांड बोल दिया. कहीं नाराज़ न हो जाये मगर वो तो गाँव की ठेठ औरत थी.....मेरा बाबुराव हिलाती हुयी बोली, "गांड तो छिली है लल्ला मगर ये तुम्हारा ........मुन्ना तो ठीक ठाक है......"
मैंने अनजान बनके पूछा, " म म मुन्ना.......मतलब......"
चाची ने वो ही टेडी मुस्कान मरी और मेरी आँखों में देखते हुए कहा, "ये तेरा लौड़ा..........."
दोस्तों......औरत के मुंह से ऐसे शब्दों को सुनने का आनंद ही कुछ और है. और जब वो औरत चाची जैसी बिंदास और ठरकी हो और ऐसे शब्द आपकी आँखों में ऑंखें डाल कर कहे तो वियाग्रा या किसी तेल की क्या जरुरत......लंड खड़ा नहीं होता बल्कि फटने लगता है.
चाची ने मेरे लंड को हिलाना जरी रखा. मैंने कहा, "चाची शायद निचे की तरफ कुछ चुभ रहा है........."
चाची ने कहा, "निचे कहा लल्ला........हंडवों पर.......?"
माँ कसम.....अब तो चाची पुरे फार्म में आ गयी थी. मैंने हाँ में सर हिलाया. चाची ने कहा, "थोडा पीछे होजा बेटा.....
और टाँगें चौड़ी कर........मैं देखू जरा कहाँ चुभा......."
मैंने तुरंत अपनी टाँगें चौड़ी कर ली........और चाची मेरी टांगो के बिच कुतिया की तरह बैठ गयी और मेरे गोटों को देखने लगी.......देख तो क्या रही थी.......मज़े से सहला रही थी.....कभी कभी नाखूनों से रगड़ देती.......कांच ढूंढने के
नाम पर पूरा मज़ा ले रही थी. चाची के ऐसी झुके रहने से ऐसा ही लग रहा था मानो वो मेरा लंड चूसने के लिए ही ऐसे बैठी है. हेयर रिमोवल क्रीम की वजह से मेरे लंड और गोटों पर एक भी बाल नहीं था. चाची मज़े से हाथ फेरे जा रही थी.
तभी उन्होंने मेरे गोटों और एसहोल के बिच की जगह पर सहलाया. मेरे मुंह से सिसकारी और आह दोनों एक साथ निकल गए. चाची ने मेरी और देखा. हम दोनों की नज़ारे मिली और ऐसे ही मेरी आँखों में देखते हुए चाची ने फिर से वहीँ पर सहलाया, मैंने भी चाची के चेहरे पर नज़ारे गडाए हुए एक और आह भरी. चाची उस जगह से सहलाते सहलाते मेरे गोटों से होती हुयी मेरे लंड तक पहुंची और मेरे सुपाड़े की स्किन पीछे करके अपनी उंगली मेरे लंड के छेद पर फिराने लगी. मज़े से मेरी ऑंखें बंद हुयी जा रही थी मगर चाची की नशीली आँखों में देख कर मज़ा आ रहा था. इसलिए मैं एकटक उनको देखता रहा.
kramashah.............
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