Sunday, August 4, 2013

FUN-MAZA-MASTI शुभारम्भ-12

FUN-MAZA-MASTI

शुभारम्भ-12
अचानक मेरी कमर ने झटका खाया.........ये अपने आप हुआ था.......ऐसा लग रहा था की मेरा शरीर अब मेरे दिमाग का कंट्रोल ले रहा हो........झटका खाने से लंड चाची की चूत में तो नहीं घुस पाया मगर उनकी चूत पर से रगड़ खाता हुआ उनके दाने को छेड़ता हुआ चाची के पेट पर आ गया.....चाची का पूरा बदन गनगना गया...और मेरी तो पहले ही गाड़ी रिज़र्व में चल रही थी.........हम दोनों के मुंह से एक साथ आह निकल गयी.......मेरी कमर ने फिर से झटका खाया और फिर से लंड चाची के चूत पर से फिसल कर निकल लिया.......चाची ने बेचारे अंधे लौड़े को अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत के मुंह पर रख दिया........ और कांपती आवाज़ में बोली,

" ल ल लल्ला .......बेटा.......क क क कुछ होगा तो नहीं ना...........कंडोम तो लगा ले.......आह......."

भेन्चोद......कंडोम लेन का क्या मेरे बाप को सपना आया था..........कंडोम गया माँ चुदाने.........यहाँ मेरा सब कुछ सुलग रहा था और इस को कंडोम की पड़ी थी......

मैंने दांत भींचे और जोर से झटका देकर अपना लंड चाची की चूत की अटल गहराईयों में उतार दिया. चाची की चूत को चोद चोद कर चाचा ने पहले ही 4 लेन का हायवे बना दिया था.......पक्क से पूरा लंड अन्दर उतर गया और मेरे और चाची के पेट आपस में फक्क की आवाज़ से टकराए......चाची ने जोर से आह भरी और अपनी टाँगें मेरी कमर पर लपेट ली और मुझे तो इतने में ही जन्नत का दरवाजा दिख गया.

चाची की चूत इतनी गरम थी की मुझे लग रहा था की मेरा लंड किसी सेंडविच में है.........चाची की चूत भी दिल की तरह मानो धड़क रही थी.........बिलकुल मखमली एहसास था........लंड अन्दर डाले मैं थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा......चाची मेरे नीचे धीरे से हिली और फिर अपनी गांड हिलाने लगी......

फिर बोली, "सस स स...........कर ना.......हरामी.......आह..........."

मैंने अपनी कमर उठाई और धक्का मारा. फटाक से फिर से चाची के पेट से मेरा पेट टकराया.......आज तक इतनी ब्लू फिल्म देखी थी मगर मुझे ढंग से धक्के मारना भी नहीं आ रहा था. चाची फिर बोली, "अरे......आह.........कर ना......कमीने.......ऊह........."

मैंने अपने हाथो को चाची के दोनों और टिकाया और अपने वजन अपने हाथों और घुटनों पर लेकर फिर से लंड चाची की चूत से बाहर निकला और फिर से अन्दर उतार दिया. फिर से चाची और मेरा पेट टकराया और फक्क आवाज़ आई. भेन्चोद......वो आवाज़ से ही आनंद आ गया. चाची फिर निचे से अपनी कमर उचकाने लगी. फिर बोली, "हरामी.......ऐसे ही डाल के मेरे ऊपर पड़ा रहेगा क्या........कर ना..... "

ब्लू फिल्मे देख देख कर इतनी मुठ मार चूका था की अपने आप को चुदाई का ब्लैक बेल्ट समझता था मगर यहाँ धक्के मारना ही नहीं आ रहा था......मैंने अपनी कमर धीरे धीरे हिलाना शुरू की.......क्या मज़ा आ रहा था......मगर चाची भी अपनी कमर हिला रही थी और उनके ऐसे कमर हिलाने से मेरा लंड फिर से चाची की चूत से बाहर आ गया.........

मैंने अपने लंड को हाथ से पकड़ के चाची की चूत में डालने की कोशिश की मगर मेरा बैलेंस बिगड़ गया और मैं घप्प से चाची के ऊपर गिर गया. चाची ने मुझे जोर से धक्का दिया और दांत पीस कर बोली,

"हट हरामी.......चोदना तो आता नहीं......बड़ा आया......परे हट......"

मैं चूतिये जैसे अपने लंड अपने हाथ में पकडे मुंह खोले चाची को देख रहा था.......चाची बिस्तर से उतरी....और पैर पटकते पटकते बाथरूम में चली गयी.......चाची पूरी नंगी थी और इस तरह चलने से उनकी गोल गोल गांड इस कदर हिल रही थी की मेरा दिमाग ख़राब हो गया.....

चाची मुझे इस हाल में छोड़ कर चली गयी थी.

मैंने हिम्मत की और बाथरूम का डोर खटखटाया. चाची अन्दर चिड कर बोली, "क्या है......???"

मैंने अपने बाबुराव को सहलाते सहलाते कहा, "च च चाची......न न नाराज़ मत हो.....प्लीज़.....मैं ढंग से करूँगा.....प्लीज़......आ जाओ "

चाची अन्दर से बोली, "साले.....हरामी.....मुतने तो दे........"

मैंने ठंडी सांस ली.......चलो आ रही है.

चाची ने भड़क से दरवाजा खोला और मुझे अपनी बाँहों में जकड लिया, अपने होंट मेरे होंटों पर जड़ दिए. मैं हक्का बक्का रह गया की यह क्या हुआ.......चाची और मैं दोनों नंगे खड़े थे और पागलों की तरज एक दुसरे तो चूमे चुसे जा रहे थे. चाची मुझे धीरे से धक्का लगते लगते बिस्तर के किनारे ले आई और मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया.

मैं चाची को देखने लगा की यह कर क्या रही है.......चाची ने अपने घुटने मोड़े और मेरे दोनों और अपने पैर करके मेरे ऊपर सवारी करने वाली पोसिशन में आ गयी और बोली, " लल्ला......तुझे तो अभी खेलना आया नहीं.......मैं तुझे बताती हूँ की तेरे जैसे अनाड़ी घोड़े के सवारी कैसे करते है.....तू बस मज़े ले....."

यह बोल कर चाची ने मेरे ठुनकते हुए बाबुराव को पकड़ा और अपनी रस से सराबोर मुनिया के मुंह पर लगा दिया.....इसके पहले की मैं कुछ समझ पाता. चाची मेरे लंड पर बैठ गयी और बाबुराव तलवार की तरह चाची की लपलपाती चूत में उतर गया.

अगर पहले चाची की चूत गरम थी तो अब तो भट्टी बन गयी थी. मेरी तो सांस ही रुक गयी.....इसके पहले की मैं संभल पाता, चाची ने फिर से अपनी गांड उठाई और धप्प से फिर मेरे लंड पर बैठ गयी.

अरे......क्या मज़ा आ रहा था.

चाची ने फिर से अपनी विशाल गांड उठाई और मेरे लंड को चोदने लगी.

कौन सोच सकता था की मेरी सती सावित्री चाची जो घर में अपने सर से पल्लू नहीं गिरने देती थी, हमेशा घूँघट डाले रहती थी वो मेरे नंगी मेरे लंड पर बैठी थी और ऐसे कूद कूद कर मुझे चोद रही थी की यह दुनिया का आखिरी दिन है.

चाची के ऐसे कूदने से उनके मम्मे इस कदर इधर उधर फिंका रहे थे की मुझसे रहा नहीं गया और मैंने कचकचा कर उनके एक मम्मे को अपने हाथों में दबा लिया, मेरा ऐसा करना हुआ और चाची की मस्ती और बढ़ गयी. वो दुगने जोश से मेरे लंड पर कूदने लगी. उनकी ऑंखें आधी खुली थी और वो इतनी जोर जोर से सांस ले रही थी मानो दमे की मरीज़ हो. फटाक फटाक की आवाज़े पुरे रूम में घुंज रही थी और चाची के बिखरे बाल इधर उधर हो रहे थे....ऐसा लग रहा था की उन पर कोई भुत चढ़ गया है........

जैसे मेरा लंड चाची के चूत में पूरा उतर जाता उनके कुल्हे मेरी जांघों में फटाक की आवाज़ से टकराते और उनके मम्मे और उनकी नाभि के आसपास का पेट का हिस्सा थरथरा जाता.....चाची बिना रुके अपनी गांड फिर से उठती और फटाक की आवाज़ के साथ फिर अपनी गांड मेरे लंड पर पटक देती. उनकी चूत इस कदा पनिया चुकी थी की वो जैसे ही अपनी गांड उठाती और मेरा लंड चूत में से थोडा बाहर निकलता तो पूरी तरह से चाची के काम रस में भीगा होता. ऐसी कड़क चुदाई होने से लंड पर मख्खन जैसे सफ़ेद सफ़ेद झाग दिखने लगे थे. सच ही तो था....आखिर चाची मेरा मख्खन ही तो निकाल रही थी. मेरे दोनों हाथ उनके मम्मो को मसल मसल कर लाल कर चुके थे........अब मैंने उनके मम्मो से हाथ हटा कर उनकी गांड को दबोच लिया था और लेटे लेटे ही उनके कुलहो को मसल रहा था........

चाची ने अब मेरे लंड पर कूदने बंद करके अपनी गांड हिलाना शुरू कर दिया....वो मेरे लंड को अपनी चूत में पूरा अन्दर तक डाले अपनी गांड मेरी जांघो पर घिस रही थी......और मेरे गोटों भी इस रगड़ का पूरा आनंद ले रहे थे.......

चाची अचानक ही जोर जोर से साँसे लेने लगी और उनकी आखें बंद हो गयी.....उन्होंने हिलना बंद करके अपनी चूत को एक दम सिकोडा और मानो उनकी चूत मेरे लंड को चूसने लगी.....चाची के एक हाथ अपने मम्मे पर गया और वो खुद ही जोर जोर से अपने मम्मो को रगड़कर दबाने लगी.....यह सीन देखकर तो दद्दू भी पहलवान हो जाते मैं तो पहले से ही ठरक की ट्रेन में चदा हुआ था.....मैंने अपना हाथ बढ़कर उनके दुसरे मम्मे को पकड़ा और अपने अंगुली और अंगूठे के बिच उनके निप्पल को लेकर चुटकी में मसल दिया.....चाची के मुंह से हाय निकली और वो मेरे ऊपर गिर सी गयी.

अचानक मुझे मेरे लंड पर गिला गिला सा लगा और फिर मेरे गोटों से होता हुआ पानी मेरी जांघों को भी भिगो गया.
मैंने सिर्फ सुना था की कुछ औरतों का climax होने पर वो भी पानी छोडती है मगर मेरी तो पहली चुदाई में ही बरसात हो गयी.

चाची मेरे ऊपर लेटी हुयी लम्बी लम्बी साँसे ले रही थी........फिर वो धीरे से उठी और मेरा lucky लोडा फच्च की आवाज के साथ चाची के चूत में से बाहर आ गया. चाची पेट के बल मेरे बगल में लेट गयी........

भेन्चोद.......यह क्या ? अबे मेरा क्या ?

मैंने चाची से कहा, "च च च चाची.......मेरा निकला नहीं......आ आप निकाल दो........."

चाची धीरे से बोली, " हाय राम.....लल्ला......तू तो सांड ही है रे.........अब तो मुझमे शक्ति नहीं है रे..........तू हाथ से ही हिला ले......"

इसकी माँ की चूत.......घंटा हिलाले हाथ से..........साली भेन्चोद खुद तो मज़े से उछल उछल कर लंड ले लिया और अब बोल रही है की हिला ले.........

मैंने फिर कहा, " च चाची......व.व..वो.......आप.....कुछ ....करो.....ना ......"

चाची तो ऑंखें बंद किये पड़ी थी.......बोली, "लल्ला.......सब आनेवाले होंगे......तू या तो निकाल ले.....या फिर तेरे रूम में जा......."

मैंने बड़ी मुश्किल से अपने गुस्से को काबू किया..........मैं उठ कर घुटने के बल बिस्तर पर खड़ा था.......और मेरा मायूस लंड अभी भी पूरा खड़ा था और उलटी लेटी चाची की गांड को देख देख कर ठुन्कियाँ मारे जा रहा था.

मेरा तो मुड ही ख़राब हो गया. मैंने सोचा की चल भाई......रूम में चलते है.......अँधेरे में ही मुठ मार लेंगे....

मोमबत्ती भी फडफडा कर मानो मेरी हाँ में हाँ मिला रही थी

चाची ने उलटे लेटे लेटे ही अपने सर घुमा कर मुझे देखा और कहा,

" जा लल्ला.....सब आते होंगे......और सुन.....मेरा गाउन दिखा क्या ? देख तो ज़रा कहाँ रखा है......."

गाउन वहीँ चाची के सिरहाने पड़ा था....चाची के नज़र उस पर पड़ी और वो उठी........

मैं चाची के पीछे था.....चाची उठी और बिलकुल कुतिया की तरह पोसिशन में आ गयी......उन्होंने गाउन उठाने के लिया हाथ आगे बढाया जिससे उनकी गांड और उठ गयी और उनकी चूत का भीगा छेद मेरे सामने आ गया.......मैं चाची के पीछे घुटने के बल खड़ा था.....मेरा लंड बिलकुल चूत के सामने ही था.

मैंने कुछ नहीं सोचा और पापा रंजीत का नाम लेकर चाची की कमर पकड़ी और एक झटके में अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया.

"हाय राम.........आआह.....आअ.....हा.......हाय........छोड़ ह ह हरामी........आ......ह......उई मा......", चाची की चीख से मेरा गुस्सा और बढ़ गया......मैंने कचकचा कर दांत पिसे और अपने लंड चाची की चूत में से खिंच कर दुगनी ताकत से वापस उनकी चूत में पेल दिया......मेरा पेट चाची के गद्देदार कुलहो से टकराया और फटाक की आवाज़ पुरे कमरे में गूंज गयी......मैंने अपनी कमर कुत्ते की तरह चलाना शुरू कर दी.....हर धक्के पर मेरा पेट चाची की गांड से टकराता और मेरा जोश और बढ़ जाता.....

चाची कराहती हुयी बोली, "हाय.....रा....राम.........हरामी......कमीने.........छोड मुझे......आह........ ध ध धीरे कर......"
मगर मेरे सर पर तो खून सवार था......धीरे तो दूर मैं तो और जोर जोर से धक्के मारने लगा..........चाची ने थोडा आगे होके बचने की कोशिश की......तो मैंने हाथ बड़ा कर चाची के कन्धों पर रख लिए और उनको वहीँ पर जकड लिया और पहले से भी और जोर से उनकी चूत की ठुकाई करने लगा......

चाची के मुंह से हाय और आह दोनों एक साथ निकाल रही थी......उस भेन्चोद को मज़ा भी आ रहा था और शायद थोडा दुःख भी रहा था....मगर मैं तो अब लंड परवाह करने वाला नहीं था.....मेरा पूरा शरीर पसीने में भीग चूका था.....और मेरे टट्टे हर झटके के साथ चाची की खुल चुकी चूत के दाने से टकरा रहे थे.......

चाची ने फिर से आगे बढ़ कर बचने की कोशिश की.....मैंने उनके खुले बाल पकडे और जैसे घुड़सवार घोड़े के लगाम पकड़ते है मैंने उनके बाल पकड़ कर उनकी चूत को बेदर्दी से पेलना शुरू कर दिया.....

चाची की हाय अब कम हो गयी थी और वो भी जोर जोर से मज़े के सिसकियाँ लेने लगी.....अब तो चाची भी मेरे हर धक्के का जवाब पलटे में धक्का मार कर दे रही थी.....उनके मुंह पीछे मुडा और हमारी ऑंखें मिल गयी.....

मेरा पूरा चेहरा तना हुआ था.....दांत भींचे हुए थे और चाची का मुंह उत्तेजना से खुला हुआ था.......मेरी आखो में देखते देखते ही चाची से अपने सूखे होटों पर जुबान फेरी और मेरे धक्के और तेज़ हो गए.

अब मेरे हर धक्के पर उनकी गांड जेली की तरह थरथरा रही थी.......और उनके मम्मे तो लावारिस सामान की तरह इधर उधर फिंका रहे थे.

चाची के मुंह से फिर आवाज़ निकली,

"हाय......मार डाला.......हरामी.......आह......सांड ही है तू तो........हाई.........उई.........हाँ......हाँ.......ऐसे ही.............आह .......ठोक......आह...........कमीने.....धीरे.....आह."

मैं तो सब भूल चूका था.....मुझे सिर्फ चाची की हिलती गांड और उनकी नशीली ऑंखें ही दिख रही थी.....चाची फिर से चिल्लाई " आह......लल्ला.....आ.....आ......आ............मार.....हाँ........आअ.....मैं तो.....गयी......रे......."

मेरे तो खुद के गोटों में वो सनसनी और सुरसुरी मची हुयी थी की बस ये गया और वो गया.....

चाची ने हाय हाय करते हुए जोर से अपनी गांड को मेरे लंड पर झटका और मेरे लंड को अपनी चूत में सिकोड़ कर पकड़ लिया.......मेरे लंड का लावा उफनने ही वाला था......चाची ने हुनकर भरी और जोर से मेरे लंड पर एक और झटका मारा और चिल्लाई......"मैं तो गयी रे..........मेरे......बलमा........हाय......."

और मैंने भी एक दो करारे झटके मारे और मेरे लंड से उबलता हुआ लावा सीधा चाची के लपलपाती चूत में धार पे धार मारते हुए उतरने लगा.........मेरा पूरा शरीर सनसना रहा था.....मेरी आँखों के सामने अंधेरा सा छा गया और मेरे गोटों ने पूरा अमृत चाची की चूत को अर्पित कर दिया.

चाची ऐसे पेट के बल लेट गयी उनका पूरा बदन थरथरा रहा था.....मेरा लंड अभी भी चाची के चूत में फंसा था और अभी तक बूंद बूंद अमृत चाची की भूखी चूत में टपका रहा था........मैंने चाची के कंधे को चूम लिया और जैसे ही चाची ने गर्दन घुमाई मैंने उनके होटों को अपने होटों में जकड लिया और फ्रेंच किस करने लगा.......

चाची के मुंह से अभी भी म्मम्म म्मम्म आवाज़ आ रही थी.....कहाँ तो मुझे चोदना भी नहीं आ रहा था और कहाँ मैंने इतनी से देर में चाची को दो बार झाड़ दिया था.

मेरी नज़र बिस्तर के पास टेबल पर पड़ी चोकलेट पर पड़ी........मैंने चोकलेट अपनी अंगुली में ली और चाची को चटा दी.....

चोकलेट तो बनती थी....

आखिर मेरा शुभारम्भ हो गया था.........

सुबह आँख फ़ोन की घंटी से खुली.......भोसड़ी का ऐसे चीख रहा था मानो उस की चूहे जैसी गांड में हाथी जैसा लंड फंसा हो.
मैंने बंद आँखों से ही फ़ोन टटोला और बिना नम्बर देखे उठा लिया. मैंने जैसे हेल्लो कहा......

"तुम अगर मोबाईल उठाते नहीं तो रखते क्यों हो........"

मैं कन्फ्यूज हो गया की भेन्चोद ये कौन है ?

मैंने कहा, "ह ह ह हेल्लो ???? कौन ?"

"अच्छा जी........अब मैं कौन ........तुम सोये थे क्या ?", पिया ने पूछा.

जैसे करंट का झटका एक सेकंड में पूरा शरीर हिला देता है वैसे ही उसकी आवाज़ ने मुझे एक झटके में जगा दिया.

मैंने कहा, "न न न नहीं......म म म मेरा मतलब है की हाँ.......वो म मैं.....सोया था......."

"ओके ओके ......अच्छा एक बात बताओ.......तुम कितनी देर में तैयार हो सकते हो....?" उसने पूछा...

मैंने कहा, "म्म...यार मुझे.....एक घंटा तो लगेगा........क्यों क क्या हुआ.....?"

"अरे यार....मेरा अपनी फ्रेंड्स के साथ मूवी का प्रोग्राम था........फर्स्ट डे फर्स्ट शो......वो है ना......सलमान खान की ...........तो मैं ना कन्फ्युसन में गलत थियटर पर आ गयी हूँ....अरे वो बिग.......अब क्या है की यार कॉलेज की तो बंक मार दी है.....घर जा नहीं सकती......यहाँ पर ऑटो भी नहीं मिल रहा....तुम आ सकते हो क्या ...... "

नेकी और पूछ पूछ............. कोई चुतिया ही मना करता......

मैंने कहा, "पिया.....म.म.मैं.....१० मिनट में आ रहा हूँ......"

मैं बेड से सीधा कूदा और फटाफट शोवर लिया.......फिर याद आया की ब्रुश नहीं किया.......फटाफट ब्रुश किया और ब्लैक टी शर्ट और जींस पहनी और भागा.

वो कहते है ना की किस्मत में लिखे हो लौड़े तो कहाँ से मिलेंगे पकोड़े.......

बाहर देखा तो मेरे बाप का 90 मॉडल का स्कूटर गायब था.

मेरा चाचा जो कभी स्कूटर नहीं चलाता था.....भेन्चोद आज स्कूटर ही ले गया.

मेरे मुंह से गाली ही निकल गयी. इधर उधर देखा और सोचा की अब क्या करू....? वहां पर वो हसीना मेरा इंतज़ार कर रही है और मैं यहाँ लंड हिला रहा हूँ.......

तभी मेरी नज़र कपूर अंकल पर पड़ी......वो शायद सब्जी लेकर आये थे.......गाड़ी स्टैंड पर ही लगा रहे थे....मैंने सोचा चलो चांस मारते है.....

मैंने कहा, " अंकल.....गुड मार्निंग......"

वो बोले, "ओ ...गुड मोर्निंग बेटे जी......."

मैंने कहा, "अंकल वो ......आप कहीं जा रहे है क्या ?..."

वो बोले, " ओ नहीं जी.....क्यों क्या हुआ.."

मैंने कहा, "अंकल वो क्या है की.....आज चाचा गाड़ी ले गए है और मेरा टेस्ट है कॉलेज में.....क्या म म मैं आपकी गाड़ी ले जाउ....."

वो बोले, " ओ श्युर बेटे जी......मगर आप चला लोगे ना....."

कपूर अंकल की बुलेट कांच जैसे चमचमा रही थी. भोसड़ी का अपनी बीवी को कम रगड़ता होगा और बुलेट को ज्यादा.
वैसे तो मैंने एक दो बार बुलेट चलायी थी मगर मेरी गांड बुलेट से फटती थी....साली 100 -200 किलो की गाड़ी......गिर जाये तो 4 आदमी उठाने के लिए चाहिए...

मैंने कहा, "हाँ हाँ अंकल.....च च चला लूँगा.......मैं 3 -4 घंटे में आता हूँ....."

अंकल ने गाड़ी की चाबी दी.....भगवन की दया से गाड़ी बटन स्टार्ट थी......मैंने गाड़ी स्टार्ट की तभी अंकल बोले.....
"अरे बेटे जी.....आज हेलमेट नहीं लगाते क्या.....ये लो....मेरा लगा लो.....सेफ रहता है"
यह बोलकर उन्होंने अपना हेलमेट मुझे दे दिया..

मैंने हेलमेट लगाया और गेयर मार कर निकल लिया.

आंधी तूफान जैसे गाड़ी चला कर मैं थियेटर पहुंचा.....बेचारी पिया बाहर ही खड़ी थी. उसने ब्लू जींस और ब्लू टॉप पहना था.....मस्त लग रही थी.
kramashah.............








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