FUN-MAZA-MASTI
परदेस से शुरू हुआ चुदाई का सिलसिला--8
गतांक से आगे...................
मेरी नाक पूरी उसकी क्रोच में घुस जाने से साँस रुकने सी लगी. इमरजेंसी में, मैं अपनी नाक को इधर उधर करके सांस लेने की कोशिश करने लगा. इस तरह थोड़ी थोड़ी हवा मिलने लगी, पर लगातार ताज़ी हवा पाने के लिए मुझे बार बार अपनी नाक को इधर उधर करना पड़ रहा था.
पर लगातार इस तरह से करना उसकी हद तोड़ गया. मेरे इस तरह लगातार हिनहिनाने से उसकी योनी जोर जोर से मसली जा रही थी. हालाँकि पेंटी का एक पतला सा पर्दा हम दोनों के बीच था परन्तु उस पर रगड़ते मेरे होंठ और नाक, और गर्म सांसो का बवंडर .......ये तीनो उसको पागल कर देने के लिए शायद पर्याप्त थे.
वो तो शायद पॉइंट आफ नो रिटर्न पर पहुँच चुकी थी. तभी तो जैसे ही मैं थोडा सा शांत हुआ, तो वो चालू हो गई. मतलब के, अब तो उसने ही अपनी योनी को मेरे मुंह पर जोर से रगड़ना स्टार्ट कर दिया. और जिस शिद्दत से वो अपने दाने को मेरी नाक से रगड़ रही थी, लगा कि वो झड़ने के बेहद करीब है.
पर प्रोब्लम ये कि लटके लटके वो दाने को सही तरह से घिसवा नहीं पा रही थी और लगातार झड़ने के बिंदु पर पहुँच पहुँच कर भी झड़ने में नाकाम हो रही थी. घोर व्यग्रता में उसकी चीख बार बार निकल जाती थी. वो बुरी तरह से रगड़ने के चक्कर में बहुत ज्यादा हिलने लगी थी. मुझे महसूस हुआ कि अगर ये यूँ ही मटकती रही तो हम दोनों फिर से फिसल जायेंगे.
तब मैंने त्वरित ही एक मजबूरी में बंधा एक फैसला लिया. और वो था उसको शिखर पर पहुँचाने का. अगर इसको जल्दी से चरमसुख के शिखर पर पहुंचा दिया तो उसके बाद उसे इस ढलान के शिखर पर पहुंचाना बेहद आसान हो जायेगा.
तो अब मैंने बागडोर अपने हाथ में ले ली और अपना मुंह जोर से उसकी खोह में घुसेड़ा और जोर जोर से उसकी योनी को, यथासंभव दाने वाली जगह पर, अपनी नाक और
होंठो से रगड़ने लगा. वो तो मस्ती में कराहने लगी. उसे यही तो चाहिए था.
मैं तो बस रगड़ता ही चला गया और कुछ ही क्षण में वो ‘हा’ ‘हा’ करती हुई भरभरा के झड़ने लगी. उसकी पेंटी तेज़ी से तर होने लगी. अबकी बार तो इतनी ज्यादा गीली हो गई कि मेरा तक़रीबन पूरा मुंह उस पानी से सराबोर हो गया. जीभ पर तीखा और कसैला सा स्वाद आ रहा था.
वो झड चुकी थी. तूफ़ान गुजर चूका था. अब और देर करना उचित नहीं था. मैंने उसकी जांघो को जकड़ कर पूरी ताकत से जोर लगाया और ऊपर धकेला.
उधर ऋतू ने भी नीचे के कार्यक्रम के सीधे प्रसारण से उत्पन्न सुन्नपन को झटका और वक्त की नजाकत को समझते हुए चादर को ऊपर की ओर खींचा तो. दोहरे सहारे से संजू ऊपर की ओर उठने लगी.....और फिर देखते ही देखते ऊपर पहुँच गई.
ऋतू ने उसकी खैरियत पूछी तो उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला. वो अभी अभी एक नहीं दो-दो तूफानों से झूझ कर आई थी, तो वो थोड़ी सी नम्ब हो गई थी.
ऋतू ने उसे झकझोरते हुआ कहा........'संजू ........,चलो अब भैया को निकालना है, कस के पकड़ो इसे.' उसके मुंह से बस हलके से हाँ ही निकला .
अब उन दोनों ने मिलकर फिर से चादर लटकाया. मैंने अपने दोनों हाथ ऊपर करके उसे थामा. मेरा टीशर्ट के दो टुकड़े होने से ऊपर से मैं नंगा था, और नीचे अभी भी मेरा बरमूडा मेरे लिंग से नीचे था.
और पप्पू......वो तो अभी भी पूरी तरह से तना हुआ था. मेरी दोनों बहनों को वो ऊपर से साफ साफ दिखाई दे रहा था.
अब उन दोनों ने ताकत लगा कर मुझे ऊपर खींचना चालू किया........मैंने भी अपने पैरों से सहारा ले लेकर उनका वजन कुछ हल्का किया.
पर थोडा ही ऊपर घिसटने से मेरा बरमूडा मेरे घुटनों तक खिसक गया और मैं तक़रीबन नंगा ही हो गया था और वो भी मेरी बहनों के सामने.
घिसटने के कारण मेरी पीठ पर बहुत दर्द होने लगा. लेकिन जैसे तैसे उन्होंने मुझे ऊपर खींच ही लिया.....और मैं वहीँ जमीन पर पड़ा रहकर हांफ रहा था. मेरी आँखे बंद हो गई थी और मुझ पर बेहोशी तारी होने लगी.
कुछ देर बाद चेहरे पर पानी के छींटों के अहसास से मुझे होश आया. उन दोनों ने मुझे सहारा देकर बैठाया. मैंने देखा कि मेरा बरमूडा एकदम सही जगह पर है. शायद उन्होंने मेरे बेहोश होने पर सबसे पहला काम वही किया होगा. कौन बहन अपने भाई के इस तरह तने हुए गुप्तांग का सामना कर सकती है.
मैं दर्द से बेहाल था. उन्हें बताया कि पीछे बहुत खरोंचे आई है. उन्होंने देखा कि काफी खून बहने लगा था तो वे दोनों डर गई.
ऋतू बोली........'चलो भाई, जल्दी से डॉक्टर के पास चलते हैं.'
फिर उन्होंने मुझे वही चादर ओढ़ा दी और दोनों ओर से सहारा देकर चलने लगी. बड़ी मुश्किल से हम अपनी कार तक पहुंचे. संजू आगे बैठ गई और ऋतू ने अपनी गोद में मेरा सर रख कर करवट से लिटा दिया. उसे मेरी बहुत फ़िक्र हो रही थी और वो मेरा सर सहला रही थी. फिर थोड़ी ही देर में मुझे नींद सी आ गई.
होटल के रूम में मेरी नींद खुली. ऋतू, संजना, एक डॉक्टर और होटल मेनेजर खड़े हुए थे. मेरी पीठ के घाव साफ़ करके ड्रेसिंग कर दी गई थी. उन्होंने मुझे फिर एक नींद का इंजेक्शन दिया जिससे तुरंत ही मुझे नींद आ गई. टूर का तीसरा दिन भी समाप्त.
जैसे तैसे हम मुंबई पहुंचे. दो दिन मैं चाचा के घर ही रहा. दोनों बहने मुझसे बस काम चलाऊ बात ही कर रही थीं. फिर ठीक होकर अपने घर पहुंच गया. अगले पूरे एक महीने तक हमारे बीच ऐसा ही खिंचाव बना रहा. फिर एक दिन वे दोनों मेरे घर आई और बोली के जो हुआ सो हुआ. एक बुरा सपना समझ कर सब कुछ भूल जाना चाहिए. मुझे बहुत राहत मिली और उसके बाद हमारे रिलेशन फिर से पहले जैसे हो गए.
अभी पिछले एक महीने से, मैं महसूस कर रहा था कि संजू मुझसे कुछ ज्यादा ही फ्री होती जा रही थी. पता नहीं, पर मुझसे उसे आर्गास्म हुआ था, और ये तो वो कभी भी भूल नहीं सकती, तो हो सकता है, शायद उसी का असर हो ये..........या पता नहीं.
आज अजय की जाते जाते कही हुई बात मुझे स्ट्राइक कर गई. ये सारी डीवीडी रन होने के बाद पहली बार संजू को मैंने एक दूसरी नज़र से देखने की हिम्मत की. जो भी अपराधबोध आता वो अजय-डॉली को याद करके तिरोहित होने लगा. अचानक मैंने पप्पू को संजू के लिए उठते पाया. थोड़ी सनसनाहट सी हुई. अचानक संजू के नंगे बब्बू याद आये, उनकी चुसाई याद आई तो पप्पू एकदम फार्म में आ गया. ये तो कमाल हो गया. पहली बार गिल्ट की जगह तेज़ कामुकता उठी.
अचानक मोबाइल की रिंग बजी...........मैं चौंक कर वर्तमान में लौट आया. ये ज़रीन का फोन था...
इस वक़्त शाम के ६ बज रहे थे. मैंने कॉल रिसीव किया.
'अभिसार, कहीं मैंने आपको डिस्टर्ब तो नहीं किया.'......वही प्यारी सी आवाज़.
'अरे नहीं नहीं ज़रीन, आपकी आवाज़ सुन कर तो मेरी तबियत फड़क उठी.'
'ऐसा क्या.......अच्छा बताइए, आपको मेरे कॉल आने की उम्मीद थी क्या.'
'सच बताऊँ.............दिन भर इतना बिज़ी रहा कि सोचने का वक़्त ही नहीं मिला.'
'क्या अब भी बिज़ी हैं.'
'अब तो एकदम फ्री हूँ, आप बताइए.'
'अच्छा आप कहाँ पर ठहरे हुए हैं.'
'मैं होटल ग्रेंड हयात में रुका हुआ हूँ.'
'तो चलिए, ठीक सात बजे आपके होटल रिसेप्शन पर मिलते हैं. पहुँचते ही आपको कॉल करुँगी.'
'सच................यू आर मोस्ट वेलकम. ओके बाय.'........मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा.
'बाय, सी यु देन.'...........कहकर फ़ोन कट कर दिया.
मैं उठा और कुछ स्नेक्स आर्डर किये. अब रह रह कर संजू याद आने लगी. उसके शरीर का अंग अंग मेरे जेहन में घूमने लगा. उसके सभी अंग बुरी तरह मसले थे मैंने.
मैं तो ठीक, नीचे मेरे पप्पू ने भी पूरा तन के मुझे बता दिया कि उसे भी संजू की कित्ती याद आ रही है. तभी मेसेज टन बजा. देखा तो संजू का मेसेज है. मैं हैरान हो गया. क्या उसे महसूस हो गया था कि मैं उसको हो याद कर रहा हूं. मेसेज में लिखा था कि अगर आप फ्री हो तो स्काइप पर ऑनलाइन आ जाओ, बात करते हैं.
मेरे पास थोड़ा टाइम था तो मैंने अपना आई-पेड निकला और स्काइप लगा दिया. उसे कॉल किया तो वीडियो पर संजू का खिलखिलाता चेहरा उभरा. लेकिन ये क्या, बेकग्राउंड में तो मेरा कमरा लग रहा है.
मैं: संजू क्या तुम मेरे घर पे हो.
संजू: हाँ. कोई प्राब्लम तो नहीं भैया.
मैं: प्राब्लम तो नहीं पर अचानक कैसे.
संजू: वो कल सुबह सवेरे ही ऋतू और मुझे यहीं बांद्रा में कुछ काम है तो हम कालेज से यहीं आ गए रात रुकने के लिए. आपकी एक चाबी तो ऋतू के पास रहती ही है ना.
मैं: अच्छा ये बात है. पर ऋतू दिखाई नहीं दे रही.
संजू: वो कभी से आपके आलिशान बाथरूम के टब में घुसी है. अगले आधे घंटे तो वो बाहर नहीं ना आने वाली तो सोचा आपसे ही बात करलूं.
मैं थोड़ा परेशान हो उठा क्योंकि ये तो मेरे ही लेपटोप से बात कर रही. उसमें बीसियों पोर्न मूवी लोड है. अभी संजू से तो उतना डर नहीं पर कहीं ऋतू को ना बता दे ये सब.
मैं: मेरे लेपटोप से बात कर रही है ना तू.
संजू: हाँ, पर ये क्यों पूछ रहे हो भैया. हाँ आपसे एक परमिशन लेनी थी. आपके पिक्चर फोल्डर में हमारे टूर की फोटो पड़ी है, क्या मैं फ्लेश ड्राइव में कापी करलूं.
ओ तेरी की. वहीँ तो सारी मूवी पड़ी है.
संजू: और हाँ भैया, कुछ वीडियो भी है हमारे वो भी कर लूं.
उसकी आँखों में शरारत थी, मुझे पक्का डाउट हो चला था कि इसने वो सब देख लिया होगा.
मैं: संजू तू कबसे मेरे लेपटोप को खंगाल रही है.
संजू: क्यों भैया, आपको ऐतराज़ तो नहीं कि बिना आपकी परमिशन के ही आपके लेपी पर बैठ गई.
मैं: अब ऐतराज़ भी होगा तो क्या कर सकता हूं, तू तो आलरेडी ...........
संजू: नहीं भैया, मैंने आपकी किसी भी पर्सनल फ़ाइल को टच नहीं किया है.
मैं: कर भी लिया हो तो अब मैं कर भी क्या सकता हूं.
संजू: अच्छा........कुछ नहीं कर सकते?.......डांट तो सकते ही हो एट लिस्ट.
मैं: अरे तेरे को क्या डाँटना. तू तो मेरी प्यारी प्यारी संजू है.
वो एकदम खुशी से चहक उठी ये सुन कर.
संजू: तो इसका मतलब आप जरा भी नाराज़ नहीं होओगे फिर तो.
मैं: ये फिर तो का क्या मतलब है..............
संजू: देखो भैया, अभी आपने बोला कि डांटोगे नहीं मुझे........कहा था ना.
मैं: हाँ नहीं डांटूगा, पर बात क्या है.
संजू: वो आपकी दो पर्सनल फ़ाइल कॉपी कर ली है........
मैं: कौनसी पर्सनल फ़ाइल.
संजू: वही डांट खाने लायक फ़ाइल. बट भैया आपने प्रोमिस किया है कि नहीं डांटोगे.
मैं: तो तुने वो फोल्डर देख ही लिया.
उसने नज़र नीची कर ली और कुछ ना बोली. फिर हिम्मत करके मेरी ओर देखा मेरी प्रतिक्रिया जानने के लिए. मैं दुविधा में था कि क्या एक्सप्रेशन दूं.
मैं: चल ठीक है पर एक प्रोमिस करना पड़ेगा.
संजू: क्या .....क्या.....हाँ जो भी बोलोगे मुझे मंज़ूर है.........बोलो भैया.
मैं: ऋतू को ये सब कुछ पता नहीं चलना चाहिए. इट्स बिटवीन यू एंड मी, स्ट्रिक्टली.
संजू: भैया में पागल हूं क्या जो उस सती-सावित्री से ये सब शेयर करूँ. आप एकदम निश्चिन्त रहिये. प्रोमिस.
उसकी आँखों में ऐसी चमक आ गई जैसे कोई बड़ी अचीवमेंट कर ली हो.
क्रमशः.....
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गतांक से आगे...................
मेरी नाक पूरी उसकी क्रोच में घुस जाने से साँस रुकने सी लगी. इमरजेंसी में, मैं अपनी नाक को इधर उधर करके सांस लेने की कोशिश करने लगा. इस तरह थोड़ी थोड़ी हवा मिलने लगी, पर लगातार ताज़ी हवा पाने के लिए मुझे बार बार अपनी नाक को इधर उधर करना पड़ रहा था.
पर लगातार इस तरह से करना उसकी हद तोड़ गया. मेरे इस तरह लगातार हिनहिनाने से उसकी योनी जोर जोर से मसली जा रही थी. हालाँकि पेंटी का एक पतला सा पर्दा हम दोनों के बीच था परन्तु उस पर रगड़ते मेरे होंठ और नाक, और गर्म सांसो का बवंडर .......ये तीनो उसको पागल कर देने के लिए शायद पर्याप्त थे.
वो तो शायद पॉइंट आफ नो रिटर्न पर पहुँच चुकी थी. तभी तो जैसे ही मैं थोडा सा शांत हुआ, तो वो चालू हो गई. मतलब के, अब तो उसने ही अपनी योनी को मेरे मुंह पर जोर से रगड़ना स्टार्ट कर दिया. और जिस शिद्दत से वो अपने दाने को मेरी नाक से रगड़ रही थी, लगा कि वो झड़ने के बेहद करीब है.
पर प्रोब्लम ये कि लटके लटके वो दाने को सही तरह से घिसवा नहीं पा रही थी और लगातार झड़ने के बिंदु पर पहुँच पहुँच कर भी झड़ने में नाकाम हो रही थी. घोर व्यग्रता में उसकी चीख बार बार निकल जाती थी. वो बुरी तरह से रगड़ने के चक्कर में बहुत ज्यादा हिलने लगी थी. मुझे महसूस हुआ कि अगर ये यूँ ही मटकती रही तो हम दोनों फिर से फिसल जायेंगे.
तब मैंने त्वरित ही एक मजबूरी में बंधा एक फैसला लिया. और वो था उसको शिखर पर पहुँचाने का. अगर इसको जल्दी से चरमसुख के शिखर पर पहुंचा दिया तो उसके बाद उसे इस ढलान के शिखर पर पहुंचाना बेहद आसान हो जायेगा.
तो अब मैंने बागडोर अपने हाथ में ले ली और अपना मुंह जोर से उसकी खोह में घुसेड़ा और जोर जोर से उसकी योनी को, यथासंभव दाने वाली जगह पर, अपनी नाक और
होंठो से रगड़ने लगा. वो तो मस्ती में कराहने लगी. उसे यही तो चाहिए था.
मैं तो बस रगड़ता ही चला गया और कुछ ही क्षण में वो ‘हा’ ‘हा’ करती हुई भरभरा के झड़ने लगी. उसकी पेंटी तेज़ी से तर होने लगी. अबकी बार तो इतनी ज्यादा गीली हो गई कि मेरा तक़रीबन पूरा मुंह उस पानी से सराबोर हो गया. जीभ पर तीखा और कसैला सा स्वाद आ रहा था.
वो झड चुकी थी. तूफ़ान गुजर चूका था. अब और देर करना उचित नहीं था. मैंने उसकी जांघो को जकड़ कर पूरी ताकत से जोर लगाया और ऊपर धकेला.
उधर ऋतू ने भी नीचे के कार्यक्रम के सीधे प्रसारण से उत्पन्न सुन्नपन को झटका और वक्त की नजाकत को समझते हुए चादर को ऊपर की ओर खींचा तो. दोहरे सहारे से संजू ऊपर की ओर उठने लगी.....और फिर देखते ही देखते ऊपर पहुँच गई.
ऋतू ने उसकी खैरियत पूछी तो उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकला. वो अभी अभी एक नहीं दो-दो तूफानों से झूझ कर आई थी, तो वो थोड़ी सी नम्ब हो गई थी.
ऋतू ने उसे झकझोरते हुआ कहा........'संजू ........,चलो अब भैया को निकालना है, कस के पकड़ो इसे.' उसके मुंह से बस हलके से हाँ ही निकला .
अब उन दोनों ने मिलकर फिर से चादर लटकाया. मैंने अपने दोनों हाथ ऊपर करके उसे थामा. मेरा टीशर्ट के दो टुकड़े होने से ऊपर से मैं नंगा था, और नीचे अभी भी मेरा बरमूडा मेरे लिंग से नीचे था.
और पप्पू......वो तो अभी भी पूरी तरह से तना हुआ था. मेरी दोनों बहनों को वो ऊपर से साफ साफ दिखाई दे रहा था.
अब उन दोनों ने ताकत लगा कर मुझे ऊपर खींचना चालू किया........मैंने भी अपने पैरों से सहारा ले लेकर उनका वजन कुछ हल्का किया.
पर थोडा ही ऊपर घिसटने से मेरा बरमूडा मेरे घुटनों तक खिसक गया और मैं तक़रीबन नंगा ही हो गया था और वो भी मेरी बहनों के सामने.
घिसटने के कारण मेरी पीठ पर बहुत दर्द होने लगा. लेकिन जैसे तैसे उन्होंने मुझे ऊपर खींच ही लिया.....और मैं वहीँ जमीन पर पड़ा रहकर हांफ रहा था. मेरी आँखे बंद हो गई थी और मुझ पर बेहोशी तारी होने लगी.
कुछ देर बाद चेहरे पर पानी के छींटों के अहसास से मुझे होश आया. उन दोनों ने मुझे सहारा देकर बैठाया. मैंने देखा कि मेरा बरमूडा एकदम सही जगह पर है. शायद उन्होंने मेरे बेहोश होने पर सबसे पहला काम वही किया होगा. कौन बहन अपने भाई के इस तरह तने हुए गुप्तांग का सामना कर सकती है.
मैं दर्द से बेहाल था. उन्हें बताया कि पीछे बहुत खरोंचे आई है. उन्होंने देखा कि काफी खून बहने लगा था तो वे दोनों डर गई.
ऋतू बोली........'चलो भाई, जल्दी से डॉक्टर के पास चलते हैं.'
फिर उन्होंने मुझे वही चादर ओढ़ा दी और दोनों ओर से सहारा देकर चलने लगी. बड़ी मुश्किल से हम अपनी कार तक पहुंचे. संजू आगे बैठ गई और ऋतू ने अपनी गोद में मेरा सर रख कर करवट से लिटा दिया. उसे मेरी बहुत फ़िक्र हो रही थी और वो मेरा सर सहला रही थी. फिर थोड़ी ही देर में मुझे नींद सी आ गई.
होटल के रूम में मेरी नींद खुली. ऋतू, संजना, एक डॉक्टर और होटल मेनेजर खड़े हुए थे. मेरी पीठ के घाव साफ़ करके ड्रेसिंग कर दी गई थी. उन्होंने मुझे फिर एक नींद का इंजेक्शन दिया जिससे तुरंत ही मुझे नींद आ गई. टूर का तीसरा दिन भी समाप्त.
जैसे तैसे हम मुंबई पहुंचे. दो दिन मैं चाचा के घर ही रहा. दोनों बहने मुझसे बस काम चलाऊ बात ही कर रही थीं. फिर ठीक होकर अपने घर पहुंच गया. अगले पूरे एक महीने तक हमारे बीच ऐसा ही खिंचाव बना रहा. फिर एक दिन वे दोनों मेरे घर आई और बोली के जो हुआ सो हुआ. एक बुरा सपना समझ कर सब कुछ भूल जाना चाहिए. मुझे बहुत राहत मिली और उसके बाद हमारे रिलेशन फिर से पहले जैसे हो गए.
अभी पिछले एक महीने से, मैं महसूस कर रहा था कि संजू मुझसे कुछ ज्यादा ही फ्री होती जा रही थी. पता नहीं, पर मुझसे उसे आर्गास्म हुआ था, और ये तो वो कभी भी भूल नहीं सकती, तो हो सकता है, शायद उसी का असर हो ये..........या पता नहीं.
आज अजय की जाते जाते कही हुई बात मुझे स्ट्राइक कर गई. ये सारी डीवीडी रन होने के बाद पहली बार संजू को मैंने एक दूसरी नज़र से देखने की हिम्मत की. जो भी अपराधबोध आता वो अजय-डॉली को याद करके तिरोहित होने लगा. अचानक मैंने पप्पू को संजू के लिए उठते पाया. थोड़ी सनसनाहट सी हुई. अचानक संजू के नंगे बब्बू याद आये, उनकी चुसाई याद आई तो पप्पू एकदम फार्म में आ गया. ये तो कमाल हो गया. पहली बार गिल्ट की जगह तेज़ कामुकता उठी.
अचानक मोबाइल की रिंग बजी...........मैं चौंक कर वर्तमान में लौट आया. ये ज़रीन का फोन था...
इस वक़्त शाम के ६ बज रहे थे. मैंने कॉल रिसीव किया.
'अभिसार, कहीं मैंने आपको डिस्टर्ब तो नहीं किया.'......वही प्यारी सी आवाज़.
'अरे नहीं नहीं ज़रीन, आपकी आवाज़ सुन कर तो मेरी तबियत फड़क उठी.'
'ऐसा क्या.......अच्छा बताइए, आपको मेरे कॉल आने की उम्मीद थी क्या.'
'सच बताऊँ.............दिन भर इतना बिज़ी रहा कि सोचने का वक़्त ही नहीं मिला.'
'क्या अब भी बिज़ी हैं.'
'अब तो एकदम फ्री हूँ, आप बताइए.'
'अच्छा आप कहाँ पर ठहरे हुए हैं.'
'मैं होटल ग्रेंड हयात में रुका हुआ हूँ.'
'तो चलिए, ठीक सात बजे आपके होटल रिसेप्शन पर मिलते हैं. पहुँचते ही आपको कॉल करुँगी.'
'सच................यू आर मोस्ट वेलकम. ओके बाय.'........मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा.
'बाय, सी यु देन.'...........कहकर फ़ोन कट कर दिया.
मैं उठा और कुछ स्नेक्स आर्डर किये. अब रह रह कर संजू याद आने लगी. उसके शरीर का अंग अंग मेरे जेहन में घूमने लगा. उसके सभी अंग बुरी तरह मसले थे मैंने.
मैं तो ठीक, नीचे मेरे पप्पू ने भी पूरा तन के मुझे बता दिया कि उसे भी संजू की कित्ती याद आ रही है. तभी मेसेज टन बजा. देखा तो संजू का मेसेज है. मैं हैरान हो गया. क्या उसे महसूस हो गया था कि मैं उसको हो याद कर रहा हूं. मेसेज में लिखा था कि अगर आप फ्री हो तो स्काइप पर ऑनलाइन आ जाओ, बात करते हैं.
मेरे पास थोड़ा टाइम था तो मैंने अपना आई-पेड निकला और स्काइप लगा दिया. उसे कॉल किया तो वीडियो पर संजू का खिलखिलाता चेहरा उभरा. लेकिन ये क्या, बेकग्राउंड में तो मेरा कमरा लग रहा है.
मैं: संजू क्या तुम मेरे घर पे हो.
संजू: हाँ. कोई प्राब्लम तो नहीं भैया.
मैं: प्राब्लम तो नहीं पर अचानक कैसे.
संजू: वो कल सुबह सवेरे ही ऋतू और मुझे यहीं बांद्रा में कुछ काम है तो हम कालेज से यहीं आ गए रात रुकने के लिए. आपकी एक चाबी तो ऋतू के पास रहती ही है ना.
मैं: अच्छा ये बात है. पर ऋतू दिखाई नहीं दे रही.
संजू: वो कभी से आपके आलिशान बाथरूम के टब में घुसी है. अगले आधे घंटे तो वो बाहर नहीं ना आने वाली तो सोचा आपसे ही बात करलूं.
मैं थोड़ा परेशान हो उठा क्योंकि ये तो मेरे ही लेपटोप से बात कर रही. उसमें बीसियों पोर्न मूवी लोड है. अभी संजू से तो उतना डर नहीं पर कहीं ऋतू को ना बता दे ये सब.
मैं: मेरे लेपटोप से बात कर रही है ना तू.
संजू: हाँ, पर ये क्यों पूछ रहे हो भैया. हाँ आपसे एक परमिशन लेनी थी. आपके पिक्चर फोल्डर में हमारे टूर की फोटो पड़ी है, क्या मैं फ्लेश ड्राइव में कापी करलूं.
ओ तेरी की. वहीँ तो सारी मूवी पड़ी है.
संजू: और हाँ भैया, कुछ वीडियो भी है हमारे वो भी कर लूं.
उसकी आँखों में शरारत थी, मुझे पक्का डाउट हो चला था कि इसने वो सब देख लिया होगा.
मैं: संजू तू कबसे मेरे लेपटोप को खंगाल रही है.
संजू: क्यों भैया, आपको ऐतराज़ तो नहीं कि बिना आपकी परमिशन के ही आपके लेपी पर बैठ गई.
मैं: अब ऐतराज़ भी होगा तो क्या कर सकता हूं, तू तो आलरेडी ...........
संजू: नहीं भैया, मैंने आपकी किसी भी पर्सनल फ़ाइल को टच नहीं किया है.
मैं: कर भी लिया हो तो अब मैं कर भी क्या सकता हूं.
संजू: अच्छा........कुछ नहीं कर सकते?.......डांट तो सकते ही हो एट लिस्ट.
मैं: अरे तेरे को क्या डाँटना. तू तो मेरी प्यारी प्यारी संजू है.
वो एकदम खुशी से चहक उठी ये सुन कर.
संजू: तो इसका मतलब आप जरा भी नाराज़ नहीं होओगे फिर तो.
मैं: ये फिर तो का क्या मतलब है..............
संजू: देखो भैया, अभी आपने बोला कि डांटोगे नहीं मुझे........कहा था ना.
मैं: हाँ नहीं डांटूगा, पर बात क्या है.
संजू: वो आपकी दो पर्सनल फ़ाइल कॉपी कर ली है........
मैं: कौनसी पर्सनल फ़ाइल.
संजू: वही डांट खाने लायक फ़ाइल. बट भैया आपने प्रोमिस किया है कि नहीं डांटोगे.
मैं: तो तुने वो फोल्डर देख ही लिया.
उसने नज़र नीची कर ली और कुछ ना बोली. फिर हिम्मत करके मेरी ओर देखा मेरी प्रतिक्रिया जानने के लिए. मैं दुविधा में था कि क्या एक्सप्रेशन दूं.
मैं: चल ठीक है पर एक प्रोमिस करना पड़ेगा.
संजू: क्या .....क्या.....हाँ जो भी बोलोगे मुझे मंज़ूर है.........बोलो भैया.
मैं: ऋतू को ये सब कुछ पता नहीं चलना चाहिए. इट्स बिटवीन यू एंड मी, स्ट्रिक्टली.
संजू: भैया में पागल हूं क्या जो उस सती-सावित्री से ये सब शेयर करूँ. आप एकदम निश्चिन्त रहिये. प्रोमिस.
उसकी आँखों में ऐसी चमक आ गई जैसे कोई बड़ी अचीवमेंट कर ली हो.
क्रमशः.....
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