Sunday, August 18, 2013

FUN-MAZA-MASTI परदेस से शुरू हुआ चुदाई का सिलसिला--9

FUN-MAZA-MASTI
 परदेस से शुरू हुआ चुदाई का सिलसिला--9

गतांक से आगे...................
मैं: चल....चल अब कोई और बात कर. तू बहुत नौटी हो चली है आजकल.
संजू: रहने दो भैया. आप कितने ज्यादा नौटी हो ये भला मुझसे ज्यादा कौन जानता होगा.
मैं: वो तो मैं..............अरे ये क्या भूले बिसरे गीत लेकर बैठ गई तू. छोड़ ना.
संजू: अच्छा भैया........आपका होटल का कमरा तो आलिशान नज़र आ रहा है......अकेले ही रहोगे इसमें.
मैं: तो तू क्या समझ रही है......कौन रहने वाला है मेरे साथ इस आलिशान कमरे में.
संजू: मैं क्या जानू भैया. आप ही बताओ कि हू इज देट लक्की.
मैं: तू फिर मेरे कान खींचने लगी है.
संजू: मैं ये मान ही नहीं सकती.
मैं: क्यों क्या मैं तुझे ठरकी नज़र आता हूं.
संजू: आप तो पक्का नहीं हो. पर जो भी आपके संपर्क में आती होगी वो हंड्रेड परसेंट ठरक तो जाती ही होगी.
मैं: ओए......मैं इन सब चक्करों में नहीं हूं.
संजू: क्यों भैया.....आप कैसे बचा लेते है अपने आपको. आखिर आप भी तो इंसान है. आप भी तो कमज़ोर पढ़ सकते हैं. क्या फिर याद दिलाऊं.
मैं: सन्जूऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ.
संजू: आप ही मुझे मजबूर करते हो बार बार. तो चलो बताओ फिर.
मैं: ये क्या ले के बैठ गई तू.......चल अब मुझे किसी से मिलने जाना है........बंद कर अभी.
संजू: ओए होए.......मिलने जाना है......शाम को......बता भी दो भैया अब तो.
मैं: क्या पागलपन है ये संजू.
संजू: अरे मुझसे क्या शर्माना भैया. जब शर्म आनी चाहिए थी तब तो आई नहीं. ये तो मामूली सी बात है.........चलो चलो बताओ. ऋतू को कुछ पता नहीं चलेगा. मेरे पे भरोसा कर के तो देखो भाई.
मैं: वो.........वो.......प्लेन में एक दोस्त बन गई थी. उसी के साथ डिनर पे जा रहा हूं. बस बाकि कोई ऐसी वैसी बात नहीं है.
संजू: हाउ रोमांटिक.........आप मज़े से जाओ डिनर पे भाई.........और मान लिया कि आपका कोई प्लान नहीं ऐसा वैसा. तो ठीक है.....आप वापिस होटल आओ फिर हम दो-तीन घंटे ऑनलाइन बात करते हैं.....ऋतू को भी बोल दूँगी सोना मत.....भैया से बात करेंगे.
मैं: तुझे आज क्या हो गया है संजू. क्यों खामखाँ............
संजू: बात मत पलटो भैया.........अच्छा चलो समझ गई मैं.......बेस्ट ऑफ लक फार द डिनर एंड देन फार द डेश डेश डेश.

और वो हँसने लगी...................मैं एम्ब्रेस फील करने लगा. वो मेरी हालत समझ गई.

संजू: चलो चलो ........ कल मिस काल दूँगी....फिर बताना.......कि हाउ वाज द नाईट.....बाय.

और मेरा जवाब सुने बगैर उसने काट दिया. मैं घड़ी देखी और फिर तुरंत तैयार होकर नीचे रिसेप्शन पर पहुँच गया.

वहाँ कर मैं ज़रीन को चारो ओर ढूंढने लगा.

तभी देखा कि सामने से एक खालिस अरेबियन ब्यूटी मुस्कुराती हुई मेरी ओर बढ़ रही थी.

हाँ ये तो ज़रीन ही है, पर अभी तो ये क्या झकास लग रही है.

पास आकर वो बड़ी ही गर्मजोशी से मिली. मैं उसे ऊपर से नीचे तक बस देखे ही जा रहा था.

'ऐसे क्या देख रहे हो.'.......वो थोडा शरमाते हुए बोली.

'माय गौड, तुम तो किसी हीरोइन से कम नहीं लग रही हो. और ये साड़ी तो, माशाअल्लाह, तुम पर खूब फब रही है. आई ऍम टोटली फ्लेट.'

उसने लजाते हुए चेहरा नीचे किया और फिर मेरा हाथ पकड़ कर बाहर ले जाने लगी.......'चलो आओ मेरे साथ.'

'कहाँ जा रहे हैं.'......मैंने पूछा.

'सरप्राइज़........अरे तुम चलो तो. वैसे एक बात कहूँ, तुम भी कुछ काम नहीं लग रहे हो. यू आर टू हेंडसम एंड हॉट.'.......कहते हुए वो मुझे बाहर ले गई और फिर एक टेक्सी को रोक कर हम उसमे बैठ गए.

ये क्या सरप्राइज़ देने वाली है.......मेरे से इम्प्रेस तो है.......सुबह की सहानुभूति भी है.......तो क्या, आज रात बात बन सकती है क्या........अब सरप्राइज़ का और क्या मतलब हो सकता है!

'क्या सोच में डूब गए मिस्टर इंडिया.'...........उसने अपनी हथेली और उँगलियों से मेरी जांघ को दबाते हुए पूछा.

'आं बस यूँ ही, सुबह वाला किस्सा याद आ गया था.'

'हे अभि, वो तो गुज़रा हुआ पास्ट हो गया है. इस वक़्त हम दोनों एकसाथ हैं, तो तुम मेरे पास ही रहो.'........कहते हुए उसने अपने हाथों में मेरा हाथ थमा और सहलाने लगी.

'ज़रीन, तुम बहुत ही अच्छी हो. मन से भी उतनी ही सुन्दर हो.'

'ये सुनते ही उसने मेरी हथेली को घुमा कर अपने होंठ उसपर रख दिए और उसे चूमती चली गई. फिर नज़र उठा कर बोली......'सेम टू यू अभि.'

मैं सोचते हुए बोला......’ज़रीन, लगता है जैसे मैं तुम्हे बरसों से जानता हूँ. बहुत ही अपनी सी लगने लगी हो. कभी कभी तो मुझे ऐसा भी लगता है कि हम पहले भी मिले हैं कभी.’

तभी टेक्सी एक इंडियन रेस्तरां के सामने रुकी. हम अन्दर चले गए. हमने कई तरह के स्नेक्स खाए. हम अपने बारे में एक दुसरे को बता रहे थे.

हलकी फुल्की बातें करते करते एक घंटा बीत गया. चलो शायद अब सरप्राइज़ आएगा.

फिर वो मुझे आइसक्रीम खिलाने ले गई. फिर हम पैदल ही काफी दूर तक टहलते रहे. वो मुझे अपनी फ्लाईट के मजेदार रोचक किस्से सुना रही थी. ऐसे ही नौ बज गए.

मैं तो लगभग बोर सा हो गया. इतनी कातिल हसीना मेरे साथ है और सेक्स तो क्या, रोमांस की भी कोई बात नहीं हो रही. कहीं ये ही सरप्राइज़ न निकाल जाये कि खोदा पहाड़ और निकली चुहिया.

अब मेरी बेसब्री बढती जा रही थी परन्तु उससे कुछ भी पूछने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी. मेरे चेहरे से अब थोड़ी थोड़ी मायूसी झलक रही थी.

'यार शायद तुम बोर होने लगे हो, चलो यहाँ से चलते हैं अब.'.......ये कहकर उसने एक टेक्सी रोकी. उसने होटल अटलांटिस जाने का निर्देश दिया.

'हम वहां क्यों जा रहे हैं.'

'वहां बड़ी ही सुन्दर लॉबी है, वहां चल कर गपशप करेंगे.'............वो बोली.

तीन घंटे से साथ हैं, अभी तक बस जरा सा टचिंग टचिंग ही हुआ है.........ये भला कैसा सरप्राइज़ है.......मेरा मुंह लटक गया.

वो थोड़ी मेरी और घूम गई और अपनी ऊँगली से मेरा चेहरा ऊपर उठाते हुए बोली.........'एईइय.......क्या हुआ यार तुम्हे.......जरा भी खुश नहीं दिख रहे हो..'

मैं उसकी आँखों में देख कर बोला .....'नहीं ऐसा तो कुछ भी नहीं है.'......और फिर बाहर देखने लगा.

'तो इतने चुप चुप से क्यों हो........चलो मेरी तरफ देखो'.............कहते हुए उसने मेरा चेहरा घुमा लिया.

अब हम दोनों एक दुसरे की आँखों में देखते देखते खो गए. तभी टेक्सी अटलांटिस होटल के पोर्च में रुकी. हम लोग लॉबी में पहुँच कर एक कोने में जाकर बैठ गए.

'तुम क्या सरप्राइज़ की बात कर रही थी, ज़रीन.'......अब मैं सीधे पॉइंट पर ही आ गया.

'सरप्राइज़ ये है अभि, कि सुबह ४ बजे मेरी दोहा की फ्लाईट में ड्यूटी है, और मुझे १५ मिनट में निकलना होगा.'.......वाकई मुझे सरप्राइज़ दे दिया उसने.

मैं मायूस हो गया और बोला.......'तो फिर हम यहाँ क्यों आये हैं,.....चलो अब मैं निकलता हूँ होटल के लिए और तुम भी जाओ.'

'आई ऍम सॉरी अभि, काम तो करना ही पड़ेगा ना. पर जरा रुको, असली सरप्राइज़ तो बाकी है अभी.'.....वो बोली.

'क्या बचा है अब, तुम तो जा रही हो.'.......मैंने उसे देख कर बोला तो वो फिर मुस्कुराने लगी.

अरे तुम सुनो तो जरा........................

मैंने तुम्हारे लिए एक अल्टरनेट अरेंजमेंट करके रखा है. मेरी एक बेस्ट फ्रेंड है वो आज रात तुम्हारा साथ देने के लिए राज़ी हो गई है. वो बहुत ही अच्छी है और आई ऍम श्योर कि तुम निराश नहीं होओगे. वो यहीं ठहरी हुई है इसीलिए हम यहाँ आये हैं.'......अब उसने अपना छुपा हुआ पत्ता खोला.

'लेकिन......मैं तो बस तुम्हारे ही साथ.................' और उसने मेरी बात काट दी.

'लेकिन वेकिन कुछ नहीं.......बिलीव मी, शी इज फेंटास्टिक सो तुम बहुत एन्जॉय करोगे. मैं तो कल तुम्हे मिल ही जाउंगी लेकिन आज तो ये मेरी प्यारी डार्लिंग तो तुम्हे बोनस में मिल रही है. तो ये बोनस को भी झपट लो.....और आज रात के लिए मुझे माफ कर दो............ प्लीईईईईईईइज़.' .........इस तरह बड़े प्यार से आखिर उसने मुझे मना ही लिया.

'अभि, बस एक छोटी सी प्रॉब्लम है. उसने कभी भी किसी अजनबी के साथ नहीं किया है तो तुम्हारे सामने वो अपनी आइडेन्टिटी डिसक्लोज नहीं करेगी. कमरे में अँधेरा रहेगा और वो बोलेगी भी बस फुसफुसा कर.. आई होप तुम माइंड नहीं करोगे ये.'

‘ज़रीन, इस तरह से कैसे काम चलेगा.’......मैंने शंका जाहिर की.

‘अरे सब अपने आप होगा, तुम उसकी चिंता छोडो. मेरी दोस्त बहुत अच्छी है और वो तुम्हे भरपूर मज़े देगी, डोंट वरी यार......चलो अब चलते हैं.’...........कहकर वो मुझे लिफ्ट से अपनी दोस्त के कमरे की ओर ले जाने लगी.

इस बीच उसने फोन पर उसकी दोस्त से बात की जो अरबी में होने के कारण मेरे सर के ऊपर से चली गई.

उसके रूम के सामने पहुंचकर घंटी बजाई. धीरे से दरवाज़ा खुला और हम दोनों अँधेरे कमरे में दाखिल हुए.

उसकी दोस्त ने ज़रीन का हाथ थामा और ज़रीन ने मेरा...........और फिर हम बेडरूम में पहुँच गए.

अंदर सोफे पर ज़रीन बीच में बैठ गई और हम दोनों आजू-बाजू.

उसने हम दोनों को इंट्रोड्यूस करवाया.

‘सुनो अभि,........ यार मुझे जल्दी है इसलिए निकलूंगी मैं. तब तक तुम जाओ फटाफट नहाओ लो.’.......ज़रीन बोली.

फिर वो मुझे मोबाइल की रौशनी में बाथरूम तक ले गई. अंदर रौशनी थी.

नहाते नहाते मुझे ज़रीन की आवाज़ आई कि वो जा रही है, कल मिलेगी और फिर बेस्ट ऑफ लक बोल कर निकल गई.

मैं जल्द ही बाथ-गाउन पहन कर बाहर आ गया.

अँधेरे में धीरे धीरे चल कर बेड तक आया और बोला.........’तुम कहाँ हो, मैं यहाँ बेड पर आ गया हूँ.’

वो टटोल कर आई और ठीक मेरे पास बैठी और फुसफुसा के बोली ..................’व्हेहेहेल्कम’.

मैंने अपने दोनों हाथ उसके कन्धों पर रख दिए. उसने महीन रेशमी नाईटी पहन रखी थी. वो सिकुड़ सी गई. हुगो बॉस के परफ्यूम की बेहतरीन खुशबू उसकी बॉडी आरोमा में मिक्स होकर मुझे किसी और ही दुनिया में ले जा रही थी.

उसने अपने कोमल हाथों को मेरी कलाइयों पर रख दिया. मखमली अहसास से मेरे रोंये खड़े हो गए.

‘यार मुझे तुम्हारा नाम तो पता नहीं है.....तुम्हे अगर कोई ऐतराज़ ना हो तो मैं अपनी पसंद का कोई नाम रख लूं.’............मैंने पूछा.

उसने अपना मुंह मेरे कान के नज़दीक लाते हुए गर्म सांस छोड़ी और फुसफुसाई........’रख्ह्ह्ह्ह्ह्
ह्ह लो.’......मुझे कान पर झुरझुरी सी महसूस हुई.

‘आयशा कैसा रहेगा’.............

‘बहुत अच्छा है......आयशा तुम्हारी गर्ल फ्रेंड है क्या.’........... इस बार अपना मुंह लगभग मेरे कान पर रगड़ते हुए बोली. मैंने सिकुड़ कर कान उसके मुंह पर रगड़ दिया.

‘गर्ल फ्रेंड नहीं है. ये तो हमारे यहाँ की एक बहुत ही सेक्सी और हॉट हीरोइन का नाम है.’.......मैं उसकी जुल्फों की शानदार महक लेते हुए बोला.

‘अच्छा तो तुम उसकी फेंटेसी करते हो.’........वो फिर कान में घुसते हुए फुसफुसाई.

‘नहीं यार.......दरअसल आज सुबह की फ्लाईट में मेरे साथ एक चोट हो गई थी. इसीलिए ये नाम चुना.’

‘मुझे भी तो बताओ कि क्या हुआ था.’

‘बाद में बताऊंगा. अभी क्यों वक्त बर्बाद करें.’

‘बताओ ना, थोड़ी बातचीत करेंगे तो ट्यूनिंग अच्छी सेट हो जायेगी हमारी.’....... इस बार उसने कान की लटकन को होंठो से चुभलाया. मैंने अपने हाथ से मसल कर सनसनाहट को मिटाया.

और फिर पूरी घटना को वर्ड टू वर्ड सुना कर चुप हुआ तो उससे हंसी दबाते दबाते भी कंट्रोल नहीं हो पाई.
क्रमशः.....




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