मेरा नाम मानसी हैं. मैं 24 साल की हूँ. मुंबई के एक मशहूर और बहुत राईस
परिवार में मेरी 6 साल पहले शादी हुई. मेरे घर में मेरे ससुर जो 66 साल
के हैं, मेरे पति जो 44 साल के हैं और मेरा सौतेला बेटा जो अब 17 साल का
हैं रहतें हैं. नौकर चाकर तो इतने हैं कि मैं गिनने की कोशिश भी नहीं
करती. मेरे पति का नाम देश के टॉप राईसो मैं आता है.
में दिखने में बहुत ही गोरी और क्यूट हूँ. लोग कहते है कि में बिल्कुल
कटरीना कैफ़ जैसी दिखती हूँ. मेरा फिगर भी एक मॉडेल की तरह सेक्सी हैं.
मेरे बूब्स बड़े हैं और मेरी कमर पतली. में अपने फिगर का बहुत ख़याल रखती
हूँ और हर रोज़ एक घंटा उसको मेनटेन करने के लिए एक्सर्साइज़ करती हूँ.
मुझे बचपन से ही मेरी सुंदरता पे नाज़ रहा हैं. सारे लड़के मुझ पे मरते
थे और मुझ से बातें करने की कोशिश करते थे. मेरी मा ने मुझे बचपन से सीखा
के रखा था कि 'किसी भी लड़के के चक्कर में मत पड़ना, तू इतनी सुंदर है कि
बड़ी होकर तुझे बहुत अछा और राईस पति में ढूंड के दूँगी. मेरी बात याद
रखना बेटी. यह सेक्स वेक्स से शादी से पहले दूर ही रहना. यह सेक्स एक
गहरी खाई की तरह हैं. अगर इस में गिरगी तो गिरती ही चली जाऊगी'. मुझे
अपने आप पर पूरा विश्वास था. में अपने मा से कहती 'फिकर मत करो मा.
तुम्हारी बेटी बहुत स्ट्रॉंग हैं. मेरे मनोबल को कोई नही तोड़ सकता' . उस
वक़्त मुझे वासना की ताक़त का अंदाज़ा नही था. आज जब मैं उस समय के बारे
में सोचती हूँ तो लगता हैं कि कितनी बेवकूफ़ थी में. मेरी मा की सलाह कोई
आम लड़की के लिए ठीक होगी लेकिन में आम लड़कियों के जैसे नही हूँ. में
सेक्स की पुजारन हूँ. मेरा ज़िंदगी का एक ही मकसद हैं और वो हैं चुदाई.
यह कहानी तब से शुरू होती हैं जब मैं 16 साल की थी और 10थ क्लास में
पढ़ती थी. मैं एक अमीर घर में बड़ी हुई थी. मेरे घर में सिर्फ़ मैं और
मेरी मा थे. पिताजी का स्वरगवास कई साल पहले हो चुक्का था. पढ़ाई में ठीक
ठाक ही थी लेकिन मेरी मा की तरह दुनियादारी के मामले काफ़ी होशियार थी.
उस वक़्त सारी लड़कियों की तरह मुझे भी सेक्स मैं बहुत इंटेरेस्ट था पर
में अपनी मा की सलाह मानते हुए लड़को से दूर ही रहती थी. मेरी सारी सहेली
कहती थी की मेरा फिगर बहुत ही सेक्सी हैं. मेरे बड़े बूब्स और पतली कमर
काफ़ी लड़को को पागल कर रहा था पर मेने मेरी मा की बात मान कर ठान लिया
था के शादी से पहले में लड़को के चक्कर में नहीं पाड़ूँगी. मेरी सारी
सहेली अपनी अपनी चुदाई की बातें करती थी. दो लड़कियाँ ने तो अपने बाप के
साथ भी चुदाई का मज़ा लिया था. उनकी बातें सुनकर मुझे बहुत जलन होती थी.
में उन सबसे से कई ज़्यादा सेक्सी थी फिर भी में ने आज तक किसी लड़के को
कपड़े बिना नही देखा था. मुझे कई बार अपनी सहेली के सेक्स के किस्से सुन
कर बहुत सेक्स चढ़ जाता. ऐसे मोके पे में अपने आप को अपनी उंगलियाँ से
संतुष्ट कर लेती. पर में जानती थी के जो मज़ा किसी मर्द के लॉड से मिल
सकता हैं वो उंगलियों से कभी नही मिल सकता हैं. मैं कई बार सारी सारी रात
सेक्स के बारे में सोच कर अपनी चूत से खेलती रहती लेकिन हमेशा मन मे यह
बात रखती की कुछ भी हो जाए शादी से पहले में किसी लड़के को हाथ नहीं
लगाने दूँगी और अपने होने वाले पति के लिए बिल्कुल कुँवारी रहूंगी.
एक दिन में स्कूल से निकल कर घर जा रही थी. मुझे बहुत ही जोरो से मूत लगी
थी. मुझे स्कूल के मूत्रालय में जाना अछा नही लगता था क्यों कि वहाँ बहुत
बदबू आती थी. मेने सोचा कि स्कूल के बगल में ही पब्लिक टाय्लेट था में
वाहा मूत लूँगी. वाहा जाने पर पता चला कि लॅडीस टाय्लेट पे ताला लगा था.
मुझसे अब रुका नही जा रहा था. मेने सोचा क्यों ना जेंट मूत्रालय में मूत
लूँ अगर कोई अंदर ना हो तो किसी को पता नही चले गा. मेने जेंट्स मूत्रालय
के पास जा कर उसका दरवाज़ा खोल दिया. वहाँ अंदर काफ़ी अंधेरा था और में 1
मीं. तक दरवाज़े पर ही खड़ी रही. धीरे धीरे मुझे दिखाई देने लगा. अंदर
सामने तीन टाय्लेट थे. तीन मैं से एक कोने वाला टाय्लेट बंद था और उसके
अंदर से कुछ अजीब सी आवाज़ आ रही थी. मुझे और कोई नज़र नही आया तो मैने 2
कदम अंदर बढ़ा लिए. अंदर जाने पे पता चला के दूसरे कोने में एक और आदमी
मूत रहा था, उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और वो हस्ते हुए बोला 'कुछ चाहिए
बेबी?'
यह कह हर वो मेरी तरफ मूड गया. मेरी नज़र उसके लंड पे गिरी जो उसके पॅंट
के ज़िप से बाहर लटक रहा था. वो आदमी लगभग 50 साल की उमर का होगा और
दिखने में मुझे कादर ख़ान जैसा लग रहा था. उस आदमी का लंड खड़ा नही था पर
फिर भी इतना बड़ा था कि मुझे यकीन नही हुआ. मैने आज तक किसी आदमी का लंड
नहीं देखा था. में डर गयी और डर के मारे भाग के बीच वाले टाय्लेट में जा
कर दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया.
अंदर जा कर में चुप चाप 2 मिनिट खड़ी रही. फिर में ने मूत लिया. मुझे
बाजू वाले टाय्लेट की आवाज़ अब सॉफ सुनाई दे रही थी. ऐसा लग रहा था कि
कोई चीखने की कोशिश कर रहा हो पर उसका मूह किसी ने दबा के रखा हो. मैने
देखा कि टाय्लेट के साइड में कई बड़े छेद थे. में अपने हाथ और घुटनो के
बल कुत्ति की तरह ज़मीन पर बैठ कर आपनी आँखे ऐसे ही एक छेद पर लगा कर
बाजू की टाय्लेट के अंदर का नज़ारा देखने लगी. अंदर मैने जो देखा वो देख
कर मेरे होश उड़ गये. मेने देखा की अंदर एक लड़का जो मेरी क्लास में
पढ़ता है और लगभग मेरी ही उमर का होगा, अपने घुटनो तले ज़मीन पर बैठा था.
लड़के का नाम विवेक था. उसके सामने हमारा स्पोर्ट्स का टीचर जो एक बड़ा
काला सा मोटा आदमी हैं अपने लंड को उसके मूह में घुसेडे हुए था. विवेक एक
दम ही गोरा और चिकना था और पूरा नंगा था. मेने देखा कि उसका का छोटा सा
लंड खड़ा था. वो अपने हाथो से टीचर को दूर धकेलने की कोशिश कर रहा था.
लेकिन टीचर ने अपने दोनो हाथ लड़के के सर पे रख के उसके सर को अपने लंड
की ओर खीच लिया था और पूरा लंड उसके मूह में घुसेडे हुआ था. दो मिनिट बाद
किसी तरह से विवेक ने अपना मूह टीचर के लंड से दूर किया. जब स्पोर्ट्स
टीचर का लंड उसके के मूह से निकला तो में दंग रह गयी. वो लगभग 8" लंबा
होगा और मोटा भी बहुत था और एकदम काला था. मुझे यकीन नही हो रहा था कि
इतना बड़ा लंड उस लड़के के मूह में समा केसे गया. विवेक अब ख़ास रहा था.
इतना बड़ा लंड मूह में लेकर उसका हाल बहाल हो गया था. उसने कहा 'बस अब और
नही होगा टीचर जी'. टीचर ने कहा 'साले मदारचोड़ चुप चाप मेरा लंड चूस
वरना तुझे फैल कर दूँगा'. लड़के ने उपर देखते कहा 'नही टीचर मुते फैल कर
दोगे तो ....'. लड़के की बात पूरी होने से पहले ही टीचर ने अपना लंड उसके
मूह मे फिरसे डाल दिया. टीचर ने फिर से उसके सर को अपने हाथो से पकड़ा और
अपना लंड उसके मूह में अंदर बाहर करने लगा. मुझे विवेक का खड़ा लंड देख
कर लग रहा था कि शायद लड़के को भी मज़ा आ रहा था.
मुझे ये सारा नज़ारा देख कर बहुत मज़ा आ रहा था. मैने आज तक किसी भी आदमी
का लंड नही देखा था. और अब मेरे सामने दो लंड थे. मेरे बदन में एक गर्मी
सी छा गई थी. हैरत की बात तो मुझे ये लगी की विवेक से ज़्यादा मुझे वो
काले टीचर का बड़ा लंड अच्छा लग रहा था. मेरी नज़र वो मोटे लंड से हट नही
पा रही थी. में मन ही मन में सोच रही थी कि काश मुझे वो काला लंड चूसने
को मिल जाए. में वाहा टाय्लेट में कुत्ति की तरह ज़मीन पर बैठी थी. मेरी
पॅंटी पूरी गीली हो गयी थी. मैने अपनी स्कर्ट उपर कर ली और पॅंटी उतार
दी. मेने एक हाथ से अपने चूत को सहलाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ की
उंगली को अपने गांद के छेद पे फिराने लगी. मुझे ये बिलकूल खबर नही थी कि
जिस तरह में बाजू की टाय्लेट में झाक रही थी वैसे हे तीसरी टाय्लेट के
छेद से मुझे कोई झाक रहा था. जिस आदमी ने मूत्रालय में आते ही मुझे आपना
लंड दिखाया था वो मेरे पीछे मेरे बाजू के टाय्लेट में घुस गया था. उसे
पता था की टाय्लेट के बीच में छेद हैं. अब उसे जो नज़ारा दिख रहा था वो
उससे पागल हो रहा था. उसके सामने में घूम के पॅंटी निकाल के बैठी थी,
मेरी चिकनी, गोरी गांद और चूत उसे साफ दिखाई दे रही थी. वो देख रहा था कि
में अपनी चूत में दो उंगली डाल के ज़ोर से अंदर बाहर कर रही थी और अपनी
गांद के छेद पे उंगली घुमा रही थी. उसका लंड खड़ा हो गया और वो उसे
सहलाने लगा.
यहाँ टीचर और तेज़ी से विवेक का मूह चोद रहा था. विवेक भी अपना लंड ज़ोर
से हिला रहा था. दो मिनिट मे टीचर ज़ोर से आवाज़ करने लगा 'आआआआआअहह,
आआआआआआः' और पागल की तरह बहुत तेज़ी से लड़के के मूह में आपना लंड अंदर
बाहर करने लगा. विवेक का बुरा हाल था. मैं अपने आप को झरने के करीब पा
रही थी और ज़ॉरो से अपनी उंगलियाँ चूत के अंदर बाहर करने लगी. टीचर झड़ने
के बहुत करीब था. 'साले . के आआआअहह... आआआआआआः पी जा मेरा पानी आआअहह'
टीचर ने यह कहते अपना सारा पानी लड़के के मूह मे निकालना शुरू कर दिया.
टीचर के साथ में भी अब झार रही थी. लड़के के लंड से भी फुवरे के जैसे
पानी निकल रहा था. टीचर के लंड से इतना विर्य निकला के लड़का पूरा पी नही
पाया और कुछ पानी उसके मूह के साइड से निकल कर नीचे बहने लगा. यह देख
मेरा झरना और तीव्र हो गया. टीचर का झार ना ख़तम हो गया था पर उसने थोड़ी
और देर तक अपना पूरा लंड लड़के के मूह में ही रखा. जब उसका लंड पूरा बैठ
गया तब उसने उसको निकाला. उसका बैठा हुआ काला लंड भी बहुत बड़ा था और
वीर्य और विवेक की थूक से चमक रहा था. लड़का नीचे देख कर ज़ोर ज़ोर से
साँसे ले रहा था और खास रहा था. टीचर के काले लंड ने उसकी हालत बूरी कर
दी थी. टीचर के मोटे लंड पे काफ़ी सफेद वीर्य अभी भी चिपका हुआ था. टीचर
ने विवेक से कहा 'मेरा लंड कौन साफ करेगा ? तेरा बाप. चल इसको ठीक से चाट
कर साफ कर'. लड़का उस काले लंड को पकड़ अपनी जीब निकाल के चाटने लगा और
पूरा वीर्य लंड से साफ कर दिया. टीचर ने अब उसका हाथ हटा के पॅंट पहेनना
शुरू किया और कहा 'कल इसी वक़्त यहाँ मिलना. कल में तेरी गांद मारूँगा'
यह कह कर टीचर बाहर चला गया. लड़का भी अपने कपड़े पहन के वहाँ से चला
गया.
वो दोनो चले गये थे पर मेरी बदन की आग अभी भी भड़की हुई थी. में टाय्लेट
के ज़मीन पे लेट गयी. मेने अपने टॉप के उपर से ही एक हाथ से अपने बूब्स
को दबा दबा कर उंगलियों से निपल को खीच रही थी. दूसरे हाथ से में अपनी
चूत में दो उंगलियों डाल कर अंदर बाहर कर रही थी. मेरी मूह से सिसकियारी
निकल रही थी 'उम्म्म्ममम.... आआहह'. वो काला लंड मेरे दिल और दिमाग़ पर
छा गया था.
तब अचानक मैने आवाज़ सुनी 'मज़ा आ रहा है बेबी ?'. मेने आँख उठा कर देखा
तो मुझे पता चला कि टाय्लेट के दूसरी साइड पे भी कई छेद थे और वैसे ही एक
छेद से मुझे उस आदमी की आँखे दिखाई दी. में एक सेकेंड के लिए डर गयी खड़ी
हो गयी. 'डरो मत बेबी, तुम इतनी गरम हो गयी हो मेरे पास तुम्हे ठंडा करने
के लिए कुछ हैं' ऐसा कह कर उसने अपना लंड एक छेद में डाल दिया. उसका लंड
भी वो काले टीचर की तरह मोटा और लंबा था.
'यह लो बेबी तुम अपनी चूत के साथ साथ इस से भी खेलो. तुम्हे और मज़ा
आएगा'. में तो वो लंड को देख के पागल सी हो गयी. मेरा सिर चकराना शुरू हो
गया. मेरा सारा बदन एकदम गरम सा हो गया था. में लंड को छूना चाहती थी पर
डर भी बहुत लग रहा था. मेरा दिमाग़ मुझसे कह रहा था कि में वहाँ से भाग
कर घर चली जाउ पर मेरी नज़र उस लंड से नही हट रही थी. मैने अपने आप से
कहा कि 'ऐसा तो नही कि मैं किसी लंड से चुदवा रही हूँ. इस लंड से थोड़ा
खेल लूँ फिर भी मैं कुँवारी ही रहूंगी'. एक बड़े लंड को अपने इतने करीब
पा कर में अपनी मा की सलाह को बिल्कुल भूल गयी और धीरे से अपना हाथ उस
लंड की तरफ बढ़ाने लगी. मुझे तब यह नही पता था कि जिस गहरी खाई से मेरी
मा दूर रहने को कहती थी मैं उसी में कूदने जा रही थी. और एक बार कूदने के
बाद में गिरती चली जाउन्गि.
मेरा हाथ मैने धीरे से बढ़ा कर वो लंड पे रख दिया. वो लंड गरम था और कड़क
भी और मेरे हाथो में थोड़े हल्के से झटके खा रहा था. मेरे छूते ही उस
आदमी के मूह से आवाज़ निकल गयी 'आआआहह... क्या मुलायम हाथ है तुम्हारा
बेबी. इसे पकड़ कर थोड़ा हिलाओ'. मुझे यह पता था कि लड़के अपने लंड को
हिलाते हैं, पर यह नहीं पता था कि कैसे हिलाना चाहिए लंड को. मैने लंड को
पकड़ लिया और लंड को उपर नीचे करने लगी.
'ऐसे नहीं करते बेबी. हाथ को आगे पीछे करो उपर नीचे नहीं.' मैने हाथ आगे
पीछे करना शुरू कर दिया. हाथ पीछे करने से लंड की चमड़ी पीछे हो गयी और
लंड का गुलाबी हिस्सा मुझे दिखाई दे रहा था. मेरा जी कर रहा था कि में
उसे मेरे होंठो के बीच में ले लू और अपनी जीब से उसे चाटू, मेरे मूह में
पानी आ गया. लेकिन में काफ़ी डरी हुई भी थी. मैने हिलाना ज़ारी रखा.
'वेरी गुड बेबी आआआअहह.... तुम तो बिल्कुल कटरीना कैफ़ जैसे दिखती हो
बेबी. मेरी तरफ़ ज़रा देखो. शरमाओ मत'. मुझे बहुत शरम आ रही थी और डर भी
बहुत लग रहा था लेकिन मेने हिम्मत कर के अपनी आँखे लंड पे से ले कर उस
आदमी की आँखों से मिला ली और हिलाते रही.
क्रमशः..........
Sex ki pujaaran part 1
Mera naam Maansi hain. Main 24 saal ki hoon. Mumbai ke ek mashoor aur
bahut rayeez parivar mein meri 6 saal pehle shaadi hui. Mere ghar mein
mere sasur jo 66 saal ke hain, mere pati jo 44 saal ke hain aur mera
sautela beta jo ab 17 saal ka hain rehtein hain. Naukar chaakar to
itne hain ki main ginne ki koshish bhi nahin karti. Mere pati ka naam
desh ke top rayeezon main aata hai.
Mein dikhne mein bahut hi gori aur cute hoon. Log kehte hai ki mein
bilkul Katrina Kaif jaisi dikhti hoon. Mera figure bhi ek model ki
tarah sexy hain. Mere boobs bade hain aur meri kamar patli. Mein apne
figure ka bahut khayal rakhti hoon aur har roz ek ghanta usko maintain
karne ke liye exercise karti hoon. Mujhe bachpan se hi meri sundarta
pe naaz raha hain. Saare ladke mujh pe marte the aur mujh se baatein
karne ki koshish karte the. Meri maa ne mujhe bachpan se sikha ke
rakha tha ki 'kissi bhi ladke ke chakkar mein mat panda, tu itni
sundar hai ki badi hokar tujhe bahut acha aur rayeez pati mein doondh
ke doongi. Meri baat yaad rakhna beti. Yeh sex vex se shaadi se pehle
door hi rehna. Yeh sex ek ghari khai ki tarah hain. Agar is mein
girogi to girti hi chali jaoogi'. Mujhe apne aap par poora vishwas
tha. Mein apne maa se kehti 'phikar mat karo maa. Tumhari beti bahut
strong hain. Mere manobal ko koi nahi tod sakta' . Us waqt mujhe
vaasna ki taqat ka andaaza nahi tha. Aaj jab main us samay ke bare
mein sochti hoon to lagta hain ki kitni bewakoof thi mein. Meri maa ki
salah koi aam ladki ke liye thik hogi lekin mein aam ladkiyon ke jaise
nahi hoon. Mein sex ki pujaran hoon. Mera zindagi ka ek hi maksad hain
aur woh hain chudai.
Yeh kahani tab se shuru hoti hain jab main 16 saal ki thi aur 10th
class mein padthi thi. Main ek ameer ghar mein badi hui thi. Mere ghar
mein sirf main aur meri maa the. Pitaaji ka swargvaas kai saal pehle
ho chukka tha. Padhai mein thik thak hi thi lekin meri maa ki tarah
duniyadaari ke mamle kafi hoshiyar thi. Us waqt sari ladkiyon ki tarah
mujhe bhi sex main bahut interest tha par mein apni maa ki salah
maante hue ladko se door hi rathi thi. Meri sari saheli kehti thi ki
mera figure bahut hi sexy hain. Mere bade boobs aur patli kamar kafi
ladko ko pagal kar raha tha par mene meri maa ki baat maan kar than
liya tha ke shaadi se pehle mein ladko ke chakkar mein nahin padoongi.
Meri saari saheli apni apni chudai ki baatein karti thi. Do ladkiyan
ne to apne baap ke saath bhi chudai ka maza liya tha. Unki baatein
sunkar mujhe bahut jalan hoti thi. Mein un sabse se kai jyada sexy thi
phir bhi mein ne aaj tak kisi ladke ko kapde bina nahi dekha tha.
Mujhe kai baar apni saheli ke sex ke kisse sun kar bahut sex chad
jata. Aise moke pe mein apne aap ko apni ungliyan se santusht kar
leti. Par mein jaanti thi ke jo maza kisi mard ke laude se mil sakta
hain woh ungliyon se kabhi nahi mil sakta hain. Main kai baar sari
sari raat sex ke bare mein soch kar apni chut se khelti rehti lekin
hamesha man me yeh bat rakhti ki kuch bhi ho jai shaadi se pehle mein
kisi ladke ko haath nahin lagane doongi aur apne hone wale pati ke
liye bilkul kunwari rahoongi.
Ek din mein school se nikal kar ghar ja rahi thi. Mujhe bahut hi zooro
se mut lagi thi. Mujhe school ke mutralay mein jana acha nahi lagta
tha kyon ki wahan bahut badbu aati thi. Meine socha ki school ke bagal
mein hi public toilet tha mein waha mut loongi. Waha jaane par pata
chala ki ladies toilet pe tala laga tha. Mujse ab ruka nahi ja raha
tha. Meine socha kyon no gent mutralay mein mut loon agar koi andar na
ho to kisse pata nahi chale ga. Meine gents mutralay ke pas ja kar
uska darvaza khol diya. Wahan andar kafi andhera tha aur mein 1 min.
tak darvaze par hi khadi rahi. Dheere dheere mujhe dikhai dene laga.
Ander saamne teen toilet the. Teen main se ek kone wala toilet band
tha aur uske andar se kuch ajeeb si aavaz aa rahi thi. Mujhe aur koi
nazar nahi aaya to maine 2 kadam andar badha liye. Andar jaane pe pata
chala ke doosre kone mein ek aur aadmi mut raha tha, uski nazar mujh
par padi aur woh haste hue bola 'kuch chaiye baby?'
Yeh keh har woh meri taraf mud gaya. Meri nazar uske lund pe giri jo
useke pant ke zip se bahar latak raha tha. Woh aadmi lagbhag 50 saal
ki umar ka hoga aur dikhne mein mujhe Kaadar Khan jaisa lag raha tha.
Us aadmi ka lund khada nahi tha par phir bhi itna bada tha ki mujhe
yakeen nahi hua. Maine aaj tak kissi aadmi ka lund nahin dekha tha.
Mein dar gayi aur dar ke mare bhaag ke bich vale toilet mein jaa kar
darwaza ander se band kar diya.
Andar ja kar mein chup chaap 2 minute khadi rahi. Phir mein ne mut
liya. Mujhe baju vale toilet ki aavaaz ab saaf sunai de rahi thi. Aisa
lag raha tha ki koi chikhney ki koshish kar raha ho par uska muh kisi
ne daba ke rakha ho. Maine dekha ki toilet ke side mein kai bade ched
the. Mein apne haath aur ghutnoon ke bal kutti ki tarah zammeen par
baith kar aapni aankhe aisey hi ek ched par laga kar baju ki toilet ke
andar ka nazara dekhne lagi. Andar maine jo dekha woh dekh kar mere
hosh ud gaye. Meine dekha ki andar ek ladka jo meri class mein padhta
hai aur lagbha meri hi umar ka hoga, apne ghutno tale zameen par
baitha tha. Ladke ka naam Vivek tha. Uske saamne hamara sports ka
teacher jo ek bada kala sa mota aadmi hain apne lund ko uske muh mein
ghusede hue tha. Vivek ek dam hi gora aur chikna tha aur poora nanga
tha. Meine dekha ki uska ka chota sa lund khada tha. Woh apne haatho
se teacher ko door dhakelne ki koshish kar raha tha. Lekin teacher ne
apne dono hath ladke ke sar pe rakh ke uske sar ko apne lund ki aur
kheech liya tha aur poora lund uske muh mein ghusede hua tha. Do
minute baad kisi tarah se Vivek ne apna muh teacher ke lund se door
kiya. Jab sports teacher ka lund uske ke muh se nikla toh mein dang
rah gayi. Woh lagbhag 8" lamba hoga aur mota bhi bahut tha aur ekdam
kala tha. Mujhe yakeen nahi ho raha tha ki etna bada lund us ladke ke
muh mein sama kese gaya. Vivek ab khaas raha tha. Itna bada lund muh
mein lekar uska haal behaal ho gaya tha. Usne kaha 'bas ab aur nahi
hoga teacher ji'. Teacher ne kaha 'Saale madarchod chup chap mera lund
chus varna tujhe fail kar doonga'. Ladke ne upar dekhte kaha 'nahi
teacher muhje fail kar doonge to ....'. Ladke ki baat poori hone se
pehle hi teacher ne apna lund uske muh me phirse daal diya. Teacher ne
phir se uske sar ko apne haatho se pakda aur apna lund uske muh mein
andar bahar karne laga. Mujhe Vivek ka khada lund dekh kar lag raha
tha ki shayad ladke ko bhi maja aa raha tha.
Mujhe ye sara nazara dekh kar bahut maja aa raha tha. Maine aaj tak
kisi bhi aadmi ka lund nahi dekha tha. Aura ab mere saamne do lund
the. Mere badan mein ek garmi si cha gai thi. Hairat ki baat to mujhe
ye lagi ki Vivek se jyada mujhe woh kale teacher ka bada lund accha
lag raha tha. Meri nazar woh mote lund se hat nahi pa rahi thi. Mein
man hi man mein soch rahi thi ki kaash mujhe woh kala lund chusne ko
mil jai. Mein waha toilet mein kutti ki tarah zameen par baithi thi.
Meri panty poori gili ho gayi thi. Maine apni skirt upar kar li aur
panty utar di. Meine ek haath se apne chut ko sehlana shuru kar diya
aur doosre haath ki ungli ko apne gaand ke ched pe phirani lagi. Mujhe
ye bilkool khabar nahi thi ki jis tarah mein baju ki toilet mein jhaak
rahi thi vaise he teesri toilet ke ched se mujhe koi jhaak raha tha.
Jis aadmi ne mutralaya mein aatey he mujhe aapna lund dikhaya tha who
mere pichey mere baaju ke toilet mein ghus gaya tha. Use pata tha ki
toilet ke bich mein ched hain. Ab use jo nazara dikh raha tha woh usse
pagal ho raha tha. Uske saamne mein ghoom ke panty nikaal ke baithi
thi, meri chikni, gori gaand aur choot use saaph dikhai de rahi thi.
Woh dekh raha tha ki mein apni chut mein do ungli daal ke zor se andar
bahar kai rahi thi aur apni gaand ke ched pe ungli ghuma rahi thi.
Uska lund khada ho gaya aur woh use sehlane lagaa.
Yahan teacher aur tezi se Vivek ka muh chod raha tha. Vivek bhi apna
lund zor se hila raha tha. Do minute main teacher zor se aawaaz karne
laga 'aaaaaaaaaaahhh, aaaaaaaaaaah' aur pagal ki tarah bahut tezi se
ladke ke muh mein aapna lund andar bahar karne laga. Vivek ka bura
haal tha. Main apne aap ko jharne ke kareeb paa rahi thi aur zorro se
apni ungliyaan chut ke andar baahar karne lagi. Teacher jhadne ke
bahut kareeb tha. 'saale bhosdi ke aaaaaaahh... aaaaaaaaaaah pe ja
mera pani aaaaahh' teacher ne yeh kehte apna sara pani ladke ke muh me
nikalna shuru kar diya. Teacher ke saath mein bhi ab jhar rahi thi.
Ladke ke lund se bhi phuware ke jaise pani nikal raha tha. Teacher ke
lund se itna virya nikla ke ladka pura pee nahi paya aur kuch pani
uske muh ke side se nikal kar niche behne laga. Yeh dekh mera jharna
aur teevr ho gaya. Teacher ka jhar na khatam ho gaya tha par usne
thodi aur der tak apna pura lund ladke ke muh mein hi rakha. Jab uska
lund pura baith gaya tab usne usko nikala. Uska baitha hua kala lund
bhi bahut bada tha aur virya aur vivek ki thuk se chamak raha tha.
Ladka neeche dekh kar zor zor se saanse le raha tha aur khas raha tha.
Teacher ke kale lund ne uski halat boori kar di thi. Teacher ke mote
lund pe kafi safed virya abhi bhi chipka hua tha. Teacher ne Vivek se
kaha 'mera lund kaun saaf karega ? tera baap. Chal isko theek se chaat
kar saaf kar'. Ladke ne us kale lund ko pakad apni jheeb nikal ke
chaatne laga aur pura virya lund se saaf kar diya. Teacher ne ab uska
haath hata ke pant pehenna shuru kiya aur kaha 'Kal isi waqt yahaan
milna. Kal mein teri gaand marunga' Yeh keh kar teacher bahar chala
gaya. Ladka bhi apnay kapde pehan ke wahan se chala gaya.
Woh dono chale gaye the par meri badan ki aag abhi bhi bhadaki hui
thi. Mein toilet ke zameen pe lait gayi. Mene apne top ke upar se hi
ek haath se apne boobs ko daba daba kar ungliyon se nipple ko khich
rahi thi. Doosre haath se mein apni chut mein do ungliyon daal kar
andar bahar kar rahi thi. Meri muh se siskiyari nikal rahi thi
'ummmmmm.... aaaahhhhhhhh'. Woh kala lund mere dil aur dimaag par cha
gaya tha.
Tab achanak maine aavaz suni 'Maza aa raha hai baby ?'. Meine aankh
utha kar dekha to mujhe pata chala ki toilet ke doosri side pe bhi kai
ched the aur vaise hi ek ched se mujhe woh aadmi ki aankhe dikhai di.
Mein ek second ke liye dar gayi khadi ho gayi. 'Daro mat baby, tum
itni garam ho gayi ho mere paas tumhe thanda karne ke liye kuch hain'
aisa keh kar usne apna lund ek ched mein daal diya. Uska lund bhi woh
kale teacher ki tarah mota aur lumba tha.
'Yeh lo baby tum apni chut ke saath saath iss se bhi khelo. Tumhe aur
maza aayega'. Mein to woh lund ko dekh ke pagal si ho gayi. Mera sir
chakrana shuru ho gaya. Mera sara badan ekdam garam sa ho gaya tha.
Mein lund ko chuna chahti thi par dar bhi bahut lag raha tha. Mera
dimaag mujse keh raha tha ki mein wahan se bhag kar ghar chali jaun
par meri nazar us lund se nahi hat rahi thi. Maine apne aap se kaha ki
'aisa to nahi ki main kisi lund se chudwa rahi hoon. Is lund se thoda
khel loon phir bhi main kunwari hi rahoongi'. Ek bade lund ko apne
itne kareeb pa kar mein apni maa ki salaah ko bilkul bhool gayi aur
dheere se apna haath us lund ki taraf badhaane lagi. Mujhe tab yeh
nahi pata tha ki jis gheri khai se meri maa door rehne ko kehti thi
main usi mein kudne jaa rahi thi. Aur ek baar kudne ke baad mein girti
chali jaaungi.
Mera haath maine dhire se bhada kar woh lund pe rakh diya. Woh lund
garam tha aur kadak bhi aur mere haaton mein thode halke se jhatkey
kha rahaa tha. Mere choote hi us aadmi ke mooh se aawaaz nikal gayi
'aaaaaahhhhh... kya mulaayam hath hai tumhara baby. Ise pakad kar
thoda hilao'. Mujhe yeh pata tha ki ladke apne lund ko hilate hain,
par yeh nahin pata tha ki kaise hilana chahiye lund ko. Maine lund ko
pakad liya aur lund ko upar niche karne lagi.
'Aise nahin karte baby. Haath ko aage piche karo upar niche nahin.'
Maine haath aage piche karna shuru kar diya. Haath piche karne se lund
ki chamdi piche ho gayi aur lund ka gulabi hissa mujhe dikhai de raha
tha. Mera ji kar raha tha ki mein use mere hooton ke beech mein le lu
aur apni jheeb se use chaatu, mere muh mein paani aa gaya. Lekin mein
kafi dari hui bhi thi. Maine hilana zari rakha.
'Very good baby aaaaaaahhhhhhh.... tum to bilkul Katrina kaif jaise
dikhti ho baby. Meri tarf zara dekho. Sharmao mat'. Mujhe bahut sharam
aa rahi thi aur dar bhi bahut lag raha tha lekin meine himmat kar ke
apni aankhey lund pe se le kar us aadmi ki aankhon se mila li aur
hilate rahi.
kramashah..........
आपका दोस्त राज शर्मा साधू सा आलाप कर लेता हूँ , मंदिर जाकर जाप भी कर
लेता हूँ .. मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,, बस यही सोचकर थोडा सा पाप
भी कर लेता हूँ आपका दोस्त राज शर्मा (¨`·.·´¨) Always `·.¸(¨`·.·´¨)
Keep Loving & (¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling ! `·.¸.·´ -- raj
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