Friday, February 18, 2011

हिंदी सेक्सी कहानियाँ रिचा पार्ट--1

रिचा पार्ट--1


सुबह देर से आँख खुली. टाइम देखा तो 10 बज रहे थे.. मैं बाहर आई तो
भाय्या अपने रूम मैं थे. मैं उनके रूम मैं गयी और बोली, "अरे भाय्या
कितनी देर हो गयी आपने जगाया भी नही?""अरे तो क्या हुवा आज मम्मी नही थी
मैने सोचा तुम सो लो. कॉलेज जाना है क्या?"

"भाय्या आज मंन नही है." मैने प्यार से अंगड़ाई लेते कहा."कोई बात नही,
मैं भी आज नही जाना चाहता. नींद पूरी नही हुई क्या बहुत थॅकी लग रही हो?"
"हां भाय्या रात भर एक बहुत ही प्यारा सपना देखा है. ओह्ह सच कितना
प्यारा सपना था. मुझे तो लग रहा है कि सपना ना होकर सच ही हो." मैने कहा.
भाय्या मेरी बात सुन बोले, "क्या सपना देखा था? मुझे भी तो बताओ."

"ओह्ह भाय्या बहुत ही प्यारा सपना था. पर सपना तो सपना काश यह सपना सच हो
जाए तो कितना मज़ा आए.""क्या देखा था बताओ ना." भाय्या समझ रहे थे कि मैं
उसे सपना समझ रही हूँ.

"अरे भाय्या आपको क्या बताउ. चलिए मैं नाश्ता बनाती हूँ."फिर मैं फ्रेश
होकर ब्रेक फास्ट बनाने लगी. फिर टेबल पर नाश्ता करते हुवे भाय्या मेरे
पास ही बैठे थे. मैं सोच रही थी कि आज किसी तरह से भाय्या को चूत दिखाउ
तो भाय्या चूत का मज़ा देंगे जैसे कल चूचियाँ दिखाने पर चूचियों को मज़ा
मिला था.

भाय्या मेरे पास ही बैठे थे और मुझसे ज़रा सा सॅट रहे थे. भाय्या ने मेरे
गले मैं हाथ डालते कहा, "रिचा तुमने बताया नही कि तुमने क्या सपना देखा
था?"मैने सोचा कि भाय्या ने तो वह सब रात मैं किया ही था जो मैं
चाहती थी और अगर अब मैं खुद कुच्छ करूँ तो भाय्या बुरा नही मानेंगे. यह
सब सोच मैं भाय्या से और सॅट गयी जिससे मेरी चूचियों उनके सीने से दबने
लगी. मैं इसतरह से बैठी तो भाय्या ने मुझे कसकर अपनी बाँहो मैं लिया और
अपने सीने से मेरी चूचियों को दबाते बोले, "हां बताओ क्या सपना देखा?"

मैं भी मम्मी के बाहर होने का पूरा फ़ायडा उठाने और घर पर ही पूरा मज़ा
लेने के मूड मैं थी. इसलिए धीरे धीरे सब कर रही थी. मैं भाय्या से चिपकती
चूचियों को उनकी छाती मैं दबाती उनको बाँहों मैं कस उनको देखकर मुस्कराते
हुवे बोली, "भाय्या आप बहुत आछे हैं. मुझे आपसे बहुत प्यार है."भाय्या
मेरी बात सुन मुस्काराए और मेरे गाल सहलाते बोले, "टब ही बहुत अच्छी है.
मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ." फिर मेरे गाल पर किस किया तो मैने
शरमाते हुवे धत्त किया.भाय्या ने अब मुझे कसकर चिपकाया हुवा था और मैं भी
मौके का फयडा उठाते हुवे अपनी चूचियों को उनकी छाती से दबा उनकी गोद मैं
चढ़ सी गयी थी और मेरा पूरा वज़न भाय्या पर था. मेरी चूत भाय्या की जाँघ
पर थी. भाय्या ने धीरे धीरे अपने हाथ
को नीचे सरकया और फिर दोनो हाथ मेरे चूतरों पर लगाया और मुझे ऊपर किया.
अब मैं भाय्या के ऊपर लेटी सी थी. भाय्या ने हाथो से धीरे धीरे 4-5 बार
मेरी गांद सहलाई पर मैं चुप रही और सर को उनके कंधे से लगा दिया.

शायद भाय्या समझ गये कि मैं कुच्छ नही कहूँगी तो भाय्या ने मेरे कान के
पास आ फुसफुसाते हुवे कहा, "रिचा?" "जी भाय्या." मैं भी फुसफुसाई और चूत
को हल्का सा उनकी जाँघ पर रगड़ा.अब तो भाय्या को यकीन हो गया था कि मैं
रेडी हूँ. वह खेल को स्टार्ट करते बोले, "कल तुम बहुत खुउबसूरत लग रही
थी. उन कपड़ो मैं तुम बहुत प्यारी लग रही थी."

"वह पिंक वाला सूट भाय्या?"

"हां तुमने पहली बार पहना था ना?"

"जी भाय्या आपको अच्छा लगा था कहिए तो फिर वही पहन लूँ?" "हां जा वही सूट
पहन. मैं चाहता हूँ कि मेरी बहन सबसे प्यारी लगे."

"अबी आती हूँ भाय्या." फिर मैं उठी और अपने रूम मैं आई. रूम मैं आ पॅंटी
उतार बिना पॅंटी के शलवार और बिना ब्रा के कुर्ता पहना और फिर हाथ से
चूचियों को आधी बाहर किया और बिना दुपट्टे के शीशे मैं देखा. दोनो रात को
चूसी गयी चूचियाँ बाहर थी. फिर पर्फ्यूम से खुद को तर किया और हल्का सा
मेक-अप कर वापस आई.

वापस आ भाय्या के सामने बैठी तो भाय्या आँखे फड़कर मुझे देखते रहे फिर
बोले, "हाए रिचा मेरी बहन तू कितनी खूबसूरत है. इधर आ मेरे पास." मैं मन
मैं खुश होते पास गयी तो भाय्या ने मेरे हाथ पकड़ बिना झिझक मुझे अपनी
गोद मैं बिठा लिया. इस बार सीधे बिठाया था और मेरी पीठ भाय्या के सीने से
लगी थी. मैं बैठी तो भाय्या ने मेरे कान के पास अपने होन्ट लगा सरगोशी
की, "आज तू तुम
क़यामत गिरा रही हो."

"चलो भाय्या आप भी मज़ाक करते हो. हटिए तो किचन सॉफ कर दूं." "अरे पूरा
दिन है कर लेना ज़रा अपने भाय्या के पास बैठो आज." फिर भाय्या ने मेरे
हाथ छ्चोड़े और अपने हाथो को ऊपर कर मेरी दोनो चूचियों को पकड़ लिया. मैं
चुप रही तो उन्होने दोनो को दबाया.. जब भाय्या ने दबाया तो मैने जल्दी से
अपने हाथ भाय्या के हाथो पर रख उनके हाथ हटाने के बजाए दबाते हुवे नशीली
आवाज़ मैं भाय्या को मस्त करने के लिए, "ऊओह भाय्या हाए यह क्या करते
हैं? प्लीज़ छ्चोड़ो भाय्या आहह."

भाय्या कुच्छ ना बोले और उसी तरह दोनो चूचियों को दबाते रहे तो मैं कुच्छ
देर मज़ा लेने के बाद फुसफुसाती सी बोली, "भाय्या आहह भाय्या रात मैं यही
वाला सपना.."
भाय्या मेरी बात सुन बोले, "क्या सपना देखा था बताओ ना?"
"जी बह भाय्या मैने सपने मैं देखा था कि आप मेरी दोनो च..च." "क्या पगली
बता ना इतना शरमाती क्यों है?"
तब मैने खुलकर बोला, "भाय्या आपने सपने मैं मेरी चूचियों को चूसा था और
मुझे बहुत अच्छा लगा था."
भाय्या मेरे मुँह से यह सुन खुश हो गये और सामने के सारे बटन खोल दोनो
चूचियों को पूरी नंगी कर दोनो हाथ से कसकर मसल्ते बोले, "देखो मैं तुमको
कितना प्यार करता हूँ. आज मैं तुम्हारा सपना सच कर दूँगा."

"सच भाय्या?" मैं खुशी का इज़हार करती बोली.

"हां मेरी बहना. मैं तुम्हारे हर सपने को सच करूँगा."

फिर भाय्या ने कुच्छ देर दोनो चूचियों को इसी तरह मज़ा दिया और फिर मुझे
बेड पर ले गये. मुझे बेड पर लिटाया और फिर भाय्या ने धीरे से मेरी शलवार
उतारी और फिर मेरी चूत पर उंगली लगा चूत की दरार मैं 4-5 बार चलाया. मैं
सिहरन से भर गयी. मैं चुप चाप लेटी भाय्या को देख रही थी. भाय्या ने फिर
मुझे देखा और मुस्काराए तो मैं भी जवाब मैं मुस्करा दी. फिर भाय्या ऊपर
आए और मेरी जम्पेर को खोलने लगे. जम्पेर बहुत टाइट थी और चूचियाँ एकदम
कसी बाहर की ओर निकली जा रही थी. बटन खुले थे और चूचियाँ झाँक रही थी.
भाय्या की साँसे तेज़ हो गयी और
जब भाय्या ने मेरे हाथ ऊपर कर मुझे पूरी नंगी किया तो मेरी चूचियाँ एकदम
तनी तनी छल पड़ी. वह एकटक देखते रहे. उनकी साँसे रुक गयी थी. मैने भाय्या
की हालत देख पुचछा, "भाई ऐसे क्या देख रहे हो?"

"ओह्ह रिचा मेरी जान इतनी कसी कसी चूचियाँ कभी नही देखी यार. तू सच मैं
बहुत मस्त माल है."

"क्यों भाई यह सब आप कर चुके हो किसी के साथ?"

"हाँ मेरी जान मैं तो अब तक 14 लड़कियों को चोद चुक्का हूँ."

मैं अपने भाई की बात सुन हैरान होते बोली, "क्या कह रहे हो भाई?

कौन थी वा सब?"

"अरे क्या करेगी जानकार." उसने मेरी दोनो चूचियों को पकड़ा और हल्के से
दबाव से सहलाने लगा.मैं दोनो को उभारती बोली, "बताओ ना भाई अच्छा लग रहा
है. मैं तो समझी थी कि आप अनाड़ी होंगे पर आप तो खिलाड़ी निकले."


"अरे सुन पहली चुदाई तो मैने शीला मौसी के साथ की."
"क्या आपने मौसी को चोदा?" मुझे आश्चर्या हुवा.
"हां पिच्छले साल जब वह आई थी तब उसे अपने कमरे मैं रात मैं चोदा था.
जानती है रिचा अपनी मौसी मुझसे 1 साल बड़ी है और बहुत मस्त माल थी. फिर
अपनी दो गर्लफ्रेंड और उनकी दो सहेलियों को चोदा. इसके बाद अपने एक दोस्त
की बहन को चोदा." मैं भाई को पकड़ किस करती कान मैं बोली, "अपने दोस्त की
बहन को भी?"

"हां और एक दोस्त की भाभी को भी और फिर बाकी सब कॉल गर्ल थी."
"ओह्ह भाई आप तो बहुत चोदु हो, आज अपनी बहन को भी चोदोगे ना?"

"हां क्यों नही साली तू बहुत मस्त माल है यार. चुदाई का असली मज़ा तो आज
ही आएगा. अब सिर्फ़ तुझे चोदुन्गा."फिर भाई ने मेरी चूचियों को मुँह से
चूसना शुरू किया तो मैं
सोचने लगी कि विभा का कहना सही था कि इस खेल मैं बहुत मज़ा है. भाई ने
पहले जीभ से चूचियों को कुच्छ देर चटा फिर निपल को होंटो से दबा दबा
चूसने लगे.. मैं तो जाने कब से तडप रही थी. भाई के मुँह मैं चूचियाँ गयी
तो मैं खिल गयी. मैं ओह्ह आहह करती चुस्वाती रही.
भाई ने कुच्छ देर तक दोनो चूचियों को चूसा फिर मेरे होंठो को चूमा और
चूचियों को हाथ से 10-12 बार मसला और फिर मेरे कान के पास आ मेरे कान मैं
फुसफुसाती आवाज़ मे बोले, "रिचा कैसा लग रहा है?"

मैं भी भाई के कान मैं उसी तरह फुसफुसाते हुवे बोली, "भाई बहुत मज़ा है
इसमे, आहह भाय्या नीचे वाली को भी...."
मैं ज़रा सा हिचकी तो भाई ने मुझे देखते हुवे मुस्कराते हुवे कहा, "नीचे
वाली क्या रिचा?"

"भाई मेरी चूत को भी चातोगे ना?" मैने अपनी झिझक ख़तम करते कहा.

"रिचा तू जानती है इस खेल के बारे मैं? कभी खेला है यह
खेल?" वह बोला.

शायद वह समझ रहा था कि मैं किसी से चुदवा चुकी हूँ पर मैने उसकी बेकरारी
दूर करते कहा, "भाई खेला तो कभी नही पर एक बार अपनी सहेली को चुदवाते देख
चुकी हूँ. उसने अपनी चटवाई भी थी और लंड को भी मुँह से पिया था. भाय्या
आप भी अपना लंड चुसाओगे ना मुझे. भाय्या मुझे लंड का मज़ा लेना है."

मुझे अब कोई शरम नही थी. जब भाई खुद अपनी बहन को चोदना चाहता है तू मुझे
क्या शरम. वा मेरी बात सुन मेरे होंठो को अपने होंठो से रगड़ता बोला,
"रिचा मेरी जान तू घबरा मत, तेरा भाई तुझे हर मज़ा देगा. हाए तेरी चूत तो
चाटूँगा ही साली तुझे अपने लंड का रस भी पिलौँगा. चल अब तू पहले अपनी चूत
चटवा. "

फिर भाई ने मुझे उठाकर एक चेर पर बिठा दिया और मेरे दोनो पैर चेर के
हॅंडल पर रख दिया. अब मेरी चूत एकदम खुलकर सामने थी. मेरी चूत के दोनो
फाँक इस तरह से बैठने पर ज़रा सा खुल गये थे जिससे चूत का पिंक च्छेद दिख
रहा था. भाई मेरे सामने बैठे और चूत को देख मुस्काराए तो मैने कहा, "क्या
हुवा भाय्या?" वह हाथ बढ़ा दोनो चूचियों को पकड़ दबाते चेहरे को मेरी चूत
पर झुकाते बोले, "बहुत प्यारी चूत है तेरी रिचा.
देखने से ही कुँवारी लग रही है."

"भाय्या अभी आपकी बहन एकदम कुँवारी है. सबसे पहले आप ही देख रहे हो.
भाय्या आप पहले मर्द हो जो मेरी चूत को देख रहे हो पर मुझे यह मज़ा रोज़
चाहिए. अगर किसी दिन मुझे अपना लंड नही दिया तो मैं किसी दूसरे से चुदवा
लूँगी. "

"अरे नही साली क्या बात करती है. अरे अब तो हर रात मेरे रूम
मैं ही लेटना. अब तू रात मैं मेरी बीवी है. किसी और के बारे मैं सोचना भी
नही." भाय्या की बात सुन मैं ज़ोर से खिलखिला कर हँसने लगी. भाय्या मुझे
देखते बोला, "क्या हुवा रिचा?"

"भाई मैं तो मज़ाक कर रही थी. मैं तो सिर्फ़ आपके लिए हूँ. किसी दूसरे
लड़के को तो मैं देखूँगी भी नही. आहह भाय्या अब चॅटो ना. विभा कह रही थी
कि चटवाने मैं बहुत मज़ा आता है." "हां सही कहती है तेरी सहेली."

फिर भाय्या ने चूत को 3-4 बार चूमा और फिर जो जीभ को पूरी चूत पर ऊपर से
नीचे तक चलाकर चॅटा तो मज़ा ही आ गया. भाय्या की जीभ पूरी चूत पर चारो ओर
चल रही थी. मैं तो पहली बार चटवा रही थी. मज़े से मेरी हालत खराब हो रही
थी. 7-8 मिनिट तक इसी तरह चटा फिर जीभ को चूत की फांको के बीच की दरार
मैं चलाया तो मज़ा और ज़्यादा बढ़ गया. मैं तो सोच कर ही खुश थी चूत
चटवाने का मज़ा तो अनोखा है पर शायद अभी और मज़ा बाकी था.
क्रमशः..................


RICHA paart--1


Subah der se aankh khuli. Time dekha tu 10 baj rahe the.. Main bahar
aayi to bhaiyya apne room main the. Main unke room main gayi aur boli,
"Are bhaiyya kitni der ho gayi aapne jagaya bhi nahi?""Are tu kya huwa
aaj Mammi nahi thi maine soch tum so lo. College jana hai kya?"

"Bhaiyya aaj mann nahi hai." Maine pyaar se angdayi lete kaha."Koi
baat nahi, main bhi aaj nahi jana chahta. Neend poori nahi huyi kya
bahut thaki lag rahi ho?" "Haan bhaiyya raath bhar ek bahut hi pyaara
sapna dekha hai. Ohh sach kitna pyara sapna tha. Mujhe tu lag raha hai
ki sapna na hokar sach hi ho." Maine kaha. Bhaiyya meri baat sun bole,
"Kya sapna dekha tha? Mujhe bhi tu batao."

"Ohh bhaiyya bahut hi pyaara sapna tha. Par spna tu sapna kaash yah
sapna sach ho jaye tu kitna maza aaye.""Kya dekha tha batao na."
bhaiyya samajh rahe the ki main use sapna samajh rahi hun.

"Are bhaiyya aapko kya bataun. Chaliye main naashta banati hun."Fir
main fresh hokar break fast banane lagi. Fir table par naashta karte
huwe bhaiyya mere paas hi baithe the. Main soch rahi thi ki aaj kisi
tarah se bhaiyya ko choot dikhaun tu bhaiyya choot ka maza denge jaise
kal choochiyan dikhane par choochiyon ko maza mila tha.

Bhaiyya mere paas hi baithe the aur mujhse zara sa sat rahe the.
Bhaiyya ne mere gale main haath daalte kaha, "Richa tumne bataya nahi
ki tumne kya sapna dekha tha?"Maine socha ki bhaiyya ne tu wah sab
raat main kiya hi tha jo main
chahti thi aur agar ab main khud kuchh karun tu bhaiyya bura nahi
manenge. Ya sab soch main bhaiyya se aur sat gayi jisse meri
choochiyon unke seene se dabne lagi. Main istarah se baithi tu bhaiyya
ne mujhe kaskar apni baanho main liya aur apne seene se meri
choochiyon ko dabate bole, "Haan batao kya sapna dekha?"

Main bhi Mammi ke bahar hone ka poora faayda uthane aur ghar par hi
poora maza lene ke mood main thi. Isliye dhire dhire sab kar rahi thi.
Main bhaiyya se chipakti choochiyon ko unki chhati main dabati unko
baanhon main kas unko dekhkar muskarate huwe boli, "Bhaiyya aap bahut
ache hain. Mujhe aapse bahut pyaar hai."Bhaiyya meri baat sun
muskaraye aur mere gaal sahlate bole, "Tub hi bahut achhi hai. Main
bhi tumse bahut pyaar karta hun." Fir mere gaal par kiss kiya tu maine
sharmate huwe dhatt kiya.Bhaiyya ne ab mujhe kaskar chipkaya huwa tha
aur main bhi mauke ka fayda uthate huwe apni choochiyon ko unki chhati
se daba unki god main charh si gayi thi aur mera poora wazan bhaiyya
par tha. Meri choot bhaiyya ki jaangh par thi. Bhaiyya ne dhire dhire
apne haath
ko niche sarkaya aur fir dono haath mere chutaron par lagaya aur mujhe
oopar kiya. Ab main bhaiyya ke oopar leti si thi. Bhaiyya ne haatho se
dhire dhire 4-5 baar meri gaand sahlayi par main chup rahi aur sar ko
unke kandhe se laga diya.

Shayad bhaiyya samajh gaye ki main kuchh nahi kahungi tu bhaiyya ne
mere kaan ke paas aa fusfusate huwe kaha, "Richa?" "Ji bhaiyya." Main
bhi fusfusayi aur choot ko halka sa unki jaangh par ragda.Ab tu
bhaiyya ko yakeen ho gaya tha ki main ready hun. Wah khel ko start
karte bole, "Kal tum bahut khuubsurat lag rahi thi. Un kapdo main tum
bahut pyaari lag rahi thi."

"Wah pink wala suit bhaiyya?"

"Haan tumne pahli baar pahna tha na?"

"Ji bhaiyya aapko achha laga tha kahiye tu fir wahi pahan lun?" "Haan
ja wahi suit pahan. Main chahta hun ki meri bahan sabse pyaari lage."

"Abi aati hun bhaiyya." Fir main uthi aur apne room main aayi. Room
main aa panty utaar bina panty ke shalwar aur bina bra ke kurta pahna
aur fir haath se choochiyon ko adhi bahar kiya aur bina dupatte ke
shishe main dekha. Dono raat ko choosi gayi choochiyan bahar thi. Fir
perfume se khud ko tar kiya aur halka sa make-up kar wapas aayi.

Wapas aa bhaiyya ke saamne baithi tu bhaiyya aankhe fadkar mujhe
dekhte rahe fir bole, "Haye Richa meri bahan tu kitni khubsurat hai.
Idhar aa mere paas." Main man main khush hote paas gayi tu bhaiyya ne
mere haath pakad bina jhijhak mujhe apni god main bitha liya. Is baar
sidhe bithaya tha aur meri peeth bhaiyya ke sine se lagi thi. Main
baithi tu bhaiyya ne mere kaan ke paas apne hont laga sargoshi ki,
"Aaj tu tum
qayamat gira rahi ho."

"Chalo bhaiyya aap bhi mazak karte ho. Hatiye tu kitchen saaf kar
dun." "Are poora din hai kar lena zara apne bhaiyya ke paas baitho
aaj." Fir bhaiyya ne mere haath chhode aur apne haatho ko oopar kar
meri dono choochiyon ko pakad liya. Main chup rahi tu unhone dono ko
dabaya.. Jab bhaiyya ne dabaya tu maine jaldi se apne haath bhaiyya ke
haatho par rakh unke haath hatane ke bajaye dabate huwe nashili awaz
main bhaiyya ko mast karne ke liye, "Ooohhhh bhaiyya haye yah kya
karte hain? Please chhodo bhaiyya aahh."

Bhaiyya kuchh na bole aur usi tarah dono choochiyon ko dabate rahe tu
main kuchh der maza lene ke baad fusfusati si boli, "Bhaiyya aahh
bhaiyya raat main yahi wala sapna.."
Bhaiyya meri baat sun bole, "Kya sapna dekha tha batao na?"
"Ji bhhh bhaiyya maine sapne main dekha tha ki aap meri dono ch..ch."
"Kya pagli bata na itna sharmati kyon hai?"
Tab maine khulkar bola, "Bhaiyya aapne sapne main meri choochiyon ko
choosa tha aur mujhe bahut achha laga tha."
Bhaiyya mere munh se yah sun khush ho gaye aur saamne ke saare button
khol dono choochiyon ko poori nangi kar dono haath se kaskar masalte
bole, "Dekho main tumko kitna pyaar karta hun. Aaj main tumhara sapna
sach kar dunga."

"Sach bhaiyya?" main khushi ka izhaar karti boli.

"Haan meri behna. Main tumhare har sapne ko sch karunga."

Fir bhaiyya ne kuchh der dono choochiyon ko isi tara maza diya aur fir
mujhe bed par le gaye. Mujhe bed par litaya aur fir Bhaiyya ne dhire
se meri shalwar utari aur fir meri choot par ungli laga choot ki
daraar main 4-5 baar chalaya. Main sihran se bhar gayi. Main chup
chaap leti bhaiyya ko dekh rahi thi. Bhaiyya ne fir mujhe dekha aur
muskaraye tu main bhi jawab main muskara di. Fir bhaiyya oopar aaye
aur meri jamper ko kholne lage. Jamper bahut tight thi aur choochiyan
ekdam kasi bahar ki oor nikli ja rahi thi. Button khule the aur
choochiyan jhank rahi thi. Bhaiyya ki saanse tez ho gayi aur
ja bhaiyya ne mere haath oopar kar mujhe poori nangi kiya tu meri
choochiyan ekdam tani tani chhala padi. Wah ektak dekhte rahe. Unki
sanse ruk gayi thi. Maine bhaiyya ki halat dekh puchha, "Bhai aise kya
dekh rahe ho?"

"Ohh Richa meri jaan itni kasi kasi choochiyan kabhi nahi dekhi yaar.
Tu sach main bahut mast maal hai."

"Kyon bhai yah sab aap kar chuke ho kisi ke saath?"

"Haan meri jaan main tu ab tak 14 ladkiyon ko chod chukka hun."

Main apne bhai ki baat sun hairan hote boli, "Kya kah rahe ho bhai?

Kaun thi wah sab?"

"Are kya karegi jaankar." Usne meri dono choochiyon ko pakda aur halke
se dabaw se sahlane laga.Main dono ko ubharti boli, "Batao na bhai
achha lag raha hai. Main tu samjhi thi ki aap anadi honge par aap tu
khiladi nikle."


"Are sun pahli chudai tu maine Sheela mausi ke saath ki."
"Kya aapne mausi ko choda?" Mujhe aashcharya huwa.
"Haan pichhle saal jab wah aayi thi tab use apne kamre main raat main
choda tha. Jaanti hai Richa apni mausi mujhse 1 saal badi hai aur
bahut mast maal thi. Fir apni do girlfriend aur unki do saheliyon ko
choda. Iske baad apne ek dost ki bahan ko choda." Main bhai ko pakad
kiss karti kaan main boli, "Apne dost ki bahan ko bhi?"

"Haan aur ek dost ki bhabhi ko bhi aur fir baki sab call girl thi."
"Ohh bhai aap tu bahut chudo ho, aaj apni bahan ko bhi chodoge na?"

"Haan kyon nahi saali tu bahut mast maal hai yaar. Chudai ka asli maza
tu aaj hi ayega. Ab sirf tujhe chodunga."Fir bhai ne meri choochiyon
ko munh se choosna shuru kiya tu main
sochne lagi ki Vibha ka kahna sahi tha ki is khel main bahut maza hai.
Bhai ne pahle jeebh se choochiyon ko kuchh der chata fir nipple ko
honto se daba daba choosne lage.. Main tu jaane kab se tarap rahi thi.
Bhai ke munh main choochiyan gayi tu main khil gayi. Main ohh ahh
karti chuswati rahi.
Bhai ne kuchh der tak dono choochiyon ko choosa fir mere hoonto ko
chooma aur choochiyon ko haath se 10-12 baar masla aur fir mere kaan
ke paas aa mere kaan main fusfusati awaz main bole, "Richa kaisa lag
raha hai?"

Main bhi bhai ke kaan main usi tarah fusfusate huwe boli, "Bhai bahut
maza hai isme, ahh bhaiyya niche wali ko bhi...."
Main zara sa hichki tu bhai ne mujhe dekhte huwe muskarate huwe kaha,
"Niche wali kya Richa?"

"Bhai meri choot ko bhi chaatoge na?" maine apni jhijhak khatam karte kaha.

"Richa tu jaanti hai is khel ke bare main? Kabhi khela hai yah
khel?" wah bola.

Shayad wah samajh raha tha ki main kisi se chudwa chuki hun par maine
uski bekarari door karte kaha, "Bhai khela tu kabhi nahi par ek baar
apni saheli ko chudwate dekh chuki hun. Usne apni chatwayi bhi thi aur
lund ko bhi munh se piya tha. Bhaiyya aap bhi apna lund chusaoge na
mujhe. Bhaiyya mujhe lund ka maza lena hai."

Mujhe ab koi sharam nahi thi. Jab bhai khud apni bahan ko chodna
chahta hai tu mujhe kya sharam. Wah meri baat sun mere hoonto ko apne
hoonto se ragadta bola, "Richa meri jaan tu ghabra mat, tera bhai
tujhe har maza dega. Haye teri choot tu chatunga hi Sali tujhe apne
lund ka ras bhi pilaunga. Chal ab tu pahle apni choot chatwa. "

Fir bhai ne mujhe uthakar ek chair par bitha diya aur mere dono pair
chair ke handle par rakh diya. Ab meri choot ekdam khulkar saamne thi.
Meri choot ke dono phaank is tarah se baithne par zara sa khul gaye
the jisse choot ka pink chhed dikh raha tha. Bhai mere saamne baithe
aur choot ko dekh muskaraye tu maine kaha, "Kya huwa bhaiyya?" Wah
haath barha dono choochiyon ko pakad dabate chehre ko meri choot par
jhukate bole, "Bahut pyaari choot hai teri Richa.
Dekhne se hi kunwari lag rahi hai."

"Bhaiyya abhi aapki bahan ekdam kunwari hai. Sabse pahle aap hi dekh
rahe ho. Bhaiyya aap pahle mard ho jo meri choot ko dekh rahe ho par
mujhe yah maza roz chahiye. Agar kisi din mujhe apna lund nahi diya tu
main kisi doosre se chudwa lungi. "

"Are nahi saali kya baat karti hai. Are ab tu har raat mere room
main hi letna. Ab tu raat main meri biwi hai. Kisi aur ke baare main
sochna bhi nahi." Bhaiyya ki baat sun main zor se khilkhila kar hansne
lagi. Bhaiyya mujhe dekhte bola, "Kya huwa Richa?"

"Bhai main tu mazak kar rahi thi. Main tu sirf aapke liye hun. Kisi
dusre ladke ko tu main dekhungi bhi nahi. Ahh bhaiyya ab chato na.
Vibha kah rahi thi ki chatwane main bahut maza aata hai." "Haan sahi
kahti hai teri saheli."

Fir bhaiyya ne choot ko 3-4 baar chooma aur fir jo jeebh ko poori
choot par oopar se niche tak chalakar chaata tu maza hi aa gaya.
Bhaiyya ki jeebh poori choot par charo oor chal rahi thi. Main tu
pahli baar chatwa rahi thi. Maze se meri haalat kharab ho rahi thi.
7-8 minute tak isi tarah chata fir jeebh ko choot ki phaanko ke beech
ki daraar main chalaya tu maza aur zyada barh gaya. Main tu soch kar
hi khush thi choot chatwane ka maza tu anokha hai par shayad abhi aur
maza baki tha.
kramashah..................

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