बलात्कार
मैं डेज़ी हूँ 33 साल की शादी शुदा महिला. मेरी शादी को नौ साल
हो चुके हैं. मगर आज भी मैं अपना पहला रेप भूल नहीं पाती
हू. तब मैं 23 साल की ही थी गरम खून था. एमए, बी.एड. करने के
बाद एक कॉलेज मे लेक्चरार का पार्ट टाइम जॉब मिल गया था. कुच्छ कर
दिखाने का जुनून था सो मैं कुच्छ ज़्यादा ही जोश मे अगयी. बी.ए के
आन्यूयल एग्ज़ॅम मे ड्यूटी लगी थी मैं जिस रूम मे थी उसमे 35 लड़के और
लड़कियाँ एग्ज़ॅम दे रहे थे. उनमे एक आवारा टाइप का लड़का भी था. नाम
था राजन. लोग उसे राजा कहकर बुलाते थे. अमीर मा बाप का बिगड़ी
हुआ औलाद था. 25-27 साल उम्र होगी मगर अभी भी बी.ए. कर रहा था.
एग्ज़ॅम मे वो किताब लेकर नकल करने लगा. मुझे दिखाई दिया तो मैने
साथ वाले सर से कंप्लेन की मगर उन्हों ने मुझे चुप रहने को
कहा. मगर मैने चुप रहना अपने उसूलों के खिलाफ माना. और जाकर
उससे आन्सर शीट और कॉपी छ्चीन ली.
"ये आप क्या कर रहे हैं" मैने गुस्से से कहा.
"दिख नही रहा क्या?"उसने ढिठाई से कहा.
"गेट आउट ऑफ एग्ज़ॅमिनेशन हॉल."
"मेडम पूरे कॉलेज मे कोई नहीं है जो मुझ से ऊँची आवाज़ मे
बोले" उसने मुझ घूरते हुए कहा"इसलिए अपनी आवाज़ नीचे रख कर
बात कीजिए."
उसका इतना कहना था कि मैने उसकी कॉपी को पेन से काट कर उसपर
कॉमेंट्स लिख दिया.
"ऐसा है आप आग से खेल रहीं हैं. अभी जवानी का खूब जोश है.
मुझे कुच्छ हुया तो तेरे इस बदन को मसल कर रख दूँगा. मुँह
छुपाती फ़िरेगी अपना." कह कर उसने मेरी एक छाती पर उंगली से
दबाया. मैं गुस्से से पागल हो गयी.
उसकी कॉपी और किताब लेकर प्रिन्सिपल के पास गयी और सारी बात
बताई. प्रिन्सिपल भी बात को दबा देना चाहता था मगर मैने
चीख चीख कर सब को इकट्ठा कर लिया. पैंसिपल को आख़िर मे
उसकी कंप्लेन बुक करके एग्ज़ॅमिनेशन से बाहर करना पड़ा. मगर मैं
उसका नाम कॉलेज से रिस्ट्रिकेट करवा कर ही मानी.
वो मुझे भद्दी भद्दी गलियाँ वहीं सब के सामने ही देने लगा. मैं
अपनी जीत पर फूली नहीं समा रही थी. मगर ये जीत बस कुच्छ दिन
की ही रही. शुरू के कुच्छ दिन तो सावधान रही मगर कुच्छ दिन बाद
वापस लापरवाह हो गयी. दस दिन बाद बी.एससी. के प्रॅकिकल शुरू हो
गये. मेरी ड्यूटी आन्सर शीट्स सम्हालने के लिए लगा दी. उस दिन फ्री
होते होते शाम हो गयी. कॉलेज से बस स्टॅंड कुच्छ दूरी पर था.
कॉलेज शहर से 5 किमी. दूर बना था. आस पास कोई खास बस्ती नही
थी. इसलिए ऑफ टाइम मे जगह कुच्छ सुन सान हो जाता था. उस दिन अपना
समान लेकर निकली तो बस स्टॉप पर सिर्फ़ एक आदमी और खड़ा था. मैं जा
कर उसके पास खड़ी हो गयी. तभी एक बोलरो तेज़ी से आकर ठीक मेरे
सामने रुकी. मेरे साथ खड़े आदमी ने अपनी जेब से रूमाल निकाल कर उस
पर कुच्छ डाला और इस से पहले की मैं कुच्छ समझ पाती. उसने गीला
रूमाल मेरी मुँह और नाक पर रख दिया. एक भीनी खुश्बू के साथ
अंधेरा छाता चला गया.
मुझे नहीं मालूम मैं कितनी देर बेहोश रही. जब आँख खुली तो
मैने अपने आप कोएक बड़े हॉल मे पाया. चारों ओर अंधेरा था सिर्फ़
सिर के ऊपर एक तेज रोशनी का बल्ब जल रहा था. जिसकी रोशनी सिर्फ़
मे जिस तखत पर पड़ी थी उसके ऊपर ही आरहि थी. मैं उठ कर
बैठी तो सबसे पहले जिस चीज़ पर नज़र गयी वो था कि मेरे बदन
पर एक भी कपड़ा नहीं था. मैं तख्त पर बिल्कुल नंगी हालत मे
बैठी थी. मेरे दोनो हाथ फ़ौरन मेरे स्तनों को ढकने की कोशिश
करने लगे.मैने अपनी टाँगें सिकोड ली जिस से मेरी योनि छुप जाए.
तभी हॉल हँसने की आवाज़ से गूँज उठा. मैने इधर उधर देखने की
कोशिश की. चारों ओर अंधेरे के कारण कुच्छ भी नहीं दिख रहा
था. तभी एक आदमी अंधेरे से रोशनी के दायरे मे आया. वो राजन था.
मैं शांति हुई उस से अपने नग्न बदन को छिपाने की कोशिश की. उसने
मेरे बालों को मुट्ठी मे पकड़ कर मेरे चेहरे को अपनी तरफ घुमाया.
"क्यों, मैने तुझे मना किया था ना कि मुझ से मत उलझ. मगर तू
नहीं मानी. अब दिखा वो तेवर.देखता हूँ कौन आता है तुझे
बचाने के लिए."उसने मेरे होंठों को ज़बरदस्ती अपने होंठों पर
दबा दिया. मैं अपना मुँह हटाना चाहती थी मगर उसने बालों को
सख्ती से पकड़ रखा था. मेरा सिर तीव्र दर्द कर रहा था.
"आब तुझे पता चलेगा राजा से पंगा लेने का अंजाम. तेरे शरीर को
तब तक हम मसलेंगे जब तक हमारा मन नहीं भर जाए." कहकर
उसने मेरे उरोजो पर से हाथ हटा दिए. मैं उस से भिड़ गयी. तो
उसका एक झन्नतेंडार थप्पड़ मेरे गाल पर पड़ा मुझे चारों ओर तारे
नज़र आने लगे. मेरा विरोध एक दम से भाप बन कर उड़ गया. तभी
हॉल मे रोशनी हो गयी. मैने देखा कि वाहा उसके अलावा सात आदमी और
मोजूद थे. वो सारे राजन की गॅंग के ही आदमी थे. मुझे महसूस हो
गया कि अब मेरी हालत पिंजरे मे बंद किसी चिड़िया जैसी हो गयी है.
अब ये आठों आदमी मेरे पूरे बदन को नोच डालेंगे. कमरे मे सारे
आदमी नग्न थे उनके लंड मुझे चोदने के लिए बेताबी से खड़े थे.
मैने अपने आप को राजा से छुड़ाया और खाट से उठकर भागने लगी.
मुझे एक दरवाजा नज़र आया तो उस ओर लपकी. सारे आदमी हंस रहे थे.
"भाग जितना भाग सकती है भाग. बच नहीं पाएगी हमसे."
"अपनी हालत पर तो नज़र डाल. इस हालत मे अगर बाहर भी निकल
गयी तो क्या बाहर वाले तुझे बिना मसले छ्चोड़ देंगे?" मैने अपने
बदन पर नज़र डाली. मगर फिर भी उनके हाथों से बचने के लिए जी
तोड़ कोशिश कर रही थी. तभी राजा ने कहा "बहुत हो गया यारों अब
ज़्यादा समय खराब ना करके शुरुआत की जाए. मुझे पकड़ कर एक आदमी
घसीट ता हुआ राजन तक ले गया. राजन ने मेरे गर्दन को पकड़ कर
नीच की ओर दबाया.
"देख मेरे लंड को देख. ये आज तेरे अंदर जाएगा. अब इसे मुँह मे
लेकर प्यार कर" मैं लगातार संघर्ष कर रही थी. तभी पीछे
वाले आदमी ने मेरे स्तनों को ज़ोर ज़ोर से मसला. ना चाहते हुए भी
मेरे मुँह से चीख निकल गयी.
"छ्चोड़ छ्चोड़ मुझे नहीं तो तुम सबको जैल भिजवा दूँगी"
"तू ऐसा कोई काम नहीं करेगी. ये सामने तीतू है इसने कई लोगों को
उपर भिजवा दिया है. तुझे अगर अपनी जान प्यारी हो तो तू कुच्छ भी
नही करेगी. अगर पोलीस स्टेशन गयी तो भी कोई रिपोर्ट नहीं
लिखेगा. क्योंकि तुझे चोदने मे डीएसपी का बेटा भी शामिल है."
कई हाथ मेरे नग्न बदन को नोच रहे थे. मैं बस कसमसा रही
थी. फिर उन्हों ने मुझे घुटनो के बल बिठा दिया और एक ने मेरे गले
को दबाया. मुझे छॅट्पाटा कर अपना मुँह खोलना पड़ा. राजा का लिंग
मेरी जीभ के उपर से सरकता हुआ अंदर चला गया. उसके लिंग से
पेशाब की स्मेल आ रही थी. मुझे ज़ोर की उबकाई आई. मगर लोगों ने
मुझे सख्ती से पकड़ रखा था इसलिए. बर्दास्त करने के अलावा मेरे
पास कोई चारा नहीं था. उसने मेरे सिर को मजबूती से अपने हाथों
से थामा और अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा. उसका लिंग काफ़ी अंदर
तक चोट कर रहा था. बाकी आदमीने मेरे स्तनों को मसल मसल कर लाल
सुर्ख कर दिए थे. मेरे बॉल खुल कर चेहरे पर बिखर गये थे.
कुच्छ देर तक मुझे इसी तरह रगड़ने के बाद मुझे खीचते हुए
तख्त पर ले गये. मुझे उसपर पटक दिया और मेरे हाथ पैरों को
फैला चार तरफ से चार आदमियों ने पकड़ रखा था. मेरा पूरा
बदन उनके सामने नुचे जाने के लिए तैयार था. सबसे पहले राजा
मेरे ऊपर आया मैं अब तक कुँवारी थी. आज मेरे कुंवारेपन को वो
आदमी लूटने जा रहा था जिसे मैं दुनिया मे सब्से ज़्यादा नफ़रत करने
लगी थी. उसने मेरी दोनो टाँगों को पकड़ कर छत की तरफ उठा
दिया.
"प्लीज़ नहीं, मुझे छ्चोड़ दो मैं. किसी को कुच्छ भी नहीं कहूँगा.
मेरी शादी होने वाली है. मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ. प्लीज़.
प्लीज़" मगर उनमे से किसी को भी मुझपर कोई रहम नहीं आया.
भूखे जानवरों से रहम की उम्मीद करना भी बेवकूफी का काम था.
राजा ने अपना लिंग मेरी योनि पर लगा कर ज़ोर का धक्का दिया. मगर
लिंग अंदर ना जा कर फिसल गया. अगली बार मेरी योनि की फांकों को
उंगलियों से अलग कर के उनके बीच मे अपने लिंग को सताया और एक ज़ोर
का झटका लगाया. उसका लिंग मेरी योनि को रगड़ता हुया आधा अंदर
चला गया. मैं ज़ोर से चीख उठी.
"उईईईई माआआ मर गइई" मैं तो ज़ोर ज़ोर से रोने लगी. "मैं
मययायर जौउउन्गीईइ. प्लेअसस्स्ससे मुझे छोड़ दो"
राजा ने अपने लिंग को वापस पूरा बाहर निकाला. उसके लिंग पर हल्का
हल्का खून लगा था.
"देखा साली कंवारी थी." राजा ने सबको दिखाते हुए कहा."आज तो
खूब मज़ा आएगा"
मैं तड़प रही थी. कई हाथ मुझ चारों ओर से पकड़ रखे थे इस
लिए मैं हिल भी नहीं पा रही थी. राजा के लिंग के बाहर निकलने
के कारण कुच्छ आराम हुआ. मगर राजा ने वापस जैसे ही लिंग को मेरी
योनि के ऊपर लगाया मैं सिहर उठी. इस बार उसने और ज़्यादा ज़ोर से
मेरी योनि मे पेल दिया. मैं दर्द से बिलबिला उठी. मेरी आँखों से पानी
बहने लगा. मुँह खुला हुआ था मगर मानो मुझ पर बेहोशी सी
च्छाई हुई थी. आस पास सब धुँधला दिख रहा था. कानो मे आस
पास के लोगों की आवाज़ें ऐसी लग रही थी मानो काफ़ी दूर से आ रही
हों. कुच्छ देर तक राजा पूरा लिंग अंदर कर के रुका रहा. जब वापस
उसने अपने लिंग को कुच्छ बाहर निकाल कर धक्का लगाया तो जैसे मेरी
चेतना वापस आई. मैं ,मछ्लि की तरह छटपटाने लगी. राजा को
कोई परवाह नही थी. उसने अपने लिंग को गति देदी. वो ज़ोर ज़ोर से
मुझे ठोकने लगा. मेरे मुँह से "आआअहह ऊऊओह नहियीईईन्न्न
ओफफफ्फ़ प्लस्सस्स" जैसी आवाज़ें निकल रही थी. कुच्छ देर उस तरह से
चोदने के बाद मुझे उल्टा कर के चौपाया बना कर पीछे की तरफ
से मेरी योनि पर हमला बोल दिया. एक ने सामने आकर मेरे मुँह मे अपना
लिंग घुसा दिया. अब तो मेरा किसी भी तरह का एतराज बेमानी हो गया
था. मैं तो बस उन्हें जो चाहिए वो देकर उनके चंगुल से छ्छूटना
चाहती थी. अब मेरे मुँह मे और योनि मे दोनो तरफ से धक्के लगने
लगे. एक अंदर डालता तो दूसरा बाहर निकलता और मैं दोनो के बीच
झूल रही थी. लगभग पंद्रह मिनूट तक धक्के लगाने के बाद राजा
के लिंग की पिचकारी ने वीर्य से मेरी योनि को भर दिया. राजा की
जगह दूसरे आदमी ने ले ली.
सामने वाले आदमी ने अपने लिंग को मेरे मुँह मे पूरा थेल दिया. जो की
मेरे गले के अंदर जा कर फँस गया. मैं साँस लेने को च्चटपाटने
लगी. उसका लिंग फूल कर झटके लेने लगा. मेरी आँखे उबल आई.
उसके लिंग से गाढ़ा गाढ़ा गर्म वीर्य मेरे गले से होकर पेट मे जाने
लगा. उसने मेरे सिर को ऐसे पकड़ रखा था कि मैं सिर हिला भी
नहीं पा रही थी.
"ले पी. मेरे वीर्य को पी. बहुत गोरूर था तुझेआपने ऊपर कैसी
कुतिया बनी हुई है आज." उसने अपने लिंग को बाहर निकाल लिया. लिंग
से आखरी धार मेरे मुँह पर पड़ी. वो मेरे होंठों के ऊपर से बहते
हुए नीचे टपकने लगा. अब उनलोगों ने मुझे उठा कर खड़ा किया.
एक जो मेरी योनि मे लिंग राजा के बाद घुसा रखा था वो तख्त पर
लेट गया. उसका लिंग उपर की ओर तना हुआ था. मुझे बाकी लोगों ने
गुड़िया की तरह जांघों से पकड़ कर उठा रखा था. मुझे उठाकर
उसके लिंग पर रखने लगे तो एक ने उसके लिंग को मेरी योनि से सटा
दिया. फिर सबने एक साथ मुझे छोड़ दिया. मैं धाम से उसके लिंग पर
बैठ गयी. और उसका लिंग पूरा मेरी योनि मे समा गया. उसने मुझे
खींच कर अपने सीने से सटा लिया. तभी दो हाथ मेरे हिप्स को अलग
कर दिए और मेरे गुदा द्वार पर एक लिंग सॅट गया. मैं उनकी अगली
हरकत के बारे मे सोच कर घबडा गयी. मगर मुझे सम्हलने का
मौका दिए बगैर ही एक लिंग मेरे गंद के अंदर चला गया. मैं
चीखने लगी. मगर कोई नहीं था मुझे बचाने वाला. मेरी हालत
सॅंडविच की तरह हो गयी थी. उपर नीचे से धक्के महसूस करने
लगी. एक ने मेरे सिर को पकड़ कर उठाया और उस छेद को भी खाली
नहीं रहने दिया. मुँह मे भी एक लिंग प्रवेश कर गया. बाकी लोग
मेरे बदन पर हाथ फेर रहे थे. बाकी जो दो आदमी थे उन्हों ने अपने
अपने लिंग मेरे हाथों मे पकड़ा दिए. मैं उनके लिंग पर हाथ फिराने
लगी. राजा और उसका वो साथी जो मेरा मुख मैथुन पहले कर चुक्का
था दोनो पास बैठे मेरी हालत का मज़ा ले रहे थे. एक साथ मैं
पाँच आदमियों को झेल रही थी.पाँचों एक एक करके वीर्य से मुझे
भीगा दिए. मेरा पूरा बदन वीर्य से भीगा हुआ था. हर जगह
चिपचिपाहट थी. मगर मुझमे इतनी भी ताक़त नहीं बची थी कि मैं
अपने बदन को सॉफ करती. मगर ये तो अभी शुरुआत थी. रात भर
मुझे बुरी तरह मसल्ते रही. अलग अलग टीम बना कर अलग अलग
तरह से मेरी ठुकाई हुई. सुबह तक तो मेरी हालत बहुत ही नाज़ुक हो
गयी. थी. मेरी हालत देख कर सारे मुझे वहाँ पर नंगी हालत मे
छ्चोड़ कर वहाँ से भाग लिए. मैं कई घंटों तक वहाँ पड़ी रही.
फिर किसी तरह गिडते पड़ते अपने कपड़ों को ढूँढ निकाला. ब्रा और
पॅंटी तो तार तार हो रही थी. किसी तरह बाकी कपड़ो मे अपने को
छुपाते हुए मैं वापस आई. तो दोस्तो अमीर और ग़रीब का फासला मुझे तब मालूम पड़ा
मैने अपनी बदनामी के दर से इस बात को छुपा लिया
समाप्त
Balaatkaar
Mai daisy hoon 33 saal ki shadi shuda mahila. Meri shadi ko nau saal
ho chuke hain. Magar aaj bhi mai apna pahla rape bhool nahin pati
hoo. Tab mai 23 saal ki hi thi garam khoon tha. MA, B.ED. karne ke
baad ek college me lecturar ka part time job mil gaya tha. Kuchh kar
dikhane ka junoon tha so mai kuchh jyada hi josh me agayee. B.A ke
annual exam me duty lagi thi mai jis room me thi usme 35 ladke aur
ladkiyan exam de rahe the. Unme ek awara type ka ladka bhi tha. Naam
tha Rajan. Log use Raja kahkar bulate the. Ameer ma baap ka bigda
hua aulaad tha. 25-27 saal umr hogi magar abhi bhi B.A. kar raha tha.
Exam me wo kitaab lekar nakal karne laga. Mujhe dikhai diya to maine
saath wale sir se complain ki magar unhon ne mujhe chup rahne ko
kaha. Magar mai chup rahna apne usoolon ke khilaf mana. Aur jakar
usse answer sheet aur copy chheen li.
"ye aap kya kar rahen hain" maine gusse se kaha.
"dikh nahi raha kya?"usne dhithai se kaha.
"get out of examination hall."
"madam poore college me koi nahin hai jo mujh se oonchi awaj me
bole" usne mujh ghoorte huye kaha"isliye apni awaj neeche rakh kar
baat keejiye."
Uska itna kahna tha ki maine uske copy ko pen se kaat kar uspar
comments likh diya.
"aisa hai aap aag se khel rahin hain. Abhi jawani ka khoob josh hai.
Ujhe kuchh huya to tere is badan ko masal kar rakh doonga. Munh
chhupati firegi apna." Kah kar usne meri ek chhati par ungli se
dabaya. Mai gusse se pagal ho gayee.
Uski copy aur kitab lekar principal ke paas gayee aur saari baat
batayee. Principal bhi baat ko daba dena chahta tha magar maine
cheekh cheekh kar sab ko ikattha kar liya. Paincipal ko akhir me
uski complain book karke examination se bahar karna pada. Magar mai
uska naam college se restricate karwa kar hi mani.
Wo mujhe bhaddi bhaddi galiyan wahin sab ke saamne hi dene laga. Mai
apni jeet par fooli nahin sama rahi thi. Magar ye jeet bus kuchh din
ki hi rahi. Shuru ke kuchh din to savdhan rahi magar kuchh din baad
wapas laparwah ho gayi. Dus din baad B.Sc. ke practicle shuru ho
gaye. Meri duty answer sheets samhalne ke liye laga di. Us din free
hote hote sham ho gayee. College se bus stand kuchh doori par tha.
College shahar se 5 kms. Door bana tha. Aas paas koi khas basti nahi
thi. Isliye off time me jagah kuchhsoon san ho jata tha. Us din apna
saman lekar nikali to stan par sirf ek admi aur khada tha. Mai ja
kar uske paas khadi ho gayi. Tabhi ek bolero teji se akar thik mere
samne ruki. Mere sath khade admi ne apni jeb se roomal nikaal kar us
par kuchh dala aur is se pahle ki mai kuchh samajh pati. Uska geela
roomal meri munh aur naak par rakh diya. Ek bheeni khushboo ke saath
andhera chhata chala gaya.
Mujhe nahin maloom mai kitni der behosh rahi. Jab aankh khuli to
maine apne aap koek bade hall me paya. Charon or andhera tha sirf
sir ke oopar ek tej roshni ka bulb jal raha tha. Jiski roshni sirf
mai jis takhat par padi thi uske oopar hi aarahi thi. Mai uth kar
baithi to sabse pahle jis cheej par najar gayee wo tha ki mere badan
par ek bhi kapda nahin tha. Mai takht par bilkul nangi halat me
bithi thi. Mere dono hath fauran mere stanon ko dhakne ki koshish
karne lage.maine apni tangen sikod li jis se meri yoni chhup jaye.
Tabhi hall hansne ki awaj se goonj utha. Maine idhar udhar dekhne ki
koshish ki. Charon or andhere ke karan kuchh bhi nahin dikh raha
tha. Tabhi ek admi andhere se roshni ke dayre me aya. Wo Rajan tha.
Mai shamti hui us se apne nagn badan ko chhipane ki koshish ki. Usne
mere balon ko mutthi me pakad kar mere chehre ko apni taraf ghumaya.
"kyon, maine tujhe mana kiya tha na ki mujh se mat ulajh. Magar tu
nahin mani. Aab dikha wo tevar.dekhta hoon kaun ata hai tujhe
bachane ke liye."usne mere honthon ko jabardasti apne honthon par
daba diya. Mai apna munh hatana chahti thi magar usne balon ko
sakhti se pakad rakha tha. Mere sir me teevra dard kar raha tha.
"aab tujhe pata chalega Raja se panga lene ka anjam. Tere sharer ko
tab tak hum maslenge jab tak humara mun nahin bhar jaye." Kahkar
usne mere urojon par se hath hata diye. Mai us se bhid gayee. To
uska ek jhannatendaar thappad mere gal par pada mujhe charon or tare
najar ane lage. Mera virodh ek dum se bhap ban kar ud gaya. Tabhi
hall me roshni ho gayi. Maine dekha ki waha uske alawa saat admi aur
mojood the. Wo sare Rajan ki gang ke hi admi the. Mujhe mahsoos ho
gay ki ab meri halat pinjre me band kisi chidiya jaisi ho gayee hai.
Ab ye athon admi mere poore badan ko noch dalenge. Kamre me sare
admi nagn the unke lund mujhe chodne ke liye betaabi se khade the.
Maine apne aap ko Raja se chhudaya aur khat se uthkar bhagne lagi.
Mujhe ek darwaja najar aya to us or lapki. Sare addmi hans rahe the.
"bhag jitna bhag sakti hai bhag. Bach nahin payegi humse."
"apni halat par to najar daal. Is halat me agar bahar bhi nikal
gayee to kya bahar waale tujhe bina masle chhod denge?" maine apne
badan par najar dali. Magar fir bhi unke hathon se bachne ke liye ji
tod koshish kar rahi thi. Tabhi Raan ne kaha "bahut hu gaya yaron ab
jyada samay kharab na karke shuruat ki jaye. Mujhe pakad kar ek admi
ghaseet ta hua rajan tak le gaya. Rajan ne mere gardan ko pakad kar
neech ki or dabaya.
"dekh mere lund ko dekh. Ye aaj tere andar jayega. Ab ise munh me
lekar pyaar kar" mai lagatar sangharsh kar rahi thi. Tabhi peechhe
wale admi ne mere stanon ko zor zor se masala. Na chahte huye bhi
mere munh se cheekh nikal gayi.
"chhod chhod mujhe nahin to tum sabko jail bhijwa doongi"
"tu aisa koi kaam nahin karegi. Ye samne titu hai isne kai logon ko
upar bhijwa diya hai. Tujhe agar apni jaan pyari ho to tu kuchh bhi
nahi karegi. Agar police station gayee to bhi koi report nahin
likhega. Kyonki tujhe chodne me DSP ka beta bhi Shamil hai."
Kai haath mere nagn badan ko noch rahe the. Mai bas kasmasa rahi
thi. Fir unhon ne mujhe ghutno ke bal bitha diya aur ek ne mere gale
ko dabaya. Mujhe chhatpata kar apna munh kholna pada. Raja ka ling
mere jeebh ke upa se sarakta hua andar chala gaya. Uske ling se
peshab ki smell a rahi thi. Mujhe jor ki ubkai ayee. Magar logon ne
mujhe sakhti se pakad rakha tha isliye. bardast karne ke alawa mere
paas koi chara nahin tha. Usne mere sir ko majbooti se apne hathon
se thama aur apna ling andar bahar karne laga. Uska ling kafi andar
tak chot kar raha tha. Baki admi mere stanon ko masal masal kar lal
surkh kar diye the. Mere baal khul kar chehre par bikhar gaye the.
Kuchh der tak mujhe isi tarah ragadne ke baad mujhe kheencte huye
takht par le gaye. Mujhe uspar patak diya aur mere hath pairon ko
faila char taraf se char admiyon ne pakad rakha tha. Mera poora
badan unke samne nuche jane ke liye taiyaar tha. Sabse pahle Raja
mere oopar aya mai tub tak kunwari thi. Aaj mere kunwarepan ko Wo
admi lootne ja raha tha jise mai duniya me sbse jyada nafrat karne
lagi thi. Usne mere dono taangon ko pakad kar chat ki taraf utha
diya.
"please nahin, mujhe chhod do mai. Kisi ko kuchh bhi nahin kahoong.
Meri shaadi hone wali hai. Mai tumhare hath jodti hoon. Please.
Pleeeeease" magar unme se kisi ko bhi mujhpar koi raham nahin ayee.
Bhookhe janwaron se raham ki ummeed karna bhi bewkoofi ka kaam tha.
Raja ne apna ling meri yoni par laga kar jor ka dhakka diya. Magar
ling andar na ja kar fisal gaya. Agli baar meri yoni ki fankon ko
ungliyon se alag kar ke unke beech me apne ling ko sataya aur ek jor
ka jhatka lagaya. Uska ling meri yoni ko ragadta huya adha ander
chala gaya. Mai jor se cheekh uthi.
"uiiiiii maaaaaa maarr gayeeee" mai to jor jor se rone lagi. "mai
maaaar jauuungiiiii. Pleassssse mujhee chooood do"
raja ne apne ling ko wapas poora bahar nikala. Uske ling par halka
halka khoon laga tha.
"dekh saali kanwari thi." Raja ne subkao dikhate huye kaha."aaj to
khoob maja ayega"
mai tadap rahi thi. Kai haath mujh charon or se pakad rakhe the is
liye mai hil bhi nahin paa rahi thi. Raja ke ling ke bahar nikalne
ke karan kuchh aram hua. Magar Raja ne wapas jaise hi ling ko meri
yoni ke oopar lagay mai sihar uthi. Is baar usne aur jyada jor se
meri yoni me pel diya. Mai dard se bilbila uthi. Meri ankhon se pani
bahne laga. Munh khula hua tha magar mano mujh par behoshi si
chhayee hui thi. Aas paas sub dhundhla dikh raha tha. Kaano me aas
paas ke logon ki awajen aisi lag rahi thi mano kafi door se a rahi
hon. Kuchh der tak Raja poora ling andar kar ke ruka raha. Jab wapas
usne apne ling ko kuchh bahar nikaal kar dhakka lagaya to jaise meri
chetna wapas ayee. Mai ,machhli ki tarah chatpatane lagi. Raja ko
koi parwah nahi thi. Usne apne ling ko gati dedi. Wo jor jor se
mujhe thokne laga. Mere munh se "aaaaahhhh ooooohhhh nahiiiiinnn
offff plssss" jaisi awajen nikal rahi thi. Kuchh der us tarah se
chodne ke baad mujhe ulta kar ke chaupaya bana kar peechhe ki taraf
se meri yoni par humla bol diya. Ek ne samne aakar mere munh me apna
ling ghusa diya. Ab to mera kisi bhi tarah ka etraaj bemani ho gaya
tha. Mai to buss unhen jo chahiye wo dekar unke changul se chhootna
chahti thi. Ab mere munh me aur yoni me dono taraf se dhakke lagne
lage. Ek andar daalta to doosra bahar nikalta aur mai dono ke beech
jhool rahi thi. Lagbhag pandrah minut tak dhakke lagane ke baad Raja
ke ling ki pichkaari ne veerya se meri yoni ko bhar diya. Raja ki
jagah dosre admi ne le li.
Samne wale admi ne apne ling ko mere munh me poora thel diya. Jo ki
mere gale ke andar ja kar fans gaya. Mai saans lene ko chhatpatne
lagi. Uska ling fool kar jhatke lene laga. Meri ankhe ubal ayee.
Uske ling se gadha gadha garm veerya mere gale se hokar pet me jane
laga. Usne mere sir ko aise pakad rakha tha ki mai sir hila bhi
nahin parahi thi.
"le pee. Mere veerya ko pee. Bahut goroor tha tujheapne oopar kaisi
kutiya bani hui hai aaj." Usne apne ling ko bahar nikal liya. Ling
se akhri dhar mere munh par padi. Wo mere honthon ke oopar se bathe
huye neeche tapakne laga. Ab unlogon ne mujhe utha kar khada kiya.
Ek jo meri yoni me ling Raaja ke baad ghusa rakha tha wio takht par
let gaya. Uska ling upar ki or tana hua tha. Mujhe baki logon ne
gudiya ki tarah janghon se pakad kar utha rakha tha. Mujhe uthakar
uske ling par rakhne lage to ek ne uske ling ko meri yoni se sata
diya. Fir sabne ek saath mujhe chod diya. Mai dham se uske ling par
baith gayee. Aur uska ling poora meri yoni me sama gaya. Usne mujhe
kheench kar apne seene se sata liya. Tabhi do hath mere hips ko alag
kar diye aur mere guda dwar par ek ling sat gaya. Mai unki agli
harkat ke bare me soch kar ghabda gayee. Magar mujhe samhalne ka
mauka diye bagair hi ek ling mere gand ke andar chala gaya. Mai
cheekhne lagi. Magar koi nahin tha mujhe bachane wala. Meri halat
sandwich ki tarah ho gayee thi. Upar neeche se dhakke mahsoos karne
lagi. Ek ne mere sir ko pakad kar uthaya aur us chhed ko bhi khali
nahin rahne diya. Munh me bhi ek ling pravesh kar gaya. Baki log
mere badan par hath fer rahe the. Baaki jo do admi the unhon ne apne
apne ling mere hathon me pakda diye. Mai unke ling par hath firane
lagi. Raja Aur uska wo sathi jo mera much maithun pahle kar chukka
tha dono paas baithe meri halat ka maja le rahe the. Ek saath mai
paanch admiyon ko jhel rahi thi.paanchon ek ek karke veerya se mujhe
bhiga diye. Mera poora badan veerya se bheega hua tha. Har jagah
chipchipahat thi. Magar mujhme itni bhi taqat nahin bachi thi ki mai
apne badan ko saaf karti. Magar ye to abhi shuruaat thi. Raat bhar
mujhe buri tarah masalte rahi. Alag alag team bana kar alag alag
tarah se meri thukai hui. Subah tak to meri halat bahut hi najuk ho
gayee. Thi. Meri halat dekh kar saare mujhe wahan par nangi halat me
chhod kar wahan se bhag liye. Mai kai ghanton tak wahan padi rahi.
Fir kisi tarah gidte padte apne kapdon ko dhoondh nikala. Bra aur
panty to tar tar ho rahi thi. Kisi tarah baki kapdonn me apne ko
chhupate huye mai wapas ayee.
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1 comment:
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Thank You.
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