Friday, February 18, 2011

हर रात सुहाग रात पार्ट---1

हिंदी सेक्सी कहानियाँ


हर रात सुहाग रात पार्ट---1

मेरा नाम सलमा है. मैं कराची पाकिस्तान की रहने वाली हूँ. मेरी उमर 23
साल की है और मेरी फिगर 34-26-36 है. (निकाह के समय मेरी छातियाँ 30 की
थी). मेरा निकाह 2 साल पहले हुआ है. मेरा शौहर एक मल्टी-नॅशनल कंपनी में
असिस्टेंट मार्केटिंग मॅनेजर का काम करता है. उसको अक्सर टूर पे रहना
पड़ता है. मेरे शौहर का नाम साजिद है. वो दो भाई हैं. एक उनसे 2 साल
छ्होटा है और उसका नाम माजिद है. माजिद भी एक अच्छि कंपनी में इंजिनियर
है और उसका निकाह 6 महीने पहले ही मेरी छोटी बहेन सायरा के साथ हुआ है.
सायरा की उमर 20 साल की है और उसकी फिगर 36-26-34 है. हम लोग एक ही घर
में रहते हैं जो कि 2 बेडरूम का है.

मैं आज आपको अपने उस तज़ुर्बे का बयान करना चाहती हूँ जो मुझे पिच्छले
कुच्छ समय में हुआ है और जिसने मेरी ज़िंदगी बदल दी और मुझे ज़न्नत का
मज़ा दे दिया है. मैं निकाह से पहले सेक्स के बारे में ज़्यादा कुच्छ
नहीं जानती थी. मेरी सहेलियाँ सेक्स के बारे में अक्सर बहुत बातें करती
थी और खूब हँसती थी. मैं कई बार उनकी बात का मतलब नही समझ पाती थी पर
बेवकूफ़ ना समझी जाऊं इसलिए उनके साथ हंस देती थी. जब मेरा निकाह पक्का
हुआ था तो वे लोग मेरे साथ बहुत मसखरी करती थी. मुझे याद है मेरे होने
वाले शौहर को देख कर एक सहेली ने कहा कि सलमा का शौहर तो 6 फुट लंबा है
और काफ़ी तगड़ा है. दूसरी बोली की सलमा को 6 फुट से क्या करना है, उसको
तो 6 इंच से मतलब है वो तगड़ा होना चाहिए. और सब लोग ज़ोर से हंस पड़ी.
मैं तब इस बात का मतलब समझ नही पाई थी. असल में मैने अपने निकाह से पहले
कभी लंड देखा नही था – ना हक़ीक़त में और ना ही किसी फोटो में. जब मैं 14
साल की थी तब मेरे छ्होटे भाई को जिसकी उमर 8 साल थी मैने कई बार पेशाब
करते देखा था. वो नाली पे तिरच्छा खड़ा हो कर पेशाब करता था जिससे उसका
लंड मुझे दिखाई देता था. उसकी लंबाई 2-3 इंच की होगी और एकदम पतला दिखता
था.

मुझे निकाह के समय ये तो मालूम था कि मर्द अपना लंड औरतों की चूत में
डालते हैं जिसको सेक्स करना कहते हैं. मैं सोते समय अपनी चूत के उपर
उंगली रख कर गोल गोल घुमाती थी और गरम होने पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ती थी
जिससे मुझे बहुत मज़ा आता था. मेरी चूत से बहुत सारा पानी छ्छूट जाता था.
उस समय मेरे मन में 2-3 इंच के पतले से लंड की तस्वीर होती थी.

जब मैने सुहाग रात में अपने शौहर का लंड पहली बार देखा तो मेरे होश
फाख्ता हो गये. कम से कम 7-8 इंच का बहुत मोटा सा हथियार था उसका. मुझे
तो देख कर ही चक्कर आ गया था कि यह मेरी चूत मे जाएगा कैसे. मुझे लगा था
कि मैं मर जाऊंगी. जब उसने मुझे अपना लंड पकड़ने को बोला तो मैं हाथ रखते
ही थरथरा उठी थी. बहुत वजन था उसमे और मेरी हथेली में ठीक से समा नही रहा
था. उसने अपने हाथ को मेरे हाथ के उपर रख दिया और लंड को आगे पीछे कर के
सहलाने के लिए कहा. पर मुझे बड़ी घबराहट हो रही थी. जैसे ही उसने अपना
हाथ हटाया मैने भी अपना हाथ हटा लिया. मेरा पूरा बदन काँप रहा था. मुझे
बहुत पसीना आ रहा था और मेरा दिल ये माँग रहा था कि किसी तरह यह मुसीबत
की घड़ी आज टल जाए. साजिद बड़ा समझदार था. उसने मेरे साथ ज़बरदस्ती नही
की. वो मेरी छातियो को कपड़ो के उपर से सहलाता रहा और उनको चूमता रहा.
थोड़ी देर में मुझे अच्छा लगने लगा. फिर उसने धीरे से अपना हाथ मेरे
लहंगे में डाल दिया. मेरी सहेलियों ने मुझे कहा था कि सुहाग रात के समय
ल़हेंगे के अंदर कुच्छ मत पहेनना इसलिए जैसे ही उसने हाथ अंदर डाला उसका
हाथ सीधा मेरी चूत से टकराया. वो खुश हो गया और मेरी चूत के बाल सहलाने
लगा. पहले तो मैं शर्मा कर अपने पैर सिकोड़ने लगी पर बाद में मुझे भी
अच्च्छा लगने लगा तो मैने उसे सहलाने दिया. साजिद बिल्कुल वैसे ही कर रहा
था जैसे मैं सोते समय करती थी पर मुझे साजिद की उंगलियों से नशा सा छ्छा
रहा था. मेरी आँखें मूंदी जा रही थीं. थोड़ी देर में मैं सिसकारियाँ भरने
लगी और मेरी चूत एकदम गीली हो गयी. उसने अपनी उंगली मेरी चूत के अंदर
करने की कोशिश करी पर वो अंदर गयी नही. मुझे दर्द भी बहुत ज़ोर से हुआ और
मैं चीख पड़ी. उसने फ़ौरन अपनी उंगली हटा ली और वापस मेरी चूत के उपर
उंगलियाँ फेरने लगा. फिर उसने अपनी 2 उंगली मेरी चूत के उपर दबा कर रख दी
और दायें बायें ज़ोर ज़ोर से उंगलियाँ हिलाने लगा. मुझे बहुत मज़ा आने
लगा. अचानक उसने मेरी चून्चि कपड़ो के साथ ही अपने मूँह मे ले ली और उनको
धीरे धीरे चूसने लगा. उनमे बहुत ज़ोर से एक ल़हेर दौड़ रही थी जो मुझे
पागल करे दे रही थी. इसके बाद साजिद ने एक बार फिर मेरा हाथ अपने लंड पे
रख दिया और उसे पकड़ने के लिया कहा. इस बार मुझे डर नही लगा और मैने उसे
पकड़ लिया. साजिद खुशी से सिसकार उठा और बोला "वाह मेरी सलमा जान, मज़ा आ
गया.". मुझे बहुत अच्च्छा लगा कि मैने भी उसको मज़ा दिया. तभी साजिद ने
अपनी लूँगी उतार के फेंक दी. मैने देखा कि उसके ख़ूँख़ार लंड के पीछे
बहुत सारे बाल थे. उस जंगल में से उसका लंड शेर की तरह सिर उठा कर झाँक
रहा था. मैं एकटक उसके लंड को देखे जा रही थी. मैने सोचा ही नही था कि उस
जगह पर इतने सारे बाल होंगे. बाल मेरी चूत पे भी उगते थे, पर मैं समय समय
पर उनको काट देती थी. पर उसका जंगल तो बहुत घना था. जिस समय मैं उसके लंड
के बालो को निहार रही थी, उसी दरमियाँ उसने अपना कुर्ता और बनियान भी
उतार फेंकी. अब वो बिल्कुल नंगा हो गया था. उसका लंड एकदम सख़्त और बहुत
बड़ा हो चुका था.

तभी उसने मुझे अपने हाथों से पकड़ा और ज़ोर से अपनी बाहों में भींच लिया.
मैं उसके सीने से लिपट गयी. मैने अपनी आँखें बंद कर ली. वो मेरी पीठ
सहलाने लगा. मुझे बहुत अच्च्छा लग रहा था. बहुत रोमांच भी हो रहा था कि
ना जाने अब आगे वो क्या करेगा. मेरी पीठ पर हाथ फेरते फेरते उसने धीरे से
अपना हाथ मेरे कुर्ते के अंदर डाल दिया और मेरे बदन पे उसके हाथ थिरकने
लगे. वो मेरी पीठ सहलाता रहा. बार बार उसकी उंगलियाँ मेरी ब्रा के
स्ट्रॅप से टकरा रही थीं. तभी उसने थोड़ा पीछे हट कर मेरी कुरती उतार दी.
मैने कोई ऐतराज़ नही किया बल्कि चुप चाप अपने हाथ उपर उठा कर कुरती
उतारने दिया. कुरती उतार कर उसने एक नज़र मेरी चून्चियो पर डाली जो ब्रा
में क़ैद थी. मुझे शरम आ गयी. मुझे शरमाते देख कर उसने फिर मुझे अपनी
बाहों में भींच लिया और मेरी पीठ फिर से सहलाने लगा. सहलाते सहलाते पता
नही कब धीरे से उसने मेरी ब्रा के हुक खोल दिए. मेरी ब्रा ढीली हो गयी.
मेरी चूचियो को आज़ादी मिल गयी. मुझे अच्च्छा लग रहा था इसलिए मैने कोई
विरोध नही किया. उसने मेरी ब्रा उतार दी और धीरे से मुझे लिटा दिया. मैने
अपनी आँखें बंद कर रखी थी. वो एक हाथ से मेरी एक चून्चि सहलाने लगा और
दूसरे हाथ से उसने मेरी दूसरी चून्चि पकड़ कर अपने मूँह में डाल ली. वो
मेरे निपल्स पर जीभ फेरने लगा. मेरे निपल्स सख़्त होने लग गये और बाहर को
निकल आए. मैं बहुत मस्त हो उठी थी. मुझे महसूस होने लगा कि मेरी चूत बहुत
ज़ोर से गीली होने लगी थी. वो मेरे एक निपल को अपनी उंगलियों से और दूसरे
को अपनी जीभ से सहलाए जा रहा था. तभी अचानक उसने अपना हाथ जो मेरी चून्चि
पर था, फिर से मेरे ल़हेंगे में डाल दिया और मेरी चूत पे हाथ फेरने लगा.
मेरे पूरे जिस्म में आग सी लग गयी थी. ऐसा लग रहा था जैसे बहुत से कीड़े
मेरे बदन पे रेंग रहे हों. वो अपनी उंगलियों की रगड़ मेरी चूत पे बढ़ाता
जा रहा था. अचानक मैं झड़ने लगी. मेरी टांगे एकदम अपने आप सिकुड गयी और
आपस में चिपक गयी. मेरा बदन अकड़ने लगा मेरी चूत का रस जोरों से निकल रहा
था जो मेरे पूरे तन बदन में लगी आग को बुझा रहा था. मेरी चूत में 440
वॉल्ट का करेंट दौड़ रहा था. अचानक मेरा बदन ढीला पड़ गया और में ज़ोर से
उससे लिपट गयी. हम काफ़ी देर तक ऐसे ही पड़े रहे. फिर उसने धीरे से मेरा
ल़हेंगा उतार दिया. अब मैं भी पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. बत्ती जल रही थी
इसलिए मुझे बड़ी शरम सी आ रही थी.

फिर वो धीरे से नीचे की तरफ खिसकने लगा और उसका चेहरा मेरी टाँगो के बीच
में पहुँच गया. वो मेरी चूत को निहारने लगा. बीच बीच में वो उसका चुम्मा
भी ले लेता था. जब उसके होंठ मेरी चूत को छ्छूते थे तो मेरी चूत में
बिजली दौड़ जाती थी. वो अपनी जीभ से मेरी चूत के रस को चाटता भी जा रहा
था. थोड़ी देर में उसने अपनी जीभ मेरी चूत के बीच घुसा दी और ज़ोर ज़ोर
से आगे पीछे दाए बाए घुमाने लगा. मेरी चूत ज्वालामुखी बन गयी. पहली बार
ऐसा तजुर्बा हो रहा था. जी कर रहा था कि यह रात कभी भी ख़त्म ना हो. मुझे
लगा की मेरी चूत से नदी की तरह रस बहने लगा था. उसने बहुत देर तक मेरी
चूत को चॅटा. फिर वो उपर सरक गया और मेरी चून्चि फिर से अपने मूँह में ले
ली. उसने अपने दाँत मेरे निपल्स पे गढ़ा दिए. मेरी हल्की सी चीख निकल
गयी. उसका भूखा लंड मेरी जाँघो से रगड़ खा रहा था जिसकी वजह से वो और
सख़्त होता जा रहा था. उसने फिर मेरा हाथ अपने लंड पे रख दिया. इस बार
मैने भी उसका लंड अपनी मुट्ठी में दबा लिया और अपना हाथ आगे पीछे करने
लगी. उसके मूँह से सिसकारियाँ निकालने लगी. यह देख के मैने अपने हाथ की
रफ़्तार बढ़ा दी. तभी वो उठा और मेरे उपर बैठ गया. उसने अपनी टाँगें मेरे
बदन के दोनो ओर रख ली और अपने घुटनो पर इस तरह बैठ गया की उसका वजन मेरे
उपर ना पड़े. अब उसका लंड मेरी चूचियो के बीच में था. वो उसे मेरी
चून्चियो के बीच में रगड़ने लगा. फिर वो अपना लंड मेरे मूँह के पास ले
आया और उसे मेरे होटो पे रख दिया. मैने ज़ोर से मूँह बंद कर लिया. एक
तेज़ गंध मेरी नाक में घुसी जा रही थी. वो गंध मैं बर्दाश्त नही कर पा
रही थी. उसने मुझे लंड चूसने के लिए कहा पर मेरी हिम्मत नही पड़ी. मैने
मेरा मूँह घुमा लिया. उसने ज़बरदस्ती नही की और अपना लंड थोड़ा पीछे ले
लिया और मुझे अपने हाथो से उनको आगे पीछे करने को कहने लगा. मैने मुश्किल
से आठ दस सपाते ही मारे होंगे की अचानक उसके लंड से उसकी मलाई निकलने
लगी. यह मैं पहली बार देख रही थी. मैं एकदम से चौंक पड़ी. उसकी मलाई मेरी
चून्चि और गले पे गिर रही थी. उसने मुझसे कहा कि मैं रुकु नही और पूरा का
पूरा रस एक साथ निकाल दूँ. मैं अपना हाथ चलाती रही जब तक की उसका रस
निकलना बंद नही हुआ. उसने बहुत सारा रस निकाला था जो मेरे पूरे बदन पे
फैला हुआ था. उसने अपने दोनो हाथों से मेरी दोनो चून्चियो पर अपने रस की
मालिश कर दी. थोड़ी देर में मेरे हाथ में ही उसका लंड ढीला होने लगा और
वो धीरे से मेरे बगल में लेट गया. मैने उसका लंड पकड़े रखा. थोड़ी देर
में हम दोनो गहरी नींद में सो गये.

रात को 4 बजे मेरी आँख खुल गयी. साजिद अपना मूँह मेरी टाँगो के बीच में
डाल कर मेरी चूत को चाट रहा था. उसका लंड एकदम टाइट हो कर मेरे बदन से
रगड़ खा रहा था. उसकी जीभ मेरी चूत में चमत्कार दिखा रही थी और मैं गरम
होती जा रही थी. अचानक वो उठा और मेरी टाँगें फैला कर अपना लंड वहाँ रखने
लगा. मुझे जोरो का दर्द हुआ. मैने उसे रोका. उसने बहुत सारा थूक अपने लंड
में लगा लिया और फिर एक बार उसने लंड मेरी चूत में डालने की कोशिश की.
मेरी चूत बहुत टाइट थी. लंड अंदर नही जा रहा था. मैने उसका लंड अपने हाथ
में पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी. वो काफ़ी तगड़ा हो चुका था. तभी साजिद
उठा और उसने पास की टेबल से तेल की शीशी उठा ली. उसने बहुत सारा तेल मेरी
चूत के दरवाजे पे डाल दिया. फिर उसने बहुत सारा तेल अपने लंड पे भी लगाया
और उसके बाद लंड मेरी छूट के मूँह पर रख कर उसने ज़ोर का धक्का मारा.
मेरी ज़ोर से चीख निकल गयी. उसने अपना हाथ मेरे मूँह पे रख दिया. मैं
दर्द से बिलबिला उठी थी और उसके नीचे तड़प रही थी. उसका लंड कम से कम 2
इंच तक मेरी चूत में घुस चुका था. मैं अपने आपको पीछे सिकोड कर उसे
निकालने की कोशिश कर रही थी कि उसने ज़ोर का दूसरा धक्का मारा और लंड कम
से कम तीन चौथाई मेरी चूत में घुस गया. ऐसा लग रहा था कि कोई नश्तर मेरे
अंदर उतार दिया जा रहा था. मुझसे दर्द बर्दाश्त नही हो रहा था. उसने मेरा
मूँह बंद किया हुआ था. मैं अपने आपको उसकी पकड़ से छुड़ाने के लिए तड़प
रही थी. तभी उसने एक झटका और मारा और उसका पूरा का पूरा लंड मेरी चूत के
अंदर समा गया. मुझे लगा की मैं बेहोश हो जाउन्गि. मुझसे बर्दाश्त बिल्कुल
नही हो रहा था. मैं रोना चाह रही थी. मैं पूरी कोशिश कर रही थी कि उसको
अपने उपर से हटा दूँ पर मेरी ताक़त उसकी ताक़त के आगे कमज़ोर पड़ रही थी.
मैं खुदा को याद करने लगी और उससे दरख़्वाष्ट करने लगी की मुझे इस
जहन्नुम से निकाल दे. मैं पूरे यकीन के साथ कह सकती थी की अगर वो अपने
लंड से एक झटका और मार देता तो मैं वहीं मर जाती. मुझे महसूस हो रहा था
की मेरी चूत एकदम फॅट चुकी थी और उसकी दुर्गति के बारे में सोच कर मुझे
बहुत अफ़सोस हो रहा था. अगर साजिद मेरे मूँह पर से हाथ हटा देता तो मैं
इतनी ज़ोर से चीखती की सारा मोहल्ला जाग जाता. पर उसने मेरा मूँह दबाया
हुआ था. लेकिन एक बात जो अच्छि हुई थी वो यह कि अब साजिद ने हिलना बंद कर
दिया था. वो ऐसे ही चुप चाप मेरी चूत में अपना लंड घुसाए हुए लेटा रहा.
जब उसने धक्के मारने बंद कर दिए तो मेरा दर्द भी थोड़ा कम हुआ. मैने धीरे
से अपना हाथ नीचे लगा कर चेक किया तो पाया की लंड पूरा मेरी चूत के अंदर
था. मुझे हैरानी हो रही थी की इतना बड़ा लंड मेरी इतनी छ्होटी सी चूत में
आख़िर समाया कैसे. हाथ उपर लिया तो देखा कि मेरी उंगलियों पर खून लगा हुआ
था. मैं बहुत ज़ोर से घबरा गयी. मुझे यकीन हो गया कि मेरी चूत फॅट गयी थी
और मैं बिलबिलाने लगी अलग होने के लिए. पर मैं उसे धकेल नही पा रही थी.
उसने तभी मेरे मूँह से अपना हाथ हटाया. मैं चीखने ही वाली थी कि उसने
मेरा मूँह अपने होटो से बंद कर दिया और मेरे होटो को चूसने लगा. साथ ही
वो दोनो हाथों से मेरी चून्चियो को भी सहलाने लगा. थोड़ी देर में मुझे
अच्च्छा लगने लगा और दर्द भी कम हो गया. जब मैं थोड़ी शांत हो गयी तो
उसने अपना मूँह हटा लिया और बताया कि इस खून से डरने वाली कोई बात नही
है. यह तो पहली चुदाई की निशानी होती है. दूसरी बार चुदाई करने पे यह खून
नही आएगा. थोड़ी देर में वो अपनी चूतड़ हिलाने लगा. पर अब मुझे दर्द नही
हो रहा था. उसकी चूतड़ हिलने की वजह से उसका लंड मेरी चूत के अंदर आ जा
रहा था. उसका लंड मेरी चूत की दीवारों से रगड़ खा रहा था जिससे मुझे बहुत
मज़ा आ रहा था. थोड़ी देर में उसने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी. मेरी
चूत में एक अजीब तरह की खुजली मचने लगी. जब उसका लंड अंदर जाता था तो
खुजली कम हो जाती थी. जैसे ही वो लंड बाहर निकालता था की खुजली फिर से
शुरू हो जाती थी. मैने खुजली मिटाने के लिए अपनी चूतड़ भी उच्छालनी शुरू
कर दी. अब हम दोनो ही अपनी चूतड़ से धक्के मार रहे थे. मेरे मूँह से बहुत
ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ निकल रही थी. अचानक वो मुझसे ज़ोर से चिपक गया
और उसने अपना लंड जड़ तक मेरी चूत के अंदर घुसेड दिया. मैं समझ गयी कि वो
झाड़ रहा है. जैसे उसने मेरी चून्चि पे मलाई गिराई थी, वही मलाई अब वो
मेरी चूत के अंदर गिरा रहा था. मैं यह भी समझ गयी की अब इसके बाद उसका
लंड ढीला पड़ना शुरू हो जाएगा. मुझे थोड़ी सी मायूसी हो गयी क्योंकि मुझे
उसके टाइट लंड से अंदर बाहर करवाना बहुत अच्च्छा लग रहा था. अचानक वो फिर
से धक्के लगाने लगा.

उसका लंड अब उतना टाइट तो नही लग रहा था पर फिर भी मज़ा आ रहा था. तभी
मुझे भी मेरी चूत के अंदर करेंट दौड़ते हुए महसूस हुआ और मेरा बदन भी
अकड़ने लगा. मैं भी झड़ने लगी थी. मैने उसे जोरो से बाहों मे भर लिया और
उससे एकदम बेल की तरह चिपेट गयी. थोड़ी देर में दोनो तरफ का तूफान शांत
हो गया. मुझे जोरो से पेशाब लग रही थी. साजिद को अलग कर के मैं उठी तो
मैने देखा कि बिस्तर पे बहुत सारे खून के धब्बे पड़ चुके थे. मेरी चूत से
उसके लॉड का रस बाहर निकल रहा था. मैने साजिद की लूँगी उठा कर अपनी चूत
को पोच्छा तो देखा की उसमे बहुत सारा खून भी लग गया जो मेरी चूत से निकला
था.
मैं उठ कर बाथरूम में गयी, (हमारे कमरे में बाथरूम अटॅच्ड था) और मैने
अपनी चूत को अच्छि तरह से धो कर सॉफ किया. उसके बाद उसपे थोड़ा सा तेल
लगाया तो थोड़ी सी ठंडक मिली. जब कमरे में आई तो देखा की साजिद गहरी नींद
में सो चुका था. उसका लंड एक तरफ को लुढ़का पड़ा था बिल्कुल बेजान सा हो
कर. वो 8 इंच का शेर अभी 3-4 इंच की बकरी जैसा लग रहा था. मैने एक कपड़े
से उसके लंड को पोच्छा और फिर बत्ती बंद कर के उसके लंड को हाथ में लेकर
उसके बगल में मैं भी सो गयी. आगे क्या हुआ ये अगले भाग मे पढ़े

क्रमशः.......

हर रात सुहाग रात पार्ट---1

Mera naam Salma hai. Main Karachi Pakistan ki rehne wali hoon. Meri
umar 23 saal ki hai aur meri figure 34-26-36 hai. (Nikaah ke samay
meri chhatiyan 30 ki thi). Mera nikaah 2 saal pehle hua hai. Mera
shauhar ek multi-national company mein assistant marketing manager ka
kaam karta hai. Usko aksar tour pe rehna padta hai. Mere shauhar ka
naam Sajid hai. Woh do bhai hain. Ek unse 2 saal chhota hai aur uska
naam Majid hai. Majid bhi ek achchhi company mein engineer hai aur
uska nikaah 6 mahine pehle hi meri chhoti behen Saira ke saath hua
hai. Saira ki umar 20 saal ki hai aur uski figure 36-26-34 hai. Hum
log ek hi ghar mein rehte hain jo ki 2 bedroom ka hai.

Main aaj aapko apne us tazurbe ka bayan karna chahti hoon jo mujhe
pichhle kuchh samay mein hua hai aur jisne meri zindagi badal di aur
mujhe zannat ka maza de diya hai. Main nikaah se pehle sex ke baare
mein jyada kuchh nahin jaanti thi. Meri saheliyan sex ke baare mein
aksar bahut baatein karti thi aur khoob hansti thi. Main kai baar unki
baat ka matlab nahi samajh paati thi par bevkoof na samjhee jaoon
isliye unke saath hans deti thi. Jab mera nikaah pakka hua tha to ve
log mere saath bahut maskhari karti thi. Mujhe yaad hai mere hone wale
shauhar ko dekh kar ek saheli ne kaha ki Salma ka shauhar to 6 foot
lamba hai aur kafi tagda hai. Doosri boli ki Salma ko 6 foot se kya
karna hai, usko to 6 inch se matlab hai woh tagda hona chahiye. Aur
sab log jor se hans padi. Main tab is baat ka matlab samajh nahi payi
thi. Asal mein maine apne nikaah se pehle kabhi lund dekha nahi tha –
na haqeeqat mein aur na hi kisi photo mein. Jab main 14 saal ki thi
tab mere chhote bhai ko jiski umar 8 saal thi maine kai baar peshaab
karte dekha tha. Woh naali pe tirchha khada ho kar peshaab karta tha
jisse uska lund mujhe dikhai deta tha. Uski lambai 2-3 inch ki hogi
aur ekdam patla dikhta tha.

Mujhe nikaah ke samay ye to maloom tha ki mard apna lund auraton ki
choot mein daalte hain jisko sex karna kehte hain. Main sote samay
apni choot ke upar ungli rakh kar gol gol ghumati thi aur garam hone
par jor jor se ragadti thi jisse mujhe bahut maja aata tha. Meri choot
se bahut saara pani chhoot jata tha. Us samay mere man mein 2-3 inch
ke patle se lund ki tasveer hoti thi.

Jab maine suhaag raat mein apne shauhar ka lund pehli baar dekha to
mere hosh fakhta ho gaye. Kam se kam 7-8 inch ka bahut mota sa
hathiyaar tha uska. Mujhe to dekh kar hi chakkar aa gaya tha ki yeh
meri choot me jayega kaise. Mujhe laga tha ki main mar jaoongi. Jab
usne mujhe apna lund pakadne ko bola to main haath rakhte hi tharthara
uthi thi. Bahut wajan tha usme aur meri hatheli mein theek se samaa
nahi raha tha. Usne apne haath ko mere haaath ke upar rakh diya aur
lund ko aage peechhe kar ke sahlane ke liye kaha. Par mujhe badi
ghabrahat ho rahi thi. Jaise hi usne apna haath hataya maine bhi apna
haath hata liya. Mera poora badan kaanp raha tha. Mujhe bahut pasina
aa raha tha aur mera dil ye maang raha tha ki kisi tarah yeh musibat
ki ghadi aaj tal jaaye. Sajid bada samajhdar tha. Usne mere saath
zabardasti nahi ki. Woh meri chhatiyon ko kapdo ke upar se sahlata
raha aur unko choomta raha. Thodi der mein mujhe achcha lagne laga.
Fir usne dhire se apna haath mere lehnge mein daal diya. Meri
saheliyon ne mujhe kaha tha ki suhaag raat ke samay lehenge ke andar
kuchh mat pehenana isliye jaise hi usne haath andar daala uska haath
seedha meri choot se takraya. Woh khush ho gaya aur meri choot ke baal
sehlane laga. Pehle to main sharma kar apne pair sikodne lagi par baad
mein mujhe bhi achchha lagne laga to maine use sahlane diya. Sajid
bilkul waise hi kar raha tha jaise main sote samay karti thi par mujhe
Sajid ki ungliyon se nasha sa chhaa raha tha. Meri aankhein mundi ja
rahi theen. Thodi der mein main siskariyan bharne lagi aur meri choot
ekdam geeli ho gayi. Usne apni ungli meri choot ke andar karne ki
koshish kari par Woh andar gayi nahi. Mujhe dard bhi bahut jor se hua
aur main cheekh padi. Usne fauran apni ungli hata li aur waapas meri
choot ke upar ungliyan ferne laga. Phir usne apni 2 ungli meri choot
ke upar daba kar rakh di aur daayein baayein jor jor se ungliyan
hilane laga. Mujhe bahut maza aane laga. Achanak usne meri choonchi
kapdo ke saath hi apne moonh me le li aur unko dhire dhire choosne
laga. Unme bahut jor se ek leher daur rahi thi jo mujhe paagal kare de
rahi thi. Iske baad Sajid ne ek baar fir mera haath apne lund pe rakh
diya aur use pakadne ke liya kaha. Is baar mujhe dar nahi laga aur
maine use pakad liya. Sajid khushi se siskar utha aur bola "Waah meri
Salma jaan, mazaa aa gaya.". Mujhe bahut achchha laga ki maine bhi
usko maja diya. Tabhi Sajid ne apni lungi utaar ke phenk di. Maine
dekha ki uske khoonkhar lund ke peechhe bahut saare baal the. Us
jungle mein se uska lund sher ki tarah sir utha kar jhaank raha tha.
Main ektak uske lund ko dekhe ja rahi thi. Maine socha hi nahi tha ki
us jagah par itne saare baal honge. Baal meri choot pe bhi ugte the,
par main samay samay par unko kaat deti thi. Par uska jungle to bahut
ghana tha. Jis samay main uske lund ke baalo ko nihaar rahi thi, usi
darmiyan usne apna kurta aur baniyan bhi utar phenki. Ab Woh bilkul
nanga ho gaya tha. Uska lund ekdam sakht aur bahut bada ho chuka tha.

Tabhi usne mujhe apne haathon se pakda aur jor se apni bahon mein
bheench liya. Main uske seene se lipat gayi. Maine apni aankhein band
kar li. Woh meri peeth sehlaane laga. Mujhe bahut achchha lag raha
tha. Bahut romanch bhi ho raha tha ki na jaane ab aage Woh kya karega.
Meri peeth par haath ferte ferte usne dheere se apna haath mere kurte
ke andar daal diya aur mere badan pe uske haath thirakne lage. Woh
meri peeth sahlata raha. Baar baar uski ungliyan meri bra ke strap se
takra rahi theen. Tabhi usne thoda peechhe hat kar meri kurti utar di.
Maine koi aitraaz nahi kiya balki chup chaap apne haath upar utha kar
kurti utarne diya. Kurti utar kar usne ek nazar meri choonchiyon par
daali jo bra mein qaid thi. Mujhe sharam aa gayi. Mujhe sharmate dekh
kar usne phir mujhe apni baahon mein bheench liya aur meri peeth phir
se sehlaane laga. Sehlaate sehlaate pata nahi kab dheere se usne meri
bra ke hook khol diye. Meri bra dheeli ho gayi. Meri chhaatiyon ko
azadi mil gayi. Mujhe achchha lag raha tha isliye maine koi virodh
nahi kiya. Usne meri bra utar di aur dheere se mujhe lita diya. Maine
apni aankhein band kar rakhi thee. Woh ek haath se meri ek choonchi
sehlaane laga aur doosre haath se usne meri doosri choonchi pakad kar
apne moonh mein daal li. Woh mere nipples par jeebh pherne laga. Mere
nipples sakht hone lag gaye aur bahar ko nikal aaye. Main bahut mast
ho uthi thi. Mujhe mehsoos hone laga ki meri choot bahut jor se geeli
hone lagi thi. Woh mere ek nipple ko apni ungliyon se aur doosre ko
apni jeebh se sahlaye ja raha tha. Tabhi achanak usne apna haath jo
meri choonchi per tha, phir se mere lehenge mein daal diya aur meri
choot pe haath pherne laga. Mere poore jism mein aag si lag gayi thi.
Aisa lag raha tha jaise bahut se keede mere badan pe reng rahe hon.
Woh apni ungliyon ki ragad meri choot pe badhata ja raha tha. Achanak
main jhadne lagi. Meri taange ekdam apne aap sikud gayi aur aapas mein
chipak gayi. Mera badan akadne laga Meri choot ka ras joron se nikal
raha tha jo mere pure tan badan mein lagi aag ko bujha raha tha. Meri
choot mein 440 volt ka current daud raha tha. Achanak mera badan
dheela pad gaya aur mein jor se usse lipat gayi. Hum kafi der tak aise
hi pade rahe. Phir usne dheere se mera lehenga utar diya. Ab main bhi
poori tarah nangi ho chuki thi. Batti jal rahi thi isliye mujhe badi
sharam si aa rahi thi.

Phir woh dheere se neeche ki taraf khisakne laga aur uska chehra meri
tango ke beech mein pahunch gaya. Woh meri choot ko nihaarne laga.
Beech beech mein Woh uska chumma bhi le leta tha. Jab uske honth meri
choot ko chhoote the to meri choot mein bijli daud jaati thi. Woh apni
jeebh se meri choot ke ras ko chatata bhi ja raha tha. Thodi der mein
usne apni jeebh meri choot ke beech ghusa di aur jor jor se aage
peechhe daaye baaye ghumane laga. Meri choot jwalamukhi ban gayi.
Pehli baar aisa tajurba ho raha tha. Jee kar raha tha ki yeh raat
kabhi bhi khatm na ho. Mujhe laga ki meri choot se nadi ki tarah ras
behne laga tha. Usne bahut der tak meri choot ko chaata. Phir Woh upar
sarak gaya aur meri choonchi phir se apne moonh mein le li. Usne apne
daant mere nipples pe gada diye. Meri halki si cheekh nikal gayi. Uska
bhookha lund meri jaangho se ragad kha raha tha jiski wajah se Woh aur
sakht hota ja raha tha. Usne phir mera haath apne lund pe rakh diya.
Is baar maine bhi uska lund apni mutthi mein daba liya aur apna haath
aage peechhe karne lagi. Uske moonh se siskariyan nikalne lagi. Yeh
dekh ke maine apne haath ki raftaar badha di. Tabhi Woh utha aur mere
upar baith gaya. Usne apni taangein mere badan ke dono or rakh li aur
apne ghutno par is tarah baith gaya ki uska wajan mere upar na pade.
Ab uska lund meri chhoonchiyon ke beech mein tha. Woh use meri
choonchiyon ke beech mein ragadne laga. Phir woh apna lund mere moonh
ke paas le aaya aur use mere hoton pe rakh diya. Maine jor se moonh
band kar liya. Ek tez gandh meri naak mein ghusi ja rahi thi. Woh
gandh main bardaasht nahi kar pa rahi thi. Usne mujhe lund choosne ke
liye kaha par meri himmat nahi padi. Maine mera moonh ghuma liya. Usne
zabardasti nahi ki aur apna lund thoda peechhe le liya aur mujhe apne
haatho se unko aage peechhe karne ko kehne laga. Maine mushkil se aath
dus sapaate hi mare honge ki achanak uske lund se uski malai nikalne
lagi. Yeh main pehli baar dekh rahi thi. Main ekdam se chaunk padi.
Uski malai meri choonchi aur gale pe gir rahi thi. Usne mujhse kaha ki
main ruku nahi aur poora ka poora ras ek saath nikaal doon. Main apna
haath chalati rahi jab tak ki uska ras nikalna band nahi hua. Usne
bahut saara ras nikala tha jo mere poore badan pe faila hua tha. Usne
apne dono haathon se meri dono choonchiyon par apne ras ki malish kar
di. Thodi der mein mere haath mein hi uska lund dheela hone laga aur
Woh dheere se mere bagal mein let gaya. Maine uska lund pakde rakha.
Thodi der mein hum dono gehri neend mein so gaye.

Raat ko 4 baje meri aankh khul gayi. Sajid apna moonh meri taango ke
beech mein daal kar meri choot ko chaat raha tha. Uska lund ekdam
tight ho kar mere badan se ragad kha raha tha. Uski jeebh meri choot
mein chamatkar dikha rahi thi aur main garam hoti ja rahi thi. Achanak
Woh utha aur meri taangein faila kar apna lund wahan rakhne laga.
Mujhe joro ka dard hua. Maine use roka. Usne bahut saara thook apne
lund mein laga liya aur phir ek baar usne lund meri choot mein daalne
ki koshish ki. Meri choot bahut tight thi. Lund andar nahi ja raha
tha. Maine uska lund apne haath mein pakad liya aur use sehlane lagi.
Woh kafi tagda ho chuka tha. Tabhi Sajid utha aur usne paas ki table
se tel ki sheeshi utha li. Usne bahut saara tel meri choot ke darwaje
pe daal diya. Phir usne bahut saara tel apne lund pe bhi lagaya aur
uske baad lund meri choot ke moonh par rakh kar usne jor ka dhakka
maara. Meri jor se cheekh nikal gayi. Usne apna haath mere moonh pe
rakh diya. Main dard se bilbila uthi thi aur uske neeche tadap rahi
thi. Uska lund kam se kam 2 inch tak meri choot mein ghus chuka tha.
Main apne aapko peechhe sikod kar use nikalne ki koshish kar rahi thi
ki usne jor ka doosra dhakka maara aur lund kam se kam teen chauthai
meri choot mein ghus gaya. Aisa lag raha tha ki koi nashtar mere andar
utar diya ja raha tha. Mujhse dard bardaasht nahi ho raha tha. Usne
mera moonh band kia hua tha. Main apne aapko uski pakad se chhudane ke
liye tadap rahi thi. Tabhi usne ek jhatka aur maara aur uska poora ka
poora lund meri choot ke andar samaa gaya. Mujhe laga ki main behosh
ho jaungi. Mujhse bardaasht bilkul nahi ho raha tha. Main rona chah
rahi thi. Main poori koshish kar rahi thi ki usko apne upar se hata
doon par meri taaqat uski taaqat ke aage kamzor pad rahi thi. Main
khuda ko yaad karne lagi aur usse darkhwasht karne lagi ki mujhe is
jahannum se nikaal de. Main poore yakeen ke saath kah sakti thi ki
agar woh apne lund se ek jhatka aur maar deta to main wahin mar jaati.
Mujhe mehsoos ho raha tha ki meri choot ekdam phat chuki thi aur uski
durgati ke bare mein soch kar mujhe bahut afsos ho raha tha. Agar
Sajid mere moonh par se haath hata deta to main itni jor se cheekhti
ki saara mohalla jaag jaata. Par usne mera moonh dabaya hua tha. Lekin
ek baat jo achchhi hui thi Woh yeh ki ab Sajid ne hilna band kar diya
tha. Woh aise hi chup chaap meri choot mein apna lund ghusaye hue leta
raha. Jab usne dhakke maarne band kar diye to mera dard bhi thoda kam
hua. Maine dheere se apna haath neeche laga kar check kiya to paaya ki
lund poora meri choot ke andar tha. Mujhe hairani ho rahi thi ki itna
bada lund meri itni chhoti si choot mein aakhir samaya kaise. Haath
upar liya to dekha ki meri ungliyon par khoon laga hua tha. Main bahut
jor se ghabra gayi. Mujhe yakeen ho gaya ki meri choot phat gayi thi
aur main bilbilane lagi alag hone ke liye. Par main use dhakel nahi pa
rahi thi. Usne tabhi mere moonh se apna haath hataya. Main cheekhne hi
waali thi ki usne mera moonh apne hoton se band kar diya aur mere
hoton ko choosne laga. Saath hi Woh dono haathon se meri choonchiyon
ko bhi sehlaane laga. Thodi der mein mujhe achchha lagne laga aur dard
bhi kam ho gaya. Jab main thodi shaant ho gayi to usne apna moonh hata
liya aur bataya ki is khoon se darne waali koi baat nahi hai. Yeh to
pehli chudai ki nishaani hoti hai. Doosri baar chudai karne pe yeh
khoon nahi aayega. Thodi der mein Woh apni chootad hilane laga. Par ab
mujhe dard nahi ho raha tha. Uski chootad hilane ki wajah se uska lund
meri choot ke andar aa ja raha tha. Uska lund meri choot ki deewaron
se ragad kha raha tha jisse mujhe bahut maza aa raha tha. Thodi der
mein usne apne dhakkon ki speed badha di. Meri choot mein ek ajeeb
tarah ki khujli machne lagi. Jab uska lund andar jaata tha to khujli
kam ho jaati thi. Jaise hi Woh lund baahar nikaalta tha ki khujli phir
se shuru ho jaati thi. Maine khujli mitaane ke liye apni chutad bhi
uchhaalni shuru kar di. Ab hum dono hi apni chootad se dhakke maar
rahe the. Mere moonh se bahut jor jor se siskariyan nikal rahi thi.
Achanak Woh mujhse jor se chipak gaya aur usne apna lund jad tak meri
choot ke andar ghused diya. Main samajh gayi ki Woh jhad raha hai.
Jaise usne meri choonchi pe malai girai thi, wahi malai ab Woh meri
choot ke andar gira raha tha. Main yeh bhi samajh gayi ki ab iske baad
uska lund dheela padna shuru ho jayega. Mujhe thodi si mayusi ho gayi
kyonki mujhe uske tight lund se andar bahar karwana bahut achchha lag
raha tha. Achanak Woh phir se dhakke lagane laga.

Uska lund ab utna tight to nahi lag raha tha par phir bhi maja aa raha
tha. Tabhi mujhe bhi meri choot ke andar current daudate hue mahsoos
hua aur mera badan bhi akadne laga. Main bhi jhadne lagi thi. Maine
use joro se bahon me bhar liya aur usse ekdam bel ki tarah chipat
gayi. Thodi der mein dono taraf ka toofan shaant ho gaya. Mujhe joro
se peshaab lag rahi thi. Sajid ko alag kar ke main uthi to maine dekha
ki bistar pe bahut saare khoon ke dhabbe pad chuke the. Meri choot se
uske laude ka ras baahar nikal raha tha. Maine Sajid ki lungi utha kar
apni choot ko pochha to dekha ki usme bahut saara khoon bhi lag gaya
jo meri choot se nikla tha.
Main uth kar bathroom mein gayi, (Hamare kamre mein bathroom attached
tha) aur maine apni choot ko achchhi tarah se dho kar saaf kiya. Uske
baad uspe thoda sa tel lagaya to thodi si thandak mili. Jab kamre mein
aayi to dekha ki Sajid gehri neend mein so chuka tha. Uska lund ek
taraf ko ludhka pada tha bilkul bejaan sa ho kar. Woh 8 inch ka sher
abhi 3-4 inch ki bakri jaisa lag raha tha. Maine ek kapde se uske lund
ko pochha aur phir batti band kar ke uske lund ko haath mein lekar
uske bagal mein main bhi so gayi.

kramashah.......

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