मेरी मौसी सास
मेरी उम्र छब्बीस वर्ष है, मेरी शादी को दो साल हो गये हैं,मेरी बीबी
बहुत सुन्दर और मुझे बहुत प्यार करने वाली है, अब से लगभग छः महीने पहले
मेरी बीबी मुझे अपनी एक मौसी के पास लेकर गई थी, उसकी मौसी दिल्ली में
रहती है, तथा उनका काफी अच्छा घर परिवार है,कहने को तो वो मेरी बीबी की
मौसी है लेकिन देखने में वो मेरी बीबी की बहन जैसी ही लगती है, उन्हें
देख कर कोई नहीं कह सकता की वो शादी शुदा होंगी, वैसे भी वो मेरी बीबी से
दो साल ही बड़ी है,
उनके अभी कोई बच्चा नहीं था शायद फेमिली प्लानिंग अपना रखी थी, उनके पति
एक सरकारी फर्म में मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर काम करते हैं, उनके पति
हालांकि उम्र में मौसी से सीनियर हैं मगर बहुत ही आकर्षक और स्वस्थ
ब्यक्ति हैं,
हमलोग फुर्सत निकाल कर मौसी के यहाँ गये थे, आराम से एक महिना गुजार कर
आना था, मौसी हमें देख कर बहुत खुश हुवी, खास कर मेरी तो उन्होंने बहुत
आव भगत की, हम पति पत्नी को उन्होंने उपर का बेडरूम दे रखा था,
उस दिन मैं सबरे उठा, तब मेरी बीबी गहरी नींद में सोई हुवी थी, मैनें
काफी रात तक जो उसकी जम कर चुदाई की थी, अभी सूरज तो नहीं निकला था लेकिन
उजाला चारों और फैल चुका था, मैनें ठंडी हवा लेने की गरज से खिड़की के
पास जा कर पर्दा खिंच दिया, सुबह की धुंध चारों तरफ छाई थी, सीर निचा
करके निचे देखा तो दिमाग को एक झटका सा लगा, नीचे लोन में मौसी केवल एक
टाइट सी बिकनी पहने दौड़ कर चक्कर लगा रही थी,
उनके गोरे शरीर पर काली बिकनी ऐसे लग रही थी जैसे पूनम के चाँद पर काले
रंग का बादल छा कर चाँद को और भी सुन्दर बना रहा हो,
बालों को उन्होंने पीछे कर के हेयर बेंड से बाँधा हुवा था, इसलिए उनका
चौड़ा चमकीला माथा बहुत ही अच्छा दिख रहा था, बिकनी के बाहर उनकी चिकनी
गोरी जांघें ऊपर कुल्हों तक दिख रही थी, भागने के कारण धीरे धीरे उछलती
हुवी उनकी चूचियाँ तथा गोरी मखमली बाँहें और सुनहरी बगलें बहुत सुन्दर
छटा बिखेर रही थीं, उन्हें देख कर मेरी नसों का खून उबाल खा गया, तभी वे
मेरी खिड़की के निचे रुकी और झुकते और उठते हुवे कसरत करने लगी, वे जैसे
ही झुक कर खड़ी होती उपर होने के कारण मुझे उनकी चूचियाँ काफी गहराई तक
दिख जाती,
तभी जाने कैसे उन्होंने उपर नजर डाली और मुझे खिड़की पर खड़ा देख लिया,
मैं हडबडा कर वहाँ से हटना चाहा, परन्तु उनके चेहरे पर मोहक मुस्कान देख
कर मैं रुक गया, उन्हें मुस्कुराते देख कर मैं भी धीरे से मुस्कुरा दिया,
तभी मैं चौंका वो मुझे इशारे से निचे बुला रही थी,
मेरा दिल जोर से धड़क गया, मैनें एक नजर अपनी सोती बीबी पर डाली, वो अभी
भी बेखबर सो रही थी, फिर मैं निचे आ गया, मौसी जी लोन में ही जोगिंग कर
रही थी,
"लोन में ही जोगिंग कर रही हैं मौसी जी " मैंने उनके पास जाकर कहा तो वे
भी मुस्कुरा कर बोली,
" जो भी जगह जोगिंग के लिये उपयुक्त लगे वहीँ जोगिंग कर लो, तुम भी किया
करो सेहत के लिये अच्छी होती है,"
" ठीक कह रही हैं आप " मैंने कहा,
वो फीर दौड़ पड़ी और मुझसे बोली " तो आओ मेरे साथ, कम ऑन "
मैं भी उनके साथ दौड़ने लगा, वे मुझसे जरा भी नहीं हिचक रही थी, मैं
दौड़ते हुवे बहुत करीब से उनके महकते अंगों को देख रहा था,
" मौसा जी कहाँ हैं?" मैनें उनकी जाँघों पर नजर टीका कर पूछा,
" वे आज हैदराबाद गये हैं, कंपनी के काम से, सुबह जल्दी की फ्लाईट थी,
शायद पांच छः दिन बाद लौटेंगे," उन्होंने जवाब दिया
ना जाने कयों मुझे तसल्ली के साथ साथ ख़ुशी भी हुई,
" आपका फिगर तो बहुत सुन्दर है मौसी जी " बहुत देर से दिमाग में घूमता ये
सवाल आखिर मेरे मुंह से निकल ही गया,
मेरी आशा के विपरीत वे एकाएक रुक गई, मैं भी रुक गया, ये सोच कर की कहीं
बुरा तो नहीं मान गई मेरा दिल धड़का, जबकि वे धीरे से मुस्कुरा कर मेरी
आँखों में झाँक कर बोली,
" तुम्हारे शब्द लुभावनें हैं लेकिन अंदाज गलत है,"
" क्या मतलब," मैं चौंका,
" यदि मैं या मेरी हमउम्र लड़की तुमसे ये कहे की अंकल तुम्हारी पर्सनेल्टी
बहुत अच्छी है तो तुम्हे कैसा लगेगा," मौसी जी ने मुझसे कहा,
" ओह...! " मेरे होंठ सिकुड़ गये, मैं उनकी बात का मतलब समझ गया था,
क्योंकि वो मुझसे तो उम्र में छोटी थी, इसलिए उन्हें मेरा उनको मौसी जी
कहना अच्छा नहीं लगा था, वैसे तो मुझे भी उनको मौसी जी कहना जरा अजीब सा
लगता था लेकिन बीबी के रिश्ते के कारण मौसी नहीं तो और क्या कहता, यही
बात उस वक्त मैनें उनसे कह दी,
" मैं भी आपको मौसी कहाँ कहना चाहता हूँ, मगर और क्या कहूँ,"
जवाब में वो शोखी से मुस्कुराई और मेरे बहुत करीब आकर मेरे सिने को अपने
हांथों से थपथपा कर बोली
" वैसे तो मेरा नाम सुजाता है, मगर जो लोग मुझे पसन्द करते हैं वे सभी
मुझे सूजी कहते हैं,"
" और जिन्हें आप पसन्द करती हैं उनसे आप खुद को सुजाता कहलवाना पसन्द
करती हैं या सूजी," मैनें उनसे पूछा
वे मेरी बटन से छेड़छाड़ करती हुई मेरी आँखों में झाँक कर बोली " सूजी "
" यदि मैं आपको सूजी कहूँ तो?"
" नो प्रोब्लम, बल्कि मुझे ख़ुशी होगी " कह कर उन्होंने वापस दौड़ लगा दी,
मेरा दिल बुरी तरह धड़कने लगा, मौसी यानी सूजी मुझे अपने दिल की बात
इशारों में समझा गई थी,उस समय मैनें खुद को किसी शहंशाह से कम नहीं समझा,
सूजी थी ही इतनी सुन्दर की उसकी समीपता पाकर कोई भी अपने को शहंशाह समझ
सकता था,
मैं मन में बड़ी अजीब सी अनुभूति लिये बेडरूम में आया, मेरी बीबी अभी अभी जागी थी,
वो बेड से उठ कर बड़े अचरज से मुझे देख कर बोली,
"कहाँ गये थे इतनी सुबह सुबह,"
" जोगिंग करने " मेरे मुंह से निकल गया
" जोगिंग " मेरी बीबी ने अचरज से अपनी आँखें फाड़ी,
" व ...वो मेरा मतलब है, मैं सुबह जल्दी उठ गया था ना इसलिये सोचा चलो
जोगिंग की प्रेक्टिस की जाये, मगर सफल ना हो सका तो वापस चला आया," मैनें
जल्दी से बात बनाई, मेरी बात सुन कर बीबी हंसी और बाथरूम में घुस गई,
फिर दो दिन निकल गये, मैं अपनी बीबी के सामने मौसी को मौसी जी कहता और
अकेले में सूजी, इस बिच सूजी के ब्यवहार में आश्चर्य जनक परिवर्तन हुवा
था, वो मेरे ज्यादा से ज्यादा करीब होने की कोशीश करती, बहुत गंभीर और
परेशान सी दिखाई देती जैसे की मुझसे चुदवाने को तड़प रही हो, उसे चोदने
के लिये तड़प तो मैं भी रहा था, मगर अपनी बीबी के कारण मैं उसे छिप कर
बाहों में भर कर चूमने के सिवा कुछ ना कर सका, और आखिर परेशान होकर सूजी
नें खुद ही एक दिन मौका निकाल लिया,
क्योंकि उनके पति को लौटनें में अब दो ही दिन रह गये थे, उनके पति के आने
के बाद तो मौका निकालना लगभग नामुमकिन हो जाता, सूजी ने उस रात मेरी बीबी
की कोफी में नींद की कुछ गोलियां मिला कर उसे पिला दी, थोडी देर में जब
मेरी बीबी गहरी नींद में सो गई तो मैं फटाफट सूजी के बेडरूम में पहुँच
गया,
वो तो मुझे मेरा इन्तजार करते हुवे मिली, मैनें झट उसे बांहों में भर कर
भींच लिया और उसके चेहरे और शुर्ख होंठों पर ढेर सारे चुम्बन जड़ दिये,
जवाब में उसने भी चुम्बनों का आदान प्रदान गर्मजोशी से दिया,
वो इस वक्त झीनी सी सफेद रंग की नाइटी में थी, जिसमें से उसका सारा शरीर
नजर आ रहा था, मेरा खून कनपटीयों पर जमने लगा था, मैनें खिंच कर नाइटी को
प्याज के छिलके की तरह उतार फेंका, पेंटी और ब्रा में कसे उसके दुधिया
कटाव गजब ढा रहे थे, मैनें पहले ब्रा के उपर से ही उसकी कठोर चुचियों को
पकड़ कर दबाया और काफी सख्ती दिखा दी,
" उफ ...सी...ई ...क्या कर रहे हो? सूजी के मुंह से निकला " ये नाजुक
खिलौनें हैं इनके साथ प्यार से खेलो,"
मैनें हंस कर उन्हें छोड़ने के बाद पीछे हाँथ ले जा कर पेंटी में हाँथ
घुसा दिया और उसके मोटे मुलायम चुतड के उभारों को मुट्ठी में भर लिया,
इसी बिच सूजी ने मेरे पेंट के फूले हुवे स्थान पर हाँथ रख कर मेरे लंड को
पकड़ा और जोर से भींच दिया,
" आह..." मैनें कराह कर अपना हाँथ उसकी पेंटी में से बाहर खिंच लिया, तब
मुस्कुरा कर सूजी ने मेरा लंड छोड़ते हुवे कहा,
" क्यों जब तुम्हारे लंड पर सख्ती पड़ी तो मुंह से आह निकल गई और मेरे
नाजुक अंगों पर सख्ती दिखा रहे थे,"
मैं भी उसकी बात सुन कर हंसने लगा, उसके बाद मैनें सूजी को और सूजी ने
मुझे सारे कपड़े उतार कर नंगा कर दिया, और मैं उसके शरीर को दीवानगी से
चूमने लगा,वो भी मेरे लंड को हाँथ में पकड़े आगे पीछे कर रही थी,
" वाह, काफी तगड़ा लंड है तुम्हारा तो,"
मैं उसकी एक चूची को मुंह में भर कर चूसने लगा तथा एक हाँथ से उसकी जांघ
को सहलाते हुवे उसकी चिकनी चूत पर हाँथ फेरा, एकदम साफ़ चिकनी और फुली हुई
चूत थी उसकी, एकदम डबलरोटी की तरह, उसके एक एक अंग का कटाव ऐसा था की
फरिस्तों का ईमान भी डिगा देता, शायद नियमित जोगिंग के कारण ही उसका शरीर
इतना सुन्दर था,
मैनें उसे बेड पर बिठा कर उसकी जांघें फैलाने के बाद उसकी खुबसूरत चूत को
चूम लिया, और फीर जीभ निकाल कर चूत की दरार में फिराई तो उसने सिसकी भर
कर अपनी जाँघों से मेरे सीर को अपनी चूत पर दबा दिया, मैनें उसकी चूत के
छेद में जो की एकदम सिंदूर की तरह दहक कर लाल हो रहा था उसमें अपनी लम्बी
नाक घुसा दी, उसकी दहकती चूत में से भीनी भीनी सुगन्ध आ रही थी
तभी सूजी ने मुझे उठाया, उत्तेजना के कारण उसका चेहरा बुरी तरह तमतमा रहा था
उसने मुझे उठाने के बाद कहा,
" अब मैं तुम्हारा लंड खाऊँगी,"
"खा लो,"
मैनें हंस कर कहा तो सचमुच जमीन पर घुटनों के बल बैठ गई और अपना मुंह
फाड़ कर मेरा लंड अपने मुंह में भर कर चूसने लगी, मेरी बीबी ने भी कभी इस
तरह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर नहीं चूसा था, क्योंकि उसे तो घिन
आती थी, इसी कारण जब आज सूजी नें मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसा तो एक
अजीब से सुख के कारण मेरा शरीर अकड़ रहा था,
वो मेरे चूतडों को हांथों से जकडे हुवे अपना मुंह आगे पीछे करते हुवे
मेरा लंड चूस रही थी, उसके सुर्ख होंठों के बिच फंसा मेरा लंड सटासट उसके
मुंह में अन्दर बाहर हो रहा था, सूजी मुस्कुराती आँखों से मुझे ही देख
रही थी, फिर एकाएक वो अपनी गर्दन जोर जोर से आगे पीछे चलाने लगी तो मुझे
लगा की मैं उसके मुंह में ही झड़ जाउंगा, इसलिए मैनें उसका सीर पकड़ कर
लंड को मुंह से निकालने की कोशिश की और बोला,
" छ ...छोड़ दो सूजी डार्लिंग नहीं तो मैं तुम्हारे मुंह में ही पिचकारी छोड़ दूंगा,"
परन्तु इतना सुनने के बाद भी उसने मेरा लंड अपने मुंह से बाहर नहीं
निकाला बल्कि ना के इशारे में सीर हिला दिया, तो मैं समझ गया की वो मुझे
अपने मुंह में ही झडवा कर मानेगी, उसने मेरे चूतडों को और जोर से जकड़
लिया और तेज तेज गर्दन हिलाने लगी, तो मैं चाह कर भी अपना लंड उसके मुंह
से बाहर नहीं निकाल सका,
आखिर मैं उसके मुंह में झड़ गया और उसके उपर लद गया, मेरे वीर्य की
पिचकारी उसके मुंह में छुट गई तो उसने गर्दन उपर निचे करना रोक दिया और
मेरे लंड के सुपाड़े को किसी बच्चे की तरह निप्पल के जैसे चूसने लगी, सारा
वीर्य अच्छी तरह चाट कर ही वो उठी और चटकारा लेकर मुझ से बोली,
" मजा आ गया जानेमन, बड़ा स्वादिष्ट रस है तुम्हारा,"
परन्तु अब तो मैं बेकार हो चूका था, मेरा लंड सिकुड़ कर आठ इंच से दो इंच
का हो गया था,
मैनें उसे देख कर शिकायती लहजे में कहा,
" ये बात अच्छी नहीं है सूजी, तुमने मेरे साथ धोखा किया है,"
" अरे नहीं डार्लिंग धोखा कैसा, मैं अभी तुम्हारे लंड को दोबारा जगाती हूँ,"
कहने के बाद सूजी मेरा सिकुड़ा हुवा लंड हांथों में पकड़ कर उठाने की कोशिश
करने लगी, भला वो अब इतनी जल्दी कहाँ उठने वाला था, मगर सूजी तो पूरी
उस्ताद निकली,
उसने मुझे धकेल कर फर्श पर चित लिटाया और मेरी जाँघों पर चढ़ कर बैठ गई,
तथा मेरे सिकुड़े हुवे लंड को पकड़ कर अपनी दहकती हुई चूत के छेद पर रगड़ने
लगी, मैं भी उसकी चुचियों को दबाने लगा, उसकी चूचियां बड़ी सुन्दर और
कठोर थी, जल्दी ही मेरे लंड में थोड़ा कड़ापन आ गया,
उसी समय सूजी ने मेरे थोड़ा कठोर हो चुके लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद
पर रखा और अंगूठे की सहायता से जबरदस्ती अपनी चूत में ठूंस लिया, चूत के
अन्दर की गर्मी पाकर तो मेरा लंड एकदम से खडा होने लगा और चूत में पड़े
पड़े ही सीर उठाने लगा,
सूजी ने लंड को बाहर नहीं निकाला बल्कि वो संभल कर लंड के उपर ही बैठ गई,
मेरा लंड जितना तनता जा रहा था उतना सूजी की चूत की दीवारों को फैलाता
हुवा अन्दर घुसता जा रहा था, एक समय ऐसा आया की सूजी को अपने घुटनों की
सहायता से उपर उठाना पड़ा, क्योंकि मेरा लंड अब तो पहले से भी ज्यादा
लम्बा और कड़ा होकर करीब आधा तक उसकी चूत की गहराई में पहुँच कर चूत के
छेद को चौड़ा करके कस चूका था, लंड अभी भी धीरे धीरे उठ रहा था, उसे इस
तरह बढ़ता देख कर सूजी सिसिया कर उठ गई और लंड का सुपाड़ा सट से बाहर आ
गया, वो बोली,
" बा....बाप रे....ये तो बढ़ता ही जा रहा है,"
" इस पर बैठो ना सूजी," मैनें उसे दोबारा लंड पर बैठने के लिये कहा, मगर
वो नकली हैरानी दिखाते हुवे बोली,
" ना....ना बाबा ना, इतने लम्बे और मोटे लंड को मेरी कोमल चूत कैसे सहन
कर पाएगी, इसे तुम्हारा ये बम्बू जैसा लंड फाड़ देगा,"
अब मैं उठा और सूजी से बोला,
" लो कम ऑन सूजी, तुम कोई बच्ची नहीं हो जो मेरे लंड से इतना डर दिखा रही हो,"
सूजी तो फालतु में नाटक कर रही थी, मैं तो एक बार झड़ चूका था, इसलिए
मुझे कोई जल्दीबाजी नहीं थी, मगर सूजी की चूत में आग तब से अब तक उसी तरह
लगी हुई थी, वो चुदवाने के लिये बुरी तरह उतावली हो रही थी, ये उसके
चेहरे से ही झलक रहा था,
सो इस बार वो कोई भी नखरा किये बिना चुपचाप अपने घुटनें और हथेलियाँ फर्श
पर टिका कर जानवरों वाली कंडीसन में हो गई, यानि वो जानवरों वाली पोजीसन
में वो पीछे से लंड चूत में डलवा कर चुदवाना चाहती थी,
मुझे भला क्या ऐतराज होता, मैं उसके पीछे आ गया, लेकिन उसके कुल्हे मेरे
धड़ से बहुत निचे थे, इसलिये मैनें उसे पंजो पर खडा करके उसकी पोजीसन को
ठीक किया, अब उसके कूल्हों का सेंटर ठीक मेरे लंड से मेल खा रहा था,
मैनें उसकी टांगों को आगे बढ़ा कर उसके पेट से सटा दिया,
अब उसकी चूत काफी हद तक उभर कर पीछे की ओर निकल आई थी, सब कुछ जांच परख
कर मैनें उसकी चूत के छेद पर अपने लंड का सुपाड़ा टिकाया और उसके कुल्हे
पकड़ कर मैं लंड अभी ठेलना ही चाहता था की उधर सूजी नें लंड अन्दर लेने
के लिये अपने कूल्हों को पीछे की ओर ठेला और इधर मैनें धक्का मारा, दोनों
तरफ के धक्कों के कारण लंड थोड़ा सा कसता हुवा सरसरा कर करीब आधा चूत के
अन्दर चला गया,
सूजी के मुंह से सी...सी...ई...की आवाज निकली, उसने दोहरी होकर बदन ऐंठ
दिया, मैं रुका नहीं और अपना पूरा लंड अन्दर ठेलता ही चला गया, हालांकि
सूजी की चूत काफी कसी हुई थी और मैं जानता था की इस तरह सूजी को मेरे
मोटे और लम्बे लंड से थोडी बहुत परेशानी हो रही होगी, मगर उतनी नहीं
जितना की सूजी दिखा रही थी,
वो " ऊं ....आ ...आह.. करते हुवे अपना धड़ आगे बढाने लगी, जबकि मैंने
उसकी कोई परवाह नहीं की और बहुत जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये,
मुझे इम्प्रेस ना होते देख कर सूजी ने भी कराहना बंद कर दिया और मेरे लंड
का स्वाद अपनी चूत से लेने में मगन हो गई,
मेरे लगभग हर धक्के पर सूजी जरा सा आगे सरक जाती, मेरा आठ नौ इंची लम्बा
लंड जरूर उसकी अंतड़ियों में जाकर अड़ जाता होगा, मैं लंड को सट से बाहर
खींचता और सड़ाक से अन्दर घुसेड़ देता, मेरे जोर के धक्कों के कारण ही
सूजी अपनी जगह से तीन चार फीट आगे सरक गई थी, साथ में मैं भी आगे बढ़ता
चला गया,
अब वो मस्ती में सिसकियाँ भर रही थी और मैं उसके कुल्हे पकड़ कर धका धक
लंड से पेलम पेल मचाये हुवे था, सूजी मेरे तेज धक्कों के कारण खुद को रोक
ना सकी और जल्दी ही उसकी चूत नें पानी छोड़ दिया, मस्ती में वो अपने
कुल्हे मटकाते हुवे मेरे लंड पर अपनी चूत से निकले रस की फुहार फेंकने
लगी,
पूरी तरह मस्ती से निबट कर उसके मुंह से " ब.....बस...बस करो," की आवाज
निकली, मगर मैं अभी कहाँ बस करने वाला था, मैं तो एक बार उसके मुंह में
पहले ही अपना पानी गिरा चुका था, इसलिये अब दोबारा झड़ने में मुझे काफी
देर लगनी थी, अभी तो मेरे झड़ने का आसार दुर दुर तक नहीं था,
यूँ भी मैं एक बार झड़ने के बाद दोबारा जब भी चुदाई करता तो मेरी बीबी भी
मुझसे पनाह मांगती थी, इसीलिए वो मुझसे दोबारा चुदवाने के लिये कभी जल्दी
से हाँ नहीं भरती थी, यदि चुदवाती भी तो पहले अपने हाँथ के जरिये या बाहर
ही बाहर मेरे लंड को अपनी चूत पर काफी देर तक रगड़ती, जब तक मैं और मेरा
लंड चोदने के लिये पूरी तरह तैयार ना हो जाते, इतनी देर के बाद चुदाई
करने पर भी मैं अपनी बीबी से हाँथ जुड़वा कर ही दम लेता,
पर यहाँ तो मामला ही उल्टा था, सूजी ने तो मेरा लंड दोबारा खड़ा करके
तुंरत ही अपनी चूत में डलवा लिया था, इसलिये अभी तो मैं जल्दी से झड़ने
वाला नहीं था, सो मुस्कुरा कर उसी ताकत से उसके कूल्हों पर चोट करते हुवे
बोला,
" मेरी जान, मुझे अपने मुंह में पहले झडवा कर के गलती तुमने की है, अब
भुगतो मैं क्या करूँ?"
वो बुरी तरह कराह कर बोली, " हा....हाँ...गलती हो गई...मगर फिलहाल मुझे
छोड़ दो, मुझे बहुत दर्द हो रहा है,"
" मैं अब नहीं छोड़ने वाला " मैं धड़ा धड़ धक्के लगाता हुवा बोला,
" प्लीज थोडी देर के लिये अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लो," वो लगभग
गिडगिडा कर बोली, " बस थोडी देर के लिये शान्त हो जाओ प्लीज "
मुझे उसपर दया आ गई, मैनें धक्के लगाने तो बंद कर दिये मगर लंड बाहर नहीं
निकाला, उसके कूल्हों से सट कर हांफता हुवा बोला, " बस तुम औरतों में यही
बात गलत है पहले तो मनमानी कर लेती हो फिर खुशामद करने लगती हो, तुम्हारा
काम तो हो गया, अब मैं क्या करूँ?"
जवाब में वो कुछ देर सोचने के बाद बोली " अच्छा एक काम करो, मेरी गांड
मार लो, अपना मुसल मेरी गांड में डाल लो "
" क्या...." मैं बुरी तरह चौंका, " क्या पागल हो गई हो, तुम्हारी गांड
में लंड डालने से तो तुम्हें चूत से भी भयंकर दर्द होगा,"
" इसकी फ़िक्र तुम मत करो, अपने इस शैतान के बाप को मेरी चूत से निकाल कर
मेरी गांड में डाल दो,"
वो खुद गांड मरवाने राजी थी तो मुझे भला क्या ऐतराज होता, मुझे तो मतलब
मेरा काम पूरा होने से था, अब वो चाहे चूत हो गांड हो या मुंह, मुझे उससे
क्या मतलब, तब मैनें सटाक से अपना लंड चूत से बाहर खिंचा, मेरा लंड चूत
के पानी से भीगा हुवा था और चूत में पड़े रहने के कारण बहुत ही भयंकर नजर
आ रहा था,
मैनें चूत के छेद से एक इंच उपर यानी गांड के गोल छेद पर अपने लंड का
सुपाड़ा टिकाया और सूजी के कुल्हे पकड़ कर जोर लगाया, चूत के रस से चिकना
सुपाड़ा गांड के छेद को फैला कर थोड़ा सा अन्दर घुस गया, मैं मन में सोच
रहा था की सूजी के मुंह से चीख निकल जायेगी, परन्तु ऐसा नहीं हुवा, उसने
सिर्फ सिसकी भर कर अपना सीर ताना, तब मैनें अपना पुरा लंड उसकी गांड में
सरका दिया,
इस पर भी जब सूजी ने तकलीफ जाहिर नहीं की तो मैं समझ गया सूजी गांड
मरवाने की आदि है, उसने सिर्फ कस कर अपने होंठ भींचे हुवे थे, फिर भी
मैनें पूछा,
" तकलीफ तो नहीं हो रही है ना सूजी,"
" नहीं तुम धीरे धीरे चोदते रहो," उसने कहा तो मैं उसके गोल मटोल कुल्हे
थपथपा कर धीरे से झुका और दोनों हाँथ निचे लाकर दोनों चुचियों को पकड़ कर
उसकी गांड मारने लगा, थोडी देर बाद मैनें धक्के तेज कर दिये, मुझे तो
उसकी चूत से अधिक उसकी गांड में अपना लंड कसा होने के कारण ज्यादा मजा आ
रहा था, और जब मेरे धक्कों ने प्रचंड रूप धारण कर लिया तो सूजी एकदम से
बोली,
" ...बस...अब अपना लंड मेरी गांड में से निकाल कर मेरी चूत में डाल दो,"
" क्यों " मैनें रुक कर पूछा,
" क्योंकि मैं तुम्हारा वीर्य अपनी चूत में गिरवाना चाहती हूँ,"
सुन कर मैं मुस्कुराया और अपना लंड गांड में से खिंच कर वापस उसकी चूत
में घुसेड़ दिया, मैनें फीर जोर जोर से धक्के लगाने शुरु कर दिये थे, मगर
इस बार सूजी को कोई परेशानी या दर्द नहीं हुवा था, बल्कि अब तो वो दुबारा
मस्ती में भर कर अपने कुल्हे आगे पीछे ठेल कर मेरा पुरा साथ देने लगी थी,
इतनी देर बाद भी मैं सूजी को मंजिल पर पहुंचा देने के बाद ही मैं झडा,
सूजी भी कह उठी,
" मर्द हो तो तुम जैसा, एकदम कड़ियल जवान,"
" और औरत हो तो तुम जैसी एकदम कसी हुई," जवाब में मैनें भी कहा, फिर हम
दोनों एक दुसरे की बाहों में समां गये,
मौसा जी को जहां दो दिन बाद आना था, दो दिन तो दूर की बात वो पुरे पांच
दिन बाद आये,और उन पांच रातों का मैनें और सूजी नें भरपूर लाभ उठाया,
सूजी हर रोज मेरी बीबी को नींद की गोलियां देकर सुला देती और हम दोनों
अपनी रात रंगीन करते, मौसा जी के आने के बाद ही हमारा ये चुदाई का खेल
रुका, इस बिच मौसी यानि सूजी बहुत उतावली रहती थी, वो मेरे एकांत में
होने का जरा जरा सा बहाना ढुंढती थी,
मैं इस बात को उस वक्त ठीक से नहीं समझ सका की सूजी मेरी इतनी दीवानी
क्यों है, क्या मौसा जी में कोई कमी है या वे इसे ठीक से चोद नहीं पाते?
जबकि देखने भालने में वे ठीक ठाक थे,
सूजी मेरी इतनी दीवानी क्यों है? इसका जवाब मेरे दिमाग ने एक ही दिया की
या तो वो मेरे लंड की ताकत से दीवानी हुई है या फिर मौसा जी उसे ढंग से
चोद नहीं पाते होंगे, हम महिना भर वहाँ रहे, इस बिच हमने यदा कदा मौका
देख कर चुदाई के कई राउंड मारे,
जब हम वहाँ से आने लगे तो सूजी ने मुझे अकेले में ले जाकर कहा,
" जल्दी जल्दी राउंड मारते रहना मुझे और मेरी चूत को तुम्हारे लंड का
बेसब्री से इंतजार रहेगा,
मैनें इतनी चाहत का कारण पूछा तो उसने यही बताया की " वे " यानी की उसके
पति उसे ठीक से चोद नहीं पाते, मेरा शक सही निकला, मौसा जी की कमी के
कारन ही वो मेरी तरफ झुकी,
मेरा दिल भी उसे छोड़ कर जाने का नहीं कर रहा था, मगर मज़बूरी वश मुझे
वापस आना पड़ा, आने के एक हफ्ता बाद ही मैं बीबी को बिना बत्ताये दुबारा
सूजी के यहाँ पहुँच गया, वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई,
मैं इस बार चार दिन वहाँ रहा और चारों दिन सूजी को खूब चोदा, क्योंकि
मौसा जी के ऑफिस जाने के बाद मैं और सूजी ही घर में रह जाते और खूब
रंगरेलियां मनाते, अब तो मेरी बीबी का भी खतरा नहीं था, मौसा जी को भी हम
पर कोई शक होने वाला नहीं था, क्योंकि रिश्ते के हिसाब से मैं सूजी का
दामाद हूँ, मौसा जी भी मुझे दामाद जैसी इज्जत देते,
इसी का फायदा उठा कर मैं हर महीने सूजी के यहाँ जाकर पूरी मौज मस्ती करके
आता था, हमारा ये क्रम पांच महिने तक चला, उसके बाद जब एक महिने पहले
सूजी के यहाँ पहुंचा तो उसका ब्यवहार देख कर मैं बुरी तरह चौंका, वो मुझे
देख कर जरा भी खुश नहीं हुई और ना ही मुझसे एकांत में मिलने की कोई कोशिश
की, और जब मुझे बहुत ज्यादा परेशान देख कर मुझसे मिली तो उसके चेहरे पर
सदाबहार मुस्कान की जगह रूखापन था, मैनें इसका कारण पूछा, और उसने जो कुछ
मुझे बताया उसे सुन कर तो मेरे पैरों के निचे से जमीन ही निकल गई, उसने
बताया की...
उसने मेरे से इस लिये नहीं चुदवाया की मौसा जी उसे ठीक से नहीं चोद पाते
थे, सूजी मौसा जी से चुदवा कर पूरी खुश थी और वो मौसा जी से बहुत प्यार
करती थी, उसने मुझसे सिर्फ इसलिए चुदवाया था की वो समझ गई थी की मौसा जी
बच्चा पैदा करने में असमर्थ थे, उनके वीर्य में शुक्राणु या तो हैं नहीं
या हैं तो बहुत कमजोर हैं, ये बात उसने अपना चेकअप करा कर जानी, क्योंकि
जब उसमें कोई कमी नहीं थी तो जाहिर था की कमी मौसा जी में ही हो सकती थी,
जबकि उसे और मौसा जी को बच्चे की बहुत चाहत थी, इससे पहले की मौसा जी ये
बात जानें, गर्भवती होने के लिये मुझसे संबंध बना लिये, ताकि मौसा जी
अपने बारे में जान कर हीन भावना से ग्रस्त ना हो जाएँ, अब वो गर्भवती हो
चुकी है इसलिए वो उसके पास ना आया करे, अंत में उसने कहा मुझे तुमसे कोई
लगाव नहीं है, अब इधर दुबारा फटकना भी मत,
मुझे दूध में गिरी मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया,
साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
आपका दोस्त
राज शर्मा
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- raj
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