हर रात सुहाग रात पार्ट---2
गतान्क से आगे......
हम अगले दिन सुबह 7 बजे उठे. साजिद ने बहुत देर तक मेरी चून्चिया चूसी.
मेरी छातियो पे जगह जगह उसके चूसने से लाल लाल निशान पड़ गये थे. मेरी
चून्चियो पर वो जिस जगह पे भी एक बार चूस लेता था वहाँ पर लाल निशान पड़
जाता था. उसने फिर से मुझे अपना लंड चूसने के लिए कहा पर मेरी हिम्मत नही
पड़ी. मैने एक दो बार धीरे से उसके लंड की टोपी का चुम्मा ले लिया और एक
बार उसपे जीभ फिरा दी. मुझे अच्च्छा नही लगा तो मैने अपना मूँह हटा लिया.
उसने फिर तेल की शीशी उठाई और तेल अपने लंड और मेरी चूत पे लगाने लगा.
मैं समझ गयी कि अब वापस चुदाई होगी. हालाँकि मुझे रात में मज़ा तो आया था
पर अभी भी मुझे थोड़ा थोड़ा डर लग रहा था. मैने अपनी आँख बंद कर ली और
अपने बदन को ढीला करने की कोशिश करने लगी. जैसे ही उसने अपने लंड का टोपा
मेरी चूत से च्छुअया मेरे सारे जिस्म में बिजली दौड़ने लगी. वो थोड़ी देर
तक ऐसे ही रुका रहा. मैं आँखें मून्दे अपनी चूत की तबाही का इंतेज़ार कर
रही थी. पर साजिद अपने लंड को सिर्फ़ मेरे चूत के मूँह पे रख के लेटा था.
वो उसे अंदर घुसा नही रहा था. अपनी जीभ से वो मेरे निपल्स को चाट रहा था
जिससे मेरे निपल्स कड़े होते जा रहे थे, और मेरी चूत भी थोड़ी थोड़ी गीली
होने लग गयी थी. थोड़ी देर में मेरी चूत में खुजली मचनी शुरू हो गयी. मैं
अपना चूतड़ उचकाने लगी जिससे चूत पे लॉड की रगड़ लगने लगी. मुझे मज़ा आने
लगा. साजिद ने एक तकिया मेरी चूतड़ के नीचे लगा दी और मेरी झांगें फैला
दी. फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत के उपर रखा और एक जोरदार झटका मारा.
इस हमले के लिए मैं तैयार नही थी. मेरी चीख निकल गयी और थोडा सा दर्द भी
हुआ. पर इस बार आधे से ज़्यादा लंड मेरी चूत में चला गया था. उसने धीरे
धीरे ज़ोर लगाना जारी रखा. उसका लंड मेरी चूत के दरवाजे को फैलाता हुआ
अंदर घुसता चला जा रहा था. मैं अपने होटो को ज़ोर से भींचें हुए थी. उसका
लंड मेरी चूत के लिए बहुत बड़ा था. मुझसे संभाल नही रहा था. मैं जानती थी
कि अभी साजिद एक दूसरा जोरदार धक्का मरेगा जिससे उसका लंड पूरा मेरी चूत
के अंदर समा जाएगा. मैं आँखें बंद कर के उसी का इंतेज़ार कर रही थी. तभी
साजिद ने धीरे से लंड बाहर निकालना शुरू कर दिया. मैने नीचे हाथ लगा कर
समझा की सिर्फ़ लंड की टोपी मेरी चूत के अंदर थी. तभी साजिद ने अपना लंड
गोलाई में घुमाना शुरू कर दिया. वो अपने लंड को ऐसे घुमा रहा था जैसे कोई
चक्की चला रहा हो. उसके गोल गोल घूमने की वजह से उसका लॉडा अपनी टोपी से
मेरी चूत की दीवारों की मालिश कर रहा था जिससे उनमे पानी आना शुरू हो
गया. मुझपे मस्ती छानी शुरू हो गयी. तभी साजिद ने अपने लंड घुमाने की
दिशा बदली और उल्टी तरफ लंड घुमाना शुरू कर दिया. वो 4 चक्कर एक तरफ लगता
था फिर दिशा बदल कर 2 चक्कर दूसरी तरफ लगता था. फिर 4 एक तरफ और फिर 2
चक्कर दूसरी तरफ. मेरी चूत से तो जैसे मानो आग निकलनी शुरू हो गयी. मेरा
पूरा मूँह खुल गया था और मैं ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी. साजिद
मेरी चूत में आग लगा कर मुझे तडपा कर मज़ा ले रहा था. मेरी चूत का दर्द
एकदम गायब हो चुका था. मैं थोड़ी देर तक तो यूँ ही तड़पति रही फिर मैने
उसकी दोनो चूतादो को पकड़ कर ज़ोर से अपनी ओर खींच लिया. उसका लंड कील की
माफ़िक़ मेरे छेद में घुसता चला गया. मैने हाथ लगा कर देखा. पूरा लंड
अंदर था. मैने अपनी दोनो टाँगें उठा कर उसकी चूतादो के उपर से कैंची बना
ली ताकि वो अपना लंड बाहर निकाल ना सके. फिर उसने धीरे धीरे धक्के लगाने
शुरू किए. मैं भी अपनी चूतड़ उच्छालने लगी. अचानक उसने अपने धक्को की
स्पीड बढ़ा दी. वो पूरा लंड बाहर निकालता और तीर की तरह पूरा अंदर डाल
देता. मेरा दम निकलने लगा. मैं अपने आप से बोली 'है, ये क्या मुसीबत मोल
ले ली मैने अपने ही हाथ से'. उसकी रफ़्तार बढ़ती जा रही थी. तभी मैने
महसूस किया की मेरी चूत झड़ने लगी है. मैने अपनी दोनो टाँगो और दोनो हाथो
से उसे दबोच लिया की वो भी एकदम तन गया और मेरे अंदर झड़ने लगा. बहुत देर
तक वो अपना लंड मुझमे समाए हुए पड़ा रहा. फिर उसने अपना लंड बाहर निकाल
लिया. मेरी चूत से उसका माल बाहर निकलना शुरू हो गया. थोड़ी देर में उसकी
ढेर सारी मलाई नीचे चादर में जमा हो गयी. मैं थोड़ी देर तो निढाल पड़ी
रही, फिर मैं धीरे से उठी. चादर का हाल देखा तो दंग रह गयी. आधी चादर में
खून और उसके लंड के माल के निशान दिखाई दे रहे थे. मैने सोचा कि चादर बदल
दूँगी पर मुझसे चला भी नही जा रहा था. मैं किसी तरह बाथरूम में घुस गयी.
नहा कर जब मैं बाहर निकली तो देखा की साजिद कमरे में नही थे. मेरी सास
कमरे को समेट रही थी. उन्होने बिस्तर की चादर भी बदल दी थी. मुझे देख कर
मेरे पास आईं और पूछने लगी "रात को ठीक से सो सकी या नहीं?" मैने कहा
"हां.". वो बोली "चादर देख कर तो ये लगता है की साजिद ने रात को सोने नही
दिया होगा तुम्हे. तू चीखी भी थी कई बार रात में". मेरा तो चेहरा शरम से
लाल हो गया. फिर उन्होने हमारी सुहाग रात की चादर मेरे हाथों पे रख दी और
बोली "इसको संभाल के रख लेना अपने पास यादगार के तौर पे". फिर मेरे होटो
और गालों पे निशान दिखाती हुई बोली "साजिद बहुत शैतान हो गया है लगता
है". मैने अपने मन में सोचा कि "यह तो सिर्फ़ 2 निशान दिखाई दे रहे हैं,
मेरी चून्चियो पे तो ऐसे 20 निशान लगा दिए हैं आपके बेटे ने".
उस दिन सारा दिन मैं ठीक से चल नही पा रही थी. मेरी कमर भी बहुत दुख रही
थी. मेरी चूत की तो धज्जियाँ उड़ चुकी थी. मैं यह सोच कर घबरा रही थी कि
एक रात की चुदाई में यह हाल हुआ है मेरा तो आज रात को क्या होगा. साजिद
नहा धो कर अपने काम से बाहर चले गये. मैं अल्लाह से दुआ करने लगी की मेरी
मदद करे. अल्लाह-ताला ने मेरी सुन ली. शाम को मेरा छ्होटा भाई आ गया.
बोला कि घर में इस्लामाबाद से मेरी खाला आई हुईं है और मुझे देखना चाहती
है क्योंकि वो निकाह में नही आ सकी थी. मेरी सास ने मुझे दो दिन के लिए
भेजना क़ुबूल कर लिया. मैने भी अल्लाह का शुक्रिया अदा किया कि उसने मेरी
दुआ क़ुबूल कर ली. साजिद का तो मूँह ही उतर गया था पर वो बोला कुच्छ नही.
मैं अपने घर आ कर बहुत खुश हुई. सब से खुशी खुशी मिली. खाला मुझसे मिल कर
बहुत खुश हुईं. हम लोग रात को 12 बजे तक गप्पे मारते रहे. फिर मैं सायरा
के साथ उसके कमरे में सोने चली गयी. जैसे ही मैं कमरे में घुसी सायरा
बोली "आपा, क्या किया था जीजाजी ने जो तुम ठीक से चल भी नही पा रही हो?"
मैने उसे ज़ोर से डाँट दिया "चुप रह शैतान. बहुत बोलने लग गयी है तू". पर
वो चुप नही हुई. उसने पलट कर पूचछा "आपा बताओ ना. क्या बहुत तगड़ा है
जीजू का?" मैने कुच्छ जवाब नही दिया. मैं बोली "जब तेरा निकाह होगा, तब
तुझे खुद ही पता चल जाएगा". सायरा बड़ी मासूमियत से बोली "तुम्हारा मतलब
है कि जब मेरा निकाह होगा तब मुझे पता चलेगा की जीजू का कितना तगड़ा है".
मैने खींच के तकिया उसकी ओर फेंका और कहा "बदतमीज़ लड़की. सारी शरम हया
बेच खाई है लगता है".
सायरा ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी. मैने बत्ती बुझा दी और बिस्तेर पे लेट
गयी. मैं करवटें बदलने लगी. मुझे नींद नही आ रही थी. बार बार साजिद का
चेहरा मेरी आँखों के आगे आ जाता था. उसकी पिच्छली रात की हरकतें रह रह के
मेरे जेहन में आ रही थी. मुझे एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी मन में. मेरा
मन कर रहा था कि अभी साजिद यहाँ आ जाए और मुझे कल की तरह नंगी कर के ज़ोर
ज़ोर से चोदे. मेरी चूत में बहुत ज़ोर से खुजली मच रही थी. मैने तकिये को
ज़ोर से अपने टाँगो के बीच में दबा लिया और करवट बदल कर सोने की कोशिश
करने लगी. तभी सायरा की आवाज़ सुनाई दी "जीजू की याद आ रही है क्या जो
करवटें बदल रही हो?". मैने कहा "धात्ट…. शैतान की खाला." और फिर चुपचाप
आँखें मूंद ली. थोड़ी देर में मुझे नींद आ गयी.
अगले पुर दिन मुझे साजिद की याद आती रही. मेरी सारी सहेलियाँ दोपहर को आ
गयीं और मुझसे तरह तरह के गंदे सवाल करने लगी. उनकी जो बातें मैं आज तक
समझ नहीं पाती थी आज मुझे अच्छि तरह से समझ में आ रही थी. एक बोली "राइफल
कैसी है जीजाजी की?", दूसरी बोली "कितने राउंड फाइयर किए उन्होने?",
तीसरी बोलती थी "निशाना टारगेट में मारा या बाहर ही गोलियाँ बिखेर दी
उन्होने?" चौथी बोली "टारगेट तो फाड़ दिया है. तभी तो ऐसे चल रही है यह".
मैं गुस्से में बोली "तुम्हे बहुत एक्सपीरियेन्स है क्या जो ऐसे बोल रही
हो?". वो बोली "एक साल से एक्सपीरियेन्स ले रही हूँ सलमा जान." अब मैं
चौंकी. उस दिन मुझ पे ये बहुत बड़ा राज़ ज़ाहिर हुआ कि मेरी चारो
सहेलियाँ सेक्स का मज़ा ले चुकी थी. कोई अपने रिश्तेदार से, कोई पड़ोसी
से तो कोई अपने दोस्त से. फिर तो सब अपने एक्सपीरियेन्स बताने लगी. उस
दिन मुझे सेक्स के बारे में बहुत सारी बातें मालूम पड़ी. मुझे लंड चूसने
और चूत चटवाने की स्टाइल्स के बारे में मालूम पड़ा. मुझे यह भी पता चला
कि मेरी सारी सहेलियाँ अपनी चूत शेव कर के रखती थी जिससे उनको चूत चटवाने
में ज़्यादा मज़ा आता था. जैसे ही मेरी सहेलियाँ गयीं, मैं झट से बाथरूम
में घुस गयी और अपने भाई के रेज़र से अपनी चूत के बाल सॉफ करने लगी.
थोड़ी देर में मैने चूत के सारे बाल एकदम सॉफ कर दिए. पर मुझे कई जगह पे
जलन होने लगी थी. मैने बहुत सारा नारियल का तेल लगाया पर आराम नही मिला.
बाद में थोड़ी बर्फ ले कर सिकाई करी तब जा कर थोड़ा आराम मिला. अब मैं
वापस साजिद के पास जाने के लिए तड़प रही थी.
अल्लाह ने एक बार फिर मेरी सुन ली. शाम को माजिद घर में आया. मैं कमरे
में थी. बाहर आ कर देखा कि माजिद और सायरा आपस में गुफ़्ट-गू कर रहे थे.
मैने पूचछा कैसे आना हुआ. वो बोला बस ऐसे ही. उससे मालूम हुआ की साजिद
अगले दिन किसी काम से दो दिन के लिए बाहर जा रहे थे. उन्ही के लिए कुच्छ
खरीदारी करने निकला था तो उसने सोचा की मुझसे मिलता चले. बात वो मुझसे कर
रहा था पर उसकी निगाहें बार बार सायरा के उपर जा कर ठहर जाती थी. मैने
सोचा मौका अच्च्छा है. मैने अम्मी से कहा कि मैं माजिद के साथ घर चली
जाती हूँ. अगले दिन साजिद के बाहर जाने के बाद माजिद मुझे वापस छ्चोड़
देगा. अम्मी मान गयी और मैं माजिद के साथ अपने घर आ गयी.
साजिद ने जैसे ही मुझे देखा उसके चेहरे पे चमक आ गयी. मैने गुस्से से कहा
कि आपकी तो एक हफ्ते की छुट्टी बाकी थी अभी. उसने कहा की ऑफीस से ज़रूरी
मेसेज आया था और जाना बहुत ही अर्जेंट है. लेकिन वो अगले दिन रात तक वापस
आ जाएगा. मैने उनके जाने की तैयारी करी. फिर हम सब लोगो ने खाना खाया और
सब लोग सोने के लिए चले गये. मेरी सास ने जाते हुए मुझसे धीरे से कहा
"अभी कैसा लग रहा है तुझे. तेरे बदन को थोड़ा आराम मिल जाए इसीलिए तुझे
कल भेज दिया था. जा, साजिद तेरा इंतेज़ार कर रहा होगा". मैने कहा की अब
मुझे काफ़ी आराम महसूस हो रहा है.
मैं किचन समेट कर जैसे ही कमरे में घुसी, साजिद ने मुझे अपनी गोद में उठा
लिया और बिस्तर पे ला कर लिटा दिया. मुझ पर मस्ती सवार होने लगी. जितना
उतावला वो हो रहा था मुझे चोदने के लिए, उससे ज़्यादा उतावली मैं हो रही
थी उससे चुदवाने के लिए. उसने मुझे ज़ोर से चिपका कर मेरे चेहरे और गालों
पे चुंबनो की बौछार करनी शुरू कर दी.
मैं गरम होने लगी और मैं भी उसे ज़ोर ज़ोर से चूमने लगी. उसने मेरा निचला
होठ अपने होठों के बीच में ले लिया और उन्हे चूसने लगा. फिर वो मेरे उपर
के होठ पीने लगा. जैसे ही मैने मूँह खोला उसने अपने होटो के बीच मेरी जीभ
दबा ली और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. मुझ पर बहुत ज़ोर से नशा छाने लगा.
मैने भी अपनी जीभ उसके मूँह के अंदर घुसा दी और हम दोनो की जीभें एक
दूसरे से लिपट गयी. हम बहुत देर तक एक दूसरे को ऐसे ही चूस्ते रहे. इसी
बीच उसके लंड की चुभन मैं अपनी जांघों में महसूस कर रही थी. मैने हाथ
नीचे कर के उसकी लूँगी के अंदर से उसके लंड को पकड़ लिया और उसके साथ
खेलने लगी. मैं कभी उसको अपनी मुट्ठी में दबाती थी तो कभी आगे पीछे करने
लगती थी. आज मैं उसके लंड को चूसने की सोच चुकी थी. मेरी सहेलियों ने
बताया था की लंड चूसने में बहुत मज़ा आता है. थोड़ी देर में ही उसका लंड
मेरे हाथ में फौलाद जैसा सख़्त हो गया. उसने मेरे उपर के कपड़े उतार कर
मेरी छातियो को नंगा कर दिया. मेरी चून्चियो पे उसके लगाए दाग हल्के हो
गये थे. उसने फिर से उनको जगह जगह से चूसना शुरू कर दिया और अपनी निशानी
मेरी चून्चियो पे छ्चोड़ने लगा. फिर उसने मेरी सलवार उतार दी. मैने अंदर
अंडरवेर पहना हुआ था. उसने कहा "सलमा डियर, मेरी एक बात मान लो. आज के
बाद चड्धि ना पहेनना". मैने कहा "जी बहुत अच्च्छा". उसने एक झटके से मेरी
चड्धि नीचे खिसका दी. फिर जो मेरी चूत का नज़ारा उसने देखा तो देखता ही
रह गया. मेरी चूत तो एकदम चिकनी थी. सिर्फ़ 4 घंटे पहले ही मैने सॉफ करी
थी. वो तो पागल हो गया और ज़ोर ज़ोर से मेरी चूत को चाटने लगा. मेरी चूत
में आग लगी जा रही थी. मैने उसके लंड को ज़ोर से अपनी ओर खींचना शुरू कर
दिया. वो मेरा इशारा समझ गया और उल्टा हो कर ऐसे लेट गया की उसका लंड
मेरे मूँह के पास आ गया और वो मेरी चूत को चाटने में लगा रहा. अब उसका
लंड मेरे मूँह को छ्छू रहा था. मैने उसे पकड़ लिया और अपनी जीभ उसकी टोपी
पे फिराने लगी. इसके बाद मैने उसके लॉड की टोपी अपने होटो के बीच में रख
ली और उसे चूमने चाटने लगी. अचानक उसके लॉड से कुच्छ एकदम पानी जैसा
निकला जिसे मैं गतक गयी. मुझे स्वाद अच्च्छा लगा. मुझे लगा उसने मलाई
छ्चोड़ी है पर यह सफेद नही था. अचानक उसने एक झटका दिया और उसका लंड जड़
तक मेरे मूँह में घुस गया. मैने अपना मूँह बंद कर लिया और जोरो से उसके
लंड को चूसने लगी. मुझे अच्च्छा लगने लगा था. जो गंध कल मुझे गंदी लग रही
थी आज वही मेरे अंदर की आग को और भड़का रही थी. मैने उसके पूरे लंड को
अपने मूँह के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. उसने भी अपनी जीभ मेरी चूत की
फांको के बीच फँसा दी और ज़ोर ज़ोर से घुमाने लगा जिससे की मेरी चूत का
पानी छ्छूटने लगा. वो एक एक बूँद बड़ी अच्छि तरह से चाट ता जा रहा था.
मुझे बहुत अच्च्छा लग रहा था. तभी उसने मेरी चूत के अंदर अपनी उंगली 1
इंच तक घुसा दी और उसको हिलाने लगा. वो अपनी उंगली से गोल गोल घुमाने लगा
जिससे मेरी चूत और भी ज़्यादा गीली होने लगी. ऐसा लग रहा था की मेरी चूत
से लावा बह रहा था. उसने अपनी उंगली और अंदर घुसा दी और अंदर बाहर करने
लगा. अब तो मैं फुदकने लग गयी. मैं समझ गयी थी कि अब मैं अपने आपको रोक
नही पाउन्गि. मैने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और उसका लंड और तेज़ी से अपने
मूँह के अंदर बाहर करने लगी. अचानक उसने अपने हाथ से मेरे बाल पकड़ लिए
ताकि मैं मूँह ना घुमा सकूँ और ज़ोर से मेरा मूँह अपने लंड से चिपका
लिया. तभी उसका लंड ऐंठने लगा और इससे पहले की मैं कुच्छ समझ पाती उसने
मेरा मूँह अपने रस से भरना शुरू कर दिया. मेरे पास इतना भी वक़्त नही था
की मैं अपना मूँह हटा पाती. मैं जल्दी से गतक गयी. गटकते ही दूसरी खुराक़
मेरे मूँह में आ गयी.
मैं जितनी तेज गटक सकती थी उससे तेज वो अपना माल मेरे मूँह में छ्चोड़
रहा था. थोड़ी देर में उसका माल मेरे मूँह से बाहर निकल कर गिरने लगा. अब
उसकी उंगली की रफ़्तार फिर तेज होने लगी और चूत चाटने की रफ़्तार भी. वो
बुरी तरह से मेरी चूत को चाट रहा था. तभी मुझे अंदर कुछ जकड़न सी महसूस
हुई और मैं एकदम से झड़ने लगी. मैने अपनी चूत उसके मूँह से चिपका दी और
तब तक ऐसे ही चिपकी पड़ी रही जब तक की मेरे अंदर का ज़लज़ला शांत नही हो
गया. उसका लंड मेरे मूँह के अंदर ही नरम हो चुका था. जब उसने अपना हाथ
हटाया तो मैने अपने मूँह से उसका लंड बाहर निकाला. मेरी सहेलियाँ बिल्कुल
ठीक कह रही थी. यक़ीनन मुझे लंड चूसने में बहुत मज़ा आया था. उसी वक़्त
मुझे मेरी चूत के अंदर कुच्छ सुरसूराहट सी मालूम पड़ी. उसने अपनी उंगली
अभी भी अंदर घुसा रखी थी और अब उसने उसे फिर से घुमाना शुरू कर दिया था.
मेरी सिसकारी निकल पड़ी. साजिद बोला "सलमा मेरी जानेमन, इस चूत को इतनी
चिकनी कहाँ से कर लाई". मैने कहा "बस आप के लिए किया है". वो खुश हो गया.
फिर उसने अपनी उंगली बाहर निकाल ली और मुझे सीधा लिटा कर मेरी चून्चियो
पे अपना लंड घिसने लगा. थोड़ी देर में उसका लंड टाइट होना शुरू हो गया.
उसने तुरंत तेल लगाया और गछ से लॉडा मेरी चूत के अंदर पेल दिया. एक ही
झटके में लंड पूरा अंदर तक चला गया. मैने अपनी टांगे फैला दी ताकि दर्द
ना मालूम पड़े. उसने मेरी दोनो टॅंगो को पकड़ कर उपर कर दिया और दनादन
धक्के मारने लगा. थोड़ी देर में ही मैं फिर से झड़ने लगी पर वो रुकने का
नाम ही नही ले रहा था. उसने फिर एक नयी स्टाइल में सापाते मारने शुरू कर
दिए. वो अपना लंड एकदम धीरे से बाहर निकालता और एकदम धीरे से अंदर तक ले
जाता. फिर धीरे से बाहर निकालता और फिर धीरे से अंदर तक पेल देता. ऐसा 3
बार करने के बाद वो 3 बार बहुत तेज़ी से झटके मारता. पूरी ताक़त से वो एक
झटके में बाहर निकालता और एक ही झटके में अंदर तक पेल देता. ऐसा 3 बार
करने के बाद उसने फिर अपनी स्पीड एकदम धीरे कर दिया और 3 सापाते धीरे से
मारे. मुझे उसकी इस स्टाइल में भी बहुत मज़ा आने लगा. मैं हैरान थी कि वो
झाड़ क्यों नही रहा था और वो था कि धक्के पे धक्के मारता जा रहा था. मेरी
चूत का बाजा बजा दिया था उसने. तभी उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया. मुझे
थोड़ी तस्कीन हुई. पर तब तक वो मुझे पलट चुका था और मुझे कुतिया बना कर
उसने अपना लंड पीछे से मेरी चूत में पेल दिया. इस बार मुझे बहुत दर्द हुआ
पर मैं झेल गयी. थोड़ी देर में मेरी चूत से फ़चक फ़चक की आवाज़ें आने
लगी. और तभी एकदम से वो मेरे उपर लेट गया और अपना माल मेरी चूत के अंदर
छ्चोड़ने लगा. उसका माल अंदर गिरते ही मैं एक बार फिर से झाड़ गयी. उसके
पवरफुल लंड ने मेरी चूत के परखच्चे उड़ा दिए थे. अपना लंड बाहर निकाल कर
उसने दो तीन झटके दिए जिससे उसका बचा खुचा रस मेरी चूतड़ की गोलैईयों पे
गिरा और फिर वो मुझे अपनी बाहों में लेकर लेट गया. उसकी बाहों में मुझे
बहुत जल्दी नींद आ गयी. तो दोस्तो कैसी लगी ये सुहाग रात की मस्त कहानी
फिर मिलेंगे एक और नई कहाई के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज
शर्मा
समाप्त
हर रात सुहाग रात पार्ट---2
gataank se aage......
Hum agle din subah 7 baje uthe. Sajid ne bahut der tak meri
choonchiyan choosi. Meri chhatiyon pe jagah jagah uske choosne se lal
lal nishaan pad gaye the. Meri choonchiyan par Woh jis jagah pe bhi ek
baar choos leta tha wahan par lal nishaan pad jaata tha. Usne phir se
mujhe apna lund choosne ke liye kaha par meri himmat nahi padi. Maine
ek do baar dheere se uske lund ki topi ka chumma le liya aur ek baar
uspe jeebh fira di. Mujhe achchha nahi laga to maine apna moonh hata
liya. Usne phir tel ki sheeshi uthai aur tel apne lund aur meri choot
pe lagane laga. Main samajh gayi ki ab waapas chudai hogi. Halaanki
mujhe raat mein maja to aaya tha par abhi bhi mujhe thoda thoda dar
lag raha tha. Maine apni aankh band kar li aur apne badan ko dheela
karne ki koshish karne lagi. Jaise hi usne apne lund ka topa meri
choot se chhuaya mere saare jism mein bijli daudne lagi. Woh thodi der
tak aise hi ruka raha. Main aankhein moonde apni choot ki tabahi ka
intezaar kar rahi thi. Par Sajid apne lund ko sirf mere choot ke moonh
pe rakh ke leta tha. Woh use andar ghusa nahi raha tha. Apni jeebh se
woh mere nipples ko chaat raha tha jisse mere nipples kade hote ja
rahe the, aur meri choot bhi thodi thodi geeli hone lag gayi thi.
Thodi der mein meri choot mein khujali machni shuru ho gayi. Main apna
chutad uchkane lagi jisse choot pe laude ki ragad lagne lage. Mujhe
maja aane laga. Sajid ne ek takiya meri chutad ke neeche laga di aur
meri jhaangein faila di. Phir usne apne lund ko meri choot ke upar
rakha aur ek jordaar jhatka maara. Is hamle ke liye main taiyar nahi
thi. Meri cheekh nikal gayi aur thoda sa dard bhi hua. Par is baar
aadhe se jyada lund meri choot mein chala gaya tha. Usne dheere dheere
jor lagana jaari rakha. Uska lund meri choot ke darwaaje ko failata
hua andar ghusta chala ja raha tha. Main apne hoton ko jor se
bheenchein huye thi. Uska lund meri choot ke liye bahut bada tha.
Mujhse sambhal nahi raha tha. Main jaanti thi ki abhi Sajid ek doosra
jordar dhakka marega jisse uska lund poora meri choot ke andar sama
jayega. Main aankhein band kar ke usi ka intezaar kar rahi thi. Tabhi
Sajid ne dheere se lund baahar nikalna shuru kar diya. Maine neeche
haath laga kar samjha ki sirf lund ki topi meri choot ke andar thi.
Tabhi Sajid ne apna lund golai mein ghumana shuru kar diya. Woh apne
lund ko aise ghuma raha tha jaise koi chakki chala raha ho. Uske gol
gol ghoomne ki wajah se uska lauda apni topi se meri choot ki deewaron
ki maalish kar raha tha jisse unme paani aana shuru ho gaya. Mujhpe
masti chhani shuru ho gayi. Tabhi Sajid ne apne lund ghumane ki disha
badli aur ulti taraf lund ghumana shuru kar diya. Woh 4 chakkar ek
taraf lagata tha fir disha badal kar 2 chakkar doosri taraf lagata
tha. Fir 4 ek taraf aur fir 2 chakkar doosri taraf. Meri choot se to
jaise mano aag nikalni shuru ho gayi. Mera poora moonh khul gaya tha
aur main jor jor se siskariyan le rahi thi. Sajid meri choot mein aag
laga kar mujhe tadpa kar maja le raha tha. Meri choot ka dard ekdam
gaayab ho chuka tha. Main thodi der tak to yoon hi tadapti rahi phir
maine uski dono chutado ko pakad kar jor se apni or kheench liya. Uska
lund keel ki mafiq mere chhed mein ghusta chala gaya. Maine haath laga
kar dekha. Poora lund andar tha. Maine apni dono taangein utha kar
uski chutado ke upar se kainchi bana li taki Woh apna lund baahar
nikal na sake. Phir usne dhire dhire dhakke lagane shuru kiye. Main
bhi apni chutad uchhalne lagi. Achanak usne apne dhakko ki speed badha
di. Woh poora lund baahar nikalta aur teer ki tarah poora andar daal
deta. Mera dam nikalne laga. Main apne aap se boli 'hai, ye kya
musibat mol le li maine apne hi haath se'. Uski raftaar badhti ja rah
thi. Tabhi maine mehsoos kiya ki meri choot jhadne lagi hai. Maine
apni dono tango aur dono haatho se use daboch liya ki Woh bhi ekdam
tan gaya aur mere andar jhadne laga. Bahut der tak Woh apna lund
mujhme samaye huye pada raha. Phir usne apna lund baahar nikaal liya.
Meri choot se uska maal baahar nikalna shuru ho gaya. Thodi der mein
uski dher saari malai neeche chaadar mein jama ho gayi. Main thodi der
to nidhaal padi rahi, phir main dheere se uthi. Chaadar ka haal dekha
to dang reh gayi. Aadhi chaadar mein khoon aur uske lund ke maal ke
nishaan dikhayi de rahe the. Maine socha ki chaadar badal doongi par
mujhse chala bhi nahi ja raha tha. Main kisi tarah bathroom mein ghus
gayi.
Naha kar jab main baahar nikli to dekha ki Sajid kamre mein nahi the.
Meri saas kamre ko samet rahi thi. Unhone bistar ki chadar bhi badal
di thi. Mujhe dekh kar mere paas aayeen aur poochne lagi "Raat ko
theek se so saki ya nahin?" Maine kaha "haan.". Woh boli "Chadar dekh
kar to ye lagta hai ki Sajid ne raat ko sone nahi diya hoga tumhe. Tu
cheekhi bhi thi kai baar raat mein". Mera to chehra sharam se laal ho
gaya. Phir unhone hamari suhaag raat ki chadar mere haathon pe rakh di
aur boli "Isko sambhal ke rakh lena apne paas yaadgar ke taur pe".
Phir mere hoton aur gaalon pe nishaan dikhati hui boli "Sajid bahut
shaitan ho gaya hai lagta hai". Maine apne man mein socha ki "yeh to
sirf 2 nishaan dikhayee de rahe hain, meri choonchiyon pe to aise 20
nishaan laga diye hain aapke bete ne".
Us din saara din main theek se chal nahi pa rahi thee. Meri kamar bhi
bahut dukh rahi thi. Meri choot ki to dhajjiyan ud chuki thi. Main yeh
soch kar ghabra rahi thi ki ek raat ki chudai mein yeh haal hua hai
mera to aaj raat ko kya hoga. Sajid naha dho kar apne kaam se baahar
chale gaye. Main Allah se dua karne lagi ki meri madad kare.
Allah-taala ne meri sun li. Shaam ko mera chhota bhai aa gaya. Bola ki
ghar mein Islamabad se meri khala aayee huin hai aur mujhe dekhna
chahti hai kyonki woh nikaah mein nahi aa saki thi. Meri saas ne mujhe
do din ke liye bhejna kubool kar liya. Maine bhi Allah ka shukriya ada
kiya ki usne meri dua kubool kar li. Sajid ka to moonh hi utar gaya
tha par woh bola kuchh nahi.
Main apne ghar aa kar bahut khush hui. Sab se khushi khushi mili.
Khala mujhse mil kar bahut khush huin. Hum log raat ko 12 baje tak
gappe maarte rahe. Phir main Saira ke saath uske kamre mein sone chali
gayi. Jaise hi main kamre mein ghusi Saira boli "Aapa, kya kiya tha
Jijaji ne jo tum theek se chal bhi nahi pa rahee ho?" Maine use jor se
daant diya "Chup reh shaitan. Bahut bolne lag gayi hai tu". Par Woh
chup nahi hui. Usne palat kar poochha "Aapa batao na. Kya bahut tagda
hai Jiju ka?" Maine kuchh jawab nahi diya. Main boli "Jab tera nikaah
hoga, tab tujhe khud hi pata chal jayega". Saira badi masoomiyat se
boli "Tumhara matlab hai ki jab mera nikaah hoga tab mujhe pata
chalega ki Jiju ka kitna tagda hai". Maine kheench ke takiya uski or
phenka aur kaha "Badtmeez ladki. Saari sharam haya bech khayi hai
lagta hai".
Saira jor jor se hanse lagi. Maine batti bujha di aur bister pe let
gayi. Main karvatein badalne lagi. Mujhe neend nahi aa rahi thi. Baar
baar Sajid ka chehra meri aankhon ke aage aa jata tha. Uski pichhli
raat ki harkatein reh reh ke mere jehan mein aa rahi thi. Mujhe ek
ajeeb si gudgudi ho rahi thi man mein. Mera man kar raha tha ki abhi
Sajid yahan aa jaaye aur mujhe kal ki tarah nangi kar ke jor jor se
chode. Meri choot mein bahut jor se khujli mach rahi thi. Maine takiye
ko jor se apne tango ke beech mein daba liya aur karvat badal kar sone
ki koshish karne lagi. Tabhi Saira ki awaz sunayi di "Jiju ki yaad aa
rahi hai kya jo karvatein badal rahi ho?". Maine kaha "Dhatt…. Shaitan
ki khala." Aur phir chupchap aankhein moond li. Thodi der mein mujhe
neend aa gayi.
Agle poore din mujhe Sajid ki yaad aati rahi. Meri saari saheliyan
dopahar ko aa gayeen aur mujhse tarah tarah ke gande sawaal karne
lagi. Unki jo baatein main aaj tak samajh nahin pati thi aaj mujhe
achchhi tarah se samajh mein aa rahi thi. Ek boli "Rifle kaisi hai
Jijaji ki?", doosri boli "Kitne round fire kiye unhone?", teesri bolti
thi "Nishana target mein maara ya baahar hi goliyan bikher di unhone?"
Chauthi boli "Target to faad diya hai. Tabhi to aise chal rahi hai
yeh". Main gusse mein boli "Tumhe bahut experience hai kya jo aise bol
rahi ho?". Woh boli "Ek saal se experience le rahi hoon Salma jaan."
Ab main chaunki. Us din mujh pe ye bahut bada raaz zahir hua ki meri
charo saheliyan sex ka maja le chuki thi. Koi apne rishtedaar se, koi
padosi se to koi apne dost se. Phir to sab apne experience batane
lagi. Us din mujhe sex ke bare mein bahut saari baatein maloom padi.
Mujhe lund choosne aur choot chatwane ki styles ke bare mein maloom
pada. Mujhe yeh bhi pata chala ki meri saari saheliyan apni choot
shave kar ke rakhti thi jisse unko choot chatwane mein jyada maza aata
tha. Jaise hi meri saheliyan gayeen, main jhat se bathroom mein ghus
gayi aur apne bhai ke razor se apni choot ke baal saaf karne lagi.
Thodi der mein maine choot ke saare baal ekdam saaf kar diye. Par
mujhe kai jagah pe jalan hone lagi thi. Maine bahut saara nariyal ka
tel lagaya par aaram nahi mila. Baad mein thodi barf le kar sikai kari
tab ja kar thoda aaraam mila. Ab main waapas Sajid ke paas jaane ke
liye tadap rahi thi.
Allah ne ek baar phir meri sun li. Shaam ko Majid ghar mein aya. Main
kamre mein thi. Baahar aa kar dekha ki Majid aur Saira aapas mein
guft-goo kar rahe the. Maine poochha kaise aana hua. Woh bola bas aise
hi. Usse maloom hua ki Sajid agle din kisi kaam se do din ke liye
baahar ja rahe the. Unhi ke liye kuchh kharidari karne nikla tha to
usne socha ki mujhse milta chale. Baat woh mujhse kar raha tha par
uski nigahein baar baar Saira ke upar ja kar thahar jaati thi. Maine
socha mauka achchha hai. Maine ammi se kaha ki main Majid ke saath
ghar chali jati hoon. Agle din Sajid ke baahar jaane ke baad Majid
mujhe waapas chhod dega. Ammi maan gayi aur main Majid ke saath apne
ghar aa gayi.
Sajid ne jaise hi mujhe dekha uske chehre pe chamak aa gayi. Maine
gusse se kaha ki aapki to ek hafte ki chhutti baki thi abhi. Usne kaha
ki office se zaroori message aaya tha aur jaana bahut hi urgent hai.
Lekin woh agle din raat tak waapas aa jayega. Maine unke jaane ki
taiyari kari. Phir hum sab logo ne khana khaya aur sab log sone ke
liye chale gaye. Meri saas ne jaate hue mujhse dheere se kaha "Abhi
kaisa lag raha hai tujhe. Tere badan ko thoda aaram mil jaye isiliye
tujhe kal bhej diya tha. Ja, Sajid tera intezaar kar raha hoga". Maine
kaha ki ab mujhe kaafi aaram mehsoos ho raha hai.
Main kitchen samet kar jaise hi kamre mein ghusi, Sajid ne mujhe apni
god mein utha liya aur bistar pe la kar lita diya. Mujh par masti
savaar hone lagi. Jitna utavala woh ho raha tha mujhe chodne ke liye,
usse jyada utavali main ho rahi thi usse chudwane ke liye. Usne mujhe
jor se chipka kar mere chehre aur gaalon pe chumbano ki bauchhar karni
shuru kar di.
Main garam hone lagi aur main bhi use jor jor se choomne lagi. Usne
mera nichla hoth apne hothon ke beech mein le liya aur unhe choosne
laga. Phir Woh mere upar ke hoth peene laga. Jaise hi maine moonh
khola usne apne hoton ke beech meri jeebh daba li aur jor jor se
choosne laga. Mujh par bahut jor se nasha chhane laga. Maine bhi apni
jeebh uske moonh ke andar ghusa di aur hum dono ki jeebhein ek doosre
se lipat gayi. Hum bahut der tak ek doosre ko aise hi chooste rahe.
Isi beech uske lund ki chubhan main apni jaanghon mein mahsoos kar
rahi thi. Maine haath neeche kar ke uski lungi ke andar se uske lund
ko pakad liya aur uske saath khelne lagi. Main kabhi usko apni mutthi
mein dabati thi to kabhi aage peeche karne lagti thi. Aaj main uske
lund ko choosne ki soch chuki thi. Meri saheliyon ne bataya tha ki
lund choosne mein bahut mazaa aata hai. Thodi der mein hi uska lund
mere haath mein faulad jaisa sakht ho gaya. Usne mere upar ke kapde
utar kar meri chhatiyon ko nanga kar diya. Meri choonchiyon pe uske
lagaye daag halke ho gaye the. Usne phir se unko jagah jagah se
choosna shuru kar diya aur apni nishaani meri choonchiyon pe chhodne
laga. Phir usne meri salwar utar di. Maine andar underwear pehna hua
tha. Usne kaha "Salma dear, meri ek baat maan lo. Aaj ke baad chaddhi
na pehenana". Maine kaha "Jee bahut achchha". Usne ek jhatke se meri
chaddhi neeche khiska di. Phir jo meri choot ka nazara usne dekha to
dekhta hi reh gaya. Meri choot to ekdam chikni thi. Sirf 4 ghante
pehle hi maine saaf kari thi. Woh to paagal ho gaya aur jor jor se
meri choot ko chaatne laga. Meri choot mein aag lagi ja rahi thi.
Maine uske lund ko jor se apni or kheenchna shuru kar diya. Woh mera
ishara samajh gaya aur ulta ho kar aise let gaya ki uska lund mere
moonh ke paas aa gaya aur Woh meri choot ko chaatne mein laga raha. Ab
uska lund mere moonh ko chhoo raha tha. Maine use pakad liya aur apni
jeebh uski topi pe firane lagi. Iske baad maine uske laude ki topi
apne hoton ke beech mein rakh li aur use choomne chaatne lagi. Achanak
uske laude se kuchh ekdam pani jaisa nikla jise main gatak gayi. Mujhe
swad achchha laga. Mujhe laga usne malai chhodi hai par yeh safed nahi
tha. Achanak usne ek jhatka diya aur uska lund jad tak mere moonh mein
ghus gaya. Maine apna moonh band kar liya aur joro se uske lund ko
choosne lagi. Mujhe achchha lagne laga tha. Jo gandh kal mujhe gandi
lag rahi thi aaj wahi mere andar ki aag ko aur bhadka rahi thi. Main
uske poore lund ko apne moonh ke andar baahar karna shuru kar diya.
Usne bhi apni jeebh meri choot ki fanko ke beech fansa di aur jor jor
se ghumane laga jisse ki meri choot ka paani chhootne laga. Woh ek ek
boond badi achchhi tarah se chaat ta jaa raha tha. Mujhe bahut achchha
lag raha tha. Tabhi usne meri choot ke andar apni ungli 1 inch tak
ghusa di aur usko hilane laga. Woh apni ungli se gol gol ghumane laga
jisse meri choot aur bhi jyada geeli hone lagi. Aisa lag raha tha ki
meri choot se lawa bah raha tha. Usne apni ungli aur andar ghusa di
aur andar baahar karne laga. Ab to main fudakne lag gayi. Main samajh
gayi thi ki ab main apne aapko rok nahi paungi. Maine bhi apni raftaar
badha di aur uska lund aur teji se apne moonh ke andar baahar karne
lagi. Achanak usne apne haath se mere baal pakad liye taki main moonh
na ghuma sakoon aur jor se mera moonh apne lund se chipka liya. Tabhi
uska lund ainthane laga aur isse pehle ki main kuchh samajh pati usne
mera moonh apne ras se bharna shuru kar diya. Mere paas itna bhi waqt
nahi tha ki main apna moonh hata pati. Main jaldi se gatak gayi.
Gatakte hi doosri khuraq mere moonh mein aa gayi.
Main jitni tej gatak sakti thi usse tej woh apna maal mere moonh mein
chhod raha tha. Thodi der mein uska maal mere moonh se baahar nikal
kar girne laga. Ab uski ungli ki raftaar phir tej hone lagi aur choot
chaatne ki raftaar bhi. Woh buri tarah se meri choot ko chaat raha
tha. Tabhi mujhe andar kuch jakdan si mehsoos hui aur main ekdam se
jhadne lagi. Maine apni choot uske moonh se chipka diya aur tab tak
aise hi chipki padi rahi jab tak ki mere andar ka jaljala shaant nahi
ho gaya. Uska lund mere moonh ke andar hi naram ho chuka tha. Jab usne
apna haath hataya to maine apne moonh se uska lund baahar nikaala.
Meri saheliyan bilkul theek kah rahi thee. Yakeenan mujhe lund choosne
mein bahut maja aaya tha. Usi waqt mujhe meri choot ke andar kuchh
sursurahat si maloom padi. Usne apni ungli abhi bhi andar ghusa rakhi
thi aur ab usne use phir se ghumana shuru kar diya tha. Meri siskari
nikal padi. Sajid bola "Salma meri jaaneman, is choot ko itni chikni
kahaan se kar layi". Maine kaha "Bas aap ke liye kiya hai". Woh khush
ho gaya. Phir usne apni ungli bahar nikaal li aur mujhe seedha lita
kar meri choonchiyon pe apna lund ghisne laga. Thodi der mein uska
lund tight hona shuru ho gaya. Usne turant tel lagaya aur gach se
lauda meri choot ke andar pel diya. Ek hi jhatke mein lund poora andar
tak chala gaya. Maine apni taange faila di taki dard na maloom pade.
Usne meri dono tango ko pakad kar upar kar diya aur danadan dhakke
maarne laga. Thodi der mein hi main phir se jhadne lagi par woh rukne
ka naam hi nahi le raha tha. Usne phir ek nayi style mein sapate
maarne shuru kar diya. Woh apna lund ekdam dheere se baahar nikaalta
aur ekdam dheere se andar tak le jaata. Phir dheere se baahar nikalta
aur phir dheere se andar tak pel deta. Aisa 3 baar karne ke baad woh 3
baar bahut teji se jhatke marta. Poori taaqat se Woh ek jhatke mein
baahar nikaalta aur ek hi jhatke mein andar tak pel deta. Aisa 3 baar
karne ke baad usne phir apni speed ekdam dheere kar diya aur 3 sapate
dheere se mare. Mujhe uski is style mein bhi bahut majaa aane laga.
Main hairaan thi ki woh jhad kyon nahi raha tha aur woh tha ki dhakke
pe dhakke maarta ja raha tha. Meri choot ka baaja baja diya tha usne.
Tabhi usne apna lund baahar nikaal liya. Mujhe thodi taskeen hui. Par
tab tak woh mujhe palat chuka tha aur mujhe kutiya bana kar usne apna
lund peechhe se meri choot mein pel diya. Is baar mujhe bahut dard hua
par main jhel gayi. Thodi der mein meri choot se fachak fachak ki
aawaazein aane lagi. Aur tabhi ekdam se woh mere upar let gaya aur
apna maal meri choot ke andar chhodne laga. Uska maal andar girte hi
main ek baar phir se jhad gayi. Uske powerful lund ne meri choot ke
parkhachche uda diye the. Apna lund baahar nikaal kar usne do teen
jhatke diye jisse uska bacha khucha ras meri chutad ki golaiyon pe
gira aur phir woh mujhe apni bahon mein lekar let gaya. Uski bahon
mein mujhe bahut jaldi neend aa gayi.
samaapt
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