[हिंदी सेक्सी कहानियाँ] तुम घोड़ी बन जाओ ---1
में 28 साल की हूँ और अपने चाचा
चाची के साथ इस छोटे से गाओं में रहती हूँ. मेरे माता पिता एक कार
आक्सिडेंट में मारे गये जब में 10 साल की थी. हमारे परिवार मेरे
चाचा चाची के अलावा और कोई करीब का रिश्तेदार नही था. शुरू
में मुझे गाओं के महॉल में अड्जस्ट होने में तकलीफ़ हुई पर समय
के साथ मेने समझौता कर लिया. में बचपन में सहेर में एक आअच्छे
फ्लॅट में पाली बढ़ी थी, किंतु अचानक गाओं के महॉल में आना एक
मानसिक तकलीफ़ का दौर था. यहाँ गाओं माइयन ना तो टV था, ना ही कोई
मोबाइल फोन और ना ही गली के नुक्कड़ पर कॉफी हाउस जहाँ में
दोस्तों के साथ समय बिताया करती थी. मेरा ज़्यादा तार समय चाचजी
के साथ खेतों पे गुज़रता था और जानवरों को चारा देने में. जब
चाची मलेरिया की वजह से ज़्यादा बीमार पड़ी तो खेतों की सारी
ज़िम्मेदारी मुझ पर आ पड़ी. घर में और कोई औरत ना होने की वजह
से खाना मुझे ही बनाना पड़ता था. में अक्सर चाचजी की चाची को
खाना खिलाने में और उनके और दूसरे कामों में मदद किया करती थी.
और इन सब कामों में इतनी देर हो जाती थी की में अक्सर रात के 1.00
के बाद ही सोने जेया पति. दिन भर के काम में शरीर इतना मैला हो
जाता था की में रोज़ नहाने के बाद ही सोने जाती थी. एक रात करीब
1.00 के बाद में नहा कर बाहर निकली तो देखा की चाचजी अपने कमरे
से बाहर आ रहे थे, "सब ठीक है ना चहकाजी?'" मेने उनसे पूछा.
"वैसे तो सब ठीक है पर पता नही क्यों आज नींद नही आ रही
हैऑहचजि ने खुद के लिए एक ग्लास पानी भरते हुए कहा. "क्या में
कुछ आपके लिए कर सकती हून?" अपने गीले बलों को पुंचते हुए मेने
पूछा. उस समय चाचजी ने मुझे ऐसी निगाहों से देखा जो में पहले
कभी किसी मर्द में नही देखी थी. "तुम्हे पता है की तुम्हारी चाची
के साथ शादी हुए 25 साल हो गये है. हमारी कोई औलाद भी नही है.
और जब दो लोग इतने साल साथ साथ रहते हैं तो आपस में एक कमी सी
आनी शुरू हो जाती है.Mएइने अपना घुटनो तक वाला गाउन पहन रखा
था. मेरे बॉल गीले थे और में अपनी टॅंगो को एक दूसरे पे चढ़ा
चाचजी के सामने बैठी उनकी बात सुन रही थी. "खैर, सीमा अब तुम
कोई एक नादान बाकची नही हो. और जो माइयन तुमसे कहने जेया रहा हूँ
मुझे लगता है की माइयन तुमसे किसी भी हिचक के कह सकता
हुनॉहचजि ने कहा. "चाचजी आप जानते है की आप मुझसे कुछ भी
कह सकते है.Mएइने जवाब दिया. चाचजी उठे और मेरे पास आकर
बैठ गये. "हर इंसान की उसकी ज़रूरतें होती है?? और मुझ जैसे
इंसान की?????. तुम समझ रही हो ना में क्या कहना चाहता हूँ?"
उन्होने पूछा. पहले तो में कुछ समझी नही फिर सोचने के बाद जब
मुझे समझ आया तो मेरे बदन में एक सिरहन सी दौड़ गयी, "हन
चाचजी कुछ कुछ में समझती हूँ" मेने जवाब दिया. चचजी
मुस्कुराए और उठ कर कमरे के पर्दे खींच दिए, "में जनता हूँ तुम
एक समझदार लड़की हो, मेरी बातों को ज़रूर समझ जओगि.आचनक मेने
महसूस किया की कमरे में काफ़ी अंधेरा हो गया था, सिर्फ़ हल्की सी
रोशनी कमरे के रोशनदन से अंदर आ रही थी. "सीमा अपना गाउन मेरे
लिए उत्तर दो प्लीज़," चाचजी ने उत्तेजित आवाज़ में कहा. पहले तो
मेरी समझ में नही आया की में क्या करूँ और क्या कहूँ? चाचजी
की बात सुनकर में चोंक गयी थी, फिर मेने अपने काँपते हाथों से
अपना गाउन के बटन खोल दिए जिससे मेरी चुचियाँ नंगी हो मेरी सांसो
के साथ उठ बैठ रही थी. "ओह सीमा तुम वाकई में बहोट सनडर हो,
और तुम्हारी चुचियाँ तो सही में भारी भारी हैऑहचजि मेरी
चुचियों को घूरते हुए बोले. पता नही मेने किस उन्माद में अपना गाउन
कंधों पर से सरका अपने पीछे कुर्सी पर गिर जाने दिया. जैसे ही गाउन
मेरी पीठ को सहलाता हुआ पीछे को गिरा मेरे शरीर में एक सिरहन सी
दौड़ गयी. "खड़ी होकर मेरे पास आओ? में तुम्हारे बदन को चुना
चाहता हुनॉहचजि ने कहा.
में बिना हिचकिचाते हुए चार कदम बढ़ चाचजी के सामने खड़ी हो
गयी. कमरे में आती हुई हल्की रोशनी की परछाईं में मेने देखा की
उनका हाथ आयेज बढ़ रहा था. मेने उनके हाथों की गर्मी को अपनी
चुचियों पर महसूस किया, उनकी उंगलियाँ मेरे खड़े निपल से खेल
रही थी. "ओह सीमा तुम कितनी सनडर और सेक्सी हो, आज कई सालों के
बाद मेरा लंड इस तरह टन रहा है.ऊन्होने मेरी चुचियों को मसालते
हुए कहा. पता नही चाचजी के हाथों माइयन क्या जादू था की मेरे
शरीर में एक उन्माद की लेहायर बह गयी. मेरी छूट पूरी गीली हो चुकी
थी. में चुप छाप नज़रे झुकाई चाचजी के सामने खड़ी थी इस सोच
में की चाचजी आयेज क्या करते है. उसी समय मेने उनके बदन की
गर्मी को अपने नज़दीक महसूस किया. उनकी एक उंगली मेरी छूट में घुस
चुकी थी. "ओःःःःः छाछाआआज़ी ओःःःःःःःः आआज़ टाख Mऊझे Yआःआण खीशी णे
णाःई छःऊआ ःआई.Mएइन ज़ोर से सिसकी. चाचजी ने अपने दूसरे हाथ से मेरी
कमर को पकड़ मुझको अपने नज़दीक खींच लिया. उनके सांसो की गर्मी
मेरे चेहरे को च्छू रही थी. उन्होने अपने होत मेरी चुचियों पर रख
उन्हे चूमने लगे. एक हाथ से वो मेरी छूट में उंगली कर रहे थे,
और दूसरे हाथ से मेरी कमर को पकड़े हुए थे. चाचजी अब मेरे निपल
को अपने होठों के बीच ले काट रहे थे और जब अपने दंटो से उसे काटते
तो एक अजीब सी लेहायर मेरे शरीर में छा जाती. मेने अपने हाथ बढ़ा
अपनी उंगलियाँ उनके काले बलों में फँसा दी. जैसे जैसे उनकी जीब
मेरे निपल पर हरकत करती माइयन वैसे ही उनके सिर को अपनी छाती पे
दबा देती. अब उन्होने अपनी दो उंगली मेरे छूट में दल दी थी. उनकी
उंगलियाँ भी उनकी हथेली की तरह गरम थी और खूब लंबी थी. जिस
तेज़ी से उनकी उंगली मेरी छूट के अंदर बाहर हो रही थी उसी तेज़ी से
मेरी सिसकारियाँ बढ़ रही थी. अचानक वो रुक गये और अपनी उंगली मेरी
छूट से बाहर निकल ली और अपना चेहरा भी मेरी छातियों पे सा हटा
लिया. "में अपना लंड तुम्हारी छूट में डालना चाहता हुन.Wओ मेरे कन
में फुसफुसते हुए बोले. "प्लीज़ एक बार आने चाचा को एक बार छोड़ने
दो, ये सिर्फ़ तुम्हारे और मेरे बीच रहेग.Mएइन कैसे उन्हे माना कर
सकती थी. कितने एहसान थे उनके मुझपर. माता पिता के मरने के बाद
उन्होने ही तो मुझे सहारा दिया था और अपने साथ यहाँ ले आए थे.
और में जानती थी की चाची को छोड़े उन्हे कितना समय हो गया था,
उन्हे इसकी शायद ज़रूरत भी थी. यही सब सोचकर मेने उन्हे हन कर
दी. "तो फिर तुम घोड़ी बा जाओ," मेरे कानो माइयन फुसफुसते हुए बोले,
"में काब्से तुम्हारी चाची को इस आसान से छोड़ना चाहता था पर वो
कभी हन ही नही करती थि.Mएइने एक शब्द नही कहा और कुर्सी को
कोना पकड़ घोड़ी बन गयी. चाचजी बिना वक्त बर्बाद करते हुए मेरे
पीछे आ गये. अपनी पंत और शॉर्ट्स को उत्तर उसे मेरे गाउन के बगल
में उछाल दिया. "हे भगवान में जो करने जेया रहा हूँ उसके लिए
मुझे माफ़ कर देन.खेह्कर उन्होने अपना खड़ा लंड मेरी छूट में
घुसा दिया. जैसे ही उनके लंड मेरे कुंवारे पं को चीरता हुआ अंदर
घुसा में दर्द से चीख पड़ी, "ओःःःःःःःःः णीखाआआआआआळ ळीज़ीYए Pळेआशे
Bआःओट डाऱ्ड ःओ ऱाःआ ःआई ओःःः Mएईण Mआऱ घाYई."बस तोड़ा सहन करो फिर
तुम्हे मज़ा आने लगेगा," कहकर चाचजी मेरी चुचियों को भींचने
लगे और अपने लंड को अंदर बाहर करने लगे. दर्द अब कम होने लगा
था और मुझे भी मज़ा आने लगा था तब मुझे अहसास हुआ की चाचजी
का लंड कितना लंबा और मोटा था. उनका लंड मेरी बाकछे दानी पर
ठोकर मार रहा था.
अब मेरे मुँह से सिसकारिया फुट रही थी. "ःआआआआआआआण छाछाज़ी खाऱ्टे
ज़ाईYए MआZआ आआ ऱाःआ ःआई. ःआआआआआआआण ज़ोओओऱ शे आऊऱ ज़ोऱ शेएएएएएए ःआआण आईशे
ःई," में भी अपने चुतताड आगे पीछे कर उनका साथ देने लगी.
"ःआआआआआआआण ळे Mएऱे ळूण्ड खो आPणी छोओट Mएईण आऊऱ ज़ोऱ शे ळेऑहचजि
बोले, "सीमा तुम्हारी मया की छूट भी इतनी कसी हुई नही थी जब वो 28
साल की थि.ऊन्कि बात सुन में जड़ सी हो कर रह गयी. मुझे विश्वास
नही हो रहा था की चाचजी मेरी मया जब 28 साल की थी तो उसे छोड़
चुके थे जैसे वो अब मुझे छोड़ रहे थे. "मुझे याद है तुम्हारी मया
की छूट कसी हुई नही थी इसलिए में अक्सर उसकी गांद मार देता था.
तुम मनोगी नही वो इतनी चुड़क्कड़ औरत थी की किसी से भी छुड़वा
लेतिऑहचजि अपनी धक्कों की रफ़्तार बढ़ते हुए बोले. उनके हर धक्को
के साथ उनके हाथों की पक्कड़ मेरे चुतताड पर और मजबूत हो जाते.
मेने उनके लंड को अपनी छूट में फूलता हुआ महसूस किया. "ओह
चाचजी आपका लंड मेरी छूट में कितना लंबा और मोटा लग रहा
है.Mएइन सिसकते हुए बोली. "म्म्म्मममममम इसी तरह अपने चाचा से गंदी
गंदी बातें करो," वो गिड़गिदते हुए बोले और मेरी छूट की जाम कर
चुदाई करने लगे. में अपनी आँखें बंद कर गंदे से गंदे शब्दो के
बारे में सोचने लगी. पता नही कसिए मेरे मुँह से इतनी गंदी बातें
निकल रही थी जैसे, "हन छोड़िए मुझे, अपना पूरा लंड मेरी गांद
में दल दीजिए, छोड़ छोड़ के मुझे अपने बाकछे की मया बना दीजिए???"
वाईगरह वाईगरह. "ओह हाआआआअ मेरा छूटने वाला है मेरी
बाकची, आज तुम्हारा चाचा तुम्हारी छूट को अपने लंड के पानी से भर
देग.Wओ ज़ोर से सिसके. उनके धक्के इतने तेज हो गये थे के अपनी टॅंगो
पे खड़ी नही हो पा रही थी. मेरी कमर और टॅंगो में दर्द होने लग
रहा था पर में उन्हे रोकना नही चाहती थी. जितना इस चुदाई में
मज़ा आ रहा था आज तक जिंदगी में मुझे कभी नही आया था.
"ओह हाआआआआ ये लो" इतना कहकर उनके लंड ने एक पिचकारी
से मेरी छूट में छोड़ दी. मुझे लगा की मेरी छूट भर सी गयी है.
मेरा शरीर ज़ोर से कंपा और मेरे मुँह से सिसकारी निकल पड़ी,
"ओःःःःःःःः BःघाWआण ओःःःःःःः छाछाज़ी," मेने अपने आपको और पीछे की
और धकेल उनके लंड को अपनी छूट माइयन जोरों से भींच लिया. में
पसीने से लत पाठ हो चुकी थी और मेरा सिर चाकर रहा था. हम
दोनो की साँसे उखड़ी हुई थी और दिल की धड़कन इतनी तेज थी की साफ
सुनाई दे रही थी. "सीमा तुम कितनी आक्ची लड़की हो. तुम नही जानती की
मुझे इसकी कितनी ज़रूरत थि.Wओ अपनी उखड़ी सांसो पे काबू पाते बोले.
"में आज से आपकी हूँ पूरी तरह सेंएइने धीरे से कहा. "ये तुम क्या
कह रही हो?" उन्होने पूछा. "हन में सच बोल रही हूँ. में आपकी
दासी बनके रहना चाहती हूँ, आप जब चाहे मुझे एक गुलाम की तरह
छोड़ सकते हैन.Mएइने सिसकते हुए कहा. चाचजी को मेरी बात बहोट
आक्ची लगी शायद मेरी उमरा की वजह से. मेरी कसी छूट शायद उनके
लंड को खड़ा कर देती थी. उस रात हम लोगो ने दो बार और चुदाई की.
एक बार रूम में और दूसरी बार उनके कमरे में ज़मीन पर. चाची
हुंसे चाँद कदमों के फ़ासले पे बिस्तर पे सो रही थी. पता नही हुँने
ऐसा क्यों किया पर में पहली बार वहीं उनके कमरे में झड़ी और तब
मुझे पता चला की औरत की छूट जब पानी छोड़ती है तो कितना मज़ा
आता है. जब में चाची का ख़याल रखती तो मुझे इस बात का ज़रा भी
अफ़सोस नही होता था की में चाचा से चुडवाया है और ना ही
शर्मिंदगी महसूस होती थी. बल्कि में तो सोचती थी की अगर चाची
अची होती शायद उन्हे हमारी चुदाई देखने में मज़ा आता और क्या पता
वो भी साथ शामिल हो चुड़वति. दूसरी सुबह में रोज की तरह जल्दी
उठी और कम में जुट गयी. घर की सफाई करने के बाद में आँगन की
सफाई कर रही थी.
रत के हालत अब भी मेरे जहाँ में थे. अब भी मुझे ऐसा लगता की
चाचजी के हाथ मेरे शरीर पर है. उनका लंड मेरी छूट माइयन घुसा
हुआ है जैसे वो कभी मुझसे दूर गये ही नही. में मादकता के एक नई
दायरे में पहुँच चुकी थी. "आज तुम्हारा ध्यान कहाँ है सीमा?"
मेरी चाची की आवाज़ आई. "कककक्ककयाआआआआ" मेने हड़बड़ा के देखा,
"ओह चाची आप इस वक्त यहाँ पे होंगी मुझे पता नही था. आप कैसा
महसूस कर रही है इस वक्त.Mएइने पूछा. "पहले से बेहतर हैऑहचि
ने जवाब दिया. "बस खुली हवा में सांस लेने चली आई, तुम तो जानती
ही हो की टीन महीने हो गये उस कमरे में बंद पड़े हुए."आओ में
आपको आपके कमरे तक छोड़ देती हूँ," मेने चाची को सहारा देते हुए
कहा. मेने उन्हे सहारा दे उनके कमरे में पहुँचाया और उन्हे बिस्तर
पे बिता दिया. "इधर मेरे पास आको बैठो में तुमसे कुछ बात करना
चाहती हुनॉहचि ने मुझे बैठने का इशारा करते हुए कहा. में उनके
बगल में जाकर बैठ गयी. में अब भी दुविधा में थी की पता
नही वो मुझसे क्या बात करना चाहती है. "सीमा तुम बहोट ही
खूबसूरत लड़की हो.Wओ मेरे बलों को सहलाते हुए बोली. "और खूबसूरती
अक्सर लोगो को आकर्षित करती है, पर ये ध्यान रखना की किसी ग़लत
व्यक्तित्वा को आकर्षित ना कर बैठो."आप क्या कह रही है मेरी कुछ
समझ में नही आ रहा हैऑहचि अब बिस्तर पर लेट चुकी थी और
उनकी आँखे चेहरे पे कठोरता छाती जेया रही थी. आचनक उन्होने मेरे
बलों को ज़ोर से पकड़ लिया. मेने अपने आपको लाख छुड़ाने की कोशिश
की पर कामयाब ना हो सकी. "चाची छोड़ो मुझे, मुझे दर्द हो रहा
है," मेने अपने बलों को उनके हाथों से छुड़ाने की कोशिश करते हुए
कहा. "मुझे पता है तुम कल रात यहाँ पर थी," मेरे बलों को और
मजबूती से पकड़ते हुए चाची ने कहा. "सीमा मुझे पता है तुम और
तुम्हारे चाचा क्या कर रहे थे."चाची ये आप क्या कह रही है."मेरे
सामने बाकची बनने की कोशिश मत करो, में बीमार हूँ कोई बेवकूफ़
नहि.Wओ गुस्सा करते हुए बोली. इतने में चाचजी ने कमरे में कदम
रखा जैसे उन्हे पता हो की मुझे उनकी ज़रूरत है. "सीमा तुम घर का
कम छोड़ यहाँ क्या कर रही हो?" उन्होने पूछा. "कुछ नही चाचजी बस
ज़रा चाची से बात कर रही थि.Mएइने जवाब दिया. चाची अचानक
बिस्तर पर टन कर बैठ गयी. पहले तो उन्होने गुस्से माइयन मेरी और
देखा फिर चाचा की और. "क्या तुम दोनो को अपने बदन की महक इस
कमरे में महसूस नही होती," वो गुस्से माइयन बोली. "मुझे पता है तुम
दोनो ने कल रात यहाँ पर क्या किया. मुझे आवाज़ें आ रही थी,
सिसकारियाँ सुनाई दे रही थी और तुमने किस तरह अपना बीज अपने ही
बेडरूम में इसकी छूट माइयन बोया ये भी पता है."डार्लिंग में नहीं
जनता तुम क्या कह रही हो. सीमा हमारी भतीजी है में इसके साथ कोई
ग़लत कम नही करुन्गऑहचजि ने जवाब दिया. चाची ने घूर कर मेरी
तरफ देखा. मुझे असचर्या हो रहा था की चाची वो सब कुछ कैसे
सुन सकती थी. उनकी दवाइयाँ अक्सर उन्हे बेहोशी के आलम में पहुँचा
देती थी. में नर्वस हो बहोट बैचैने महसूस कर रही थी की पता
नही वो अब क्या कहेंगी. "सीमा तुम एक दूं एकद्ूम अपनी मया की तरह
रंडी हो.Wओ गुर्रटे हुए बोली. इतना सुन चाचजी का चेहरे सफेद पद
गया. वो ये ही समझते थे की मेरी मया और उनके संबंध के बारे माइयन
कोई नही जनता है. "हन देव ये सही है. मुझे सब पता है, मुझे
उसकी डेरी हाथ लग गयी थी. मेने हर वो बात पढ़ी है जो उसने लिखी
थी, हर वो गंदी बात. वो भगवान से डरती थी, और उसे पता था की
उसने गुनाह किया है इसीलये वो भगवान से अपने गुनाह की माफी माँगा
करती थी. पर उसे अपने देवर से छुड़ाने में मज़ा आता थऑहचि
एकद्ूम गुस्से में बोली. चाचजी एकद्ूम चुपचाप बैठे थे जैसे उनके
मुँह में ज़बान ही ना हो. साथ ही उनके चेहरे पे गुस्सा भी था की
चाची ने ये बात इतने साल तक उनसे छुपा के रखी. "तुम एक कुटिया
हो माला, और आज तक मेने तुम्हे अपनी जिंदगी से नही निकाला क्यों की
तुम्हारा ख़याल रखना में अपना फ़र्ज़ समझता था.
चाचजी भी गुस्से में बोले, "हन मेने अपनी भाभी को छोड़ा, और
जब मौका मिला तब छोड़ा लेकिन सिर्फ़ इसलिए की तुमने मुझसे अपना मुँह
फेर लिया था. तुम सेक्स नही करना चाहती थी और तुमने बंद कर दिया.
एक बार भी मुझसे ये नही पूछा की माइयन सेक्स के बिना कैसे रह पता
हूँ."हर चीज़ का इल्ज़ाम मुझ पर मत दो, तुम जानते हो में एक बीमार
औरत हुनॉहचि सुबक्ते हुए बोली. "हन एक तरीका है जिससे तुम दोनो
अपना संबंध जारी रख सकते हो.Mएइन और चाचजी दोनो उत्सुक थे के
ऐसा क्या तरीका है जो हमे हमरी ही काबरा से बाहर निकल सकता था जो
हमने खुद खोदी थी. "क्यट उम दोनो एक दूसरे को पसंद करते हो?"
चाची ने पूछा. हम दोनो इस सवाल के लिए तय्यार नही थे इसी लिए
समझ में नहीं आया की क्या जवाब दे. मेने चाचजी की और देखा तो
पाया की उनका लंड टन कर खड़ा हो गया था और मेरी भी छूट माइयन
खुजली मच रही थी की कब में उनका लंड अपनी छूट में लू. "हन"
हम दोनो ने साथ में जवाब दिया. "तो फाइ राइज़ फिर से छोड़ो, यहीं
मेरी अंको के सामने चोदोऑहचि ने कहा, "अगर तुम दोनो चुदाई करना
चाहते हो तो वही करोगे जिससे में तुम दोनो को देख साकु."मगर ये
कैसे हो सकता है" मेने कहा. "में कुछ नही सुनना चाहती, एक दूसरे
को चुना नही, और तुम बिस्तर का किनारा पकड़ घोड़ी बन जाओ और चेहरा
मेरी तरफ रखो जिससे में तुम्हारी चुदाई को देखती रहु.Mएर सिर
घूम रहा था. में इस चीज़ के लिए बिल्कुल भी तय्यार नही थी. अभी
थोड़ी देर पहले में अपनी चाची को बिस्तर पे लिटा रही थी की वो सो
सके और अब वो मुझे देखना चाहती थी की में अपने ही चाचा से कैसे
चुड़वति हूँ. "जल्दी करो" वो चिल्लाई. चाचजी और में खड़े हो कर
माला के बेड के पास आ गये. हम दोनो के चेहरे पे आश्चर्या के मिले
जुले भाव थे पर अंदर से हम दोनो के शरीर माइयन आग लगी हुई थी.
में बिस्तर का कोना पकड़ घोड़ी बन गयी. मेने अपने हाथों से अपनी
पनटी उत्तर दी थी और मेरे चुतताड उपर की और उठ गये थे. फिर कल
रात की तरह में चाचा के हाथों की गर्मी अपने चुतताड पर महसूस
की. "अब जल्दी से बताओ की तुम डॉन वन कल रात क्या और कैसे किया?"
चाची बोली. मेरी आँखें बंद थी जब चाचा ने अपना लंड मेरी छूट
में घुसाया. पर कल रात जिस तरह धीरे से घुसाया था उसकी जगह
आज इतने ज़ोर का धक्का मारा की एक ही धक्के में उनका लंड मेरी छूट
में जड़ तक समा गया. मुझे इतना अक्चा लगा की मेरे मुँह से सिसकारी
निकल गयी. आज उनका लंड मेरी छूट की उन गहराइयों तक जेया रहा था
जो कर रात को ना जेया सका था. पर आज उनकी चुदाई में एक मकसद
था, वो चाची को बताना चाहते थे की आज भी उनके लंड माइयन उतनी ही
ताक़त है. "माला तुम्हे मज़ा आ रहा है ना?" चाचजी ने अपनी उखड़ती
सांसो में पूछा. "अपनी भतीजी की चुदाई तुम्हे आक्ची लग रही है
ना?" चाची ने कोई जवाब नही दिया. यहाँ तक की कोई आवाज़ भी नही
हुई. मेने अपनी आँख खोली तो देख की चाची ने अपने उपर पड़ी कंबल
को हटा दिया था, और उनकी टाँगे फैली हुई थी. उनके चेहरे पर अब
गुस्से की जगह उत्तेजना की झलक दिखाई पद रही थी. चाचजी अब
मुझे और ज़ोर से छोड़ रहे थे. उन्होने ने मुझे तोड़ा से आयेज की तरफ
धकेलते हुए कहा, "सीमा अपने चेहरे को बिस्तर के साथ लगा दो.ऊन्होने
जैसा कहा मेने किया. मेने अपने शरीर को तोड़ा सा बिस्तर पर टीका
अपने चेहरे को पूरा झुका दिया. मेरे चुतताड हवा में उठ गये थे
और चाचजी ने अचानक मेरे चुतताड पर एक थप्पड़ रसीद कर दिया. वो
धक्के लगते जा रहे थे साथ ही मेरे चुतताड पर थप्पड़ मार रहे
थे. उनके मुँह से गुर्राने की आवाज़ आ रही थी जैसे एक जानवर के मुँह
से आती है. मेने बेड को हिलते हुए महसूस किया. नज़र उठा देखा तो
पाया की चाची मेरी और खिसक रही थी. उनकी टाँगे अभी भी फैली हुई
थी. में सोच मे पद गयी पता नही अब क्या होने वाला है. "हन माला
आयेज बढ़ो" चाचजी बोले, "आज तुम साबित कर रही हो की तुम मेरी बीवी
हो.आचनक चाची ने पहले से भी ज़्यादा ज़ोर से मेरे बलों को पकड़
मेरे चेहरे को उठाया. मेरे चेहरा उनकी छूट से चाँद ही दूरी के
फ़ासले पर था. में समझ गयी की वो क्या चाहती है. "माला जैसे इसकी
मया तुम्हारी छूट चूसा करती थी वैसे ही इससे अपनी छूट चुस्वओ?'
चाचजी बोले. तब मुझे एहसास हुआ की ये इन दोनो की मिली भगत है.
अब मुझे पता चला की जब चाची मुझपर इल्ज़ाम लगा रही थी तो
अचानक चाचजी कैसे आ गये.
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