Sunday, July 27, 2014

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--130

FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--130

 एक्सप्लोजन


कैप्टेन मल्होत्रा की समझ में कुछ नहीं आ रहा था।

लेकिन करन कीसमझ में आ गया।


हमला शुरू हो चूका था।

अब उसे समझ में आया कुछ नैनो रोबो एक्सप्लोजन के पहले , टारगेट आइडेंटिफाई करने के लिए , और ये यही नैनो रोबो होंगे जिन्होंने सब पे अटैक किया।

लेकिन सबसे बड़ा खतरा कुछ पलों में आने वाला है , जब एक्सप्लोजन के साथ बाकी नैनो रोबो हमला बोलेंगे।

एक्सप्लोजन का सीधा असर उन पे नहीं होगा , लेकिन ये नैनो रोबो जो एक्सप्लोसिव कैरी कर रहे होंगे , सब के केसिंग को तोड़ के न्यूक्लियर रिएक्टर को सीधे अफेक्ट करेंगे।

अब करन का दिमाग , रीत की तरह तो था नहीं। हाँ कुछ साथ का भी तो असर होता है , और उस पर भी था।

उसने एक रास्ता सोचा।

लेकिन तब तक कैप्टेन मल्होत्रा ने बाफलिंग , के इवेजीव मैनुअर्स के आर्डर दे दिए थे।

साथ में ही उन्होंने रिएक्टर को बंद करने को बोल दिया था और कुलिंग तेज करने के आर्डर दे दिए थे। जिससे अगर कोई हीट सेंसिसिटव अटैकिंग डिवाइसेज हों तो उनका असर कम से काम होगा।

वह खुद आपरेशन कंट्रोल कर रहे थे।


करन ने उन्हें अलग बुला के अपना शक जाहिर किया।

बिना कुछ बोले कैप्टेन मल्होत्रा की आँखे ,मैप पे गड़ी थीं।

और उन्होंने नए कोआर्डिनेट्स दिए।

थोड़ी देर में सब ने नया रास्ता पकड़ लिया था और एक बड़ी सी जायंट रीफ , नजर आ रही थी।

कैप्टेन मल्होत्रा ने एक बार फिर डायरेक्ट कंट्रोल अपने हाथ में लिया ,

और अब सब मैरीन रीफ दूसरी ओर चली गयी थी।

करन कैप्टेन मल्होत्रा के ऑपरेशन के तारीफ किये बिना नहीं रह सका।

जिस साइड पर अटैक डिस्कवर हुआ था वो रीफ के साइड में था।


वो लोग बिलकुल रीफ के शैडो में चल रहे थे।


यानी अगर वो नैनो रोबो कुछ मेसेज कम्युनिकेट भी कर रहे होंगे, तो वो रीफ से टकरा जाएंगे।

दूसरे अगर नैनो रोबो अटैक भी करेंगे तो रीफ उनके ढाल की तरह रहेगी।

थोड़ी देर में रंगीन स्पंज भी दिखे और कैप्टेन मल्होत्रा ने सब उसके नीचे कर ली।


अब वह आलमोस्ट रुकी थी।

सिर्फ बैटरी से वो आपरेट हो रही थी।

ज्यादातर सिस्टम बंद थे।

कम्प्लीट साइलेंस आब्जर्व हो रही थी।


और उसी के साथ उन्होंने तेज धार से कास्टिक सोडा के घोल को केसिंग के ऊपर से वाश करने के लिए बोल दिया था , जिससे नैनो रोबो का असर खत्म हो जाय।

और तभी लगा भयानक तूफान आ गया।

उनकी सब भी कम से कम १० मीटर ऊपर उछली।

लेकिन पेरिस्कोप का रुख उस ट्रेंच की ओर था , जहाँ उन्होंने कंटेनर डंप किये थे।

जैसे पानी में कोई ज्वालामुखी फट पड़ा हो।


पानी दीवाल उस ट्रेंच से उठी।

कई सौ मीटर ऊँची।

और साथ में भयानक आवाज।


कैप्टेन मल्होत्रा ने कैमरे ट्रेंच में छोड़े थे , वो पिघली हुयी आग के गोले बस दिखा रहे थे।

और दिवाली में जैसे पटाखे कुछ होते हैं , एक के बाद एक छूटते हैं बस वही।

लावा और पत्थर के टुकड़े पानी से उछल रहे थे जैसे कोई पानी का ड्रैगन , पागल होकर आग उगल रहा हो।


वोलोग कम से कम १० नॉटिकल माइल्स दूर थे , लेकिन लग रहा था उनके आँखों सामने कोई सुनामी आ रही हो , जिसमें आठ दस मंजिली लहरे ऊपर

उठ रही हों।

कम से काम १५ -२० मिनट तक वह दावानल चलता रहा।


सब के अंदर सिस्मो मीटर और बाकी यंत्र सब कुछ रिकार्ड कर रहे थे।



करन ने कैप्टेन मल्होत्रा से पुछा ,
" हम लोग कब तक ऊपर , सतह पर चल सकते हैं। "


 " कम से कम बीस मिनट और , ऊपर अभी टरब्युलेंस बहुत है। दूसरी बात , क्या पता चार कंटेनर थे , इनमें कोई डिलेड बॉम्ब हो "

और जैसे कैप्टेन मल्होत्रा की बात की पुष्टि के लिए , एक जोरदार धमाका हुआ। और लहरे फिर तेजी से उछली।


बीस मिनट तक करन , चुपचाप बैठता रहा. सोचता रहा ,विनाश का ये दावानल अगर , ऊपर पोर्ट पर होता तो क्या होता।

कितनों की जाने जातीं।

कितने दिन लगते , पेट्रोलियम डिपो की आग , शिप की आग बुझाने में।

महीनो लगते , पोर्ट को फिर काम लायक बनाने में।


कैप्टेन मलहोत्रा , शिप के इंस्पेक्शन में लगे थे।

रिएक्टर रूम , वेपन सिस्टम , कम्युनिकेशन , केसिंग , सब की उन्होंने जांच की।

और जब लौट कर आये तो उन्होंने लॉग की इन किये और फिर सब को लिफ्ट करने के आदेश दिए।

थोड़ी देर में, कम्युनिकेशन रूम से एक मेसेज आया , जो मल्होत्रा ने करन को बढ़ा दिया।

सब में आने के पहले डाल्टन को उसने , सब का कम्युनिकेशन ऐड्रेस दे दिया था।

डाल्टन का मेसेज पढ़ कर करन , एक बार फिर चिंता के घेरे में आ गया।

" अभी थोड़ी देर में एक और अटैक होने वाला है , इस बॉम्ब से भी भीषण। एक शिप से। डिटेल थोड़ी देर में वो मेल करेगा। "

हमें जल्दी ऊपर चलना होगा , करन ने मल्होत्रा को डाल्टन का मेसेज दिखाया।

बस ४ मिनट।

और जैसे ही वो ऊपर आये , दो मेसेज आये , एक कैप्टेन मल्होत्रा के पास और दूसरा करन के पास।

करन के पास डाल्टन का मेसेज था। शिप की काल साइन , लास्ट लोकेशन के साथ उसका स्ट्रक्चरल प्लान दिया हुआ था।

अब उसे जल्दी से जल्दी उसे रीत के पास पहुँचाना था , ये प्लान और बाकी डिटेल्स। सब से ये पॉसिबल नहीं था।

"क्या हम नेवल कमांड कंट्रोल सेंटर पहुंच सकते हैं। "

करन ने पूछा।

" नहीं , वहां पर कम्प्लीट स्कियोरटी क्लैंप डाउन है , चारो और माइन एक्टिवेट कर दी गयीं। दो डिस्ट्रायर और एक फ़्रीगेट चारो ओर चक्कर काट रहा है। और इंस्ट्रक्शन है की बिना पूछे शूट कर दिया जाय। सारी शिप्स और सब्स को पांच किलोमीटर दायरे के बाहर रहने को बोला गया। ' कैप्टेन मल्होत्रा ने मना कर दिया।

करन को सिर्फ ये इन्फो पास आन नहीं करनी थी बल्कि बात करनी थी , रीत से और , कई लोगों से। सबमैरीन से ये पॉसिबल नहीं था।
करन ने कुछ सोचा और फिर बोला,

“ मुझे पोर्ट वापस पहुंचना होगा .

" लेकिन हमेंआर्डर दिया गया है पेट्रोलिंग के लिए और कोआर्डिनटेस भी आ गए हैं। कोई मेजर आपरेशन है। " कैप्टेन मल्होत्रा ने उसकी बात काटते हुए कहा।

तब तक वो सतह पर आ गए थे। लहरें अभी भी बहुत तेज थीं।

" लेकिन कैसे , मुझे ,… " करन ने बात की लेकिन मल्होत्रा ने बात काट दी ,

"रुको, कुछ कोशिश करता हूँ " और उसने कमांड सेंटर से बात की।

काफी समझाना पड़ा उसे , फिर हेड फोन उतार कर वो बोला , कोस्ट गार्ड की एक शिप पांच मिनट में आ रही है।

मैं उसमें आप को शिफट कर दूंगा , फिर वो आपको पोर्ट पर छोड़ देंगे। १० मिनट के अंदर हमें फिर सबमर्ज होना है।

वही हुआ।

कुछ देर में करन , वापस पोर्ट पर था।

एक घंटे दस मिनट हुए थे उसे पोर्ट छोड़े।

लग रहा था ज़माना गुजर गया।



रात १०. ३०

बनारस से १०० किलोमीटर दूर एक शहर।


मेरे सारे कंप्यूटर , लैपटॉप एकसाथ खुले थे।

रीत से पन्दरह मिनट पहले बात हुयी थी। उसने समुद्र में उठी हुयी भयानक लहरों का जिक्र किया था , और वीडियो भी भेजी थी।

लग रहा था कोई ज्वालामुखी , पानी के अंदर फूटा हो।

पानी के साथ आग का लावा भी जैसे मिला हो।

करन ,ने कंटेनर बॉम्ब को सब पर ले जाने के पहले भी फोन किया था।

और पोर्ट पर आया भयानक खतरा टल चूका था।


लेकिन अभी भी एक खतरा बचा हुआ था और मैं आँख गड़ाए , स्क्रीन पर वही देख रहा था।

शिप

मेरे हैकर फ्रेंड्स ने खबर दी थी , की आज इसी हमले के साथ शिप से भी एक भी हमला होगा।

और वह हमला जे एन पोर्ट पर हुए हमले से किसी हालत में कम नहीं होगा। बल्कि ज्यादा ही भयावह होगा।

लेकिन ये तय नहीं था की शिप कौन सा है


और हमला किस जगह होगा।

इतने शिप पोर्ट्स पर , पोर्ट्स के अप्रोच में होते हैं.

कैसे पता चले की कौन शिप है /


ये नहीं है की कुछ हमें शक नहीं था या कुछ खोज बीन नहीं हुयी थी , लेकिन कुछ पक्का पता नहीं चला।



एक एल एन जी से लदा शिप था। और सबसे ज्यादा शक उसी पर था।


उसे सोमालिया में सी जैक कर लिया गया था। करीब एक महीने तक वो सोमालियन पाइरेट्स के कब्जे में भी रहा वो लेकिन बाद में छूट गया।

शक इस बात से हुआ की बहुत कम शिप बिना रैन्सम दिए छूटते हैं।

और वो शिप उनमे से एक था।

वो शिप रजिस्टर्ड भी एक पोर्ट आफ कन्विनयेन्स पर था।

और आज ही उसे डाक होना था।

सोमालिया तक अल कायदा के हाथ पहुँच गए थे।




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