Sunday, July 27, 2014

FUN-MAZA-MASTI फागुन के दिन चार--131

FUN-MAZA-MASTI

   फागुन के दिन चार--131

 सोमालिया तक अल कायदा के हाथ पहुँच गए थे।

और कुछ अखबारों में छपी खबरों से हमारे कान और खड़े हो गए थे।

एसोशिएटेड प्रेस ने एक न्यूज छापी थी ,


 पढने के बाद हम लोगों ने काफी रिसर्च की और मैंने एम आई टी के एक साइंटिस्ट से संपर्क किया , वो मैसाच्युसेट्स पोर्ट अथॉरिटी के चैयरमेन भी थे और यूनियन आफ कंसर्ड साइंटिस्ट केहिस्से थे , जो ऐसे खतरों पर शोध करते हैं।

उन्होंने अपने रिपोर्ट में कहा ,

 उसके बाद तो हमारी हालत और ख़राब हो गयी।

लेकिन शिप के क्र्यू की जांच की गयी तो उनके नाम वही थे , जो ओरिजिनल मैनेफेस्ट में थे।

कुछ भी सस्पिसस नहीं लग रहा था।

यहाँ तक की हाई सी में रोक कर , उन की जांच भी की गयी। नेवल इंटेलिजेंस यूनिट के लोग भी उस शिप पे गए , लेकिन कुछ भी नही मिला।

शिप के लॉग , चेक किये गए क्र्यू से बात की गयी , लेकिन कुछ नहीं पता चला , इसलिए अलर्ट लेवल लो कर दिया गया।

लेकिन मामला फिर बदल गया , जब कल रात रा के एजेंटो ने पडोसी देश के कमांड कंट्रोल सेंटर में , मेरे हैकर दोस्त के साथ सेंध लगाई , और उस से मुम्बई के हमले के बारे में बहुत कुछ पता चला।

और उसी से जुड़ा अबोटाबाद का सेण्टर भी पता चला , जहाँ समुद्र के रास्ते होने वाले हमले मॉनिटर और कंट्रोल हो रहे थे।
और वहां से कंटेनर बॉम्ब और शिप से हमला होने के बारे में पता चला।


जब शाम आठ बजे केकरीब , करन ने कंटेनर बॉम्ब होने की पुष्टि कर दी , फिर शिप से हमले की खबर में शक की गुंजाइश नहीं थी।


 जब शाम आठ बजे केकरीब , करन ने कंटेनर बॉम्ब होने की पुष्टि कर दी , फिर शिप से हमले की खबर में शक की गुंजाइश नहीं थी।


रीत नेवल कमांड के कंट्रोल सेंटर में थी जहाँ , वेस्टर्न नेवल कमांड के आपरेशन चीफ , रॉ और आई बी के ज्वाइंट डायरेक्टर , आपरेशन कमांड कर रहे थे। दिल्ली में भी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के लोग आफिस में थे , और साथमें एन डी आर एफ और एन एस जी के डायरेकटर जनरल मौजूद थे।

लेकिन परेशानी वही दोनों थी ,

कौन शिप अटैक करेगी।

कहाँ करेगी।

सारे राडार एकदम ध्यान से शिपस पर निगाह रखे थे।

आसमान में कई ड्रोन उड़ रहे थे जो ताजा पिक्चर्स भेज रहे थे।

एक सेटलाइट वहीँ फोकस किया हुआ था।


ये लग रहा था की कुछ भयानक होनेवाला है।

मैं इतनी दूर महसूस कर रहा था।

और तभी लगा हो गया वो जो अनहोनी होने वाली थी.

नेवल कमांड कंट्रोल ने १० शिप्स को हाइली सस्पेक्टेड डिक्लेयर कर रखा था।

मेरी लिस्ट में चार शिप थे , जो नेवल कमांड की लिस्ट से कॉमन भी थे।

सबसे ऊपर तो वही एल एन जी से लदा हुआ शिप था।

और उसके बाद दो कंटेनर शिप थे।

और एक कोल का शिप था।


मैंने ये लिस्ट उनके लास्ट पोर्ट्स आफ काल , रजिस्ट्रेशन , और ओनर शिप के आधार पर तय किया था।

कंटेनर शिप के नाम इसलिए थे , की करन ने जब से कंटेनर बॉम्ब की बात की , तब से लग रहा था की अगर किसी शिप में १० % कंटेनर भी एक्सप्लोसिव से लदे हों। और शिप का मालिक कोई टेरर ग्रूप हो , तो क्या होगा।


बड़ौदा में कोयले के साथ जो इम्पैक्ट बॉम्ब लदे थे , और विशेष रूप से पोर्ट आफ काल के बेसिस पे कोयले का शिप भी शक के दायरे में था।

और तभी मेरे कंप्यूटर के स्क्रीन पे , जहाँ वेस्टर्न शोर पे मुम्बई के पास शिप दिख रहे थे , और उन चारो को मैंने कलर कोड कर रखा था।

एक ब्लिप तेजी से आगे बढ़ने लगा।


 १०. ३२ --

अब कोई शक नहीं रह गया।

यह वही एल एन जी से लदा शिप था।

उसके स्पीड से लग रहा था वो सीधे अटैक के लिए बढ़ रहा था।

१०. ३३

करन का फोन था था। उसने सस्पेकेक्टेड शिप की काल साइन और डिटेल्ड स्ट्रक्चरल ड्राइंग मेल की थी , जो उसे डाल्टन ने भेजी थी। पहले उसने रीत को भेजी और नेवल कमांड से बात भी कर ली थी।

मैंने ड्राइंग क्लाउड पर पोस्ट कर दी और रेड हाट मेसेज अपने सारे फ्रेंड्स के लिए छोड़ दिया था की वो तुरंत इसकी एनेल्सिस कर के बताएं।

और अब मुझे लगा की मैंने कितनी बड़ी गलती कर दी।

सारे क्ल्यु शुरू से इसी शिप की और इशारा कर रहे थे।

सबसे पहले रीत ने जो क्ल्यु ढूंढा था , जिसमे बूब्स आन फायर में सारे क्ल्यु थे , और बनारस , बड़ौदा और बम्बई अटैक के त्रिकोण थे। तीनो जगह फोकस आग था।

बनारस में होलिका में बॉम्ब

बड़ौदा में , पेट्रोलियम रिफायनरी और पावर हाउस

और बॉम्बे में पोर्ट पर पेट्रोलियम का स्टोरेज , पेट्रोलियम की पूरी सप्लाई।


इसके अलावा , एन पी ने बोला था , मार्केट कभी झूठ नहीं बोलता।

जिस तरह से पेट्रोल , पोर्ट और इंफ्रा के शेयर गिर रहे थे , लग रहा था किसी को पता था।

लेकिन उन शेयर्स को आफ्लोड कर के , जो करोड़ों रुपये मिले उस का इस्तेमाल इस आपरेशन को सपोर्ट करने के लिए किया गया।


लेकिन अभी भी साफ नहीं था टारगेट क्या है।

 रीत है न


१०. ३५ -

मैंने रीत को फोन लगाया।

वो लोग करन के मेसेज पे काम कर रहे थे।

मैंने शिप के बारे में बताया।

रीत ने कहा , वो लोग उसे आब्जर्व कर रहे हैं ,
एक ड्रोन उसे फॉलो कर रहा है। और वो करन के भेजे काल साइन से उसकी काल साइन टैली कर रहे हैं।

" लेकिन उसका टारगेट कौन सा हो सकता है '. मैंने पुछा।


मेरे मैप पे जो इसरो की सेटलाइट के जरिये आ रहा था , कुछ स्ट्रैटेजिक टारगेट्स ब्लैक आउट रहते हैं।

तब तक फोन पे ही रीत से किसी के बात करने की आवाज आई


काल साइन टैली हो गयी , ये वही शिप है।

लेकिन अभी भी टारगेट क्या है ये मेरी समझ के बाहर था , और जो फोन से मैं आवाजें सुन रहा था , उस के हिसाब से उन लोगों के भी पल्ले नहीं पड रहा था।

रीत ने भी फोन उसी आदमी को थमा दिया जो शिप को आब्जर्व कर रहा था। और सारी इमेजेज को कोलेट कर रहा था।

और उस ने मुझे शिप का कोर्डिनेट , रास्ते में पड़ने वाले सभी इम्पॉर्टेंट ऑब्जेक्ट्स बता दिए और कहा की उसमे कही हैं ह्यूमन हैबिटेशन या डिफेंस का कोई स्ट्रक्चर नहीं है। डॉक्स उसके रास्ते में नहीं पड़ेंगे और नहीं बी पी टी। हाँ बॉम्बे हाई है , लेकिन वहां इतने आदमी नहीं है , और डिफेंस के लिहाज से उसका कोई इंपॉर्टेंस नहीं है। "


मेरे तो दिल की धड़कन रुकते रुकते बची।

यही है टारगेट।
वो फोन रखने ही जा रहा था की मैंने उससे बोला , प्लीज रीत को फोन दे दीजिये।

मैं कुछ बोलता उसके पहले फोन पे रीत बोल उठी ' यही कहना चाहते हो न की बॉम्बे हाई टारगेट है , मैं समझ गयी। लेकिन मुझे अभी आई बी , और रा के लोगों से बात करनी होगी और नेवल आपरेशन कमांडर से भी। अब बात सिर्फ ये है इसे रोका कैसे जाय। "

रीत से कोई जीत नहीं सकता।

मैं जो कहने वाला था उसने खुद कह दिया।

अब मुझे वेट करना होगा नेवल कमांड के रिएक्शन का।


 बॉम्बे हाई : टारगेट

बॉम्बे हाई ( मुम्बई हाई ) , मुम्बई के तट से करीब १६२ किलोमीटर दूर है और समुद्र की गहराई ७५ मीटर है। १९७४ में १९ फरवरी को यहाँ से तेल का खनन शुरू हुआ और भारत के अपने तेल के स्रोतों में ये सबसे महत्वपूर्ण है। २००४ में यह देश की १४ % जरूरत और घरेलु उतपादन का ३८ % पूरा करता था , लेकिन २००५ में लगी आग का बुरा असर पड़ा।


बॉम्बे हाई के क्रूड की क्वालिटी भी बहुत अच्छी है , यहाँ पैराफिन कॉन्टेंट ६०% है जबकि मिडल ईस्ट में यह मुश्किल से २५ % है। एक समस्या ये भी है बॉम्बे हाई कोई एक जगह नहीं है यह बॉम्बे हाई नार्थ साउथ दो भागों में बटा है और १०० के ऊपर आयल वेल यहाँ हैं। और करीब १२५ आयल वेल हैं , जो कई किलोमीटर के दायरे में फैले हैं। उसके अलावा , तेल की पाइपों का भी जाल फैला है , जो और दूर तक है।

मैं दुश्मन की तारीफ किये बिना नहीं रह सका।

सारी प्रोटेक्शन , कोस्ट पर , पोर्ट्स पर थी।

और वो शिप भी आलमोस्ट पोर्ट के पास तक पहुँच गयी थी और फिर उसने बॉम्बे हाई के आयल फील्ड की ओर रुख कर लिया।

लेकिन मुझे विश्वास था , कुछ भी नहीं होगा।

रीत है न वहां।

तब तक फोन फिर घनघनाया।

१०. ३८

फोन एन पी का था , ए टी एस ( ऐंटी टेरर सेंटर ) से।

दो लोग अभी भी बचे थे , लेकिन एक अभी पकड़ा गया था।

एक स्लीपर नागपाड़ा में था। जिसे अभी पकड़ लिया गया था।

घनी बस्ती में , एक गली में वो छिपा था। अगल बगल के घरों को पहले खाली कराया गया और फिर स्मोक बाम्ब्स और स्टन ग्रेनेड के हेल्प से कमांडो वहां पहुंचे और स्लीपर को जिन्दा पकड़ने में कामयाब हो गए। अब सारे स्लीपर पकड़े जा चुके हैं।

लेकिन बॉम्ब मेकर बोरीवली के पास जंगल में छुपा है। वहां रुक रुक कर फायरिंग हो रही है।

थोड़ी देर में पैराट्रूपर वहां उतरने वाले हैं। पूरी कोशिश होगी उसे भी जिन्दा पकड़ने की।

जो स्लीपर और बाकी लोग पकड़े गए थे , उनसे काफी नेटवर्क का पता चला है , और ठीक १२ बजे रात से उन्हें पकड़ने का प्रोग्राम है।

उसने ये बोला की वो अब आधे घंटे के बाद आगे की बात बताएगा।


१०. ४२ -

मैंने एक बार फिर डाल्टन के भेजे प्लान को देखा , मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया।

क्या करूँ ये भी समझ में नहीं आरहा था।

बस ये मालुम था , जब कुछ समझ में न आये तो रीत से बात करो।
रीत की आवाज बुझी बुझी लग रही थी।


 " वो लोग नहीं मान रहे हैं , ओ एन जी सी के प्रोजेक्ट डायरेकटर , ई डी आ गए हैं। वो भी यही कह रहे हैं। "

मेरी समझ में कुछ नहीं आया। मैंने फिर पुछा।

पता यह चला सारे लोगों का फैसला था ड्रिलिंग प्लेटफार्म ड्रिलिंग बंद कर जाय और लोगों को इवैक्युएट कराया जाय। अगर लगातार चॉपर की शार्टी होंगी तो भी जो हेलीपैड की लिमिटेशन है , नेवी भी अपने शिप लगा रही है।

पहली पॉलिसी लाइफ शेव करने की है।


ये भी सोचा गया की उस शिप को टारपीडो कर दिया जाय , लेकिन इसमें करीब ४०-४५ मिनट लगेगा।


और ओ एन जी सी के लोगों ने उस प्लान को टारपीडो कर दिया। उनका कहना है की सिर्फ आयल प्लेटफार्म ही नहीं , आस पास का एरिया तेल के कुँओं से और पाइप लाइन से भरा है। तो अगर वो शिप दूर भी एक्सप्लोड हुआ , तो वो पाइप लाइन और वेल में आग पकड़ लेगी और फिर वो आग चारो और फैल जाएगी। इसलिए कुछ भी ऐसा नहीं सकते जिस से एल पी जी टैंक एक्सप्लोड हो।


और कहीं से भी शिप को अटैक करेंगे तो टैंक एक्सप्लोड होने का चांस रहेगा।


कुछ नहीं होगा तो वो खुद एक्सप्लोड करा देंगे।


इसलिए अटैक की स्ट्रेटजी रूल्ड आउट हो गयी है। सिर्फ एवक्यूएट करने डिजास्टर मैनेजमेंट का काम हो रहा है। हाँ शिप को रोकने और धीमा करने के लिए कुछ कोस्टगार्ड के वेसेल्स और एक नेवी का शिप साथ लगाये गएँ हैं। चार हेलीकाप्टर उसे ऊपर से एस्कॉर्ट करंगे। सारे शिप्स को २५ किलोमीटर का एरिया खाली करने के आदेश दे दिए गए हैं।

मैं कुछ देर चुप रहा। क्या बोलता।

फिर बोला ,

"शिप के स्ट्रक्चरल प्लान को देखा क्या , मैंने भी उसे क्लाउड पर पोस्ट कर दिया है। आखिर डाल्टन ने भेजा है तो शायद उस से कुछ निकले।

कुछ सुराख मिले "

जब तक मैं अपनी गलती सुधारता रीत जोर से हंसी।

उसकी इस हंसी के लिए तो मैं कुछ भी कर सकता था।

" तुम भी ना , जब तक तुम्हे उस रंजी सुराख नहीं मिल जाता तुम इसी तरह हर जगह सुराख देखते रहोगे।

और आज गुड्डी भी नहीं है ना।

क्यों नहीं बिचारी रंजी के सुराख का कल्याण कर देते। एक बार बनारस आ गयी न तो रेहन और उस के साथी , सुराख का हाथी दरवाजा बना देंगे , आगे से भी पीछे से भी। तुम्हारे सारे शहर वालों का वैसलीन का खरचा बचेगा। "

"नहीं मेरा मतलब था ,… " मैंने भूल सुधार का प्रयास किया , लेकिन वो सारंग नयनी हंसती बोली ,

'मुझे मालूम है तेरा मतलब। प्लान यहाँ भी नेवल आर्किटेक्ट देख रहे हैं। क्या पता कोई सुराख निकल आये। कुछ होगा तो पांच दस मिनट में बताती हूँ।

शिप का इ टी ए ठीक मिड नाइट का है , अायल प्लेटफार्म का। दस मिनट में रिंग करुँगी। "

और उसने फोन रख दिया। 



और सुराख निकल आया

१०. ४५

मेरे कंप्यूटर पर क्लाउड से दो अर्जेंट मेसेज आये थे और एक लम्बी रिपोर्ट।


आखिर सुराख निकल आया।

रिपोर्ट मैंने तुरंत रीत को फारवर्ड कर दी और उसे मेसेज भी कर दिया।


वह सुई के छेद से हाथी निकाल सकती थी।

रिपोर्ट को मैंने दुबारा पढ़ना शुरू कर दिया।






रिपोर्ट बहुत उत्साह जनक थी।
हाँ मेरे कुछ समझ में ज्यादा नहीं आई , लेकिन इतना पता चला , की शिप में कुछ मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट हैं। जो वैसे तो शिप के आपरेशन को प्रभावित नहीं करेगी , पर उसे एक्स्प्लॉयट कर सकते हैं।

कैसे करेंगे , ये मैंने रीत और नेवल कमांड के लोगों पे छोड़ दिया.
पहली बात शिप के कील के बारे में थी।

कील , बीम की तरह का स्ट्रक्चर होता है , जिसके चारों ओर शिप के हल का निर्माण होता है।

रिपोर्ट में कील के कुछ डिफेक्ट के साथ , ये भी लिखा था की शिप के टम्बल होम , डेडराइज और बिल्ज रेडियस में कुछ कमियां है।

लेकिन असली गड़बड़ी उसके हल में है।

उसमें शिप के ब्लाक कोइफिशिएंट और प्रिज्मिक कोइफिसिएंट के बारे में था और दो फार्मूले भी दिए थे।

Block coefficient (Cb) is the volume (V) divided by the LWL x BWL x T. If you draw a box around the submerged part of the ship, it is the ratio of the box volume occupied by the ship. It gives a sense of how much of the block defined by the LWL, beam (B) & draft (T) is filled by the hull. Full forms such as oil tankers will have a high Cb where fine shapes such as sailboats will have a low Cb.

C_b = \frac {V}{L_{WL} \cdot B \cdot T}

Prismatic coefficient (Cp) is the volume (V) divided by Lpp x Ax. It displays the ratio of the immersed volume of the hull to a volume of a prism with equal length to the ship and cross-sectional area equal to the largest underwater section of the hull (midship section). This is used to evaluate the distribution of the volume of the underbody. A low or fine Cp indicates a full mid-section and fine ends, a high or full Cp indicates a boat with fuller ends. Planing hulls and other highspeed hulls tend towards a higher Cp. Efficient displacement hulls travelling at a low Froude number will tend to have a low Cp.

C_p = \frac {V}{L_{pp} \cdot A_m}



और उसके बाद , ढेर सारे कैल्क्युलेशन थे , जो मेरी समझ के बाहर थे।

लेकिन कन्क्ल्यूजन साफ था , शिप में कुछ स्ट्रक्चरल डिफेक्ट्स हैं जिनका इस्तेमाल कर के शिप में इन्स्टेबिलिटी क्रिएट की जा सकती है।

लेकिन उसके लिए शिप के अंदर जाना होगा।

मुझे पूरा विश्वास था की नेवल कमांड के लोग इसका इस्तेमाल कर के कोई रास्ता निकाल लेंगे। और वो न करेंगे तो रीत है वहां , उनसे रास्ता निकलवाने के लिए।

रिपोर्ट मैंने फिर पढने की कोशिश की।

उसमे एक प्लान भी दिया था की कील के आस पास ४ जगहों के निशान थे , वहां हलके से प्रहार से भी शिप पूरी तरह डिस्टेब्लाइज हो सकता है।

मैंने फिर रीत को कांटेक्ट किया।

१०. ५२ नेवल कमांड कंट्रोल सेण्टर , मुम्बई-


बहुत कन्फ्यूजन था।

डाल्टन ने शिप का जो प्लान करन के जरिये भेजा था , उसकी प्रिलिमनरी ऐनिलिसिस , नेवल आर्किटेक्ट से आ गयी थी। वो थोड़ी कनजरेटिव थी , लेकिन आनंद ने जो फारवर्ड किया था वो ज्यादा होपफुल थी। बेसिक बातों में सहमति थी। कील के पास स्ट्रक्चरल वीकनेस है , जिसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

लेकिन रिस्क असेसमेंट को लेकर विवाद था। नेवल आर्किटेक्ट का मानना था की सफलता के चांसेज , २५ % के आसपास है और रिस्क ९० % हैं।

जो रिपोर्ट आनंद ने भेजी थी उसका असेसमेंट ये था की सफलताके चांसेज ४५ से ५२ % तक हैं और रिस्क ७२ % है।

रीत का ये मानना था की रिस्क लेना चाहिए। वरना सफलता की चांसेज , ज़ीरो % होगी। और उसने कहा की वो १०० % रिस्क के मिशन पर भी जाने को तैयार है , लेकिन दुश्मन को आयल रिग पे हमला नहीं करने देना होगा।

पर कुछ लोग ऐसे थे , जिसमें नेवल इंजिनियर और एल पी जी शिप के एक्सपर्ट थे , जिनका मानना था की एक्सप्लोजन का असर बहुत लिमिटेड होगा , और उसे कन्टेन कर सकते हैं। इनका मानना था की जिस होल्ड में गैस रहती है वो मल्टी लेयर्ड होता है और एक्सप्लोजन के चांसेज उतने नहीं है जितने सोचे जा रहे हैं। एवैकयूशन , पेट्रोल की पम्पिंग बंद कर के , और डिजास्टर कंट्रोल के मेथड से डैमेज कंट्रोल कर सकते हैं।


लेकिन तब तक रा के क्रिप्टोग्राफर्स ने जो मेसेज दिया उन्होंने पूरा सीन बदल दिया।

उन्होंने कमांड और कंट्रोल सिस्टम जो हैक किया था और उस के जरिये अबोटाबाद के पेरीफेरल सिस्टम तक पहुंचे थे , वहां से ये बार पता चली।

ये शिप जब सोमालिया के पाइरेट्स के कब्जे में था , उस समय शिप के स्ट्रक्चर में चेंज कर दिया गया था। गैस के होल्ड के स्ट्रक्चर में बदलाव कर दिया गया था , प्रोटेक्शन की डिवाइसेज हटा दी गयी थी , और अब जरा सा कोलिजन भी या शिप पर अटैक , गैस को एक्सप्लोड करा देता।

रीत ने दबाव बढ़ा दिया , अटैक के लिए। और अब उसके साथ मार्कोस ( इण्डिएन मैरीन कमांडो ) के हेड भी थे।

उनका मानना था ये टेररिस्ट अटैक है , जो एक सुसाइड अटैक है।

क्या हममे कम हिम्मत है , हम अपने देश को कम प्यार करते हैं ? हमें काउंटर अटैक करना चाहिए।

और कुछ देर में एक्सप्लोसिव एक्स्पर्ट , आपरेशन एक्सपर्ट प्लान करने लगे।

एक बड़ी स्क्रीन पर उस शिप की डिजाइन , कील , हमले के तरीके दिखाए जाने लगे।


१०. ५५ - बनारस से करीब १०० किलोमीटर दूर एक शहर -


मैंने रिपोर्ट दो बार पढ़ ली थी और उसके पहले ही रीत के पास भेज दी थी।

शिप आगे बढ़ता नजर आ रहा था।

शिप का इ टी ऐ , मिड नाइट था। लेकिन आयल वेल , पाइप लाइंस और कोस्ट गार्ड के शिप्स की वजह से उसका मूवमेंट अफेक्ट हो रहा था।

सी वेव्स और हवा भी प्रतिकूल थी , इसलिए अब आयल प्लेटफार्म से उसके टकराने का सम्भावित समय बढाकर ००. १७ कर दिया गया था।

बनारस से फेलू दा , दूबे भाभी और कार्लोस का फोन आया था।

तीनो लोग रीत के बारे में पूछ रहे थे।

दूबे भाभी तो सब देवी देवता मना रही थीं।

मैंने बिना कोई डिटेल बताये , तीनो लोगों को बता दिया , की रीत सेफ है और उसे कुछ भी नहीं होगा।

मेरा मन कर रहा था बार बार रीत से बात करने का , लेकिन मुझे मालूम था वो किस हालत में होगी।

फिर नेवल कमांड के लोग कहीं गलत न समझें।

हिम्मत कर के १०. ५६ पर फोन लगाया।

रीत ने फोन उठाया।

वो जल्दी में लग रही थी।

उसने सिर्फ इतना बताया की अगले दो घंटे तक वो कम्युनिकेट नहीं कर पाएगी। वो करन से भी बात नहीं कर पायी है , और मैं करन को भी बता दूँ।

मैं समझ गया वो आपरेशन के लिए निकल रही है।

मैंने उसे बेस्ट आफ लक बोला तो मुस्करा के वो बोली , हाँ बहुत जरुरत होगी मुझे आज लक की। और फोन रख दिया।

फोन रखने के पहले उसने आपरेशन चीफ से मेरी बात करायी और बोला , एक डेढ़ घंटे बाद तुम इनसे बात कर लेना।

मैं बहुत घबड़ा रहा था।

मैंने पहले करन से थोड़ी देर बात की। वो भी परेशान था।

और उसके बाद अपने हैकर फ्रेंड्स से बात की।

वो कम्प्लीट जामिंग किये हुए थे।

उन्होंने बताया की शिप से उस कमांड कंट्रोल सेण्टर और अबोटाबाद से कांटैक्ट करने की बहोत कोशिशें हो रही हैं। लेकिन जामिंग के चक्कर में वो अपने आकाओं से बात नहीं कर पा रहे हैं।

घडी की सूई बहुत धीरे धीरे सरक रही थी।

बस मुझे लग रहा था , वो बनारसी बाला , गंगा के घाट पर जिसने निर्णय लिया था दुश्मन के दांत तोड़ने का , आज अरब सागर में लड़ाई लड़ रही थी।

ये आखिर लड़ाई थी , दुश्मनों के तिहरे हमले को नाकाम करने की।



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